Sunday, March 8, 2015

Fentency जुए की लत--8

Fentency

 जुए की लत--8

 और साथ ही हरिया काका के हाथ लगा उसका नंगा निप्पल ...जिसे वो नीम्बू कि तरह निचोड़ कर उसका रस निकालने लगे ...मगर बहुत प्यार से ..

दिव्या तो हरिया काका के हुनर कि कायल होती जा रही थी ..

इंसान चाहे जितना बूड़ा हो जाए , जवान जिस्म को अपने सामने देखकर वो नए-२ तरीके अपनाता है, जो शायद आजकल के नौजवान भी नहीं कर पाएं ..

और शायद इसी वजह से दिव्या के पुरे शरीर पर चींटियाँ सी रेंग रही थी ..ऐसा एहसास तो आज तक उसे किसी ने नहीं दिया था ..उसका तो मन कर रहा था कि अपना गाउन उतार फेंके और बोले हरिया काका से 'आओ काका .......और मत तरसाओ मुझे ...'

पर अपना ओहदा और दूसरी कई चीजों का ख़याल करते हुए उसने वो विचार त्याग दिया ..

वो बस ये देखना चाहती थी कि आज हरिया काका किस हद तक जाते हैं ..वो जहाँ तक भी जाएँ , उसे तो मजे ही आ रहे थे ..

अचानक हरिया काका ने उसकी ब्रेस्ट के ऊपर से अपना हाथ हटा लिया ...एक अजीब सा खालीपन महसूस हुआ दिव्या को ..पर उसकी गांड के ऊपर उनकी उँगलियाँ चलती रही ..

दिव्या ने धीरे से आँखे खोलकर शीशे में से हरिया काका कि तरफ देखा ..तो वो दंग रह गयी ..उन्होंने अपनी धोती में से अपना लंड बाहर निकाल लिया था और आँखे बंद करे हुए वो एक हाथ से दिव्या कि गांड मसल रहे थे और दूसरे से अपना लंड ..

उनकी आँखे बंद थी ..इसलिए दिव्या ने अपनी पूरी आँखे खोल कर उनके लंड को पूरी तरह से देखा ...

'ओह ...माय गॉड .....ये क्या है .....इतना लम्बा ....उम्म्म्म्म्म्म ....'

मनीष और उसके तीनों दोस्तों के सामने हरिया काका का पहलवान लंड सबसे बड़ा था ..जब शीशे में देखने से इतना बड़ा लग रहा है तो सामने देखने में या फिर अंदर लेने में कैसा होगा ...

बस इतना सोचते ही उसकी चूत अपने ही पानी से तर-बतर हो गयी ...

अब तक दिव्या का बुरा हाल हो रहा था , उसे भी हरिया काका के द्वारा किया जा रहा उसके शरीर का मर्दन अच्छा लग रहा था ..उसने थोडा और मजा लेने कि सोची ...और नींद में करवट बदलने का बहाना करते हुए अपनी पीठ के बल लेट गयी ..

हरिया काका एकदम से घबरा गए ..और उन्होंने अपना हाथ पीछे खींच लिया ..और अपनी धोती से लंड को ढक लिया ..उनका चेहरा देखने वाला था ..पर दिव्या के नींद से ना जागने कि वजह से उन्होंने फिर से राहत कि सांस ली ..

पर राहत कि सांस लेने कि उन्हें फुर्सत ही कहाँ थी ..सामने आ जाने कि वजह से दिव्या कि उघड़ी हुई छातियाँ उनके सामने थी ..जैसे किसी ने थाली में परोस कर रखी हो ..एक ब्रेस्ट तो पूरी तरह से बाहर थी ..और दूसरी आधी से ज्यादा ..

और पलटते हुए उसने अपनी टांग को भी ऊपर करा था जिसकी वजह से उसकी मखमली त्वचा से फिसलकर उसका गाउन घुटनों से थोडा ऊपर आ चुका था ..

इतना गुदाज माल अपने सामने देखकर एक पल के लिए तो हरिया को लगा कि उन्हें हार्ट अटैक आने वाला है ..पर बड़ी मुश्किल से अपनी साँसों पर काबू करते हुए उन्होंने फिर से अपना हाथ उसकी ब्रैस्ट के ऊपर रख दिया ...

