Sunday, March 8, 2015

Fentency जुए की लत--13 end

Fentency

 जुए की लत--13 end


 उसने दिव्या को उठाया और खड़ा कर दिया, दिव्या ने सामने रखी हुई कुर्सी पर अपना एक पैर रखा और अपनी गांड पीछे से निकाल कर खड़ी हो गयी, हर्षित फिर से उसके पीछे आया और अपना लंड पेलकर उसकी गांड का म्यूजिक सिस्टम फिर से बजाने लगा. 



और आखिर एक जोरदार आवाज के साथ दोनों झड़ने लगे.

''उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह येस्स्स्स मैं अआया अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। …… उम्म्म्म्म्म्म्म्म ''

चूत से मिल रहे सिग्नल दिव्या को अपनी गांड तक महसूस हो रहे थे जिसकी वजह से उसका भी ओर्गास्म हो ही गया

और ऐसा ओर्गास्म उसे आज तक नहीं हुआ था, गांड मरवाने में इतना मजा आता है, ये उसे आज ही पता चला था. 

और वहाँ मनीष बेड पर लेट चूका था और उसने रिया को अपने ऊपर खीच लिया था और आराम से उसकी मोटी चूचियाँ दबाते हुए उसकी चूत मार रहा था. 




दिव्या अपनी गांड मरवाकर गहरी साँसे ले रही थी , अब उसे फिर से दर्द होने लगा था.. 

उसकी गांड के अंदर से हर्षित का माल निकल कर बाहर बह रहा था.. 

दिव्या ने देखा कि बड़े मजे से रिया कि चूत मारने में लगा हुआ है, उसे बड़ा गुस्सा आया एकदम से मनीष पर, वो उठी और अपनी बहती हुई गांड लेकर सीधा मनीष के मुंह के ऊपर आयी और वहाँ बैठ गयी 

मनीष पर गुस्सा उतारने का यही तरीका समझ में आया दिव्या को.

अपनी गांड से निकल रहा हर्षित का रस वो उसे पिलाना चाहती थी.. 

और मनीष कि बेशर्मी भी देखो, उसने दोनों हाथ ऊपर करके उसे आराम से अपने मुंह पर बिठाया और उसकी चूत और गांड दोनों को आराम से चाटने लगा. 

आज वो कुछ भी करने को तैयार था.. 

रिया आराम से उसके लंड को अंदर ले रही थी और ऊपर नीचे हो रही थी, और उसके मुंह पर बैठी हुई दिव्या अपनी चूत और गांड को उससे साफ़ करवाकर धीरे-२ ऊपर नीचे हो रही थी. 

दोनों को बड़ा मजा आ रहा था. 

और फिर वो वक़्त भी आया जब मनीष और रिया ने अपने अंदर का ज्वालामुखी एक दूसरे के अंगो पर कुर्बान कर दिया. 

और निढाल होकर हाफ़ने लगे. 

पर इसी बीच राहुल तैयार हो चूका था दिव्या कि गांड मारने के लिए. 

और वो भी फ्री में..

और रिया के पास आ चुके थे हरिया काका.. 

रिया और दिव्या सभी से बेखबर, चुदी हुई , एक दूसरे के होंठों को चूमकर अपना -२ दर्द कम कर रहे थे. 


 हरिया काका कि नजरे अब रिया कि गांड कि तरफ ही थी , उन्होंने जब से दिव्या कि गांड फटते हुए देखि थी, उनका नन्हा सिपाही भी गांड मारने कि जिद्द कर रहा था 

और दूसरी तरफ राहुल कि भूखी नजरें भी दिव्या कि चमक रही गांड को घूर रही थी, ताजा -२ मारने कि वजह से वो लाल सुर्ख होकर लश्कारे मार रही थी , जैसे नयी नवेली दुल्हन के गाल हो ..

हरिया ने रिया कि और राहुल ने दिव्या कि गांड में एक ही झटके में लंड पेलकर उन दोनों को चोंका दिया.

दोनों एकसाथ चिहुंक पड़ी.. 

हरिया काका के काले और मोटे लंड को अंदर लेते हुए रिया चीख रही थी 

''उम्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ''


और दिव्या कि गांड में तो हर्षित ने पहले से ही इतनी चिकनाहट भर दी थी कि राहुल का लंड अंदर फिसलता चला गया 



अब दोनों के डाईवर उनकी गांड के समुन्दर में कूदकर वहाँ कि गर्मी के मजे ले रहे थे 

दिव्या और रिया के चेहरे अभी तक एक दूसरे कि तरफ थे और होंठ भी आपस में चिपके हुए थे , पीछे से हुए हमले ने उनके अंदर और भी उत्तेजना का संचार कर दिया और झटकों से मिल रहे मजे ने उनकी गांड के तानपूरे कि तारों में से मधुर संगीत निकालना शुरू कर दिया.

हरिया काका और राहुल का लंड गांड कि तंग गलियों में अंदर बाहर होता हुआ आ-जा रहा था , उन दोनों का पूरा शरीर हिचकोले खा रहा था और हिचकोले खाते हुए दोनों के चेहरे जब भी मिलते तो एक दूसरे कि नंगी और गीली जीभों को पकड़ने कि असफल कोशिश करती दोनों … और कभी - २ जब पकड़ भी लेती तो नाजुक होंठ भी पकड़ में आ जाते नुकीले दांतो में 


 अब दिव्या को सही में गांड मरवाने का मजा आ रहा था , वो अपनी गद्देदार गांड को पीछे करके राहुल का पूरा लंड अंदर पिलवा रही थी 


अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह राहुल, उम्म्म्म्म्म्म्म्म और अंदर डालो , पूरा पेलो , अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह डालो अंदर तक अपना लंड , उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''

और रिया कि गांड तो राहुल ने ना जाने कितनी बार मारी थी, और हरिया काका ने भी उसकी खूब बजाई थी, पर आज सामूहिक चुदाई के मौके पर अपनी गांड मरवाने में उसे कुछ ख़ास ही मजा आ रहा था 

''अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह काका उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ,एस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ऐसे ही अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , ओह काका, कहा से सीखा। …… ऐसे मजे देना , अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ''


और आवेश में आकर उसने अपना घोड़ी वाला आसान छोड़ दिया और अपने घुटनो के बल खड़ी हो गयी, हरिया काका का लंड अभी तक उसकी गांड में घुसा हुआ था, उसने पीछे मुंह करके अपनी एक बाजू हरिया काका कि गर्दन के चारो तरफ लपेटी और उनके चेहरे को अपनी तरफ खीचकर उनके होंठों पर टूट पड़ी, साथ ही साथ अपनी लचीली गांड को भी थिरकाती रही ..

''उम्म्म्म्म्म्म पुकछह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह मारो काका, जोर से मारो मेरी गांड अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ''

हरिया काका के बूढ़े जिस्म को ऐसे पोज़ कि आदत नहीं थी, पर फिर भी गाँव का होने कि वजह से उन्हें ज्यादा तकलीफ नहीं हो रही थी, वो भी अपनी पूरी मस्ती में उसकी गांड का मजा लेने में लगे हुए थे. 

इसी बीच बिल्लू का लंड फिर से खड़ा होने लगा, और दूसरी तरफ राजेश भी पूरी तरह से तैयार था.

 दोनों अपने लंड को लहराते हुए दिव्या और रिया के सामने जा पहुंचे , दिव्या ने बिल्लू को और रिया ने राजेश के लंड को पकड़कर अपने मुंह में रखा और उन्हें लोलीपोप कि तरह से चूसने लगे. 



कुछ ही देर में उनके लंड चाशनी में डूबे गाजर के मुरब्बे कि तरह से चमकने लगे. 

दिव्या और रिया ने एक दूसरे कि तरफ देखा और फिर इशारा करके उन्होंने बिल्लू, और राजेश को अपने नीचे लेटने को कहा , और जैसे ही दोनों उन दोनों घोड़ियों के नीचे पहुंचे, दोनों घोड़ियां अपने पैर पसार कर उनके लंड के ऊपर बैठ गयी, बड़ा ही उत्तेजक दृश्य था, उनसे ऐसी कलाकारी कि उम्मीद किसी ने भी नहीं कि थी, अपनी गांड से बिना लंड बाहर निकलवाये दोनों ने अपनी चूत के अंदर एक -२ लंड और निगल लिया था, 

टाईट चूत के अंदर मोटा लंड सटासट - खटाखट अंदर बाहर हो रहा था 



दोनों के चेहरे पर आ रहे परमानन्द के भाव सभी को दिख रहे थे. 

अपने मोटे-२ मुम्मों को बिल्लू और राजेश के मुंह पर मारते हुए दोनों उछल कूद मचाने लगी. 

औरत कि गांड और चूत के छेद एक ही बार में भर जाए तो उन्हें दुनिया कि कोई खबर नहीं रहती. 

और यही हाल इस वक़्त दिव्या और रिया का था, अपने-२ पति के सामने ही , दोनों बेशर्मो कि तरह दूसरे लंडो से अपनी प्यास बुझा रही थी. 

पर इतने में ही इन औरतों कि प्यास नहीं बुझी. 

उन्होंने इशारा करते हुए मनीष, थापा और हर्षित को भी अपनी तरफ बुलाया..

हर्षित और थापा दिव्या के सामने और मनीष रिया के सामने जाकर खड़ा हो गया..

और फिर दोनों ने उनके लंड को पकड़ा और रंडियों कि तरह अपने मुंह में लेकर चूसने लगी , दिव्या के तो मजे थे, उसके पास एक लंड ज्यादा था, जिसे वो बारी -२ से चूस रही थी 


 दोनों औरतों के तीनो छेद इस समय बिजी थे 



दिव्या कि गांड थोडा तंग थी इसलिए उसे ऊपर नीचे होने में थोड़ी मुश्किल हो रही थी, पर रिया तो पुरानी रांड थी, वो तो अपनी गांड और चूत कि ग्रीसिंग करके आयी थी आज, दोनों लंडो को किसी पिस्टन कि तरह से अपने अंदर पिलवा रही थी और साथ ही साथ मधुर संगीत देकर ताल से ताल भी मिला रही थी 

अब चारों और से अजीब सा तनाव उत्पन होने लग गया था , उन दोनों को लगने लग गया कि अब किसी भी वक़्त लंडों में से लावा निकल सकता है और इसके लिए जैसे दोनों ने पहले से ही कुछ सोच कर रखा था 

जैसे ही हरिया काका, हर्षित , राहुल, बिल्लू, राजेश, थापा और मनीष के मुंह से सिस्कारियां निकलने लगी, दिव्या और रिया एकदम से उठकर सभी के बीच में बैठ गयी , उन दोनों ने सभी के लंड अपने जिस्म से निकाल कर उन्हें वापिस कर दिए 

वो सब भी समझ गए कि वो दोनों रंडियां क्या चाहती हैं, उनके लंड के गर्म पानी से नहाना चाहती है दोनों 

उन सभी ने एक गोला बना लिया उन दोनों के चरों तरफ और अपने-२ लंड को अपने हाथों से हिलाने लगे 

दिव्या अपने दोनों मुम्मों को पकड़कर मसल रही थी, उन्हें ऊपर करके अपनी जीभ से अपने निप्पल को सेहला रही थी और उत्तेजना से भरपूर आवाजें निकाल रही थी 

और रिया कि एक ऊँगली अपनी चूत में थी और दूसरी अपने मुम्मे पर , और दोनों जगह ही उसकी उँगलियाँ अपना कमाल दिखाने में लगी थी 

सबसे पहले बिल्लू के लंड से पिचकारी निकल कर रिया के माथे से टकरायी 

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह रिया ……''

और फिर राजेश कि आवाज भी उसके पीछे-२ आयी 

''ओह्ह्ह्ह दिव्या भाभी अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ''

और उसके लंड कि धार सीधा दिव्या भाभी कि नाक और होंठों के बीच टकरायी, जो धीरे-२ बहकर उनके मुंह के अंदर चली गयी 


अब थी बारी राहुल कि, उसने भी दिव्या का मुंह पकड़ा और उसे पूरा खोलने को कहा , और फिर सिर्फ एक इंच कि दुरी से उसने अपने लंड कि गन से उसके मुंह के अंदर कई फायर किये, जो सीधाउसके टॉन्सिल्स से जाकर टकराए और गले से निचे फिसलकर अंदर विलीन हो गए 


 हरिया काका के लंड के निशाने पर आयी रिया कि आँखे , उन्होंने उसकी आँखों का निशाना बनाकर अपना माल सुरमे कि तरह उसकी आँखों में भर दिया, बेचारी कुछ देख नहीं पा रही थी, उसने अपनी पतली उँगलियों से अपनी आँखे साफ़ कि और सारा माल समेटकर सही जगह पर पहुंचा दिया, यानि अपने मुंह के अंदर 

थापा ने अपने लंड के निशाने पर रखे दोनों के मोटे-२ मुम्मे, पहली धार से उसने रिया के मुम्मे भिगो दिए और दूसरी से दिव्या भाभी के 

मनीष ने भी एक तेज हुंकार के साथ अपनी पहली धार दिव्या के बालों में छोड़ दी, ऐसा लग रहा था कि दिव्या के सर पर बर्फ पड़ी है, पूरा सर उसने अपने सफ़ेद माल से ढक कर उसे अजीब सा लुक दे दिया था 

और अपने -२ लंड कि पहली धार मारने के बाद सभी ने उन दोनों के पुरे शरीर पर चिपचिपी बारिश करके बाकी के माल को भी ठिकाने लगा दिया 

और वो दोनों अपने हाथों कि उँगलियों से अपने शरीर के अंगो को साफ़ करती हुई वो सारी मलायी अपने मुंह में भर रही थी 

दिव्या के लिए गाँव का ये टूर बड़ा ही सुखद रहा था, उसने सोचा भी नहीं था कि दीवाली के जुए में हार जाने के बाद उसे इतना मजा मिलेगा

उसने मन ही मन निश्चय कर लिया कि अब से वो हर साल दीवाली पर गाँव में आएगी और मनीष को कभी भी अपने दोस्तों के साथ जुआ खेलने से मना नहीं करेगी .

