Wednesday, April 22, 2015

Fentency बुआ हो तो ऐसी-2

Fentency


बुआ हो तो ऐसी-2

लेखक : राज शर्मा 

मैं एक बार ठंडा हो चुका था पर मेरे सामने जो आग पड़ी थी उसे देखते ही बदन का खून फिर से गर्म होने लगा। 
अब मैंने बुआ की साड़ी उतारनी शुरू कर दी और अगले ही पल बुआ सिर्फ पेटीकोट में मेरे सामने पड़ी थी। मैंने बुआ के पाँव चूमने शुरू किये और बुआ के केले के तने जैसी टांगो पर हाथ फेरते हुए पेटीकोट को उठाते हुए ऊपर की तरफ बढ़ने लगा। बुआ की गोरी गोरी टांगों पर हाथ फेरते हुए मैं उन्हें चूमता भी जा रहा था। मेरे होंठो के छुअन से बुआ मस्ती में भर गई थे और बेचैन होती जा रही थी। कुछ ही देर बाद बुआ की गोरी-गोरी जांघे दिखने लगी। मैं चूमता जा रहा था और बुआ सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी। अब मुझे पेंटी में कसी बुआ की चूत नजर आने लगी थी। बुआ मस्त हो गई थी और पूरी पेंटी गीली हो चुकी थी बुआ की चूत के पानी से।
मैंने अपना हाथ जैसे ही बुआ की चूत पर रखा, बुआ सीत्कार उठी। शायद बुआ उत्तेजना के कारण झड़ गई थी क्योंकि इस सीत्कार के साथ ही पेंटी और भी गीली हो गई थी। मैंने बुआ की गीली पेंटी को उतार दिया। बुआ की लाल-लाल चूत अब बिलकुल नंगी मेरी आँखों के सामने थी। मैंने बुआ की गीली पेंटी को सूंघा। क्या मादक खुशबू थी यार। लंड अकड़ कर लट्ठ जैसा हो गया था। इस खुशबू ने मुझे दीवाना बना दिया था। मैंने पेंटी एक तरफ़ कर अपने होंठ बुआ की चूत की पुतियों पर रख दिए। बुआ की चूत बहुत पानी छोड़ रही थी। मैं जीभ से उस अमृत को चाटने लगा। मैंने भी पहले कभी चूत का स्वाद नहीं चखा था। पर मुझे बुआ की चूत का कसैला और नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लगा और मैं मस्त हो कर चाटने लगा था।
बुआ बुरी तरह से सीत्कार रही थी। अब मैंने बुआ का पेटीकोट भी उतार कर एक तरफ़ रख दिया। बुआ अब बिलकुल नंगी थी। मेरे शरीर पर भी सिर्फ बनियान थी जो बुआ ने उतार फेंकी। अब हम दोनों जन्मजात नंगे थे। लंड तो पहले से ही लोहे की छड़ की तरह से हो चुका था। बुआ भी पूरी मदहोश थी। 
"अब नहीं रहा जाता राज.... जल्दी से कुछ कर ! नहीं तो मैं मर जाऊँगी !" 
"क्या करूँ बुआ ? खुल कर बोलो ना !"
"क्या बोलू बेशर्म.. क्यों तड़पा रहा है ? चोद मुझे... अब बर्दाश्त नहीं होता.... जल्दी से फाड़ दे रे मेरी चूत !"
मेरा पहली बार था तो मैं भी जल्दी से लंड चूत में डालने के लिए मरा जा रहा था। मैंने लंड बुआ की चूत के मुँह पर रखा तो ऐसा लगा जैसे किसी भट्टी के मुँह पर रख दिया हो। बुआ की चूत बहुत गर्म थी। चूत बिल्कुल उबल रही थी। मैंने लंड को ठीक से सेट किया और एक जोरदार धक्का लगा दिया। चूत बहुत तंग थी सुपारा बुआ की चूत में उतर गया था। बुआ एक दम से कसमसा उठी दर्द के मारे।
मुझे हैरानी हुई कि बुआ की शादी तो दो साल पहले हो चुकी थी यानी बुआ पिछले दो साल से चुदवा रही थी पर फिर भी बुआ को मेरा लंड लेने में तकलीफ हो रही थी। चूत इतनी कसी थी कि लगता ही नहीं था कि इस चूत ने लंड का स्वाद चखा होगा। इसी हैरानी में मैंने एक और जोरदार धक्का लगा दिया। आधा लंड बुआ की पनियाई हुई चूत में घुस गया। बुआ दर्द के मारे छटपटाने लगी। लंड तो मेरा भी कम नहीं था पर बुआ तो पिछले दो साल से चुदवा रही थी। खैर अगले दो धक्कों में पूरा लंड बुआ की चूत में घुस गया था। बुआ की झांटें और मेरी झांटें अब संगम कर रही थी। लंड जड़ तक घुस चुका था। बुआ की आँखों में आंसू आ गए थे। 
मैंने पूछा- बुआ, दर्द हो रहा है क्या ?
