Saturday, April 12, 2014

Fentency मेरे बॉस

Fentency


मेरे बॉस

प्रेषक : रोमा
  सभी पाठकों को मेरा नमस्कार। मैं रोमा हूं इससे पहले आपके पास
अपनी कहानियां लेकर आ चुकी हूं। जैसा कि आपको पता हैं मैं पढाई कर रही
हूं, और इन दिनों मैं पढाई के साथ एक पार्ट टाइम जॉब भी कर रही हूं मेरी

जॉब की टाइमिंग शाम 5 से 8 की होती हैं, और यहां मुझे ज्यादा काम भी नही
करना होता है। यहां मैं कम्पनी के अकाउंट को चेक करके डेली की आय व्यय को
अकाउंट में उतारती हूं। यहां मेरे एक बॉस है जो मुझे बेहद पसंद करते है।
मुझे यहां काम में लगने से लेकर अब तक वे सभी कामों में मेरी काफी मदद
करते हैं, और काम से मेरी छुट्टी होने के बाद वे अक्सर मुझे अपने पास
बुला लेते, और मुझसे मेरे घर के बारे में बात करने लगते। छुट्टी के बाद
घर पहुंचने की जल्दी रहने के बावजूद उनका बास होना, और मुझे हर काम में
सहयोग देने की वजह से मैं उनके पास रूककर बात करने के उनके आग्रह को टाल
नहीं पाती। काम के बाद उनके पास रूकने का सिलसिला अब धीरे-धीरे करके और बढने लगा।
लिहाजा आफिस से मेरे छूटने का समय 8 बजे का था, जो अब बढते हुए 10 बजे तक
हो गया था। देर से घर पहुंचने पर एक दिन मेरी मां ने डांट लगाई, व कल से
काम पर न जाने का फरमान सुनाया। तब मैने मां से कही कि आज बास से बात
करके आपको बताती हूं। दूसरे दिन मैं जल्दी ही अपने आफिस पहुंची आज मैने
सलवार सूट न पहनकर स्कर्ट और शार्ट पहनी थी , और यहां अपने काम में न
लगकर सीधा बास के चेंबर में पहुंची। मुझे देखते ही बॉस ने चेंबर में बैठे
दूसरे लोगों का काम जल्दी से पूरा किया, जिनका काम नहीं हुआ उन्हे बाहर
बैठने को कहकर बास ने मुझसे कहा हां रोमा बोलो क्या बात हैं। मैं बॉस के
पास गई और बोली बॉस मुझे यहां से छूटने और घर पहुंचने में रोज रात के 10
बज रहे हैं। इससे मेरे घर वाले काफी नाराज हो रहे हैं और उन्होने मुझसे
यह सर्विस छोडने कहा हैं। सो आज मैने अपना रेजिगनेशन लेटर लिखा हैं और यह
आपको देकर अब भारी मन से यह सर्विस छोड रही हूं।
  यह सुनते ही मेरे बॉस  जिनका नाम वीरेन्द्र मेहता हैं, एकदम चौंक गए और
अपने सामने बिछी कुर्सी पर मुझे बैठने कहा। मैं कुर्सी पर बैठी। वह बोले
इस बारे में तुम्हे क्या कहना हैं ? मैं बोली कुछ बोल नहीं पा रही हूं
इसलिए तो अपना इस्तीफा दी हूं सर। मैने घर वालों से भी कहा हैं कि अभी
कुछ दिन की ही बात हैं फिर ठीक टाइम हो जाएगा, पर मेरी बात भी नहीं मानी
गई। मेरी बात सुनते ही वीरेन्द्र खुशी से उछल पडे और बोले या?तुम भी
इसमें मेरा साथ दोगी ना। मैं बोली बिल्कुल सर। अब वो बोले तुम मुझे सर ना
कहकर सीधे मेरे नाम से बुलाया करो। मैं लिहाज वश बोली जी सर। फिर सर… यह
बोलकर वीरेन्द्र अपनी चेयर से उठकर मेरे पास पहुंच गए। उन्हे आता देख
लिहाजवश मैं भी खडी हुई, पर उन्होने मुझे बैठाए रखने के लिए मेरे कंधे पर
अपना हाथ रखकर कंधा दबाया, इससे मैं पूरी न बैठकर थोडा झुक गई। वीरेन्द्र
बोले अपनी दूसरी बात होती रहेगी,पर पहले तुम सर्विस पर रोज आती रहो इसके
बारे में सोचना हैं, यह बोलकर वीरेन्द्र ने मेरे कंधे से अपना हाथ निचे
कर मेरे बूब्स पर रख दिया। उनका हाथ मेरे बूब्स पर लगते ही मेरे शरीर में
झुरझुरी सी उठी।
 वीरेन्द्र ने अपना हाथ मेरे बूब्स से हटाए और मेरे बाजू में रखी
कान्फेंस चेयर को मेरे और पास खिंचकर उस पर बैठ गए। मैं उन्हे अपने इतने
करीब बैठे देखकर घबरा रही थी। मेरे चेहरे का रंग भी उडा हुआ था। वे मेरी
यह हालत देख कर बोले क्या हुआ रोमा, तुम आज मेरे साथ बैठकर कैसा रिएक्ट
कर रही हो, तुम्हारी तबियत तो ठीक हैं ना। मैं बोली जी सर आप यहां मेरे
इतने पास बैठे हैं ना इस कारण मैं घबरा गई हूं। वीरेन्द्र ने कहा इसके
अलावा तो और कोई बात नहीं हैं ना। मैं बोली नहीं। तुम मेरे साथ बैठने से
इतना घबरा रही हो जैसे मैं तुम्हारे उपर ही चढ गया हूं। देखो रोमा मेरा
तुमसे अलग ही लगाव हैं, इसलिए तुम्हे बता रहा हूं कि काम्पीटिशन के इस
दौर में तुम्हे बहुत फारवर्ड होना पडेगा। एसे किसी के साथ बैठने से
झिझकीं या हाथ लगने से कांप उठोगी तो आगे कैसे बढोगी। मैं बोली जी…।
वीरेन्द्र ने कहा तुम्हे अब तो मेरे साथ बैठने से कोई परेशानी तो नहीं हो
रही है ना? मैं थोडा नर्वस फील कर रही थी, सो अपने हाथ से शर्ट की उपरी
बटन पर घुमाने लगी। वीरेन्द्र बोले बी फ्रेंक बेबी, डोन्ट नर्वस डाउन। यह
कहते हुए वे बोले अच्छा चलो अब अपन कुछ खुल के बातें करें,जिससे तुम्हारी
झिझक मिटे।
 मैने हां में गर्दन हिलाई। वे बोले पहले तुम सैक्स कर चुकी हो या नहीं।
मैं अब तक तीन बार अपनी चूत में लौडा ले चुकी थी, इसलिए अभी इस प्रश्न पर
चुप थी। वीरेन्द्र बोले देखो एकदम सही-सही बोलो। मैं बोली जी हां मैं
सैक्स कर चुकी हूं। वीरेन्द्र पूछे कितनी बार? और किससे? मैं बताई एक बार
एक लडके से। वीरेन्द्र बोले गुड यानि सैक्स को तुमने भी अपने फ्यूचर का
सवाल न बनाकर शरीर की जरूरत के हिसाब से यूस किया ना। मैं अपनी गर्दन
निचे किए बैठी थी। उन्होने मेरे हाथ को पकडा, और बेहद संजीदगी के साथ
बोले क्या मुझे भी तुम्हारे साथ सैक्स करने का मौका मिल सकता हैं? अब मैं
नारी सुलभ शरम का भाव दिखाते हुए अपना सिर झुकाए बैठी रही। वीरेन्द्र के
हाथ मेरे बूब्स के निप्प्ल को सहला रहे थे। बॉस के साथ चुदाई के ख्याल ने
ही मुझे रोमांचित कर दिया था। मैने स्कर्ट शार्ट पहनी थी। वीरेन्द्र का
एक हाथ मेरे निप्प्ल पर थे, दूसरे हाथ से उन्होने मेरे दोनो पैरों को अलग
किया, और मेरी चूत की ओर हाथ बढाया। मुझे अच्छा तो लग रहा था, पर कोई आ न
जाए इस डर से मैने पिछे घूमकर मेन डोर की ओर देखा तो वीरेन्द्र बोले अभी
बस हाथ लगा रहा हूं असली प्यार बाकी हैं। सो मैं पैर फैला दी ताकि वो
मेरी चूत को छू लें।
  उसने हाथ बढाकर मेरे स्कर्ट के अन्दर से मेरी पैन्टी के उपर से चूत को
सहलाया, फिर पैन्टी को किनारे से हटाकर मेरी चूत की दोनो फाकों पर हाथ
घुमने लगे।अभी दो दिन पहले ही मैने अपने झांटों को हेयर रिमुवर से साफ
किया था।सो चूत एकदम क्लीन तो नही, पर साफ थी। अब मुझे अपनी चूत में लौडा
लेने की इच्छा तेजी से सिर उठाने लगी। सो मेरा हाथ खुद ब खुद वीरेन्द्र
की पैन्ट की ओर बढा और पैन्ट के उपर से ही उनके लौडे को टटोलने लगा। उनका
लंड भी तनकर फुफकारने लगा। तभी अचानक उनका इंटरकाम बजने लगा। उन्होने
जल्दी से मेरी चूत से हाथ हटाकर रिसीवर उठाया और रिशेप्स्निस्ट की बात
सुनकर कहा कि ठीक हैं पांच मिनट में भेज दो। अब वह इधर की कुर्सी ठीक
करके अपनी चेयर पर आए और बोले कि रोमा आज तुम घर से ड्यूटी के लिए अपने
टाइम पर पहुंचो, मैं भी छुट्टी लेता हूं। सिविल लाइन में मेरा एक घर अभी
खाली पडा हैं अपन उसमें ही चलते हैं।
 मैं उठकर एक नजर खुद पर फिराई ड्रेस ठीक की, और बाहर की ओर चल पडी। घर
आकर मैने मां से झूठ कहा कि आज बास नहीं मिले सो आज ड्यूटी जाना पडेगा,
कल से कुछ और देखूंगी। मेरी बात से मां संतुष्ट हुई। तीन बजे ही
वीरेन्द्र का फोन मेरे मोबाइल पर आया कि शाम को तुम आफिस न आकर सिविल
लाइन पहुंचो, हम वहां की कैन्टीन में मिलेंगे। आज आफिस का लास्ट दिन हैं
यह बोलकर मैने घर से स्कूटी ली और निकली। सिविल लाइन मेरे घर से पास पडता
हैं वहां की कैन्टीन में वीरेन्द्र मिले, और मुझे साथ लेकर अपने घर
पहुंचे। यह घर अभी खाली था, पर वहां किसी के रहने के पूरे इंतजाम थे।
वीरेन्द्र बोले रोमा इस घर में हम दोनो अकेले हैं और जब दो लोग ही हैं तो
फिर कपडे की क्या जरूरत हैं ना। यह बोलकर वे पास आए और मुझे अपनी बाहों
में ले लिए। मैं तो इस मौके का इंतजार कर ही रही थी। वीरेन्द्र ने मेरा
चेहरा उठाया और होठ पर अपने होंठ लगा दिए। पहले मेरे होंठो को अच्छे से
चूसने के बाद अब अपनी जीभ से मेरी जीभ और फिर मुंह के अंदर घुमाए। साथ ही
उन्होने मेरे स्कर्ट की चेन व हुक खोलकर उसे उतारे और मेरी शर्ट की एक-एक
कर सारी बटन खोल दिए। अब मैं ब्रा व पैन्टी में थी। मुझे भी उनके किस
लेने की स्टाइल अच्छी लग रही थी सो मैं उन्हे पूरा सहयोग दे रही थी।
उन्होने मेरे ब्रा का हुक खोला व ब्रा उतारकर वहीं निचे डाल दिया।
उन्होने होठ से निचे मेरी ठोडी को चूमा फिर उनका मुंह मेरे निप्पल पर आ
गया। एक निप्पल को मुंह में रखकर दूसरे स्तन पर उन्होने हल्का सा दबाव
बढाया, और हाथ को चारों ओर घूमाते हुए निप्पल को प्रेस करने लगे।
 पहले एक तरफ के निप्पल को चूसने के बाद फिर दूसरे निप्पल को मुंह में
रखा। इसके बाद उन्होने दोनो निप्पल के बीच से चूसकर वे निचे सरके। वे
मेरे पेट में पैन्टी के उपर जीभ मारते हुए पैन्टी के दोनो किनारे को पकड
कर उसे निचे किए। अब मैं नंगी हो चुकी थी। एक पैर उठाकर मैने पैन्टी को
अलग की, व उन्हे मेरी चूत का स्वाद मिल सके इसलिए टांग को फैलाकर एडी
उठाकर खडी हो गई। वीरेन्द्र की जीभ मेरी चूत को उपर फिर निचे उसके होल
में अंदर कर कर रहे थे। मैं भी पूरी तरह से गर्म हो गई थी,और चूत से पानी
भी निकल रहा था,जिसे वे टेस्ट लेकर साफ किए जा रहे थे। मेरी चूत को अब
लंड की सख्त जरूरत महसूस हो रही थी। उत्तेजना में मैने वीरेन्द्र के सिर
के बाल पकड रखी थी। उत्तेजना में इन्हे खिंचती भी जा रही थी। कुछ ही देर
में वीरेन्द्र ने उठते हुए कहा अब बेड पर चलते हैं। यह बोलकर वे अंदर
बढे। मैं भी वहां बिखरे अपने कपडों को समेटकर भीतर बेडरूम में गई। फिर
वहीं किनारे में रखी कुर्सी पर पूरे कपडे रखी। भीतर वीरेन्द्र अपने शर्ट
व पैन्ट उतारकर बनियाइन- अंडरवियर में थे।
 मैने उनसे कहा यहां नंगे रहने का नियम सिर्फ मेरे लिए ही हैं क्या, आप
कपडे नहीं उतारेंगे ? अब तक वीरेन्द्र मेरे पास आकर फिर चूमना शुरू कर
दिया। मेरी चूत की डिमांड बढने लगी, सो मैने उनके अंडरवियर को हटाकर तंबू
बना रहे लौडे को पकडी। तब तक वीरेन्द्र ने अपनी अंडरवियर को भी निचे कर
दिया। अब मैं उनका लंड देखी। यह लंड जादा मोटा तो नहीं था, पर मजबूत दिख
रहा था। इनका सुपाडा गुलाबी रंग का था, मानो किसी गोरे आदमी ने गुलाबी
कलर की टोपी पहनी हो। वीरेन्द्र ने पूछा कैसा लगा। मैं बोली बहुत अच्छा।
वीरेन्द्र बोला तो इसे प्यार नहीं करोगी? मैं उनके लंड पर हाथ रखकर पिछे
आई, और पलंग पर बैठकर उनके लंड को पहले चूमी, फिर मुंह के अंदर डाल ली।
थोडी देर चूसने के बाद मैने लंड बाहर की और पलंग पर आकर लेट गई।
वीरेन्द्र समझ गए थे कि मैं गर्म हो गई हूं। सो मेरे लेटते ही वे मेरी
चूत को चाटने लगे। होल में जीभ डालकर अंदर बाहर करने से मुझे लगा कि एसा
ही चला तो मै जल्द ही झड जाउंगी। सो मैने उन्हे बोला कि जल्दी चोदो ना।
चूत चाटते हुए वीरेन्द्र उपर आए और मेरे होठों को पकडे। अब उन्होने अपने
लौडे को चूत के होल में लगाया और हल्का सा झटका देकर अंदर किया। दर्द से
मैं कराही। फिर उन्होने हल्का सा रूक कर तगडा झटका मारा, और मेरी चूत में
अपना पूरा लंड घुसेड दिया। दर्द के कारण मैं थोडी देर रूकी, पर अब मुझे
अच्छा लग रहा था। सो मैने भी निचे से झटके लगाना शुरू कर दी। चुदाई का यह
दौर जल्दी ही पूरा हो गया। पर मानना पडेगा वीरेन्द्र को जिन्होने मुझे
ज्यादा इधर उधर होने देने के बदले फिर से नए दौर का खेल शुरू कर दिया।
दूसरी ट्रीप के बाद ही मुझे चैन मिला। मेरे भीतर की ज्वाला ठंडी होने के
बाद मैने वीरेन्द्र से कहा तो मेरा इस्तीफा स्वीकार हो जाएगा ना सर, तो
वे बोले हफ्ते में एक दिन हम एसे मिल लिया करेंगे बस। आफिस में रोज देर
भी नहीं होगी, और कल ही तुम्हारे प्रमोशन का लेटर भी तुम्हे मिल जाएगा।
पर हफ्ते में एक दिन मुझसे यूं ही मिला करोगी यह वादा करो। प्रमोशन की
बात सुनकर मैं खुश हो गई। यानि अब मुझे बढी हुई सेलरी के साथ बास का लंड
भी हर हफ्ते मिलेगा… वाह वाह। मैं बास से चिपक गई, ताकि उनका मूड बने और
हम फिर से एक बार चुदाई कर सकें।
तो ये थी दोस्तों मेरी कहानी उमीद करती हु की आप लोगो
को पसंद आई होगी आप लोगो को केसी लगी बताइएग जरुर
रोमा