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समाप्त 
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दोस्तों , इस कहानी को यहीं समाप्त कर रहा हु,  जल्द ही एक नयी कहानी आपके सामने प्रस्तुत करूँगा . 

आपका दोस्त 

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Fentency जुए की लत--12

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 जुए की लत--12

अब आगे 
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अंदर का नजारा देखकर सभी कि आँखे फटी कि फटी रह गयी, हरिया काका उस वक़्त दिव्या कि चूत को अपनी जीभ से चाट कर साफ़ करने में लगे थे .

हरिया काका ने पलट कर देखा तो उनका पूरा बदन कांपने लगा.

सामने अपने मालिक को खड़ा देखकर उनकी हालत पतली हो गयी, और उसी मालिक कि बीबी कि चूत वो एक पल पहले मजे ले लेकर चाटने में लगे थे. 

राहुल को तो पता था कि उसकी बीबी रिया कैसी है, क्योंकि रिया ने अपनी लाइफ के बारे में, यानि मनीष और हरिया काका के साथ लिए गए मजे के बारे में पहले से ही बता रखा था, इसलिए राहुल ने रिया को नंगा लेटे हुए देखकर कोई प्रतिक्रिया नहीं कि, पर बाकी के दोस्त रिया को नंगा देखकर जरुर हैरान हो गए , रिया भी अपने पति के अय्याश स्वभाव के बारे में जानती थी, इसलिए दोनों एक दूसरे कि जिंदगी में ज्यादा दखल नहीं देते थे. 

और मनीष कि तो समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले और क्या नहीं, वो तो खुद ही दिव्या को अपने दोस्तों से चुदवाने के लिए आया था और वो पहले से वहाँ चुद रही थी, उसकी समझ में ये नहीं आ रहा था कि वो खुश हो या गुस्सा करे , गुस्सा इसलिए कि उसकी बीबी को उसका नौकर चोद रहा था , और खुश इसलिए कि उसे अब दिव्या को अपने दोस्तों से चुदवाने को मनाने के लिए कोई मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी …

दिव्या भी सभी को अपने सामने देखकर घबरा सी गयी .

पर मनीष को साथ में देखकर और उसे गुस्सा न करता पाकर उसे भी कुछ - २ समझ में आने लगा था कि वह क्या होने वाला है .

सबसे पहले राहुल ही बोल पड़ा : "लो जी, यहाँ तो पहले से ही चुदाई का खेल चल रहा है ''

और फिर हरिया काका कि तरफ देखकर बोला : "अरे भाई हरिया काका , क्या खाता है तू जो तेरा पहलवान इस उम्र में भी चुदाई के लिए तैयार रहता है, तेरी कहानियां तो पहले भी सुन चूका हु अपनी बीबी से, पर आज तेरे पहलवान को देखकर समझ में आ रहा है कि क्यों वो तेरे लंड कि दीवानी थी, जैसी गाँव कि और भी औरतें दीवानी है …''

और दिव्या को देखकर बोला : "और देखो न, तुमने तो अपनी मालकिन को भी अपने पहलवान का दीवाना बना लिया .... हा हा हा ''

उसकी हंसी के साथ -२ बाकी के दोस्त भी हंसने लगे ...

वो आगे बोला : "देखो जी, बात अब ऐसी है कि मनीष भाई पुरे पचास हजार हार चूका है उधार के , और अपने बाप के पांच लाख भी , तो वो सब उधार चुकाने के लिए और घर का काम करवाने के लिए हमारे बीच एक समझोता हुआ है, जिसमे भाभी जी को हमें खुश करना होगा और बदले में हम मनीष को इस मुसीबत से निकालेंगे ''

राहुल कि बात सुनकर दिव्या को ज्यादा आश्चर्य नहीं हुआ, उसे मनीष से ऐसी ही उम्मीद थी, वो पहले भी उसे दांव पर लगाकर अपने पैसे बचा चूका था जंगल में, और अब फिर से अपने हारे हुए पैसे पाने के लिए और उधार के पैसे चुकाने के लिए वो उसे दांव पर लगाने को तैयार था ...

चाहे जो भी था, उसको भी तो मजे आने ही थे, और वो जिस तरह से हरिया काका से चुदाई करती हुई पकड़ी गयी थी, ऐसे में उसका विरोध करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता था, कुल मिलाकर वहाँ चल रहे चुदाई के खेल ने दोनों तरफ के प्रतिरोध को शांत कर दिया था.

हरिया काका भी अपनी किस्मत कि दाद दे रहे थे , कि कैसे रंगे हाथो पकडे जाने के बावजूद भी वो आसानी से बच गए .

वो अपने लम्बे लंड को शांत करते हुए एक किनारे पर जाकर खड़े हो गए .

राहुल ने पहल कि और अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए.

उसकी देखा देखि बाकी सभी ने भी अपने-२ कपडे उतारकर नीचे फेंक दिए.

सिर्फ मनीष रह गया अपने कपड़ो में , पर अब उसकी तरफ ध्यान देने का समय किसके पास था..

रिया और दिव्या तो पलंग पर चादर कि तरह बिछी पड़ी थी , उनकी टांगो के बीच से निकल रहा पानी इस बात कि गवाही दे रहा था कि वो भी इन सबके लिए तैयार है, दिव्या तो अपने पति का उधार उतारने के लिए चुदने को तैयार हो गयी, पर रिया का क्या, उसने तो किसी का उधार नहीं उतारना था, पर इस बात पर भी ध्यान देने का समय किसी के पास नहीं था, और रिया भी अपने आपको ऐसी स्थिति में पाकर काफी खुश सी थी, उसने एक साथ इतने सारे लंड आज तक नहीं देखे थे..

दिव्या ने भी देखा कि उसकी चुदाई अब ज्यादा देर तक चलेगी तो उसने सोचा पहले उठकर मूत आये, पर जैसे ही वो उठने लगी, राहुल ने उसे रोक लिया : "अरे भाभी जी, आप कहाँ चल दिए, आपकी खातिरदारी सबसे पहले मुझे ही तो करनी है ''

दिव्या : "अरे नहीं, मैं तो बस बाथरूम तक जा रही थी''

राहुल : "क्यों भाभी जी, इतने सारे लंड देखकर मूत लग गया क्या हा हा हा ''

उसकी बेहूदा हंसी देखकर दिव्या को गुस्सा तो बहुत आया पर वो खून का घूंट पीकर रह गयी ..

राहुल बोला : "अब जो भी करना है यही कर ले , ला मैं तेरी मदद करता हु ''

इतना कहकर वो सीधा उसकी चूत पर टूट पड़ा और अपनी मोटी उँगलियों से उसकी चूत के होंठों को गुलाब कि पंखुड़ियों कि तरह से मसलने लगा ..


वो मना करती रह गयी पर उसकी उँगलियों का जादू था ही ऐसा कि उसकी ना भी एक लम्बी सिसकारी में बदल कर रह गयी ..

''नाआआआअ अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स एस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ''

राहुल उसके गदराये हुए जिस्म को सांप कि तरह मचलता देखकर मुस्कुरा उठा 

राहुल ने अपनी उँगलियों को पिस्टन कि तरह उसकी चूत के अंदर पेलना शुरू कर दिया ..

एक तो पेशाब का प्रेशर और ऊपर से राहुल कि मोटी उँगलियों का कहर , दिव्या सम्भाल ही नहीं पायी अपने अंदर उमड़ रहे ज्वालामुखी को और एक जोरदार गर्जन के साथ बाहर निकाल दिया , उसकी चूत के अंदर से पेशाब कि धार ऊँचे फुव्वारे कि तरह बह निकली और दिव्या अपना सर पटकते हुए जोर से चीखने लगी ...

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स मई तो गयी। ..........''



पुरे कमरे में सिर्फ उसकी चूत से निकल रही आवाज गूँज रही थी ..

सुर्र्र्र्र्र सरररर सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र sssssssssssssssssssssss सुर्र्र्र्र्र सरररर सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र ......

अपने ही पसीने , रस और पेशाब से भीगी दिव्या किसी रांड से कम नहीं लग रही थी .

सभी कि हवस से भरी नजरें उसके नंगे जिस्म को भेद रही थी... 

इसी बीच थापा से सब्र नहीं हुआ और वो धीरे से खिसककर रिया के पास जा पहुंचा और राहुल कि तरफ देखा, जैसे वो उसकी बीबी को चोदने कि परमिशन मांग रहा हो, राहुल ने मुस्कुरा कर उन्हें आगे बढ़ने को कहा, बस फिर क्या था, थापा ने अपने पहाड़ी लंड को एक ही झटके में रिया के मुंह के अंदर घुसेड़ दिया और लगा उसके मुंह को किसी कुतिया कि तरह चोदने.

''अग्गग्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म उफ्फ्फ्फफ्फ़ अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह धीरे थापा। …।थ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। …।''

और दूसरी तरफ से बिल्लू भी धीरे से चलकर आगे आया और रिया कि टांगो को चौड़ा करके उन्हें फेला दिया और फिर खुद उनके बीच बैठकर वहाँ पर आयी हुई नमी को अपनी जीभ से पोछकर उसे सुखाने लगा. 

रिया ने अपनी मोटी जांघे उसकी गर्दन से लपेट कर उसे अपना बंदी बना लिया , अब उसके अंदर खुजली सी हो रही थी, जिसे बिल्लू ने साफ़ महसूस किया, वो खुजली उसकी जीभ से मिटने वाली नहीं थी, इसलिए वो खड़ा हुआ और अपने मीडियम साईज के लंड को हमले के लिए तैयार करने लगा, और फिर उसने जैसे ही अपने सिपाही को रिया कि चूत के किले के अंदर धकेला, रिया ने थापा के लंड को बाहर उगल दिया और एक जोरदार चीख मारकर बिल्लू के लंड का स्वागत किया 


''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म। …। बीइलल्लूऊऊ उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म। …… चोद साले। ……अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

अब पुरे कमरे में सिर्फ मनीष, हरिया काका और राजेश ही बचे थे जो बिना चुदाई के खड़े थे , हरिया काका तो पहले मजे ले ही चुके थे और अब अपने मालिक के सामने उनकी ही बीबी या माशूका को चोदने कि हिम्मत उनमे नहीं हो रही थी, वैसे मनीष मना तो न करता क्योंकि जहा इतने लोग उसकी बीबी के साथ मजे ले रहे हैं, एक हरिया काका भी मजे लेले तो क्या फर्क पड़ेगा, पर नौकर-मालिक के रिश्ते का लिहाज करते हुए हरिया काका अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहता था .

राजेश खिसक कर रिया कि बगल में जाकर खड़ा हो गया और अपने हाथों से उसके मुम्मों को मसलने लगा, रिया ने अपने दूसरे हाथ से उसके लंड को पकड़ा और मसलना शुरू कर दिया ..

मनीष का मन तो रिया को चोदने का कर रहा था पर वहाँ पहले से ही काफी भीड़ हो चुकी थी , वो बस अपनी बारी कि प्रतीक्षा करने लगा 

दूसरी तरफ दिव्या जब अपने नशे से उभरी तो उसकी नजरों के सामने राहुल का लम्बा लंड लहरा रहा था, उसे पता था कि अब उसे क्या करना है, वो उठी और अपने होंठों को बड़ी ही अदा के साथ घुमा कर उसके लंड के ऊपर लायी और अपनी जीभ ऐसे घुमाई जैसे आइसक्रीम कोन के ऊपर कि मलायी चाट रही हो



और फिर उसे अपने मुंह के अंदर भरकर बाकी का माल भी चखने लगी, उसने जंगल में भी राहुल का लंड चूसा था पर उस समय हालात दूसरे थे

अब वो पुरे मजे के साथ सब कुछ करना चाहती थी...

अपने दिल कि हर इच्छा पूरी करना चाहती थी .

राहुल का तो बुरा हाल था, दिव्या जैसी सेक्सी लड़की उसके लंड को किसी रंडी कि तरह चूस रही थी, इतना तेज तो उसने जंगल में भी सक्क्क नहीं किया था.

राहुल सोफे के ऊपर लेट सा गया और दिव्या ने उसके मोटे लंड को पकड़कर अपने गले के अंदर तक डीप थ्रोट ट्रीटमेंट देना शुरू कर दिया


वो तो चुदाई के आलम में दीवानी सी होकर अपना सब कुछ राहुल के लंड पर न्योछावर करने के लिए तैयार बैठी थी 

उसने राहुल के लंड को पूरा अंदर ठूस लिया, यहाँ तक कि उसकी बॉल्स को भी अपने मुंह के अंदर दाल लिया और चूसा, फिर धीरे से उसकी बॉल्स और लम्बे लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल दिया


राहुल तो उसकी ये कलाकारी देखकर उसकी सक्किंग कर कायल हो गया , उसके तो सारे पैसे वहीं के वहीँ वसूल हो गए .

उसने दिव्या को सीधा बेड पर लिटाया, और खुद उसके सामने पहुँच गया और फिर उसकी मखमली टांगो को उठाकर अपने लंड को अंदर धकेला 

उसका लंड सुरसुराता हुआ चूत कि तंग गलियों को चीरता हुआ अंदर तक जा पहुंचा .

"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ मरररररर गयी "


दूसरी तरफ दिव्या जब अपने नशे से उभरी तो उसकी नजरों के सामने राहुल का लम्बा लंड लहरा रहा था, उसे पता था कि अब उसे क्या करना है, वो उठी और अपने होंठों को बड़ी ही अदा के साथ घुमा कर उसके लंड के ऊपर लायी और अपनी जीभ ऐसे घुमाई जैसे आइसक्रीम कोन के ऊपर कि मलायी चाट रही हो



और फिर उसे अपने मुंह के अंदर भरकर बाकी का माल भी चखने लगी, उसने जंगल में भी राहुल का लंड चूसा था पर उस समय हालात दूसरे थे

अब वो पुरे मजे के साथ सब कुछ करना चाहती थी...

