Wednesday, April 22, 2015

ससुर जी के साथ हनीमून


ससुर जी के साथ हनीमून

मेरी पिछली कहानियां पढ़ कर आप को पता चल ही गया होगा कि मैं अपने ससुर के साथ पत्नी की तरह रहने लगी थी हम लोग एक ही बीएड पर सोते और दिन रात जब मन करता चुदाई करते ससुर जी की मेरे शरीर के साथ छेड़खानी तो सारा दिन ही चलती रहती थी

एक दिन चुदाई करते करते मैं ने ससुर जी से पूछा "आप हनीमून के लिए कहाँ गए थे ?

अरे हनी मून कहाँ, हमारे मम्मी पापा के घर मैं यह सब नहीं होता था , हमें तो घर मैं ही समय निकाल कर जल्दी से सेक्स करनी पड़ती थी उस मैं तो बस अपना पजामा नीचे सरकाओ साड़ी उठा कर घुसा दो और झटके दे दे कर चोद लो, अब जैसे पूरे नन्गे  हो कर सेक्स करते हैं तो मजा ही कुछ और आता है "

यह सुन कर मैं हंस पडी और बोली "वाह जी वाह बड़ा अजीब  ज़माना था , अपनी बीवी को चोदने  के लिए भी मौका निकालना पड़ता था " मैं ने कहा "चलिए अब इस नए ज़माने की बीवी के साथ हनीमून मना लीजिये न "

"तू सच कह रही है या मजाक कर रही है ? " ससुर जी ने हैरान हो कर कहा ? "तुम सच मैं चलेगी मेरे साथ हनीमून पर"

"हाँ क्यूँ नहीं ? अब आप ही तो मेरे पति हो"

फिर हम ने अपने हनीमून की तैयारी कर डाली आस पास के लोगों को बता दिया के मैं अपने मायके जा रही हूँ और ससुर जी ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बोला के जमीन के कानूनी काम के सिलसिले मैं दो तीन दिन के बाहर रहना पड़ेगा

फिर एक दिन ससुर जी नाईट बस पकड़ कर कुल्लू चले गए और अगले दिन सुबह मैं  से कुल्लू   कुल्लू  पर ससुर जी   गाय और एक    का   कर  था  मैं  कर हम मनाली के लिए  पड़े हमारे हनी मून की   मैं ही हो  मैं ने    थी और नीचे  नहीं  थी जिस से ससुर जी मेरी  के साथ कुछ भे   कर  थे  मैं ही मैं ने  का  निकाल कर   कर दिया था

मनाली मैं होटल पहुँच कर ससुर जी ने पहली बार मेरा सूट केस उठाया तो वह हैरान रह गए और बोले "अरे पुष्प यह तो बहुत हल्का है "

अंदर चलिए तो बताती हूँ क्यूँ इतना हल्का है "

कमरे मैं जाते ही मैं ने अपना सूटकेस खोल दिया, उस मैं सिर्फ़ एक सेक्सी सी नाईटी  और दो तीन ब्रा और पेंटी थी और कुछ भी नहीं था

पुष्पा तू अपने कपडे क्यूँ नहीं लायी ?

अरे मेरे प्यारे बलमा ! हनीमून पर कपड़ों का क्या काम ? मैं तो 3 दिन आप के सामने ऐसे ही रहूंगी

ससुर जी यह सुन कर हंस पड़े और मुझे बाहों मैं ले कर चूमने लगे

क्यूँ कि हम दोनों ने रात मैं चुदाई नहीं की थी इस लिए दोनों एक दूसरे को भूखे शेर की तरह चूमने लगे, उस समय हम दोनों के बदन एक दूसरे से ऐसे जुड़े थे कि बीच में से हवा भी नहीं गुजर सकती थी।

ससुर जी मेरी गर्दन पर चूमे जा रहे थे और उन्होंने मेरा टॉप उतारा और मेरी चूचियों को दबाने लगा और उन्हें पीने लगे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। तब उन्होंने मेरा स्कर्ट नीचे खिसका दिया और मैं ने उस को अपने चूतड़ उचका कर अपने बदन से अलग किया   फिर पैंटी भी ऐसे से चली गयी ! अब मैं उनकी बाहों मैं नंगी लेटी हुई थी... और वह मेरे ऊपर लेट कर मेरे सारे बदन को चूमे जा रहे थे .

मेरे बदन को चूमते चूमते उनका मुँह मेरी बुर पर चला गया और फिर उसने मेरी बुर चूमना-चूसना शुरू कर दिया। मेरे पूरे शरीर में तरंगे दौड़ने लगी .

हम दोनों की सांसें तेज़ हो चुकी थी, मैंने कहा- बाबू जी मेरी फ़ुद्दी मैं अपना भुजंग डाल दो , अब मुझसे और नहीं रुका जा रहा...

उसने इतना ही सुनते ही उन्होंने अपनी पेंट उतार दी और कच्छा नीचे किया अब उनका खड़ा लण्ड मेरे सामने था जिस को मैं कई बार अपनी चूत, गांड और मुंह मैं उतर चुकी थी .. मैंने अपने आप अपनी दोनों टाँगें फैला दी।अपने दोनों हाथों की एक एक उंगली डाल कर चूत के होंठों को खींचा इस का सीधा असर ससुर जी पर पड़ा और वह मेरी टांगों के बीच बिस्तर पर घुटने के बल आ गए जिस से उनका लंड मेरी  रस से लबालब चूत के सामने झूलने लगा ! फिर उन्होंने मेरी जाँघों को उठाया और मेरी टांगों को कन्धों पर रख लिया और अपने काले मोटे लंड का  मेरी पिंकी के छेद पर रख कर एक धक्के से उस को अंदर  घुसा दिया पिंकी  इस हमले के लिए पूरी तरह तैयार थी इस लिए भुजंग सीधा मेरी बच्चेदानी के मुंह तक चला  गया, जैसे ही वह मेरी बच्चेदानी के मुंह पर टकराया एक मीठी सी दर्द हुयी ऐसे दर्द से मेरे अंदर एक इच्छा जागृत हो जाती है के मुझे इस बन्दे के बच्चे की माँ बनना है 
अभी जब मैंने अपने ससुर के साथ हनीमून पर होटल के बेड पर उनके कन्धों पर टाँगे रख कर लंड को अपनी चूत मैं उतरवाया हुआ था मैं ने अपनी इस इच्छा को उन्हें बता ही दिया

