Tuesday, October 14, 2014

Fentency ये कैसी ट्यूशन है सर !!!

Fentency

 ये कैसी ट्यूशन है सर !!!

मैं एक हायर सेकण्डरी स्कुल में इंग्लिश पढाता हूँ. मेरी उम्र चालीस साल है. अपनी हेल्थ का पूरा ध्यान रखता हूँ इसलिए मैं अभी भी तीस - बत्तीस साल से बड़ा नहीं दिखाई देता. मेरी पत्नी भी नौकरी करती है. वो एक फैक्ट्री में मेनेजर है और सवेरे बहुत जल्दी चली जाती है. मैं अपनी स्कुल की छात्राओं में विशेष रूप से काफी लोकप्रिय हूँ.. लगभग हर छात्रा दिन भर मुझसे कुछ ना कुछ पूछने के बहाने स्टाफ रूम में या कहीं भी मिलने आती रहती हैं. मैं भी उन्हें हर तरह से मदद करता हूँ और इसी बहाने उन्हें काफी करीब से देख भी लेता हूँ. कुछ लडकीयाँ तो बहुत ही खुबसूरत हैं. कुछ लडकीयों का शारीरिक विकास बहुत अच्छा हुआ है. ऐसी लगभग पांच छः लड़कियाँ है. ऐसी ही एक लडकी है - साधना. साधना को देखकर कोई नहीं कह सकता कि वो बारहवीं में हैं. वो सत्रह साल की होने के बावजूद बीस बाईस साल की लगती है. उसके सीने का विकास किसी विवाहिता स्त्री से कम नहीं हुआ है. मैं अक्सर उसके उभारों को बहुत ललचाई नजरों से देखता हूँ. जब भी वो मुझसे मिलने आती है मैं यह कोशिश करता हूँ की स्कूल की युनिफोर्म की सफ़ेद कुर्ती का कोई बट्टन खुला हो और मुझे कुछ देखने को मिल जाय. साधना भी कई बार यह कोशिश करती कि किसी तरह वो मेरे नजदीक खड़ी रहे और मुझे वो छू ले. मैं भी यही कोशिश करता रहता हूँ.
हाफ ईअरली परीक्षाएं नज़दीक थी. लडकीयाँ लगातार कुछ ना कुछ पूछने के लिए आने लगी थी. कुछ लड्केयाँ घर पर भी आने लगी. एक दिन साधना सवेरे मेरे घर आई. मैं घर के बाहर बगीचे में एक कुर्सी पर बैठा था. मैंने टी शर्ट और हाफ पैंट पहन रखा था. साधना ने ढीला कुरता और जींस पहन राखी थी. साधना आकर मेरे सामने बैठ गई. मैं उसे समझाने लगा. साधना के कुरते के सरे बटन खुले थे. मैंने ध्यान से देखा. उसने कुरते के अन्दर कुछ नहीं पहन रखा था और उसकी उभरे हुए स्तन इधर उधर हिल रहे थे. कभी कभी वो कुछ ऐसी स्थिति में आ जाते कि मुझे साफ़ दिखाई दे जाते. मैं पूरा आनंद ले रहा था. साधना को भी इस बात का अहसास हो गया. वो थोडा और झुक गई. अब उसके कुरते का खुला हुआ हिस्सा पूरी तरह मेरे सामने था. मैं उसके उभार देखकर हैरान रह गया. मैंने मन ही मन सोचा इसकी कप साइज़ जरुर सी प्लस होगी. जब भी वो हिलते मेरा दिल अजीब तरह की तरंगों से भर जाता. जब साधना रवाना हुई तो उसने एक शरारत भरी नजर मुझ पर डाली और बोली " सर, जितना अच्छा आपको लगा उतना ही अच्छा मुझे भी लगा. मैं कल फिर आऊंगी." मैं मन ही मन कल के लिए योजना बनाने लगा.
अगले दिन साधना सवेरे आ गई. मेरी पत्नी जा चुकी थी. साधना ने स्लीव लेस टी शर्ट पहन राखी थी जिसका गला बहुत नीचे तक खुला था. उसके उभार आज बहुत ही साफ़ दिखाई दे रहे थे. नीचे उसने घुटनों तक का जींस पहन रखी थी. उसकी गठीली टांगें भी गजब ढा रही थी. हम दोनों कमरे में अकेले ही थे. उसने कुछ सवाल पूछे मैंने उसे समझा दिया. साधना अपनी नोट बुक में कुछ लिखने लगी. जैसे ही वो झुकी उसके उभार और भी खुलकर दिखने लगे. मैं भी उसे देखने लगा और वो भी नजरें चुरा चुराकर मेरी तरफ देखने लगी. अचानक हम दोनों की नजरें मिल गई. हम दोनों एक बार तो झेंपे लेकिन अगले ही पल साधना फिर मुझे टकटकी नजरों से देखने लगी. मैंने उसे कहा " तुम ऐसे कपडे क्यूँ पहनकर आई?" साधना बोली " मुझे अच्छा लगता है और आपको भी तो अच्छा लगता है ना!" इतना कहकर वो मुस्कुराने लगी. वो अपनी जगह से उठी और मेरे करीब आकर खड़ी हो गई. उसने मेरी तरफ देखा और बोली " सर; " मैंने उसे जैसे ही दूर रहने का इशारा किया उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपने स्तनों पर रख दिया और जोर से दबा दिया. मुझे तो अच्छा लगा ही लेकिन उसके मुंह से एक आह निकल गई. मुझसे अब रहा नहीं गया और मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया. साधना ने भी मुझे कसकर पकड़ लिया. अब मैंने उसके दोनों गालों को अपने हाथों से पकड़ा और उसके गालों को चूम लिया. उसके मुंह से एक और आह निकल गई. उसने मेरी टी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए. मैंने तुरंत अपनी टी शर्ट उतारी और उसके टी शर्ट को भी खोल दिया. मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और अपने बेडरूम में ले आया. मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके स्तनों को धड़कता देखने लगा. वे मुझे पागल कर रहे थे. तभी साधना ने मेरी हाफ पैंट को खींच कर खोल दिया और इसके बाद उसने अपनी जींस भी खोल दी. मैंने जब उसकी जांघें और नंगी टांगें देखि तो मेरे होश उड़ गए. उसने अपने दोनों हाथ मेरी तरफ फैला दिए. मैं तुरंत उस पर लेट गया. अब हमारा दोनों का नग्न जिस्म आपस में मिल गया था और साँसें तेज तेज चलने लगी. मैं साधना को गालों और गले के नीचे चूमने लगा. साधना भी मुझे उसी तरह चूमने लगी. मैंने जैसा सोचा था साधना उससे कहीं ज्यादा गरम निकली. लगभग एक घंटे तक उसने मुझे नहीं छोड़ा. आखिर में कॉलेज का वक्त नजदीक आता देखा मैंने उसे अपने से बड़ी मुश्किल से अलग किया. सारे दिन कॉलेज में हम दोनों नजरें बचाकर एक दूजे को देखते रहे और मुस्कुराते रहे.
लेकिन यह घटना मेरे चारों ओर एक ऐसा चक्रव्यूह बना देगी मैंने नहीं सोचा था. साधना अगले दिन फिर आई. आज भी हम दोनों बीते हुए कल की तरह फिर करीब आधा घंटा साथ लेटे. वो इस तरह से लगातार चार दिन तक आती रही. एक दिन जब वो आई और हम दोनों बिस्तर में थे तो उसने अचानक ही अपनी पैंटी खोल दी और मेरी अंडर वेअर भी खींच कर खोल दी. उसने फिर अपने पर्स से एक कंडोम निकाला और मुझे दे दिया. मैंने अब यह मौका गंवाना ठीक नहीं समझा. हम दोनों पूरी तरह से निर्वस्त्र एक दूसरे से चिपट गए. मैं साधना पर लेट गया. मैंने साधना के साथ उस दिन पहली बार संभोग किया. साधना के मुंह से पहली बार बहुत जोर से आहें निकली लेकिन फिर बाद में वो मुझ पर हावी हो गई. साधना अब मुझ पर लेती हुई थी और साडी हलचलें वो ही कर रही थी. पुरे एक घंटे के बाद भी वो नहीं थकी और मुझसे पूरा मजा लेती रही.
दो दिन साधना कॉलेज नहीं आई. मैं थोडा डरा. ऐसा लगा कि इस बात का किसी को पता तो नहीं चल गया है. लेकिन वो अगले दिन लौट आई तो मैंने रहत की सांस ली. अगले दिन कुछ लड़के लडकीयाँ मेरे घर पढने आये हुए थे. तभी साधना भी आ गई. उसके साथ और दो लडकीयाँ मैरी और हरप्रीत थी. उनको भी मैंने सभी के साथ पढ़ना शुरू किया. लगभग एक घंटे के बाद एक एक कर सभी रवाना होने लगे. लेकिन साधना उन दोनों के साथ यह कहकर रुक गई की उन्हें और कुछ भी पूछना है. सब के जाने के बाद मैंने उन तीनो के सवालों को समझाना शुरू कर दिया. मैं पानी पीने के लिए जब रसोई में गया तो साधना मेरे पीछे आ गई. उसने पीछे से मुझे बाहों में भर लिया और बोली " सर, आज भी मैं तैयार हूँ." मैंने चौंकते हुए कहा " पागल मत बनो. एक तो दो दो लडकीयों को साथ लेकर आई हो और ऊपर से कह रही हो तैयार हो?" साधना अब मेरे सामने आ गई. अब मैंने उसे बाहों में भर लिया और उसके गालों को चूमने लगा. वो बोली " मेर्री और हरप्रीत को भी मैंने सब बताया है. वे भी हमारे साथ रहेगी." मैं सकते में आ गया. ये क्या मुसीबत पैदा हो गई. मेरे चेहरे पर तनाव छा गया. साधना ने बेफिक्री से कहा " आप बिलकुल मत घबराइये सर. कुछ भी नहीं होगा." साधना मेर्री और हरप्रीत को लेकर मेरे बेडरूम में आ गई. साधना ने मैरी के टी शर्ट को खोला और मुझे उसकी ब्रा दिखाते हुए बोली " सर ये भी आपसे ....." मैंने देखा मैरी का रंग साधना से भी ज्यादा गोरा है. उसके स्तन जरुरु साधना जितने विकसित नहीं हुए थे लेकिन उसका आकार छोटा होने के बावजूद सेक्सी लग रहे थे. उसकी सफ़ेद रंग की ब्रा में से उसके स्तनों को देखते ही मैं मुस्कुराया. सह्दना ने मेरी के स्तनों को छुआ. मेरी तड़प उठी. अब साधना ने हरप्रीत की कमीज उतार दी. हरप्रीत के स्तन साधना से थोड़े ही छोटे थे लेकिन उसके गुलाबी रंग ने मुझे दीवाना बना दिया था. उन तीनों ने अब अपने आप को केवल ब्रा और पैंटी तक ही रख लिया था. साधना आगे आई तो मैंने भी अपने सरे कपडे उतारे केवल अंडर वेअर रखा. साधना ने मुझे जैसे ही अपने से लिपटाया मेरी और हरप्रीत के जिस्मो में एक अलग तरह की हरकत होने लगी. साधना और मैंने जब एक दूसरे के होठों को चूमा तो मेरी ने हरप्रीत को कसकर पकड़ लिया. मैंने हरप्रीत का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ बुला लिया. साधना ने मैरी को अपनी तरफ बुलाया. अब मेरे सामने साधना थी, बायीं ओर मैरी तथा दायीं ओर हरप्रीत. इन मैंने अपने दोनों हाथो को फैलाया और मैरी तथा हरप्रीत को साधना के साथ अपने से लिपटा लिया. एक साथ तीन तीन कच्ची कलियाँ मेरी बाहों में थी. मैंने साधना के बाद हरप्रीत और मैरी को भी चूमना शुरू किया. उन दोनों ने भी मुझे चूमा. एक वक्त ऐसा भी आया जब हम सभी एक दूसरे को चूम रहे थे. तभी साधना ने फोर वे किस करने के लिए कहा. हम सभी के होंठ एक दूसरे से सट गए और फिर हम सभी एक साथ रस पान किया. मैंने एक एक कर तीनों की पैंटीज पर हाथ रखा तो तीनो की गीली हो चुकी थी. अब सभी अपनी अपनी चरम सीमा पर थी. साधना ने एक बार फिर मुझे कंडोम थमा दिया. मैंने साधना के जननांग में अपना कंडोम लगा हुआ लिंग धकेल दिया. आज हम दोनों को ही जबरदस्त आनंद आ रहा था. साधना को बहुत ही गुदगुदी हो रही थी. मैरी और हरप्रीत एक दूसरे से सट कर बैठी हुई हम दोनों को संभोग करता देख रही थी. लेकिन वे दोनों हिम्मत नहीं जुटा पाई..लगभग एक घंटे के बाद तीनों लौट गई .
परीक्षाएं शुरू हो गई थी. मेरा उन तीनो से मिलाना नहीं हो पा रहा था, मैं मैरी और हरप्रीत से संभोग की राह देख रहा था. दस दिन के बाद परीक्षाएं ख़त्म हुई. साधना अगले ही दिन दोपहर में उन दोनों के साथ मेरे घर आ गई. साधना ने आते ही कहा कि आज ये दोनों भी तैयार होकर आई है. हम चारों बेडरूम में आ गए. मैंने उन तीनो के कपडे उतार दिए. फिर तीनों ने मिलकर मेरे सारे कपडे उतार दिए. साधना ने मेरे लिंग पर कंडोम लगा दिया. फिर साधना सबसे पहले गद्दे पर लेट गई. मैं उस पर लेट गया और उसकी टांगों को को मैंने अपने हाथों की मदद से फैला दिया और अपना गुप्तांग उसके जननांग में एक झटके से ठूंस दिया. साधना की एक जोर से चीख निकल गई. लेकिन वो मुझसे चिपटी रही. मैंने उसके जननांग को अपने गुप्तांग से लगभग एक घंटे तक अन्दर बाहर कर के खूब रगडा और पूरा पूरा मजा लिया. साधना तो पूरी तरह से मदहोश होकर मजा लेटो रही और आहें भर भर कर अपनी दोनों सहेलियों को भी उत्साहित करती रही. लेकिन मैरी और हरप्रीत हिम्मत नहीं जुटा पाई. साधना संतुष्ट होकर और मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्बन देकर उन दोनों को लेकर चली गई. एक बार फिर मैं मैरी और हरप्रीत से संभोग नहीं कर सका.
दो दिन के बाद एक बार फिर साधना मैरी और हरप्रीत के साथ आई. आज मैरी ने अपने कपडे उतारे और पलंग पर लेटते हुए कहा " सर आज मैं तैयार हूँ." मैं खुश हो गया. मैंने तुरंत साधना से कंडोम लिया और मैरी से लिपट गया. मैरी ने मरे घबराहट के मुझे जोर से पकड़ लिया. मैंने उसके जननांग के दरवाजे को अपने लिंग से खोल दिया. उसकी आह और चीख एक साथ निकली.लेकिन अगले दो मिनट के बाद वो पूरी तरह से सामने होकर मुझसे अपनी प्यास बुझवा रही थी. हरप्रीत बहुत गौर से यह सब देख रही थी क्यूंकि अगला नंबर उसका था. उसके साधना को पकड़ रखा था और बार बार उससे चिपट रही थी. जब मैरी ने और आगे करवाने में अपनी मजबूरी जताई तो मैंने उसे छोड़ दिया. अब मैंने हरप्रीत को ले लिया. हरप्रीत थोड़ी मजबूत निकली. मैरी केवल दस मिनट के बाद ही अपनी हार मान चुकी थी जबकि हरप्रीत ने पूरे आधे घंटे तक अपने जननांग को मेरे लिंग से खूब रगड़वाया और भरपूर मजा लिया. आखिर में साधना ने भी मुझे पकड़ा. अब मेरी हालत थोड़ी पतली हो रही थी. लेकिन साधना की जिद के आगे मैं मजबूर था. साधना आज तीसरी बार मेरे साथ थी,. मैंने रुकते ठहरते साधना के जननांग को पूरे पौने घंटे तक रगड़ कर और अन्दर बाहर करकर पूरी तरह से लाल कर दिया.
जब तीनों रवाना होने लगी तो साधना ने फोर वे किस करने को कहा. हम सभी ने इस किस को जबरदस्त मजे से किया.
अब जब भी समय और मौका मिलाता है ये तीनो एक साथ ही मुझसे इस ट्यूशन के लिए आ जाती है और घंटों तक रुककर अपनी और मेरी सारी प्यास बुझा जाती है. आप भी ऐसी ट्यूशन करिए खूब मजा आयेगा.



