Sunday, March 8, 2015

Fentency जुए की लत--6

Fentency

 जुए की लत--6

 उसने रिया के मुंह को पकड़ा और उसके मुंह के अंदर बुरी तरह से झटके मारने लगा ..रिया के साथ इतना बेदर्दी बर्ताव आज तक कभी भी नहीं किया था मनीष ने ..

और आज रिया को मनीष का ये जंगली रूप भी पसंद आ रहा था ..उसने अपनी चूत के ऊपर हाथ रखकर उसे सलवार के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया ..

और साथ ही साथ वो मनीष के लंड को लोलीपोप कि तरह से चूस रही थी .अचानक रिया ने अपनी ब्रैस्ट को बाहर निकाला और उसके बीच में मनीष के लंड को फंसा कर टिट फ़किंग करने लगी ..और जब झटके से मनीष का लंड ऊपर तक आता तो वो उसे चूम भी लेती ..

मनीष ने जल्दी-२ झटके मारते हुए दो मिनट के अंदर ही अपना सारा रस निकाल कर उसके अंदर पहुंचा दिया ..और वो भी हर बार कि तरह मनीष के मीठे रस को पीकर तृप्त हो गयी क्योंकि साथ ही साथ उसकी चूत का रस भी ढलक चुका था .

उन्होंने जल्दी से अपना हुलिया ठीक किया और अंदर कि तरफ चल दिए ..

अब मनीष का गुस्सा उतर चुका था .

तब तक पीछे से एक और बाजी शुरू हो चुकी थी ..किसी का भी ध्यान इस तरफ नहीं था कि मनीष और रिया एक साथ कहाँ गायब हो गए ..सिवाए दिव्या के ..जो काफी देर से सोच रही थी कि आखिर मनीष कहाँ गायब हो गया ..

और जैसे ही उसने मनीष को आते हुए देखा उसे सकून सा मिला और पीछे -२ रिया को देखकर उसे थोडा सा शक़ भी हुआ ..क्योंकि वो अभी तक अपने चेहरे को साफ़ करती हुई अंदर आ रही थी कि कहीं मनीष के रस कि बूंदे बाहर न रह गयी हो ..वैसे भी अपने सामान कि रक्षा करना हर बीबी का कर्त्तव्य है ..और यही शायद दिव्या भी कर रही थी .

मनीष ने आते ही कहा : "अरे ...मेरा इन्तजार तो कर लेते ...''

थापा : "भाई ...तुझे फुर्सत ही कहाँ है अभी ...''

उसने रिया कि तरफ देखते हुए मनीष से कहा और उसे एक आँख मार दी ..जैसे वो जानता था कि वो दोनों क्या कर रहे थे .

मनीष भी चुपचाप वहाँ बैठ गया ..और उनका खेल देखने लगा ..वो बाजी राहुल जीत गया ..

अब खेलने वाले 6 लोग थे . पत्ते बाँटने शुरू हुए ..

इस बार सबसे पहले हर्षित ने अपने पत्ते उठा कर देखे ..उसके पास इक्का और बादशाह थे ..साथ में पंजी ..उसने रिस्क लेते हुए चाल चल दी .

सामने से किसी ने भी चाल नहीं चली ..बल्कि राहुल ने तो ब्लाइंड भी डबल करते हुए एक हजार कर दी ..इसलिए अगली बार कि चाल राजेश के लिए दो हजार कि हो गयी ..उसने दो हजार कि चाल चल दी ..ये देखते हुए बिल्लू ने भी अपने पत्ते उठा ही लिए , उसे लगा कि शायद राजेश के पास अच्छे पत्ते आ गए हैं इसलिए वो चाल पर चाल चल रहा है ..उसके पास एक बेगम और दो छोटे पत्ते थे ..उसने झट से पेक कर दिया .उसकी देखा देखि राजेश ने भी पेक कर दिया ..

हर्षित ये देखकर खुश हो गया कि चलो अच्छा हुआ , दो बन्दे गए बीच में से .

अब मनीष, थापा और राहुल को भी लगा कि ब्लाइंड चलने का कोई फायेदा नहीं है ..क्या पता हर्षित के पास ट्रेल आ गयी हो किसी कि ...ये सोचते हुए उन्होंने भी अपने-२ पत्ते उठा लिए .

थापा के पास मुफलिस पत्ते आये थे ..दो, चार और पांच ..उसने अपना माथा पीटते हुए पत्ते नीचे फेंक दिए और बोला : "अपुन का तो बेड लक ही खराब है आज ..काश मेरे पास भी कोई गुड लक होता ..''

उसका इशारा दिव्या कि तरफ था ..पर किसी ने भी उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया ..


 अब बचे थे राहुल , मनीष और हर्षित ..

राहुल ने अपने पत्ते उठाये ..उसके पास इक्का था और दो छोटे पत्ते ...फिर भी उसने ब्लफ मारते हुए चाल चल दी ..

