Fentency
मै और खाला अम्बरीन--5
फिर में बेड पर लेट गया और अम्मी से कहा के अब वो मेरा लंड चूसें. मैंने उन्हें राशिद का लंड चूसते हुए देखा था और नज़ीर ने भी खाला अम्बरीन के साथ ऐसा ही किया था. अम्मी मेरी बात सुन कर थोड़ा झिझकीं. शायद अपने बेटे का लंड मुंह में लेने में उन्हें शर्म महसूस हो रही थी. मगर फिर वो घुटनो के बल बैठ गईं और मेरे ऊपर झुक कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया. मेरे लंड का सुपाडा अम्मी के मुँह के अंदर चला गया और वो उस पर अपनी ज़बान फेरने लगीं. अम्मी ने राशिद का लंड काफ़ी जल्दी में चूसा था मगर मेरे लंड को वो बड़ी तसल्ली और महारत से चूस रही थीं .
उन्होने पहले तो सुपाडे पर अच्छी तरह अपनी ज़बान फेर कर उससे गीला कर दिया और फिर लंड के निचले हिस्से को चाटने लगीं. फिर इसी तरह मेरे लंड पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर उनकी ज़बान गर्दिश करती रही. लंड चूसते चूसते अम्मी की ज़बान बहुत गीली हो चुकी थी और जब वो मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर करतीं तो ऐसे लगता जैसे मेरा लंड जन्नत के अंदर हो. यकायक् अम्मी ने बड़ी तेज़ी से मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया. उनके होंठों और जीभ की हरकत से मेरे लंड में तेज़ सनसनाहट होने लगी और मेरे आंड सिकुडने लगे. मुझे लगा कि में खलास होने वाला हूं. मैंने अम्मी को रोकना चाहा मगर उन्होने नही सुना. फिर मैंने देखा के उन्होने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रखा हुआ था और वे अपनी बड़ी उंगली तेज़ी से चूत के अंदर अंदर बाहर कर रही थीं . में समझ गया के वो भी खलास होना चाहती हैं. अम्मी को अपनी चूत में उंगली करते देख कर मेरा सबर टूट गया और मेरे लंड से झटकों के साथ उनके मुँह में मेरा पानी निकलने लगा. अम्मी ने मेरे लंड को मुकम्मल खाली कर के ही अपने मुँह से बाहर निकाला और तब तक वो भी तेज़ साँसें लेतीं हुई खलास हो गईं थीं.
हम दोनो नंगे ही एक-दूसरे की बांहों में लेटे रहे. मैंने इस से पहले अपनी मुट्ठी में ही अपना पानी निकाला था. आज पहली बार एक औरत के मुंह में झड कर मैं बेइंतेहा खुश था. साथ ही मुझे इस बात की भी तसल्ली थी कि अम्मी भी दो बार झड चुकी थीं. लेकिन मेरा लंड अभी चूत की गिरफ्त से नावाकिफ था. अम्मी के ओसान बहाल हुए तो मैंने कहा – अम्मी, आपने तो कमाल कर दिया. मुझे मज़ा तो बहुत आया मगर मैं आपकी तो चूत ले ही नही सका और यों ही निपट गया. उन्होने हंस कर जवाब दिया - अभी तो एक ही बजा है. तुम थोडा आराम कर के अपनी ताक़त फिर से हासिल कर लो. फिर तुम अपनी बाकी मुराद भी पूरी कर लेना. मैंने सोचा के अब मुझे नींद तो आने से रही. लेकिन ऐसा नही हुआ. अम्मी मेरे सर पर हाथ फेरने लगीं तो मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब नींद की आगोश में चला गया. अम्मी शायद अपने तजुर्बे से जानती थीं कि झड़ने के बाद अमूमन मर्दों को नींद आ जाती है.
