Sunday, March 8, 2015

Fentency जुए की लत--5

Fentency
 जुए की लत--5

 हर्षित ने अपना हाथ घूमा कर उल्टा कर दिया ..और दिव्या के हाथ में अपनी उँगलियाँ फंसा कर उन्हें जकड लिया ..जैसे जन्मो के बिछड़े हुए प्रेमी हो वो ..इतनी व्याकुलता और अधीरपन महसूस हो रहा था दोनों को ..

दिव्या को अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि वो अपनी भावनाओ को क्यों काबू में नहीं रख पा रही है ...उसके साथ आज तक ऐसा नहीं हुआ था ..उसने मनीष के अलावा किसी और के बारे में सोचा भी नहीं था ..और आज सुबह के वाक्ये ने और अब हर्षित के साथ ऐसी भावनाए निकलने से वो पूरी तरह से बदल चुकी थी ..वैसे इसमें कुछ हद तक मनीष का भी हाथ था क्योंकि उसकी बेरुखी और लालच कि वजह से ही ये सब हुआ था .

अचानक दिव्या ने अपने दांतों को भींचते हुए अपनी आँखे बंद कर ली और हर्षित के हाथ को धीरे खिसकाते हुए अपनी चूत के ऊपर तक ले आयी ..और वहाँ लेजाकर उसको जोर से दबा दिया ..

हर्षित को ऐसा महसूस हुआ कि उसका हाथ किसी भट्टी के आगे रख दिया गया है ..इतनी गर्मी निकल रही थी वहाँ से ..अब तक हर्षित को भी पता चल चूका था कि दिव्या भी वही चाहती है जो उसके मन में है ..इसलिए उसने अपने पंजे को खोलकर वापिस नीचे कि तरफ किया और एक जोरदार झटके के साथ दिव्या कि चूत को अपने शिकंजे में ले लिया ..

दिव्या कि भिंची हुई आँखे एकदम से खुल गयी और उसके मुंह से एक हलकी सी सिसकारी निकल गयी ..जिसे कोई नहीं सुन पाया ..क्योंकि सभी गेम के अंदर इतने घुसे हुए थे कि उन्हें दिव्या और हर्षित के बीच हो रही कार्यवाही ना तो दिखायी दे रही थी और ना ही सुनायी ..

हर्षित भी अपनी सुध बुध खोये हुए पांच -२ सौ के नोट उठा कर बीच में फेंके जा रहा था ..जैसे वो पैसे उसके लिए कोई एहमियत ही ना रखते हो ..और ऐसा करते -२ उसने लगभग दस हजार रूपए दिव्या के नाम कुर्बान कर दिए ..

लास्ट में सिर्फ मनीष और हर्षित ही रह गए थे ..बाकी सभी ने पेक कर दिया था ..अब हर्षित का ध्यान टेबल पर गया तो उसे मालुम चला कि आखिर हो क्या रहा है वहाँ ..मनीष तो ब्लाइंड पर ब्लाइंड चल रहा था क्योंकि उसे तो विशवास था कि दिव्या के होते हुए वो जीतेगा ही ..

आखिर हर्षित ने अपने पत्ते उठा ही लिए ..क्योंकि अब सभी का ध्यान उसकी और मनीष कि तरफ ही था ..

उसके पास गुलाम का पेयर आया था ..और साथ में आठ नंबर ..

उसके पास पैसे नहीं बचे थे क्योंकि आज के लिए वो सिर्फ एक लाख रूपए ही लेकर आया था, वर्ना पेयर आने के बाद वो चाल जरुर चलता ..इसलिए उसने शो मांग लिया ..

मनीष ने अपने पत्ते उठाये ..

और उठाने के साथ ही उसकी आँखे चमक उठी ..और वो मुस्कुरा दिया ..और बोला : "पेयर है मेरे पास .."

हर्षित भी मुस्कुराया और बोला : "मेरे पास भी ..''

सभी के चेहरो पर सस्पेन्स बढ़ता जा रहा था ..