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Fentency बचपन का मजा

Fentency

बचपन का मजा

प्रेषक : सूरज
हाय दोस्तो आपका और टाइम ख़राब करने के बजाये  स्टोरी की तरफ आता हूँ यह उस वक़्त की बात हे जब मैं 18 साल का था और मुझ पर सेक्स का फुल जोश था. मेंरे घर मैरी कजिन नेहा और उसकी माँ और बडा भाई रहने के लिये आये हुये थे. एक दिन जब मेंरी माँ और नेहा की माँ और भाई कुछ खरीदारी के लिये जाने लगे तो
नेहा की माँ मेंरे पास आई और कहने लगी नेहा की तबीयत कुछ ठीक नही हे उसे जुखाम हो रही हैं तुम उसका ख्याल रखना हम उसे घर पर छोड़ कर जा रहे हैं मैने कहाँ आप बिल्कुल फ़िक्र ना करे मैं देख लूँगा नेहा की उम्र उस वक़्त 18 साल थी मगर उसकी उठान बिल्कुल 22 या 23 साल की लड़की की तरह थी मैने घर वालो के जाने के बाद अपने कंप्यूटर पर एक ब्लू फिल्म की सी.डी लगा ली और देखने लगा थोडी देर के बाद मेंरे रूम की घन्टी बजी तो मैने सी.डी बंद करके दरवाज़ा खोला तो देखा नेहा दरवाज़े पर खडी थी वो कहने लगी मुझे अकेले मैं डर लग रहा है मैं आपके पास बैठ जाऊं मैने कहाँ हाँ क्यो नही आ जाओ. वो मेंरे बेड पर आकर बैठ गई उसने फ्रोक पहन रखा था और नीचे सिर्फ़ चड्डी पहन रखी थी मैं उसे देखता ही रह गया.
थोडी देर तक इधर उधर की बाते करने के बाद वो कहने लगी मुझे बाथरूम जाना हे मैने कहा हाँ चली जाओ वो तुरन्त बाथरूम की तरफ भागी मगर रास्ते ही मैं उसे एम.सी आ गई और उसकी चड्डी और फिरोक गंदी हो गई बाथरूम मैं जाकर उसने अपनी फिरोक और चड्डी को धोया और फिर मुझे आवाज़ देकर. कहने लगी मेंरे कपड़े गंदे हो गये हैं प्लीज़ आप मुझे दुसरे कपड़े ला दो मैरे रूम से मैने कहाँ इसमें शर्माने वाली क्या बात हे तुम बाहर आ जाओ और खुद ही ले लो मगर वो नही आई तब मै उसके कमरे में जाकर एक फिरोक और चड्डी लाया जब मैं अपने रूम मैं आया तो देखा वो मेंरे कमरे मैं नंगी खडी होकर मैरे कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म देख रही थी मैने कहाँ यह क्या कर रही हो तो कहने लगी की आप भी तो देख रहे थे. जब मैने देखा की वो खुद राज़ी है तो मैने कहाँ तुमको अच्छी लगती है तो कहने लगी हाँ मगर मैने आज तक किसी लड़के को नंगा नही देखा मैने कहाँ तुम्हारी यह इच्छा मैं पूरी कर देता हूँ और फिर मैने उसे अपनी गोद मैं नंगा ही बैठा लिया और हम दोनों ब्लू फिल्म देखने लगे फिल्म देखते हुये मेंरा भी लंड तन गया और मैने आहिस्ता आहिस्ता उसके बोबो और चूत पर हाथ फैरना शुरु कर दिया उसे मज़ा आने लगा कुछ देर बाद जब वो पूरी तरह से गरम हो गई तब उसने मेंरी कमीज़ और पैंट उतार दी और मैने भी अपनी चड्डी उतार कर अपना लंड उसके हाथ में दे दिया वो उसे घूर कर  देखने लगी और कहने लगी यह क्या चीज है और यह किस काम आती है मैने कहा यह इस सुराख (छेद की तरफ इशारा करके) मैं जाती हे और फिर बहुत मज़ा आता है तो वो कहने लगी यह सुराख तो बहुत छोटा है इसमें यह कैसे जाता होगा मैने कहाँ अभी बताता हूँ और फिर मैने उसे अपनी गोद मैं बिठा कर अपना लंड उसकी चूत के सुराख पर रखा और कहाँ अब आहिस्ता से इस पर बैठ जाओ वो कहने लगी मुझे तकलीफ़ हो रही है.
मैने कहाँ थोडी देर होगा फिर मज़ा आयेगा मगर. उसे ज़्यादा दर्द हो रहा था तो मैने टेबल से ऑयल की बोतल उठाई और अपने लंड और उसकी चूत पर अच्छी तरह से लगाया और एक चॉकलेट का पैकेट खोल कर उसे खाने के लिये दिया और कहाँ इसे आराम से खाओ मैं तुम्हारा मज़ा बड़ाता हूँ और फिर उसे नीचे लिटाकर उसकी चूत मैं अपना लंड डाल कर एक झटका दिया मेरा 4 इंच के लंड का 1 इंच हिस्सा उसकी चूत मैं चला गया मैने जब उसका चेहरा देखा तो उसे ज़्यादा दर्द नही हुआ तो मैने आहिस्ता से अपना लंड और अंदर डालना शुरु कर दिया. अब मेंरा लंड 3  इंच तक अंदर चला गया था. नेहा ने चोकलेट खा ली थी और अब उसे दर्द हो रहा था और वो मुझसे अपना लंड बाहर निकालने के लिये कहने लगी मैने आहिस्ता आहिस्ता लंड को अंदर बाहर करना शुरु कर दिया.
कुछ देर के बाद उसे भी मज़ा आने लगा अब मैने उसके होठों पर किस करना शुरु कर दिया और अपने होठों से अच्छी तरह उसके होंठ मिलाते हुये और चुमते हुये एक जोरदार झटका मारा तो मेंरा पूरा लंड उसकी चूत मैं चला गया उसके मुहँ से भयानक चीख निकली जो मेंरे होठों की वजह से अंदर ही दब गई वो बुरी तरह से तड़पने लगी उसकी चूत की सील टूट चुकी थी और खून आ रहा था मैने कुछ देर तक अपना लंड उसी स्टाइल मैं रखा और उसे किस करने के साथ साथ उसके बोबे भी दबाता रहा कुछ देर बाद जब उसे भी मज़ा आने लगा तब मैने अपना लंड आगे पीछे करना शुरु कर दिया तक़रीबन 10 मिनिट के बाद उसकी चूत से गरम गरम पानी निकल आया और वो ठंडी पड गई मगर मैं अभी झड़ा नही था मैने उसे जोर जोर से चोदना शुरु कर दिया वो कहने लगी मुझे बाथरूम जाना है मुझे पेशाब आ रही है मैने कहाँ यहीं कर दो तो वो कुछ देर तक सहन करती रही और फिर उसने पेशाब नीचे ही कर दी. मगर मैने उसे छोड़ा नही और चोदता रहा और फिर कुछ देर के बाद मैं भी झड़ गया और फिर मैने उसको पेट के बल लेटाकर उसकी गांड का छेद देखा जो की एम.सी की वजह से काफ़ी गंदा हो गया था मगर उसका साइज़ काफ़ी बड़ा था मैने अपना लंड जो की अब फिर से चुदाई के लिये तैयार था उसे उसकी गांड के होल मैं डालना शुरु कर दिया नेहा कहने लगी यह आप क्या कर रहे हो मुझे पोटी भी आ रही है और तकलीफ़ भी हो रही है मैने कहाँ यहाँ डालने से तुम्हारी पोटी आना बंद हो जायेगी और फिर अपने लंड को आहिस्ता से उसके सुराख मैं डाल कर धक्का मारा तो मेंरा लंड 1 इंच अंदर चला गया.
उसकी गांड में एम.सी की वजह से काफ़ी चिकनाहट थी और मेंरा लंड आराम से अन्दर जा रहा था मैने यह देख कर अपना लंड आहिस्ता आहिस्ता पूरा उसकी गांड मैं डाल दिया और अब आहिस्ता आहिस्ता उसकी गांड मारने लगा मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और अब नेहा को भी मज़ा आ रहा था मैने आहिस्ता आहिस्ता रफ़्तार तेज करते हुये उसकी गांड मारना चालू रखा तक़रीबन 15 मिनिट के बाद उसकी चूत  ने दोबारा पानी छोड़ दिया अब में पूरे मजे ले रहा था और उसे खूब जोर जोर से धक्के लगा रहा था और फिर कुछ देर के बाद में भी झड़ गया और अपना सारा वीर्य उसकी गांड के अंदर ही डाल दिया और अपना लंड उसकी गांड में ही डला रहने दिया और उसके बराबर में ही लेट गया कुछ देर बाद जब लंड सूकड कर छोटा हो गया तब मैने उसे गोद में उठाया और बाथरूम में ले जाकर उसे भी नहलाया और खुद भी नहाया और फिर बाहर फर्श को साफ़ किया और उसे दूध और शहद पीने को दिया और खुद भी पीया. तो दोस्तों यह थी मेरी जवानी की कहानी अब भी नेहा जब हमारे घर आती है मुझसे ज़रूर चुदवाती है और अब तो उसके 3 बच्चे भी हैं जो बिल्कुल नेहा के मेरे हैं क्योकि उसके पति का लंड बहुत  छोटा है और ज़्यादा खड़ा भी नही होता.