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Fentency मेरी साली मीना

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Fentency ससुर फौज में दामाद

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ससुर फौज में दामाद

मैं 30 साल का एक युवक हूँ। मैं दिल्ली में रहता हूँ। अभी 6 महीने पहले ही मेरी शादी एक मासूम लड़की अंजलि के साथ हुई। उसकी उम्र लगभग 21 साल है।
मैं अपनी बीवी को रोज़ पेलता हूँ। शादी के समय ही जब मैंने अपनी सास को देखा था तभी से मेरे मुँह और लौड़े से लार टपक रही थी। मैं अपनी सास के बारे में थोड़ा बता देता हूँ, वो लगभग 40-41 साल की है, उसका फिगर 36-30-38 होगा, गोरी-चिट्टी 5’4″ की मस्त माल है। उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी-बड़ी हैं, ऐसा लगता है ब्लाउज फाड़ कर अब निकले कि तब!
शादी के दिन से ही मैं उसको चोदने का प्लान बनाने लगा। मेरी बीवी अपने बैंक की ट्रेनिंग के 2 लिए हफ्तों के चंडीगढ़ जा रही थी। मैंने सोचा यही मौका है, अपनी सास को चोदने का!
मैंने अपनी बीवी को बोला- जब तुम चली जाओगी, तो घर का ख्याल कौन रखेगा! बेहतर होगा कि सास माँ अगर आ जाए..!
इस बात पर मेरी बीवी और सास दोनों राजी हो गईं। मेरे ससुर फ़ौज में हैं, सो कभी-कभी ही घर आते हैं।
जल्द ही मेरी सास दो हफ्तों के लिए मेरे पास आ गईं।
नियत दिन पर मेरी बीवी चंडीगढ़ भी चली गई। रात हुई तो मेरा पप्पू चड्डी में फुंफकारने लगा।
मैंने अपने सास से कहा- आज बाहर खाना खाते हैं।
वो राजी हो गईं और तुरंत कपड़े बदल कर आ गईं। चुस्त साड़ी-ब्लाउज में मेरी सास किसी 20-22 साल की माल से कम नहीं लग रही थीं। मन तो हुआ कि खाना पीना गया भाड़ में, ससुरी को अभी ही पेल दूँ..!
मैंने खुद को बड़ी मुश्किल से कण्ट्रोल किया। एक अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खिलाया और फिर हम लोग घर आ गए।
घर आने के बाद मैंने अपने लिए एक ड्रिंक बनाया और हल्के मन से सास से पूछा- क्या आप भी एक ड्रिंक लेंगी?
उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया। मुझे अब अपना रास्ता खुलता दिखा।
उसने बताया- जब भी आपके ससुर छुट्टियों में घर आते हैं, तो हम दोनों साथ में बैठ कर पीते हैं।
मैंने सास को 3 लार्ज पैग पिलाए और खुद दो पिए। दोनों ने साथ में सुट्टे भी लगाए।
गर्मी का मौसम था, सास को गर्मी लगने लगी, वो बाथरूम में जाकर कपड़े बदल कर आई।
बाथरूम से जब वो निकली, तो मैं देखता ही रह गया। उजले रंग की मैक्सी से उसके काले ब्रा और चड्डी साफ़-साफ़ दिख रही थी।
फिर हम दोनों कुछ बातें करने लगे, धीरे-धीरे मैं आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था।
पहले मैंने उसके गोद में अपना सर रख दिया।
उसने मेरे बालों में अपना ऊँगलियाँ फेरने लगी, मानो ससुरी मेरी प्रेमिका हो।
मैं भी उसकी गांड सहलाने लगा। ससुरी को गांड सहलवाने में बड़ा मज़ा आ रहा था। मेरा नाग चड्डी में फुंफकारने लगा था।
वो ससुरी भी गर्म हो गई थी। साली इतनी गरम हो गई थी कि मेरी बनियान भी फाड़ दी और मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैं भी गर्म हो गया, मैं भी उसकी मैक्सी उतार कर उसे चूमने लगा था।
मैंने उसके पैर से शुरुआत की। जब उसके चूत तक पहुँचा तो वो सीत्कार करने लगी।
मैं और भी गर्म हो गया, मैंने उसकी पैन्टी और ब्रा उतार दी। वो इतनी ज़ोर से सीत्कार करने लगी, मुझे रॉक म्यूजिक ऑन करना पड़ा। फिर मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया।
दो मिनट में ही ससुरी ने दांत से काटना शुरू कर दिया और चिल्लाने लगी- चोद डालो दामाद जी प्लीज.. चोदो!
मैंने अपना लंड उसके चूत में मुहाने पर रखा और एक ही धक्के में पूरा अन्दर कर दिया।
‘आआआह..ओह आआह ओ मेरी..मा आआह कॉम ऑन दामाद जी जोर से… आअह और तेज आआह..!’
वो बहुत जोर से चिल्ला रही थी। फिर मैंने राजधानी की स्पीड में चोदना शुरू कर दिया। वो चिल्ला-चिल्ला के मुझे गर्म कर रही थी।
लगभग 5 मिनट चोदने के बाद वो झड़ गई और उसके दो मिनट में मैं भी झड़ गया।
फिर मैंने एक-एक पैग और बनाया और सुट्टा लगाया और कुछ उत्तेज़क वीडियो क्लिप्स दिखाईं।
फिर एक और चुदाई के लिए उसको तैयार किया।
इस बार वो मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
जब मेरा लंड लोहे जैसा हो गया तो उसने अपनी चूत में डाल लिया और खुद ही ऊपर-नीचे होने लगी।
उसकी चूचियाँ पपीते की तरह झूल रही थीं, मैं उसके पपीतों को खूब दबा रहा था।
इस बार मैं दस मिनट के बाद झड़ा, फिर हमने 1-1 पैग और लगाए और सो गए।
उस रात के बाद मेरी तो जैसे लाटरी ही लग गई। रोज़ सुबह उठ कर एक बार चोदता था और रात में एक बार।
इस तरह दो हफ्ते कब गुज़र गए, पता ही नहीं चला।
आज भी मैं ससुराल जाता हूँ, तो मौका निकाल कर सासू को जरूर चोदता हूँ।








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Fentency थैंक्स दीपा दीदी

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थैंक्स दीपा दीदी
 मेरा नाम कमल है, मैं जालंधर में रहता हूँ, उम्र 40 साल की है।
पिछले साल मार्च की बात है, मैं शाम को घर में अकेला था, पत्नी बच्चों के साथ मायके गई हुई थी।
मैं टाइम पास करने के लिए टीवी देख रहा था। टीवी पर एक फिल्म के सेक्सी सीन देखकर मेरी अन्तर्वासना जाग उठी लेकिन चुदाई के लिए किसी फुद्दी की ज़रूरत थी।
बहुत सोचा लेकिन बात बनी नहीं, फिर मैंने अपने दोस्त संजय का नंबर लगाया जो एक नंबर का चोदू था।
मैंने सोचा कि उसको बोलता हूँ किसी फुद्दी का इंतजाम कर दे लेकिन संजय का मोबाइल स्विच ऑफ आया।
फिर मुझे याद आया कि दीपा को फ़ोन लगाया जाये जो मेरे दोस्त राजन की फ्रेंड है।
दीपा को मैंने बहन बनाया हुआ था, 35 साल की दीपा विवाहित थी और उसके पति अमृतसर नौकरी करते थे।
फ़ोन मिलकर मैं बोला- हेलो दीपा दीदी, कैसी हो?
दीपा- ठीक हूँ कमल, तुम सुनाओ।
- ठीक हूँ, दीपा यार, एक बात करनी थी।
- बताओ कमल।
- यार अकेला हूँ आज घर में !
- तो?
- मेरी एक हेल्प कर दो ना !
- बताओ… अगर कर सकी तो ज़रूर करुँगी।
- मेरी भी कहीं फ्रेंडशिप करवा दो।
- किसके साथ करवाऊँ?
- कोई अपने जैसी देखो ना !
- अरे कमल तुम्हें क्या हो गया, तुम तो शरीफ आदमी हो।
- दीपा मेरा भी दिल करता है कि जैसे तुम और राजन मिलते हो, मैं भी किसी से मिलूँ…
- ओह, तो ऐसी बात है, सोचती हूँ, भाई बनाया है तुम्हें तो कुछ करना पड़ेगा।
- ओके थैंक्स, जल्दी सोचो कुछ प्लीज !
- ओके कमल, थोड़ा टाइम दो।
- ओके दीपा बाय।
इतनी बात करके मैं ख्यालों में खो गया और नेट पर ब्लू फिल्म देखते हुए मुठ मारकर सो गया।
थोड़ी ही देर में दीपा का फ़ोन आया- हेलो कमल, एक नंबर नोट करो।
- किसका है?
- शिवानी का, मेरी फ्रेंड है, बड़ी मुश्किल से मनाया है तुम्हारे साथ बात करने को, अभी अच्छे तरीके से बात करना, गलत बात न करना कोई, धीरे धीरे लाइन पे आ जाएगी।
- ओके दीपा, इस बात की चिंता मत करो, मैं खुद हैंडल कर लूँगा, कहाँ की है? उम्र कितनी है?
- तुम फ़ोन करके खुद पूछ लो, बस यही कहना दीपा ने नम्बर दिया था।
- ओके बाय दीपा, अभी करता हूँ।
- बाय कमल, बेस्ट ऑफ़ लक।
मैंने तुरंत इसके बाद दीपा का बताया नम्बर मिलाया तो आगे से एक प्यारी सी आवाज़ आई- हेलो, कौन?
- मैं कमल, दीपा ने आपका नम्बर दिया था।
- ओह, ओके हाँ जी, कहिये कमल जी।
- शिवानी जी, दीपा ने आपको बताया होगा मेरे बारे, क्या हम दोस्त बन सकते हैं?
- हाँ बताया था, आप अपने बारे बताओ पहले सब कुछ।
मैंने शिवानी को अपना परिचय दिया और फिर उसने बताया कि उसकी उम्र 32 साल है और पति की हिमाचल में फैक्ट्री है, वो ज्यादा बाहर ही रहते हैं, उनके 2 बेटे शिमला हॉस्टल में पढ़ते हैं, वो भी एक अच्छा दोस्त चाहती है।
मुझे लगा बात जम जाएगी शिवानी से मेरी करीब 10 मिनट बात हुई, इसके बाद मैंने बढ़िया से मैसेज करने शुरू कर दिए और उसके भी आने लगे।
काफी देर तक हम एक दूसरे को दोस्ती के मैसेज भेजते रहे।
रात को खाना खाकर जब 10 बजे मैं सोने लगा तो मैंने शिवानी को गुड नाईट का मैसेज भेजा तो जवाब आया- इतनी जल्दी गुड नाईट?
मैंने जवाब दिया- आपको नींद आ रही होगी… इसलिए।
तो जवाब आया कि वो तो बेड पे लेटी है, नींद नहीं आ रही।
वो चेटिंग के मूड में थी।
मैंने मेसेज भेजा- एक बात पूछूं, अगर माईंड न करो तो?
जवाब आया- आस्क…
- आपका फिगर कितना है?
- 38-32-38
- आपका फिगर तो बहुत सेक्सी है।
- थैंक्स।
- अभी अपने क्या पहना हुआ है?
- ट्रैक सूट।
- कौन से कलर का?
- पिंक।
- और वो किस कलर के?
- वो क्या?
- वो ही 36 नंबर वाला।
- बहुत फ़ास्ट हो आप।
- ज्यादा नहीं, थोड़ा सा।
- ओके, वो भी पिंक…
- दोनों?
- यस।
- रात को आप ब्रा उतार के नहीं सोती?
- नहीं, आदत है पहन के सोने की।
- आप शेव करती को नीचे?
- हाँ जी, सफाई तो रखनी चाहिए अपनी, ऐसा क्यों पूछा, आप नहीं करते?
- मै भी करता हूँ, असल में मुझे वहाँ पे सकिंग करनी बहुत पसंद है, इसलिए पूछा।
- ओह्ह, सच में? मुझे भी करवानी बहुत पसंद है।
इसके बाद रात 12 बजे तक तो मैसेज चलते रहे और बाद में शिवानी ने खुद कॉल कर दी, उसकी आवाज़ बेहद मादक थी।
मैंने फ़ोन पर ही उसकी चुदाई कर दी और उसकी सीत्कारें मुझे मदहोश करती रही।
झड़ने के बाद उसने मिलने का वादा किया और हम 2 दिन बाद दीपा दीदी के घर में मिले।
ग़ज़ब की सेक्सी थी शिवानी।
मैंने जी भर के उसकी फुद्दी चुसी।
फुद्दी चुसवाते हुए ही शिवानी झड़ गई।
काफी देर उसने मेरा लंड आइसक्रीम लगा के चूसा।
बाद में मैंने उसको एक घंटा अलग अलग पोज में चोदा।
हम हर महीने दो बार दीपा दीदी के घर मिलते हैं जब दीदी के पति बाहर होते हैं।
पहली बार शिवानी को चोदने के बाद दीपा दीदी बोली- खुश हो कमल?
- बहुत खुश दीदी, थैंक्स।
- ऐसे थंक्स नहीं, मुझे कोई गिफ्ट तो दो भैया !
- ज़रूर।
और मैंने दीपा दीदी को एक बढ़िया मोबाइल सेट और शिवानी को बढ़िया सूट लेकर दिया, शिवानी ने भी मुझे एक जीन्स गिफ्ट की।
अब जब भी दीपा दीदी मिलती है तो मैं कहना नहीं भूलता- थैंक्स दीपा दीदी !








