Saturday, October 4, 2014

Fentency क्वारी का मज़ा कुछ और ही है

Fentency

 क्वारी का मज़ा कुछ और ही है

मेरे दोस्त की अभी कुछ समय पहले ही शादी हुई है और उसकी बीवी, नीलम बहुत ही
सुंदर और मस्त है | हम सब एक ही मौहेल्ले मे ही रहते है और हम दोनों के घर
बिलकुल अगल-बगल है और हमारे घरो की छत भी मिली हुई है | मेरा कमरा ऊपर छत पर
है | मै अभी पढ़ रहा हु और पढ़ते समय मुझे कोई तंग नहीं करता; इसलिए, मैने अपना
कमरा सबसे अलग से बनवाया था | मुझे अपने कमरे से बहुत ही लगाव था और मै दिनभर
अपने कमरे मे ही होता था |

नीलम सिर्फ दो बहने थी और उनकी छोटी बहन भी उनकी तरह खुबसूरत थी और मजेदार बात
वो मेरी हमउम्र थी | उसके कॉलेज की छुट्टिया हो चुकी थी और वो कुछ दिन के लिए
हमारे यहाँ आयी हुई थी | मै मन उसको देख कर शरारत सूझी | मुझे जब भी मौका
मिलता, मै उसे छेड़ देता, उसके चुचे दबा देता और उनके गांड को दबाकर उसपर ताली
बाजा देता | वो भी उसको मजाक मे ले रही थी | लेकिन, २-३ दिनों के अन्दर वो
मजाक; मजाक नहीं रहा गया था | हम दोनों के दुसरे के प्रति शारीरक आकर्षण महसूस
करने लगे थे और एक अजीब सी उत्जेना हम दोनों के दिलो मे हिलोरे मार रही थी |
जब भी वो मुझे छूती या मै उसे छूता था, हम दोनों के शरीर मे एक सिरहन होने
लगती |

नीलम की बहन को आये काफी दिन हो गयी थे और कोई उसको कहीं घुमाने नहीं लेकर गया
| वो बहुत दिनों से मेरे दोस्त की और नीलम की जान खा रही थी, कि मुझे घुमा के
लाओ | लेकिन, दोस्त को टाइम ही नहीं मिला पा रहा था और नीलम, शर्म की वजह से
कुछ नहीं कह पा रही थी | एक दिन, मेरे मेरे दोस्त ने मुझे अपनी साली जी को
घुमाने के कहा | वो तैयार हो गयी, क्या कातिल लग रही थी वो? हम दोनों मेरी
मोटरसाइकिल पर सवार होकर चले गये और मै उसको बाज़ार की सैर करवा रहा था | वो
मुझे से थोडा सा दूर होकर बैठी थी | तभी गड्डा आने की वजह से मोटरसाइकिल पे
झटका लगा और वो आगे खिसक कर मेरी पीठ से चिपक गयी | उसके चुचे मेरी पीठ मे गड़
रहे थे और मुझे मस्त चुभन का अहसास हो रहा था | अब मैने जानबूझ के ब्रेक मारने
शुरू कर दिये, ताकि मै उसके नरम और बड़े चुचे का मज़ा उठा सकू | मै उसको उसके
पसंद का खाना खिलाने ले गया और उसने मेरे साथ काफी मस्ती की | लेकिन, घर
लौटते-लौटते हम दोनों के रिश्ता एक अंजान डोर से बंध चुका था |

जब वो घर वापस आयी, तो वो काफी खुश थी और रात का खाना खाने के बाद छत पर टहलने
आ गयी | टहलना तो सिर्फ एक बहाना थे | वो असल मे, मुझे से मिलना चाहती थी | मै
अकेले कमरे मे बैठा हुआ एक सेक्सी किताब पढ़ रहा था | उसका शरीर इतने पास महसूस
करने के बाद मेरे से रुका नहीं जा रहा था और मैने आकर एक मुठ मार ली थी |
लेकिन, कुछ खास मज़ा नहीं आया, तो मै एक सेक्सी किताब लेकर बैठ गया और लंड को
कपड़ो से आज़ाद कर दिया और नंगी तस्वीरे देखकर हस्त्मथुन करने लगा | मेरा
दरवाजा बंद तो हो जाता था; लेकिन फिर एक झिरी बन जाती थी | जब भी मै मुठ मारता
था, तो हमेशा लाइट बंद कर देता था | पर आज मैने किसी के ना आने की वजह से लाइट
बंद नहीं की और ऐसे ही हस्तमथुन शुरू कर दिया | नीलम की बहन ने पहले झिरी मे
से मुझे देखा और फिर दरवाजा खटखटाया | मैने किताब को छिपा दिया | वो अन्दर आयी
और किताब निकाल ली और बोली ये सब क्या है ? मैने कहा, हवस का इलाज | फिर, थोड़ी
सी मुस्कुराई और बोली, आज तो मुझे भी ये इलाज की जरुरत है | तुमने दिल मे इतने
हलचल जगा दी है; अब इसका इलाज तो करो |