कोई एक घंटे के बाद मेरी नींद तब खुली जब मैंने अपने लंड पर एक निहायत पुरलुत्फ जकडन महसूस की. मैंने आँखें खोली तो पाया कि मेरा तना हुआ लंड अम्मी के मुंह में था. अम्मी ने मुस्कराते हुए कहा – शायद तुम कोई खुशनुमा ख्वाब देख रहे थे. तभी ये नींद में ही खड़ा हो गया. में अम्मी को लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गया और उनके बदन को चूमने चाटने लगा. मेरा लंड बेचैन हो चुका था और मैं अपनी अम्मी के पुरकशिश और गदराये हुए जिस्म से पूरी तरह लुत्फ़-अंदोज़ होना चाहता था. मै उनके ऊपर लेट कर उनका एक मम्मा पकडे हुए उनकी गर्दन के बोसे ले रहा था के अचानक अम्मी ने अपनी टांगें पूरी तरह खोल दीं. मेरा तना हुआ लंड उनकी चूत के मुहाने से टकराया तो में बे-खुद सा हो गया. मैं अपना एक हाथ नीचे ले जा कर उनकी फुद्दी को मसलने लगा. अम्मी की फुद्दी पूरी तरह गीली हो चुकी थी. वो भी मेरी तरह गरम हो चुकी थीं. अब अपनी माँ की चूत में लंड घुसाने का वक़्त आन पुहँचा था. मैंने अपना लंड अम्मी की चूत के अंदर घुसाने की कोशिश की मगर मुझे कामयाबी नहीं मिली. अम्मी मेरी नातजुर्बेकारी को समझ गयीं. मेरी मदद करने की खातिर उन्होने अपना हाथ नीचे किया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर ठीक से जमाया. फिर उनकी कमर उठी और मेरा लंड अम्मी की चूत को फैलाता हुआ उसके अंदर समाने लगा. उन्होने हल्की सी सिसकी ली और अपने दोनो हाथ मेरे बाजुओं पर रख कर अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर-नीचे किया ताके मेरा लंड अच्छी तरह उनकी चूत में अपनी जगह बना ले. लंड अंदर जाते ही मैंने बे-साख्ता घस्से मारने के लिये अपने जिस्म को ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया. ये बिल्कुल क़ुदरती तौर पर हुआ था. अम्मी ने मेरे चूतडों को कस के पकड़ा और बोलीं – रुको बेटा, इतनी जल्दी नहीं! मैं उतावला हो रहा था. मैंने इल्तिजा भरी नज़रों से अम्मी की तरफ देखा. मेरी आँखें कह रही थीं - क्यों रोक रही हैं, अम्मी? अब चोदने दीजिए ना! उन्होंने कहा – तुम जल्दबाज़ी करोगे तो पूरा मज़ा नहीं ले सकोगे! जैसा मैं कहती हूं वैसा करो. मैंने बमुश्किल अपने धक्कों को रोका. अम्मी ने मेरे चेहरे को अपनी जानिब खींचा और मेरे होंठों से अपने होंठ मिला दिए. उनके बोसे का मज़ा लेने के साथ-साथ मैंने अपने लंड के र्गिर्द अम्मी की चूत की गिरफ्त को महसूस किया. चूत अंदर से नरम और गीली थी मगर काफ़ी चुस्त भी थी. मैं पहली बार अपने लंड पर चूत की कसावट महसूस कर रहा था और यह एहसास नाकाबिले-बयां था.
कुछ देर बाद अम्मी अपने चूतड़ हौले-हौले उठा कर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगीं. उन्होंने मुझे आँखों से इशारा किया कि मैं भी धक्के मारूं. मैंने उनकी ताल से ताल मिला कर हलके-हलके धक्के लगाने लगा. कुछ घस्सों के बाद मेरा लंड आसानी से अम्मी की चूत के अंदर बाहर होने लगा तो अम्मी ने अपने धक्कों की ताक़त बढ़ा दी. अब हम दोनों एक दूसरे के घस्सों का जवाब पुरजोर घस्सों से दे रहे थे. मुझे खाला अम्बरीन याद आई. वो भी इसी तरह अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर नज़ीर से चुदी थीं. अम्मी कुछ देर तो चुप-चाप चुदती रहीं लेकिन जब मेरे लंड के झटके तेज़ हो गए तो वे दबी आवाज़ में उंह……. आह….. ओह... करने लगीं.
अम्मी को चोदते हुए में मज़े के एक गहरे समंदर में गोते खा रहा था. उनके मुँह से निकलने वाली सिस्कारियों से मुझे लगा कि उन्हें भी इस काम में मज़ा आने लगा था. इन आवाज़ों ने मेरे जेहन को बड़ा सकूँ बख्शा और मेरे एहतमाद में इज़ाफ़ा हुआ कि मैं अम्मी को चुदाई का मज़ा देने की सलाहियत रखता हूं. कुछ देर के बाद अम्मी की साँसें तेज़ हो गईं. उन्होने नीचे लेटे लेटे अपनी कमर को गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया और मेरा सर नीचे कर के मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये और खूब कस कर मुझे चूमने लगीं. उनकी चूत में बला की कसावट आ गयी थी.