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Saturday, October 4, 2014

Fentency कन्फेशन

Fentency

कन्फेशन

हेलो जान…
मेरा नया ऑडियो कन्फेशन सुनने के लिए थैंक्स, यह कन्फेशन है एक जर्नी की फ्रॉम मुंबई तो शिमला… सो एंजाय!
हम सब मॉडेल्स शिमला एक बस में जा रहे थे, विंटर कलेक्शन शो के लिए।
बस में मॉडेल्स के अलावा हमारा को-ओर्डीनेटर और कुछ क्र्यू मेंबर्ज़ थे। मेरे साइड में मेरा फोटोग्राफर दोस्त करन बैठा था और हम जर्नी के दौरान काफ़ी घुल मिल गये।
करन के साथ मैंने कई सेक्सी फोटो शूट्स किए हैं और उसने मुझे सिर्फ़ ब्रा-पैंटी में कई बार देखा है।
पहले तो मैं सोचती थी कि उसके लिए यह सब नॉर्मल है, लेकिन कुछ रीसेंट फोटोशूटस में मुझे एहसास होने लगा था कि वो मेरी तरफ़ अट्रॅक्टेड है।
यह बात सोचकर मेरे चेहरे पर एक स्माइल आई क्यूंकि करन मुझे भी थोड़ा पसंद है।
रात काफ़ी हो चुकी थी और एक क्र्यू मेंबर ब्लैंकेट्स बाँट रहा था। करन ने हमारे लिए एक ब्लैंकेट ले लिया और दोनों के ऊपर फ़ैला दिया।
मुझे नींद कब आई, पता नहीं चला लेकिन देर रात को किसी डिस्टर्बेन्स से मेरी आँख खुली और मैंने अपना सिर करन के शोल्डर पर पाया।
उसकी हॉट सांसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थी और मैंने अपना सिर टिल्ट करके उसकी ओर किया तो उसके खुले लिप्स से हॉट ब्रेथ मेरे लिप्स पर पड़ने लगी।
उसके लिप्स मेरे लिप्स से कुछ ही इंच दूर थे और मेरा मन तो बहुत ललचाया लेकिन मैंने उसे किस नहीं किया और उसी एंगल पर अपना सिर रख कर उसके ब्रेथ को मेरे लिप्स पर एंजाय करने लगी।
मेरी आँखें बन्द थी लेकिन मैं पूरी तरह सोई नहीं थी।
इतने में मैंने करन को हिलते हुए फील किया और पता चला कि वो जाग चुका था। वो शायद मुझे ही देख रहा था और मेरा चेहरा ऐसे एंगल पर था कि मानो मैं उसे किस करना चाहती थी।
करन के हाथ हौले हौले उठे और उसने अपने राइट हैंड से मेरे चेहरे पर से मेरी जुल्फ़ें हटाई और मेरे चेहरे को देखने लगा।
वह ऐसे ही मुझे देखता रहा और मेरे चेहरे को सहलाता रहा।
फिर उसने थोड़ी हिम्मत दिखाई और अपने थंब फिंगर से मेरे बॉटम लीप को रब किया।
मेरा दिल ज़ोर से धड़क रहा था, अंदर एक आग थी… जो मुझे करन को किस करने को कह रही थी। मैंने अपने आप को कंट्रोल किया पर उसे भी नहीं रोका।
मैं बस जाहिर करती रही कि मैं सो रही थी।
करन ने कुछ देर तक मेरा लिप रब किया और उसी थंब को अपने लिप्स पर रख कर किस कर रहा था।
कुछ देर में मेरी पूरी लिपस्टिक खा चुका था वो…
करन अब शान्त हो गया था और कुछ कर नहीं रहा था।
मैंने सोचा प्रोग्राम ख़त्म, लेकिन इसके पहले मैं रियल में सो जाती, करन ने अपना नेक्स्ट मूव किया, उसने एक हाथ से मेरी ठोडी को जेंट्ली पकड़ा और ठीक अपनी ठोडी के करीब लाया जिससे हमारे लिप्स में ऑलमोस्ट कोई दूरी ही नहीं बची… दो या तीन सेंटीमीटर बस!
ऐसा करने के बाद वो थोड़ी देर के लिए शांत हो गया। शायद वो एन्श्योर करना चाहता था कि मैं सोती रहूँ।
फिर, समय बीतने पर उसने अपना सिर थोड़ा झुकाया और मौके का फ़ायदा उठाकर उसने मुझे किस किया।
करन झट से मुझसे दूर हो गया, शायद वो डर गया था कि मैं जाग गई हूँ, वो वहाँ वैसे ही रहा और थोड़ी देर बाद फिर उसने सेट्टिंग करके मुझे किस किया।
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इस बार उसका किस दो या तीन सेकेंड्स का था और मैं भी इतनी एक्साइटेड थी कि ऑलमोस्ट उसे किस-बैक कर दिया।
फिर करन के लिप्स मेरे लिप्स पर से हटे और थोड़ा और इंतज़ार करने के बाद मेरे लिप्स के करीब आया।
इस बार मैंने अपने लिप्स थोड़े लूस छोड़ रखे थे जिस वजह से हमारा किस और भी सेक्सी हुआ और जब हमारे लिप्स अलग हुए तो एक छोटी सी आवाज़ आई।
करन फिर डर गया और उसने करीब 15 मिनट्स तक मुझे किस नहीं किया। फिर उसने अपना एक हाथ मेरे सिर के पीछे, मेरे शोल्डर्स पर रखा और मैं लिटरली उसके बाहों में थी।
अब वो और ज़्यादा कंफर्ट से मुझे किस कर सकता था।
इसका अंजाम यह हुआ कि करीब एक घंटे तक वो मुझे हल्के चुम्बन देता रहा और मैं यही नाटक करती रही कि मैं सो रही थी।
अगली सुबह जब हम उठे तो करन थोड़ी हेसिटेशन से बात कर रहा था, पर जब मैं उससे नॉर्मली बात करने लगी तो वो समझ गया कि मैं रात को हुई किसिंग के बारे में कुछ नहीं जानती थी।
इस तरह मैंने एक नाइट एंजाय की लेकिन अगली बार मैं उसके साथ बस में नहीं बैठी।
कारण के साथ थ्रिल और एंजाय्मेंट था… लेकिन मैं नहीं चाहती थी कि मैं हर एक हैंडसम लड़के के साथ रिलेशनशिप बनाऊँ।
मुझे अपने करियर पर कन्संट्रेट करना था।
मेरे अगले कन्फेशन का इंतज़ार करना जान, गुड बाय…







