Sunday, March 8, 2015

Fentency जुए की लत--10

Fentency
 जुए की लत--10

 दिव्या भाग कर ऊपर गयी , और अलमारी से बचे हुए ढाई लाख निकाल कर ले आयी .

और हरिया काका ने व्हिस्की कि बोतल और गिलास लगा दिए, बिल्लू ने सभी के लिए पेक बनाये और सभी पीने लगे . उसके बाद हरिया काका ऊपर का कमरा साफ़ करने के लिए चले गए .

राहुल : "अरे यार, इतना परेशान क्यों होते हो । ये तो खेल है, मस्ती लेते हुए खेलो बस ।''

मनीष ने मन ही मन सोचा, 'साले, अगर तू अपने बाप के ढाई लाख हार गया होता तो मैं बोलता यही बात , तब मजा आता तुझे '

उसने एक ही झटके में पूरा गिलास खाली कर दिया, और बिल्लू से फिर से पेक बनाने के लिए कहा 

बिल्लू ने पेक बनाया और इसी बीच राहुल ने फिर से पत्ते बांटने शुरू कर दिए 

दिव्या सहमी हुई सी मनीष के साइड में बैठी थी 

सभी ने चाल चलनी शुरू कि

ब्लाइंड का दौर चला और फिर हर बार कि तरह ही फट्टू लोग अपने -२ पत्ते देखकर पेक करते चले गए 

और इस बार भी आखिर में सिर्फ राहुल और मनीष बचे 

राहुल कि अंटी में तो माल आ चूका था , इसलिए वो ब्लाइंड पर ब्लाइंड खेलता चला गया

और मनीष अपने हारे हुए पैसों को वापिस लाने के लिए खेल रहा था जो कि अक्सर हर जुआरी करता है 

बीच में लगभग एक लाख थे और मजे कि बात ये थी कि अभी तक दोनों में से किसी ने भी अपने पत्ते नहीं देखे थे 

मनीष ने आखिरकार अपने पत्ते उठा कर देखे 

उसके पास इक्का टॉप था , वो चाहता तो पेक कर सकता था, फिर भी अपने अंदर कि आवाज सुनकर उसने अपने पत्ते नीचे फेंके और शो मांग लिया 

राहुल ने बिना अपने सारे पत्ते उठाये हुए, एक - एक करते हुए अपने पत्ते सभी के सामने सीधे करने शुरू कर दिए 

पहला पत्ता पांच नंबर था 

दूसरा सात नंबर था 

सभी कि धड़कन तेज चल रही थी 

शायद राहुल कि भी 

और उसने जैसे ही अपना तीसरा पत्ता फेंका 

वो उछल पड़ा 

और मनीष ने फिर से अपने बाल नोच लिए 

वो तीसरा पत्ता भी पांच नंबर था 

उसके पास पेयर आया था पांच का 

उसने राका कि तरह हँसते हुए बीच में पड़े हुए नोट बटोरने शुरू कर दिए 

दिव्या ने सहानभूति दिखाते हुए मनीष के कंधे पर हाथ रखा तो वो आग बबूला हो उठा ...

''तू यहाँ बैठकर क्यों मेरी बर्बादी का तमाशा देख रही है मनहूस , चल अंदर जा, जब भी मेरे साथ बैठती है हरवा देती है , चल अंदर जा ''

दिव्या को और सभी को मनीष के ऐसे बर्ताव कि उम्मीद नहीं थी , अपनी नयी नवेली दुल्हन से कोई ऐसे बात नहीं करता , 

वो बेचारी रोती हुई वहाँ से उठकर ऊपर अपने कमरे कि तरफ भाग गयी 

किसी ने कुछ नहीं कहा और सभी फिर नयी बाजी खेलने लग गए 



 ऊपर जाकर दिव्या ने देखा कि हरिया काका बिस्तर पर चादर बिछा रहे हैं, वो रोती हुई अंदर आयी और सीधा बाथरूम में घुस गयी 

हरिया काका भी हेरान रेह गए उसे रोता हुआ देखकर, अभी कुछ देर पहले जो उनका लंड चूस रही थी अब वो रो रही है,उन्हें भी अच्छा नहीं लगा ये ।