अपने दिल कि हर इच्छा पूरी करना चाहती थी .

राहुल का तो बुरा हाल था, दिव्या जैसी सेक्सी लड़की उसके लंड को किसी रंडी कि तरह चूस रही थी, इतना तेज तो उसने जंगल में भी सक्क्क नहीं किया था.

राहुल सोफे के ऊपर लेट सा गया और दिव्या ने उसके मोटे लंड को पकड़कर अपने गले के अंदर तक डीप थ्रोट ट्रीटमेंट देना शुरू कर दिया


वो तो चुदाई के आलम में दीवानी सी होकर अपना सब कुछ राहुल के लंड पर न्योछावर करने के लिए तैयार बैठी थी 

उसने राहुल के लंड को पूरा अंदर ठूस लिया, यहाँ तक कि उसकी बॉल्स को भी अपने मुंह के अंदर दाल लिया और चूसा, फिर धीरे से उसकी बॉल्स और लम्बे लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल दिया


राहुल तो उसकी ये कलाकारी देखकर उसकी सक्किंग कर कायल हो गया , उसके तो सारे पैसे वहीं के वहीँ वसूल हो गए .

उसने दिव्या को सीधा बेड पर लिटाया, और खुद उसके सामने पहुँच गया और फिर उसकी मखमली टांगो को उठाकर अपने लंड को अंदर धकेला 

उसका लंड सुरसुराता हुआ चूत कि तंग गलियों को चीरता हुआ अंदर तक जा पहुंचा .

"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ मरररररर गयी "

दिव्या ने अपनी टाँगे राहुल कि कमर से लपेट दी और दिल खोलकर अपनी चुदाई का मजा लेने लगी 

राहुल ने भी उसकी कमर पर हाथ रखकर उसकी रेल बना दी, ऐसे झटके दिए कि उसके पुरे शरीर से सागर के सामान लहरें उठने लगी

हर्षित भी काफी देर से दिव्या भाभी को चुदते हुए देखे जा रहा था, दिव्या कि नजरें भी रह रहकर उसकी तरफ ही जा रही थी, उसने इशारे से हर्षित को अपनी तरफ बुलाया, वो उसके पालतू कुत्ते कि तरह अपने लंड को लहराता हुआ उसके सर के पास जा पहुंचा, दिव्या ने अपना हाथ उठा कर उसके लंड पर रख दिया और उसे हिलाने लगी, हर्षित ने भी झुक कर उसकी दोनों जांघो को पकड़ा और उन्हें ऊपर अपनी तरफ खींचा, इस तरह से राहुल के सामने पड़ी हुई दिव्या कि चूत और भी ज्यादा खुल कर सामने आ गयी और अब दिव्या को राहुल का लंड थोडा और अंदर तक महसूस हो रहा था 

दिव्या ने अपने सर के ऊपर हाथ करके हर्षित के लंड को पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी और राहुल कि आँखों में देखकर उसके लंड का भी पूरा मजा लेने लगी 





सभी अपने - २ लंड के झड़ने का इन्तजार कर रहे थे 

राहुल का झड़ने तो वाला था पर काफी देर तक एक ही एंगल में चोदते हुए वो थक चुका था , इसलिए वो बेड पर लेट गया और दिव्या को अपने ऊपर लिटा कर नीचे से उसकी चूत के अंदर अपनी मिसाईल फिट करके ऊपर कि तरफ झटके देने लगा 

''उम्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह फक्क फक्क फक्क ओह्ह्ह्ह या फक्क्क्क मीईए उम्म्म्म स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ''

दिव्या तो ऐसे चीखे मार रही थी जैसे वो मनीष से चुदते हुए मारती थी, मनीष भी अपनी बीबी के रंडीपन को देखकर हैरान रह गया ..

राहुल ने अपने मुंह से दिव्या के मुम्मे दबोच लिए और जैसे ही उसके लंड ने चूत के अंदर पिचकारियाँ मारनी शुरू कि, उसके दांतो ने उसके पिंक निप्पलस को ऐसे तरोड़ा-मरोड़ा कि दिव्या कि दर्द भरी चीख पुरे कमरे में गूँज गयी। .


अयययययीईईईईई अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ ………अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …… धीरे करो। ……अह्ह्ह्ह्ह … दर्द हो रा है। ……।''

और इसी के साथ राहुल का लंड भी फिसलकर दिव्या कि चूत से बाहर निकल आया ..

और पीछे -२ निकला ढेर सारा लंड का रस .

जिसने बिस्तर को और भी ज्यादा भिगो दिया ..



ये तो अभी शुरुवात थी, अभी और भी लंड अपना माल उगलने को तैयार थे ..


अब हर्षित आगे आ गया , दिव्या अपनी साँसे संभल ही रही थी कि हर्षित उसके ऊपर आकर लेट गया, दिव्या ने अपनी आँखे खोली और हर्षित ने उसे चूम लिया 

दिव्या : "रुको न हर्षित, अभी थोडा आराम तो करने दो , एकदम से दोबारा नहीं होगा मुझसे , प्लीज दस मिनट रुक जाओ बस ....''

हर्षित ने उसके बालों को पकड़ा और उन्हें अपनी तरफ लेकर जोर से स्मूच किया और फिर बोला : "साली , तुझे आराम कि नहीं, चुदाई कि जरुरत है, नहीं तो हमारे पैसे कैसे वसूल होंगे , भेन चोद, चल पलट जा …''

दिव्या के साथ - २ मनीष भी हर्षित कि ऐसी बाते सुनकर हैरान था, कुछ देर पहले तक उसकी बीबी को जितने आदर के साथ सभी भाभी जी कहकर बुलाते थे, उसे अब किसी धंधेवाली कि तरह ट्रीट किया जा रहा था, और इसका जिम्मेदार वो खुद था, दिव्या ने उसकी तरफ देखा पर उसने सर झुका लिया, वो कुछ नहीं कर सकता था, अपनी बेबसी पर वो आज बहुत शर्मिंदा था.

हर्षित को भी इसी बात का गुस्सा था कि सबसे पहले दिव्या ने उसके साथ सेक्स क्यों नहीं किया, और अब वो इसी बात का गुस्सा उसपर निकाल रहा था.

दिव्या पलट कर बिस्तर पर उलटी लेट गयी, उसकी गांड उभर कर सामने आ गयी, जिसे देखकर सबकी आँखे चमक उठी.


मनीष समझ गया कि हर्षित के मन में क्या चल रहा है, वो उसकी गांड मारना चाहता था, वो गांड जिसे वो आजतक खुद भी नहीं मार सका था.

जैसे ही हर्षित ने अपनी ऊँगली उसकी गांड के अंदर घुसाई, दिव्या एक जोरदार चीख के साथ उछल पड़ी 

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह नूऊऊऊऊऊओ वहा नहीईईईइ ''

मनीष बोला : "हर्षित, ये क्या कर रहे हो, वहा से तो दिव्या ने आज तक मुझसे भी नहीं करवाया, तुम कैसे कर सकते हो और वैसे भी बात सिर्फ आगे से करने कि हुई थी उसी के बदले तुम लोग पैसे दे रहे हो ''

हर्षित भी तैश में आ गया : "अरे छोड़ ये सब, जब बात हुई थी तो मजे लेने कि, आगे से या पीछे से लेने कि नहीं, और रही बात दिव्या के करने कि तो एक न एक दिन तो उसकी गांड फटनी ही है, आज ही क्यों नहीं, इतने सारे देवर जो है उसकी मदद करने के लिए, तुझ अकेले से तो ये काम वैसे भी नहीं होगा हा हा ''

मनीष खून का घूँट पीकर रह गया 


हर्षित आगे बोला : "बाकी रही बात तेरी, तो तू ऐसा कर, इसकी गांड कि कीमत अलग से ले ले, ताकि तेरे दिल में भी मलाल न रहे , बोल कितना दाम लगाता है अपनी बीबी कि कुंवारी गांड का''

उसने अपना पंजा जोर से उसकी गोरी चिट्टी गांड के ऊपर मारा और सभी ने अपनी नजरें दिव्या कि चिकनी गांड पर रख दी 



उसकी चिकनाहट देखकर सभी का दिल मचल उठा

मनीष ने हकलाते हुए कहा : "तुम सभी बोली लगाओ, जिसकी ज्यादा होगी, वही सील तोड़ेगा इसकी गांड कि ''

उसकी बात सुनकर दिव्या तो हैरान रह गयी, अपनी बीबी को अपने दोस्तों के हाथो बेचने के बाद अब उसकी गांड कि भी बोली लगा रहा था मनीष, कितना नीच इंसान है ये ..

फिर क्या था, सभी उसकी बोली लगाने लगे ..

हर्षित बोला : "दस हजार"

बिल्लू : "बीस हजार"

राजेश : "पच्चीस हजार "

थापा भी बोल पड़ा : "तीस हजार ''

राहुल बोला : "पचास हजार ''

एक पल के लिए वहाँ सन्नाटा सा छा गया, तभी पीछे से आवाज आयी : "साठ हजार " 

सबने नजर घुमा कर वहाँ देखा , वो हरिया काका थे. 

सभी हैरानी से उन्हें देखने लगे, जैसे पूछ रहे हो कि बुड्ढे तेरे पास इतने पैसे कहाँ से आये. 

हरिया उनकी नजरों कि भाषा समझ गया और बोला : " वो, वो .... मैंने बचा कर रखे थे सालो से ''

उसकी बात सुनकर सभी का तो पता नहीं पर दिव्या कि आँखे जरुर भर आयी, उसकी गांड कि सील तोड़ने के लिए हरिया काका अपनी जिंदगी भर कि पूँजी लूटाने को तैयार थे, वो गदगद हो उठी हरिया काका के प्यार को महसूस करके. 

पर तभी हर्षित फिर से बोल पड़ा : "अस्सी हजार ''

राहुल : "नब्बे हजार ''

और कोई अब बोली नहीं लगा रहा था, क्योंकि किसी के पास अब इतने पैसे बचे ही नहीं थे. 

हर्षित : "एक लाख ''

अब राहुल भी सोचने लगा, कि सिर्फ पहली बार चोदने के लिए वो क्यों एक लाख रूपए बर्बाद करे, एक बार उसकी गांड कि सील टूट गयी फिर तो वो मुफ्त में भी मार सकता है , ये सोचकर उसने आगे बोली नहीं बड़ाई और इस तरह से हर्षित वो बाजी जीत गया. 




मनीष ने हर्षित कि तरफ देखा और उसने अपनी जेब से हजार के नोट कि गड्डी निकाल कर उसकी तरफ बड़ा दी, मनीष तो बहुत खुश हुआ पर दिव्या कि जान पर बन आयी. 

उसे हर्षित पसंद था पर ऐसा कोई भी इंसान नहीं जो उसकी गांड पर नजर रखता हो, उसकी कई बार मनीष से भी लड़ाई हो चुकी थी इस बात पर. 


 लेकिन अब तो उसकी गांड कि कीमत भी लग चुकी थी, हर्षित ने पेमेंट भी कर दी थी , वो मना करना चाहती थी पर उसे पता था कि वहाँ उसकी एक नहीं चलेगी. 

हर्षित ने अपनी ऊँगली पर थोड़ी सी थूक लगायी और फिर से अपनी ऊँगली उसकी गांड के अंदर डाल दी , इस बात उसने तकिया अपने मुंह के अंदर फंसा कर अपनी चीख रोकी, थोड़ी देर तक उँगलियाँ अंदर घुमाने के बाद उसने एक और ऊँगली अंदर डाली, और थोड़ी देर बाद एक और, इस तरह से हर्षित कि चार उँगलियाँ उसकी गांड के अंदर चली गयी, और लगभग इतनी ही मोटाई थी उसके लंड कि , उसने सोचा कि अब सही मौका है, उसने अपने लंड के ऊपर ज्यादा थूक लगायी और उसे अंदर जाने के लिए तैयार किया, दिव्या कि कमर पकड़कर उसने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी गांड के छेद पर अपना लंड रखकर धीरे से धक्का दिया 

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अयययययीईईईईईईईई ''

सभी का ध्यान उसी तरफ था, गांड फटने का लाइव शो चल रहा था , बिल्लू ने तो अपना मोबाइल कैमरा भी चालू कर दिया था, वो सब रिकॉर्ड कर रहा था.

दिव्या कि आँखों में आंसू आ गए, उसने तकिये को पूरी तरह से अपने मुंह में चबा कर पीस डाला 

हर्षित ने एक और धक्का मारा , फिर एक और, फिर एक और.... 

और धीरे-२ करते हुए उसने अपना पूरा गुलगुले उसकी गांड के छेद के पार पंहुचा दिया.. 

अब तक दिव्या का दर्द भी कम होने लगा था, और उसकी चूत कि तरफ से आ रही तरंगे उसे अपनी गांड पर महसूस हो रही थी , उसे भी मजा आने लगा था, पर दर्द अभी भी हो रहा था उसे. 

और फिर हर्षित ने उसकी कमर के दोनों तरफ हाथ रखकर उसकी गांड जोर से मारनी शुरू कर दी.. 

दिव्या फिर से दर्द और मजे से मिली जुली आवाजों में चीखने लगी ...


''अह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्ह उम्म्म्म अह्ह्हह्ह येस्स्स्स अह्ह्हह्ह धीरे आआअह्हह्हह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म येस्स्स्स ओह्ह्हह्ह्ह्ह य़ाआआ उम्म्म्म्म्म्म्म ''

दिव्या कि कामुक आवाजों ने तो पुरे कमरे का माहोल बना दिया.