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Fentency भाभी की चुदाई राँची में

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Fentency माँ का दूध

Fentency


माँ का दूध

प्रेषक : गुमनाम
मेरी उम्र करीब 45 साल है. मेरी शादी हो चुकी है और दो बच्चे भी हैं. मैं वैसे तो भोपाल का रहने वाला हूँ। मैं एक प्राइवेट कंपनी में ऊँचे पद पर हूँ. बात उन दिनों की है जब मेरी कंपनी ने मुझे पुणे ऑफीस सेट अप करने के लिए भेजा था। यह करीब दो साल पहले हुआ. दिसम्बर का महीना था और बच्चो के स्कूल शुरू थे. इसलिये
मैं अपनी फैमिली साथ नहीं ले जा सका। पुणे में मुझे कंपनी से एक बड़ा सा मकान मिला था जिसमे मैं पूरी तरह अकेला रहता था. तभी एक दोस्त के रेफरेन्स से एक यंग कपल मुझसे मिलने आये. वो दोनों करीब 25-27 साल के थे. उनका एक तीन महीने का बेबी था. लड़का कहीं नौकरी करता था. उन्हे कुछ महीनों के लिये एक रहने की जगह चाहिये थी. मेरे दोस्त का ख्याल था की मैं अपने मकान का एक हिस्सा उन्हे किराये से दे दूँ. इससे मकान का मेंटेनेन्स होता रहेगा, मुझे कंपनी भी मिल जायेगी और इस कपल की मदद भी हो जायेगी. मुझे वो दोनों भले लगे और मैं तैयार हो गया। पहले ही दिन मैने नोटीस किया की उसकी पत्नी ने बड़ी टाइट जीन्स और टी-शर्ट पहन रखी हैं. वो दिखने में कोई ख़ास सुंदर नहीं थी पर उसका दुबला पतला बदन था और जिस पर काफ़ी उभार वाले बड़े स्तन थे. पहले ही दिन से मैं उन पर से नज़रें हटा नहीं पा रहा था। मैने सोचा शायद अब भी अपने बच्चे को दूध पीला रही है. मेरा ख्याल सही निकला. वो जब भी मुझसे मिलती मेरी नज़र उसके भरपुर स्तन पर जाये बगैर नहीं मानती थी। यह शायद उसने भी नोटीस किया था. कुछ ही दिनों मे हम लोग काफ़ी घुल मिल गये. मैं घर के अपने हिस्से की भी चाबी उस लड़की के पास छोड़ जाता था ताकि जब कांमवाली आये तो वो उससे घर साफ करवा ले. वे अभी खुद का घर लेने ही वाले थे इसलिये उनके पास कुछ फर्निचर नहीं था।
मैने लड़की से कहा वो दिन भर अकेली रहती है, चाहे तो वो मेरा टीवी देख सकती है ओर अपना सामान मेरे फ्रिज में भी रख सकती है. उसने तुरंत ही मान लिया. इस तरह उसका घर में आना जाना बना रहता और मैं उसके स्तनों को भी देख पाता. कभी कभी जब वो ब्रा नहीं पहनी होती तो मुझे उसके बड़े बड़े निपल्स का भी एहसास हो जाता। एक दिन की बात है, दफ़्तर में कोई ख़ास काम नहीं होने से मैं दोपहर को अचानक ही घर पहुँच गया. घर का दरवाज़ा खुला था और अंदर से टीवी की आवाज़ आ रही थी. मैं जैसे ही अंदर दाखिल हुआ मैने देखा आरती (जो उस लड़की का नाम था), सोफे पर बैठी थी और अपने बेबी को दूध पीला रही थी. उस दिन भी उसने सिर्फ़ एक शर्ट ही पहना था. सामने के आधे बटन खुले थे. अंदर ब्रा भी नहीं थी. उसका एक स्तन तो करीब पूरा ही दिखाई दे रहा था।
वो मुझे देखकर थोड़ा हड़बड़ा गयी पर बेचारी के पास तन ढकने को कोई कपड़ा नहीं था. वो बेबी को डिस्टर्ब भी नहीं करना चाहती थी इसलिये कुछ ना कर सकी. मैने भी उसे इशारे से कहा कोई बात नहीं और में दूसरे सोफे पर बैठ टीवी देखने लगा. हम लोग इधर उधर की बात करते रहे पर हर कुछ पलों के बाद मेरी नज़र उसके स्तनों पर ज़रूर जाती. वो यह जानती थी पर कुछ देर बाद वो इस बात से खुली हुई होती दिखी। तभी मैने देखा की उसके ढके हुए स्तन से भी दूध टपक रहा है और उसका शर्ट धीरे धीरे गीला हो रहा है. इस वजह से उसके शर्ट का कपड़ा भी गीला हो चला था और अंदर से दूसरे स्तन के भी दर्शन हो रहे थे. मैं जानता था की ऐसा होता है पर मैने नादान बनते हुये उससे पूछा, “अरे आपका शर्ट तो पूरा भीगा जा रहा है, क्या हुआ?”  वो थोड़ा शरमाई और बोली, ” भाई साहब, क्या करूँ मुझे दूध इतना होता है की टपकता रहता है.” उसने कहा की यह एक समस्या है. इससे उसे बड़ा दर्द भी होता है और यदि हाथ से पंप करके निकाले तो भी बहुत तकलीफ़ होती है।
मैने थोड़ा शरारत भरे अंदाज़ में कहा, “इसमें क्या समस्या है, राजेश (उसका पति) से कहो तुम्हारी मदद करे.” वो बोली वो ऐसा नहीं करते. उन्हे मेरा दूध ज़रा भी पसंद नहीं और स्तनों से दूध निकलना भी पसंद नहीं. मैने फिर कहा की ये आश्चर्य की बात है. ऐसा कौनसा मर्द है जो यह करना नहीं चाहेगा। अब हम दोनों में बड़ी फ्री बातें हो रही थी. वो बोली राजेश तो ऐसे ही हैं. अब मेरे अंदर का शैतान जाग गया था. मैने सोचा थोड़ी पहल कर के देखते हैं, शायद कुछ बात आगे बढ़े. मैं थोड़ा चुटकी लेते हुये और थोड़ा ठंडी आह भरते हुये बोला, “है, काश मैं आपकी मदद कर पाता.”मुझे लगा शायद ज़्यादा बोल गया और वो कहीं नाराज़ ना हो जाये पर आरती मुस्कुराई और बोली, “आप करेंगे मेरी मदद?” मैने कहा क्यों नहीं।
वो बोली, “तो ठीक है.” अब तक उसका बेबी सो चुका था. उसने धीरे से बेबी को स्तन से अलग किया जिससे वो पूरा मुझे दिखाई देने लगा पर उसने छिपाने का कोई प्रयत्न नहीं किया. बेबी को अंदर एक पलंग पर सुला कर वो वापस आई और मेरे सामने खड़ी हो गयी. अपने खुले स्तन को पकड़ कर कहा की इसे तो बेबी ने खाली कर दिया, और दुसरे को पकड़ती हुई बोली की देखो यह तो पत्थर हुआ जा रहा है. इसके लिये आप क्या  करेंगे। मैने कहा, मैं तो सिर्फ़ इसे चुस कर ही खाली कर सकता हूँ. वो बोली, “मेरा भी यही इरादा है.” वो थोड़ा सा झुकी और अपना शर्ट दुसरे स्तन से हल्का सा सरका लिया. उसका भरपूर स्तन और उठा हुआ निप्पल मेरे चेहरे के सामने लटक रहा था। मैंने जैसे ही होंठ खोले वो आगे बढ़ी और अपना निप्पल मेरे मुहँ में दे दिया।
मैं हल्के हल्के उसे चुसने लगा. उसमे से पतला और हल्का सा मीठा दूध निकल रहा था जो मैं गुटक जा रहा था. मैने सपने में भी नहीं सोचा था की बात यहा तक बढ़ेगी और वो भी इतनी जल्दी और आसानी से. अब मैने थोड़ा ज़ोर से चूसना शुरू किया. उसके स्तन में वाकई बहुत दूध था।
हर सास के साथ एक बड़ा सा घुट मेरे मुहँ में आता और मैं उसे पी जाता. इस बीच मेरा लंड मेरे कपड़ों के अंदर तन कर खड़ा हो गया. मैने देखा की उसकी भी साँसे तेज़ हो गयी हैं. अब वो सोफे पर मेरे बाजू बैठी थी और मैं उसका स्तन चूसे जा रहा था. मुझे पता भी नहीं चला की कब मेरा हाथ उसके दूसरे स्तन पर चला गया। मैं एक स्तन को चूस रहा था और दूसरे को हल्के हल्के मसल रहा था. उसने मुझे रोका नहीं. इसके पहले में अपनी पत्नी को छोड़ किसी औरत के इतना करीब नहीं आया था. और एक जवान जिस्म को छुये तो बीस साल गुज़र चुके थे. उसके स्तन बड़े होने के बावजुद काफ़ी उभरे हुये थे. और बदन पर तो क़यामत ही करते थे। धीरे से मैने उसका शर्ट उतार फेंका. नीचे वो पजामा पहने हुई थी. मेरे हाथ अब उसके पूरे बदन पर चल रहे थे और वो भी सिसकियाँ ले रही थी. अब बात सिर्फ़ ज़्यादा दूध खाली करने की नहीं रही थी. ये वो भी समझ रही थी पर अपने आप को और मुझे रोक नहीं पा रही थी। मैने आहिस्ता से उसका पजामा और पेंटी दोनो उतार दिये. अब वो पूरी तरह से नग्न थी. उसके हाथ मेरे कधों पर थे. और मैं बारी बारी से उसके दोनों स्तनों को चूसता और मसलता जा रहा था।
मेरे हाथ अब उसकी चूत की ओर चले. बालों के बीच से जब मेरी उंगलियाँ उसकी चूत की फांकों तक पहुँची तो मुझे पता चला वो पूरी तरह गीली हो चुकी थी. उसने तीन महीने पहले ही बच्चे को जन्म दिया था. अभी तक उसकी चूत काफ़ी ढीली और बड़ी थी। मेरी उंगलियाँ आसानी से अंदर चली गयी. मैं जान गया की वो चुदने के लिये पूरी तरह से तैयार है. मैं भी आपे से बाहर ही था।
पता नहीं कैसे और कब मैं भी अपने कपड़ों से आज़ाद हो गया. अब आरती का हाथ मेरे लंड को ढूंढता हुआ आया और उसे पकड़ लिया. मेरे बदन में तो जैसे आग लग गयी. किसी दुसरी महिला को चोदने का ख्याल मेरे मन में तो बहुत बार आया पर यह पहला ही मौका था जब वो सच हो रहा था। अब उसके स्तन तो क्या मैं सारे बदन को चूम रहा था और वो भी मुझसे लिपटी जा रही थी. शायद बड़े दिनो से प्यासी थी. क्या पता बच्चे के जन्म के बाद शायद पति से चुदी ही नहीं. वो अपनी चूत उठा उठा कर मुझसे आने को कह रही थी। मेरे लंड को पकड़ कर चूत की तरफ खींच रही थी. हम दोनो अपने होश खो चुके थे. मैने आरती को सोफे पर लिटाया और उसके पैरों के बीच आ गया. वो अब अभी मेरा लंड पकड़े हुये थी. उसने ही लंड को चूत के उपर पर रख दिया और उपर नीचे करने लगी।
इससे लंड उसकी चूत के रस में हो गया. हमारे होठ आपस मे मिल चुके थे. मैं उसकी जीभ को चूस रहा था. हम दोनो पसीने से तर थे. एक हल्के से झटके से मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अंदर समा गया. इतनी गर्म ओर गीली चूत का मेरा पहला अनुभव था. मेरे बदन में जैसे आग लग गयी. अब मैने उसे चोदना शुरू किया. पहले हल्के हल्के फिर ज़रा ज़ोर से. आरती के मुहँ से सिवाय ऊ और आ के कोई शब्द नहीं निकल रहा था. उसकी आँखें बंद थी. मैं जानता था वो लंड का पूरा आनंद ले रही है।
इस बीच वो दो बार झड़ी पर चुदवाना बंद नहीं किया. चूत उठा उठा कर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी. उसके दोनों स्तनों से फिर दूध की बूँदें टपक रही थी. मैं भी उसके जवान बदन को बेतहाशा चोदे जा रहा था. शायद मेरा लंड इतना मोटा ओर टाइट कभी नहीं हुआ था। एक तो दूसरे की पत्नी उपर से जवान,  मेरी उम्र के आदमी को और क्या चाहिए?  मैं जानता था की अब मैं झड़ने के करीब हूँ.  मैने ज़ोरों से उसकी चूत मारनी शुरू कर दी. जैसे ही वो तीसरी बार झड़ी मैने भी अपने वीर्य से उसकी गर्म चूत भर दी. गर्म गर्म वीर्य के न जाने कितने फव्वारे उसकी चूत में खाली हो गये। मुझे लगा जैसे मैं मर जाऊँगा. हम दोनो एक दूसरे की बाहों में गिर गये. थोड़ी देर बाद जब होश आया तो दोनो डरे हुये थे।
आरती तो रोने लगी पर मैने उसे समझाया जो हुआ वो हुआ अब इसे किसी से कहना नहीं. हमने कपड़े पहने और वो बेबी को लेकर अपने कमरे में चली गयी. वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. इसके बाद तो मैं कई बार उसके स्तन खाली करने में उसकी मदद की. और जब मौका मिलता हम चोद भी लेते. कुछ महीने बाद उसके स्तन तो सुख गये पर हमारी चुदाई बंद नहीं हुई। राजेश और आरती अपने घर चले गये और मेरी भी फैमिली ने मुझे जॉइन कर लिया पर हम हमेशा  कॉंटेक्ट मे रहे. हर कुछ हफ्तों में, हम पुणे के बाहर कोई रिसोर्ट में एक कमरा बुक करके मिलते हैं और चोदने का आनंद उठाते हैं।