दिव्या अंदर बाथरूम में जाकर शीशे के आगे खड़ी होकर फूट फूटकर रोने लगी 

उसके सुन्दर चेहरे से आंसू मोती कि तरह बहकर नीचे वाशबेसन में गिर रहे थे 

उसके रोते हुए चेहरे के अक्स ने उसे देखकर कहा ''देख लिया न , कैसी बेइजत्ती करी मनीष ने सभी के सामने , पहले जंगल में अपनी बीबी को दांव पर लगा दिया था और अब दोस्तों के सामने भी ऐसे बोला, उसकी कोई औकात है भी या नहीं, कहाँ गयी तुम्हारी सेल्फ रिस्पेक्ट, क्यों सहो तुम अपने पति कि मनमानी, वो आज कि नारी है, क्यों वो अपने पति के सामने कुछ बोल नहीं पाती , कहाँ गयी उसकी परवरिश, जिसमे उसे सिखाया गया था कि औरत किसी भी लिहाज से आदमी से कम नहीं है, और कहाँ गया उसके पति का प्यार जो अकेले में तो दिखता है पर सबके सामने नहीं, ''

उसने भी अपने आंसू पोछते हुए अपने अक्स से कहा : "सही किया मैंने, जो उसकी पीठ पीछे उसके दोस्तों के साथ वो सब किया जो एक शादीशुदा और कर्त्तव्य परायण स्त्री को नहीं करना चाहिए , यही तरीका है मनीष को सबक सिखाने का, अगर वो अपनी मनमानी कर रहा है तो उसे भी हक़ है अपने मन कि करने का, उसकी भी कुछ इच्छाये हैं जिन्हे अब वो अपने हिसाब से पूरा करेगी ''

वो अपने आप से बात कर ही रही थी कि हरिया काका ने दरवाजा खटकाया और बोले : "बहु रानी ... ठीक तो हो तुम । रो क्यों रही हो ।''

वो कुछ न बोली और मन ही मन निश्चय कर लिया कि शुरुवात यही से करनी चाहिए , वैसे भी हरिया काका का लंड चूस कर उसकी प्यास अधूरी सी रह गयी थी, जिसे अब आसानी से पूरा किया जा सकता था और वो भी बिना किसी आत्मग्लानि के 

हरिया काका ने दरवाजा धकेला तो वो खुला हुआ था, और उनके सामने दिव्या खड़ी थी वाशबेसन के आगे, वो अंदर चले गए और उसके पीछे जाकर खड़े हो गए, 

अब दिव्या से लंड चुस्वाकर इतना होसला तो उनमे आ ही चूका था कि ऐसे कर सके ..

उनके सामने दिव्या कि उभरी हुई गांड थी, क्योंकि वो थोडा झुक कर खड़ी थी , और उसे देखकर उनके सोये हुए लंड में कम्पन सा होने लगा 

उन्होंने दिव्या के कंधे पर हाथ रखा और उसे दबाते हुए फिर से पुछा : "क्या हुआ बहु रानी , मनीष ने कुछ कहा क्या ''

पर दिव्या तो अपना गुना-भाग करने में लगी हुई थी , उसकी आँखों में मस्ती का नशा उतर आया था, और वो थोडा और पीछे हुई और उसने अपने उभरे हुए नितंभ हरिया काका के लंड से मेल करा दिए 

हरिया काका के पुरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया, उनकी आँखे बंद होने लगी 

और हरिया काका कि तरफ देखे बिना दिव्या ने अपने कूल्हों को गोल आकार में घुमाना शुरू कर दिया 

65 साल के बुड्डे हरिया काका कि तो हालत खराब होने लगी, उसे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि ये अचानक बहु रानी को हुआ क्या है , अभी कुछ देर पहले तक तो रो रही थी और अब अचानक से उनके साथ चुदने कि तैयारी कर रही है , उसने अपने कांपते हुए हाथों से उसकी फेली हुई गद्देदार गांड को पकड़ा और अपनी उँगलियां उसके मांसल कूल्हों में दबा दी जैसे किसी कार का स्टेरिंग पकड़ा हो 