मनीष बोला : "मेरे पास फोटो वाला पेयर है ..'' उसके हाथ कुलबुला रहे थे बीच में पड़े हुए अस्सी हजार रूपए उठाने के लिये ..

हर्षित के पास भी फोटो वाला (गुलाम) पेयर था ..वो भी बोला : "मेरे पास भी फोटो वाला पेयर है ..."

इतना सुनते ही मनीष का चेहरा फक्क सा रह गया ..और उसने बड़ी मुश्किल से अपने दो पत्ते नीचे 
फेंके और वो दोनों पत्ते भी गुलाम ही निकले ..जो कि हर्षित के पास भी थे ..

हर्षित ने भी दोनों गुलाम बीच में फेंक दिए ..और बोला : "ये रहा मेरा भी पेयर ...''

सभी हेरान थे कि दोनों के पास सेम पेयर है ..यानि अब नतीजा सिर्फ तीसरा पत्ता ही निकाल सकता था, जिसके पास बड़ा पत्ता होगा वो जीतेगा बीच में पड़ा हुआ माल ..

मनीष से शो मांगी गयी थी इसलिए उसने अपना पत्ता बीच में फेंक दिया ..5 नंबर था उसके पास ..

और ये देखते ही हर्षित उछल पड़ा ..क्योंकि उसके पास 8 था ..और उसने बीच में पत्ता फेंका और सारे पैसे उठा कर अपनी तरफ खिसका लिये ..

मनीष को तो जैसे विशवास ही नहीं हो रहा था कि वो इतनी बड़ी गेम हार गया ..और वो भी दिव्या के गुड लक के होते हुए ..

पर उसे क्या पता था कि उसके गुड लक पर हर्षित ने सिंकाई करके उसे अपनी तरफ कर लिया था ..

वो आगे पत्ते बांटने ही वाले थे कि दिव्या बोल पड़ी : "मैं ....ऊपर जाऊ क्या ..''

मनीष ने झल्ला कर कहा : "जा ...चली जा ...''

जैसे वो खुद उसे वहाँ से भागना चाहता हो ..क्योंकि इतनी बड़ी हार कि वजह वो एक तरह से उसे ही मान रहा था ..

दिव्या वहाँ से उठी और हर्षित के आगे से होती हुई बाहर कि तरफ निकल कर ऊपर चली गयी ..

और जब वो हर्षित के आगे से निकल रही थी तो उसके चेहरे के सामने उसकी चूत वाला हिस्सा था जिसकी गर्मी से उसका चेहरा झुलस गया ..

बेचारा हर्षित अपने लंड पर हाथ फेरकर ही रह गया .


 अचानक मनीष ने बिल्लू से पूछा : "और सुना बिल्लू भाई ..रिया कैसी है ..''

रिया दरअसल में बिल्लू कि बहन थी ..जो काफी सुन्दर थी ..और पुरे गाँव में उसके हुस्न के चर्चे थे ..और मनीष तो उसके पीछे पागल था ..और उसने काफी मेहनत करके उसे पटा भी लिया था ....और ये वाली बात तो बिल्लू भी जानता था क्योंकि हर्षित ने एक दो बार उसे बताया था कि मनीष आजकल काफी मिलने लगा है रिया से ..पर दोस्ती के नाते वो कुछ नहीं बोल सकता था उसे ..और उनके बीच किस हद्द तक बात बड़ चुकी थी ये तो वो दोनों ही जानते थे .. 

और जब मनीष के पिताजी ने गाँव कि जमीन बेचकर शहर में शिफ्ट किया तो उसके दो महीने के अंदर ही रिया कि शादी भी हो गयी ..लड़का पास ही के गाँव का था ..और निठल्ला था, बस इधर - उधर के छोटे - मोटे काम करके अपना घर चला रहा था ..

बिल्लू बोला : "ठीक है ...आजकल आयी हुई है अपने पति के साथ हमारे घर ..भाई दूज के बाद ही जायेगी अब ..''

