Sunday, March 8, 2015

Fentency भाभी का प्यार-2

 Fentency

 भाभी का प्यार-2


 जब मैं कुर्सी से उठा तो भाभी ने जल्दी से नोवेल अपने चेहरे के आगे कर लिया, जैसे वो नोवेल पढ़ने में बरी मग्न हो. मैंने कई दिन से बहभी की गुलाबी काछी नहीं देखि थी. आज भी वो नहीं सूख रही थी. मैंने भाभी से पुछा

" बहभी बहुत दिनों से अपने गुलाबी काछी नहीं पहनी?"

" तुझे क्या?"

" मुझे वो बहुत अछी लगाती है. उसे पहना करिये न."

" मैं कोन सा तेरे सामने पहनती हूँ?"

" बताइए न भाभी कहाँ गयी, कभी सूखती हुई भी नहीं नज़र आती."

" तेरे भैया ले गए. कहते थे की वो उन्हें मेरी याद दिलाएगी."
भाभी ने शर्माते हुए कहा.

" आपकी याद दिलाएगी या आपके टांगों के बीच में जो चीसे है उसकी?"

" हट मक्कार ! तुने भी तो मेरी एक कच्छी मार राखी है. उसे पहनता है क्या? पहनना नहीं, कहीं फट न जाये." भाभी मुझे चिढ़ाती हुई बोली.

" फटेगी क्यों? मेरे नितम्ब आपके जितने भरी और चौरे तो नहीं हैं".

" अरे बुधहु, नितम्ब तो बरे नहीं हैं, लेकिन सामने से तो फट सकती है. तुझे तो वो सामने से फिट भी नहीं होगी."

" फिट क्यों नहीं होगी भाभी?" मैंने अनजान बनते हुए कहा.


" अरे बाबा, मर्दों की टांगों के बीच में जो वो होता है न, वो उस छोटी सी कच्ची में कैसे समां सकता है, और वो तगरा भी तो होता है कच्छी के महीन कपरे को फार सकता है."

" वो क्या भाभी?" मैंने शरारत भरे अंदाज़ में पुछा. भाभी जान गयी की मैं उनके मुंह से क्या कहलवाना चाहता हूँ.

" मेरे मुंह से कहलवाने में मज़ा आता है?"

" एक तरफ तो आप कहती हैं की आप मुझे सुब कुछ बताएंगी,और फिर साफ़ साफ़ बात भी नहीं कराती. आप मुझसे और मैं आपसे शर्माता रहूँगा तो मुझे कभी कुछ नहीं पता लगेगा और मैं भी भैया की
तरह अनारी रह जाऊंगा. बताइये न !"

" तू और तेरे भैया दोनों एक से हैं.मेरे मुंह से सुब कुछ सुन कर तुझे ख़ुशी मिलेगी?"

" हाँ भाभी बहुत ख़ुशी मिलेगी. और फिर मैं कोई पराया हूँ."

" ऐसा मत बोल रामू. तेरी ख़ुशी के लिए मैं वाही करुँगी जो तू कहेगा."

" तो फिर साफ़ साफ़ बतिये आपका क्या मतलब था."

" मेरे बुद्धू देवर जी, मेरा मतलब ये था की मर्द का वो बहुत तगरा होता है, औरत की नाज़ुक कच्छी उसे कैसे झेल पाएगी ? और अगर वो खरा हो गया तउब तो फट ही जाएगी न."

" भाभी आपने वो वो लगा राह्की है, मुझे तो कुछ नहीं समझ आ रहा."

" अच्छा अगर तू बता दे उसे क्या कहते हैं तो मैं भी बोल दूंगी." भाभी ने लजाते हुए कहा.

" भाभी मर्द के उसको लुंड कहते हैं."

" ह़ा…..!, मेरा भी मतलब येही था."

"क्या मतलब था आपका?"

" की तेरा लुंड मेरी कच्छी को फार देगा. अब तो तू खुश है न.?"

" हाँ भाभी बहुत खुश हूँ. अब यह भी बता दीजिये की आपकी टांगों के बीच में जो है उसे क्या कहते हैं"

"उसे? मुझे तो नहीं पता. ऐसी चीसें तो तुझे ही पता होती हैं. तू ही बता दे."

"भाभी उसे चूत कहते हैं."

"ह़ा! तुझे तो शर्म भी नहीं आती. वाही कहते होंगे."

" वाही क्या भाभी?"

" ओह हो बाबा, चूत और क्या." भाभी के मुंह से लुंड और चूत जैसे शब्द सुन कर मेरा लुंड फनफनाने लगा. अब तो मेरी हिम्मत और बढ़ गयी. मैंने भाभी से कहा.

" भाभी इसी चूत की तो दुनिया इतनी दीवानी है."