मेरे नीचे उनके चूतड़ों की हरकत और तेज़ हो गई. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे अम्मी की चूत ने मेरे लंड को सख्ती से अपनी गिरफ्त में जकड लिया हो. उनकी चूत का टाइट होना इस बात की निशानी थी के अम्मी अब झड़ने के कगार पर थीं और. मुझे ये जान कर बहुत खुशी हुई कि मै अपनी पहली ही चुदाई में अम्मी को खलास करने वाला था. मैंने पूरा दम लगा कर उनकी चूत में घस्से मारने लगा. अम्मी की चूत अब लगातार पानी छोड़ रही थी और उनका बदन बुरी तरह लहरा रहा था. इन हालात में मेरे लिये अपने आप को रोकना मुश्किल हो रहा था पर किसी तरह मैंने अपना लंड अम्मी चूत से बाहर निकाला और उनकी बगल में लेट गया.
अम्मी का जिस्म चंद लम्हे ऐसे ही लरजता रहा. फिर उन्होने अपनी साँसें क़ाबू में करते हुए मुझ से पूछा के क्या हुआ. मैंने कहा - मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूं. मैं आपको और मजा देना चाहता हूं. इसीलिये मैंने लंड बाहर निकाल लिया. वो एक बार फिर हंस कर बोलीं – बेटे, तुम एक घंटे पहले ही खलास हुए हो. मर्द एक दफ़ा झड़ने के बाद दूसरी बार इतनी जल्दी नही झडता. वैसे भी तुम मुझे उम्मीद से पेश्तर मज़ा दे चुके हो. अब तुम्हारी बारी है. आ जाओ, अब मैं तुम्हे खलास करूंगी ताके तुम भी इस काम का पूरा मज़ा तो ले सको.
मुझे खयाल आया कि राशिद ने अम्मी को कैसे चोदा था तो मैंने कहा – अम्मी, क्या मैं आपको पीछे से चोद सकता हूँ? वो बोलीं – तुम्हे मुझ से इजाज़त माँगने की जरूरत नहीं है. तुम जो चाहो और जैसे चाहो करो. वो उठीं और अपनी कुहनियों और घुटनों के बल झुक गयीं. अम्मी के उभरे हुए चूतड़ों के बीच उनकी गांड से ज़रा नीचे मुझे उनकी चूत नज़र आई. मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुहाने पर रख कर उसे आगे धकेला. अम्मी ने भी अपने चूतड़ों को थोड़ा सा पीछे किया और लंड चूत के अंदर धंसने लगा. चूत चिकनाई से सराबोर थी इसलिये मेरे लंड को उस के अंदर दाखिल होतने में कोई मुश्किल पेश नहीं आई. मैंने अम्मी के चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़ लिया और उनकी चूत में घस्से मारने लगा.
मुझे अपना लंड अम्मी के गोरे चूतड़ों में से गुज़र कर उनकी चूत में अंदर बाहर होता नज़र आ रहा था. मैं उनकी चूत में घस्से पे घस्सा लगा रहा था और वो अपनी कमर को आगे पीछे कर के मेरा साथ दे रही थीं. मुसलसल घस्सों की वजह से उनके चूतड़ लरज़ रहे थे. फिर मुझे अपने लंड पर एक लज्ज़त-आमीज़ दबाव महसूस होने लगा. मैंने बे-अख्तियार अपने घस्सों की रफ़्तार बढ़ा दी. अम्मी को शायद इल्म हो गया कि मैं अब खलास होने वाला हूँ. उन्होने अपनी चूत को मेरे लंड पर भींचना शुरू कर दिया. ताबडतोड धक्कों के बीच मेरे लंड से पानी की बौछार शुरू हो गयी. मेरी रग रग में एक अजीब-ओ-ग़रीब और मदहोश कर देने वाली लज्ज़त का तूफान उठ रहा था. ठीक उसी वक़्त अम्मी की चूत ने एक दफ़ा फिर मेरे लंड को अपने शिकंजा में कसा और अम्मी भी मेरे साथ फिर झड गईं. मैं अम्मी को बांहों में भींच कर उनके ऊपर पसर गया. तूफ़ान के गुजरने के बाद अम्मी ने उठ कर अपने कपड़े पहने. मै अभी खुशी और बेखबरी के आलम में नंगा ही लेटा हुआ था. अम्मी ने मेरा गाल चूमा और अपने कमरे में चली गयीं.