तभी थापा बोल पड़ा : "अरे यार ....अपने जिज्जे को भी यहीं बुला ले न ...बड़ा प्लेयर बनता है अपने आप को ...आज देखते हैं ..कितना खेलना आता है उसे ..''

सभी को उसकी बात सही लगी ..मनीष भी बोल पड़ा : "एक काम कर न ..रिया को भी बुला ले ..वो ऊपर दिव्या के साथ बैठी रहेगी ..नहीं तो उसने बोर हो जाना है ..''

हर्षित और थापा तो हंस दिए ये बात सुनकर क्योंकि उन्हें पता था कि मनीष सिर्फ रिया को देखने के लिए ही ऐसा बोल रहा है, वर्ना दिव्या कि बोरियत कि फ़िक्र उसे क्या होगी ..

बिल्लू ने कुछ देर तक सोचा और फिर रिया को फ़ोन मिला कर उसे आने के लिए बोल दिया अपने पति के साथ ..

इन सभी के बीच हर्षित कि हालत बहुत बुरी थी ..वो कुलबुला रहा था दिव्या के पास जाने के लिए ..

पत्ते बाँटने जैसे हुए शुरू हुए, हर्षित ने नोटों कि गड्डी को मनीष कि तरफ खिसकाते हुए कहा : "यार तू मेरी ब्लाइंड चलता रह ..मैं बस अभी आया ..''

और उसने छोटी ऊँगली का इशारा करके समझाया कि वो मूतने जा रहा है ..

सभी अपनी-२ ब्लाइंड्स चलने लगे ..और हर्षित झटके से उठकर बाहर कि तरफ भाग लिया ..

और कमरे से निकलते ही वो बाहर बने बाथरूम में जाने के बदले ऊपर जाने वाली सीढ़ियों कि तरफ लपका और लगभग भागता हुआ दिव्या के बेडरूम के अंदर जा पहुंचा ..

दिव्या आराम से अपने बिस्तर पर सोने कि कोशिश कर रही थी ..अपनी बगल में तकिया लगाये ..जिसमे वो अपनी चूत से निकल रही गर्मी को ट्रान्सफर कर रही थी .

हर्षित सीधा जाकर दिव्या कि बाहर निकल रही गांड से जाकर चिपक गया ..और ऐसे झटके मारने लगा जैसे सच में उसकी गांड के अंदर लंड डाल रखा हो उसने ..

दिव्या एकदम से हड़बड़ा कर उठ गयी ..और उसके मुंह से चीख निकल गयी ..हर्षित ने उसके मुंह के ऊपर हाथ रखकर अगर उसे चुप न करा लिया होता तो सभी को पता चल जाता कि ऊपर क्या हो रहा है ..

दिव्या उसकी गिरफ्त में आकर छटपटाती रही और हर्षित का दूसरा हाथ सीधा उसकी ब्रैस्ट के ऊपर आया और उन्हें वो जोर -२ से मसलने लगा ..

और उसके मसलने का असर ऐसा हुआ दिव्या पर कि वो छटपटाते हुए ही मचलने लगी ..और अपने शरीर कि लहरों से हर्षित को टच करते हुए उसे भी मजा देने लगी ..

और जब हर्षित को विशवास हो गया कि वो अब चिल्लाएगी नहीं तो उसने उसके मुंह से हाथ हटा लिया ..और जैसे ही उसे अपनी तरफ घुमाया वो बावली सी होकर उसे ऐसे चूमने लगी जैसे वो उसका पति हो ..

हर्षित के चेहरे को पकड़ कर वो उसे पीने लगी ..बरसों कि प्यासी आत्मा कि तरह ..

हर्षित के हाथ उसकी नंगी कमर पर फिसल रहे थे ..और फिर उसने अचानक अपना मुंह नीचे करके उसकी ब्रैस्ट को अपने मुंह में ले लिया ..और कपडे के ऊपर से ही उसका निप्पल चूसने लगा ..