दिव्या ने लॉन्ग स्कर्ट और शर्ट पहनी हुई थी , उसने अपने हाथों से स्कर्ट का हुक खोला और उसे नीचे खिसका दिया, हरिया काका तो स्तब्ध रेह गए उसकी दरियादिली देख कर , उन्होंने उसकी शर्ट के घूँघट को ऊपर उठाया और उसकी चाँद सी सफ़ेद और गोल गांड के दीदार किये

उसने ब्लेक कलर कि थोंग पेंटी पहनी हुई थी, जो उसकी गोल गांड के बीच में फंस कर गायब सी हो गयी थी , उन्होंने बड़े ही प्यार से उसके लास्टिक को पकड़ा और नीचे खिसकना शुरू कर दिया

और ऐसा करते -२ वो खुद भी नीचे झुकते चले गए 

और जैसे ही उसकी पेंटी घुटनों से नीचे पहुंची और वो उसकी गांड के आगे, उन्होंने उसके ठन्डे-२ कूल्हों को चूम लिया 


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …… काका। . .......उम्म्म्म्म्म्म्म ।''

उसने अपना एक हाथ पीछे किया और हरिया काका के सर को पकड़ कर अपनी गांड के अंदर घुसा दिया , उन्होंनेब अपना मुंह पूरा खोल दिया और दिव्या के पीछे से दिख रहे चूत के होंठों को अपने मुंह में लेकर निगल गए और चूसने लगे 

दिव्या का पुरा शरीर उसके पंजों पर आ गया 

''अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म …… धीरीईईईई काका ……ऽह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

वो उनके बालों में उँगलियाँ फेर रही थी और अपने चेहरे पर आ रहे उत्तेजना के भावों को शीशे में देख कर मुस्कुरा भी रही थी , ये पहला मौका था जब वो चुदते हुए शीशे के सामने खड़ी थी, वो आज पूरी चुदाई ऐसे ही करना चाहती थी ताकि और कैसे भाव आते हैं वो भी देख सके 

उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए और खुलने के बाद उसे उतार के पीछे फेंक दिया , उसके गोर शरीर पर ब्लेक ब्रा गजब कि लग रही थी , जिसके पीछे छुपे हुए उसके निप्पल अपना बड़ा सा मुंह उठाकर बाहर आने को तड़प रहे थे , आज उसे अपने खुद के हुस्न पर गुमान सा हो रहा था, 

अब तक उसकी चूत के अंदर से गर्म पानी का रिसाव होना शुरू हो गया था , वक़्त कम था इसलिए उसने भी जल्दबाजी करते हुए हरिया काका के बालों को हलके से पकड़कर ऊपर कि तरफ खींचा, वो समझ गए कि मालकिन उन्हें ऊपर बुला रही है, 


 उन्होंने अपनी लम्बी जीभ को उसकी चूत कि दवात में डुबोकर पूरा गीला कर लिया और फिर धीरे-२ उसकी कमर पर अपने प्यार का नगमा लिखते हुए ऊपर तक आये , उन्होंने अपना कुरता उतार के पीछे फेंक दिया, और दिव्या ने पीछे हाथ करके उनकी धोती कि गाँठ खोल कर उन्हें पूरा नंगा कर दिया 

हरिया काका अपनी जीभ से उसकी कमर चाटते हुए ऊपर तक आये और उसकी ब्रा के स्ट्रेप पर आकर रुक गए, और उन्होंने अपने हाथों का प्रयोग किये बिना, सिर्फ अपने दांतों से ही उसकी ब्रा के हुक खोल दिए, 

ब्रा के स्ट्रेप छिटककर साईड हो गए और उसकी ब्रा नीचे कि तरफ लहरा गयी 

और फिर हरिया काका पूरी तरह से खड़े हुए और उन्होंने अपने बड़े- २ हाथों में उसके मोटे -२ मुम्मे पकड़ लिए और उन्हें निचोड़कर उनका दूध निकालने लगे 

''आयीईईईईई .... काका …… अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह …… धीरे ……। अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह '' 

वो फिर से अपने पंजों पर खड़ी होकर नाचने लगी, 

हरिया काका का लंड उसकी गांड कि दरार में फंस गया , जिसकी वजह से उसका पूरा शरीर एक नए अंदाज में झूम रहा था, उसने अपना दांया हाथ पीछे किया और हरिया काका के सर को पकड़ कर अपने कंधे पर टिकाया और उनके होंठों को अपने मुंह में लेकर जोर से चूसने लगी 