" अच्छा जी तो देवेरजी भी इसके दीवाने हैं."

" हाँ मेरी प्यारी भाभी किसी की भी चूत का नहीं सिर्फ आपकी चूत का दीवाना हूँ."

"तुझे तो बिलकुल भी शर्म नहीं है. मैं तेरी भाभी हूँ." भाभी झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोली.
अगर मैं आपको एक बात बताऊँ तो आप बुरा तो नहीं मानेंगी?"

" नहीं रामू. देवर भाभी के बीच तो कोई झिझक नहीं होनी चाहिए. और अब तो तुने मेरे मुंह से सुब कुछ कहलवा दिया है.लेकिन मेरी कच्छी तो वापस कर दे."


" सच कहूँ भाभी, रोज़ रात को उसे सूंघता हूँ तो आपकी चूत की महक मुझे मदहोश कर डालती है. जब मैं अपना लुंड आपकी कच्ची से रागरता हूँ तो ऐसा लगता है जैसे लुंड आपकी चूत से रगर रहा हो "

" ओह ! अब समझी देवरजी मेरी कच्छी के पीछे क्यों पागल हैं. इसीलिए तो कहती हूँ तुझे एक सुंदर सी बीवी की ज़रुरत है"

" लेकिन मैं तो अनारी हूँ. आपने तो प्रोमिस कर के भी कुछ नहीं बताया. उस दिन आप कह रही थी की मर्द अनारी हो तो लड़की को सुहाग रात में बहुत तकलीफ होती है. आपका क्या मतलब था? आपको भी तकलीफ हुई थी?"

" हाँ रामू, तेरे भैया अनारी थे. सुहागरात को मेरी साडी उठा कर बिना मुझे गरम किये चोदना शुरू कर दिया. अपने ८ इंच लूम्बे और ३इन्च मोटे लुंड से मेरी कुंवारी चूत को बहुत ही बेरहमी से चोदा. बहुत खून निकला मेरी चूत से. अगले एक महीने तक दर्द होता रहा." मेरा लुंड देखने के बाद से भाभी काफी उत्तेजित हो गयी थी और बिलकुल
ही शर्माना छोर दिया था.

" लड़की को गरम कैसे करते हैं भाभी?"

" पहले प्यार से उससे बातें करते हैं. फिर धीरे धेरे उस के कपरे उतारते हैं. उसके बदन को सहलाते हैं. उसकी होटों को और चुचिओं को चुमते हैं. फिर प्यार से उसकी चुचिओं और चूत को मसलते हैं. फिर हलके से एक ऊँगली उसकी चूत में सरका कर देखते हैं की लड़की की चूत पूरी तरह गीली है. अगर चूत गीली है, इसका मतलब
लड़की चुदने के लिए तयार है.इसके बाद प्यार से उसकी टाँगें उठा कर धीरे धेरे लुंड अंडर दाल देते हैं. पहली रात जोर जोर से धक्के नहीं मारते."

" भाभी उस फिल्म में तो वो कालू उस लड़की की चूत चाटता है, लड़की भी लुंड चूसती है. कालू उस लड़की को कई तरह से चोदता है. एहन तक की उसकी गांड भी मारता है"

" अरे बुद्धू ये सुब पहली रात को नहीं किया जाता, धीरे धीरे किया जाता है."

" बहभी, भैया भी वो sub आपके साथ करते हैं?"

" नहीं रे ! तेरे भैया अनारी थे और अब भी अनारी हैं. उनको तो सिर्फ टांगें उठा कर पेलना आता है. अक्सर तो पूरी तरह नंगी किये बिना ही छोड़ते हैं. औरत को मज़ा तो पूरी तरह नंगी हो कर ही चुदवाने में आता है."

" भाभी आपको नंगी हो कर चुदवाने में बहुत मज़ा आता है?"

" क्यों में औरत नहीं हूँ ? अगर मोटा तगरा लुंड हो और चोदने वाला नंगी करके प्यार से चोदे तो बहुत ही मज़ा आता है."

" लेकिन भैया का लुंड तो मोटा तगरा होगा. हाँ मेरे लुंड की बराबरी नहीं कर सकता है"

" तुझे कैसे पता ? "

" मुझे तो नहीं पता लेकिन आप तो बता सकती हैं"

" में कैसे बता सकती हूँ? मैंने तेरा लुंड तो नहीं देखा है" भाभी ने बनते हुए कहा. में मन ही मन मुस्कुराया और बोला,

" तो क्या हुआ भाभी. कहो तो अभी आपको अपने लुंड के दर्शन करा देता हूँ, आप नाप लो किसका बार है."

" हट बदमाश!"