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Fentency पड़ोस वाली टीचर

Fentency


पड़ोस वाली टीचर

प्रेषक : रविकांत
मेरा नाम रविकांत शर्मा है। में कोटा ( राजस्थान ) में रहता हूँ। मेरी उम्र 38 है मैं एक सरकारी स्कूल मे टीचर हूँ। मेरे लंड का साइज़ 9 इंच लंबा ओर 3.5 इंच मोटा है। अब आपको ज़्यादा बोर ना करते हूँए अपनी कहानी पर आता हूँ।

यह कहानी कुछ 6 महीने पहले की है।  में रोज़ सुबह 8 बजे निकल जाता था और फिर शाम 4 बजे मैं आता था। मेरे पड़ोसी मिस्टर शर्मा रहते है। उनकी एक मस्त पत्नी है हीना… जो पास के एक स्कूल मैं टीचर है। वह सुबह 8:00 बजे स्कूल जाती है और 3:00 बजे घर आ जाती है। फिर दिन बर घर मैं अकेली रहती थी।
एक दिन मेरा छुट्टी वाला दिन था तो मैं आराम से सो रहा था वाइफ ने मुझे जगाया ओर बोला की डोर लॉक कर लो मैं बच्चों का साथ बाहर जा रही हूँ। मेने उठ कर डोर लॉक किया ओर फिर सो गया करीब 30 मिनट बाद फिर डोर बेल बजी। मैने डोर खोला और देखा तो हीना सामने खड़ी थी। मैं हेरान हो गया ओर सोच रहा था की यह आज मेरे घर पर कैसे?  वो मुझे बड़ी गोर से देख रही थी की तभी वो अचानक हंसने लगी ओर बोली घर मैं कपड़े नही है क्या मैंने निचे देखा ओर भाग कर आपने रूम मैं गया ओर शर्ट ओर पेंट पहन कर आया तब तक वो हॉल मैं बेठ गयी थी।
मेने पूछा की कहिये कैसे आना हुआ वो बोली की कल हमारे स्कूल मैं पार्टी है मै उसी के टिकट बेच रही हूँ। 2 टिकेट बची थी सोचा आप को दे दू। मेंने कहा की आपने बिल्कुल ठीक सोचा मैने उनसे टिकट ले ली थोड़ी देर बातचीत हुई। फिर उससे मेरी अच्छी फ्रेंडशिप हो गयी थी।
हमारी मुलाकात के कुछ 18 दिन बाद वो मेरे कमरे मैं बैठी थी। मैं उसके साथ मस्ती कर रहा था। मस्ती मस्ती मैं मैने उसके चुचियो को दबाया। फिर वो उठ के चली गयी। फिर दूसरे दिन वो मेरे कमरे मे फिर से आई। लेकिन जब वो आने वाली थी उसके पहले मैने अपने कंप्यूटर पर सेक्सी फिल्म लगा रखी थी। जब वो कमरे मैं आई तो उसने देखा की सेक्सी फिल्म चल रही है। तब मैने वो फाटक से बंद कर दी।  मुझे पता था की वो मुझे पुछेगी की तुम क्या देख रहे थे।
और उसने वही पुछा तो मैने कहा कुछ नही वो तुम्हारे काम की चीज़ नही है। तो वो ज़िद करने लगी। तब मैं उसे कहा की मैं सेक्सी फिल्म देख रहा था। तब वो बोली की मुझे भी देखनी है। फिर मैने फिल्म  फिर से ऑन की। थोड़ी देर बाद मैं उसके करीब जा कर बैठा तो उसने मुझे पूछा क्या तुमने कभी ऐसा किया है?  तो मैने कहा हाँ। और मे समज गया की वो मुझसे चुदवाना चाहती है।
मैने उसे झट से पकड़कर किस करने लगा तो वो ना ना करने लगी पर मे नही माना तो वो नॉर्मल  गयी। फिर धीरे धीरे उसे चूमता रहा। जब मुझे एहसास हुआ की वो पूरी गर्म हो चुकी थी तो मैने उसके कपड़े उतारना शुरू किया। उसने टाइट साडी बाँध रखी थी जिसमे वह बहूँत सेक्सी लग रही थी। उसके कपड़े उतारने के बाद उसकी कोमल नाज़ुक जवानी देखकर मैं थोड़ी देर दंग सा रह गया। उसका फिगर यही कोई 36-28-34 था। उसके बोब्स तो बड़े-2 और गोरे-2 थे। उसकी चूत पर एक भी बाल नही था और गुलाबी रंग वाली रसीली चूत थी।
फिर मैने अपने कपड़े भी उतार दिए जेसे ही मैने अपना अंडरवीयर उतारा तो वो मेरा 9 इंच लंबा ओर 3.5 इंच मोटा लंड देख कर दंग रह गयी उसके मुह से एक हाआऐययईईईईईईई निकली ओर बोली क्या मैं इसको झेल पाउंगी। मै बोला मेरी जान अगर तुम खुद अपने कुल्हे उठा उठा कर मेरा पूरा लंड अपने चूत मै ना ले लो तो मेरा नाम बदल देना। फिर मैंने उससे अपना लंड मुह मे लेने के लिए कहा।
तब वो बोली की कितना बड़ा है तुम्हारा लंड मैं तो मर जाउंगी। तो मैने कहा चिंता मत कर मेरी जान मैं धीरे धीरे करूँगा फिर वो मेरा लंड मुह में लेकर 20 मिनट तक चुसती रही। वो पहली बार ये सब कर रही थी लेकिन किसी जानकार लड़की की तरह यह सब कर रही थी। थोड़ी देर बाद हम 69 मै आ गये वो मेरे ऊपर थी ओर मेरा लंड खूब ज़ोर ज़ोर से जितना हो सकता था उतना अपने मुह में लेकर चुस रही थी।
मे भी उसकी चूत चाटने और चूसने लगा। तो वो छटपटाने लगी। मेने मेरी जीभ उसकी चूत मे डाल के उसे जीभ से चोदने लगा वो मुह से म्म्म्म माआ आअहह कर रही थी। उसे अब 2 मज़े मिल रहे थे। एक तो चूत चाटने का ओर दूसरा लंड चूसने का। मेरा लंड लोहे की तरह सख़्त हो गया था। अब मेने उसे बेड पर लिटा दिया और मेरा लंड उसकी चूत पर रखकर धीरे धीरे अंदर डालने की कोशिश कर रहा था।
लेकिन चूत टाइट होने के कारण वो अंदर नही जा रहा था फिर मैं उठा ओर तेल लाकर उसकी चूत पर ओर कुछ अपने लंड पर लगा कर उसकी चूत के छेद पर लंड रखने के बाद मैने उसके होठ पर मेरे होठ रख के उसे किस करने लगा और एक ज़ोर का झटका दिया और पूरा लंड उसकी चूत में अंदर तक डाल  दिया। उसके मुह से एक चीख निकल गयी लेकिन मेरे मुह के अंदर दब गयी। उसकी सील टूटने की वजह से उसका ब्लडिंग शुरू हो गया था और वो रोने लग गई थी। तो में थोड़ी देर उसकी टाइट और रसीली चूत मे मेरा बड़ा और मोटा लंड डाले हुए बिना हिले डुले उसके उपर पड़ा रहा और उसके बोब्स  दबाता रहा और उसे किस करता रहा। फिर थोड़ी देर बाद उसे जब अच्छा लगने लगा तब मैने झटके देना शुरू किया। में उसकी बिल्कुल फ्रेश चूत में मेरा बड़ा और मोटा लंड अंदर-बाहर करके उसे चोद रहा था और वो भी नीचे से उसके कूल्हे उठा-उठा के मज़े लेकर मुजसे चुदवा रही थी।
उसके मुह से बड़ी अज़ीब सी आवाजे आ रही थी। ओह्ह्ह मेरे राजा आज मुझे ओरत बना दो इस साली को फाड़ दो। वो पूरा लंड ले रही थी और मूज़े ललकार रही थी। और ज़ोर से चोदो अपनी रानी को। आज तुमने मूज़े स्वर्ग का मज़ा दिया है आआअहह। अब तो में तुमसे ही रोज़ाना चुदवाया करूँगी। फाड़ दो अपनी रानी की चूत को।  बना दो उसका भोसड़ा। उसके मुह से ऐसी बातें सुन के मुझे बड़ा जोश आ रहा था ओर ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत चोद रहा था हर धक्के मैं वो एक दो इंच उपर हो रही थी।
40 मिनट की चुदाई के बाद वो बोली मेरे राजा मैं झड़ने वाली हूँ। आआअहह लो मैं ज्झदीइईईईईई उसने मुझे अपने पेरो के बीच मैं जकड़ लिया था। मैं भी रुक गया वो जब पूरी तरह झड़ गयी तो बोली.. मेरी जान आज तुमने मुझे ओरत बना दिया है मैने पूछा तुम खुश तो होना वो बोली आज से पहले मैं कभी भी इतनी खुश नही हुई। मैं बोला ठीक है अभी मेरा झड़ना बाकी है अब तुम घोड़ी बन जाओ मैं तुम्हे पीछे से चोदुगा। वो तुरंत घूम गयी पीछे से उसके कूल्हे बहुत मस्त लग रहे थे।
फिर मैने पूछा की क्या मैं तुम्हारी गांड मैं अपना लंड डाल सकता हूँ वो बोली जो चाहे करो बस मुझे मज़ा आना चाहिए मैं बोला शुरु मैं तोड़ा दर्द होगा तो वो बोली पता है। मै ना भी करूँ तब भी तुम ज़बरदस्ती मेरी गांड ज़रूर मारोगे वेसे मै भी गांड चुदवाने का मज़ा लेना चाहती हूँ… बस आराम से मारना मेरी गांड को मैने कहा ठीक है।। फिर मैने तोड़ा तेल लिया ओर उसकी गांड पर लगाया ओर कुछ अपने लंड पर।
फिर मैने उसकी गांड के छेद पर अपना 9 इंच लंबा ओर 3.5 इंच मोटा लंड रखा ओर एक जोरदार धक्का मारा उसने अपने होट दबा लिए जिससे उसकी चीख बाहर नही आ सकी मैने देखा वो रो रही थी मैने पूछा हीना क्या दर्द हो रहा है तो रहने देते है वो बोली नही रवि अपना लंड मत निकालना पूरा लंड मेरी गांड मैं डाल दो मैं भी नही रुका ओर पूरा लंड बाहर करके एक जोरदार झटका मारा की पूरा का पूरा लंड उसकी गांड मैं समा गया।
फिर मैं रुका नही ओर खुब उसकी गांड मारता रहा उसकी गांड उसकी चूत से भी ज़्यादा टाइट थी मुझे उसकी गांड मारने मैं बहुत मज़ा आ रहा था ओर वो भी मेरी चुदाई का मज़ा ले रही थी ओर आह  आअहह मारो राज ओर ज़ोर से मारो मेरी गांड मारते रहो मुझे तुमसे चुदवाने मैं बहुत मज़ा आ रहा है तकरीबन 30-35 मिनट उसे चोदने के बाद मैंने हीना को कहा की मेरी जान मैं अब झड़ने वाला हूँ तो वो बोली प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ मेरी गांड को अपने अनमोल रस से भर दो मैं तुम्हारा बहूँत एहसान मंद रहूंगी। इस दोरान मैं अपनी सीमा पर आ गया था ओर खूब ज़ोर ज़ोर से अपना लंड उसकी गांड मैं डाल कर चोद रहा था वो आहह म्म्म्म ह मारो मारो चिल्ला रही थी की तभी मैं झड़ने लगा मैने अपना प्यारा रस उसकी गांड मैं डाल दिया। झड़ने के दोरान उसे भी मेरा रस अपनी गांड मै महसूसे हो रहा था जब मैं पूरा पानी उसकी गांड मै निकाल कर अपना लंड बाहर किया तो उसकी गांड से मेरा पानी बाहर आ रहा था।
फिर वो उठ कर बाथरूम गयी ओर कपड़े पहने। फिर मुझे किस करने लगी मेने हीना से पूछा की तुम तो शादीशुदा हो फिर तुम्हारी चूत से ब्लड केसा वो बोली की किसी को बताना नही मेरे पति मुझे ठीक से चोद नही पाते है उनका लंड 3-4 इंच से ज़्यादा नही है। जिसकी वजह से मेरी सील भी नही तोड़ सके है वो तो 1 या 2 मिनट मै ही झड़ जाते है ओर मैं प्यासी रह जाती थी। तुम तो जानते हो संध्या को वो मेरी गुड फ्रेंड है। जब मैने उसे अपनी प्रोब्लम बताई तो उसने मुझसे प्रॉमिस लिया ओर बोला मैं तेरी प्रोब्लम ठीक कर सकती हूँ अगर तुम मानो तो फिर मैने संध्या से कहा की मे वादा करती हूँ की यह बात मेरे सीवा किसी को पता नही चलेगी उसके बाद उसने मुझे तुम्हारे ओर उसके रीलेशन के बारे मैं बताया ओर कहा की तुम चाहो तो राहुल को पटा सकती हो ओर उसके लंड का मज़ा ले सकती हो।
फिर मै टिकट के बहाने तुमसे मिली ओर धीरे धीरे तुमसे खुल गयी मैं उसकी बात सुन कर हेरान था पर मुझे क्या मुझे तो चूत चाहिये थी जो मुझे मिली ओर वो भी फ्रेश फिर उसने पूछा की रवि जब कभी सेक्स करने का मोका मिलेगा तो क्या तुम मुझे चोदोगे मैने कहा की तुम्हे ना करने वाला कोई पागल ही हो सकता है। तुम जब भी मुझे याद करोगी मैं आ जाउंगा। फिर वो मुझे किस करके चली गयी।
फिर दो तीन दिन तक वो मेरे यहा आई नही। लेकिन उसके बाद जब भी हमें मोका मिलता है मैं उससे खूब चोदता हूँ। आज तक मेने उसे कितनी बार चोदा है यह मुझे भी याद नही है . . .






