Sunday, March 8, 2015

Fentency जुए की लत--2

Fentency

 जुए की लत--2
  ये सुनते ही इन्स्पेक्टर के चेहरे पर हंसी आ गयी : "देखा ...मैं न कहता था की तू इसका पति है ही नहीं ...चल अब तूने मान ही लिया है तो निकाल एक लाख रूपए ...''

मनीष और दिव्या हेरानी से एक दुसरे का चेहरा देखने लगे ...

मनीष : "एक लाख ...इतने पैसे ...वो किसलिए ..''

इन्स्पेक्टर : "अब वो भी मैं ही बताऊँ के ...तुम्हारे घर वालों को तुम दोनों के बारे में पता ना चले ..इसलिए ..चलो निकालो ...''

उसने सख्त आवाज में कहा ..

मनीष ने मन ही मन सोचा 'पता नहीं ये मुसीबत कहाँ से आ गयी है ..'

मनीष : "पर सर ...इतने पैसे मेरे पास नहीं है ...''

इन्स्पेक्टर : "बीस लाख की गाडी लेकर और करोड़ रूपए का पटाखा लेकर घूम रहा है और एक लाख नहीं है तेरी जेब में ...''

उसने हवालदार की तरफ देखा और बोला : "चल रे घनशाम ...तलाशी ले गाडी की ..और इनके सामान की ..अभी पता चल जाएगा की कितना सच बोल रा है ये ..''

ये सब बोलते हुए उसकी नजरें अभी तक दिव्या की नंगी पीठ को ही घूर रही थी ..

इन्स्पेक्टर की बात सुनते ही मनीष की सिट्टी पिट्टी गम हो गयी ..क्योंकि डिक्की में पांच लाख रूपए केश पड़े थे ..

मनीष : "ये ...ये आप नहीं कर सकते ..मैंने कहा न ...हमारे पास इतने पैसे नहीं है ..ये ..ये आप इतना रखिये ..''

उसने अपनी पर्स में रखे हुए लगभग तीन हजार रूपए निकाल कर उसके हाथ में रख दिए ..

पर इन्स्पेक्टर तो जैसे जिद्द पर अटक गया था .."देखो भाई ...हम लोगों को तुम जैसे बहुत से लोग मिलते हैं ..अब इतने से तो हमारा कुछ न हौन वाला ..पर अगर ....''

उसने बात अधूरी छोड़ दी ..

मनीष : "अगर क्या ???'' 

इन्स्पेक्टर :"अगर मेडम हमारी भी कुछ सेवा कर दे तो ...इतने से ही काम चला लेंगे ..वर्ना गाड़ी को ले चालो थाणे में , पूरी तलाशी होगी ....जांच पड़ताल होगी ..तब देखेंगे ..''

मनीष तो समझ गया की वो क्या कहना चाहता है ..पर दिव्या नहीं समझी ...और एक मिनट के बाद जब उसकी ट्यूबलाइट जली तो उसका चेहरा गुस्से से लाल हो उठा ..

''अपनी औकात में रहो इन्स्पेक्टर ...तुमने मुझे समझ क्या रखा है ..मैं इनकी पत्नी हु ..कोई धंधे वाली नहीं ..''

इन्स्पेक्टर : "भाई बड़ी मिर्ची लग गयी तुझे तो छोरी ...तेरे यार को तो कुछ हुआ नहीं और तू ऐसे ही मचल रही है ...''

और सच में ..मनीष को उसकी बात सुनकर जैसे कुछ हुआ ही नहीं था ..वो चुपचाप सा खड़ा था ..

दिव्या ये देखकर और भी गुस्से में आ गयी : "तुम कुछ बोलते क्यों नहीं ...ये मेरे बारे में क्या सोच रहा है ...क्या करवाना चाहता है ...कुछ बोलते क्यों नहीं तुम ...''

इन्स्पेक्टर उन दोनों को लड़ता हुआ देखकर साईड में जाकर खड़ा हो गया और दिव्या की नंगी पीठ और उसकी कसी हुई गांड को देखकर आहें भरने लगा ..उसका हवलदार भी अपनी तोंद के नीचे खड़े हुए लंड को अपने हाथों से मसलने लगा ..

मनीष ने धीरे से दिव्या से कहा : "देखो दिव्या ..ये लोग ऐसे नहीं मानेंगे ..तुम भी जानती हो की गाडी में पांच लाख रूपए पड़े हैं ..इन लोगों की नजर पड़ गयी तो सब जायेंगे ...''

वो धीरे-२ बोल रहा था ताकि उनकी बातें वो दोनों ना सुन सके ..