उसके पीछे उसकी बीबी रिया खड़ी थी ..और जैसे ही राहुल ने पत्ते उठाये थे उसने इशारे से बुरा सा मुंह बनाते हुए मनीष को बता दिया कि उसके पत्ते बेकार हैं ..

मनीष ने अपने पत्ते देखे, उसके पास इक्का, बादशाह और दुक्की था ..यानि हर्षित के पत्तों के मुकाबले वो हार ही जाता ..पर उसे क्या पता था कि हर्षित के पास क्या है ..इसलिए उसने हिम्मत करते हुए चाल चल दी ..

बड़ा ही अजीब मंजर था ..किसी के पास भी ढंग के पत्ते नहीं थे ..फिर भी सभी ने चाल चल दी थी ..

हर्षित ने रिया को मनीष कि तरफ इशारा करते हुए देख लिया था ..और वो समझ भी गया था कि राहुल ब्लफ खेल रहा है ..उसने दिव्या कि तरफ देखा जो कि मनीष के पीछे खड़ी थी ..वो एकटक उसकी आँखों में देखता रहा ..जैसे मनीष के पत्तों के बारे में पूछ रहा हो ..पहले तो दिव्या घबरा गयी ..पर फिर ना जाने क्या सोचकर उसने भी इशारे से उसे समझा दिया कि मनीष के पत्ते भी बेकार है ..

बस इतना काफी था हर्षित के लिए, उसने पांच हजार कि चाल चल दी ..

अब तो राहुल कि भी फट गयी ..उसने हिम्मत करते हुए पैसे बीच में फेंके और राजेश से साइड शो मांग ली ..और जैसा वो सोच रहा था वो हार भी गया ..

अब मनीष और हर्षित थे बीच में .मनीष को तो विशवास हो चला था कि वो जीत ही जाएगा ..
पर दो चाल के बाद ही जब उसे लगने लगा कि अब और नहीं तो उसने आखिरकार शो मान ही ली ..

और हर्षित के पत्ते देखकर सभी ने उसकी किस्मत कि तारीफ कि ..और मन ही मन सुलग भी गए ..

हर्षित पूरे अस्सी हजार जीता था एक ही बार में ..

मनीष का बुरा हाल था ..अगली दो बाजियां भी वो नहीं जीत पाया , उसकी झुंझुलाहट बढ़ती जा रही थी ..उसे पता चल गया कि अब वो आगे नहीं जीत पायेगा ..इसलिए उसने बोला कि 'आज के लिए इतना ही काफी है ' 

सभी ने मन मारते हुए उसकी बात मान ली ..और अगले दिन का वादा करके सभी अपने-२ घर चले गए .

मनीष आज करीब दो लाख रूपए हार चूका था . वो अपने कमरे में जाकर सो गया ..शाम का अँधेरा फ़ैल चूका था ..दिव्या को नींद नहीं आ रही थी .इसलिए उसने एक शाल पहनी और बाहर निकल गयी ..


 बाहर निकलकर वो गाँव के बाहर बनी नदी कि तरफ चल दी ..क्योंकि उनके घर से उस नदी का पानी दूर से काफी सुन्दर दिख रहा था ..

चारों तरफ घना अँधेरा फेला था ..बस आकाश से चाँद कि हलकी रौशनी पड़ रही थी ..

उसके मन में अचानक एक इंग्लिश मूवी का सीन आ गया जिसमे हिरोइन समुंदर में नंगी नहा रही थी ..और ये सोचते ही उसके अंदर छुपी एक विकृत इच्छा बाहर निकल आयी और उसने अपनी शाल निकाल कर एक पेड़ के नीचे रख दी ..

चारों तरफ एक बार फिर से देखने के बाद उसने अपनी टी शर्ट और जींस भी उतार दी ..हलकी ठंडी हवा चल रही थी उसके पुरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ गयी ..अब वो सिर्फ ब्लेक पेंटी और ब्रा में थी ..और नीचे हील वाले सेंडिल .

वो थोड़ी देर तक तो उन बचे हुए कपड़ों के नदी के किनारे टहलती रही ..और जब थोड़ी गर्मी आ गयी बदन में तो उसने हिम्मत करते हुए अपने बाकी के दोनों वस्त्र भी उतार कर वहाँ रख दिए ..

और तभी आकाश में से बादल तितर बितर हो गए और चाँद कि पूरी रौशनी में नहाकर दिव्या का दूध जैसा बदन चमक कर लश्कारे मारने लगा ..उसने एक मादक सी अंगड़ाई ली और चाँद कि रौशनी में अपने हुस्न को निहारने लगी ..


तभी उसे कुछ लोगो कि बात करने कि आवाज सुनायी दी ..जो शायद नदी कि तरफ ही आ रहे थे ..उसे समझ नहीं आया कि क्या करे , क्योंकि उसके कपडे जहाँ पड़े थे आवाज वहीँ से आ रही थी ..वो घूमी और जल्दी से नदी के अंदर घुस गयी ..