रिया भी कुलबुलाने लगी , उसने अपने पुराने आशिक़ मनीष को देखा , उसने अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए, वैसे भी मनीष अपनी बीबी कि गांड फटते हुए देखकर काफी उत्तेजित हो चूका था, क्योंकि उसका भी तो रास्ता अब खुल गया था. 

वो नंगा होकर रिया के पास आया और उसकी टांगो को मोड़कर ऊपर कर दिया और अपना लंड एक ही झटके में अंदर पेल दिया, और धीरे-२ धक्के मारने लगा. 



दोनों एक दूसरे को चूम भी रहे थे. 

मनीष ने नजर घुमा कर अपनी बीबी कि तरफ देखा जो उसी तरफ देख रही थी, अपने पति को किसी और कि चूत मारते हुए.

दोनों कि नजरें मिली और फिर दोनों ही मुस्कुरा दिए और फिर अपनी-२ चुदाई में लग गए..

हर्षित को ऐसी फीलिंग आज तक नहीं मिली थी, वैसे तो उसने आज तक किसी कि गांड नहीं मारी थी, आज मारने को मिली वो भी कुंवारी, उसके लंड का बुरा हाल था, ऐसा लग रहा था कि उसके चारों तरफ कोई फंदा बना कर उसे बंदी बना लिया गया है, पर उसे मजा भी बहुत आ रहा था.. 

वो हर एंगल से उसकी गांड के मजे लेना चाहता था, आखिर उसने एक लाख रूपए जो खर्च किये थे.











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Fentency जुए की लत--11

Fentency

 जुए की लत--11

 उस दिन के बाद तो मनीष और रिया रोज ही एक दूसरे से चुदवाने लगे , शायद ही ऐसा कोई दिन निकलता था जब रिया कि चूत के अंदर मनीष का लंड न जाता हो , रिया को भी सेक्स करने में बहुत मजा आता था, उसकी हालत उस नवविवाहित दुल्हन के जैसे थी जो शादी के बाद लगभग रोज चुदाई करवाती है , उस समय का चार्म होता ही कुछ ख़ास है ..

वैसे तो उसने खेतों में, स्कूल में, अपनी सहेली के घर में, और तो और अपने घर में भी मनीष से चुदाई करवायी थी, पर जो मजा उसे मनीष के घर के पीछे वाले कमरे में चुदने में आता था, वो कहीं और नहीं आता था, क्योंकि हर बार मनीष उसे तभी अपने घर लेजाकर चोदता था जब उसके माता - पिता कही गए होते थे , पर हरिया काका हमेशा घर पर ही होते थे, और जब भी मनीष छुपकर पीछे वाले कमरे कि तरफ आता था तो हरिया काका भी भाग कर अपनी जगह पर जाकर छुप जाते थे और उस दिन कि चुदाई रिया के लिए सबसे मजेदार होती थी , वो खुल कर चुदवाती थी और तेज-२ आवाजें भी निकालती थी क्योंकि उसे पता था कि ये सब आवाजें हरिया काका सुन रहे होते हैं .

आज भी ऐसा ही दिन था, हमेशा कि तरह मनीष ने रिया को पीछे वाले कमरे में जाने के लिए कहा और खुद थोड़ी ही देर में वहाँ पहुँच गया. 

वो पहले से ही अपने सारे कपडे उतार कई नंगी नागिन कि तरह घांस पर लोटनिया मार रही थी 

उसका एक हाथ अपनी ब्रेस्ट पर था, दूसरा चूत के अंदर , आँखों से काम वासना टपक रही थी और अंदर एक तूफ़ान जन्म ले चूका था. 

हरिया काका भी अपनी जगह आ चुके थे और अपनी धोती को खोकर उन्होंने नीचे फेंक दिया और दरार से झांककर अंदर का नजारा देखते हुए अपने लंड को मसलने लगे. 

जैसे ही मनीष वहाँ पहुंचा, उसने झटके से उठकर उसकी टाँगे पकड़ ली और जल्दी -२ उसकी पेंट कि बेल्ट खोलकर उसे नीचे गिरा दिया, और जैसे ही उसका 6 इंच का लंड उसके सामने नाचा उसकी जीभ भी हरकत में आकर नाचने लगी उसके ऊपर नीचे, और एक मिनट के अंदर ही उसके मुंह से झाग निकलने लगी और मनीष अपने पंजों पर खड़ा हुआ सिर्फ कराह ही रहा था. 


''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह साली .......... काट कर अलग ही कर देगी क्या। ……अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……धॆएरे चूस भेन की लोड़ी ………।उम्म्म्म्म्म्म्म्म ''

रिया को भी ऐसी गालियां सुनने में मज़ा आता था, उसके अंदर कि कुतिया जाग उठती थी ऐसी गालियां और बाते सुनकर और वो तेजी से वो सब करने लगती जिसके लिए वो मना कर रहा होता था. 

अभी उनका कार्यकर्म चल ही रहा था कि मनीष के फ़ोन कि घंटी बज उठी , उसने जल्दी से अपनी पेंट से फ़ोन निकाला, वो उसके पिताजी का था, उसने रिया को चुप रहने का इशारा किया और फ़ोन उठाया 


 ''हेल्लो …… हाँ पिताजी .... बोलिये …क्या …।अभि , पर मैं .......ओहो …… मैं आता हु , …।''

इतना कहकर उसने फ़ोन रख दिया और नीचे झुककर अपनी पेंट ऊपर कर ली.. 

''क ककया हुआ। ….इसे कैसे चल दिए एकदम से … अभी तो कुछ हुआ भी नहीं , ''

रिया ने हकलाते हुए कहा .

उसे तो ऐसा लगा कि किसी ने उसके सामने से पकवान से सजी हुई थाली उठा ली है. 

मनीष : " वो पिताजी तहसील गए है न, जमीन को खरीदने कि बात चला रखी है आजकल सरकार ने, उसके लिए मेरे सिग्नेचर भी चाहिए उन्हें , अभी जाना होगा, नहीं तो ये काम फिर से लटक जाएगा, मैं चलता हु, तुम भी कपडे पहनो और निकल जाओ , ओके …''

इतना कहकर वो भागता हुआ बाहर गया और अपनी जीप में बैठकर तहसील के लिए निकल गया.. 

रिया वहाँ नंगी बैठी रेह गयी , उसका बदन जल रहा था, उसकी चूत से बुलबुले निकल रहे थे, इतनी ज्यादा चुदाई कि इच्छा तो उसे आजतक नहीं हुई थी , तभी उसे हरिया काका का ध्यान आया , उसने मन ही मन निश्चय कुछ कर लिया ,उसने सोचा, एक न एक दिन तो उसे हरिया काका से चुदवाना ही है, तो आज ही सही ..और वो उठकर वहाँ चल दी जहाँ हरिया काका खड़े थे ..

वो कमरा दरअसल जानवरों के लिए घांस फूंस रखने वाला कमरा था, पीछे कि दिवार बांस के डंडो से बनी थी और उसपर घांस फूस लगाकर ऊपर तक खड़ा किया गया था उसे , उसी घांस के बीच में से जगह बनाकर हरिया काका अंदर देखा करते थे. 

हरिया काका को रिया को अपनी तरफ आते देखकर एकदम से सकपका से गए, 

वो धीरे-२ मचलकर चलती हुई वहाँ तक पहुंची और बोली : "मुझे पता है हरिया काका कि आप यहाँ छुपकर हमेशा मुझे और मनीष को देखा करते हो ……''

हरिया काका के तो होश उड़ गए उसकी बात सुनकर , वो मासूम सी दिखने वाली बच्ची ऐसी बातें खुलकर करेगी, उन्हें विश्वास ही नहीं हो पा रहा था. 

हरिया काका ने आँखे लगा कर अंदर देखा तो वो बिलकुल पास खड़ी थी उनके , इतनी पास कि उसके शरीर से निकल रही खुशबु उन्हें साफ़ महसूस हो रही थी , उसकी बड़ी -२ हिरनी जैसी आँखे, लम्बी सुराहीदार गर्दन, मादकता से भरे हुए उसके सुडोल स्तन और नीचे उसकी पतली कमर, और अंत में उसकी चिकनी चूत जिसमे से मीठा रस आधा लटका हुआ सोच रहा था कि नीचे गिरे या फिर वापिस ऊपर चला जाए ....

वो समझ तो रहे थे कि रिया उनसे अब क्या चाहती है, पर फिर भी अपनी तरफ से कोई पहल नहीं करना चाहते थे. 

रिया ने जब देखा कि उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आ रहा है तो उसने अपना हाथ ऊपर किया और जहाँ से हरिया काका अंदर देख रहे थे, वहाँ कि घांस में अपनी लम्बी ऊँगली डाल दी, जो हलकी घांस को चीरते हुए दूसरी तरफ से निकल कर हरिया काका कि आँखों के सामने लहराने लगी 

उन्होंने उसे देखा और फिर अपना मुंह खोलकर रिया कि पतली और गोरी ऊँगली को अपने मुंह के अंदर निगल लिया . 

''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह। .......उ म्म्म्म्म्म …। काकआआअ .......... एस्स्स्स्स्स्स्स्स्स .......''

वो अपनी एक टांग पर खड़ी हो गयी, और दूसरी टांग ऊपर उठा कर अपनी चूत को खुद ही रगड़ने लगी ।

हरिया काका के गर्म मुंह के अंदर अपनी ऊँगली डालकर उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसने खुद कि चूत के अंदर उंगलियां डाल रखी हो , फर्क सिर्फ इतना था कि यहाँ दांत भी थे जो एक अलग ही उत्तेजना पैदा कर रहे थे उसके शरीर में .... धीरे-२ उसने अपनी दूसरी और फिर तीसरी ऊँगली भी उनके मुंह के अंदर डाल दी , हरिया काका किसी प्यासे जानवर कि तरह उसकी उँगलियों का रस पी रहे थे .

रिया ने आस पास कि सारी घांस नोच कर नीचे फेंक दी, अब वो साफ़ तरीके से हरिया काका को देख पा रही थी, अपना हाथ चूसते हुए. 

उसकी नजरें नीचे कि तरफ गयी वो उसकी आँखे फटी कि फटी रह गयी , वो नीचे से नंगे थे और उनका लंड किसी लम्बे डंडे कि तरह तन कर खड़ा था , उसे गाँव कि दूसरी औरतों कि बातें याद आ गयी, सच में हरिया काका का लंड बहुत बड़ा है , उसे देखते ही उसके मुंह और चूत में एक साथ पानी आ गया. 


 रिया को अपने लंड कि तरफ देखता पाकर हरिया काका ने भी नीचे कि तरफ कि घांस हटाई और अपने डंडे को बांस के डंडो के बीच में फंसा कर रिया कि तरफ खिसका दिया , दो इंच तो उसकी तरफ आ ही नहीं पा रहा था फिर भी बचा हुआ 6 इंच का लंड उसके सामने पहुँच गया , उसने अपने दूसरे हाथ को नीचे किया और उस गर्म रोड को पकड़ कर एक जोरदार सिसकारी मारी.. 

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……… ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …। काका .......... उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ………''

अब उससे सब्र नहीं हो पा रहा था, वो झट से नीचे बैठ गयी और उनके मोटे लंड को सीधा अपने मुंह के अंदर निगल कर जोरों से चूसने लगी 

गाँव कि ज्यादातर औरतें लंड चूसने में आनाकानी करती थी, उन्हें तो बस अपनी चूत कि आग बुझवाने से मतलब होता था, रिया को अपना लंड चूसते देखकर हरिया काका को बहुत ख़ुशी हुई , उन्होंने बांस के डंडो को अपने हाथों से पकड़ लिया और आगे कि तरफ जोर से धक्के मारने लगे , उन्होंने अपना कुरता भी उतार कर नीचे फेंक दिया, अब वो पुरे नंगे थे .

उनके हर धक्के से पूरी दिवार हिल रही थी , और रिया भी 

पांच मिनट तक ऐसे ही लंड चूसने के बाद रिया कि हालत खराब हो गयी, उसने उनका लंड बाहर निकाला और बोली : "काका , अब बर्दाश्त नहीं होता, जल्दी से अंदर आओ …''

काका समझ गए कि लोहा पूरी तरह से गर्म हो चूका है , उन्होंने भी अपना लंड बाहर खींचा और हाथी जैसी मस्त चाल में चलते हुए धीरे-२ अंदर कि तरफ चल दिए 

रिया कि तो हालत ही खराब थी अंदर , वो बड़ी ही बेसब्री से हरिया काका के अंदर आने कि प्रतीक्षा कर रही थी 

घर में कोई नहीं था, इसलिए वो नंगी ही बाहर निकल आयी और हरिया काका कि तरफ दौड़ कर पहुंची और उछल कर उनकी गोद में चढ़ गयी 

"यहाँ मेरी चूत में आग लगी हुई है और आप अपनी मस्ती में चलकर आ रहे हैं …।''

उसका शिकायत करने का लहजा हरिया काका को भी पसंद आया, उन्होंने अपनी बलिष्ट बाजुओं में उसे उठाया और अपने खड़े हुए लंड के ऊपर उसकी चूत को लगाकर बोले : "अभी बुझाता हु तेरी चूत कि आग अपने पाईप से …''

वो कुछ और बोल पाती, इससे पहले ही हरिया काका ने उसके वजन को छोड़ दिया और उनका लंड उसकी चूत को खीरे कि तरह चीरता हुआ अंदर तक जा घुसा ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …… मरर गयीईईई ……इतना लम्बा ।अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म '''

वो चिल्ला भी रही थी और सिस्कारियां भी ले रही थी, 

हरिया काका अभी भी चलते हुए उसे अंदर ले जा रहे थे, इस बीच रिया कि चूत ने पूरी तरह से हरिया काका के लंड को अपने अंदर एडजस्ट कर लिया था . 