दिव्या : "इसका क्या मतलब है ...तुम्हे पैसे ज्यादा प्यारे हैं या अपनी पत्नी ..और वैसे भी ये एक लाख मांग रहा है ..उसमे से एक लाख निकाल कर इसके मुंह मारो और निकल चलो यहाँ से ..''

पर शायद मनीष सब कुछ सोच चुका था ..उसके जुवारी दिमाग ने सब केलकुलेशन कर ली थी ..एक लाख की क्या वेल्यु थी उसके लिए वो अच्छी तरह जानता था ..और वैसे भी, अगर उन रुपयों में से एक लाख निकालता तो बाकी के पैसे कोन सा वो इन्स्पेक्टर इतनी आसानी से छोड़ देता ..ये सब मनीष ने एक मिनट के अन्दर ही अन्दर सोच लिया था ..

उसका सपाट सा चेहरा देखकर दिव्या को समझते हुए देर ना लगी की वो पत्थर के आगे बीन बजा रही है ..

"यानी ...यानी तुम चाहते हो की मैं इन कुत्तों के साथ ....छि ...मुझे सोच कर भी घिन्न आ रही है ...''

वो गुस्से में कुछ ज्यादा जोर से बोल गयी थी ये बात जिसे इन्स्पेक्टर ने सुन लिया था ..

इन्स्पेक्टर : "अरे नहीं मेडम जी ..हमें कुछ ज्यादा नहीं करना है ..पुरे झंझट वाला काम नहीं करना हमें तो ..तुम जैसी के साथ करने के बाद कोई बीमारी लग गयी तो क्या होगा हमारा ..हा हा ..आप तो बस हमारा कल्याण अपने हाथों से ही कर दो बस ..ही ही ..''


 इतनी बेइज्जती आज तक दिव्या की कभी नहीं हुई थी ..एक तो उसका पति फट्टू निकला था और दुसरे ये पुलिस वाले उसे एक रंडी समझ रहे थे ..उसकी आँखों से आंसू बहने लगे ..और उसने गुस्से में आकर अपनी शर्ट नीचे फेंक दी और अपनी बाहें ऊपर करके चिल्लाई : "आओ फिर ..जो करना है कर लो ...यु बास्टर्डस ....''

इन्स्पेक्टर और हवलदार की आँखे फटी की फटी रह गयी ...उनके सामने दो सफ़ेद बॉल्स लहरा रही थी ..और उनपर लगे एक सूजे हुए निप्पल को देखकर वो इन्स्पेक्टर तो जैसे पागल ही हो गया ..

इन्स्पेक्टर : "अरे देख रे घनशाम ....मेडम के दाने को तो देख ...पहले कभी देखा है ऐसा पीस ...''

उसने ना में सर हिला दिया ..

दिव्या ने भी गुस्से में आकर अपनी नंगी छातियाँ उन दोनों के सामने उजागर तो कर दी थी पर उसे डर भी लग रहा था की वो पता नहीं कैसा व्यवहार करेंगे उसके साथ ..पर साथ ही थोडा सकूं भी मिला था की वो उसकी चूत नहीं मारेंगे ..

और मनीष ने तो अपने पैसे बचाने के लिए अपनी नव विवाहित पत्नी का जुआ खेल लिया था ..पैसे के बदले उसने अपनी पत्नी को उन दोनों दरिंदो के आगे परोस दिया था ..वो सोच रहा था की ज्यादा से ज्यादा वो क्या करेंगे ..कम से कम मेरे एक लाख रूपए तो बच गए न ..

इसी बीच दोनों अपनी जीभ निकाल कर कुत्ते की तरह दिव्या के सामने पहुँच गए ..


 और वो इन्स्पेक्टर जिसका नाम राहुल था बड़ी ललचाई हुई निगाहों से दिव्या के उभारों को देख कर अपनी जीभ को होंठों पर फेर रहा था ..और जैसे ही वो उसके सामने पहुंचा उसने बिना एक पल की देर किये अपने गीले होंठों को उसके मुम्मे पर दे मारा ..

मनीष ने जिस निप्पल को काटकर सुजा दिया था राहुल ने उसी को अपने मुंह में दबोच कर जोर से चूसा था ..वो फिर से दर्द से कराह उठी ..पर साथ ही उसकी गर्म जीभ के एहसास से उसे सकून भी पहुंचा जैसे वो अपनी गर्म जीभ से उसके सूजे हुए निप्पल की सिंकाई कर रहा हो ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .....उम्म्म्म्म्म्म्म ......''