'' पूछह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऽह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

हरिया काका का एक हाथ फिसलकर उसकी नाभि के अंदर घुसा गया, और वहाँ कि रुई निकालने के बाद वो नीचे कि तरफ गया, उसकी टपक रही चूत कि तरफ, और उन्होंने अपनी तीन उँगलियाँ एक साथ उसकी चूत में फंसाकर उसे ऊपर उठा लिया, हवा में …

दिव्या कि तो हालत ही खराब हो गयी , उसने अपना एक पैर उठाकर ऊपर वाश्बेसन पर रख दिया जिसकी वजह से उसकी चूत और भी ज्यादा खुल गयी 

अब हरिया काका कि चार उँगलियाँ उसके अंदर थी , जो किसी लंड से कम नहीं थी 

उन्होंने उसकी खुली हुई चूत को उसके ही रस से भिगोकर पूरा नहला दिया और फिर उसकी चूत का तेल निकालकर अपने लंड पर मला और उसी अवस्था में थोडा उचककर अपने लंड को वहाँ फंसा दिया 

दिव्या को ऐसा लगा कि जैसे उन्होंने आग का छोटा सा गोला उसके अंदर रख दिया हो 

और फिर हरिया काका अपने पंजों पर खड़े हो गए और उन्होंने ऊपर कि तरफ एक झटका मारा 

''आआईईईईईई .......... अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह मर्र्र्र्र्र्र गयी ………''''

उसकी आँखे उबाल कर बाहर आ रही थी और अपने एक - २ भाव को वो निहार कर खुश हो रही थी 

उसका चेहरा इतना उत्तेजक लग रहा था, उसकी आँखे नशे में डूब चुकी थी , इस समय उसे खुद पर ही प्यार आ रहा था 

उसने अपना पैर नीचे उतार लिया और झुक कर खड़ी हो गयी ताकि हरिया काका के लंड को पूरी तरह से अंदर तक ले सके 

हरिया काका ने भी स्टेरिंग फिर से सम्भाला और अपने लंड को जोर से धक्का मारकर पूरा उसके अंदर घुसा डाला 

एक हाथ से उसके बालों को पकड़कर पीछे खींचा और जोर से धक्के लगाकर उसके अंदर के तूफ़ान को बहार निकालने में लग गया 

उसकी चिकनी चूत तो पहले से ही तैयार थी, ऐसे झटकों ने उसे उसके ओर्गास्म के और करीब ला दिया और वो वहीँ खड़ी - २ झड़ने लगी 

''आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …।उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ……ंमैं तो गयी …ऽह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

उसके अंदर से निकल रहे गर्म रस ने हरिया काका के हथियार को नहला दिया , उसकी चूत बहुत सेंसेटिव हो चुकी थी, इतना मोटा लंड पहली बार जो गया था उसके अंदर ..


 उसके बाद वो पलटी और हरिया काका से लिपट गयी, उसने शावर चला दिया और उनके लंड को पकड़कर धीरे-२ हिलाने लगी , और साथ ही साथ उन्हें चूम भी रही थी 

गर्म पानी उनके शरीर पर पड़ रहा था, 

और हरिया काका के सामने इतनी सेक्सी लड़की खड़ी थी जिसके हिलते हुए मुम्मे देखकर ही किसी का भी पानी निकल सकता था, उन्होंने दिव्या के सेक्सी बदन को देखते हुए उसे नीचे कि तरफ धकेलना शुरू कर दिया 

और फर्श पर लिटा कर उसके सामने खड़े हो गए 

और फिर उसके मचलते हुए जिस्म को देखते हुए अपने लंड को जोरों से हिलाने लगे और अगले ही पल शावर के गर्म पानी कि तरह उनके लंडका पानी भी निकल कर उसके शरीर को भिगोने लगा 

हरिया काका के जिस्म से निकली एक -२ बूँद को दिव्या ने अपने ऊपर महसूस किया और पूरी तरह से तृप्त होकर उसने वो सारा लेप अपने पुरे शरीर पर मल लिया 