और जब तक हरिया काका उसे लेकर अंदर पहुंचे , रिया ने उनके गले से लटके हुए ही , धीरे-२ ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया था 

अंदर आकर हरिया काका ने एक ही झटके में उसे घांस के बण्डल पर पटक दिया, रिया को तो ऐसा लगा जैसे उसकी चूत से किसी ने उसकी जान निकाल ली है. 

''उम्म्म्म्म्म्म ....... तरसाओ मत काका ……।चोदो मुझे ……अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''


 हरिया काका भी शातिर खिलाडी थे , वो बोले : "एक शर्त पर …तुझे रोज रात को मेरे पास आना होगा, ''

रिया के लिए तो ये शर्त नहीं, बल्कि एक वरदान था, क्योंकि उनके लंड को अंदर लेकर वो एक बात तो जान ही चुकी थी कि उसकी चूत का असली दाम तो हरिया काका का लंड ही दे सकता है , उसने ख़ुशी -२ हामी भर दी.. 

हरिया काका भी मुस्कुराते हुए नीचे झुके और उसकी टाँगे चौड़ी करके अपना पाईप फिर से उसकी चूत में पेल दिया और वहाँ पर लगी हुई आग पर काबू पाने कि कोशिश करने लगे .

उनके हर झटके से वो ऊपर उछल जाती और फिर से नीचे आ गिरती. 

''अह्ह्ह्हह्ह काका ओह्ह्हह्ह येस्स्स्स अह्ह्ह्हह्ह ऐसे ही उम्म्म्म्म्म्म्म्म और जोर से काका तेज करो और तेज अह्ह्हह्ह हाँ उम्म्म्म्म्म्म्म्म ''


पर बिना पानी के कब तक आग बुझाते वो, अगले पंद्रह मिनट तक भरपूर झटकों के बाद आखिरकार उन्होंने अपने अंदर पानी का निर्माण कर ही लिया और पाईप के जरिये उसकी चूत के अंदर भी पहुंचा दिया .


अपने अंदर उनका गर्म पानी महसूस करते हुए वो हरिया काका के जिस्म से बुरी तरह से चिपक गयी 

''ओह्हह्हह्हह्हह काका …।आज आपने मुझे पूरा तृप्त कर दिया है। ……. अब ये मजा मुझे रोज मिलेगा, उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म …।''

वो मन ही मन खुश हो रही थी .

और हरिया काका कि लिस्ट में एक और नाम जुड़ चूका था .


 और उस दिन के बाद ना जाने कितनी बार रिया ने हरिया काका के लंड से अपनी प्यास बुझाई , मनीष के साथ भी उसका चक्कर चलता रहा, और फिर एक दिन मनीष अपनी पूरी फेमिली के साथ शहर में शिफ्ट हो गया पर रिया को उसकी कमी ज्यादा महसूस नहीं हुई क्योंकि हरिया काका तो हमेशा उसे चोदने के लिए तैयार रहते थे , और फिर एक दिन उसकी भी शादी हो गयी राहुल के साथ और सबकी लाइफ आराम से चलने लगी .

वहाँ पर बैठे - २ रिया कि जिंदगी के वो दिन पूरी पिक्चर कि तरह घूम रहे थे उसकी आँखों के सामने .

आज भी जब से उसने हरिया काका का लंड चूसा था , तब से उसकी चूत भी कुलबुला रही थी उनके लंड को अपने अंदर लेने के लिए.

अगली बाजी शुरू हो चुकी थी , मनीष के पास अब सिर्फ पचास हजार रूपए बचे थे , सबने बूट के पैसे बीच में फेंक दिए. 

थापा के पास पैसे ख़त्म हो चुके थे, इसलिए वो अब खेल नहीं रहा था. 

बिल्लू के पास भी कम पैसे थे , इसलिए उसने बिना ब्लाइंड चले ही अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास बादशाह, बेगम और चार नंबर आये थे … उसने पेक कर लिया , क्योंकि वो ज्यादा चांस नहीं लेना चाहता था .

हर्षित और राहुल ने ब्लाइंड चली. 

राजेश ने पत्ते उठा लिए , उसके पास इक्का, बादशाह और दस नंबर थे. उसने भी चाल चल दी. 

अब बारी थी मनीष कि , उसका एक मन तो हो रहा था कि पत्ते देख ले, पर फिर ना जाने क्या सोचकर उसने भी ब्लाइंड चल दी और वो भी डबल , यानि दो हजार कि.

हर्षित और राहुल ने भी डबल ब्लाइंड चल दी. 

अब राजेश कि फट रही थी , उसे ब्लाइंड से डबल चाल चलनी थी, यानि चार हजार कि , उसके पत्ते भी इतने बढ़िया नहीं थे, इसलिए उसने मन मारते हुए पेक कर लिया. 

अब बीच में थे सिर्फ हर्षित, मनीष और राहुल. 

मनीष कि बारी आने पर उसने और दिलेरी दिखाते हुए ब्लाइंड को फिर से डबल कर दिया, यानि चार हजार कि .

वो शायद सोच रहा था कि एक ही बार में या तो इस पार या उस पार .... जुआ खेलने कि लत्त में जुवारी अक्सर ये भूल जाता है कि किस्मत अगर उसके साथ होती तो शायद वो जिंदगी में कभी ना हारता , पर किस्मत ऐसे लोगो का साथ कभी नहीं देती जो बिना सोचे समझे अपनी जिंदगी जीते हैं. 

अब तो हर्षित को भी डर सा लगने लगा , उसने अपने पत्ते उठा ही लिए, इसके पास कलर आया था पान का , नम्बर थे चार, पांच और गुलाम , उसने आठ हजार कि चाल चल दी. 

एक चाल आ चुकी थी बीच में, इसलिए अब ब्लाइंड चलने का सवाल ही नहीं था , रोहित ने भी अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास सिकुवेनस आयी थी, दो,तीन,चार … उसने भी आठ हजार कि चाल चल दी. 

अब मनीष कि बारी थी. 

उसने अपने पत्ते उठा कर देखे , उसका दिल जोर से धड़क रहा था, क्योंकि बिना चाल चले ही उसके काफी पैसे बीच में आ चुके थे. 


 उसके पास भी कलर था हुक्म का , नंबर थे, इक्का, दस और दो. 

उसने भी आठ हजार कि चाल चल दी. 

मनीष ने शुरू में ही डबल ब्लाइंड चलकर गेम को शुरू में ही मोटा कर दिया था, और तीन चाल आने के बाद अब बीच में करीब चालीस हजार आ चुके थे 

सबने एक - २ चाल और चलकर उसे साठ के पार पहुंचा दिया. 

हर्षित को भी लगने लगा कि कहीं दूसरों के पास उससे ज्यादा अच्छे पत्ते तो नहीं है , उसने आठ हजार बीच में फेंके और मनीष से साईड शो मांग लिया , मनीष के पास इक्के का कलर था, इसलिए हर्षित को पेक होना पड़ा. 

अब तो मनीष को विश्वास हो गया कि वही जीतेगा. 

उसने फिर से चाल चल दी. 

राहुल ने मनीष कि नज़रों से बचाकर हर्षित को देखा, और अपने पत्ते भी उसकी तरफ घूमा दिए , जिन्हे देखकर हर्षित ने उसे सर हिला कर खेलने के लिए कहा , वो जानता था कि राहुल के सीकवेन्स वाले पत्ते, मनीष के कलर वाले पत्तो से बड़े हैं. 

राहुल निश्चिंत हो गया और उसने फिर से आठ हजार कि चाल चल दी, वैसे वो चाल को डबल भी कर सकता था, पर मनीष कहीं डर कर एक ही बार में शो न मांग ले, वो चाल को बड़ा नहीं रहा था. 

मनीष ने अगली चाल चल दी , पर अब उसके पास पैसे ख़त्म होने को थे , अगली चाल के लिए भी उसके पास पैसे नहीं थे. 

राहुल को भी पता था कि उसके पास अगली बार के लिए पैसे नहीं है , उसने भी चाल चल दी 

अब तो मनीष को बोलना ही पड़ा 

मनीष : "यार .... वो ... दरअसल …पैसे ख़त्म हो गए हैं ....''

राहुल : "कोई बात नहीं यार , ऊपर से और मंगा ले भाभी से ''

मनीष जानता था कि दिव्या के पास भी पैसे नहीं होंगे, पुरे पांच लाख रूपए वो हार चूका था, फिर भी अपना सम्मान बनाये रखने के लिए वो रिया से बोला : "रिया, तुम ऊपर जाकर दिव्या से पैसे ले आओ जरा ''

रिया को तो मन मांगी मुराद मिल गयी जैसे.

वो हिरनी कि तरह छलांगे भरती हुई ऊपर तक गयी और बिना खड़काए कमरे में घुसती चली गयी. 

अंदर से चिटखनी बंद थी, पर उसे मोड़ कर रोका नहीं गया था, इसलिए एक तेज झटका लगते ही वो नीचे गिर पड़ी और दरवाजा खुल गया. 

हरिया काका और दिव्या की चुदाई अभी -२ ख़त्म हुई थी, और वो दोनों नंगे थे और गहरी साँसे ले रहे थे 

एकदम से रिया को अपने सामने ऐसे देखकर दोनों के होश ही उड़ गए, हरिया काका भी कभी उसे और कभी दरवाजे कि चिटखनी को देख रहे थे कि वो खुल कैसे गयी आखिर.उन्होंने शुक्र मनाया कि अंदर आने वाली रिया है, उनकी पुराणी राँड . 

रिया का अंदाजा सही निकला था , दोनों सच में चुदाई कर चुके थे , रिया को इसका अंदाजा तो था पर भरोसा नहीं था कि लंड चुसाई के बाद दिव्या अपने नौकर का लंड अपनी चूत में भी ले लेगी. 

रिया : "ओहो .... तो जो मैं सोच रही थी वो सब यहाँ हो ही चूका है … चलो सही है , वैसे मुझे उम्मीद है कि हरिया काका के लंड से तुम्हारी चूत कि प्यास पूरी तरह से बुझ चुकी होगी , ''

दिव्या ने हँसते हुए अपना सर हिला दिया. 

रिया : "चलो बाकी कि बातें बाद में दिव्या , मनीष तुमसे और पैसे मंगवा रहे हैं नीचे अभी …''

दिव्या ने हैरान होते हुए कहा : "पर जहाँ तक मुझे पता है, वो सारे पैसे तो नीचे ले जा चुके हैं , रुको, मैं फिर भी देखती हु ''

और वो नंगी ही उठकर अपनी गांड मटकाती हुई अलमारी तक गयी और झुककर उसमे से पैसे ढूंढने लगी , पर उसमे पैसे होते तो ही मिलते न , पैसे तो मिले नहीं पर उसकी निकली हुई गांड देखकर हरिया काका के लंड का ईमान फिर से डोलने लगा और वो अपने उसे मसलकर फिर से खड़ा करने लगे.

रिया भी समझ गयी कि यहाँ एक और राउंड होने वाला है , और इस बार वो कुछ भी मिस नहीं करना चाहती थी , पर सबसे पहले अपने पति से छुटकारा भी तो पाना था , वो भागकर वापिस नीचे गयी और मनीष से कहा कि ऊपर और पैसे नहीं है ..


मनीष तो ये बात पहले से जानता था, फिर भी अनजान बनता हुआ बोला : "ओहो … यानि मैं दो दिनों में पांच लाख रूपए हार चूका हु … अब क्या करू ....''

रोहित का शैतानी दिमाग कुछ और सोच रहा था , वो जानता था कि जुए में उधार नहीं देना चाहिए, पर वो जीत रहा था इसलिए बोला : "देख यार, अगर तुझे लगता है कि तेरे पत्ते अच्छे हैं और तू और चाल चलना चाहता है तो मैं तुझे पैसे दे सकता हु … पर तुझे जीतने के साथ ही ये पैसे वापिस करने होगे , मंजूर है तो बोल ''

मनीष ख़ुशी -२ उसकी बात मान गया. 

पर रोहित ने ये नहीं बताया कि अगर हार गया तो वो कैसे वसूलेगा वो सारे पैसे.. 

उनकी बात चल रही थी , और किसी का भी ध्यान रिया कि तरफ नहीं था, वो धीरे-२ उलटे पैर वापिस चलती हुई ऊपर कि तरफ चल दी, और कमरे में पहुंचकर उसने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया. 

उसका सीना उत्तेजना कि वजह से ऊपर नीचे हो रहा था, दिव्या वाश करने के लिए बाथरूम में गयी हुई थी 

हरिया काका अभी तक बेसुध से होकर पलंग पर नंगे लेटे हुए थे , रिया को आता देखकर उनका चेहरा खिल उठा और उसे अपनी ऊँगली के इशारे से अपनी तरफ बुलाया, जैसे कोई पालतू कुतिया को बुलाता है 

वो थी ही उनकी पालतू कुतिया, उनके ऊँगली हिलाते ही उसके कपडे उतरने शुरू हो गए.. 

और नीचे पचास हजार रूपए उधार लेकर मनीष ने फिर से चाल पर चाल चलनी शुरू कर दी.  


 और ऊपर, रिया ने अपनी टी शर्ट उतार कर नीचे फेंक दी , नीचे उसने जींस पहनी हुई थी, जिसके उसने सिर्फ बटन खोल दिए , और लहराती हुई पलंग तक जा पहुंची, वहाँ हरिया काका अपने सर के नीचे अपने हाथो को दबाये पुरे नंगे लेटे हुए थे , और अपने आप को किसी अय्याश राजा से कम नहीं समझ रहे थे, उनकी एक दासी अंदर अपनी रंगी हुई चूत साफ़ कर रही थी और दूसरी उनके सामने रंगवाने के लिए बैठी हुई थी.