और बीच में एक चट्टान के पीछे जाकर चुप गयी ..पूरी नंगी .

वो आदमी बातें करते-२ वहाँ आ पहुंचे और आते ही नदी के किनारे आकर बैठ गए ..उनके हाथ में एक बीयर कि बोतल कि पेटी थी ..


 दिव्या उन्हें छुप कर देख रही थी ..और जैसे ही उनके चेहरे देखे तो उसके पुरे शरीर में करंट सा दौड़ गया ..


वो हर्षित , थापा और राजेश थे ..

राहुल और रिया तो घर चले गए थे ..और चूँकि हर्षित आज काफी माल जीता था इसलिए वो अपने दोस्तों को पार्टी दे रहा था ..

हर्षित : " चियर्स भाई लोगो .....आज जितनी पीनी है पी लो ...मेरी तरफ से फुल नाईट पार्टी ....हा हा ..''

थापा बोला : "भाई ..मानना पड़ेगा ...तेरी किस्मत को ...आज तो तूने इतना माल लूटा है कि जलन हो रही है मुझे ...''

हर्षित : "साले ...जब तू जीतता है तो मुझे क्या ख़ुशी होती है ...हाँ ...बोल ...''

थापा कुछ न बोला ...

राजेश : "वैसे ये सिर्फ पैसे जीतने कि ख़ुशी नहीं है ...और भी कुछ ख़ास है ...''

उसकी बात सुनकर हर्षित और थापा उसके चेहरे कि तरफ देखने लगे ..
हर्षित का चेहरा ऐसा हो गया जैसे उसकी कोई चोरी पकड़ी गयी हो ..

और राजेश कि बात सुनकर नदी के अंदर छुपी हुई दिव्या भी घबरा गयी ..

राजेश बोला : "भाई ...देख रहा था मैं वो सब ...कैसे तुम और भाभी जी ..एक दूसरे को देख रहे थे ..कैसे एक साथ गायब हुए ..''

थापा बोला : "अच्छा जी ....मैंने तो नोट ही नहीं किया ये सब ...पैसे हारते हुए दिमाग जो खराब हो गया था मेरा ...अच्छा बता न हर्षित भाई ...क्या किया भाभी के साथ ...बोल न ...साले ..''

अब हर्षित को पता चल चूका था कि उसके कमीने दोस्तों से सब छुपाना मुश्किल होगा ..इसलिए वो रहस्यमयी हंसी के साथ बोला : "यार ...बस ये समझ लो कि तुम्हारे भाई कि लॉटरी लग गयी है ..''

थापा : "सच बोल साले ...क्या - क्या किया ...जल्दी बोल ...''

और फिर हर्षित ने नमक मिर्च लगा कर एक - एक बात अपने दोस्तों को बता दी ..

और पानी में खड़ी हुई दिव्या शर्म से पानी हुई जा रही थी ..

तभी राजेश खड़ा हुआ और मूतने के लिए पेड़ कि तरफ जाने लगा , उसे देखकर थापा बोला : "भाई ..मूतने ही जा रहा है या भाभी के नाम कि मुठ मारने ..''

राजेश बोला : "यार ...हमारी किस्मत तो ऐसी नहीं है कि वो पारी हमारा लंड चूसे ..अब उसके नाम कि मुठ मारकर ही गुजारा करना पड़ेगा ..हा हा "

उसकी बात सुनकर सभी हंसने लगे ..

पर वो राजेश उसी पेड़ के नीचे जा पहुंचा जहाँ दिव्या के कपडे पड़े हुए थे ..

जैसे ही उसने मूतने के लिए अपना लंड निकाला उसे दिव्या कि ब्रा पड़ी हुई दिखायी दी ..उसने आँखे मलते हुए वो उठा ली ..और फिर एक - २ करते हुए सारे कपडे उठा -२ कर देखने लगा ..

और चिल्ला कर वो हर्षित से बोला : "अरे हर्षित भाई ...ये देखो ..क्या मिला मुझे यहाँ ..''

और अपने हाथों में पूरा पिटारा उठा कर वो वहीं पर ले आया जहाँ वो दोनों बैठे थे ..

और उसके हाथ में अपने कपडे देखकर दिव्या कि हालत खराब हो गयी .

थापा : "ओह तेरी बहन कि चूत ....ये किसके कपडे है साले ...कहाँ से मिले ??"

राजेश ने पेड़ कि तरफ इशारा किया ..

अचानक हर्षित ने दिव्या का टॉप उठा कर देखा ...और फिर ब्रा को गौर से देखने के बाद चिल्ला पड़ा : "अरे साले ...ये तो दिव्या भाभी के कपडे हैं ...''

उसने सुबह से वही कपडे पहने हुए थे और हर्षित से ज्यादा अच्छी तरह कौन जान सकता था वो ..

सभी ने अपने दिमाग पर जोर दिया तो उन्हें भी याद आ गया कि ये टॉप और जींस तो दिव्या ने पहना हुआ था ..











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