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Fentency मौसी के साथ सुहागदिन

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मौसी के साथ सुहागदिन

प्रेषक : गुमनाम
दोस्तो कैसे हैं आप हमारे दूर के रिश्ते मैं जिसे हम मौसी कहते हैं हमारे शहर मैं रहने आई. और वो शादी शुदा नहीं है. उसकी उम्र 36 है, वो बहुत ही सेक्सी हे और मेरे चाचा चाची के साथ उनके घर रहने लगी.  एक दिन मे किसी काम से उनके घर दोपहर को 2 बजे गया था।  मैं जब वहा पहूँचा तो उन्होने ही दरवाजा खोला, कुछ
हाफती सी लग रही थी उस वक़्त. उन्होने मुझे अंदर बेठाया और बोली की चाचा और चाची तो घर पर नही है दिल्ली गये है और कल तक वापस आयेगे.  मैने कहा ठीक है मैं बाद मैं आ जाऊँगा,  उन्होने कहा की जल्दी क्या है बाहर काफ़ी गर्मी है कुछ ठंडा पी जाओ।
फिर वो हम दोनो के लिये ठंडा बना कर ले आई  उस वक़्त वो काफ़ी सेक्सी लग रही थी और उन्होने ड्रेस भी कुछ ऐसी पहन रखी थी की उनके 50% बोब्स बाहर निकलने को बेताब हो रहे थे.  मैने कुछ हिम्मत करके उनसे पूछा की आप दरवाजा खोलते वक़्त हाँफ क्यो रही थी, तो वो घबरा सी गयी। मुझे लगा की कुछ तो गड़बड़ है. उन्होने कहा की कोई ख़ास बात नही कुछ काम कर रही थी इसलिये.
तभी मैने उनसे कहा की मुझे बाथरूम जाना है, और इससे पहले वो कुछ कहती मे बाथरूम की तरफ रवाना हो गया,  जैसे ही बाथरूम मैं घुसा मेरा दिमाग़ खराब हो गया और लंड खड़ा हो गया। वहा लंबे लंबे बेगन पड़े थे, और पास ही मे उनकी पेंटी और ब्रा पड़ी थी,  मे समझ गया की उन्होने ग्राउन के नीचे कुछ नही पहन रखा है। मैं बाहर आया तो वो मुझे अजीब सी नज़रों से देख रही थी, मैने कहा की मोसी घबराओ मत मुझे आपके हाफने का कारण समझ मैं आ गया है और जाकर उनको अपने हाथों मे उठा लिया और लिप्स पर किस करने लगा. वो पहले से ही गर्म थी उस वक़्त और ज्यादा हो गयी, उसके बाद हम बेडरूम मैं चले गये. वहाँ वो बोली की कुछ देर रूको मे तैयार हो जाती हूँ.  मैने कहा केसे तैयार हो जाओगी तब वो बोली की मेरी शादी तो हुई नहीं.., ना ही सुहागरात कम से कम सुहागदिन तो अच्छी तरह मना लूँ,
मैने कहा ठीक है,, फिर वो ड्रेसिंग रूम मैं चली गयी, और जब 15 मिनिट बाद वो बाहर आई तो किसी अप्सरा के जैसे लग रही थी,  मैने बाहर निकलते ही उनको बाहों मे भर लिया और चूमने लगा, उन्होने कहा कोई जल्दी नही है हम आराम से अपना सुहाग दिन मनायेगे। करीब आधे घंटे तक हम एक दूसरे के कपड़े खोलते हुये किस्सिंग करते रहे, उसके बाद मैंने उनकी चूत को देखा जो अब तक फूल कर संतरे की फाँक की जैसे हो गयी थी,, और मेरा लंड अपनी लेंथ से ज्यादा बड़ा लग रहा था,  तभी मैं उनकी चूत को चाटने लगा और वो मस्त होती गयी। इसलिये  मैं अपने लंड और वो अपनी चूत की प्यास नही रोक सके. वो बोली मैं ही तुम्हारी वाइफ बन जाती हूँ और मुझे अपनी वाइफ समझो और मेरे साथ सब कुछ करो उन्होने मुझे किस करना शुरू कर दिया. मेरे लिप्स को वो बुरी तरह से किस करने लगी।
उनको मैने खीच के बेड पे लेटा दिया और उनकी चूत को किस करने लगा. 10 मिनिट तक मे उसको चूमता रहा। फिर उनके बोब्स को मुहँ मैं लेकर चूसने लगा,  मे उसे चूसता ही रहा थोड़ी देर बाद मैने जब उनकी चूत की तरफ देखा तो वो गीली हो चुकी थी. और मोसी सिसकारी मार कर कह रही थी की तुम मुझे पहले क्यो नही मिले, पहले क्यो नही आये, मैं इस दिन के लिये कब से तरस रही थी,  आज मुझे पूरी औरत बना दो बस… वो सिसकारी मार रही थी।
फिर मैने उनसे कहा की अब मेरा लंड अपने मुहँ मे लो तो बोली नही मैं ऐसे नही कर सकती तो मैने कहा अगर नही कर सकती तो मैं सारा खेल यही खत्म करता हूँ,  तो वो बोली नही फिर उन्होने मेरा लंड अपने हाथ मैं लिया और सहलाने लगी और मुहँ मैं ले लिया,  और चूसने लगी उस मैं भी उनको मज़ा आने लगा और वो करीब 15 मिनिट तक मेरे लंड को चूसती रही, और मेरी हालत खराब होती गयी, जब उन्होने मेरा लंड छोड़ा तो उसमे से पानी बस निकलने वाला था.  वो बोली मज़ा आ गया मैं तो यू ही डर रही थी इस सब मैं हमको काफी समय बीत चुका था और हम दोनो ही बहुत ज्यादा गर्म हो चुके थे की हम दोनो को ए.सी मैं भी पसीने आ रहे थे।
वो मेरे लंड को हाथ मे लेकर खींच रही थी और कस कर दबा रही थी. थोड़ी देर बाद उन्होने अपनी कमर को उपर उठा लिया और मेरे तने हुये लंड को अपनी जाँघो के बीच लेकर रगड़ने लगी. वो मेरी तरफ करवट लेकर लेट गयी ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड सके। उसकी चूची मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हे कस कस कर दबा रहा था। अचानक उन्होने अपनी एक चूची मेरे मुँह मे डालते हुये कहा, “चूसो इनको मुँह मे लेकर…” मैने उनकी लेफ्ट चूची मुँह मे भर लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा। थोडी देर के लिए मैने उनकी चूची को मुँह से निकाला कर मोसी को चूमने लगा. उन्होने कहा की अगर तुम मुझे पहले इशारा कर देते तो हम पता नहीं कितनी बार सुहाग दिन और रात मना चुके होते।
खेर अब तो मैं तुम्हारी हूँ ही जब मन करे एक दिन पहले बता देना, और फिर मैने देर ना करते हुये अपना लंड मोसी की चूत मैं डाल दिया जो की अभी भी बड़ी टाइट थी. मैं मेरा लंड धीरे धीरे मोसी की चूत मे अंदर-बाहर करने लगा। फिर उन्होंने स्पीड बडाने को कहा. मैने अपनी स्पीड बडा दी ओर तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगा। उनको अब पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब देने लगी. . चूत मे मेरा लंड समाये हुये तेज़ी से उपर नीचे हो रहा था। मुझे लग रहा था की मे जन्नत पहुँच गया हूँ. जैसे जैसे वो झडने के करीब आ रही थी उसकी रफ़्तार बडती जा रही थी। उन्होने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकड लिया और ज़ोर ज़ोर से हाफने लगी. कमरा हमारी चुदाई की आवाज़ से भरा पडा था. “हाआआं हााआ मीईरए राज्ज्जज्जा, माअर गाययएए रीईए, ललल्ल्ल्ल्ल चोद रे चूत. उईईईईईई मीईईरीईई माआअ, फट गई री, इस सब मे 20 मिनिट निकल चुके थे और अब मेरा निकलने को तैयार था,  तभी वो बोली मैं तो हो गई,  और मैं ज्यादा ज़ोर से धक्के देने लगा. करीब 5 मिनिट के बाद मेरा पानी निकला और उनकी पूरी चूत को भर दिया।  हम दोनो हाफने लगे और एक दूसरे से चिपक गये।  फिर हम दोनो बाथरूम मैं गये और एक साथ नहा लिये और कोक पिया, वो बोली आज तुमने मुझे पूरी औरत बना दिया बोलो मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ,  तब तक मुझे थोड़ा थोड़ा मज़ा वापस आने लगा था।
मैने कहा की मोसी पहले थोड़ा मार्केट घूम आते है फिर बात करेंगे,  उन्होने कहा ठीक है मैं तैयार हो जाती हूँ तुम भी कपड़े पहन लो फिर हम दोनो मार्केट निकल गये वहा उन्होने मेरे लिऐ शोपिंग की, और मुझे कहा की ये तेरा गिफ्ट है. वापस आते हुये उन्होने मुझसे कहा की तुम आज मेरे साथ ही रुक जाओ क्योकी दीदी जीजाजी तो कल आयेगे, और घर पर फोन कर दो… मैने कहा ठीक है मगर मैं अब बियर पीऊँगा…, और आप को भी मेरे साथ पीनी पड़ेगी, वो बोली की मैं नही पीती हूँ.., मैने कहा की आप तो लंड भी नहीं चूसती थी तो वो बोली ठीक है तुम्हारे लिये थोड़ी सी ले लूँगी..।
फिर मैने बियर शॉप से 4 बियर ले ली और घर पर फोन कर दिया की मे आज ऑफीस के काम की वजह से नहीं आ पाऊंगा. अब तक हम दोनो वापस चार्ज हो चुके थे, और एक दूसरे को किस कर रहे थे। फिर मैने बियर की बोतल खोल ली और अपने मुहँ मे भर ली और उनके मुहँ से मुहँ मिला कर अंदर डाल दी,  फिर बोतल उनके मुहँ पर लगा दी,  थोड़ी देर मे ही असर चालू हो गया और वो मुझे चूमने लगी, मुझे भी तब तक नशा हो चुका था तो मैने वही उनको लिटा कर अपना लंड उनकी चूत मैं डाल दिया और दोनो चूचीयों को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा।
साथ मे चूत मे लंड को अंदर और अंदर ले जाने के लिए ज़ोर ज़ोर से झटके लगा रहा था. हम लगबग आधे घंटे तक चूदाई करने के बाद जब मेरा पानी छुटने वाला था. मैने चूचीयों को धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया. मोसी भी थोड़ी देर मे मस्ती मे आ गयी. और उसके हर एक झटके के साथ अपने मुहँ से आवाज़ निकाल रही थी,  थोड़ी देर मे ही हम दोनो एक साथ फ्री हो गये,  मैने अपना पूरा वीर्य उनकी चूत मैं डाल दिया।
2 घंटे बाद हम दोनो फिर तैयार थे और आप तो जानते ही हैं की फिर क्या हुआ होगा, इसके बाद हमको जब भी मोका मिला अपना काम करते रहे।