और ना चाहते हुए भी उसे गोरे हाथ उठकर इन्स्पेक्टर राहुल के सर के पीछे पहुँच गए और उसने उन्हें जोर से अपनी छाती पर दबा लिया ..

और ये सब वो कर रही थी अपने पति मनीष के सामने ..जो बड़ी अजीब नजरों से अपनी पत्नी को किसी और मर्द के साथ देखकर अपना लंड मसल रहा था ..

वैसे ये सब मनीष के विकृत दिमाग ने शादी से पहले भी सोचा हुआ था की शादी के एक-दो सालों के बाद अपनी पत्नी को किसी और मर्द से भी चुद्वायेगा ..शायद कहीं कोई स्टोरी पड़ी थी उसने इस तरह की, जिसने उसे काफी उत्तेजित किया था , पर दिव्या जैसी खूबसूरत पत्नी पाकर वो शायद ये बात भूल चूका था और खुद ही उसे चोदता रहता था पर आज जिस तरह से ये परिस्थितिया बनी थी वो सब उसकी उस सोच से मिलती जुलती थी जो वो शादी से पहले सोचा करता था ..इसलिए अपनी पत्नी के गोरे मुम्मे को किसी और मर्द के मुंह में देखकर उसका लंड अजीब तरह से छटपटा रहा था ..

और इसी बीच हवलदार घनशाम ने अपनी पेंट उतार डाली और दिव्या के पास पहुंचकर अपना लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया ..

वो जैसे नींद से जागी ..और जैसे ही उसकी नजर उसके लंड पर पड़ी, वो जोर से चिल्ला पड़ी ..

''नहीईइ ..........ये ..ये ...क्या है .....''

और सच में , उसका चिल्लाना सही था, घनशाम का लंड था ही ऐसा ..गधे के लंड जैसा, मोटा और लम्बा ..और उसका सुपाडा भी इतना मोटा था की एक बार में चूत के अन्दर घुस ही ना पाए ..

इन्स्पेक्टर : "साले ....तुझे कितनी बार बोला है ...ऐसे अपना लंड दिखाकर डराया मत कर ..देखा ..मेडम जी डर गयी ..''

और फिर दिव्या की तरफ देखकर बोला : "मेडम जी ...ये तो जानवर है ...आप इसे देखिये ...''

और इतना कहकर उसने जल्दी से अपनी पेंट खोली और अपना सात इंच का मोटा ताजा लंड उसके सामने लहरा दिया ..जो मनीष के लंड से भी एक इंच लम्बा ही था ..

वो कुछ और बोल पाती इससे पहले ही इन्स्पेक्टर राहुल ने उसे नीचे खिसकाया और घुटनों के बल बिठा कर अपने लंड को उसके होंठों के सामने लहरा दिया : "चलो मेडम जी ..शुरू हो जाओ ..आपको भी देर हो रही होगी ...शाबाश ...चुसो इसे ...''

दिव्या ने एक नजर मनीष की तरफ डाली पर उसने नजरें झुका ली ..दिव्या का मन गुस्से और घृणा से भर गया ..और वो सोचने लगी 'जब मेरा खुद का पति ही ये चाहता है तो मैं क्यों पीछे रहू मजे लेने में ..''

और उसने मुस्कुराते हुए राहुल की तरफ देखा और उसके लंड को पकड़कर अपने लाल होंठों से लगाया ..और अगले ही पल उसे अन्दर ले कर प्यासी पिशाचिनी की तरह चूसने लगी ..

इन्स्पेक्टर तो अपने पैरों के पंजों पर खड़ा हो गया ..और उसके मुंह से सिसकारी निकल गयी ...

''स्स्स्स्स्स्स्स .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......धीरे ....मेरी जान .....धीरे ...''

खुले आसमान के नीचे, जंगल में उसका शरीर किसी नागिन की तरह लहरा रहा था ..और वो अपने सामने खड़े नाग को अपने मुंह में लेकर उसका मर्दन अपने मुंह से कर रही थी ..


 तभी उसकी दांयी तरफ एक और नाग प्रकट हुआ ..कोबरा ..यानी घनशाम का लंड .

जो काफी देर से कोने में खड़ा हुआ अपने साहब के लंड को उसके गुलाबी होंठों के बीच जाता हुआ देखकर व्याकुल हो रहा था ..और जब उससे रहा नहीं गया तो पहुँच गया अपने खड़े लंड के पीछे-२ वो भी दिव्या की बगल में .