अम्मी ने मेरी मुराद पूरी कर दी थी पर मुझे अपनी पहली चुदाई में इतना मज़ा आया था कि मेरा मन उन्हें फिर से चोदने के लिए मचल रहा था. पर क्या हो सकता था? बात तो एक बार चोदने की ही हुई थी. अगली रात मैं बेकरारी में करवटें बदलते-बदलते सो गया. सपने में मैं अपने लंड को सहला रहा था और उम्मीद कर रहा था कि खुदा शायद मुझ पर मेहरबान हो जाए और अम्मी को मेरे पास भेज दे. मैंने अपने लंड को मुट्ठी में ले कर दबाया तभी मेरी नींद टूट गयी. ... ये क्या? अम्मी मेरे पास लेटी थीं और मेरा लंड उनकी मुट्ठी में था. उन्होंने मुस्कुरा कर पूछा – तुम कोई सपना देख रहे थे? मैंने शरमा कर कहा – मैं तो सपने में आपके आने का इंतज़ार कर रहा था. मुझे गुमान ही नहीं था कि आप हकीकत में आ जायेंगी. अम्मी ने प्यार से कहा – अब आ गयी हूं तो जो तुम सपने में करना चाहते थे वो हकीकत में कर लो. यह सुन कर मेरा मन बल्लियों उछलने लगा. मैंने अम्मी को अपनी बांहों में भींच लिया. फिर तो पिछली रात वाला सिलसिला फिर से शुरू हो गया और मैंने जी भर कर अम्मी को चोदा. अगली रात को भी यही हुआ और तीसरी रात को भी.
तीसरी रात उन्हें चोदने के बाद मैंने कहा – अम्मी, मैंने आप से महज़ एक बार चूत देने की गुजारिश की थी. अगर आपको तकलीफ होती हो तो अब आपको यह करने की जरूरत नहीं है.
उन्होने संजीदा होते हुए कहा – शाकिर, मैंने राशिद को अपने साथ जो करने दिया उस पर अब मुझे मलाल हो रहा है.
मैंने कहा – अम्मी, जो हुआ उसे अब भूल जाइए.
उन्होंने कहा – मैं ये कैसे भूल सकती हूं कि मेरे बेटे से ज्यादा मर्तबा उसने मेरा लुत्फ़ उठाया है. ये मेरे सीने पर क़र्ज़ के बोझ की मानिंद भारी लग रहा है और मैं इसे सूद के साथ उतारना चाहती हूं.
मैंने उन्हें गले लगा कर कहा – अम्मी, आप पर कोई क़र्ज़ नहीं है. क़र्ज़ तो उस राशिद पर है जिसने आपकी चूत न जाने कितनी बार ली है. और ये क़र्ज़ तब उतरेगा जब मैं उसकी माँ की चूत लूँगा.
अम्मी – यह तो मैंने सोचा ही नहीं. ... तुम ठीक कहते हो पर अम्बरीन को तो कुछ मालूम ही नहीं है. वो क्यों इसके लिए रज़ामंद होगी? और तुम क्या वाकई अपनी खाला की चूत लेना चाहते हो?
उनकी बात सुन कर मुझे बहुत खुशी हुई. एक तो इसलिए कि उन्होने मेरी पेशकश पर कोई ऐतराज़ नहीं जताया था और दूसरे इसलिए कि उन्होंने पहली बार मेरे सामने चूत जैसा लफ्ज़ बोला था. मैंने अब उन्हें हकीकत से वाकिफ करवाना मुनासिब समझा और उन्हें होटल वाला वाकिया बता दिया. उसे सुन कर पहले तो उन्होंने मेरी मजम्मत की कि मेरी बेवकूफी की वजह से एक टुच्चा इंसान अम्बरीन खाला की इज्ज़त लूट कर चला गया. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एक खातून को धोखे से शराब पिला कर उसकी चूत हासिल करना कोई बहादुरी का काम नहीं है. मैंने उनकी बात से इत्तेफाक जाहिर किया और उन्हें बताया कि मैं खाला से माफ़ी मांग चुका हूं. लेकिन मसला यह था कि अम्बरीन खाला को अपनी मर्ज़ी से अपनी चूत मुझे पेश करने के लिए कैसे राज़ी किया जाए. अम्मी की राय थी कि होटल वाले वाकिये का इस मामले में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
मैंने कहा – फिर तो एक ही सूरत बचती है. अगर उन्हें बताया जाए कि राशिद ने आपके साथ क्या किया है तो शायद वो मान जाएँ.
अम्मी – ये जरूरी नहीं है. हो सकता है कि वो नाराज़ हो कर राशिद को ही घर से निकाल दें या अपने शौहर से उसकी शिकायत कर दें.