रिया जैसी जवान और कड़क माल को अपने सामने पालतू कुतिया कि तरह आता देखकर हरिया काका पूरी तरह से उत्तेजित हो गए, रिया आकर उनके ऊपर लेट सी गयी और उनके लंड को पकड़कर अपनी कोमल उँगलियों से हिलाने लगी और साथ ही साथ हरिया काका के बूढ़े होंठों को अपने कसावदार होंठों में दबोचकर फ्रेंच किस्स का मजा भी देने लगी उन्हें ...

हरिया काका ने उसके सर को बेदर्दी से पकड़ा और उसके गुलाबी होंठो से जड़े हुए चेहरे को अपने लंड के ऊपर दे मारा, और एक ही झटके में उनका कसरती लंड रिया के गीले और गर्म मुंह के अंदर हिचकोले खाने लगा. 

उसके मुंह से एक लम्बी सी चीत्कार निकल गयी . …


'''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह कास्स्स्स्स्स्स्स्स्स काआआआ ''''

और फिर अपने पुराने दोस्त को अपने नशीली चाशनी से नहलाने लगी ....

हरिया ने उसकी टांगो को खींचकर अपनी तरफ मोड़ लिया और उसकी खुली हुई जींस के अंदर हाथ डालकर उसकी गुब्बारे जैसी गांड को हाथों में लेकर बुरी तरह से दबाने लगे, जैसे वो मांस कि नहीं रबड़ कि बनी हुई हो.. 

उनपर दबाव पड़ने से वो और बुरी तरह से छटपटाने लगी और बिस्तर पर जल बिन मछली जैसे तड़पने लगी. 

और तभी हरिया काका ने अपनी उँगलियाँ उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दी और वो आनंदमयी चीख के साथ उनके लंड को और बुरी तरह से चूसने लगी.. 

इसी बीच दिव्या भी बाथरूम से निकल कर बाहर आ गयी और बाहर का नजारा देखकर उसकी साँसे वही रुक कर रेह गयी. 

क्या जादू कर रखा है हरिया काका ने सबके ऊपर, वो खुद भी तो नहीं बच पायी थी उनके जादू से, फिर ये रिया तो बचपन से वहीँ रेह रही है, वो तो उनके रंगीले लंड कि दीवानी जरुर होगी.. 

हरिया काका ने उसकी जींस को खींचकर उतार दिया और उसे पूरा नंगा कर दिया , और फिर उसकी मोटी जांघो को पकड़कर ऊपर कि तरफ खींचते हुए उसकी महक रही चूत को अपने होंठों के सामने ले आये और अपनी जीभ को चम्मच बनाकर उसकी चूत से टपक रही हॉट चॉक्लेट फ़ज आइसक्रीम खाने लगे.

दिव्या भी आकर हरिया काका कि बगल में खड़ी हो गयी और गोर से उन्हें शाही पकवान खाते हुए देखने लगी. 

हरिया काका ने अपने बाए हाथ को घुमा कर दिव्या कि टांगो के बीच फंसाया और अपनी एक ऊँगली को जेक कि तरह उसकी चूत में फंसाकर ऊपर कि तरफ दबाव देने लगे, और वो किसी फरारी कार कि तरह हवा में उठती चली गयी... 

''आआयययययीईईईई 
उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह काका म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''

उसने प्रेम रस में डूबी प्रेमिका कि तरह हरिया काका के सर के बालों में अपनी उंगलिया फंसा कर उसे अपनी तरफ खीचना शुरू कर दिया , पर वो तो रिया कि चूत के अंदर फंसे हुए थे, उनकी जीभ पूरी तरह से अंदर फंसकर किसी खूंटी कि तरह वहाँ अटकी हुई थी. 


 पर फिर भी दिव्या के लिए उन्होंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी तरफ मुंह घुमाकर रिया कि चूत के रस में डूबी हुई जीभ को उसके स्तनो पर लगा कर उनका रस पीने लगे.. 

अपनी चूत में हरिया काका कि ऊँगली और निप्पल पर उनके तीखे दांतो के प्रहार से वो बुरी तरह से तिलमिला उठी और पुरस्कार स्वरुप उसने अपना आधे से ज्यादा मुम्मा हरिया काका के मुंह के अंदर ठूस दिया. 

वो बेचारा बुड्ढा सांस तक नहीं ले पा रहा था ..

अब शायद वो भी सोच रहा होगा कि ऐसी उम्र में क्यों उन्होंने दो- २ जवान लड़कियों से पंगा लिया और वो भी एक साथ .


अब हरिया काका कि उँगलियाँ दिव्या के रस में डूबकर पूरी तरह से भीग चुकी थी, उन्होंने उसे बाहर निकाला और उसकी गांड के छेद पर लगाकर जोर से पुश किया.. 

ये पहला मौका था दिव्या कि गांड के लिए, उसने आज तक अपनी गांड मनीष के सामने भी नहीं परोसी थी, वो उसे सबसे गन्दा काम लगता था सेक्स के खेल का. 

पर आज इतनी उत्तेजना में भरी हुई थी कि वो भी उसे सुखद प्रतीक हो रहा था. 

उसने हरिया काका कि उँगलियों पर डांस करना शुरू कर दिया 

इसी बीच रिया भी उनके भीमकाय लंड को मुंह में लेकर चूसते हुए थक सी गयी,



उसने अपना आसन छोड़ दिया और घूमकर हरिया काका कि तरफ मुंह करके बैठ गयी. 

उनका लंड उसकी चूत के नीचे दबा हुआ फड़फड़ा रहा था.. 

हरिया काका को दिव्या के मुम्मे चूसते देखकर उसके निप्पलो में भी खुजली सी होने लगी और उसने बड़े ही प्यार से उनके चेहरे को अपनी तरफ घुमाकर अपने मुम्मे को उनके मुंह के अंदर धकेला और खुद उनकी जगह लेकर दिव्या के मुम्मे को चूसने लगी.

इसी बीच नीचे का खेल अपनी चरम सीमा पर था.

मनीष ने आठ -२ हजार कि 5 चाले चलकर अपने उधार के पचास हजार में से चालीस हजार ख़त्म कर दिए, अब उसके पास दस हजार बचे थे , अगर वो चाल चलता तो अगली बार कि चाल के लिए उसके पास पैसे नहीं थे, इसलिए मन मारकर उसने बाकी के पैसे नीचे फेंकते हुए शो मांग लिया. 

और जैसे ही राहुल ने अपने सिकुवेनस वाले पत्ते नीचे फेंके, उसका चेहरा पूरा पीला पड़ गया, राहुल को पता था कि वो जीत चूका है, इसलिए उसने मनीष के पत्ते देखने कि भी जेहमत नहीं उठायी और पैसे अपनी तरफ समेटने लगा

इतनी बड़ी गेम जो जीता था वो आज.. 

मनीष का पूरा सर घूम रहा था, उसने तो सिर्फ जीत के बारे में सोचा था, हार जाने के बाद क्या होगा, कैसे होगा, कैसे वो राहुल के पैसे उतारेगा, वो सब तो उसने सोचा भी नहीं था .

अब बारी थी राहुल के कमीनेपन कि....

उसने अपने सारे पैसे गड्डी बनाकर अपनी जेबों में ठूस लिए और मनीष से बोला : "भाई , जैसा तय हुआ था, मैंने तुझे उधार तो दे दिया, अब वो पैसे भी मुझे वापिस चाहिए ''

मनीष (रूवांसी आवाज में ) : "यार , तू तो जानता है, मैं सारे पैसे हार चूका हु, अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है, 

राहुल : "वो तो मुझे भी पता है, पर उधार लेने से पहले क्या ये बात नहीं सोची थी कि हार जाने के बाद कैसे उतारेगा ये सब ''

मनीष ने सर झुका लिया : "मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, ये सब कैसे हो गया, मैं पिताजी को क्या जवाब दूंगा, उनके पैसे भी हार चूका हु मैं ''

कुछ देर कि चुप्पी के बाद राहुल बोला : "एक काम हो सकता है, जिससे तुझे मेरे पैसे भी नहीं चुकाने होंगे, और अपने पिताजी को भी कोई जवाब नहीं देना होगा ''

उसने झट से अपना चेहरा ऊपर उठा लिया और बोला : "कैसे … ये कैसे हो सकता है, बताओ जल्दी ''

राहुल : "वैसे ही , जैसे तुम जंगल में बिना पैसे दिए उस मुसीबत से निकल गए थे, अपनी बीबी कि बदोलत। … ही ही …''

उसने जान बूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी बीच में , और नीचता से भरी हुई हंसी हंसने लगा.. 

मनीष कि समझ में कुछ नहीं आ रहा था, वो बस उसे हँसता हुआ देखे जा रहा था, मनीष के बाकी दोस्तों को जंगल वाली बात पता नहीं थी, इसलिए वो भी उसका मुंह ताकने में लगे थे, पर दिव्या का नाम आ जाने से उन्हें इतना तो पता चल ही चूका था कि राहुल आखिर कहना क्या चाहता है. 

मनीष इसलिए राहुल का मुंह ताक रहा था कि क्या सिर्फ वो दिव्या से अपना लंड ही चुस्वा कर उसके पैसे माफ़कर देगा या और कुछ भी करने के लिए बोलेगा, वैसे भी दिव्या के साथ वो कुछ भी करें, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था, पर उसे पिताजी को कोई जवाब नहीं देना पड़ेगा, वो बात उसकी समझ में नहीं आयी थी. 

राहुल ने उसकी चिंता का निवारण कर दिया और बोला : "देख भाई, तूने जंगल में सिर्फ अपने पैसे बचाने के लिए अपनी बीबी को मुझ अनजान आदमी का लंड चूसने के लिए बोल दिया, अब वही काम तुझे अपना उधार चुकाने के लिए करवाना पड़ेगा अपनी बीबी से, और रही बात तेरे पिताजी कि तो हम सब मिलकर थोड़े -२ पैसे मिलायेंगे और तेरे इस घर में जो भी काम करवाना है वो सब कराएंगे ''


 हर्षित और बाकी के दोस्तों को राहुल ने फिर आराम से जंगल वाला किस्सा सुनाया जिसे सुनकर उनकी भी आँखे फटी कि फटी रह गयी, और वो सब सोचने लगे कि दिव्या भाभी ने कैसे राहुल का लंड चूसा होगा, सभी अपनी -२ कल्पनाओ के घोड़े दौड़ाने लगे..

तब हर्षित बोला : "पर हम सब क्यों पैसे मिलाकर घर का काम कराएँगे ?"

सभी ने सर हिलाकर उसकी बात का समर्थन किया.

राहुल बोला : "वो इसलिए कि दिव्या भाभी तुम सबके साथ भी वो सब करेगी, जो हम करने को कहेंगे ''

उसकी बात सुनकर सभी के लंड में तरावट सी आ गयी ..

और दूसरी तरफ मनीष अपनी ही केलकुलेशन में लगा हुआ था, उसे इस बात को सुनकर गुस्सा नहीं आया कि उसके दोस्त भी राहुल के साथ मिलकर उसकी बीबी के साथ मजे लेना चाहते हैं, वो तो बस ये सोच रहा था कि उसका उधार उतर जाएगा, घर का काम भी हो जायेगा, वो अपने बाप कि डांट से भी बच जाएगा … बस एक अड़चन लग रही थी उसे, दिव्या इसके लिए तैयार होगी या नहीं ....

साला एक नंबर का हरामी था वो, अपनी बीबी को दांव पर लगाकर अपना काम निकलवा रहा था वो , वैसे ये काम वो पहले भी कर ही चूका था, जंगल में, इसलिए उसे फिफ्टी -२ चांस तो लग ही रहे थे कि दिव्या इसके लिए भी तैयार हो जायेगी 


उसने जब अपने दिल कि बात सबके सामने रखी तो हर्षित बोला : "एक काम करते हैं, उसी से चलकर पूछ लेते हैं''

उसे तो जैसे विशवास था कि उसे देखकर दिव्या मना कर ही नहीं सकेगी..

मनीष बोला : "ठीक है, चलो चलते हैं, ऊपर है वो अपने कमरे में, वो जगह ठीक भी रहेगी इस काम के लिए "

साला भड़वा , कितनी जल्दी तैयार हो गया अपनी बीबी को अपने दोस्तों के सामने परोसने के लिए, और सभी को लेकर अपने बेडरूम में चलने को भी तैयार हो गया.. 

पर उन्हें क्या मालुम था कि ऊपर कमरे में क्या चल रहा है .

ऊपर कमरे में हरिया काका ने आतंक मचा रखा था, वो अपनी जगह से उठकर खड़े हो चुके थे और उन्होंने रिया कि बगल में दिव्या को लिटाकर दोनों के पैर ऊपर हवा में उठा दिए थे, और एक-२ करके दोनों कि चूत का शहद चखने में लगे हुए थे 

और तभी एक दम से दरवाजे पर एक झटका लगा, और चिटखनी पिछली बार कि तरह फिर से सरक कर नीचे गिर पड़ी और सभी दनदनाते हुए अंदर आ घुसे .








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Fentency जुए की लत--10

Fentency
 जुए की लत--10

 दिव्या भाग कर ऊपर गयी , और अलमारी से बचे हुए ढाई लाख निकाल कर ले आयी .

और हरिया काका ने व्हिस्की कि बोतल और गिलास लगा दिए, बिल्लू ने सभी के लिए पेक बनाये और सभी पीने लगे . उसके बाद हरिया काका ऊपर का कमरा साफ़ करने के लिए चले गए .