" अगर आप नहीं दर्शन करना चाहती तो कम से कम मुझे तो अपनी चूत के दर्शन एक बार करवा दीजिये. सुच भाभी मैंने आज तक किसी की चूत नहीं देखी."



" चल नालायक! तेरी शादी जल्दी करवा दें? इतना उतावला क्यों हो रहा है?"

" उतावला क्यों न हूँ? मेरी प्यारी भाभी को भैया सारी सारी रात खूब जम कर चोदें और मेरी किस्मत में उनकी चूत के दर्शन तक न हों. इतनी खूबसूरत भाभी की चूत तो और भी लाजबाब होगी. एक बार दिखा दोगी तो घिस तो नहीं जोगी. अच्छा, इतना तो बता दो की आपकी चूत भी उतनी ही चिकनी है जितनी फिल्म में उस लड़की की थी?"

" नहीं रे, जैसे मर्दों के लुंड के चरों तरफ बाल होते हैं वैसे ही औरतों की चूत पर भी बाल होते हैं. उस लड़की ने तो अपने बाल शवे कर रखे थे."

" भाभी तुब तो जितने घने और सुंदर बाल अप्प्के सर पर हैं उतने ही घने बाल आपकी चूत पर भी होंगे? आप अपनी चूत के बाल शवे नहीं करतीं?"

" तेरे भैया को मेरी झांटें बहुत पसंद हैं इसलिए शवे नहीं करती."

" है भाभी आपकी चूत की एक झलक पाने के लिए कउब से पागल हो रहा हूँ, और कितना तर्पोगी ?"

" सबर कर, सबर कर ! सबर का फल हमेशा मीठा होता है." यह कहा कर बरे ही कातिलाना अंदाज़ में मुस्कुराती हुई नीचे चली गयी. मेरे लुंड के दुबारा दर्शन करने के बाद से तो भाभी का काफी बुरा
हाल था. एक दिन मैंने उनके कमरे में मोटा सा खीर देखा. मैंने उसे सूंघ कर देखा तो खीरे में से भी वैसी ही महक आ रही थी जैसी भाभी की कच्छी में से आती थी. लगता था भाभी खीरे से ही लुंड की भूख मिटने की कोशिश कर रही थी. मुझे मालूम था की गन्दी पिक्चर भी वो कई बार देख चुकी थी. भैया को जा कर तीन महीने बीत गए. घर में मोटा ताज़ा लुंड मौजूद होने के बावजूद भी भाभी लुंड की प्यास में तरप रही थी.

मैंने एक और प्लान बनाया. बाज़ार से एक हिंदी का बहुत ही गन्दा नोवेल लाया जिसमे देवर भबाही की चुदाई के किस्से थे. उस नोवेल में भाभी अपने देवर को रिझाती है. वो जान कर कपरे धोने इस प्रकार बैठती है की उसके पेत्तिकोअत के नीचे से देवर को उसकी चूत के दर्शन हो जाते हैं. ये नोवेल मैंने ऐसी जगह रखा जहाँ भाभी के हाथ लग
जाये. एक दिन जब मैं कॉलेज से वापस आया तो मैंने पाया की वो नोवेल अपनी जगह पर नहीं था. मैं जान गया की भाभी वो नोवेल पढ़ चुकी है. अगले इतवर को मैंने देखा की भाभी कपरे बाथरूम में धोने के
बजे वरन्दाह के नलके पर ड्धो रही थी. उसने सिर्फ ब्लौसे और पेत्तिकोअत पहन रखा था. मुझे देख कर बोली,

" आ रामू बैठ. तेरे कोई कपरे धोने हैं तो देदे." मैंने कहा मेरे कोई कपरे नहीं धोने हैं और मैं भाभी के सामने बैठ गया.
भाभी इधेर उधेर की गप्पें मरती रही . अचानक भाभी के पेत्तिकोअत का पिछला हिस्सा नीचे गिर गया. सामने का नज़ारा देख कर तो मेरे दिल की धरकन बढ़ गयी. भाभी गोरी गोरी मांसल झानगों के बीच में से......
सफ़ेद रंग की कच्छी झांक रही थी. भाभी जिस अंदाज़ में बैठी हुई थी उसके कारण कच्छी भाभी की चुत पर बुरी तरह कासी हुई थी. फूली हुई चूत का उभर मनो कच्छी को फार कर आजाद होने की कोशिश कर रहा हो. कच्छी चुत के कटाव में धंसी हुई थी.

कच्छी के दोनों तरफ से काली काली झांटें बहार निकली हुई थी. मेरे लुंड ने हरकत करनी शुरू कर दी. भाभी मनो बेखबर हो कर कपरे धोती जा रही थी और मुझसे गप्पें मार रही थी. अभी मैं भाभी की टांगों के बीच के नज़ारे का मज़ा ले ही रहा था की वो अचानक उठ कर अंडर जाने लगी.