''आअयीईईईईई .......उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म .........अह्ह्ह्हह्ह्ह ......''

दिव्या से सहन नहीं हो पा रहा था ..उसने अपने ब्लाउस को पकड़ा और एक ही झटके में ब्लाउस के साथ-२ ब्रा को भी नीचे खिसका दिया ..और अपनी नंगी ब्रैस्ट उसके मुंह में ठूस दी ..

हर्षित कि तो चांदी हो गयी ...इतना मोटा निप्पल उसने आज तक नहीं चूसा था ..अब उसे पक्का विशवास हो गया था कि वो उसकी चूत मार सकता है ..

वो बिना किसी कि परवाह के एक दूसरे को चूमने चाटने में लगे हुए थे ..और ना जाने कब तक लगे रहते अगर उन्हें बाहर गाडी के रुकने कि आवाज ना आयी होती ..

हर्षित एकदम से उठ खड़ा हुआ ..और भागकर खिड़की तक गया और बोला : "अरे ..वो रिया और उसका पति आ गए हैं ..मुझे नीचे जाना चाहिए ..''

इतना कहकर उसने अपना हुलिया ठीक किया और नीचे कि तरफ भाग गया ..

और दिव्या अपनी एक ब्रैस्ट को बाहर लटकाये हुए गहरी साँसे ले रही थी ..और कुछ पल पहले हुए सीन को याद करके विश्वास ही नहीं कर पा रही थी कि उसने वैसा कुछ किया ..और वो भी अपने पति के दोस्त के साथ ..और उसका पति नीचे बैठा हुआ ताश खेल रहा है ..उसे पता भी नहीं है कि उसकी पत्नी क्या गुल खिला रही है ..

ये सोचते हुए उसे खुद पर ही हंसी आ गयी ..और उसने अपनी गीली ब्रैस्ट को उठा कर अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगी ..और सोचने लगी कि ये कैसी दिव्या बाहर निकल रही है जो उसके व्यक्तित्व से बिलकुल अलग है ..और आगे चलकर ये पर्सनेलिटी और क्या गुल खिलायेगी ..ये शायद उसे भी नहीं पता था ..पर जो भी था, उसे मजा बहुत आ रहा था ..

दिव्या ने भी अपने कपडे ठीक किये और नीचे कि तरफ चल दी ..


 जैसे ही वो सीडियां उतर कर नीचे पहुंची एक सुन्दर सी लड़की बाहर से अंदर आती दिखी ..उसे पता नहीं था कि नीचे क्या बात हुई है रिया को बुलाने के बारे में ..इसलिए वो बस सीडियों पर खड़ी रही ..

रिया उसे पास आयी और बोली : "ओहो ...तो तुम ही दिव्या ...वह बहुत सुन्दर हो तुम तो ...मेरा नाम रिया है ..और मैं बलदेव (बिल्लू) कि बहन हु ..मनीष कहाँ है ..''

दिव्या ने हाथ का इशारा करके रिया को अंदर भेज दिया ..और रिया भी हिरनी कि तरह कुलांचे भरती हुई अंदर कि तरफ चल दी ..

और उसके पीछे -२ रिया का पति अंदर दाखिल हुआ ..जिसे देखते ही दिव्या के चेहरे का रंग ही उड़ गया ..

ये वही इन्स्पेक्टर था जिसने आज सुबह उन्हें रोका था और दिव्या से अपना लंड चुसवाया था ..

दिव्या ने सपने में भी नहीं सोचा था कि वो ऐसे उसके सामने आ जाएगा ..

और दूसरी तरफ इन्स्पेक्टर (राहुल) भी उसे देखकर हैरान रह गया ..

राहुल : "अरे मेडम जी आप ...और यहाँ ...अच्छा तो आप हो मनीष बाबू कि बीबी ...और वो सुबह जो आपके साथ थे वो ही मनीष बाबू थे ...धत्त तेरी कि ...मैं तो समझ रहा था कि आप धंधे वाली हो ..अगर पता होता तो कुछ और ही कर लेना था आज ...ही ही ....''