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Fentency ज़हीर की चुदाई

Fentency


 ज़हीर की चुदाई
प्रेषक : जहीर
हैल्लो दोस्तों मेरा नाम ज़हीर है और मेरी उम्र 26 साल है। में अकेला बड़े आलीशान फ्लेट मे रहता हूँ। मेरे फादर का अच्छा बिजनेस था। में जब कॉलेज मे था तब में पार्ट टाईम ऑफिस जाता था। इसलिए कि सम्भालने मे कोई प्राब्लम नहीं आये। मेरे रिश्तेदार मुझे शादी करने की बात कहते थे लेकिन मुझे इतनी जल्दी शादी नहीं करनी थी लेकिन मेरे अंदर जवानी का पूरा जोश था और पैसे की कोई कमी नहीं थी। मे काफ़ी गुड लुकिंग और मेरे अमिर होने से लड़कियां हमेशा मेरे पास आसानी से आ जाती थी। मेरी कई गर्लफ्रेंड्स थी और में सब को पटा कर उनकी चुदाई करता था और कभी कभी कॉल गर्ल्स के पास भी जाता था।
मे चुदाई का बहुत मज़ा लेता था। मुझे चुदाई करने का बहुत शौक था और ऐसे ही करीब दो पांच साल बीत गये। एक दिन में लिफ्ट मे घर जा रहा था। तब मुझे एक बहुत चिकनी लड़की दिखी वो मेरे साथ लिफ्ट मे थी। मे उसे देखते ही पागल हुआ ऐसी ब्यूटीफुल लड़की आज तक मैने नहीं देखी थी, वो एक फ्लोर नीचे उतर गयी।
अगली सुबह मैने बिल्डिंग की जिम पर वापस उसे देखा। में जब ऑफीस जाने को निकला वापस वो मेरे साथ लिफ्ट मे थी, पता चला वो मेरी बिल्डिंग मे नयी रहने आयी है। रोज़ मिलते थे हम एक दूसरे को स्माइल देते थे और सिर्फ़ हैल्लो ही कहते थे। कुछ दिनों के बाद हम थोड़ी बाते करने लगे वो अपने फादर के साथ रहती थी और उसकी मदर शांत हो चुकी थी। में उसके फादर को भी कई बार मिला हम काफ़ी फ्रेंड्ली हो गये। मे तो उसके प्यार मे पड़ गया था और हर समय बस यही सोचता था की में कैसे उसे पटाऊँ।
उसका नाम नेहा उम्र 19 साल थी। में हर रात बिस्तर पर यही सोचता काश वो मेरे साथ मेरी बाँहों मे हो और मे उसकी चुदाई करता उसे चोदने की तड़प आती थी। एक दिन वो कॉलेज जाने निकली लेकिन उसका ड्राइवर नहीं आया था तो मैने कहा अंकल को मे उसको कॉलेज छोड़ दूँ तो अंकल बोले ठीक है मे ऑफीस कार मे चला जाता हूँ तुम नेहा को छोड़ दो, इसका कॉलेज तुम्हारे रास्ते मे ही तो है।
मैने कहा उसको प्राब्लम नहीं है तो मे रोज़ उसे छोड़ दूँगा। अंकल ने मुझे हाँ कर दी। अब तो मेरे नसीब खुल गये। उस दिन के बाद हम रोज़ साथ जाने लगे, तभी मैने नोटीस किया कि वो मुझे कुछ अज़ीब नज़र से देखती है। एक दिन वो अपना मोबाइल कार में ही भूल गयी उसमे मैने एक मैसेज पढ़ा। तेरा बॉयफ्रेंड बहुत चिकना है क्या तुम भी उसको चाहती हो उसका जवाब था हाँ वो बहुत सुंदर है और मुझे वो पसंद है लेकिन वो मेरा पड़ोसी है हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं है। अब तो मेरा उसे पटाना ओर भी आसान हो गया था। तीन चार दिन के बाद सुबह के समय में जिम गया। वहाँ पर आज हमारा ट्रेनर नहीं आने वाला था और हम दोनो ही थे। तो मैने उससे कहा नेहा में एक बात बोलू? तुम बहुत सुंदर दिखती हो अगर एक दिन भी तुम्हे ना देखूं तो मेरा दिल नाराज़ होता है। तुम बताओ कि मुझे ऐसा क्यों होता है क्या तुम्हे भी ऐसा होता है?
नेहा कुछ नहीं बोली बस चुपचाप मुझे सुन रही थी और में बोला नेहा तू मेरे दिल मे बस गई है। में तुझसे प्यार करने लगा हूँ। अब चाहे तो मुझे अपने दिल में बसा ले मैने उसको बाँहों में लिया और कहा नेहा बताना क्या तू भी मुझसे प्यार करती है? फिर बिना बोले ही उसने जवाब के रूप मे मेरे सर पर अपने हाथ से मेरे बालो पर अपनी उँगलियाँ फेर दी।
में खुश हो गया और बिना रुके मैने उसे किस करते हुए उसके बाल पर हाथ फेरा और दोबारा में शुरू हो गया लिप किस करने में और वो साथ देने लगी। नेहा को भी मेरी बाँहों में रहना अच्छा लगता था। पहले पहले जब मे उससे चूमता था तो वो शरमाती थी लेकिन अब उसे भी मेरा चूमना अच्छा लगने लगा था। नेहा को चूमते चूमते मे कभी कभी उसके सीने पर हाथ घुमाके उसकी बूब्स भी सहलाने लगा था। जब मे उसके पीछे खड़ा रहके उसके बूब्स सहलाता था तो उसे मेरे उठे हुए लंड का आहसास अपनी गांड पर होता था।
उसे ये सब करना अच्छा लगता था। अब जब हम दोनो अकेले मिलते तो में उसके बूब्स को दबाता ओर सहलाता एक बार मैने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए, उस वक़्त उसे घबराहट हुई। मैने उसके बदन को सहलाते हुए उसको अपनी बीवी बनाने की बात की। मेरी जान मुझे करने दे में तेरा जो होने वाला पति हूँ और मैने उसके बूब्स को मुहं मे लेकर चूसा, वो बोली आप क्या कर रहे हो। मैने कहा डार्लिंग ये तो दुनिया का सिलसिला है। मर्द अपनी बीबी के चूसते है तेरे बूब्स बहुत मस्त है। नेहा शरमाई मेरी। मैने कहा जान मत शरमाओ कुछ टाइम बाद हम घर गये। रात को उसके पापा का फोन आया और कहने लगे ज़हीर मे कल सुबह दो दिन के लिए आउट ऑफ स्टेशन जा रहा हूँ। प्लीज़ नेहा अकेली है तुम कुछ समय के लिये देख लेना वैसे उसकी कुछ फ्रेंड्स आ रही है लेकिन फिर भी तुम मेरे यहाँ नहीं होने पर उसे देख लेना। आज मेरे नसीब खुल गये, वो शनिवार था। में सुबह जिम गया तो वो वहाँ पर नहीं आई थी। करीब 10 बजे उसके पापा का फोन आया और मेरा हाफ डे था। लेकिन मैने पूरे दिन की छुट्टी ले ली मैने नीचे जाकर उसके घर की बेल बजाई। मैने सिर्फ़ शोर्ट टी-शर्ट और पेंट पहनी थी गर्मी के समय में यही ही पहनता हूँ। और रात को सिर्फ़ लूँगी आज मैने सोचा नेहा की चुदाई कर डालूं। उसने दरवाजा खोला और बाथरूम में चली गई और बाहर निकली पतला सा गाउन पहन कर पूरे बाल गीले वो बहुत सेक्सी लग रही थी। सच में उसके वो खुले बाल उसका वो गाउन जिसमे वो ऊपर से नीचे तक पूरी नंगी दिखाई दे रही थी। में बस उसकी ब्रा और पेंटी को ही देख रहा था, उसमें उसके बड़े बड़े बूब्स साफ दिख रहे थे। मैने सोचा आज दिन भर उसे बाँहों में लेकर पड़ा रहूँ । मैने कहा तू तो राईट साईड से नेहा आज तो खूबसूरत दिख रही है। यह गीले खुले बाल पूरा भीगा बदन और यह गुलाबी पेंटी। नेहा बोली क्या आज ऑफीस नहीं है। में बोला हाँ हे लेकिन हाफ डे है सोचा ऐसा मौका कब मिले तू जाने कब घर पर अकेली होगी दिल करता है तुझसे प्यारी प्यारी बाते करूं। वैसे मुझे भी कुछ ज़्यादा काम नहीं था सोचा आज का दिन में तेरे साथ गुजार लूँ इसलिये ऑफिस नहीं गया।
अगर तुझे मेरा साथ नहीं चाहिए तो में चला जाता हूँ। तभी वो बोली नाराज़ क्यों होते हो मुझे तो आज बहुत खुशी हुई कि तुम घर पर आए हो। आओ चलो में तुम्हारे लिये कॉफी बनाती हूँ और हम दोनो मिलकर पीते है। अब वो तैयार थी। में किचन में गया उसके पीछे और वो कॉफी बना रही थी। मैने उसको पीछे से देखा उसकी ब्रा पेंटी से पूरा का पूरा शरीर दिख रहा था उसके गाउन से उसे देख कर अब मेरी हालत बहुत खराब थी, अब तो मेरा लंड उठने लगा था।
में कुछ समय बाद वहाँ से बाहर आ गया और वो कॉफी बना कर दो कप मे लाई थी। मैंने कहा हम एक ही कप से पीयेंगे। हमने एक ही कप से एक दूसरे की झूठी कॉफी पी ली, मैने कहा मेरी जान अगर तू मुझसे सच्चा प्यार करती है तो मेरी एक बात मानेगी ? मुझे आज तुमसे कुछ चाहिए तो वो बोली तुझे जो माँगना है माँग ले सिर्फ़ इतना ख्याल रख की ऐसा कुछ माँग जो में तुझे दे सकूँ, तो वो बोल तुझे क्या चाहिए मुझसे?
वो आज पूरी तरह से फसं गई थी। मैने कहा नेहा आज तू बड़ी सेक्सी लग रही है। यह भीगा बदन, खुले बाल और यह गुलाबी पेंटी तुझे और सेक्सी बनाती है। मैने आज तक तेरा कपड़ो से ढका बदन देखा है। लेकिन आज मुझे तेरे नंगे बदन का दीदार करना है। आज घर पर कोई भी नहीं है तो आज मौका भी है। नेहा ने आँखे झुका ली और बोली ज़हीर कैसी बाते करता है तू।
मुझे तेरे सामने कपड़े उतारने में कितनी शर्म महसूस होगी। जाओ हटो में ऐसा नहीं करूँगी। मैने उसको छू कर कहा नेहा मेरी जान हम तो शादी करने वाले है। और तुझे हर रोज़ मेरे सामने नंगा होना है। ये तो दुनिया का सिलसिला है प्लीज़ मेरी यह इच्छा पूरी करो नेहा। तभी नेहा शरमा गयी और बोली ज़हीर मुझे शर्म आती है और डर भी लगता है कही में नंगी हुई तो तुम कुछ कर डालोगे। मैने कहा नेहा, तू डर मत में हूँ ना।
कुछ नहीं होगा और में तुझसे प्यार करता हूँ और तुझसे ही शादी करूँगा लेकिन आज मुझे तेरा नंगा बदन देखना ही है। बोल खोल दूँ तेरे गाउन के बटन और ऊतार डालूं तेरा गाउन लेकिन वो मेरी आँखों में ही देखती रही और नेहा बोली लेकिन ज़हीर तू मेरे पापा को नहीं जानता वो बहुत ही खतरनाक है। तो कैसे होगी हमारी शादी? नेहा के गाउन का एक बटन खोलते हुए मैने कहा तो क्या हुआ नेहा में तुझे भगा कर ले जाऊंगा और मैने नेहा के गाउन के सारे बटन खोल दिये नेहा ने मना नहीं किया नेहा की चूचियाँ एक दम टाइट थी और उनके निप्पल पिंक कलर के थे और मैने अपने हाथ उसकी चूचियां पर रख कर कहा ओह नेहा तेरी चूचियाँ कितनी मस्त है, अगर तेरी चूचियाँ इतनी मस्त है तो तेरा बाकी का बदन कैसा होगा? नेहा ने अपनी आँखे बंद कर ली थी मैने उसका गाउन पूरा निकाल दिया था।
अब नेहा सिर्फ़ पेंटी में थी। मैने उसको गोद में उठाया और उठा कर बेडरूम मे ले गया और बेड पर सुलाया। अब तक नेहा की आँखे बंद थी। फिर मे भी खुद उसके साइड में लेट गया और नेहा का चेहरा चूमने लगा। नेहा का माथा आँखे गाल चूमते चूमते उसके होंठ चूमने लगा।
आज अब हम दोनो एक दूसरे की बाँहों में थे। अब मे थोड़ा नीचे सरका और नेहा की एक चूची को मुहं में लिया दूसरी को हल्के मसलने लगा। नेहा के लिए यह सब अजीब था। उसके बदन में जैसे ज्वाला भड़कने लगी। अब मैने नेहा के बदन पर आकर उसकी चूचियाँ चूसने और मसलने लगा तो नेहा मदहोश होने लगी और शरमाते हुए कहा तुम मेरे बदन से यह क्या कर रहे हो मेरी जान, तो मैने बोला क्या तुम्हे मज़ा नहीं आ रहा है, में तो मेरी पत्नी के बूब्स चूस रहा हूँ, जो कि हर पति उसकी पत्नी का चूसता है। नेहा तेरा नंगा बदन देखकर मेरा लंड अब काबू में नहीं रहा है। लोग सुहागरात मनाते है तो में तेरी कुवारीं चूत में अपना लंड डाल कर आज सुहागदिन मनाऊंगा। मेरी इतने दिनो की तमन्ना आज पूरी करूँगा और नेहा अगर तुझे जवानी का असली आनन्द चाहिए। तो तू भी दिल और चूत खोलकर मज़ा ले।
नेहा ने मुझे अपने सीने पर दबाया और कहा ज़हीर लेकिन ऐसा करने से बच्चा हुआ तो? मुझे डर लगता है। नेहा की पेंटी उतारते हुए मैने कहा नेहा कुछ नहीं होगा और अगर कुछ हुआ भी तो में तुझसे शादी जो करने वाला हूँ और जैसे ही नेहा नंगी हुई मेरा लंड खड़ा हुआ और में अपने सारे कपड़े उतार कर नेहा के साथ नंगा हो गया और उसके पास खड़ा हुआ और कहा नेहा यह देख अपने पति को नंगा और देख ये लंड… मुझे इसको तेरी चूत में डालना है। और तुझे आज चोदना है। आज तेरी पहली चुदाई करके तुझे मेरी पत्नी बनाऊंगा। लेकिन उसके पहले अपने पति का लंड चूसकर मेरी पत्नी होने का सबूत दे मुझे, मेरा लंड देख कर नेहा शरमा गयी। मैने अपना लंड नेहा के फेस पर घुमाया और उसके होंठो पर रखा। नेहा पहली बार लंड देख रही थी। उसने हिचकिचाते अपने होने वाले पति का लंड मुहं में लिया और चूसने लगी नेहा के मुहं की गर्मी मेरे लंड को महसूस होते ही मेरा लंड और तन गया। अपना लंड नेहा के मुहं में घुसाते हुए और उसकी मस्त चूचियाँ मसलते हुए मैने कहा मेरी जान नेहा मज़ा आ रहा है। ले ओर पूरा का पूरा लंड चूस डाल आज।
तेरे मुहं में मेरे लंड को क्या मस्त गर्मी लगती है और अब ज़िंदगी भर मेरा लंड ऐसे ही चूसते रहना, मेरी जान यह ले अब मेरी गोलीयां भी चूस। लंड मुहं से निकाल कर अब नेहा मेरी गोलीयां चूसने लगी और मे ज़ोर ज़ोर से उसकी चूचियाँ मसल रहा था।
अब मुझे महसूस हुआ कि हम दोनो काफ़ी गरम है। तो मैने अपना लंड नेहा के मुहं से निकाला और नेहा को लिटा कर उसको चोदने को तैयार हुआ। मैंने नेहा की कमर के नीचे दो तकिये रखकर पहले उसकी चूत को चूमा और बाद में अपनी जीभ से उसका रस चाटने लगा। नेहा तो जैसे बिना पानी की मछली की तरह उछल रही थी। फिर मैने उसकी दोनो टाँगे मोड़ कर पेट पर दबाई और अपने गरम लंड का मुहं नेहा की कुवांरी चूत पर रखा और हल्का सा धक्का दिया, तो नेहा को थोड़ा सा दर्द हुआ था।
नेहा की दोनो टाँगे अपने बदन के नीचे लेकर मे दोनो हाथों से उसकी चूचियाँ मसलने लगा और लंड हल्का हल्का अंदर बाहर करके नेहा की टाइट चूत में अपने लंड के लिए जगह बनाने लगा। उसकी चूत बिना चुदी होने की वजह से बहुत टाईट थी। मुझे लंड डालने में बहुत जोर लगाना पड़ा और पहली बार दर्द भी हुआ। नेहा ने मेरा चेहरा छू कर कहा, लंड को आराम से डाल मुझे दर्द हो रहा है। तब मैने कहा नेहा देख दर्द का डर रखेगी तो मजा नहीं ले पाऐगी।
में आज एक ही दिन में तेरा डर खत्म करता हूँ अभी और नेहा को कुछ समझने से पहले मैने अपने होंठ नेहा के होंठों पर रखे और एक ज़ोरदार झटका मारा, नेहा को लगा जैसे कोई चूत को छुरी से फाड़ रहा है। उसकी चूत की सील बुरी तरह से फट गई थी और उसको अपनी चूत से खून बहने का आहसास हो रहा था और उसकी आँखो में आंसू आ रहे थे। उसने दर्द से चिल्लाना चाहा लेकिन मेरे होंठो की वजह से वो नहीं चीख पाई, उसकी चीख मुहं में ही दब गयी थी। वो छटपटाने लगी और मुझे अपने ऊपर से उतारने की कोशिश करने लगी। लेकिन मे कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं था। अपना लंड नेहा की चूत में दबा कर रखा और उसके होंठो को चूमते चूमते उसकी चूचियाँ ज़ोरो से मसलने लगा। थोड़ा टाइम ऐसा करने पर नेहा की चूत का दर्द ज़रा कम हुआ मैने अपना मुहं हटाया।
तब नेहा ने कहा ज़हीर प्लीज़ अपना लंड निकालो मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मेरी जान जा रही है मुझ पर रहम खाओ, अगर अभी मैने नेहा की बात मान ली तो वो फिर कभी चोदने नहीं देगी। उसको यह भी मालूम था कि एक बार चूत का रास्ता साफ हुआ तो फिर वो कभी भी चुदवाने को तैयार रहेगी।
तो फिर नेहा की बात अनसुनी करते हुए आहिस्ता आहिस्ता उसकी चूत चोदने लगा और साथ साथ उसकी चूचियाँ मसलने लगा। ऐसा करते करते कुछ टाईम बाद नेहा का दर्द थोड़ा कम हुआ। तो उसने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया। तो मे समझा की अब नेहा की चूत का रास्ता साफ है। मैने नेहा को फिर से चोदना शुरू किया। नेहा को इतना मज़ा कभी नहीं मिला था। अब वो भी अपनी चूत उठा कर चुदने का मजा ले रही थी।
अपनी चूत चुदवाते हुए उसने कहा ज़हीर और ज़ोर से चोदो मुझे पहले दर्द हुआ था। लेकिन अब चूत में लंड अच्छा लगता है। मेरे पति देव मुझे अगर पता होता की चुदाई में इतना मजा है तो में कभी की तुझसे चुदवा लेती। ज़हीर मुझे बाँहों में ज़ोर से जकड़ कर चोदो, मेरे पतिदेव। नेहा की चूत में लगातार झटके मारते मारते में बोला नेहा मुझे क्या पता था कि तू इतनी जल्दी चुदवाने को तैयार होगी। मुझे तो कई दिनों से तेरी कुवांरी चूत को चोदना था। मेरा लंड तबीयत से चुदाई का आनंद ले रहा है। में नेहा का पूरा बदन अपनी बाँहों में भरकर उसको चोद रहा था।
फिर करीब 15 मिनट तक चोदता रहा। मुझे अहसास हुआ कि मे झड़ने वाला हूँ। तो मैने नेहा की चुदाई और तेज़ कर दी और झटके मारते मारते कहा मेरी जान में झड़ने वाला हूँ। तेरी चूत को चोदकर मुझे झड़ने में बड़ा मजा आएगा और मे उसकी चूत मे ही झड़ गया। दोनो ने एक दूसरे को ज़ोर से पकड़ कर अपनी अपनी वासना शांत की। जब दोनो के बदन का तूफान शांत हुआ तो नेहा को चूमते हुए, मैने बोला कि नेहा आज तेरी चूत चोदकर मैने तुझे मेरी बीवी बनाया है। अब जब तू चाहेगी हम शादी कर लेंगे और फिर में पूरी ज़िंदगी भर तुझे चोदूँगा।
नेहा आज बहुत खुश थी। उसने मुझे प्यार से चूमा ओर में नेहा को अपनी बाँहों मे लेकर पड़ा रहा। नेहा अपने हाथ से मेरे बदन पर सहला रही थी और अपनी उगलियाँ मेरे सर के बालो मे घुसा के बोली, ज़हीर तुम कितने चिकने हो और सेक्सी और तुम्हारे ये बाल तुम्हारे बदन को और सेक्सी बनाते है। ज़हीर मुझे डर लगता है अगर मे प्रेग्नेंट हुई तो मैने कहा तू मत डर कोई बात नहीं कुछ नहीं होगा। अगर कुछ हो गया तो कुछ नहीं हम वैसे भी शादी करने वाले है। फिर मे और नेहा एक दूसरे को बाँहों मे जकड़ कर लेट गये। मैने कहा मेरी जान तुझे और चोदना है। में वापस उसे चोदूं इसके पहले मेरा फोन बज़ा और कुछ अर्जेंट काम के लिए ऑफीस जाना पड़ा, जाते हुए मैने उसे कहा मेरी जान सुहागदिन तो मना लिया। लेकिन अब आज रात को सुहागरात मनाएँगे। तो वो बोली ज़हीर आज रात को मे अपनी दोस्त के घर जाउंगी मैने कहा नहीं तू मेरे घर आएगी और सुहागरात मेरे साथ मनाएगी। तुझे चोद के में अब तेरा पति बन गया हूँ। अब में तुझे जब चाहूँ तब चोद सकता हूँ। तू मुझसे अब मना नहीं कर सकती, अगर आज रात तुम चली गयी तो मुझे भूल जाना, वो बोली ज़हीर नाराज़ मत हो में तुम्हे बहुत चाहती हूँ। तुम जो कहोगे मे करूंगी रात को हम सुहागरात मनाएगे।
रात को हम डिनर लेने बाहर गये और जल्दी लौटे, में उसे कमर से पकड़ कर चूमते हुए घर ले गया। वो बोली ज़हीर तुम्हारा फ्लेट बहुत सुंदर है और इतने बड़े फ्लेट मे तुम सिर्फ़ अकेले, मैने कहा हमारी शादी होगी, फिर हम बच्चे पैदा करेंगे तो फिर ये फ्लेट खाली नहीं लगेगा। में उसे बेडरूम ले गया क्या आलीशान है तुम्हारा बेडरूम मेरी जान, मेरा नहीं आज से हमारा दोनो का है और बेडरूम मे जाते ही अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उसको चूमने लगा चूमते चूमते उसके सारे कपड़े निकाल दिए। फिर उसकी चूचियाँ मसलने लगा, में बोला नेहा डार्लिंग मेरे कपड़े निकालो मेरी शर्ट के बटन खोल कर शर्ट निकालो और फिर पेंट की ज़िप खोलकर उसे भी निकालो फिर अंडरवियर भी निकालो।
तभी वो मुझे होंठो पर चूमने लगी और बोली मे आपके लंड को सहलाऊँ तो मैने कहा जानेमन वो तुम्हारा है और वो लंड को सहलाने लगी। फिर मैने उसे दोनो हाथो से उठाकर बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी चूचियाँ मुहं मे लेकर चूसने लगा, मेरी जान क्या मस्त है ये मुझे बहुत मज़ा आ रहा है मेरी जान जितना चूसना है चूसो वो बोली, फिर मे करीब 10-12 मिनट दोनो चूचियाँ चूसने लगा। वो चिल्लाई ज़हीर दर्द होता है मे अपनी मस्ती मे था हम दोनो 69 पोज़िशन में आए वो मेरा लंड अपने मुहं मे लेकर चूसने लगी।
वो क्या मस्त चूस रही थी। में उसकी चूत चूस रहा था तो वो एक दम गर्म हो गयी थी। उसकी चूत गीली हो रही थी। मैने कहा मेरा लंड निकालो लेकिन उसे बड़ा मज़ा आ रहा था। लेकिन अब मुझे उसको चोदना था। मैने कहा मेरी जान तुझे चोदना है अगर मे झड़ गया तो वापस लंड जल्दी खड़ा नहीं होगा। बोली जान आपका रस पीना है। मैने कहा हाँ में तुझे पिलाऊंगा लेकिन पहले मुझे चोदने दे उसने लंड निकाला फिर मे उसके ऊपर चढ़ गया और एक ही झटके मे अपना लंड उसकी चूत मे डाल दिया अब मेरा रास्ता खुल गया था। नेहा को चूमते चूमते उसे झटके देकर चोदने लगा। नेहा ने मुझे अपने हाथ से जकड़ा लिया था। मेरा लंड उसकी चूत मे घूमकर चुदाई कर रहा था। तभी वो बोली जान जोर से चोदो बहुत मज़ा आ रहा है और जोर से चोदो। में उसे और तेज़ी से चोदने लगा। दोस्तों क्या मज़ा आ रहा था। करीब 20 मिनट तक नेहा को चोदता रहा फिर लंड झड़ने वाला था। मैने लंड को बाहर निकाला और कहा नेहा ये लो मेरा लंड अपने मुहं मे और हम वापस 69 पोज़िशन मे आए जैसे वो चूसने लगी मेरा लंड उसके मुहं मे झड़ गया वो मेरा सारा वीर्य चाट गई।
फिर मे भी उसकी चूत का पानी पी गया। क्या टेस्टी लगा बड़ा टेस्टी है। मैने कहा अब रोज़ तुझे पिलाऊंगा। उसे अपनी बाँहों मे लिया तो वो कहने लगी तुम चूत बहुत अच्छे से चोदते हो, तो मैने बोला हाँ मेंरी जान अब तो हर रोज़ मे तुझे चोदूँगा। अब तो तू मेरी बीवी जो है फिर रात को उसे दो बार और चोदा। अब हमने शादी कर ली और मेंने उसका नाम आयशा रखा है अब में हर रात को आयशा को खूब बिना डर से चोदता हूँ और वो भी चुद्वाती है बिना रुके हर रात ।।
धन्यवाद …