मैंने उदास हो कर पुछा " भाभी कहाँ जा रही हो ?" " एक मिनट में आई." थोरी देर में वो बहार आई. उनके हाथ में
वोही सफ़ेद कच्छी थी जो उन्होंने अभी अभी पहनी हुई थी. भाभी फिर से वैसे ही बैठ कर अपनी कच्छी धोने लगी. लेकिन बैठते समय उन्होंने पेत्तिकोअत ठीक से टांगों के बीच दबा लिया. यह सोच के की पेत्तिकोअत के नीचे अब भाभी की चुत बिलकुल नंगी होगी मेरा मन डोलने लगा. मैं मन ही मन दुआ करने लगा की भाभी का पेत्तिकोअत फिर
से नीचे गिर जाए. शायद ऊपर वाले ने मेरी दुआ जल्दी ही सुन ली. भाभी का पेत्तिकोअत का पिछला हिस्सा फिर से नीचे गिर गया. अब तो मेरे हो ही उरः गए. उनकी गोरी गोरी मांसल टाँगें साफ़ नज़र आने लगी. तभी भाभी ने अपनी टांगों को फैला दिया और अब तो मेरा कलेजा ही मुंह को आ गया. भाभी की चुत बिलकुल नंगी थी. गोरी गोरी सुदोल
जांघों के बीच में उनकी चुत साफ़ नज़र आ रही थी. पूरी चुतघने काले बालों से ढकी हुई थी, लेकिन चुत की दोनों फांकें और बीच का कटाव घनी झांटों के पीछे से नज़र आ रहा था. चुत इतनी फूली हुई थी और उसका मुंह इस प्रकार से खुला हुआ था, मनो अभी अभी किसी मोटे लुंड से चुदी हो. भाभी कपरे धोने में ऐसे लगी हुई थी मनो उसे कुछ पता न हो. मेरे चेहरे की और देख कर बोली

" क्या बात है रामू, तेरा चेहरा तो ऐसे लग रहा है जैसे तुने सांप देख लिया हो?" मैं बोला

" भाभी सांप तो नहीं लेकिन सांप जिस बिल बिन रहता है उसे
ज़रूर देख लिया."

" क्या मतलब ? कौन से बिल की बात कर रहा है?" मेरी आँखें
भाभी की चुत पर ही जमी हुई थी.

" भबाही आपकी टांगों के बीच में जो सांप का बिल है न मैं उसी
की बात कर रहा हूँ."

" हा..आया !!! बदमाश !! इतनी देर से तू यह देख रहा था ? तुझे शर्म नहीं आई अपनी भबाही की टांगों के बीच में झांकते हुए?' यह कह कर भबाही ने झट से टाँगें नीचे कर लीं.

" आपकी कसम भ्बाही इतनी लाजबाब चुत तो मैंने किसी फिल्म में भी नहीं देखी. भैया कितनी किस्मत वाले हैं. लेकिन भाभी इस बिल को तो एक लूम्बे मोटे सांप की ज़रुरत है."

भाभी मुस्कुराते हुए बोली,

" कहाँ से लाऊं उस लुम्बे मोटे सांप को.?"

" मेरे पास है न एक लुम्बा मोटा सांप. एक इशारा करो, सदा ही आपके बिल में रहेगा."

" हट नालायक." यह कहा कर भाभी कपरे सुखाने चाट पे चली गयी..

ज़ाहिर था की ये करने का विचार भाभी के मन में नोवेल पढ़ने के बाद ही आया था. अब तो मुझे पूरा विश्वास हो गया की भाभी मुझसे

चुदवाना चाहती है. मैं मोके की तलाश में था जो जल्दी ही हाथ Aa gaya.

तीन दिन बाद कॉलेज में बॉडी बिल्डिंग कोम्पेतितिओन था. मैंने खूब कसरत और मालिश करनी शुरू कर दी थी. भाभी भी मुझे अछी खुराक खिला रही थी. एक दिन भाभी नहा रही थी और मैं अपने कमरे में मालिश कर रहा था. मैंने सिर्फ उन्देर्वेअर पहन रखा था. इतने में भाभी नहा कर कमरे में आ गयी. वो पेत्तिकोअत और ब्लौसे में थी. मैंने भाभी से कहा" भाभी ज़रा पीठ की मालिश कर दोगी?" भाभी बोली " हाँ हाँ क्यों नहीं चल लेत जा" मैं चटाई पर पित के बल लेत गया. भाभी ने हाथ में तेल ले कर मेरी पीठ पर लगाना शुरू कर दिया. भाभी के मुलायम हाथों का स्पर्श बहुत
अच्छा लग रहा था.










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