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Fentency दोस्त की बीवी

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दोस्त की बीवी

प्रेषक:- ओम मल्होत्रा
इस हिस्से के सभी प्यारे दोस्तो एवं सहेलियों को मेरा प्यार भरा नमस्कार में अपने अनुभव के साथ आ गया हूँ. बात अभी दो दिन पहले की ही है. मुझे चोदने की बुरी आदत हो गई है. जब तक एक बार चुदाई ना कर लू नींद ही नही आती. मेरी वाइफ भी एक दम ठंडी पड़ी रहती है. उसे उकसाने के बाद बड़ी मुश्किल से वो करने
देती है.
दोस्तो आप लोग मेरी समस्या समझ रहे होगे. कितनी विकट समस्या और ऊपर से चुदाई का आलम एक तो मदहोशी का आलम उपर से लंड ने गदर ढाई है. यारो मत पूछो मेरी तबीयत की चुदाई की कितनी याद आई है. फनफनाते लंड को कैसे दबाता हूँ. मैंने यारो कई बार हाथो से ही रग़ड कर उसकी जान निकाली है.
जब जिसकी ज़रूरत हो और खुदा से जिसे दिल से माँगो तो वो मिल ही जाती है. ठीक यही हुआ मेरे साथ, मेरे साथ के मेरे घनिष्ट मित्र अपने परिवार के साथ अचानक आ गए. उन्हे अपनी पत्नी को लखनऊ ले के जाना था.
उनके बच्चे की तबीयत खराब हुई तो बीच रास्ते मे ही उन्होने निश्चय किया. की ओम मल्होत्रा के घर चलते है. वैसे भी राकेश को मेरे यहां आने मे दिक्कत नही होती है. ड्रिंक करने का शोकीन है शाम 8:00 बजे से ही बोतल की ढक्कन खुल जाती है.
लेकिन बुराई ये है 3-4 पेग के बाद उससे सम्भलती नही बेहोश हो जाता है. यही हुआ अभी, उसे सम्भालना पड़ा समय ज़्यादा हो गया था. मैंने अपनी वाइफ को बोला बच्चो के साथ तुम सो जाओ. वो मेरे और राकेश के बच्चो को ले कर सोने चली गई.
ईधर मै और राकेश की वाइफ राकेश को सम्भालते हुए आपस मे बाते करने लगे. ये राक्षस भी जब साले को हजम नही होती तो इतनी क्यो पी लेता है. ”तों वो बोली” इनका तो रोज का यही हाल है. बच्चे को सम्भालू या इन्हे – तब तो बड़ी दिक्कत होती होगी ना.
हाँ कई दिन गुजर जाते है, रात मे इनसे बात किए हुए-तब तो रात के काम भी नही हो पाते होगे. मैने घुमा कर कहा. हाँ,(आहे भरते हुए उसने कहा)-तब तो आप प्यासी रह जाती होगी, अगर आप कहे तो मै आप की मदद करू. (बड़ी हिम्मत जुटा कर कहा था.) उसकी मुस्कुराती आँखो से इशारा मिलते ही में उसके पास आ गया. और उसके होटो पर आकर किस जड़ दिया. आँखो मे खुला आमंत्रण था. मै जोश मे आ गया और उसके होटो को मूहँ मे भर कर चूसने लगा. और जोरो से चूसा उधर हाथो से बोब्स दबाए जा राहा था. दबाते-दबाते मै उसकी चूत की तरफ अपना हाथ ले गया और चूत मे उंगली डाली.
उसकी चूत गजब की गीली हुई पड़ी थी. और वो खुद मदहोश हुए जा रही थी. तवा एक दम गरम था. मै भी पूरे जोश मे बस मन कर रहा था लंड को निकाल कर जल्दी से चूत मे डाल दू. उस रात 3 बार उसकी चुदाई की धीरे- धीरे बताता हूँ.
होटो को जेसे ही छोड़ा वो सिस्काए मरने लगी जान………न्न्-ाीननन्……न्‍नन्न् ज…लल्ल्ल्ल…….दी से चो………दददददो चू…..तत्त……त्त्त्तत्त बेचैन है. मैने जल्दी से उसके कपड़े उतार दिए और अपने भी उतार दिए मूहँ मे उसके बोब्स के निप्पल डाल कर चूसने लगा. बस खा जाने वाले अंदाज मे चूसे जा रहा था.
और वो सिसकारिया मारे जा रही थी आहह…… जान और ज़ोर से चूसो मज़ा आ गया जान ऐसा तो राकेश ने कभी भी नही किया मैने अपना लंड उसके हाथ मे दे दिया.
हाथ मे मोटा लंड पकड़ते ही चीख निकल गई और बोली “ इतना मोटा लंड कैसे घुसेगा ” वो मस्त हुई जा रही थी. और मैरा सब्र बी ख़त्म हुऐ जा रहा था. मै उसके उपर आ गया. लंड को उसकी चूत से सटाया और धक्का देते ही पूरा सिर अंदर घुस गया.
वो चीखी मैने जल्दी से उसका मुहँ दबाया और बोला चिल्लओ मत सब जाग जाएंगे. वो आहिस्ते से दर्द बयां करने लगी आआआ… जान मार दिया तूने! मै धीरे-धीरे लंड को अंदर करने लगा बस थोड़ी देर मे ही वो मस्ती की चाले भरने लगी— “ मेरे राजा जमके चोदो तुम्हारा लंड तो बड़ा ही मस्त है ” आज जम के चोदो.
आआआअ जिओ मेरे रररररा…….आआआ………ज्ज्ज्ज्ज्जा…और चोदो आआआ हह आआआआ वो भी नीचे से गांड उछाल उछाल कर चुदा रही थी. वो मस्त हो कर चुदा रही थी. और मै धक्के लगाए जा रहा था. मेरे राजा निककककककककककक…लल्ल………. रहा है मेरी चुत का पानी वो झड़ रही थी  आहाआआआआ जान ये ल्ल्ल्ललो मेरे लन्न्न्न्नन्न…… न्ड्चुत   का प्प्प्प्पा………प्प्पा…न्न्न्नीन्न्न्नीन्नी…………ईईईईईईईईईईईई ये कहते हुए मै उसकी चुत मे ही झड़ गया.
हम दोनो चिपक कर लेट गये. उसने मुझे कस कर चिपका लिया था बता रही थी आज बहुत दिनों बाद उसने चुदाई का आनंद लिया था. इतनी मस्ती उसे बस सुहागरात वाले दिन ही आई थी. उसके बाद वो कभी सन्तुष्ट नही हो पाई. अब तो वो खुल कर बाते किए जा रही थी….उसने फिर से लंड को पकड़ लिया था, मै बोला “क्या हुआ अभी मन नही भरा क्या”.
उसने कहा “नही और चुदाई करो ना” अभी चोदे हुए 15 मिनट ही हुए थे उसका मन फिर से करने लगा मैने उसकी टॅंगो को चौड़ा किया और उसकी चूत चाटने लगा. वो बोली ये क्या कर रहे हो, ऐसा करते हुए मै समझ गया कि उसने आज तक चूत चटाई का मज़ा नही लिया है. मै ज़ोरों से उसकी चूत चाटने लगा. वो मादकता मे डूबने लगी………………… “चूत वो बला है, जो अच्छों-अच्छों का मन डूला दे. बुड्डो को भी जवान बना दे, बुझे लंड मे भी जान डाल दे.”
यही हाल हुआ मेरे झडे हुए लंड का और फंफना के खड़ा हो गया. मै उसकी चूत को जोरो से चाट रहा था आआआआअहह………..आ……..न………ई………..ल मेरी ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्जजा….. आआआआअ………….न्न्आआआननननन……….. ऐसे…क्यययायायाया ……………किईईईईई……ऐऐऐऐऐऐऐएऐ…………. ज़ाआाआआआआ ……..रहेऐऐऐऐऐऐऐ……………. होऊऊऊऊओ. उसने मेरे बालो को कस के पकड़ लिया मज़्ज़्ज़्जाज़्ज़्ज़्जजाज़्जा……आआआआआआ ………….रहा है.
ववववाआआहाहाह……….उसकी इतनी मस्त चूत चटाई किसी ने नही की, मैने अपनी जीभ को जैसे ही उसकी चूत मे घुसाया तों वो चीख उठी आहा मार डाला मेरे बालो को ज़ोर से नोच लिया मेरी तो बारह यहीं बजा दी.  चूसो राजा और ज़ोर से…… थक गये हो तो बताओ मै ऊपर आ कर चुदवा लू……. इस भोसडी को….. ओह अब मैं नहीहीईईईईईईईईईईईई………….रुक्कककककककक सकती हूँ.
यह लो मै आ गई हूँ अब राजा तुम भी आ जाओ” वो अपनी मस्ती मे बोले जा रही थी मै समझ गया था. अब इसकी चूत मे लंड डालना पड़ेगा लेकिन इस बार जल्दी नही थी. मै उसे लंड चूसाना चाह रहा था. इतना अंदाज़ा लग गया था. की जब राकेश ने कभी इसकी चूत नही चूसी तो साले ने लंड भी नही चूसाया होगा.
ये अभी मस्त हैं तो मस्ती मे पूरा लंड चूस लेगी मैने उससे लंड चूसने को बोला पहले तो कुन्मुनाई जब बताया अभी और मस्ती आएगी तो वो लंड चूसने को राज़ी हो गई. तुम्हारा लंड बडा जानदार है……. बहुत आच्छा लग रहा हाईईईईईईईईईईईईईई….. हाईईईईईई और ज़ोर सीईई मेरे राज्ज्जज्जज्जा…… और ज़ोर…… ..सीईए…….मेरे मूहँ को ही चोदोगे क्या लंड हेहेहेहे……. ओह म्ह………हह वो गजब से चूसे जा रही थी. मै सोच रहा था. जो अभी मना कर रही थी और वो अब कितनी मस्त हो कर लंड को मूहँ मे लिए जा रही हैं.
मैने उसे 69 पोज़िशन मे लिटाया और चालू हो गया आज उसे लंड और चूत के सारे तरीके सीखा देना चाहता था. जिससे अगली बार और मस्ती मे चूदाई कर सकू कुछ बी बताना नही पडेगा. अब तो उसे चोदने का मन हो रहा था.
लंड को उसकी चूत से सटा कर ज्यो ही अंदर डाला वो चीख उठी ओह चोदो मेरे राजा…… क्या जानदार लोडा है……मेरी चूत को चोद-चोद कर निहाल कर दो…… मारो राजा मारो…….कस कस कर धक्के मारो…….चोद दो…..चो…..ओओओओ……..ददद……डालो…हाईईईईईईईई……..मैमैमैमै…….म….अअअ……रररर………. गइईईई”………. और वो भल भला कर झर गयी 1:30 घंटे चुदाई चली.
जो पाठक चूत का मजा ले रहे है वो समझ रहे होंगे दूसरे राउंड मे चुदाई का क्या मज़ा होता है.