दिव्या ने जब और करीब से उसके भयंकर लंड को देखा तो उसे उबकाई सी आ गयी ..घने बाल थे उसकी बाल्स पर ..काल कलूटा लंड ..और अजीब सी दुर्गन्ध भी आ रही थी वहां से ..जैसे सही से साफ़ -सफाई ना करता हो वो ..वैसे करता भी कैसे, उसकी मोटी तोंद के नीचे जो था इतना बड़ा अजगर ..

दिव्या ने दूसरी तरफ मुंह कर लिया तो घनशाम ने आगे बढकर अपने लंड को उसके चेहरे के आगे लगा कर उसके होंठों से छुआ दिया ..और एक अजीब सी महक दिव्या के नथुनों के अन्दर उतर गयी ..महक गन्दी थी, पर उसमे एक नशा सा था ..एक सम्मोहन था ..जो उसे अपनी तरफ खींच रहा था ..और वो सम्मोहित सी होकर उस तरफ मुड़ी और उसने इन्स्पेक्टर के लंड को मुंह से निकालकर हवालदार के लंड को पकड़ लिया ..और अपने होंठों से लगाकर गहरी-२ साँसे लेने लगी ..जैसे उसकी महक की मादकता ने उसे मदहोश सा कर दिया हो ...एक अजीब किस्म का नशा चड़ने लगा उसके ऊपर ..

राहुल : "साले ...फिर से मरवा ली न तूने अपनी गांड बीच में ...अच्छी भली चूस रही थी ..तू हमेशा बीच में आकर अपनी माँ क्यों चुदवाने लग जाता है कमीने ..पता नहीं क्या मलकर आता है अपने गधे जैसे लंड पर ..साला कुत्ता ...''

इतना कहकर वो गुस्से में बडबडाते हुए एक तरफ खड़ा होकर खुद ही अपने लंड को मसलने लगा ..जैसा की मनीष कर रहा था ..

और दिव्या ने इन्स्पेक्टर की बातों की परवाह ना करते हुए अपनी पतली उँगलियों से उसके मोटे-ताजे लंड की मालिश की और फिर अपने मुंह की गुफा खोलकर उसे निगलने लगी अपने मुंह के अन्दर ..

''उम्म्म्म्म्म ........पुच्च्छ्ह्ह्ह ........अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''

इतना मुश्किल था उसे निगलना ...पर फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी ..जैसे कोई उपरी हवा लग गयी हो ...वो किसी रंडी की तरह से उसके मोटे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपने छोटे से मुंह में धकेल रही थी ..और उसके मुंह से सिस्कारियां और लार एक साथ निकल रही थी .

और जब और अन्दर जाने की जगह ना बची तो दिव्या ने आँखे खोली और देखा की अभी भी आधे से ज्यादा लंड उसके मुंह से बाहर ही था ..वो सोचने लगी की काश वो पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर घूस जाए ..इतना सोचते ही उसकी चूत के अन्दर से एक गाड़े रस की घार निकल कर बाहर की तरफ बह चली ..और उसकी पेंटी गीली हो गयी ..उसने एक हाथ से अपनी चूत को रगडा और दुसरे से घनशाम के लंड को पकड़कर उसे अपने मुंह के अन्दर बाहर करने लगी ..

तभी दिव्या की नजरें अपने पति की तरफ गयी, जिसने अपना लंड बाहर निकाल लिया था और उसे बुरी तरह से मसलता हुआ आगे पीछे कर रहा था ..ये देखकर वो हेरान रह गयी ..यानी उसका खुद का पति, उसे किसी और मर्द के साथ देखकर उत्तेजित हो रहा है ..ये कैसी मानसिकता है ..ये कैसा मर्द है ..पर उसे क्या, उसे तो खुद ही आज इतना मजा आ रहा था , जो उसने आज तक सपने में भी नहीं सोचा था वो कर रही थी आज दिव्या ..और इस घनशाम के लंड ने तो उसे अपना दीवाना सा बना डाला था ..

तभी इन्स्पेक्टर राहुल जो काफी देर से खड़ा हुआ मुट्ठ मार रहा था, एक तेज आवाज करता हुआ दिव्या की तरफ भागता हुआ आया और अपने लंड की पिचकारियाँ उसने दिव्या के चेहरे पर दे मारी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म्म्म्म ....उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .......मेडम जी .......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........ लो ..... पियो .....मेरा जूस .....उम्म्म्म्म्म ......''

इन्स्पेक्टर ने अपने लंड के ब्रश से उसके चेहरे के केनवास पर मॉडर्न आर्ट बनानी शुरू कर दी .








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