Sunday, March 8, 2015

Fentency जुए की लत--13 end

Fentency

 जुए की लत--13 end


 उसने दिव्या को उठाया और खड़ा कर दिया, दिव्या ने सामने रखी हुई कुर्सी पर अपना एक पैर रखा और अपनी गांड पीछे से निकाल कर खड़ी हो गयी, हर्षित फिर से उसके पीछे आया और अपना लंड पेलकर उसकी गांड का म्यूजिक सिस्टम फिर से बजाने लगा. 



और आखिर एक जोरदार आवाज के साथ दोनों झड़ने लगे.

''उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह येस्स्स्स मैं अआया अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। …… उम्म्म्म्म्म्म्म्म ''

चूत से मिल रहे सिग्नल दिव्या को अपनी गांड तक महसूस हो रहे थे जिसकी वजह से उसका भी ओर्गास्म हो ही गया

और ऐसा ओर्गास्म उसे आज तक नहीं हुआ था, गांड मरवाने में इतना मजा आता है, ये उसे आज ही पता चला था. 

और वहाँ मनीष बेड पर लेट चूका था और उसने रिया को अपने ऊपर खीच लिया था और आराम से उसकी मोटी चूचियाँ दबाते हुए उसकी चूत मार रहा था. 




दिव्या अपनी गांड मरवाकर गहरी साँसे ले रही थी , अब उसे फिर से दर्द होने लगा था.. 

उसकी गांड के अंदर से हर्षित का माल निकल कर बाहर बह रहा था.. 

दिव्या ने देखा कि बड़े मजे से रिया कि चूत मारने में लगा हुआ है, उसे बड़ा गुस्सा आया एकदम से मनीष पर, वो उठी और अपनी बहती हुई गांड लेकर सीधा मनीष के मुंह के ऊपर आयी और वहाँ बैठ गयी 

मनीष पर गुस्सा उतारने का यही तरीका समझ में आया दिव्या को.

अपनी गांड से निकल रहा हर्षित का रस वो उसे पिलाना चाहती थी.. 

और मनीष कि बेशर्मी भी देखो, उसने दोनों हाथ ऊपर करके उसे आराम से अपने मुंह पर बिठाया और उसकी चूत और गांड दोनों को आराम से चाटने लगा. 

आज वो कुछ भी करने को तैयार था.. 

रिया आराम से उसके लंड को अंदर ले रही थी और ऊपर नीचे हो रही थी, और उसके मुंह पर बैठी हुई दिव्या अपनी चूत और गांड को उससे साफ़ करवाकर धीरे-२ ऊपर नीचे हो रही थी. 

दोनों को बड़ा मजा आ रहा था. 

और फिर वो वक़्त भी आया जब मनीष और रिया ने अपने अंदर का ज्वालामुखी एक दूसरे के अंगो पर कुर्बान कर दिया. 

और निढाल होकर हाफ़ने लगे. 

पर इसी बीच राहुल तैयार हो चूका था दिव्या कि गांड मारने के लिए. 

और वो भी फ्री में..

और रिया के पास आ चुके थे हरिया काका.. 

रिया और दिव्या सभी से बेखबर, चुदी हुई , एक दूसरे के होंठों को चूमकर अपना -२ दर्द कम कर रहे थे. 


 हरिया काका कि नजरे अब रिया कि गांड कि तरफ ही थी , उन्होंने जब से दिव्या कि गांड फटते हुए देखि थी, उनका नन्हा सिपाही भी गांड मारने कि जिद्द कर रहा था 

और दूसरी तरफ राहुल कि भूखी नजरें भी दिव्या कि चमक रही गांड को घूर रही थी, ताजा -२ मारने कि वजह से वो लाल सुर्ख होकर लश्कारे मार रही थी , जैसे नयी नवेली दुल्हन के गाल हो ..

हरिया ने रिया कि और राहुल ने दिव्या कि गांड में एक ही झटके में लंड पेलकर उन दोनों को चोंका दिया.

दोनों एकसाथ चिहुंक पड़ी.. 

हरिया काका के काले और मोटे लंड को अंदर लेते हुए रिया चीख रही थी 

''उम्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ''


और दिव्या कि गांड में तो हर्षित ने पहले से ही इतनी चिकनाहट भर दी थी कि राहुल का लंड अंदर फिसलता चला गया 



अब दोनों के डाईवर उनकी गांड के समुन्दर में कूदकर वहाँ कि गर्मी के मजे ले रहे थे 

दिव्या और रिया के चेहरे अभी तक एक दूसरे कि तरफ थे और होंठ भी आपस में चिपके हुए थे , पीछे से हुए हमले ने उनके अंदर और भी उत्तेजना का संचार कर दिया और झटकों से मिल रहे मजे ने उनकी गांड के तानपूरे कि तारों में से मधुर संगीत निकालना शुरू कर दिया.