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Fentency जादू की छड़ी

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जादू की छड़ी

प्रेषक : आयुष
हाय सभी भाइयों और भाइयों की बहनो, में इस  वेबसाइट का बहुत ही बड़ा फेन हूँ. मैने इसकी बहुत सारी स्टोरी पढ़ी है और आज में बहुत ही मुश्किल से फ़ैसला करके आप लोगों के सामने अपनी स्टोरी लिख रहा हूँ,  ये मेरी पहली स्टोरी है. ये स्टोरी मेरी एक बहुत ही दूर की कज़न बहन की है. मेरा नाम आयुष है,  में अल्कू
 शहर का रहने वाला हूँ, उम्र 21 साल है, रंग गोरा, स्मार्ट हूँ और लम्बाई 5’5 है और मेरे लंड का साइज़ 6 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है. ये स्टोरी आज से दो साल पहले की है जब में 19 साल का था. मेरे एक अंकल है (पापा के दोस्त) उनकी बेटी का नाम खुशबू है, वो और उनकी बेटी अक्सर हमारे घर आते है. एक बार वो अपनी बेटी के साथ आये हुये थे एक मिनिट, में आपको एक बात तो बताना ही भूल गया वो है,  उस लड़की के बारे में,  खुशबू की उम्र 18 साल थी, लेकिन वो दिखने में ग़ज़ब की कयामत थी, मेरा मतलब है की उसे जो भी देखता यही कहता की वो 21-22 साल से कम की नही होगी, लम्बाई 5’3, चूचि 32 कमर 26 और गांड 34.  में जब भी उसे देखता तो यही सोचता की कब इस गंगा में अपने हाथ साफ कर लूँ. तो जब वो आये,  मैने अपने छोटे भाइयों और उससे कहा चलो लूका छुपी खेलते है, फिर हम छत पर चले गये.
मेरे घर में दो छत है, हम सिर्फ़ नीचे वाली छत पर ही खेलते थे और उपर की छत पर नही. तो मैने अपने भाई को पहले कहा की तुम चोर बनो, वो मान गया और में उसे ले कर उपर की छत पर चला गया चुपके से, उपर की छत पर जनेटर रूम है, जिसमे गेट भी लगा हुआ है, मेंने उसे वहा ले जाकर गेट बंद कर दिया, फिर एक ड्रम के पीछे जहाँ बहुत कम जगह थी खड़ा कर दिया और उसके पीछे ही ज़बरदस्ती बहुत मुश्किल से खड़ा हो गया,  मैने सोचा की मौका अच्छा है आज अपनी इच्छा पूरी करने का.
हम दोनो साथ साथ खड़े हुये थे, तो मैने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दी, उसने मुझे कहा ही भैया आप क्या कर रहे है, तो मैने कहा की गर्मी बहुत है इसलिये थोड़ा हिल रहा हूँ. क्योकी में दीवार से चिपका हुआ था. उपर से में सिर्फ़ बनियान और बरमूडा में था और वो टी-शर्ट और स्कर्ट में. फिर में अपने पूरे जिस्म का भार उस पे देने लगा. फिर उसने कहा की भैया आप क्या कर रहे है. मैने कहा की गर्मी बहुत है. फिर में धीरे धीरे उसकी चूची पर हाथ फेरने लगा, उसने कहा भैया आप क्या कर रहे है, तो मैने कहा की में देख रहा हूँ की तुम्हे गुदगुदी होती है की नही, तो उसने कहा की होती तो है लेकिन बहुत कम और सिर्फ़ खाक में तो मैने उसके हाथ उपर कर दिये और गुदगुदी करने लगा और अपना हाथ धीरे धीरे उसकी टी-शर्ट के अंदर ले जाने लगा और चूची को छूने लगा, तो उसने फिर कहा भैया क्या कर रहे है, तो मैने कहा की देख रहा हूँ गुदगुदी करके.
फिर मैने अपनी बनियान उतार के उससे कहा की मुझको देखो कितने सारे तिल है,  तुम्हे है, तो उसने कहा की हाँ मुझे भी बहुत सारे है मैने कहा की दिखाओ. और उसकी टी-शर्ट उतार दी और उसकी चूचि की निपल पकड़ कर कहा की ये तुम्हारा तिल तो बहुत बड़ा है, ये है क्या और इतना बड़ा कैसे हो गया और वो भी दो दो. तो उसने कहा की वो तिल नही है और में उसके निपल को रगड़ने लगा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, फिर मैने अपना बरमूडा उतार दिया और उसे अपने पैरो और जाँघ के तिल दिखाने लगा, फिर मैने उससे कहा अपनी जांघों के तिल दिखाने के लिये और उसकी जीन्स पर हाथ लगाने लगा,  उसने कहा भैया मुझे शर्म आती है,  मैने कहा की मैने दिखाया की नही. तो अब तुम, भी दिखाओ. और उसकी जीन्स उतार दी और उसकी जाँघ सहलाने लगा,
फिर मैने अपनी चड्डी उतार दी और उसकी भी. फिर वो मेरे लंड को बहुत ही ज्यादा घूर के देखने लगी, फिर उसने कहा की भैया ये क्या है डंडा जैसा मैने कहा की ये डंडा नही जादू की छड़ी है क्यो तुम्हारे पास नही है क्या, उसने कहा की नही तो मैने कहा की दिखाओ तुम्हारे पास क्या है, और उसकी चूत सहलाने लगा, क्या ग़ज़ब की मदहोश करने वाली चूत थी उसके एक बाल भी नही, बाल तो छोड़ो रुआ तक नही था.
फिर उसने कहा की भैया ये जादू की छड़ी क्या जादू करती है? तो मैने उससे कहा ही इसे प्यार से सहलाओ फिर ये जादू करेगा. तो वो मेरे लंड को हाथ से सहलाने लगी,  मुझको बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मेरा लंड एकदम टाइट हो गया, फिर मैने उससे कहा की ज़ोर से हिलाओ. और में उसके हाथ के उपर अपना हाथ रख कर ज़ोर से हिलाने लगा. तो 3-4 मिनिट में झड़ गया, उसे देख वो पूछने लगी की ये क्या गिरा,  मैने कहा की ये प्रसाद है जादू की छड़ी का जिसे चाटने से सेहत हमेशा अच्छी रहती है इसे चाट लो फिर उसने मेरे लंड को अपनी जीभ से चाट कर साफ किया फिर मैने उसके होठ पर किस किया और मेरा ही वीर्य उसके और मेरे मुहँ में जा रहा था.
फिर मैने सोचा इसकी चूत मारने के लिये, लेकिन जब मैने उसकी चूत में उंगली घुसाई तो हल्की सी ही उंगली घुसी थी, की उसे दर्द होने लगा, तो मैने उसे चोदा नही. आज भी वो मेरे घर आती है और हम बस ऐसे ही करते है, मगर में उसे चोदना चाहता हूँ मगर डरता हूँ की उसे कुछ हो ना जाये, या मेरे घर वालों को पता ना चल जाये.







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Fentency बहन को भी अच्छा लगा

Fentency


बहन को भी अच्छा लगा

प्रेषक : गुमनाम
यह घटना अब से करीब 4 साल पहले की है. मेरी बहन कपड़ो पर इतना ध्यान नही देती थी।  बहुत बार ऐसे बैठती थी की उसके बोब्स या फिर पेंटी नज़र आते थे। मै इन्हे देखकर गर्म हो जाता था. कभी-कभार बाथरूम मे जाकर मुठ मार लेता। अक्सर मै खेल-खेल मे अपनी रूपाली को छू-लेता या फिर उसके दूध पकड के दबा
देता।
एक बार हमारे घर वाले मामा के यहाँ गये थे. आउट ऑफ स्टेशन. मे और मेरी बहन नही गये. मैने अपनी हरकते करना शुरू कर दी. बात-बात पर उसके बोब्स पर हाथ मारना. उसके बोब्स  दबा देना। एक दिन रात को मैने एक बहुत हॉट फिल्म देखी. मे गर्म हो गया। मैने देखा मेरी बहन बेड पर एक टॉप और स्कर्ट पहन कर सो रही थी. मुझसे रहा नही गया।
मे धीरे से उसके बेड के पास जाकर बैठ गया. उसकी बॉडी को देखता रहा. धीरे से उसके बोब्स  टॉप के उपर से सहलाने लगा। फिर मैने उसकी स्कर्ट की ओर देखा. मैने उसका स्कर्ट उपर सरका दिया। वाह क्या नज़ारा था. बहन की गोरे-गोरे पैर. थोड़ी देर उसके पैर को सहलाता रहा. फिर मे तोडा और उपर गया और सहलाने लगा और फाइनली उसकी वाइट “वी” शेप की वाइट पेंटी  दिखी. मुझसे रहा नही गया और मैने उसके चूत को सहलाया और चूमा. इससे मेरी बहन जाग गयी।
वो हैरान थी और बोली ” भैया ! यह क्या कर रहे हो? शर्म नही आती अपनी बहन के साथ ” मे बोला तू लड़की है. मे लड़का हूँ. मुझे मन किया तो मैने छू लिया ” वो बोली ” नही, यह ग़लत है… मम्मी पापा को पता चलेगा तो क्या बोलेंगे? तुम मेरे रूम से चले जाओ “. मे चुप-चाप चला गया।
अगले दिन सब कुछ नॉर्मल था. मुझे फिल्म देखने का बड़ा मन कर रहा था. मे मार्केट गया और वहाँ से एक अच्छी और कुछ सेक्सी फिल्म ले आया। मेरे रूम मे मेरा अलग टी वी. है।  मैने एक सेक्सी फिल्म देखी और दूसरे को आधे मे छोड़ कर नहाने चला गया. जब मे नहा रहा था तो मेरी बहन बाथरूम के बाहर से चिल्लाई के उसे स्केल नही मिल रहा। मेने कहा के मे  बाहर आ कर देता हूँ. तो वो रूम मे टीवी पर लगी सेक्सी फिल्म देखने लगी।
उसने ऐसी फिल्म पहले नही देखी थी. मे बाहर आया तो देखा वो फिल्म देख रही थी. मैने कुछ नही कहा.चुप-चाप हमने फिल्म देखी और अपना लंच किया. फिर मैने बहन से पूछा ” और एक फिल्म देखनी है ?”. तो उसने कहा हां। मैने पहले वाली सेक्सी फिल्म लगा दी. हम दोनो बेड पर पेट के बल लेट कर फिल्म देखने लगे. फिल्म मे बहुत से हॉट सीन थे. उन्हे देख कर रूपाली भी गर्म हो गयी। देखते -देखते मैने अपना हाथ उसके स्कर्ट के उपर सहलाने लगा. वो बोली ” नही भैया यह सब नही.” मे बोला ” मे तो सिर्फ़ कपडे के उपर से मजा ले रहा हूँ. थोरी देर टच करने दो कपडे के उपर से ही प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़.” वो बोली ” ठीक हे पर उपर से ही “.मैने कहा हा-हा  और उसके पिछवाड़े को स्कर्ट के उपर से सहलाने लगा. दबाने लगा।
फिर धीरे से उसके स्कर्ट के अंदर उसकी पेंटी के उपर. वो फिर बोली ” तुमने कहा था उपर से ही सहलाओगे ” मे बोला ” हा तो पेंटी के कपडे के उपर ही तो है”।
उसे भी मजा आने लगा था तो चुप-चाप फिल्म देखने लगी. अब मे पेंटी के उपर से सहला रहा था. फिर मैने उसके अन्दर की तरफ उसकी चूत को भी सहलाने,  दबाने लगा. उसके मूह से कभी-कभी दबी सी आवाज निकलती ” ओह आ मम” ।  मैने उसका स्कर्ट पीछे से उठाया और उसके गोरे-गोरे पिछवाड़े को देखने लगा। फिर पेंटी के उपर से ही किस किया. अब तक उसने आँखे बंद कर ली थी।
मैने उसे सीधा लिटाया और उसके पेंटी के उपर उसके चूत को किस करने लगा. वो “आ म्म्म ओह भैया आआ” करने लगी. मैने जब देखा की वो गर्म हो गयी है तो मैने उसके पेंटी के साइड से अंदर हाथ घुसा दिया और उसकी चूत पेंटी के अंदर सहलाने लगा। वो “अहह म्म्म नहियीई भैया” बोल रही थी। मैने ने उसकी पेंटी उतार दी. तब वो होश मे आई और बोली ” नही यह सब ठीक नही है भैया. मम्मी पापा को पता चलेगा तो क्या सोचेंगे?”  मैने कहा ” कुछ ग़लत नही है और उन्हे पता नही चलेगा. बस एक बार रूपाली प्लज़्ज़्ज़”।
मे उसकी चूत को चूमने लगा और उसे पागल कर दिया. उसकी चूत को किस करते-करते अपने दोनो हाथ उसकी टॉप के अंदर ले जा कर उसकी ब्रा के अंदर उसकी चुचियाँ यानी दूध ओर बोब्स दबाने लगा। उसे बहुत मजा आने लगा. मैने ने पूछा ” कैसा लग रहा है? ” उसने कहा ” आह बहुत अच्छा भेया “।
फिर मैने उसके पूरे कपडे उतार कर उसे एक दम नंगा कर दिया. अब मे उसकी पूरी बॉडी को चूम रहा था,  सहला रहा था. मैने उसकी एक चूची मुहं मे लेकर चूसने लगा तो दूसरे को हाथ से दबा रहा था. और वो मेरा सर के बाल सहला रही थी।
15 मि. बाद मैने उसकी चूत मे अपना लंड लगाया और प्रेशर दिया. वो चिल्ला गयी ” नहि..ईई भैया बहुत दर्द हो रहा है. फिर मैने उसकी चूत पर तोडा वॅसलीन लगा कर फिर से घुसाया अपने लंड को। 3-4 बार  ट्राइ करने पर मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया. तोडा सा खून भी निकला। फिर थोडी देर बाद उसे मजा आने लगा. वो बोली ” अहहहहह भैया बहुत मज़ा आ रहा हे..इईईईईईई. जोर से करो “।
हम दोनो पसीना -पसीना हो रहे थे. मुझे लगा की वो झड गयी है . पर मे कंटिन्यू करता रहा और कुछ देर बाद मुझे लगा की मेरा निकलने वाला है तो मेने टाइम पर लंड निकाल कर सारा माल उसकी छाती पर और मूह पर डाल दिया। ओर फिर मे उसके बगल मे लेट गया. ओर फिर वो बेड पर से उठी ओर बाथरूम मे चली गयी।
उसके बाद तो हम दोनों कभी भी समय मिलता तो हम सेक्स या छेड़छाड़ करे बगेर नही रहते।