"नहीं रे.. तू अपना काम करता रह, मेरे आंसू मत देख..." 
मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए। बुआ की चूत बहुत तंग थी। लंड पूरा रगड़ रगड़ कर जा रहा था चूत में। बुआ धीरे धीरे मस्त होती जा रही थी। दर्द की शिकन जो कुछ देर पहले बुआ के चेहरे पर थी वो अब खत्म हो चुकी थी। बुआ ने अब अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरे धक्कों का जवाब देना शुरू कर दिया था। मैं भी गाँव का जवान पट्ठा था। पूरे जोश के साथ बुआ की चूत का बाजा बजा रहा था। अब तो बुआ भी मस्त हो चुदा रही थी। हम दोनों एक दूसरे से कुछ नहीं बोल रहे थे बस दोनों के मुँह से सीत्कारें निकल रही थी। 
करीब दस मिनट के बाद बुआ का शरीर अकड़ने लगा और बुआ लगभग चिल्ला उठी= आह्हह्ह.........राज....जोर से चोद मेरे राजा....... हाय बहुत प्यासी है रे तेरी बुआ की चूत....आह्ह...मार धक्के मेरे राज मैं तो गय्ईईईई अआहह्ह ग्ईईईई मैं तो आह्ह्ह... जोर से कर और जोर से आह्ह आह जोररर से आहह...
और बुआ झड़ गई और ढेर सारा पानी बुआ की चूत से निकल कर मेरे लंड के बराबर में से बाहर निकलने लगा। मेरा अभी नहीं हुआ था तो मैं अब भी जोरदार धक्को के साथ बुआ की चूत को पेल रहा था। दो मिनट के बाद ही बुआ फिर से गांड उछाल उछाल कर लंड लेने लगी। कमरे में अब फचा फच…. फचा फच… की आवाज गूंज रही थी। लंड मस्त गति से बुआ की चूत के अंदर आ जा रहा था। 
आधे घंटे की मस्त चुदाई के बाद मेरा लंड भी फटने को तैयार था और बुआ की चूत भी दूसरी बार फव्वारा छोड़ने को तैयार थी। मेरे मुँह से भी अब मस्ती भरी आवाजें निकल रही थी बिल्कुल शेर के गुर्राने जैसी। बुआ भी और जोर से और जोर से चिल्लाने लगी थी। बुआ ने मुझे कस कर जकड़ लिया बुआ के नाख़ून मेरी कमर में गड़ गए थे। दोनों का शरीर बुरी तरह से अकड़ने लगा था। फिर मेरा लंड फ़ूट पड़ा और वीर्य की धार बुआ के चूत में छूट गई। मेरे गर्म वीर्य का गर्मी मिलते ही बुआ की चूत भी पिंघल गई और उसने पानी का दरिया चला दिया। बुआ झमाझम झड़ रही थी। कमरे में तूफ़ान सा आ गया था। हम दोनों ही पसीने पसीने हो चुके थे। 
पांच मिनट ऐसे ही लेटे रहने के बाद बुआ की आवाज आई- अब नीचे भी उतर ! मैं दब गई हूँ तेरे नीचे।
लंड अब बैठ चुका था और फक की आवाज के साथ बुआ के चूत से बहार निकला और साथ ही निकला ढेर सारा वीर्य और बुआ की चूत के रस का मिश्रण। बुआ की चूत बिल्कुल भर गई थी। बुआ उठी और अपने पेटीकोट से मेरा लंड और अपनी चूत साफ़ की। फिर बुआ ने कपड़े पहनने लगी। मैंने रोकना चाहा पर बुआ ने मना कर दिया और उठ कर फूफा के कमरे में चली गई। मैं भी कपड़े पहन कर बुआ के पीछे पीछे चला गया। फूफा गहरी नींद में सो रहे थे।