हरिया काका और राहुल का लंड गांड कि तंग गलियों में अंदर बाहर होता हुआ आ-जा रहा था , उन दोनों का पूरा शरीर हिचकोले खा रहा था और हिचकोले खाते हुए दोनों के चेहरे जब भी मिलते तो एक दूसरे कि नंगी और गीली जीभों को पकड़ने कि असफल कोशिश करती दोनों … और कभी - २ जब पकड़ भी लेती तो नाजुक होंठ भी पकड़ में आ जाते नुकीले दांतो में 


 अब दिव्या को सही में गांड मरवाने का मजा आ रहा था , वो अपनी गद्देदार गांड को पीछे करके राहुल का पूरा लंड अंदर पिलवा रही थी 


अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह राहुल, उम्म्म्म्म्म्म्म्म और अंदर डालो , पूरा पेलो , अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह डालो अंदर तक अपना लंड , उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''

और रिया कि गांड तो राहुल ने ना जाने कितनी बार मारी थी, और हरिया काका ने भी उसकी खूब बजाई थी, पर आज सामूहिक चुदाई के मौके पर अपनी गांड मरवाने में उसे कुछ ख़ास ही मजा आ रहा था 

''अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह काका उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ,एस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ऐसे ही अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , ओह काका, कहा से सीखा। …… ऐसे मजे देना , अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ''


और आवेश में आकर उसने अपना घोड़ी वाला आसान छोड़ दिया और अपने घुटनो के बल खड़ी हो गयी, हरिया काका का लंड अभी तक उसकी गांड में घुसा हुआ था, उसने पीछे मुंह करके अपनी एक बाजू हरिया काका कि गर्दन के चारो तरफ लपेटी और उनके चेहरे को अपनी तरफ खीचकर उनके होंठों पर टूट पड़ी, साथ ही साथ अपनी लचीली गांड को भी थिरकाती रही ..

''उम्म्म्म्म्म्म पुकछह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह मारो काका, जोर से मारो मेरी गांड अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ''

हरिया काका के बूढ़े जिस्म को ऐसे पोज़ कि आदत नहीं थी, पर फिर भी गाँव का होने कि वजह से उन्हें ज्यादा तकलीफ नहीं हो रही थी, वो भी अपनी पूरी मस्ती में उसकी गांड का मजा लेने में लगे हुए थे. 

इसी बीच बिल्लू का लंड फिर से खड़ा होने लगा, और दूसरी तरफ राजेश भी पूरी तरह से तैयार था.

 दोनों अपने लंड को लहराते हुए दिव्या और रिया के सामने जा पहुंचे , दिव्या ने बिल्लू को और रिया ने राजेश के लंड को पकड़कर अपने मुंह में रखा और उन्हें लोलीपोप कि तरह से चूसने लगे. 



कुछ ही देर में उनके लंड चाशनी में डूबे गाजर के मुरब्बे कि तरह से चमकने लगे. 

दिव्या और रिया ने एक दूसरे कि तरफ देखा और फिर इशारा करके उन्होंने बिल्लू, और राजेश को अपने नीचे लेटने को कहा , और जैसे ही दोनों उन दोनों घोड़ियों के नीचे पहुंचे, दोनों घोड़ियां अपने पैर पसार कर उनके लंड के ऊपर बैठ गयी, बड़ा ही उत्तेजक दृश्य था, उनसे ऐसी कलाकारी कि उम्मीद किसी ने भी नहीं कि थी, अपनी गांड से बिना लंड बाहर निकलवाये दोनों ने अपनी चूत के अंदर एक -२ लंड और निगल लिया था, 

टाईट चूत के अंदर मोटा लंड सटासट - खटाखट अंदर बाहर हो रहा था 



दोनों के चेहरे पर आ रहे परमानन्द के भाव सभी को दिख रहे थे. 

अपने मोटे-२ मुम्मों को बिल्लू और राजेश के मुंह पर मारते हुए दोनों उछल कूद मचाने लगी. 

औरत कि गांड और चूत के छेद एक ही बार में भर जाए तो उन्हें दुनिया कि कोई खबर नहीं रहती. 

और यही हाल इस वक़्त दिव्या और रिया का था, अपने-२ पति के सामने ही , दोनों बेशर्मो कि तरह दूसरे लंडो से अपनी प्यास बुझा रही थी. 

पर इतने में ही इन औरतों कि प्यास नहीं बुझी. 

उन्होंने इशारा करते हुए मनीष, थापा और हर्षित को भी अपनी तरफ बुलाया..

हर्षित और थापा दिव्या के सामने और मनीष रिया के सामने जाकर खड़ा हो गया..