अब तो दिव्या का मन भी अंदर से चीख -२ कर केह रहा था कि उठ जा दिव्या ...उठ जा ..पर ना जाने किस चीज ने उसे अब तक रोका हुआ था ..

खेर ...वो अभी ये सब सोच ही रही थी कि अचानक उसे अपने निप्पल पर गर्माहट का एहसास हुआ ..वो और कुछ नहीं, हरिया काका के मुंह से निकल रही गर्म साँसे थी ..वो कुछ कर पाती इससे पहले ही उन्होंने अपना मुंह खोला और खड़े हुए लाल रंग के निप्पल को अपने मुंह के अंदर निगल लिया ...और चैरी कि तरह उसे चुभलाने लगे ..

दिव्या के तो होंठ कांपने से लग गए ..वो थरथराने लगे ..और रही सही कसर हरिया काका ने पूरी कर दी ..उन्होंने अपना हाथ सीधा उसके गाउन के अंदर डाल दिया और अपनी पाँचों उँगलियों से उसकी भभक रही चूत को पकड़ लिया ..

अब सोने कि एक्टिंग करनी बेकार थी ..उसके शरीर ने उसका साथ छोड़ कर हरिया काका का दामन पकड़ लिया ..

उसके हाथ सीधा ऊपर आये और उसने हरिया काका के सर के पीछे हाथ लगा कर उन्हें अपनी छाती पर भींच लिया ..और चीख पड़ी 

''अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .......ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ......हरिया ......काका .......उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म .......सक्क्क्क्क्क ....मीईईए .....अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....''

और अनुभवी हरिया काका को समझते हुए देर नहीं लगी कि बहु जाग चुकी थी और उनकी हरकतों कि वजह से पूरी तरह से गर्म ही हो चुकी थी ..

उन्होंने भी शरम का अवरोध गिराते हुए पूरी तरह से मजे लेने शुरू कर दिये और अपना पूरा मुंह खोलकर दिव्या का आधे से ज्यादा मुम्मा निगल लिया ..और उसे जोर -२ से चूसने लगे ..

 ''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ... .....बाईट इट ..........कट इट .........स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ......उम्म्म्म्म्म्म्म .... .....खा जाओ ......काका ......अह्ह्ह्हह्ह्ह .....''

अब इतनी इंग्लिश तो उन्हें भी आती थी ..उन्होंने उसका गुलाबी मुम्मा बाहर निकाला और बड़े ही प्यार से उसके निप्पल को अपने दांतों के बीच फंसा कर ऊपर कि तरफ खींचा ..और उसकी आँखों में देखते हुए उन्होंने अपने दांतों कि पकड़ और बड़ा दी ..

और अब पहली बार दोनों कि नजरें मिली ..और वो भी इतने करीब से ..

दिव्या का पूरा मुंह खुल गया ...और उसकी लाल जीभ के पीछे तक के टॉन्सिल्स दिख गए हरिया काका को ..क्योंकि उन्होंने काटा ही इतना तेज था उसके दानों को ..

दिव्या के गुलाबी होंठों को अपने सामने फेला हुआ पाकर हरिया काका से सब्र नहीं हुआ और उन्होंने दिव्या के निप्पल को अपने मुंह से निकालकर उसके होंठों को अपनी गिरफ्त में ले लिया ..और उतनी ही तेजी और लगाव से चूसने लगे जितने प्यार से उन्होंने उसकी ब्रेस्ट चूसी थी ..

हरिया काका के बूढ़े होंठों कि ताकत अपने मुंह पर महसूस करके दिव्या तो हवा में उड़ने लगी ..

अब उससे सब्र नहीं हो रहा था ...उसने अपनी पूरी ताकत का प्रयोग करते हुए हरिया काका को ऊपर खींचा और उनकी धोती उतार कर नीचे फेंक दी ...और उनके लंड को पकड़ कर जोर-२ से हिलाने लगी ..