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Fentency दीवाना बना दिया

Fentency
 दीवाना बना दिया
 अपने भाई विक्की से एक बार चुदने के बाद हमारा यह खेल रोजाना चलने लगा, इसी बीच मेरा कॉलेज खत्म हो गया. कॉलेज के फेयरवेल के दिन मैं और वाणी साड़ी पहन कर कॉलेज गए, मुझे विक्की को अपनी कार की चाबी देनी थी इसलिए मैंने विक्की को फोन करके पूछा तो उसने बताया कि वो अपने कॉलेज में है. मैं बताना भूल गई हम दोनों अलग-अलग कॉलेज में पढ़ते थे, माफ कीजियेगा नाम नहीं बता सकती.
जब मैं विक्की को चाबी देने पहुँची तो वो अपने दोस्तों के साथ खड़ा था. मुझे देखते ही उसके दोस्त लार टपकाने लगे और मुझे घूर- घूर कर देखने लगे. चूँकि विक्की वहीं खड़ा था इसलिए किसी की हिम्मत नहीं हुई कि मुझसे कोई बात कर सकें.
कॉलेज खत्म होने के बाद मेरा घर से बाहर निकलना लगभग बंद ही हो गया, मैं बस शॉपिंग करने और किसी जगह घूमने जाना हो तभी बाहर निकलती थी. इसी बीच मेरे लिए एक घर से रिश्ता आया, लड़के का नाम अनिल था, लड़के वाले वैसे तो राजस्थान से थे मगर आजकल दिल्ली में हौजखास एरिया में रहते थे. मैं बता दूँ हौजखास दिल्ली का सबसे पोश इलाका है, लड़के वाले बहुत अमीर थे इसलिए मेरे माता-पिता ने तुरंत हाँ बोल दी.
लड़के वाले बहुत अमीर थे इसलिए मेरे चाचा ने भी वाणी के लिए अनिल के छोटे भाई गौरव का रिश्ता माँगा जिसे लड़के वालों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.
जब मेरे रिश्ते की बात विक्की ने सुनी तो वो आगबबूला हो गया, उस रात जब विक्की मेरे कमरे में आया उसने बहुत शराब पी रखी थी, शराब के नशे में विक्की ने मुझे जमकर चोदा. जब सुबह विक्की होश में आया तो मैंने विक्की से वादा लिया कि आज के बाद हम दोनों एक-दूसरे के साथ सेक्स नहीं करेंगे और ना ही विक्की वाणी को चोदेगा क्यूंकि उसकी भी शादी होने वाली है और वो मेरी होने वाली देवरानी है.
विक्की ने मान लिया और मुझसे वादा किया वो आज के बाद ऐसा नहीं करेगा.
विक्की से वादा लेने की बात मैंने वाणी को बताई तो उसने भी मुझे सराहा और बोली- अच्छा हुआ कि तुमने बात कर ली वर्ना मुझे तो समझ नहीं आ रहा था कि मैं विक्की से कैसे बात करूँगी.
हम दोनों की शादी की बात पक्की हो चुकी थी मगर ना ही अब तक मैंने और ना ही वाणी ने लड़कों की फोटो देखी थी इसलिए मैंने पापा और वाणी से अनिल और गौरव से मिलने की जिद की, जिसे उन्होंने मान लिया.

मैंने अनिल को फोन किया और उसे नेताजी सुभाष प्लेस के मेट्रो स्टेशन पर बुलाया, जब मैं अनिल से मिली तो मैं बहुत खुश हुई क्योंकि अनिल देखने में काफी सुन्दर था और एक बलिष्ठ शरीर का मालिक भी था. मुझे लगा अब मुझे कहीं बाहर मुँह मारने की जरुरत नहीं होगी.
कुछ वक्त साथ बिताने के बाद मैंने अनिल से विदा मांगी तो अनिल बोला- तुम मेरी होने वाली पत्नी हो, तुम बस के धक्के खाओ, अच्छा नहीं लगता!
अनिल ने किसी को फोन मिलाया और थोड़ी ही देर में एस.यू.वी. हमारे सामने थी. मैं और अनिल पीछे बैठ गए और ड्राईवर कार चला रहा था. सबसे पहले अनिल ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, यह मेरे लिए कोई नया नहीं था और मैं जानती थी कि अनिल क्या करना चाहता है मैंने कोई विरोध नहीं किया और धीरे-धीरे मेरे होंठो की तरफ बढ़ा और मेरे होंठों को चूम लिया.
मैंने कोई विरोध नहीं किया, मगर फिर भी अनिल मुझे सॉरी बोलने लगा.
मैंने कहा- कोई बात नहीं! कुछ ही दिनों में हमारी शादी होने वाली है और मैं तुम्हारी होने वाली पत्नी हूँ.
इसके बाद अनिल मेरे टॉप के ऊपर से मेरे बूब्स दबाने लगा तो मैंने तुरंत ही उसे हटा दिया, मैंने सोचा कहीं उसे यह ना लगे कि मैं चरित्रहीन हूँ.
थोड़ी ही देर में मेरा घर आ गया, अनिल शरमा रहा था इसलिए मैं खुद ही उसे गुडबाय किस दे दिया.