मेरी तो निकल पड़ी थी | मैने लाइट बंद कर दी, ताकि कोई हमें देख ना सके और उसके
सारे कपडे उतार दिये | धीमी रौशनी मे उसका नंगा शरीर मस्त लगा रहा था और मेरे
लंड ने झटके मारने शुरू कर दिये थे | वो पहली बार कुछ कर रही थी, तो उसने पूछा
मे क्या करू ? मैने कहा, तुम कुछ मत करो, मै सब कुछ कर लूँगा | मैने उसे पलंग
पर लिटाया और उसकी चूत को चुसना शुरू कर दिया | मेरी जीभ लगते ही, उसने अपना
शरीर हिलाना शुरू कर दिया और मस्त आवाजो से मेरा कमरा गूंजने लगा | मैने अपनी
जीभ पूरी निकाल ली और उसकी चूत को चाटने लगा | उसका रस निकलने लगा और मै उसको
पूरा चाट गया | मेरे लंड मे भी बहुत तेज़ खुजली हो रही थी | मैने उसको लेटे
रहने दिया और अपना शरीर घुमा लिया | अब उसको चूत का उपरी हिस्सा मेरे मुह मे
था और मेरा लंड उसके चेहरे पर टकरा रहा था | जब मैने उसके दाने को चुसना शुरू
किया, तो उसके मुह से सी-सी निकलने लगी और अपने आप को मुझे से छुड़ाने लगी |
मैने उसे समय अपना लंड उसके मुह मे घुसा दिया और उसका मुह पूरी तरह से बंद हो
गया और मैने अपनी गांड हिलानी शुरू कर दी | अब मै उसके मुह को चोद रहा था |
मेरा लंड उसके थूक से पूरा गीला हो चुका था | हम दोनों से ने रहा जा रहा था |

मैने अपना लंड उसके मुह से निकाला तो देखा, वो पहले से ज्यादा फूल चुका था और
मैने उसको चूत को चाट-चाट कर लाल कर दिया था | फिर मैने उसकी चूत को थोडा सा
और गीला किया और अपना लंड चूत के दरवाजे पर रख दिया और एक जोर के धक्के के साथ
मेरा पूरा लंड उसकी चूत मे समा गया, वो सीस्त्कार उठी | उसे लगा, कि किसी ने
पिघला हुआ लोहे का गरम सरिया उसकी चूत मे घुसा दिया | वो दर्द के मारे मर रही
थी | मैने कुछ नहीं किया और थोड़ी देर लंड को उसकी चूत मे पड़े रहने दिया | फिर,
जब उसको दर्द कम हुआ तो धक्के मारने शुरू किये | हर धक्के के साथ उसका दर्द कम
हो रहा था और उसकी आँखों मे नशा बड़ रहा था | फिर, उसने मस्ती मे अपनी गांड
उठानी शुरू कर दी |

कुछ देर बाद, उसकी गांड जोर-जोर से हिल रही थी वो उसकी चूत मे से काफी सारा रस
बह निकाला | २-३ मिनट बाद मैने भी एक पिचकारी के अपनी वीर्य उसकी चूत मे छोड़
दिया | वीर्य भी बहुत गरम था, लेकिन वो उसको सुकून दे रहा था | हम दोनों बहुत
ही थक गये थे | वो उठी और उसने अपने कपडे पहने और अपने कमरे मे चली गयी | उस
समय तो कोई होश नहीं था, लेकिन बाद मे याद आया; कि मैने अपना सारा पानी उसकी
चूत मे छोड़ा था | कुछ ना हो जाये, इसलिए मैने उसको एक गोली लाकर दी और सब ठीक
हो गया | लेकिन, अब जब भी वो आती थी; तो, हम हमारा चुदाई का प्रोग्राम जरुर
होता था |







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