उसे तो ऐसा लगा कि उसने कोई जलती हुई रोड पकड़ ली है ..उसने अपनी टाँगे फैलायी, उसने एक ही झटके में अपना गाउन उतार फेंका ..और अपनी नंगी चूत के अंदर फंसा कर उनके लंड को अपनी चूत के अंदर निगल गयी ...

''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ......उम्म्म्म्म्माआह्हह्ह .........ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ........''
अभी एक दो झटके ही मारे थे हरिया काका ने कि बाहर से मनीष कि आवाजें आने लगी ...

''दिव्यआ ...........ओ दिव्या .......''

दोनों के चेहरे पीले पड़ गए ...

चूत के अंदर लंड था ..और बाहर पति ...आखिर करे तो क्या करे ...

दिव्या ने कहा , जो होगा देखा जाएगा ...और हरिया काका कि कमर पर पैरों को बांधकर उन्हें और अंदर घुसा लिया ...

बाहर से आवाजें आती रही ...दिव्या ...ओ दिव्या ...


 और अंदर वो अपना मुंह खोले चुदती रही ...

अचानक एक छपाक कि आवाज के साथ उसका पूरा चेहरा भीग गया ...और वो चोंक कर उठ बैठी ..

सामने मनीष खड़ा था ...हाथ में पानी का गिलास लिए ..

वो हँसते हुए बोला : "कब से उठा रहा हु ...पर लगता है कोई सपना देख रही थी ...देखो तो जरा अपना चेहरा ...पुरे पसीने से भीगा हुआ है ...''

उसने अपनी हालत देखि ...उसके कपडे तो वैसे के वैसे ही थे ...और हरिया काका भी नहीं थे वहाँ ..टाइम देखा तो पुरे आठ बज रहे थे ..

यानि वो इतनी देर से सपना देख रही थी ...ये सोचते ही उसके होंठों पर एक हलकी सी मुस्कान उभर आयी ..

वो एक टावल लेकर अपने चेहरे को साफ़ करने लगी ...वैसे साफ़ तो उसे अपनी चूत को भी करना था ..क्योंकि वो चेहरे से ज्यादा भीगी चुकी थी .

मनीष बोला : "चलो अब उठ जाओ ...नाश्ता करने के बाद मुझे घर कि सफाई का काम पूरा करवाना है ..और फिर दोपहर को वो सब भी आ जायेंगे ...''

इतना कहकर वो चला गया ..

और दिव्या अपनी गीली चूत लेकर बाथरूम कि तरफ चल दी ..नहाने के लिए ..

नहाते हुए उसने हरिया काका के नाम कि मुठ भी मारी ..

नाश्ता करने के बाद मनीष कुछ देर के लिए हरिया काका के साथ मार्किट चला गया ..कारपेंटर और वाइट वश वालों से बात करने के लिए ...दिव्या सोचने लगी कि काश हरिया काका को छोड़कर गया होता मनीष, शायद सुबह कि बात को याद करते हुए वो कुछ करने कि सोच बैठती उनके साथ ..

अभी मनीष और काका को गए आधा घंटा ही हुआ था कि बाहर कि बेल बजी और वो भागती हुई नीचे उतर आयी ..

सामने देखा तो हर्षित खड़ा था ..दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराये ..

दिव्या साईड में हो गयी ..और हर्षित अंदर आ गया ..

और आते हुए उसने दरवाजा फिर से बंद कर दिया ..


 दिव्या : "मनीष तो मार्किट गए हैं अभी ...''

हर्षित : "मुझे पता है, मैंने उसे अभी हरिया काका के साथ जाते हुए देखा ..."

दिव्या : "अच्छा जी ...फिर भी यहाँ चले आये ..."

हर्षित : "हाँ ...क्योंकि मुझे आपसे बात करनी थी ..''

दिव्या (मंद - २ मुस्कुराते हुए ) : "मुझसे !!? मुझसे क्या बात करनी है ..''

हर्षित : " कल रात के बारे में ..!"

दिव्या का दिल धक् से रह गया ...वो बोली : "कल रात के बारे में क्या .."

हर्षित : "कल आप नदी किनारे गयी थी .."

दिव्या : "हाँ ..तो ..."

हर्षित : "आपको शायद पता नहीं है ..कल शायद नदी में तैरते हुए आप बेहोश हो गयी थी ..और मैंने आपको बचाया था ..''