चोदु राजा "आज ऐसे छोड़ के हनीमून के बाद मेरी कोख तेरे प्यार से भर जाए "

"ओह मेरी पुष्पा रानी तूने मुझे सब सुख दिए हैं मैं भी तुझे वह सब दूंगा जो तेरे मन मैं है "
"सब कुछ" सुन कर मैं कहने ही वाली थी के अब जब मैं उन की पत्नी बन चुकी हूँ तो मुझे उनकी अलमारी मैं रखे सब गहने एक न एक दिन अपने बदन पर देखने हैं और उनके सारे पैसे घर मकान को अपने कब्ज़े मैं लेना है पर अभी के लिए मैं ने अपने आप को रोक लिया क्यूँ के अगर मेरे ससुर को इस उम्र मैं ऐसी मस्ती मिलती रही तो वह सब माल कहीं और जा ही नहीं सकता
फिर हम दोनों ताल मैं ताल मिला कर चुदाई करने लगे

कमरा फचफच की आवाज़ से गूंजने लगा और होटल का भारी भरकम बेड भी हिलने लगा 
करीब मिनट चुदाई के बाद ससुर जी की साँसे कुछ ज्यादा तेज हो चली थी इस लिए मैं ने उन्हें पलट दिया और उन पर चढ़ कर चुदाई जारी रखी

मैं ऊपर नीचे होने के साथ साथ अपने चूतड़ों को गोल गोल भी घुमा रही थी जिस से उन के लंड की जड़ मेरी चूत के होंठों पर रगड़ खा रही थी इस से मेरी चूत नदी की तरह रस बहाने लगी और मेरी और ससुर जी की जांघें और उस के नीचे बिस्तर पर बेडशीट  गीली हो गयी पर हम दोनों को इस का कोई ध्यान नहीं था और हम घचाघच चोदे ही जा रहे थे

ससुर जी ने आखें बंद कर ली थी और मेरे खींच खींच कर मसल रहे थे मेरे चूतड़ दबा रहे थे मैं ने उनको छाती से दबा रखा था और फच फच फच फच उन के लंड को अपनी चूत मैं अंदर बाहर कर रही थी 
फिर उन्होंने मेरे चूतड़ों को पकड़ कर मुझे ऊपर नीचे करने मैं और जोर लगाने लगे यह एक इशारा था कि उनका माल उनकी गोटियों से निकल मेरी बच्चेदानी की तरफ जाने  ही वाला है  गरम गरम माल का अपनी चूत मैं जाने से जो मजा आता है उस के बारे मैं सोच कर मैं भी झड़ने लगी और उधर ससुर जी के माल की पिचकारियाँ मेरे अंदर जाने लगी

फिर मैं कटे पेड़ की तरह उन के ऊपर गिर पडी और उन्होंने मुझे अपनी बाहों मैं बाँध लिया ! लगभग १ मं बाद मैं नीचे झुकी, उन का माल से सन लंड मेरी चुत से बाहर आ गया मैं अपनी जीभ निकाल कर उस को चाटने लगी और पूरी तरह साफ़ कर दिया अब बस वह मेरे थूक से गीला था और खूब चमक रहा था
थोड़ी देर ऐसे ही लेटने के बाद ससुर जी ने कहा "पुष्पा मेरी जान कुछ खायेगी  पीयेगी भी या यूँ ही चुदाई करती रहेगी ?

मैं ने जवाब दिया "हाँ जानू , तेरा मीठा मीठा माल और पीना है "

ससुर जी हंस पड़े, उन्होंने होटल का मीनू कार्ड उठाया और लंच का आर्डर दे दिया

चल कुछ कपडे पहन ले वैटर खाना ले कर आने ही वाला होगा

नहीं मैं तो जब तक हनीमून  पर हूँ बिना कपड़ों के ही रहना है , यह कह कर मैंने कम्बल ओढ़ लिया

ऐसी चुदक्कड़ बीवी सब को मिले " कह कर ससुर जी ने पायजामा डाला और तभी दरवाजे की घंटी बज उठी

ससुर जी ने दरवाजा खोला और वैटर ने अंदर आ कर टेबल पर खाना लगा दिया, मैं पूरी नंगी  कम्बल ओढ़े लेटी रही

वैटर के जाने के बाद मैं कम्बल से निकली और बाथरूम की तरफ चल दी, मेरे ससुर मेरे पीछे आ गए

मैं बाथरूम मैं सु सु कर रही थी और मेरे ससुर जी मुझे देख रहे थे

थोडा हाथ मुंह धो कर मैं वैसे ही खाने की टेबल पर आ गयी और ससुर जी की गोद मैं जा बैठी

ऐसे ही हम ने खाना खाया और फिर से बिस्तर पर आ गए

अब की बार ससुर जी ने मुझे घोड़ी बना कर अपना लंड मेरी चूत मैं पीछे से घुसा दिया

क्यूँ के ससुर जी पिछले दो घंटे मैं दो बार झड़  चुके थे इस लिए इस बार चुदाई बहुत लम्बी चली








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