और मन ही मन खुश होती हुई वो मनीष को कोसती हुई बोली 

''अब बोल साले , जीता तो तू अब भी नहीं होगा, पर अपनी बीबी कि चूत जरुर हार गया और आगे भी हारेगा , क्योंकि अभी तो ये शुरुवात है …''

और उसका सोचना बिलकुल सही था, दिव्या के जाने के बाद मनीष और भी हार चूका था, और अब उसके पास सिर्फ पचास हजार ही बचे थे 

 एक तरफ तो मनीष हारे जा रहा था और दूसरी तरफ राहुल सबसे ज्य़ादा जीत कर उन सभी से आगे निकल चूका था, वो रिया को अपने पास से उठने नहीं दे रहा था, उसे भी लग रहा था कि जब तक रिया उसके साथ बैठी है, वो जीत रहा है ....... वही जुवारियों का पुराना टोटका ।

और रिया बेचैनी से बैठी हुई सोचे जा रही थी कि दिव्या का क्या हाल होगा, वो बेचारी रोती हुई ऊपर गयी है , वो उसके पास जाना चाहती थी पर राहुल के डर से जा नहीं पा रही थी .

तभी उसके दिमाग में एक बात आयी, हरिया काका भी नहीं दिखायी दे रहे थे , कहीं ऊपर वो दोनों …… ओह माय गॉड !!!, अगर ऐसा है तो उसे भी ऊपर होना चाहिए , उसने एक आखिरी कोशिश कि ऊपर जाने के लिए, पर राहुल ने डपट कर उसे वहीँ बिठा लिया .

बेचारी अपनी चूत को मसलकर वहीँ बैठी रह गयी 

उसे थोड़ी देर पहले हरिया काका के लंड को चूसना याद आ गया , कितना मोटा और मजेदार लंड है उनका, अभी तक उसकी कसावट और बनावट में कोई फर्क नहीं आया है 

और हरिया काका के बारे में सोचते -२ वो उन यादो के भंवर में डूबती चली गयी जब उसने पहली बार हरिया काका से अपनी चूत मरवाई थी .

उन दिनों उसकी शादी भी नहीं हुई थी, वो 21 साल कि थी उस वक़्त और मनीष और उसके घरवाले भी वहीँ गाँव में ही रहते थे .

उसका और मनीष का चक्कर चल रहा था, ये बात उसके सभी दोस्तों को भी पता थी .

उन दोनों के बीच अक्सर प्यार भरी बातों के अलावा चूमा चाटी और बदन पर इधर उधर दबाई ही हुई थी ,दोनों ने कई बार चुदाई के बारे में भी सोचा था , पर सही मौका नहीं मिल पा रहा था.

एक बार उन्हें मौका मिल ही गया खुलकर सब कुछ करने का , मौका था मनीष के जन्मदिन का, उसकी माँ ने मन्नत मांगी हुई थी उसके जन्म के समय कि और काफी सालों के बाद भी वो उसे पूरा करने के लिए समय नहीं निकाल पा रही थी, मनीष कि आवारगी कि वजह से उन्हें लगने लग गया कि जब तक वो मन्नत पूरी नहीं करेंगी, तब तक वो जीवन में आगे नहीं बढ़ सकेगा, इसलिए उन्होंने पक्का निश्चय कर लिया कि उसके 23वें जन्मदिन पर वो जरुर शिव के प्राचीन मंदिर जाकर उसकी मन्नत उतार देंगी .

मनीष और रिया ने उसी दिन अपनी सारी हदें पार कर लेने का मन बना लिया, मनीष के माता पिता सुबह ही निकल गए और पीछे बचे बस हरिया काका और मनीष .

रिया के आते ही मनीष उसे लेकर घर के पीछे बने एक पुराने कमरे कि तरफ ले गया पर वो दोनों ये नहीं जानते थे कि हरिया कि आँखे सब कुछ नोट कर रही थी. 

जैसे ही वो दोनों पीछे कि तरफ गए, हरिया काका भी उनके पीछे-२ वहाँ चल दिये. 