उसने अपने दोस्तों का तो नाम भी नहीं लिया ..

दिव्या : "ओहो ...तो आप थे ..दरअसल मुझे तैरना नहीं आता ..पर कल वहाँ का पानी देखकर ना जाने मेरे मन में आया कि मैं बिना कुछ सोचे समझे नदी में उतर गयी ..और डूबने लगी ..और बेहोश हो गयी ..और जब मुझे होश आया तो मैं किनारे पर पड़ी थी ..''

हर्षित : "हाँ ..आप बीच नदी में एक चट्टान के के सहारे पड़ी थी ..मैंने आपको निकालकर किनारे पर लिटाया था .."

दिव्या शर्माने का नाटक करते हुए : "ओहो ....यानि ...कल ..तुमने ...मुझे ..बिना कपड़ों के देख लिया ...''

हर्षित उसके बिलकुल पास आ गया, इतने पास कि उनके बीच सिर्फ कुछ इंच का फांसला रह गया .

हर्षित : "मुझे तो लगा था कि तुम थैंक यू बोलोगी ...''

दिव्या : "हूँ .....थेंक्स ...''

वो बहुत धीरे से बोली ..

हर्षित : "पर एक बात जरुर कहना चाहूंगा मैं ...आप हो बहुत सुन्दर ..''

दिव्या तो शर्म से गड़ी जा रही थी जमीन में ..उसकी साँसे तेजी से चलने लगी ..और जैसे ही हर्षित ने उसकी तारीफ कि वो झट से पलटी और शरमाकर ऊपर अपने कमरे कि तरफ भाग ली ..

हर्षित पीछे खड़ा हुआ उसकी उछलती हुई गांड देखता रह गया ..

ऊपर पहुंचकर दिव्या थोड़ी देर के लिए रुकी, और उसने पलटकर हर्षित कि तरफ देखा ..और मुस्कुरायी ..और फिर अंदर भाग गयी अपने कमरे में ..

हर्षित समझ गया कि दिव्या क्या चाहती है ..वो भी जल्दी से ऊपर कि तरफ भागा ..

ऊपर पहुंचकर उसने देखा कि दरवाजा तो बंद है ..हर्षित ने धीरे से दरवाजा खड़काया और बोला : "खोलो न ..दरवाजा क्यों बंद कर लिया ...खोलो प्लीज ...''

दिव्या दरवाजे के साथ पीठ लगा कर खड़ी थी ..अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू करते हुए वो बोली : "नहीं ...मुझे शर्म आ रही है ..''

हर्षित : "अब क्यों शरमा रही हो ..कल तो मैंने सब देख ही लिया है ..अब शर्माने का क्या फायेदा ..''

दिव्या : "पर ये गलत है ...तुम्हे मुझे उस अवस्था में नहीं देखना चाहिए था ..''

हर्षित : "तो अब तुम मुझे देख लो वैसे ...जैसी तुम थी कल वहाँ ..बिना कपड़ों के ..''

हर्षित ने बड़ी चालाकी से बात को आगे बढ़ाया ..

दिव्या कुछ ना बोली ..वैसे भी कल रात को उनके लंड देखकर और आज सुबह हरिया काका के बारे में सोचकर वो अपनी सुध बुध खो बैठी थी ..

हर्षित ने उसकी चुप्पी को हाँ समझा और बोला : "ठीक है ...मैं कपडे उतार रहा हु ..तुम चाहो तो देख सकती हो ..''

दिव्या कि साँसे फिर से रेलगाड़ी कि तरह भागने लगी ..

अगले एक मिनट तक दिव्या को सिर्फ कपड़ों कि सरसराहट सुनायी दी ..और फिर हर्षित कि आवाज आयी : "देख लो भाभी ..मैंने भी अब सारे कपडे उतार दिए हैं ...''

कुछ सेकंड के इन्तजार के बाद दरवाजा खुलने कि आवाज आयी ..हर्षित समझ गया कि लोंडिया गर्म हो चुकी है ..

दिव्या ने दरवाजा पूरा खोल दिया ..