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Fentency ट्रेन में उत्तेजित हो गई

Fentency


ट्रेन में उत्तेजित हो गई

नमस्कार दोस्तों मैं तो अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। बात उस समय की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था...
मेरे अन्तिम परीक्षाएँ समाप्त हो चुकी थीं और मैं उदयपुर से अपने पैतृक नगर ट्रेन से जाने वाला था। शाम के चार बजे थे, मैं सही समय पर स्टेशन पहुँच गया था, मेरी सीट किनारे और नीचे वाली थी। मैं ट्रेन में बैठा हुआ सोच रहा था कि आगे क्या करना है। वैसे ट्रेन में कोई अधिक भीड़ नहीं थी। जैसे ही ट्रेन चलने लगी, मैंने देखा कि एक औरत जो लगभग ३०-३२ साल की थी आई। उसने मुझसे पूछा कि आपकी सीट कौन सी है। मैंने उसे बताया - "सीट नम्बर ११" उसने अपनी टिकट देखी उसकी सीट की संख्या १२ थी, यानि ऊपर वाली सीट। उसके साथ उसका ३ साल का लड़का भी था। वह खिड़की पर आकर बैठ गया।
उस महिला ने मुझसे पूछा, "क्या सामान रखने में आप मेरी थोड़ी सी सहायता कर सकते हैं?" मैंने उसकी सहायता की और सारा सामान सही-सही सीट के नीचे रख दिया। वह ऊपर जाकर बैठ गई। उसका लड़का नीचे ही बैठा था और मेरे साथ खेल रहा था।
ट्रेन चलती गई, १ घंटे के बाद पहला स्टेशन आया, तो वह नीचे उतर आई और चाय वाले को आवाज़ देकर चाय लेकर पीने लगी। मैंने भी चाय ली। जब वह पैसे देने लगी, तो मैंने कहा कि मैं दे देता हूँ, और मैंने दोनों की चाय के पैसे दे दिए। थोड़ी देर बाद हम बातें करने लगे। वह नीचे की सीट पर ही बैठी थी।
"मेरा बच्चा परेशान तो नहीं कर रहा है?"
"नहीं... बिल्कुल नहीं" - मैंने उत्तर दिया।
"आप कहाँ जा रही हैं?" चाय पीते-पीते ही मैंने उससे पूछा।
"मुम्बई !" उसने बताया।
"आपके पति नहीं जा रहे हैं?"
उसने बताया कि उसका तलाक़ हो चुका है और वह अपने भाई के घर जा रही है। कुछ देर की चुप्पी के बाद हमारी बातें दुबारा शुरु हो गईं।
उसने मुझसे पूछा - "आप क्या करते हैं?"
"मैंने अभी-अभी कॉलेज की पढ़ाई खत्म की है और मैं घर जा रहा हूँ।"
थोड़ी देर बाद मैंने अपने बैग में से मिक्सचर निकाले और उसे ऑफर किया तो वो भी मेरे साथ खाने लगी। अब मैं उसके बिल्कुल पास बैठा था और मैंने मिक्सचर वाला हाथ उसकी गोद में रख दिया तो मेरा हाथ उसकी जाँघ को छूने लगा।
ट्रेन के हिलने से मेरा हाथ उसकी जाँघ से रगड़ रहा था, शायद उसे भी अच्छा लग रहा था।
फिर हम दोनों के बीच काफी बातें हुईं। उसने मुझसे पूछा कि क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेण्ड है, तो मैंने कहा कि नहीं। उसने कहा कि ऐसा हो ही नहीं सकता। तो मैंने कहा कि कोई पसन्द ही नहीं आई। थोड़ी देर बाद शाम के सात बज गए और बाहर अन्धेरा हो गया। ट्रेन क़रीब-क़रीब खाली थी। हम लोगों को कोई भी देखता तो यही समझता था कि पति-पत्नी होंगे क्योंकि हम काफी आराम से बातें कर रहे थे।
cथोड़ी देर में मुझे अच्छा लगने लगा और वह भी उत्तेजित हो गई। मेरा लंड खड़ा हो गया। फिर मैंने थोड़ी और आज़ादी से अपने पैरों को उससे छुआया तो वह कुछ भी नहीं बोली। मैं भी समझ चुका था कि वह तैयार है। अब वह भी मुझे ठीक से छूने लगी थी। मैं खुज़ली करने के बहाने उसके पैरों को छुआ तो उसने कहा कि ठीक से पैर फैला लो। मैंने कहा ठीक है, फिर मैं थोड़ा और लेट गया। थोड़ी देर बाद हमने खाना खा लिया।
ट्रेन में सभी शायद यही समझ रहे होंगे कि हम पति-पत्नी हैं। कुछ देर के बाद उसका बच्चा सो गया। वह नीचे ही सो रहा था। हमने ऊपर में किनारे बैग रखकर उसे ऊपर की बर्थ पर सुला दिया। अब ट्रेन में बत्ती धीरे-धीरे बुझ चुकी थी। सिर्फ दो-तीन केबिन में ही नाईट-बल्बें जल रही थीं। इत्तेफाक़ से हमारी जगह पर बत्ती लगी ही नहीं थी


 हम फिर शॉल ओढ़ कर फिर से वैसे ही अधलेटे रहे। उसने फिर से गर्लफ्रेण्ड की बात छेड़ दी, तो मैंने कहा - "गर्लफ्रेण्ड तो नहीं है, पर..."
"पर क्या...?"
"कुछ नहीं...?"
उसके बार-बार पूछने पर मैंने कहा - "आप बुरा मान जाएँगी"
"नहीं मानूँगी।"
"...हाँ, पर मैंने मस्ती बहुत की है..."
"और वो...?"
अब वह भी उत्तेजित लग रही थी और पूरी लेट गई थी और मैं भी..., अब मेरे लंड उसकी गाँड के पास छू रहा था। मेरा ८ इंच का लण्ड खड़ा हो गया। मैंने लंड को सम्भालने के लिए हाथ बढ़ाया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। अब मैं समझ गया कि वह पूरी तरह से तैयार है।
अब मैं उसका पेट नीचे से सहला रहा था फिर उसके पेटीकोट में नीचे से हाथ डालकर उसकी जाँघों तक भी सहलाना शुरु किया। वह पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। मैंने उससे कहा कि मेरे किनारे में आ जाए तो अब हम एक ही किनारे में लेटे हुए थे। हमने कम्बल ओढ़ ली थी, क्योंकि एक तो ठंड वैसे भी थी और ऊपर से एसी कोच होने के कारण ठंड का असर अधिक ही थी। मैंने सामने का परदा डाल दिया, और पाया कि ठंड की वजह से सारे लोग सो रहे थे। परदा डाल कर मैं वापस आया।
मैंने उसे चूमा और उसकी चूचियों को ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाने लगा। उसने मेरा लंड पकड़ लिया था। मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था और वह पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को दबा रही थी। धीरे-धीरे मैं आगे बढ़ा और उसके ब्लाऊज़ में हाथ डालकर उसकी चूचियों को दबाने लगा।

मैंने उसकी ब्लाऊज़ के हुक खोल दिए, उसकी मलाई जैसी चूचियाँ मुझे दिख रहीं थीं। मैंने उसकी चूचियाँ अपने मुँह में ले लीं और कभी बाईं तो कभी दाईं चूची को चूसने लगा। मैं अब उसे चोदना ही चाहता था, मैंने उससे कहा कि तुम टॉयलेट में आ जाओ। मैं पहले जाता हूँ, तुम २ मिनट के बाद आ जाना।
मैंने टॉयलेट में जाते समय अटेण्डर को २०० रुपये दिए और कहा कि बच्चे का ख्याल रखना, तो वह समझ गया।
मैं टॉयलेट में जाकर प्रतीक्षा करने लगा। २ मिनट को बाद वह उसने धीरे से दरवाज़ा खोला, मैंने उसे झट से अन्दर खींच लिया और दरवाज़ा लॉक कर लिया। मैंने उसकी ब्लाऊज़ खोल दी और साड़ी भी अलग कर उसकी चूचियों को चूसने लगा। वह फिर से उत्तेजित हो रही थी। मैंने उसकी पेटीकोट खोल कर उसे पूरी नंगी ही कर दिया। मैंने देखा, उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। उसकी क्लीन-शेव चूत को देखकर मैं उसकी चूत रगड़ने लगा।
अब उसने मेरी पैन्ट की ज़िप खोली और मेरे लंड को हिलाने लगी। थोड़ी देर बाद वह झुकी और लंड को गप्प से अपने मुँह में डाल लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मैं तो सातवें आसमान पर था। मैंने मेरी पैन्ट और टी-शर्ट पूरी उतार दी। मैं उसकी चूत पर हाथ रख रगड़ रहा था, जिससे उसकी चूत ने रस छोड़ना शुरु कर दिया। मैं नीचे झुका और उसकी चूत चाटने लगा। वह और भी उत्तेजना से भर गई। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। मैं भी मज़े ले-लेकर उसकी चूत को चाट रहा था और दाहिने हाथ से उसकी चूचियों को बारी-बारी से दबा भी रहा था।
इतना सब होने के बाद अब उससे रहा नहीं जा रहा था... उसने मुझसे कहा कि अब मत तड़पाओ...
उसके ऐसा कहने पर मैंने उसका एक पाँव टॉयलेट के कमोड पर रखा तो उसकी चूत फैल गई, और मैंने अपना लंड एक ही बार में पूरा-का-पूरा उसकी चूत में डाल दिया। वह चिल्ला पड़ी, मैंने तुरन्त उसे फ्रेंच किस दिया और धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा।
वह सिसकियाँ ले रही थी। अब वह छूटने वाली थी और उत्तेजना के मारे चिल्ला रही थी कि और ज़ोर से, और ज़ोर से...
मैं अब लम्बे-लम्बे झटके देने लगा और २ मिनटों के बाद हम दोनों एक ही साथ झड़ गए।
हम बाहर आए और अपनी सीट पर बैठ गए और एक-दूसरे को चूमने लगे। वह धीरे-धीरे मेरे लंड को सहला रही थी और मैं उसकी चूचियाँ भी दबा रहा था। थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से कड़क हो गया तो मैंने चुदाई का कार्यक्रम बर्थ पर भी शुरु कर दिया। हमारा ये कार्यक्रम पूरी रात चला। मैंने उसे रात भर में ३ बार और चोदा।
सुबह हमने एक-दूसरे को चूमा और अलविदा कह चल पड़े।
तो यह था मेरा पहला अनुभव








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