वो भद्दी सी हंसी हँसता हुआ दिव्या के इतने करीब आ गया कि दिव्या कि गहरी साँसों को भी महसूस कर पा रहा था ..

दिव्या एकदम से पीछे हो गयी ..

राहुल : "हा हा ...आप तो ऐसे डर रही हो मेडम जी जैसे मैं कोई भूत हु ...अरे भूल गए क्या ...आज सुबह ही तो आपने मेरा लंड चूसा था ..और अपने मुम्मे भी चुसवाये थे ...''

वो बड़ी ही बेशर्मी से वो सब बोल रहा था जिसे सोचकर भी दिव्या को शर्म आ रही थी ..

दिव्या एकदम से भागकर अंदर चली गयी ..और उसके पीछे-२ राहुल भी अंदर आ गया ..

और दिव्या के पीछे-२ राहुल को अंदर आता देखकर मनीष एकदम से करंट खाकर उठ खड़ा हुआ ..

मनीष : "तू ...तुम .....यहाँ .....कैसे ...''

मनीष कि बात सुनते ही बिल्लू बोला : "अरे मनीष ..तू जानता है इन्हे ...ये मेरे जीजाजी है ...रिया के पति ..''


इतना सुनते ही मनीष के पसीने निकलने लगे ..

मनीष : "तुमने बताया नहीं कि इन्स्पेक्टर के साथ शादी हुई है रिया कि ...''

बिल्ली : "हा हा ....क्या बोला ...इन्स्पेक्टर ...अरे नोटंकी में काम करता है हमारा जीजा ..और उसमे इन्स्पेक्टर बनता है ...पर तुम कब मिले इनसे ...''

अब मनीष क्या बोलता ...वो समझ चुका था कि आज सुबह बिल्लू के जीजाजी ने उसे उल्लू बना कर दिव्या के साथ मजे लूट लिए ..और शायद ये उनका रोज का काम होगा तभी वो इतने कॉंफिडेंट से लग रहे थे ..

अब बेचारा मनीष भी क्या बोलता कि कहाँ मिला था राहुल उन्हें ..

उसे सोचता हुआ देखकर राहुल ही बोल पड़ा : "अरे साले साहब ...हुआ यूँ कि आज सुबह मैं जब रिहर्सल के बाद वापिस आ रहा था तो इनकी कार खराब हो गयी थी ..बस इनकी मदद कर दी ..और शायद इन्होने समझा कि मैं सचमुच का इन्स्पेक्टर हु ...हा हा ...''

बेचारे मनीष के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था ..

वो चुपचाप उठकर बाहर निकल आया ..

और उसके पीछे-२ रिया भी .

 रिया ने पीछे से आवाज लगायी : "मनीष .....सुनो ...अरे रुको तो ...''

मनीष उसे अनसुना सा करता हुआ हवेली के पीछे बने स्टोर रूम कि तरफ चलता चला गया ..और अंदर पहुंचकर ये सोचने लगा कि कितनी आसानी से उस राहुल ने नकली इन्स्पेक्टर बनकर उसे उल्लू बना दिया ..और वो हरामी निकला भी कौन ..रिया का पति ..

वो ये सोच ही रहा था कि रिया भागती हुई अंदर आयी और पीछे से आकर मनीष से लिपट गयी : "ओह्ह्ह्हह्ह मनीषssssssssssss ....कब से बुला रही हु ....आने के बाद तुमने देखा ही नहीं मुझे ..ऐसा भी क्या हो गया ..मेरी शादी हो गयी है अब इसलिए ....''

मनीष उसकी तरफ गुस्से से पलटा और उसके चेहरे को अपने पंजे से दबा कर उसके मुंह पर चिल्लाया : "बात मत कर अपनी शादी कि मुझसे कमीनी ..शादी के लिए तुझे वो हरामी ही मिला था ..''