उस शाम में ही मैंने अनिल को अपना दीवाना बना दिया था.

शाम को मैंने और वाणी ने अपना अनुभव एक-दूसरे से बांटा, वाणी ने बताया कि गौरव दिखने में अच्छा नहीं है और काफी पतला भी है, वाणी शायद गौरव से खुश नहीं थी लेकिन उसने बताया कि गौरव बिलकुल शर्मीला नहीं है जैसा कि अनिल है.
कुछ ही दिनों में मेरी और वाणी की सगाई थी, घर में सगाई की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही थी. आखिर वो दिन भी आ गया जो हर लड़की कि जिंदगी में जरुरी होता है, सगाई के दिन मैंने पहली बार गौरव को देखा, गौरव सच में पतला था. चूँकि लड़के वाले बहुत अमीर थे इसलिए वो चाहते थे कि शादी का पूरा खर्चा वो करें, उन्हें तो बस लड़की चाहिए थी, इसलिए उनकी तरफ से बहुत सी ज्वैलरी आई उन्होंने एक बहुत महंगी साड़ी
भी मेरे लिए भेजी.
सगाई किसी तरह अच्छे से निपट गई, सगाई की थकावट में पूरा शरीर टूट रहा था इसलिए मैं अपने कमरे मे गई और सिगरेट के कश का आनन्द लेने लगी.
तभी विक्की मेरे कमरे में आया और कमरे में घुसते ही दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और मुझसे बोला- कम से कम दरवाजा तो बंद कर लेती!
मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और सिगरेट का आनन्द लेती रही, कब विक्की ने मेरे पीछे आकर मेरी कमर में अपने हाथ डाल दिए मुझे पता नहीं लगा. विक्की ने थोड़ी पी रखी थी, मैंने उसे पीछे धकेला और कहा- तुमने वादा किया था कि हम सिर्फ भाई-बहन की तरह रहेंगे ना कि पति-पत्नी की तरह.
तभी बाहर से दरवाजा बजा, मैंने तुरंत सिगरेट बाहर फेंक दी.
बाहर अनिल खड़ा था, जैसे ही अनिल अंदर घुसा तो उसने विक्की से कहा- सिगरेट पीना अच्छी बात नहीं है.
विक्की कुछ नहीं बोला और अपनी गर्दन नीचे कर ली. मैं समझ गई कि अनिल बहुत शरीफ लड़का है, मैंने निश्चय कर लिया कि मैं उसके लायक बनने की कोशिश करुँगी. अनिल और उसके घरवाले सब काम निबटने के बाद वहाँ से चले गए.
अगले ही दिन विक्की पापा से कहीं घूमने जाने के लिए अनुमति मांग रहा था, मैं भी सगाई के कारण काफी थक गई और मैं भी कहीं घूमने जाना चाहती थी. मगर विक्की अपने दोस्तों के साथ जा रहा था तो मैंने सोचा मैं तो वहाँ बोर हो जाऊँगी इसलिए मैंने विक्की से नहीं पूछा.
मगर कुछ देर बाद विक्की खुद ही मुझसे पूछने मेरे कमरे में आया तो मेरे मन में भी लालसा जाग गई और मैंने हाँ बोल दिया.
पापा तो वैसे भी मेरे हाथों की चाभी बन चुके थे तो उन्होंने निस्सकोच हाँ कह दिया.
अगले दिन सुबह ही उन लोगों का घूमने जाने का प्लान था, मैंने उनसे यह तक नहीं पूछा था कि वे लोग घूमने कहाँ जा रहे हैं. सुबह-सुबह दो कारें हमारें घर के सामने रुकी, उसमें से विक्की के 8 दोस्त बाहर आये. मैंने उन लोगों को देख पूछा कि तुम्हारे ग्रुप की कोई लड़की नहीं जा रही?
तो विक्की बोला- हम तो लड़के-लड़के जा रहे थे. मुझे लगा तुम मना कर दोगी इसलिए किसी लड़की को नहीं बुलाया.
चूँकि मैंने जाने की पूरी तैयारी कर ली थी और मेरा घूमने का मन भी था तो मैंने प्लान कैंसल करना उचित नहीं समझा. इसके बाद पापा को बोल कर मैंने और विक्की ने हमारी कार निकली और मनाली चल दिए.
रास्ते में एक जगह पर हमने कार रोकी और हम सब बाहर आये तो मैंने विक्की के बाकी सारे दोस्तों को देखा, तब मुझे याद आया कि ये सब तो वही है जो मुझे देख कर फेयरवेल के दिन लार टपका रहे थे.
लेकिन मैंने उस बात को इग्नोर कर दिया. मुझे लगा हम मनाली में किसी होटल में रुकेंगे, मगर हमारी कार एक घर के सामने रुकी. विक्की बोला- यह हमारे एक दोस्त का घर है, हमें यहाँ कोई परेशानी नहीं होगी और हमारे होटल के पैसे भी बच जायेंगे जो हम कहीं और खर्च कर सकते हैं.
मुझे सुझाव अच्छा लगा, उस घर में चार कमरे थे. एक कमरा उन लोगो ने मुझे दे दिया और बाकी नौ जने बचे हुए तीन कमरों में एडजस्ट हो गए.
मैं सफर के कारण काफी थक गई थी इसलिए मैंने सबसे पहले स्नान किया और फ्रेश होकर बाहर आ गई. विक्की के 3 दोस्त वहीं बाहर बैठे थे.
मैं नहीं चाहती थी विक्की के दोस्त मुझसे अनजान रहे और मैं उनके लिए अजनबी, इसलिए मैंने खुद ही दोस्ती बढ़ाने की पहल की और खुद उनसे जाकर बात करने लगी. कुछ ही देर में मुझे ठण्ड लगने लगी और मैं ठिठुरने लगी तो विक्की के एक दोस्त कपिल ने मेरे सामने सिगरेट कर दी और बोला- ब्राण्डी तो खत्म हो गई है, तुम चाहो तो यह ट्राई कर सकती हो.

मैंने कहा- मैं स्मोक नहीं करती!
तो उसने कहा- माफ करना, ठण्ड ज्यादा थी इसलिए ब्राण्डी खत्म हो गई लेकिन सिगरेट ट्राई करने में कुछ बुरा नहीं है.
वो मुझे जोर देकर कहने लगा तो मैंने भी सिगरेट स्वीकार कर ली.
तभी अंदर से विक्की और उसके बाकी तीन दोस्त हँसते हुए बाहर आये और बोले- कपिल यार, तू शर्त जीत गया, तूने अर्चना को सिगरेट के लिए राजी कर ही लिया.

मैं समझ गई कि यहाँ क्या हो रहा था. इसके बाद मैं भी उनके गैंग का हिस्सा बन गई और मेरी उन सबसे अच्छी दोस्ती हो गई.
दो दिन कब गुजर गए पता ही नहीं चला, चूँकि हम वहाँ सात दिनों के लिए आये थे. तीसरे दिन शाम को हम सभी ट्रुथ और डेअर खेल रहे थे, जैसे ही सबसे पहले बोतल घुमाई तो वो मेरी तरफ रुकी, तो मैंने डेअर बोल दिया तो सबने मुझसे मॉडल की तरह चलने को बोला.
जब मैं वॉक कर रही थी मैंने देखा कि सबके लंड खड़े हो गए थे.
इसी तरह हम काफी देर तक खेलते रहे. एक बार जब बोतल विक्की की तरफ रुकी तो उसने ट्रुथ(सच) कह दिया.
तो कपिल ने कहा- कुछ ऐसा अपने बारे में बताओ जो हमें ना पता हो.
विक्की काफी देर तक सोचता रहा, फिर उसने जो बोला उसे सुनकर मैं दंग रह गई, उसने सबके सामने बोल दिया कि उसके मेरे साथ जिस्मानी सम्बन्ध रह चुके हैं.
शर्म के मारे मैं वहाँ बैठ नहीं पाई और उठकर वहाँ से चली आई.
अगली सुबह जब मैं उठी तो उन सबसे आखें नहीं मिला पा रही थी, मैं सीधा उस कमरे में गई जिसमे विक्की था. मेरे अंदर घुसते ही बाकी सब बाहर निकल गए, मैं बहुत गुस्से में थी, मैं कुछ बोलती उससे पहले ही विक्की बोला- मैंने बहुत पी ली थी और दिमाग काम नहीं कर रहा था, जो दिमाग में आया वही बोल दिया.
मैंने भी फिर कुछ नहीं बोला क्योंकि जो होना था वो हो चुका था और मैं वापिस अपने कमरे में आ गई.
मुझे अपने कमरे में बहुत ठण्ड लग रही थी तो मैंने विक्की के दूसरे दोस्त राजीव से ब्राण्डी मांगी तो उसने भी सिगरेट का पैकेट पकड़ा दिया और बोला- सॉरी, आज ब्राण्डी लाये ही नहीं! हम लोग भी सिगरेट से काम चला रहे हैं.
मैंने सिगरेट का पैकेट लिया और अपने कमरे माँ आकार सिगरेट फ़ूंकने लगी. उस पूरे दिन मैं अपने कमरे में रही, मैं चाहती थी कब ये छुट्टियाँ खत्म हों और मैं अपने घर जाऊँ.
उस दिन शाम को मुझे बहुत ठण्ड लग रही थी और सिगरेट भी खत्म हो चुकी थी. मैंने जाकर राजीव से ब्रांडी या सिगरेट मांगी तो वो बोला कि दोनों ही खत्म हैं.
चूँकि मैं पहली बार मनाली आई थी और वो भी ठण्ड में, तो मुझसे ठण्ड बर्दाश्त नहीं हो रही थी. मुझे लगा मैं तो इस ठण्ड में मर ही जाऊँगी तो मैंने सोचा मैं पहले भी विक्की से चुद चुकी हूँ, एक बार और चुद लूंगी तो क्या फ़र्क पड़ेगा, इसलिए मैं विक्की के कमरे की तरफ गई तो देखा विक्की सो रहा था,
मैंने विक्की को जगाने कीकोशिश कि मगर विक्की जगा नहीं. मैं वापिस अपने कमरे में आ गई लेकिन मेरे पास ठण्ड का कोई इलाज नहीं था. मैं समझ गई कि मुझे विक्की के किसी दोस्त से ही अपनी प्यास बुझानी पड़ेगी ताकि मेरी ठण्ड का इलाज हो जाए.
मैंने एक सेक्सी सी काले रंग की झीनी सी नाईटी पहनी जो बिल्कुल पारदर्शी थी, अब मेरी ठण्ड जा चुकी थी और मेरा पूरा ध्यान विक्की के दोस्तों को रिझाने का था. मैं विक्की के कमरे में गई जहाँ कोई नहीं था, ढूंढने पर मुझे एक सिगरेट मिल ही गई, मैंने दूसरे कमरे में घुसने से पहले ऊँची ऐड़ी की सेंडल पहनी और सिगरेट जलाई और बड़े ही कामुक अंदाज में दूसरे कमरे में प्रवेश किया. विक्की के दो दोस्त,
सुमित और अभिषेक उस कमरे में थे, मैंने कोई परवाह नहीं की और उनके कमरे में घुस गई.
सुमित उठा और उठकर कमरे का दरवाजा बंद कर दिया. जैसे ही उसने मेरी कमर पर हाथ लगाने की कोशिश की, मैंने उसके बाल पकड़े और धक्का दे दिया और खड़ी-खड़ी अपनी टांगों पर हाथ फिराने लगी. मेरी इन हरकतों को देखकर अभिषेक पागल हो उठा और अपना लौड़ा निकाल कर मुठ मारने लगा.
मैं उसके पास गई और उसका लौड़ा पकड़कर आगे-पीछे करने लगी. अभिषेक का शरीर पूरा गर्म हो चुका था और उसका झड़ने वाला था. वो मुझे हाथ लगाता, उससे पहले ही मैंने उसे रोक लिया और कहा- अब मेरी शादी होने वाली है, और यह मेरी आखिरी गैर मर्द से चुदाई है तो मैं चाहती हूँ कि तुम सभी आठ लोग मिलकर मुझे एक साथ चोदो और वो भी विक्की के सामने.
सुमित जाकर बाकी छ: को भी बुला लाया तो मैंने अपनी इच्छा के बारे में बताया. इसके बाद वो लोग विक्की को उठा लाये और लाकर कुर्सी से बाँध दिया.
कुर्सी से बांधने के बाद राजीव ने विक्की के ऊपर पानी फेंका जिससे उसकी आँखें खुल गई मगर कमरे का नजारा देखकर वो हैरान रह गया. उस वक्त मैं अभिषेक की बाहों में थी, वो चिल्लाता रहा मगर मैंने कहा- तुम्हारी वजह से इन लोगों को हमारे बारे में पता चला और अगर मैं इनके साथ सेक्स नहीं करुँगी तो ये सबको बता देंगे.
मुझसे यह सुनने के बाद विक्की चुप हो गया, वैसे भी वो कुछ बोल नहीं सकता था.
इसके बाद हमने अपना खेल शुरू किया. आज के दिन मैं उन सबकी मालकिन थी और वो लोग मेरे कुत्ते! वो मेरी हर बात मान रहे थे, मैंने दो लोगों को अपना एक-एक पाँव चाटने के लिए दो लोगों को अपना एक-एक हाथ चाटने के लिए दे दिया. वो लोग ऐसे चाट रहे थे जैसे कोई केंडी चाट रहे हों, कपिल अपना लंड निकाल कर मेरे कन्धों पर मार रहा था और राजीव मेरे होंठों को चूमने में लगा हुआ था.
बाकी बचे हुए दो लोग मेरा एक-एक चुच्चा मेरी नाईटी के ऊपर से ही दबा रहे थे. काफी देर तक जगह बदल-बदल कर वो मुझे चाटते रहे और मैं भी अपने आपको चटवाने का मजा लेती रही.
इसके बाद अभिषेक ने मेरी नाईटी उतारी और सभी ने मेरी ब्रा के ऊपर हमला बोल दिया मैंने उन्हें रोका और खुद ही अपनी ब्रा और पेंटी
उतार कर नंगी ही विक्की की तरफ बढ़ी. सभी अपना-अपना लंड हिलाकर मेरा इन्तजार कर रहे थे. मैंने जाकर विक्की का सर अपनी चूत में दबा दिया और चाटने को कहा.
विक्की भी सब कुछ भूल गया और मेरी चूत चाटने लगा तो मैंने भी विक्की को खोल दिया. उस वक्त उस कमरे में 9 लड़के थे और मैं एक अकेली लड़की.
विक्की ने भी अपने कपड़े उतार दिए और वो भी हाथ में लौड़ा लेकर मेरी चूत मारने के लिए तैयार हो गया. इतने लड़कों को देखकर एक बार के लिए तो मैं घबरा गई, लेकिन तभी दिमाग में एक और शरारत आई, मैंने उन सबको बताया- सेक्स मैं पहले भी कर चुकी हूँ इसलिए मैं चाहती हूँ कि तुम सब लड़के मिलकर मेरा रेप करो.
मेरी बात सुनकर सबके चेहरे पर एक कातिलाना हंसी आ गई. मैं भी एक बेचारी लड़की का अभिनय करने लगी और नंगी ही कमरे से भागने लगी, विक्की ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और पीठ के बल घसीटते हुए मुझे बिस्तर पर लाकर पटक दिया, इसके बाद अभिषेक ने अपना लंड मेरे मुंह में घुसा दिया, सुमित ने मेरे दोनों हाथ कस कर पकड़ लिए और राजीव ने मेरे दोनों पाँव, कपिल अपना लंड लाकर मेरी चूत पर रगड़ने लगा, बचे हुए छ:
लोग मेरी चूत मारने के लिए लड़ाई करने लगे, मैं भागने के लिए झटपटा रही थी.
राजन ने सबसे पहले अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया फिर भी मैं बेचारी लड़की की तरह छटपटाई और भागने की कोशिश करने लगी.
राजन और योगेश दोनों ने अपना लंड एक साथ मेरी चूत में घुसा दिया एक साथ दो लौड़े अपनी चूत में महसूस कर मेरी आह निकल गई. मैंने अभिषेक से हटने के लिए कहा मगर वो भी मेरी सुनने को तैयार नहीं था. सभी बारी बारी से मेरी चूत में अपना लंड घुसा रहे थे
और जब कोई झड़ने को होता तो मेरे मुंह में अपना लेस झाड़ देते और तब तक मेरे मुंह में अपना लौड़ा रखते जब तक कि दुबारा खड़ा ना हो जाये.
इसके बाद उन सभी ने मुझे उठाया और टिंकू निचे लेट गया और नीचे से ही मेरी गांड में अपना लंड डाल दिया. इसके बाद सबने अपनी अपनी जगह ले ली मेरे दोनों हाथों में दो-दो लौड़े थे, एक गांड में, एक मुंह में, दो चूत में और एक अपना पानी मेरे मुंह पर झाड़ रहा था.
काफी देर तक जगह बदल-बदल कर वो मुझे चोदते रहे.
थोड़ी देर में मुझे लगा कोई मेरी चूत में कुछ मोटा सा कुछ घुसा रहा है, मैं देखती इससे पहले ही उन्होंने मेरी चूत में एक घिया और गाण्ड में एक मूली एक साथ घुसा दी, मेरी चूत पूरी खुली हो चुकी थी और मुझ में अब संघर्ष की ताकत नहीं बची थी. वो एक-एक करके कभी घिया कभी तोरई तो कभी डंडा तो कभी लंड घुसा रहे थे. इस तरह उन लोगों से सब कुछ मेरी चूत और गांड में घुसा कर देख लिया.
मेरे साथ उन लोगों ने कई राउंड लिए और मुझे तरह-तरह से रौंदा, मेरी चूत का उन्होंने मिलकर पूरा भौसड़ा बना दिया, अब मैं खड़ी होने लायक हालत में नहीं थी. उन सबने मिलकर मुझे उठाया और बाथरूम में ले जाकर मुझे नहलाया और वहाँ भी मुझे काफी रगड़ा और मेरी हालत पर बिल्कुल भी रहम नहीं खाया और वहाँ भी कई बार मुझे चोदा.
इसके बाद हम सब जाकर सो गए, अगले दिन सुबह मेरी आँख सुबह 11 बजे खुली. जब मैं उठी तो उन्होंने सबके लिए खाने का आर्डर दिया और उसके बाद हम सभी ने खाना खाया.
इसके बाद वो बचे हुए तीन दिनों तक मुझे चोदते रहे और वो भी पूरी बेरहमी के साथ.