राहुल : "अरे यार, इतना परेशान क्यों होते हो । ये तो खेल है, मस्ती लेते हुए खेलो बस ।''

मनीष ने मन ही मन सोचा, 'साले, अगर तू अपने बाप के ढाई लाख हार गया होता तो मैं बोलता यही बात , तब मजा आता तुझे '

उसने एक ही झटके में पूरा गिलास खाली कर दिया, और बिल्लू से फिर से पेक बनाने के लिए कहा 

बिल्लू ने पेक बनाया और इसी बीच राहुल ने फिर से पत्ते बांटने शुरू कर दिए 

दिव्या सहमी हुई सी मनीष के साइड में बैठी थी 

सभी ने चाल चलनी शुरू कि

ब्लाइंड का दौर चला और फिर हर बार कि तरह ही फट्टू लोग अपने -२ पत्ते देखकर पेक करते चले गए 

और इस बार भी आखिर में सिर्फ राहुल और मनीष बचे 

राहुल कि अंटी में तो माल आ चूका था , इसलिए वो ब्लाइंड पर ब्लाइंड खेलता चला गया

और मनीष अपने हारे हुए पैसों को वापिस लाने के लिए खेल रहा था जो कि अक्सर हर जुआरी करता है 

बीच में लगभग एक लाख थे और मजे कि बात ये थी कि अभी तक दोनों में से किसी ने भी अपने पत्ते नहीं देखे थे 

मनीष ने आखिरकार अपने पत्ते उठा कर देखे 

उसके पास इक्का टॉप था , वो चाहता तो पेक कर सकता था, फिर भी अपने अंदर कि आवाज सुनकर उसने अपने पत्ते नीचे फेंके और शो मांग लिया 

राहुल ने बिना अपने सारे पत्ते उठाये हुए, एक - एक करते हुए अपने पत्ते सभी के सामने सीधे करने शुरू कर दिए 

पहला पत्ता पांच नंबर था 

दूसरा सात नंबर था 

सभी कि धड़कन तेज चल रही थी 

शायद राहुल कि भी 

और उसने जैसे ही अपना तीसरा पत्ता फेंका 

वो उछल पड़ा 

और मनीष ने फिर से अपने बाल नोच लिए 

वो तीसरा पत्ता भी पांच नंबर था 

उसके पास पेयर आया था पांच का 

उसने राका कि तरह हँसते हुए बीच में पड़े हुए नोट बटोरने शुरू कर दिए 

दिव्या ने सहानभूति दिखाते हुए मनीष के कंधे पर हाथ रखा तो वो आग बबूला हो उठा ...

''तू यहाँ बैठकर क्यों मेरी बर्बादी का तमाशा देख रही है मनहूस , चल अंदर जा, जब भी मेरे साथ बैठती है हरवा देती है , चल अंदर जा ''

दिव्या को और सभी को मनीष के ऐसे बर्ताव कि उम्मीद नहीं थी , अपनी नयी नवेली दुल्हन से कोई ऐसे बात नहीं करता , 

वो बेचारी रोती हुई वहाँ से उठकर ऊपर अपने कमरे कि तरफ भाग गयी 

किसी ने कुछ नहीं कहा और सभी फिर नयी बाजी खेलने लग गए 



 ऊपर जाकर दिव्या ने देखा कि हरिया काका बिस्तर पर चादर बिछा रहे हैं, वो रोती हुई अंदर आयी और सीधा बाथरूम में घुस गयी 

हरिया काका भी हेरान रेह गए उसे रोता हुआ देखकर, अभी कुछ देर पहले जो उनका लंड चूस रही थी अब वो रो रही है,उन्हें भी अच्छा नहीं लगा ये ।

दिव्या अंदर बाथरूम में जाकर शीशे के आगे खड़ी होकर फूट फूटकर रोने लगी 

उसके सुन्दर चेहरे से आंसू मोती कि तरह बहकर नीचे वाशबेसन में गिर रहे थे 

उसके रोते हुए चेहरे के अक्स ने उसे देखकर कहा ''देख लिया न , कैसी बेइजत्ती करी मनीष ने सभी के सामने , पहले जंगल में अपनी बीबी को दांव पर लगा दिया था और अब दोस्तों के सामने भी ऐसे बोला, उसकी कोई औकात है भी या नहीं, कहाँ गयी तुम्हारी सेल्फ रिस्पेक्ट, क्यों सहो तुम अपने पति कि मनमानी, वो आज कि नारी है, क्यों वो अपने पति के सामने कुछ बोल नहीं पाती , कहाँ गयी उसकी परवरिश, जिसमे उसे सिखाया गया था कि औरत किसी भी लिहाज से आदमी से कम नहीं है, और कहाँ गया उसके पति का प्यार जो अकेले में तो दिखता है पर सबके सामने नहीं, ''

उसने भी अपने आंसू पोछते हुए अपने अक्स से कहा : "सही किया मैंने, जो उसकी पीठ पीछे उसके दोस्तों के साथ वो सब किया जो एक शादीशुदा और कर्त्तव्य परायण स्त्री को नहीं करना चाहिए , यही तरीका है मनीष को सबक सिखाने का, अगर वो अपनी मनमानी कर रहा है तो उसे भी हक़ है अपने मन कि करने का, उसकी भी कुछ इच्छाये हैं जिन्हे अब वो अपने हिसाब से पूरा करेगी ''

वो अपने आप से बात कर ही रही थी कि हरिया काका ने दरवाजा खटकाया और बोले : "बहु रानी ... ठीक तो हो तुम । रो क्यों रही हो ।''

वो कुछ न बोली और मन ही मन निश्चय कर लिया कि शुरुवात यही से करनी चाहिए , वैसे भी हरिया काका का लंड चूस कर उसकी प्यास अधूरी सी रह गयी थी, जिसे अब आसानी से पूरा किया जा सकता था और वो भी बिना किसी आत्मग्लानि के 

हरिया काका ने दरवाजा धकेला तो वो खुला हुआ था, और उनके सामने दिव्या खड़ी थी वाशबेसन के आगे, वो अंदर चले गए और उसके पीछे जाकर खड़े हो गए, 

अब दिव्या से लंड चुस्वाकर इतना होसला तो उनमे आ ही चूका था कि ऐसे कर सके ..

उनके सामने दिव्या कि उभरी हुई गांड थी, क्योंकि वो थोडा झुक कर खड़ी थी , और उसे देखकर उनके सोये हुए लंड में कम्पन सा होने लगा 

उन्होंने दिव्या के कंधे पर हाथ रखा और उसे दबाते हुए फिर से पुछा : "क्या हुआ बहु रानी , मनीष ने कुछ कहा क्या ''

पर दिव्या तो अपना गुना-भाग करने में लगी हुई थी , उसकी आँखों में मस्ती का नशा उतर आया था, और वो थोडा और पीछे हुई और उसने अपने उभरे हुए नितंभ हरिया काका के लंड से मेल करा दिए 

हरिया काका के पुरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया, उनकी आँखे बंद होने लगी 

और हरिया काका कि तरफ देखे बिना दिव्या ने अपने कूल्हों को गोल आकार में घुमाना शुरू कर दिया 

65 साल के बुड्डे हरिया काका कि तो हालत खराब होने लगी, उसे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि ये अचानक बहु रानी को हुआ क्या है , अभी कुछ देर पहले तक तो रो रही थी और अब अचानक से उनके साथ चुदने कि तैयारी कर रही है , उसने अपने कांपते हुए हाथों से उसकी फेली हुई गद्देदार गांड को पकड़ा और अपनी उँगलियां उसके मांसल कूल्हों में दबा दी जैसे किसी कार का स्टेरिंग पकड़ा हो 

दिव्या ने लॉन्ग स्कर्ट और शर्ट पहनी हुई थी , उसने अपने हाथों से स्कर्ट का हुक खोला और उसे नीचे खिसका दिया, हरिया काका तो स्तब्ध रेह गए उसकी दरियादिली देख कर , उन्होंने उसकी शर्ट के घूँघट को ऊपर उठाया और उसकी चाँद सी सफ़ेद और गोल गांड के दीदार किये

उसने ब्लेक कलर कि थोंग पेंटी पहनी हुई थी, जो उसकी गोल गांड के बीच में फंस कर गायब सी हो गयी थी , उन्होंने बड़े ही प्यार से उसके लास्टिक को पकड़ा और नीचे खिसकना शुरू कर दिया

और ऐसा करते -२ वो खुद भी नीचे झुकते चले गए 

और जैसे ही उसकी पेंटी घुटनों से नीचे पहुंची और वो उसकी गांड के आगे, उन्होंने उसके ठन्डे-२ कूल्हों को चूम लिया 


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …… काका। . .......उम्म्म्म्म्म्म्म ।''

उसने अपना एक हाथ पीछे किया और हरिया काका के सर को पकड़ कर अपनी गांड के अंदर घुसा दिया , उन्होंनेब अपना मुंह पूरा खोल दिया और दिव्या के पीछे से दिख रहे चूत के होंठों को अपने मुंह में लेकर निगल गए और चूसने लगे 

दिव्या का पुरा शरीर उसके पंजों पर आ गया 

''अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म …… धीरीईईईई काका ……ऽह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

वो उनके बालों में उँगलियाँ फेर रही थी और अपने चेहरे पर आ रहे उत्तेजना के भावों को शीशे में देख कर मुस्कुरा भी रही थी , ये पहला मौका था जब वो चुदते हुए शीशे के सामने खड़ी थी, वो आज पूरी चुदाई ऐसे ही करना चाहती थी ताकि और कैसे भाव आते हैं वो भी देख सके 

उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए और खुलने के बाद उसे उतार के पीछे फेंक दिया , उसके गोर शरीर पर ब्लेक ब्रा गजब कि लग रही थी , जिसके पीछे छुपे हुए उसके निप्पल अपना बड़ा सा मुंह उठाकर बाहर आने को तड़प रहे थे , आज उसे अपने खुद के हुस्न पर गुमान सा हो रहा था, 

अब तक उसकी चूत के अंदर से गर्म पानी का रिसाव होना शुरू हो गया था , वक़्त कम था इसलिए उसने भी जल्दबाजी करते हुए हरिया काका के बालों को हलके से पकड़कर ऊपर कि तरफ खींचा, वो समझ गए कि मालकिन उन्हें ऊपर बुला रही है, 


 उन्होंने अपनी लम्बी जीभ को उसकी चूत कि दवात में डुबोकर पूरा गीला कर लिया और फिर धीरे-२ उसकी कमर पर अपने प्यार का नगमा लिखते हुए ऊपर तक आये , उन्होंने अपना कुरता उतार के पीछे फेंक दिया, और दिव्या ने पीछे हाथ करके उनकी धोती कि गाँठ खोल कर उन्हें पूरा नंगा कर दिया 

हरिया काका अपनी जीभ से उसकी कमर चाटते हुए ऊपर तक आये और उसकी ब्रा के स्ट्रेप पर आकर रुक गए, और उन्होंने अपने हाथों का प्रयोग किये बिना, सिर्फ अपने दांतों से ही उसकी ब्रा के हुक खोल दिए, 

ब्रा के स्ट्रेप छिटककर साईड हो गए और उसकी ब्रा नीचे कि तरफ लहरा गयी 

और फिर हरिया काका पूरी तरह से खड़े हुए और उन्होंने अपने बड़े- २ हाथों में उसके मोटे -२ मुम्मे पकड़ लिए और उन्हें निचोड़कर उनका दूध निकालने लगे 

''आयीईईईईई .... काका …… अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह …… धीरे ……। अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह '' 

वो फिर से अपने पंजों पर खड़ी होकर नाचने लगी, 

हरिया काका का लंड उसकी गांड कि दरार में फंस गया , जिसकी वजह से उसका पूरा शरीर एक नए अंदाज में झूम रहा था, उसने अपना दांया हाथ पीछे किया और हरिया काका के सर को पकड़ कर अपने कंधे पर टिकाया और उनके होंठों को अपने मुंह में लेकर जोर से चूसने लगी 


'' पूछह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऽह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

हरिया काका का एक हाथ फिसलकर उसकी नाभि के अंदर घुसा गया, और वहाँ कि रुई निकालने के बाद वो नीचे कि तरफ गया, उसकी टपक रही चूत कि तरफ, और उन्होंने अपनी तीन उँगलियाँ एक साथ उसकी चूत में फंसाकर उसे ऊपर उठा लिया, हवा में …

दिव्या कि तो हालत ही खराब हो गयी , उसने अपना एक पैर उठाकर ऊपर वाश्बेसन पर रख दिया जिसकी वजह से उसकी चूत और भी ज्यादा खुल गयी 

अब हरिया काका कि चार उँगलियाँ उसके अंदर थी , जो किसी लंड से कम नहीं थी 

उन्होंने उसकी खुली हुई चूत को उसके ही रस से भिगोकर पूरा नहला दिया और फिर उसकी चूत का तेल निकालकर अपने लंड पर मला और उसी अवस्था में थोडा उचककर अपने लंड को वहाँ फंसा दिया 

दिव्या को ऐसा लगा कि जैसे उन्होंने आग का छोटा सा गोला उसके अंदर रख दिया हो 

और फिर हरिया काका अपने पंजों पर खड़े हो गए और उन्होंने ऊपर कि तरफ एक झटका मारा 

''आआईईईईईई .......... अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह मर्र्र्र्र्र्र गयी ………''''

उसकी आँखे उबाल कर बाहर आ रही थी और अपने एक - २ भाव को वो निहार कर खुश हो रही थी 

उसका चेहरा इतना उत्तेजक लग रहा था, उसकी आँखे नशे में डूब चुकी थी , इस समय उसे खुद पर ही प्यार आ रहा था 

उसने अपना पैर नीचे उतार लिया और झुक कर खड़ी हो गयी ताकि हरिया काका के लंड को पूरी तरह से अंदर तक ले सके 

हरिया काका ने भी स्टेरिंग फिर से सम्भाला और अपने लंड को जोर से धक्का मारकर पूरा उसके अंदर घुसा डाला 

एक हाथ से उसके बालों को पकड़कर पीछे खींचा और जोर से धक्के लगाकर उसके अंदर के तूफ़ान को बहार निकालने में लग गया 

उसकी चिकनी चूत तो पहले से ही तैयार थी, ऐसे झटकों ने उसे उसके ओर्गास्म के और करीब ला दिया और वो वहीँ खड़ी - २ झड़ने लगी 

''आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …।उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ……ंमैं तो गयी …ऽह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

उसके अंदर से निकल रहे गर्म रस ने हरिया काका के हथियार को नहला दिया , उसकी चूत बहुत सेंसेटिव हो चुकी थी, इतना मोटा लंड पहली बार जो गया था उसके अंदर ..