दरअसल मनीष का गुस्सा राहुल के ऊपर था पर उतार वो रिया पर रहा था ..

रिया (मुस्कुराते हुए) : "अच्छा ...तो मेरे पति ने कोई हरामीपन जरुर दिखाया होगा ..तभी तू गुस्से से इतना लाल पीला हो रहा है ..चल जो भी है ..उसका बदला तू मुझसे उतार ले न ..''

इतना कहते हुए रिया ने उसका हाथ पकड़कर अपनी छाती पर रख दिया ..और उसे जोर से दबा दिया ..

शादी से पहले दोनों ने ना जाने कितनी बार एक दूसरे के साथ चुदाई कि थी ..कभी तालाब के किनारे , कभी घने जंगलों में ..और कितनी बार तो इसी स्टोर रूम में भी ..पर हर बार सभी कि नजरों से छुप कर ....

और आज जब रिया ने मनीष को अपनी शादी के बाद पहली बार देखा तो उसके अंदर कि उमंगें फिर से जाग उठी ..वैसे तो उसका पति उसकी दिन रात बजाता था पर पहला प्यार आखिर पहला ही होता है ..

अपनी छाती पर मनीष का चिर-परिचित हाथ लगते ही वो फिर से सुलग उठी ..पर मनीष के चेहरे पर गुस्से के अलावा कुछ और था ही नहीं ..

मनीष : "तू जानती भी है कि तेरे पति ने मेरे और मेरी पत्नी के साथ क्या किया आज ...''

रिया जानती थी कि उसका पति अय्याश है ..बाहर भी मुंह मारता है ..और शायद आज भी कुछ ऐसा किया होगा उसने ..क्योंकि एक दो बार तो नकली पोलिस बनकर दूसरों को ठगने कि बात तो उसने खुद बतायी थी रिया को ..और ऐसी सिचुएशन में फंसाकर कैसे दूसरों का फायदा उठाया जा सकता है वो भी रिया जानती थी ..

रिया : "अच्छा ...तो तुझे अपनी बीबी कि इतनी फ़िक्र है ..तो ऐसा कर न ..जो उसने तेरी बीबी के साथ किया, तू उसकी बीबी के साथ कर ले ..''

इतना कहते हुए वो उचकी और मनीष के होंठों से जोंक कि तरह चिपक गयी ..

मनीष से भी अब सहन करना मुश्किल हो गया था ..एक तो इतने दिनों के बाद उसकी माशूका मिली थी और ऊपर से खुद ही अपनी छातियाँ मलवा रही थी ..और साथ ही उसके पति पर आ रहा गुस्सा ... वो आखिर क्या करता ..कब तक सब्र करता ..

मनीष ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसे जमीन से ऊपर उठा लिया ..रिया कि ब्रैस्ट काफी बड़ी थी जो दोनों के बाच पिस कर रह गयी .

मनीष उसके नरम होंठों को अपने पैने दांतो से कुतरने लगा ..

''उम्म्म्म .....अह्ह्हह्ह .....धीरे .....उहह्ह्हह्ह्ह्ह ......म्म्म्म्म्म्म ....माय लव .....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .....लव ...मी .....उम्म्म्म्म्म्म .....''

मनीष जानता था कि उसके पास ज्यादा वक़्त नहीं है वर्ना उसकी चूत मारने में वो जरा भी देर नहीं करता ..उसने जल्दी से उसे नीचे धक्का दिया और अपनी पेंट कि जिप खोलकर अपना पहलवान उसके सामने लहरा दिया ..

रिया ने भी मुस्कुराते हुए अपनी नरम और मुलायम जीभ से उसके लंड को अपने मुंह में लेकर जोर-२ से चूसना शुरू कर दिया ..

मनीष को रिया इस वक़्त सिर्फ और सिर्फ राहुल कि बीबी के रूप में दिख रही थी ..और उससे अपना लंड चुस्वाकर उसे इतना सकून मिल रहा था जैसे उसका बदला पूरा हो गया हो ..



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