उसकी नजरें झुकी हुई थी ..जो हर्षित के पैरों कि तरफ थी ..उसने धीरे-२ नजरें ऊपर करनी शुरू कि ..हर्षित कि नंगी टांगों से होती हुई उसकी नजर जैसे ही उसके अस्तबल पर जाकर रुकी तो देखा कि उसने अपने घोड़े को अपने हाथों के पीछे छुपा रखा है ..

उसका कसरती बदन देखकर उसका दिल झूम उठा ..उसके अंदर चिंगारियां सी जलने लगी ..वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी .

उसने याचना भरी नजरों से हर्षित को देखा, जैसे कह रही हो कि हटा लो ये हाथ भी ...

हर्षित ने ना में सर हिलाते हुए कहा : "पहले आप भी दिखाओ मुझे ...''

अब ना करने का कोई प्रश्न नहीं रह गया था ..वो वासना कि आग में पूरी तरह से जल रही थी , उसके अन्दर सोचने समझने कि कोई शक्ति नहीं रह गयी थी , उसने अपने बदन से साडी का पल्लू खिसका दिया ..और अपने ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी ..


 दिव्या इतनी जल्दी मान जायेगी ये हर्षित ने बिलकुल नहीं सोचा था , पर वो बेचारा ये नहीं जानता था कि कल रात से अब तक दिव्या किस तरह से अपने आप पर काबू रखे हुए है ..और अब हर्षित को अपने सामने पाकर वो अपनी सारी मर्यादा भूलकर बस मजे लेने के मूड में आ चुकी थी ..

जैसे ही हर्षित ने दिव्या कि ब्लेक ब्रा देखि ..उसने अपने लंड को अपने हाथ कि गिरफ्त से आजाद कर दिया ...

और अपने हष्ट - पुष्ट और स्वस्थ लंड को हिला हिलाकर दिव्या के सामने नचाने लगा ..

दिव्या कि तो ऊपर कि सांस ऊपर और नीचे कि नीचे ही रह गयी ...

उसने किसी सम्मोहन में बंधे हुए अपनी ब्रा को भी उतार फेंका और अब वो हर्षित के सामने टॉपलेस खडी थी ..

हर्षित अपना लंड झूलता हुआ अंदर आ गया और उसके पास जाकर खड़ा हो गया ..और उसने दिव्या को अपनी बाहों में पकड़कर अपने गले से लगा लिया ...

ऐसा लगा जैसे बरसों के बिछड़े हुए प्रेमी गले मिल रहे हैं ..

हर्षित ने उसकी नरम और मुलायम छातियों को अपनी बलिष्ट पकड़ में लेकर अपनी छाती से पीस दिया ...

उसके नन्हे -२ निप्पल घने बालों के अंदर छिपकर वहाँ से मिल रही घिसाई का आनंद लेने लगे ..

और फिर दिव्या ने अपना मुंह खोला और हर्षित के होंठों को अपने अंदर लेते हुए जोर से किस्स करना शुरू कर दिया ...

''उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ......पुछssssssss ..........अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....''

वो तो कि तरह अपने मुंह से हुए हर्षित के होंठों का मांस खाने में लगी हुई थी .., इतनी बेसब्री तो उसे आज तक महसूस नहीं हुई थी ..

हर्षित ने भी इतनी गर्म औरत अपनी जिंदगी में नहीं देखि थी ..जो उसके लंड के देखते ही उसके सामने बेशर्मों कि तरह नंगी हो गयी थी ..

उसने दिव्या के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और वो नीचे गिर पड़ा ...दिव्या ने नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी ..

हर्षित ने आगे बढ़कर अपने लंड को उसकी चूत से मिला दिया ..और दोनों ने एक हुंकार सी भरी , अपना -२ मुंह ऊपर करते हुए ..

हर्षित ने दिव्या को धक्का देते हुए नीचे बिठा दिया, और वो पंजों के बल बैठकर सीधा उसके लंड के सामने आ गयी ..और उसके फड़फड़ाते हुए लंड को ललचायी नजरों से देखते हुए उसे पकड़कर अपने मुंह के पास लायी और बड़े ही प्यार से उसे नीचे से ऊपर कि तरफ चाटा ..







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