अंदर पहुँचते ही मनीष और रिया एक दूसरे से चिपक गए और बेतहाशा चूमने लगे, रिया ने घाघरा और चोली पहना हुआ था जिसके नीचे उसने न तो ब्रा पहनी थी और ना ही पेंटी 

उसकी चोली कि डोरियों को बेसब्री से खोलते हुए मनीष के हाथ कांप रहे थे , आज वो पहली बार उसे उरोजों को नंगा देखने वाला था, और जैसे ही उसने उसकी चोली उतरी उसके सामने उसके कंधारी अनार जितने बड़े - २ दो फल चमकने लगे. 

उनकी सुंदरता देखकर वो मंत्रमुग्ध सा होकर उन्हें देखता ही रह गया. 

दोनों स्तन और उनपर लगे हुए किशमिश के दाने अपनी सुंदरता बिखेरते हुए कहर बरपा रहे थे.


 मनीष से सब्र नहीं हुआ और उसने नीचे झुककर उसके दांये मुम्मे को मुंह में भर लिया और उसके खड़े हुए दाने को दांतों के बीच पीसकर उसका जूस निकालने लगा. 


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। …।मनॆऎऎएश ………धॆएरे ……ऽह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। …।स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ''

उसने मनीष के सर को पकड़कर अपनी छाती पर जोर से दबा दिया और सियार कि तरह ऊपर मुंह करके जोर से चिल्लाने लगी. 

और उसकी ये चीख और स्तनपान का दृश्य हरिया काका छुप कर साफ़ देख रहे थे. 

और साथ ही साथ अपने लम्बे लंड को बाहर निकाल कर रिया कि मदमस्त जवानी को देखकर मुठ भी मार रहे थे , उन्होंने अपने गाँव कि ना जाने कितनी औरतों कि चूत मारी थी पर रिया जैसी रंगीन लड़की उन्होंने आज तक नहीं देखि थी, भरवां भिन्डी जैसी थी वो एकदम...।

रिया भी बेसब्री से मनीष के लंड को उसकी पेंट के ऊपर से ही मसलने लगी , मनीष ने भी अपना रौब दिखाते हुए उसे अपने पैरों के पास पटका और अपनी कमर पर हाथ रखकर किसी रIजा कि तरह खड़ा हो गया , रिया ने भी उसकी दासी कि तरह बिना सवाल किये उसकी पेंट कि जीप खोली और फिर बेल्ट और हुक खोलकर उसके लंड को आजाद किया. 

जब लड़की खुद ही लड़के के कपडे उतारती है , उसकी बेल्ट खोलती है, उसका लंड खींचकर बाहर निकालती है और भूखी कुतिया कि तरह चूसने लग जाती है, इससे ज्यादा उत्तेजक कुछ और हो ही नहीं सकता, आज ये बात मनीष कि समझ में आ गयी थी। 


मनीष का लंड एक झटके के साथ उसके चेहरे के सामने प्रकट हो गया. 

वैसे तो मनीष के लंड को वो पहले एक-दो बार देख चुकी थी , पर आज बिना किसी अवरोध के और वो भी बिल्कुल पास से देखने का ये उसका पहला मौका था. 

उसे अपने हाथों में लेकर वो उसे बड़े ही प्यार से सहलाने लगी, उसकी गोटियों को अपनी नाजुक उँगलियों में भरकर उनका वजन नापने लगी ,पर तभी मनीष ने उसके बालों को बेदर्दी से पकड़ा और उसके मुंह के अंदर अपने लंड को ठूस दिया , वो रिया कि किसी दासी कि तरह ट्रीट कर रहा था और रिया को भी डोमिनेट होने में मजा आ रहा था 

फच - २ कि आवाजों के साथ मनीष का जहाज रिया के मुंह के समंदर के अंदर हिचखोले खाने लगा 

उसके दोनों मुम्मे हिलते हुए मनीष के घुटनो में ड्रिलिंग कर रहे थे और मनीष उसके नरम - गरम टच से और भी ज्यादा उत्तेजित होकर जोर से धक्के मार रहा था. 


 और जब मनीष को लगा कि उसका निकलने वाला है तो उसने अपना लंड बाहर खींच लिया और रिया को खड़ा कर लिया.

फिर उसके घाघरे का नाडा खोलकर उसे पूरी तरह से नंगा कर दिया

कमरे में हलकी रौशनी थी जिसमे उसका नंगा बदन सोने कि तरह चमक रहा था.