जब हम वापिस आ रहे थे तो मैं उन सबसे कहा- ये हम सबने एक साथ आखिरी बार सेक्स किया था. अब मेरी शादी होने वाली है इसलिए आज के बाद हम मिल सकते हैं लेकिन एक-दूसरे के साथ सेक्स नहीं करेंगे.
इस पर वो मान गए.
करीब 3 महीने बाद मेरी और वाणी की शादी हो गई, अपने साथ ग्रुप सेक्स की बात मैंने वाणी को भी नहीं बताई. विक्की और उसके दोस्तों ने मुझे अपनी बहन की तरह विदा किया और उसके बाद आज तक उन्होंने मुझसे सेक्स की बात तक नहीं की






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Fentency हाय रे मेरा नामर्द मुकद्दर

Fentency

 हाय रे मेरा नामर्द मुकद्दर
 मेरा नाम पूनम है। मेरी ऊम्र 28 साल है। मैं तलाकशुदा हूँ। मेरे पति नामर्द थे
इसीलिए मैंने उनसे पीछा छुड़ा लिया। मैं एक कोचिंग में बायोलॉजी पढ़ाती थी।
हमेशा कोई न कोई कुत्ते की तरह मेरे भरे हुए बदन को घूरा करता था। चाहे वो
मेरे छात्र हों या फिर चपरासी या साथी या फिर कोई और..!
जवान अकेली औरत हमेशा सबके लिए कलमी आम की तरह होती है, जिसे सब चूस कर खाना
चाहते हैं।
शुरुआत में ख़राब लगता था, पर अब मजा आता था, जब कोई मुझे नजरों से ही चोदने
लगता था। मैं भी वक्ष-दर्शना चोली और नाभि-दर्शना साड़ी पहन कर सबको ललचाती थी।
अकेलापन और जवानी मुझे खाए जा रहा था और अच्छे बुरे का फर्क ख़त्म होने लगा था।
रात होते ही मैं इन्टरनेट पर नंगी फोटो और वीडियो देखा करती थी और मेरी ठरक
बढ़ती ही जा रही थी।
अपने को शांत करने के लिए मैं हस्त-मैथुन करती थी और नंगी सोती थी पर मेरी आग
बढ़ती ही जा रही थी और वासना के साथ गंदगी और जानवरपन बढ़ता जा रहा था।
मुझे वो वीडियो अच्छे लगते थे जिसमें सबके सामने खुलेआम चुदाई होती थी या कई
मर्द मिलकर एक लड़की को चोदते थे, लड़की की चूत, मुँह, गाण्ड हर जगह लण्ड घुसे
रहते थे, वो वीर्य और थूक में सरोबार रहती थी, पिटती भी थी और मजा भी करती थी।
लेकिन असल जिंदगी में ये सब नहीं होता।
पर वासना ने मुझे बेशर्म बना दिया था, मुझे मर्द जानवर लगता था, गंदे, ताकतवर
मर्द जो मुझे रौंद सकें.. उत्तेजित करते थे।
शहर के बाहरी इलाके में मेरा एक प्लाट था जिसमें दो कमरे बने थे, पीछे का
हिस्सा खाली पड़ा था। महीने में दो बार मैं वहाँ सफाई करने जाती थी।
एक दिन मैं घर से झाड़ू, पौंछा और सफाई का सामान, एक जोड़ी साडी-ब्लाउज, पेटीकोट
लेकर निकली।
सफाई करके वहीं पर आँगन में नहा-धो कर आराम करती थी, फिर वापस आती थी।
घर से निकल कर चौराहे पर रिक्शा ढूँढने लगी। मैंने देखा कोने में एक
लम्बा-चौड़ा गन्दा सा रिक्शे वाला बीड़ी पी रहा था। दाढ़ी हल्की बढ़ी थी और लग रहा
था कई दिन से नहाया नहीं है।
एक आदमी उसके पास आ कर कुछ बात करने लगा, अचानक वो उखड़ गया और उसको दो तमाचे
जड़ दिए।
बोला- मादरचोद, तेरी माँ-बहन को चौराहे पर नंगा करके चोदूँगा।
वो आदमी तो पिटकर चला गया पर मेरे बदन में चींटियाँ रेंगने लगी थी। मैं उसके
पास गई और बोली- शुक्लागंज चलोगे?
उसने कुत्ते की तरह मेरे को ऊपर से नीचे घूरा, मैं मुस्करा दी।
बोली- कितना लोगे?
वो बोला- नहीं जाना है।
मेरे मुँह पर बीड़ी का भभका लगा। मैंने छाती थोड़ी से साड़ी उठाई और बोली- किराया
भी मिलेगा और पैसे अलग से भी दूँगी, मालकिन ने वहाँ घर में सफाई करने भेजा है,
अकेले मेरे से नहीं होगा इसलिए मजदूर करना है, वो पैसा ले लेना, 100 दूँगी,
अच्छा लगा तो 50 और दूँगी।
वो तैयार हो गया।
मैं रिक्शे पर चढ़ने के लिए आगे झुकी तो मेरा साड़ी का पल्लू गिर गया और मेरे
गहरे ब्लाउज से गोरे-गोरे भरे हुए दूध झाँकने लगे। उसकी नजरें भूखे भेड़िये की
तरह मेरे ब्लाउज में घुस गईं, मैंने उसकी ओर नजरें उचका कर बोला- खा जायेगा
क्या?
और मैं मुस्करा दी। उसने दांत पीसे और मुझे लेकर चल पड़ा।
मैंने कहा- तेज चलो..!
तो वो रुका उसने जेब से एक बोतल निकाली, एक घूँट पिया।
मैंने पूछा- यह क्या?
वो बोला- देसी है… अब ताकत देखो..!
और फिर उसने रिक्शा उड़ा दिया।
मैं बोली- इतना घूर क्यों रहा था… कभी अपनी औरत को नहीं देखा क्या?
वो बोला- कुतिया को मार-मार कर भगा दिया… साली रात में नाटक करती थी। एक दिन
नंगी करके सबके सामने जूते से मारा, कुतिया को औकात पता चल गई।
मेरी अब हालत ख़राब होने लगी थी। रोमांच भी आ रहा था और डर भी रही थी। फिर
वासना डर पर हावी हो गई।
मकान पर पहुँच कर ताला खोला और रिक्शा अन्दर खड़ा करवा लिया। फिर गेट बंद करके
उसे लेकर अन्दर चली गई।
समझ नहीं आ रहा था अब क्या करूँ?
मैं बोली- मैं झाड़ू लगाती हूँ तुम पानी डालो, धुलाई कर लेते हैं।
वो पानी डालने लगा और मैं बैठ कर झाड़ू लगाने लगी। मैंने साड़ी घुटनों तक उठा ली
थी और धीरे से पल्लू कंधे से गिरा दिया। मेरी चूचियाँ आधी से ज्यादा बाहर निकल
आईं।
उसकी लार टपकने लगी, पर मैं बेपरवाह झाड़ू लगाती रही। मैं उससे चुद सकती थी, पर
आज मैं अपनी हवस मिटाना चाहती थी।
मैं उसकी ओर देख कर गुस्से से बोली- कमीने अपना काम कर। साला छाती में घुसा जा
रहा है?
उसका चेहरा तमतमा गया, वो बोला- साली नौकरानी… औकात में रह..!
मैं बोली- अबे जा जा… मैं तेरी औरत की तरह नहीं.. जो आसानी से मार खाकर चुद
जाऊँ।
मेरा इतना बोलना था कि वो मेरे पास आया और मेरे बाल पकड़ कर जोर से खींचे। मैं
कराह उठी।
वो बोला- साली बताऊँ?
मैं हल्का सा मुस्करा कर बोली- क्या बताएगा हरामी?
तभी एक भन्नाता हुआ तमाचा मेरे गाल पर पड़ा। मेरा सर हिल गया।
वो बोला- साली रांड जानता था, तेरे को गर्मी चढ़ी है कुतिया…!
फिर वो मेरे होंठों पर झुक गया। दारू और बीड़ी का स्वाद मेरी जुबान पर आ गया।
मैंने कहा- छोड़ कुत्ते। उसने कस कर मेरे सर को पकड़ा और अपनी जुबान मेरे मुँह
में घुसा दी। उसकी थूक मेरे मुँह में भर गई। मैंने उसका सर हटाया और उसके ऊपर
थूक दिया।
बोली- सूअर कहीं के.. मार-मार कर तेरी हालत ख़राब कर दूँगी।
उसने एक लात मेरे सीने पर रखी और मुझे धकेला। मैं पीठ के बल गिर पड़ी। वो झुका
और दोनों हाथों से मेरा ब्लाउज बीच से पकड़ कर फाड़ दिया। फिर मेरी ब्रा में हाथ
डाल कर मेरी एक चूची बाहर निकाली और भींचता हुआ बोला- कुतिया यही दिखा रही थी…!
मैं दर्द से चिल्ला उठी। फिर उसने मेरी दूसरी चूची भी बाहर निकाली और मसलने
लगा। मैंने उसके हाथ पकड़ लिए तो वो मेरा गला दबाता हुआ बोला- देख.. क्या सलूक
करता हूँ?
उसने रस्सी निकाली और मेरे दोनों हाथ ऊपर करके अपने रिक्शे के पीछे बाँध दिए।
मैं आनन्द में गोते लगा रही थी। मेरी वासना पूरी हो रही थी।
वो बोला- रांड को मजा आ रहा है? अभी मजा निकलता हूँ।
कहते हुए वो मेरे मुँह पर थूक दिया। मेरा चेहरा उसकी थूक से भर गया। फिर उसने
मेरे बाकी के कपड़े फाड़ डाले। अब मैं उसके सामने नंगी बंधी पड़ी थी। मैं हँसने
लगी।
वो बोला- अभी तेरी हँसी निकलता हूँ!
उसने मेरी चड्डी उठा कर मेरे मुँह में भर दी जिससे मैं जोर से चिल्ला न सकूं,
फिर उसने झाड़ू उठाई और मेरी गांड पे मारी। दर्द के मारे मैं उछल पड़ी।
उसने अगला झाड़ू का मार मेरी चूचियों पर किया। दर्द के मारे मेरी आँखें बाहर
निकल आईं। फिर उसने बिना रुके पांच-छह झाड़ू मेरी गांड, चूची पर दनादन मारीं।
मेरे गोरे बदन पर लाल-लाल निशान पड़ गए। दर्द के मारे बुरा हाल था।
वो मेरी चूची नोंचता हुआ बोला- साली, गर्मी निकली या नहीं?
मैंने उसे गुस्से से घूरा, तो उसने मेरे मुँह पर थूका और मेरी चूत पर जोर से
झाड़ू मारी। मैं उछल पड़ी और मेरा पेशाब निकलने लगा।
वो बोला- कुतिया मार खाकर मूतने लग गई?
फिर उसने मुझे खोल दिया मैं वहीं बैठ गई। उसने मेरे मुँह को फैले पड़े मेरे
पेशाब में डाल दिया और बोला- कुतिया चाट..!
मैं अब और मार खाने की हालत में नहीं थी इसलिए मैं जुबान निकाल कर अपना पेशाब
चाटने लगी। मुझे पेशाब का नमकीन स्वाद अच्छा लग रहा था। तभी मेरे सर पे पानी
की धार पड़ी। मैंने मुँह उठा कर देखा तो वो मेरे मुँह पर मूत रहा था।
क्या काला लम्बा लण्ड था उसका..!
वो बोला- कुतिया मुँह खोल जुबान निकाल..! मैं भी आज्ञाकारी कुतिया की तरह
घुटने के बल बैठ गई और जुबान निकाल कर मुँह उसके सामने कर दिया। उसकी पेशाब की
धार मेरे मुँह के अन्दर गई और वो मुझे अपने पेशाब से नहलाने लगा।
फिर वो आगे आया और बोला- चूस कुतिया।
अब मैं सारा दर्द भूल गई और पागलों की तरह उसका लण्ड मुँह में भरकर चूसने लगी।
वो मेरे ऊपर झुका और पीछे से अपनी उंगली मेरी गांड में घुसा दी। अब मैं आनन्द
में गोते लगा रही थी।
मैंने कहा- अब तो चोद दे राजा!
वो बोला- कुतिया अभी फाड़ता हूँ!
मैं कुतिया की तरह बन गई, वो मेरे पीछे आया और अपना लण्ड मेरी चूत में डाल
दिया। मैं आनन्द से चिल्लाई। उसने मेरी ब्रा उठाई और मेरे मुँह के बीच में
डालते हुए उसके पट्टी पीछे से पकड़ ली जैसे मुँह पे ब्रा की लगाम लगा दी हो।
फिर वो जोर-जोर से झटके मारने लगा। मुझे मजा आने लगा, तभी मुझे अपनी चूत में
गीला-गीला सा लगा। वो कमीना झड़ गया था।
मैं गुस्से से भर उठी और बोली- मादरचोद यही है तेरी मरदानगी?
वो खींसे निकालने लगा।
मैं सर पकड़ कर बैठ गई। वो उठा, दो घूँट दारु के लगाए और रिक्शा लेकर चला गया।
मैं निराशा में भरी हुई वैसे ही जमीन पर नंगी पड़े-पड़े सो गई।
हाय रे मेरा नामर्द मुकद्दर..!