बुआ ने कमरे में देखा और फिर रसोई में चली गई। बुआ को शायद भूख लगी थी। मैंने और बुआ ने बैठ कर खाना खाया। फिर बर्तन धो कर बुआ फूफा के कमरे में जाकर सो गई। मैं भी अपने कमरे में सोने चला गया और बेड पर लेट कर सोचता रहा कि बुआ की चूत इतनी टाईट कैसे है? फूफा चोदते नहीं है क्या ? और सोचते सोचते ना जाने कब मुझे नींद आ गई।
सुबह बुआ ने मुझे उठाया और चाय दे गई। फूफा भी उठ चुके थे। बुआ बिलकुल सामान्य थी जैसे रात को कुछ हुआ ही ना हो। चाय देकर बुआ नहाने चली गई और फूफा ने मुझे अखबार लाने भेज दिया। वापिस आया तो फूफा ऑफिस के लिए तैयार हो चुके थे। मेरे भी स्कूल का टाइम हो गया था। सो मैं भी नहा कर स्कूल के लिए तैयार हो गया।
दस बजे फूफा ऑफिस के लिए चले गए। बुआ ने अभी तक मुझ से कोई बात नहीं की थी, बिल्कुल चुपचाप थी। जब मैं स्कूल के लिए निकलने लगा तो बुआ बोली- राज.. आज स्कूल रहने दे घर पर कुछ काम है .. आज की छुट्टी ले ले ! 
मैं तो जैसे यही सुनने का इंतज़ार कर रहा था। मैंने झट से अपने एक दोस्त को बुला कर छुट्टी के लिए बोल दिया। कुछ ही देर के बाद एक चपरासी घर की सफ़ाई करने आ गया। मैं उसके जाने का इंतज़ार करता रहा पर उस हरामी ने पूरा डेढ़ घंटा लगा दिया। मैं सोच रहा था कि इससे तो अच्छा था कि मैं स्कूल ही चला जाता। बुआ अब मटक मटक कर मेरे सामने घूम रही थी कुछ मुस्कुरा भी रही थी। मुझे बहुत झुंझलाहट हो रही थी पर मैं कुछ कर नहीं पा रहा था।
खैर जब लगभग बारह बजे वो हरामी चपरासी अपना काम खत्म करके गया। उसके जाते ही मैंने दरवाजा जल्दी से बंद किया और भाग कर बुआ के पास पहुँचा। बुआ रसोई में दोपहर के खाने की तैयारी में लग गई थी। 
मैंने जाते ही बुआ को पीछे से पकड़ा और बुआ के नंगे पेट पर हाथ फेरते हुए बुआ की गर्दन पर चूमने लगा। बुआ ने मेरा हाथ हटा दिया और सब्जी काटती रही। बुआ के इस तरह हाथ हटाने से मैं बेचैन हो गया। मैंने दुबारा फिर कोशिश की तो बुआ ने फिर से मेरा हाथ हटा दिया। मैंने बुआ को अपनी तरफ घुमाया तो देखा बुआ की आँखों में आंसू थे। बुआ रो रही थी। मैंने बुआ के आंसू पोंछे और पूछा- क्या हुआ?
तो बुआ फफक फफक कर रो पड़ी। मैं परेशान हो गया कि आखिर बुआ रो क्यों रही है।
मैंने बुआ से पूछा- मुझ से कोई गलती हो गई क्या बुआ ?