 उसके बाद वो पलटी और हरिया काका से लिपट गयी, उसने शावर चला दिया और उनके लंड को पकड़कर धीरे-२ हिलाने लगी , और साथ ही साथ उन्हें चूम भी रही थी 

गर्म पानी उनके शरीर पर पड़ रहा था, 

और हरिया काका के सामने इतनी सेक्सी लड़की खड़ी थी जिसके हिलते हुए मुम्मे देखकर ही किसी का भी पानी निकल सकता था, उन्होंने दिव्या के सेक्सी बदन को देखते हुए उसे नीचे कि तरफ धकेलना शुरू कर दिया 

और फर्श पर लिटा कर उसके सामने खड़े हो गए 

और फिर उसके मचलते हुए जिस्म को देखते हुए अपने लंड को जोरों से हिलाने लगे और अगले ही पल शावर के गर्म पानी कि तरह उनके लंडका पानी भी निकल कर उसके शरीर को भिगोने लगा 

हरिया काका के जिस्म से निकली एक -२ बूँद को दिव्या ने अपने ऊपर महसूस किया और पूरी तरह से तृप्त होकर उसने वो सारा लेप अपने पुरे शरीर पर मल लिया 

और मन ही मन खुश होती हुई वो मनीष को कोसती हुई बोली 

''अब बोल साले , जीता तो तू अब भी नहीं होगा, पर अपनी बीबी कि चूत जरुर हार गया और आगे भी हारेगा , क्योंकि अभी तो ये शुरुवात है …''

और उसका सोचना बिलकुल सही था, दिव्या के जाने के बाद मनीष और भी हार चूका था, और अब उसके पास सिर्फ पचास हजार ही बचे थे 

 एक तरफ तो मनीष हारे जा रहा था और दूसरी तरफ राहुल सबसे ज्य़ादा जीत कर उन सभी से आगे निकल चूका था, वो रिया को अपने पास से उठने नहीं दे रहा था, उसे भी लग रहा था कि जब तक रिया उसके साथ बैठी है, वो जीत रहा है ....... वही जुवारियों का पुराना टोटका ।

और रिया बेचैनी से बैठी हुई सोचे जा रही थी कि दिव्या का क्या हाल होगा, वो बेचारी रोती हुई ऊपर गयी है , वो उसके पास जाना चाहती थी पर राहुल के डर से जा नहीं पा रही थी .

तभी उसके दिमाग में एक बात आयी, हरिया काका भी नहीं दिखायी दे रहे थे , कहीं ऊपर वो दोनों …… ओह माय गॉड !!!, अगर ऐसा है तो उसे भी ऊपर होना चाहिए , उसने एक आखिरी कोशिश कि ऊपर जाने के लिए, पर राहुल ने डपट कर उसे वहीँ बिठा लिया .

बेचारी अपनी चूत को मसलकर वहीँ बैठी रह गयी 

उसे थोड़ी देर पहले हरिया काका के लंड को चूसना याद आ गया , कितना मोटा और मजेदार लंड है उनका, अभी तक उसकी कसावट और बनावट में कोई फर्क नहीं आया है 

और हरिया काका के बारे में सोचते -२ वो उन यादो के भंवर में डूबती चली गयी जब उसने पहली बार हरिया काका से अपनी चूत मरवाई थी .

उन दिनों उसकी शादी भी नहीं हुई थी, वो 21 साल कि थी उस वक़्त और मनीष और उसके घरवाले भी वहीँ गाँव में ही रहते थे .

उसका और मनीष का चक्कर चल रहा था, ये बात उसके सभी दोस्तों को भी पता थी .

उन दोनों के बीच अक्सर प्यार भरी बातों के अलावा चूमा चाटी और बदन पर इधर उधर दबाई ही हुई थी ,दोनों ने कई बार चुदाई के बारे में भी सोचा था , पर सही मौका नहीं मिल पा रहा था.

एक बार उन्हें मौका मिल ही गया खुलकर सब कुछ करने का , मौका था मनीष के जन्मदिन का, उसकी माँ ने मन्नत मांगी हुई थी उसके जन्म के समय कि और काफी सालों के बाद भी वो उसे पूरा करने के लिए समय नहीं निकाल पा रही थी, मनीष कि आवारगी कि वजह से उन्हें लगने लग गया कि जब तक वो मन्नत पूरी नहीं करेंगी, तब तक वो जीवन में आगे नहीं बढ़ सकेगा, इसलिए उन्होंने पक्का निश्चय कर लिया कि उसके 23वें जन्मदिन पर वो जरुर शिव के प्राचीन मंदिर जाकर उसकी मन्नत उतार देंगी .

मनीष और रिया ने उसी दिन अपनी सारी हदें पार कर लेने का मन बना लिया, मनीष के माता पिता सुबह ही निकल गए और पीछे बचे बस हरिया काका और मनीष .

रिया के आते ही मनीष उसे लेकर घर के पीछे बने एक पुराने कमरे कि तरफ ले गया पर वो दोनों ये नहीं जानते थे कि हरिया कि आँखे सब कुछ नोट कर रही थी. 

जैसे ही वो दोनों पीछे कि तरफ गए, हरिया काका भी उनके पीछे-२ वहाँ चल दिये. 

अंदर पहुँचते ही मनीष और रिया एक दूसरे से चिपक गए और बेतहाशा चूमने लगे, रिया ने घाघरा और चोली पहना हुआ था जिसके नीचे उसने न तो ब्रा पहनी थी और ना ही पेंटी 

उसकी चोली कि डोरियों को बेसब्री से खोलते हुए मनीष के हाथ कांप रहे थे , आज वो पहली बार उसे उरोजों को नंगा देखने वाला था, और जैसे ही उसने उसकी चोली उतरी उसके सामने उसके कंधारी अनार जितने बड़े - २ दो फल चमकने लगे. 

उनकी सुंदरता देखकर वो मंत्रमुग्ध सा होकर उन्हें देखता ही रह गया. 

दोनों स्तन और उनपर लगे हुए किशमिश के दाने अपनी सुंदरता बिखेरते हुए कहर बरपा रहे थे.


 मनीष से सब्र नहीं हुआ और उसने नीचे झुककर उसके दांये मुम्मे को मुंह में भर लिया और उसके खड़े हुए दाने को दांतों के बीच पीसकर उसका जूस निकालने लगा. 


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। …।मनॆऎऎएश ………धॆएरे ……ऽह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। …।स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ''

उसने मनीष के सर को पकड़कर अपनी छाती पर जोर से दबा दिया और सियार कि तरह ऊपर मुंह करके जोर से चिल्लाने लगी. 

और उसकी ये चीख और स्तनपान का दृश्य हरिया काका छुप कर साफ़ देख रहे थे. 

और साथ ही साथ अपने लम्बे लंड को बाहर निकाल कर रिया कि मदमस्त जवानी को देखकर मुठ भी मार रहे थे , उन्होंने अपने गाँव कि ना जाने कितनी औरतों कि चूत मारी थी पर रिया जैसी रंगीन लड़की उन्होंने आज तक नहीं देखि थी, भरवां भिन्डी जैसी थी वो एकदम...।

रिया भी बेसब्री से मनीष के लंड को उसकी पेंट के ऊपर से ही मसलने लगी , मनीष ने भी अपना रौब दिखाते हुए उसे अपने पैरों के पास पटका और अपनी कमर पर हाथ रखकर किसी रIजा कि तरह खड़ा हो गया , रिया ने भी उसकी दासी कि तरह बिना सवाल किये उसकी पेंट कि जीप खोली और फिर बेल्ट और हुक खोलकर उसके लंड को आजाद किया. 

जब लड़की खुद ही लड़के के कपडे उतारती है , उसकी बेल्ट खोलती है, उसका लंड खींचकर बाहर निकालती है और भूखी कुतिया कि तरह चूसने लग जाती है, इससे ज्यादा उत्तेजक कुछ और हो ही नहीं सकता, आज ये बात मनीष कि समझ में आ गयी थी। 


मनीष का लंड एक झटके के साथ उसके चेहरे के सामने प्रकट हो गया. 

वैसे तो मनीष के लंड को वो पहले एक-दो बार देख चुकी थी , पर आज बिना किसी अवरोध के और वो भी बिल्कुल पास से देखने का ये उसका पहला मौका था. 

उसे अपने हाथों में लेकर वो उसे बड़े ही प्यार से सहलाने लगी, उसकी गोटियों को अपनी नाजुक उँगलियों में भरकर उनका वजन नापने लगी ,पर तभी मनीष ने उसके बालों को बेदर्दी से पकड़ा और उसके मुंह के अंदर अपने लंड को ठूस दिया , वो रिया कि किसी दासी कि तरह ट्रीट कर रहा था और रिया को भी डोमिनेट होने में मजा आ रहा था 

फच - २ कि आवाजों के साथ मनीष का जहाज रिया के मुंह के समंदर के अंदर हिचखोले खाने लगा 

उसके दोनों मुम्मे हिलते हुए मनीष के घुटनो में ड्रिलिंग कर रहे थे और मनीष उसके नरम - गरम टच से और भी ज्यादा उत्तेजित होकर जोर से धक्के मार रहा था. 


 और जब मनीष को लगा कि उसका निकलने वाला है तो उसने अपना लंड बाहर खींच लिया और रिया को खड़ा कर लिया.

फिर उसके घाघरे का नाडा खोलकर उसे पूरी तरह से नंगा कर दिया

कमरे में हलकी रौशनी थी जिसमे उसका नंगा बदन सोने कि तरह चमक रहा था.


रिया के योवन को ऊपर से नीचे तक निहारने के बाद मनीष ने उसे कोने में पड़ी हुई चारपाई पर लिटा दिया और खुद उसके पीछे पहुँच कर उसकी मखमली टांगो को पकड़ कर उठा दिया और अपने लंड को उसकी गांड के एअरपोर्ट पर मसलने लगा ..मनीष ने उसकी एक टांग ऊपर उठा ली और उसकी चूत के मुहाने पर अपने हवाई जहाज का गोल मटोल हिस्सा लगाकर धीरे से दबाव डाला. 

दोनों का ये पहली बार था, इसलिए दोनों के दिल धक् - २ कर रहे थे, फिर भी , बड़ी मुश्किल से, मनीष ने अपना लंड उसकी चूत पर लगाकर जैसे ही एक तेज झटका मारा वो जोर से चिल्ला पड़ी ....

''आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , मर्र्र्र्र्र्र्र गयी ……। दर्द हो रहा है मनीष , निकालो इसको ....''

पर मनीष नहीं माना और उसने दो और तेज झटके दिए, और उसका पूरा लंड रिया कि चूत में चला गया. 

और थोड़ी देर बाद वही रिया चिल्ला - २ कर उसके लंड के मजे ले रही थी.. 

''अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....... मनीष। ……। माय लव , चोदो मुझे , आआह्हह्हह्हह्ह , और तेज डालो , जोर से करो, आअह्हह्हह्हह येस्स्स्स ऐसे ही उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स , मैं तो गयी .........''

और उसकी बावली हरकतों को देखकर हरिया काका कि तोप भी बुरी तरह से गर्म होकर आग उगलने कि तैयारी करने लगी 

और जैसे ही रिया का ओर्गास्म हुआ, मनीष कि पिचकारियाँ भी उसके साथ ही छूट गयी उसकी गुफा के अंदर ही 


''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह रिया , मेरी जान …मैं भी आया , आआह्हह्हह्हह्ह ''

और दोनों एक दूसरे के गले से मिलकर हांफने लगे 

मनीष का लंड फिसल कर उसके अंदर से बाहर आ गया और उसके पीछे-२ सफ़ेद और लाल रंग का पानी भी बाहर निकलने लगा 

तभी हरिया काका ने भी दबी हुई सी हुंकार भरते हुए अपना वीर्य दिवार पर दे मारा ...

मनीष ने तो नहीं पर रिया ने वो हलकी सी आवाज सुन ली..

वो उस तरफ देखकर कुछ कहना ही चाहती थी कि मनीष बोल पड़ा : "मैं अंदर जाता हु, कहीं हरिया काका को शक़ न हो जाए कुछ, तुम भी घर निकल जाना यहीं से ।''

और वो जल्दी से अपने कपडे पहन कर बाहर निकल गया और अंदर चला गया, हरिया काका तो उससे पहले ही वहाँ से निकल कर अंदर जा चुके थे .

रिया ने अपने कपडे पहने , उसे चलने में कोई तकलीफ नहीं हुई, जैसा उसकी सहेलियों ने उसे डराकर रखा हुआ था कि चला भी नहीं जाता , काफी दर्द होता है, वैसा कुछ भी नहीं हुआ उसके साथ.. 

वो बाहर जाने को निकली तो ना जाने क्या सोचकर वो कमरे के पीछे कि तरफ चली गयी, और उस जगह पहुंचकर उसने गोर से दिवार पर पड़े हुए धब्बे को देखा, उसका शक यकीन में बदल गया कि वहाँ जरुर कोई था और इस वक़्त घर में सिर्फ हरिया काका ही है , यानि उन्होंने सारा खेल अपनी आँखों से देख लिया , उसे अपने ऊपर बड़ी शर्म सी आयी , उसने हरिया काका के बारे में एक लड़की से सुन भी रखा था कि उनका काफी बड़ा लंड है, और थोड़ी देर पहले हुई चुदाई को याद करते हुए और हरिया काका के लम्बे लंड को सोचते हुए उसकी टांगो के बीच फिर से खुजली होने लगी. 

वो धीरे से मुस्कुराते हुए वहाँ से निकल आयी .










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