रिया के योवन को ऊपर से नीचे तक निहारने के बाद मनीष ने उसे कोने में पड़ी हुई चारपाई पर लिटा दिया और खुद उसके पीछे पहुँच कर उसकी मखमली टांगो को पकड़ कर उठा दिया और अपने लंड को उसकी गांड के एअरपोर्ट पर मसलने लगा ..मनीष ने उसकी एक टांग ऊपर उठा ली और उसकी चूत के मुहाने पर अपने हवाई जहाज का गोल मटोल हिस्सा लगाकर धीरे से दबाव डाला. 

दोनों का ये पहली बार था, इसलिए दोनों के दिल धक् - २ कर रहे थे, फिर भी , बड़ी मुश्किल से, मनीष ने अपना लंड उसकी चूत पर लगाकर जैसे ही एक तेज झटका मारा वो जोर से चिल्ला पड़ी ....

''आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , मर्र्र्र्र्र्र्र गयी ……। दर्द हो रहा है मनीष , निकालो इसको ....''

पर मनीष नहीं माना और उसने दो और तेज झटके दिए, और उसका पूरा लंड रिया कि चूत में चला गया. 

और थोड़ी देर बाद वही रिया चिल्ला - २ कर उसके लंड के मजे ले रही थी.. 

''अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....... मनीष। ……। माय लव , चोदो मुझे , आआह्हह्हह्हह्ह , और तेज डालो , जोर से करो, आअह्हह्हह्हह येस्स्स्स ऐसे ही उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स , मैं तो गयी .........''

और उसकी बावली हरकतों को देखकर हरिया काका कि तोप भी बुरी तरह से गर्म होकर आग उगलने कि तैयारी करने लगी 

और जैसे ही रिया का ओर्गास्म हुआ, मनीष कि पिचकारियाँ भी उसके साथ ही छूट गयी उसकी गुफा के अंदर ही 


''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह रिया , मेरी जान …मैं भी आया , आआह्हह्हह्हह्ह ''

और दोनों एक दूसरे के गले से मिलकर हांफने लगे 

मनीष का लंड फिसल कर उसके अंदर से बाहर आ गया और उसके पीछे-२ सफ़ेद और लाल रंग का पानी भी बाहर निकलने लगा 

तभी हरिया काका ने भी दबी हुई सी हुंकार भरते हुए अपना वीर्य दिवार पर दे मारा ...

मनीष ने तो नहीं पर रिया ने वो हलकी सी आवाज सुन ली..

वो उस तरफ देखकर कुछ कहना ही चाहती थी कि मनीष बोल पड़ा : "मैं अंदर जाता हु, कहीं हरिया काका को शक़ न हो जाए कुछ, तुम भी घर निकल जाना यहीं से ।''

और वो जल्दी से अपने कपडे पहन कर बाहर निकल गया और अंदर चला गया, हरिया काका तो उससे पहले ही वहाँ से निकल कर अंदर जा चुके थे .

रिया ने अपने कपडे पहने , उसे चलने में कोई तकलीफ नहीं हुई, जैसा उसकी सहेलियों ने उसे डराकर रखा हुआ था कि चला भी नहीं जाता , काफी दर्द होता है, वैसा कुछ भी नहीं हुआ उसके साथ.. 

वो बाहर जाने को निकली तो ना जाने क्या सोचकर वो कमरे के पीछे कि तरफ चली गयी, और उस जगह पहुंचकर उसने गोर से दिवार पर पड़े हुए धब्बे को देखा, उसका शक यकीन में बदल गया कि वहाँ जरुर कोई था और इस वक़्त घर में सिर्फ हरिया काका ही है , यानि उन्होंने सारा खेल अपनी आँखों से देख लिया , उसे अपने ऊपर बड़ी शर्म सी आयी , उसने हरिया काका के बारे में एक लड़की से सुन भी रखा था कि उनका काफी बड़ा लंड है, और थोड़ी देर पहले हुई चुदाई को याद करते हुए और हरिया काका के लम्बे लंड को सोचते हुए उसकी टांगो के बीच फिर से खुजली होने लगी. 

वो धीरे से मुस्कुराते हुए वहाँ से निकल आयी .










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