"अरे नहीं रे ... बस तेरा प्यार देख कर वैसे ही मन भर आया" 
मैंने जोर देकर पूछा तो बुआ ने जो बताया उसे सुन कर मेरा खून खौल उठा। बुआ ने बताया कि फूफा एक नंबर का ऐय्याश आदमी है। शादी के बाद सुहागरात को भी फूफा शराब के नशे में धुत हो कर कमरे में आये थे और बोले कि वो किसी दूसरी लड़की से प्यार करते हैं और वो इस शादी से खुश नहीं है। घर वालों के दबाव में उन्होंने शादी के लिये हाँ की थी। क्योंकि बुआ गाँव से थी और पढ़ी लिखी भी कम थी इस लिए फूफा बुआ से शादी नहीं करना चाहते थे। फूफा बुआ के साथ सेक्स नहीं करते थे बल्कि बुआ के बजाय वो रंडियों पर पैसा उड़ाते थे। उन्होने पिछले दो साल में बुआ को सिर्फ दो चार बार ही चोदा था बस और वो भी शराब के नशे में धुत होकर। सही बोला जाए तो उन्होंने सिर्फ दो चार बार बलात्कार किया था बुआ के साथ। शादी के समय बुआ बिल्कुल शील चरित्र थी। कभी ऊँगली भी नहीं डाली थी उन्होंने चूत में। पर हाय रे फूफा की फूटी किस्मत ! जो इतने मस्त माल को कूड़ा समझ कर बाहर गंदगी में मुँह मार रहे थे।
बुआ के ससुर को यह बात पता लग गई थी और उन्होंने फूफा को समझाने की बहुत कोशिश भी की थी पर फूफा तो कुछ समझना ही नहीं चाहते थे। आखिरकार बुआ के ससुर ने फूफा को उस संगत से निकालने के लिए ऊपर सिफारिश करके फूफा का तबादला यहाँ करवा दिया था।
बुआ जवान थी और जवानी की आग उसमे भी भरी हुई थी तभी तो उस आग में जलते हुए बुआ ने मेरे साथ रात को सेक्स सम्बन्ध बना लिए थे। शायद बुआ ने पहली बार यौन का असली मजा लिया था वो भी बड़े प्यार के साथ। 
"बुआ, अब तुम्हे और आंसू बहाने की जरुरत नहीं है मेरे होते हुए तुम्हें कभी भी किसी चीज़ की कमी नहीं होगी !" बुआ मेरे सीने में सिमट गई।
मैंने बुआ को सांत्वना देते हुए कहा- एक दिन मैं फूफा को भी सही रास्ते पर ले आऊंगा।
बुआ एक बार फिर फफक पड़ी। मैंने अपने होंठों से बुआ की गालों पर आये आँसूओं को पीते हुए अपने होंठ बुआ के होंठों पर रख दिए। फिर तो एक प्यासी औरत और एक जवान लड़का दीन-दुनिया को भूल कर एक दूसरे में समाते चले गए। कब कपड़ों ने हम दोनों के शरीर को छोड़ दिया पता ही नहीं चला। कुछ देर के बाद ही हम दोनों बिलकुल नंगे एक दूसरे की बाहों में समाये हुए थे। फिर चूमा-चाटी का ऐसा दौर चला कि थोड़ी देर बाद ही मेरा लंड बुआ के मुँह में था और मेरा मुँह बुआ की चूत पर। लंड पूरा तन चुका था। मैंने बुआ को सीधा लेटाया और अपना मोटा लंड बुआ के गीली चूत पर रख दिया।
बुआ, जिसकी प्यास अब बुझने वाली थी, अपने चूतड़ एक दम से ऊपर उछाल कर मेरे लंड का स्वागत किया। जवाब में मैंने भी एक जोरदार धक्का लगा दिया। बुआ थोड़ी कसमसाई पर बोली कुछ नहीं क्यूंकि प्यासी तो वो भी थी। चूत बहुत तंग थी लंड पूरा फंस-फंस कर जा रहा था। मैंने धीरे धीरे पूरा लंड बुआ की चूत में घुसा दिया। फिर शुरू हुआ हल्के-हल्के धक्कों का दौर और फिर धीरे धीरे गति बढ़ती चली गई। बुआ चूत में होने वाले घर्षण से मस्त उठी और गांड उछाल-उछाल कर लंड अंदर लेने लगी। मस्त चुदाई हो रही थी। आधे घंटे के जबरदस्त चुदाई के दौरान बुआ तीन बार झड़ गई थी। फिर मैंने भी अपना सारा माल बुआ की मस्त चूत में डाल दिया। 
फूफा पांच बजे के बाद आने वाले थे और घर पर और कोई काम भी नहीं था तो हम दोनों ने समय का पूरा मजा लिया और तीन बार चुदाई की। उस दिन के बाद से बुआ मेरी बीवी की तरह से रहने लगी थी। दिन में रात में जब भी दिल करता हम एक दूसरे में समां जाते। आज बुआ का एक बेटा भी है। मेरे समझाने के बाद अब तो फूफा भी बुआ में रुचि लेने लगे है। अब दिन में मैं और रात में फूफा जी बुआ की मस्त चुदाई करते है बुआ अब पहले से ज्यादा मस्त हो गई है।
अब.. मेरी तो यही कामना है कि ऊपरवाला सब की प्यास ऐसे ही बुझाये। 
आप अपनी राय इस कहानी के बारे में जरुर लिखे ताकि मैं आगे भी आपको मस्त कहानियाँ भेजता रहूँ …..








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