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Fentency क्वारी का मज़ा कुछ और ही है

Fentency

 क्वारी का मज़ा कुछ और ही है

मेरे दोस्त की अभी कुछ समय पहले ही शादी हुई है और उसकी बीवी, नीलम बहुत ही
सुंदर और मस्त है | हम सब एक ही मौहेल्ले मे ही रहते है और हम दोनों के घर
बिलकुल अगल-बगल है और हमारे घरो की छत भी मिली हुई है | मेरा कमरा ऊपर छत पर
है | मै अभी पढ़ रहा हु और पढ़ते समय मुझे कोई तंग नहीं करता; इसलिए, मैने अपना
कमरा सबसे अलग से बनवाया था | मुझे अपने कमरे से बहुत ही लगाव था और मै दिनभर
अपने कमरे मे ही होता था |

नीलम सिर्फ दो बहने थी और उनकी छोटी बहन भी उनकी तरह खुबसूरत थी और मजेदार बात
वो मेरी हमउम्र थी | उसके कॉलेज की छुट्टिया हो चुकी थी और वो कुछ दिन के लिए
हमारे यहाँ आयी हुई थी | मै मन उसको देख कर शरारत सूझी | मुझे जब भी मौका
मिलता, मै उसे छेड़ देता, उसके चुचे दबा देता और उनके गांड को दबाकर उसपर ताली
बाजा देता | वो भी उसको मजाक मे ले रही थी | लेकिन, २-३ दिनों के अन्दर वो
मजाक; मजाक नहीं रहा गया था | हम दोनों के दुसरे के प्रति शारीरक आकर्षण महसूस
करने लगे थे और एक अजीब सी उत्जेना हम दोनों के दिलो मे हिलोरे मार रही थी |
जब भी वो मुझे छूती या मै उसे छूता था, हम दोनों के शरीर मे एक सिरहन होने
लगती |

नीलम की बहन को आये काफी दिन हो गयी थे और कोई उसको कहीं घुमाने नहीं लेकर गया
| वो बहुत दिनों से मेरे दोस्त की और नीलम की जान खा रही थी, कि मुझे घुमा के
लाओ | लेकिन, दोस्त को टाइम ही नहीं मिला पा रहा था और नीलम, शर्म की वजह से
कुछ नहीं कह पा रही थी | एक दिन, मेरे मेरे दोस्त ने मुझे अपनी साली जी को
घुमाने के कहा | वो तैयार हो गयी, क्या कातिल लग रही थी वो? हम दोनों मेरी
मोटरसाइकिल पर सवार होकर चले गये और मै उसको बाज़ार की सैर करवा रहा था | वो
मुझे से थोडा सा दूर होकर बैठी थी | तभी गड्डा आने की वजह से मोटरसाइकिल पे
झटका लगा और वो आगे खिसक कर मेरी पीठ से चिपक गयी | उसके चुचे मेरी पीठ मे गड़
रहे थे और मुझे मस्त चुभन का अहसास हो रहा था | अब मैने जानबूझ के ब्रेक मारने
शुरू कर दिये, ताकि मै उसके नरम और बड़े चुचे का मज़ा उठा सकू | मै उसको उसके
पसंद का खाना खिलाने ले गया और उसने मेरे साथ काफी मस्ती की | लेकिन, घर
लौटते-लौटते हम दोनों के रिश्ता एक अंजान डोर से बंध चुका था |

जब वो घर वापस आयी, तो वो काफी खुश थी और रात का खाना खाने के बाद छत पर टहलने
आ गयी | टहलना तो सिर्फ एक बहाना थे | वो असल मे, मुझे से मिलना चाहती थी | मै
अकेले कमरे मे बैठा हुआ एक सेक्सी किताब पढ़ रहा था | उसका शरीर इतने पास महसूस
करने के बाद मेरे से रुका नहीं जा रहा था और मैने आकर एक मुठ मार ली थी |
लेकिन, कुछ खास मज़ा नहीं आया, तो मै एक सेक्सी किताब लेकर बैठ गया और लंड को
कपड़ो से आज़ाद कर दिया और नंगी तस्वीरे देखकर हस्त्मथुन करने लगा | मेरा
दरवाजा बंद तो हो जाता था; लेकिन फिर एक झिरी बन जाती थी | जब भी मै मुठ मारता
था, तो हमेशा लाइट बंद कर देता था | पर आज मैने किसी के ना आने की वजह से लाइट
बंद नहीं की और ऐसे ही हस्तमथुन शुरू कर दिया | नीलम की बहन ने पहले झिरी मे
से मुझे देखा और फिर दरवाजा खटखटाया | मैने किताब को छिपा दिया | वो अन्दर आयी
और किताब निकाल ली और बोली ये सब क्या है ? मैने कहा, हवस का इलाज | फिर, थोड़ी
सी मुस्कुराई और बोली, आज तो मुझे भी ये इलाज की जरुरत है | तुमने दिल मे इतने
हलचल जगा दी है; अब इसका इलाज तो करो |

मेरी तो निकल पड़ी थी | मैने लाइट बंद कर दी, ताकि कोई हमें देख ना सके और उसके
सारे कपडे उतार दिये | धीमी रौशनी मे उसका नंगा शरीर मस्त लगा रहा था और मेरे
लंड ने झटके मारने शुरू कर दिये थे | वो पहली बार कुछ कर रही थी, तो उसने पूछा
मे क्या करू ? मैने कहा, तुम कुछ मत करो, मै सब कुछ कर लूँगा | मैने उसे पलंग
पर लिटाया और उसकी चूत को चुसना शुरू कर दिया | मेरी जीभ लगते ही, उसने अपना
शरीर हिलाना शुरू कर दिया और मस्त आवाजो से मेरा कमरा गूंजने लगा | मैने अपनी
जीभ पूरी निकाल ली और उसकी चूत को चाटने लगा | उसका रस निकलने लगा और मै उसको
पूरा चाट गया | मेरे लंड मे भी बहुत तेज़ खुजली हो रही थी | मैने उसको लेटे
रहने दिया और अपना शरीर घुमा लिया | अब उसको चूत का उपरी हिस्सा मेरे मुह मे
था और मेरा लंड उसके चेहरे पर टकरा रहा था | जब मैने उसके दाने को चुसना शुरू
किया, तो उसके मुह से सी-सी निकलने लगी और अपने आप को मुझे से छुड़ाने लगी |
मैने उसे समय अपना लंड उसके मुह मे घुसा दिया और उसका मुह पूरी तरह से बंद हो
गया और मैने अपनी गांड हिलानी शुरू कर दी | अब मै उसके मुह को चोद रहा था |
मेरा लंड उसके थूक से पूरा गीला हो चुका था | हम दोनों से ने रहा जा रहा था |

मैने अपना लंड उसके मुह से निकाला तो देखा, वो पहले से ज्यादा फूल चुका था और
मैने उसको चूत को चाट-चाट कर लाल कर दिया था | फिर मैने उसकी चूत को थोडा सा
और गीला किया और अपना लंड चूत के दरवाजे पर रख दिया और एक जोर के धक्के के साथ
मेरा पूरा लंड उसकी चूत मे समा गया, वो सीस्त्कार उठी | उसे लगा, कि किसी ने
पिघला हुआ लोहे का गरम सरिया उसकी चूत मे घुसा दिया | वो दर्द के मारे मर रही
थी | मैने कुछ नहीं किया और थोड़ी देर लंड को उसकी चूत मे पड़े रहने दिया | फिर,
जब उसको दर्द कम हुआ तो धक्के मारने शुरू किये | हर धक्के के साथ उसका दर्द कम
हो रहा था और उसकी आँखों मे नशा बड़ रहा था | फिर, उसने मस्ती मे अपनी गांड
उठानी शुरू कर दी |

कुछ देर बाद, उसकी गांड जोर-जोर से हिल रही थी वो उसकी चूत मे से काफी सारा रस
बह निकाला | २-३ मिनट बाद मैने भी एक पिचकारी के अपनी वीर्य उसकी चूत मे छोड़
दिया | वीर्य भी बहुत गरम था, लेकिन वो उसको सुकून दे रहा था | हम दोनों बहुत
ही थक गये थे | वो उठी और उसने अपने कपडे पहने और अपने कमरे मे चली गयी | उस
समय तो कोई होश नहीं था, लेकिन बाद मे याद आया; कि मैने अपना सारा पानी उसकी
चूत मे छोड़ा था | कुछ ना हो जाये, इसलिए मैने उसको एक गोली लाकर दी और सब ठीक
हो गया | लेकिन, अब जब भी वो आती थी; तो, हम हमारा चुदाई का प्रोग्राम जरुर
होता था |







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Fentency दिल्ली की यादें

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