और फिर दोनों ने उनके लंड को पकड़ा और रंडियों कि तरह अपने मुंह में लेकर चूसने लगी , दिव्या के तो मजे थे, उसके पास एक लंड ज्यादा था, जिसे वो बारी -२ से चूस रही थी 


 दोनों औरतों के तीनो छेद इस समय बिजी थे 



दिव्या कि गांड थोडा तंग थी इसलिए उसे ऊपर नीचे होने में थोड़ी मुश्किल हो रही थी, पर रिया तो पुरानी रांड थी, वो तो अपनी गांड और चूत कि ग्रीसिंग करके आयी थी आज, दोनों लंडो को किसी पिस्टन कि तरह से अपने अंदर पिलवा रही थी और साथ ही साथ मधुर संगीत देकर ताल से ताल भी मिला रही थी 

अब चारों और से अजीब सा तनाव उत्पन होने लग गया था , उन दोनों को लगने लग गया कि अब किसी भी वक़्त लंडों में से लावा निकल सकता है और इसके लिए जैसे दोनों ने पहले से ही कुछ सोच कर रखा था 

जैसे ही हरिया काका, हर्षित , राहुल, बिल्लू, राजेश, थापा और मनीष के मुंह से सिस्कारियां निकलने लगी, दिव्या और रिया एकदम से उठकर सभी के बीच में बैठ गयी , उन दोनों ने सभी के लंड अपने जिस्म से निकाल कर उन्हें वापिस कर दिए 

वो सब भी समझ गए कि वो दोनों रंडियां क्या चाहती हैं, उनके लंड के गर्म पानी से नहाना चाहती है दोनों 

उन सभी ने एक गोला बना लिया उन दोनों के चरों तरफ और अपने-२ लंड को अपने हाथों से हिलाने लगे 

दिव्या अपने दोनों मुम्मों को पकड़कर मसल रही थी, उन्हें ऊपर करके अपनी जीभ से अपने निप्पल को सेहला रही थी और उत्तेजना से भरपूर आवाजें निकाल रही थी 

और रिया कि एक ऊँगली अपनी चूत में थी और दूसरी अपने मुम्मे पर , और दोनों जगह ही उसकी उँगलियाँ अपना कमाल दिखाने में लगी थी 

सबसे पहले बिल्लू के लंड से पिचकारी निकल कर रिया के माथे से टकरायी 

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह रिया ……''

और फिर राजेश कि आवाज भी उसके पीछे-२ आयी 

''ओह्ह्ह्ह दिव्या भाभी अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ''

और उसके लंड कि धार सीधा दिव्या भाभी कि नाक और होंठों के बीच टकरायी, जो धीरे-२ बहकर उनके मुंह के अंदर चली गयी 


अब थी बारी राहुल कि, उसने भी दिव्या का मुंह पकड़ा और उसे पूरा खोलने को कहा , और फिर सिर्फ एक इंच कि दुरी से उसने अपने लंड कि गन से उसके मुंह के अंदर कई फायर किये, जो सीधाउसके टॉन्सिल्स से जाकर टकराए और गले से निचे फिसलकर अंदर विलीन हो गए 


 हरिया काका के लंड के निशाने पर आयी रिया कि आँखे , उन्होंने उसकी आँखों का निशाना बनाकर अपना माल सुरमे कि तरह उसकी आँखों में भर दिया, बेचारी कुछ देख नहीं पा रही थी, उसने अपनी पतली उँगलियों से अपनी आँखे साफ़ कि और सारा माल समेटकर सही जगह पर पहुंचा दिया, यानि अपने मुंह के अंदर 

थापा ने अपने लंड के निशाने पर रखे दोनों के मोटे-२ मुम्मे, पहली धार से उसने रिया के मुम्मे भिगो दिए और दूसरी से दिव्या भाभी के 

मनीष ने भी एक तेज हुंकार के साथ अपनी पहली धार दिव्या के बालों में छोड़ दी, ऐसा लग रहा था कि दिव्या के सर पर बर्फ पड़ी है, पूरा सर उसने अपने सफ़ेद माल से ढक कर उसे अजीब सा लुक दे दिया था 

और अपने -२ लंड कि पहली धार मारने के बाद सभी ने उन दोनों के पुरे शरीर पर चिपचिपी बारिश करके बाकी के माल को भी ठिकाने लगा दिया 

और वो दोनों अपने हाथों कि उँगलियों से अपने शरीर के अंगो को साफ़ करती हुई वो सारी मलायी अपने मुंह में भर रही थी 

दिव्या के लिए गाँव का ये टूर बड़ा ही सुखद रहा था, उसने सोचा भी नहीं था कि दीवाली के जुए में हार जाने के बाद उसे इतना मजा मिलेगा

उसने मन ही मन निश्चय कर लिया कि अब से वो हर साल दीवाली पर गाँव में आएगी और मनीष को कभी भी अपने दोस्तों के साथ जुआ खेलने से मना नहीं करेगी .

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समाप्त 
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दोस्तों , इस कहानी को यहीं समाप्त कर रहा हु,  जल्द ही एक नयी कहानी आपके सामने प्रस्तुत करूँगा . 

आपका दोस्त 

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