मैं – अम्मी, ये खतरा तो मोल लेना ही पड़ेगा लेकिन उसी सूरत में जब आपको कोई ऐतराज़ न हो.
अम्मी – ठीक है, मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है. तुम कोशिश कर के देखो. अगर अम्बरीन एक बार मान गई तो वो बार-बार तुम्हे अपनी चूत देना चाहेगी.
मैंने हैरत से कहा – यह आप कैसे कह सकती हैं?
अम्मी – बेटा, वो इसलिए कि तुम अब इस काम में माहिर हो चुके हो और माशाअल्लाह, तुम्हारा हथियार भी बहुत तगड़ा है.
यह सुन कर तो फख्र से मेरा सीना तन गया, और सीना ही नहीं मेरा हथियार भी. मुझे अफ़सोस था कि अम्मी ने अभी तक उसे लंड नहीं कहा था. खैर, वो उसे कुछ भी कहें पर जब उन्होंने अपनी रानों पर उसका का तनाव महसूस किया तो उन्होंने खुद ही अपनी चूत फिर से देने की पेशकश कर दी. हमारा खेल फिर शुरू हो गया और काफी लंबा चला. उनकी चूत का लुत्फ़ लेते हुए मैं यही सोचता रहा कि अम्बरीन खाला की चूत तक कैसे पहुंचा जाए.
अगले दिन मै खाला के घर गया. होटल वाले हादसे के बाद मैं पहली बार उनसे रूबरू हुआ था और एक बार फिर मैंने उनसे माफ़ी मांगी. उन्होंने कहा कि जो हुआ वो बिलकुल गलत था पर इसका किसी को पता ना चले तो उनकी इज्ज़त महफूज़ रहेगी. मैंने उन्हें यकीन दिलाया कि मेरी तरफ से वो बेफिक्र रहें. मैं उनकी इज्ज़त पर आंच नहीं आने दूंगा, ... पर मेरी अम्मी की इज्ज़त का क्या होगा?
वो चौंक कर बोलीं – क्या कह रहे हो तुम? आपा को क्या हुआ?
मैंने शर्म से सर झुका कर उन्हें हिचकते-हिचकते बताया कि उनके बेटे ने मेरी अम्मी के साथ क्या किया था. सुन कर उन्हें यकीन नहीं हुआ.
उन्होंने हैरत से कहा – राशिद ऐसा कैसे कर सकता है? और वो भी अपनी खाला के साथ! तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो?
यह इलज़ाम सुन कर तो मैं गुस्से से तमतमा गया. एक तो मेरी माँ चुद गई और ऊपर से ये मुझ पर झूठ बोलने की तोहमत लगा रही हैं. गुस्से में मैंने अपना मोबाईल निकाला और उन्हें कहा – आपको लगता है मैं झूठ बोल रहा हूं तो ये देखिये.
तस्वीरें देख कर वो चौंक गयीं. उनके चेहरे का मंज़र हैरानी से गुस्से, और गुस्से से परेशानी में तब्दील हो गया. वे माथा पकड़ कर बोलीं – हाय अल्लाह! ये क्या कर दिया राशिद ने!
मैं चुप रहा. वे फिर बोलीं – तुमने आपा को तो नहीं बताया ना कि तुम यह जान चुके हो?
मैंने उन्हें जवाब दिया - ये देख कर मुझे इतना गुस्सा आया कि मैं राशिद की गर्दन नापने वाला था. किसी तरह मैंने अपने गुस्से पर काबू किया पर मैं यह राज़ अम्मी के सामने जाहिर करने से अपने आपको नहीं रोक पाया. मैंने उन्हें यह भी जता दिया कि अब राशिद ज्यादा रोज़ महफूज़ नहीं रहेगा.
यह सुन कर खाला घबरा गयीं. वे परेशां-हाल हो कर बोलीं – इस से तुम्हे क्या हासिल होगा, शाकिर. जो होना था वो तो हो चुका. और सोचो, मैं तुम्हारी खाला हूं फिर भी होटल में तुमने मेरे साथ वही करने की कोशिश की थी जो राशिद ने अपनी खाला के साथ किया है.
मैं – खालाजान, मैंने तो सिर्फ कोशिश की थी. राशिद ने तो मेरी अम्मी की चूत हासिल भी कर ली. और होटल में वो दो कौड़ी का नजीर आपकी इज्ज़त का मज़ा ले गया पर मुझे क्या मिला?
खाला – तो तुम क्या चाहते हो?
मैं – वही जो राशिद ने मेरी अम्मी के साथ किया है. अगर आप वो मुझ से करवा लें तो मसला हल हो जाएगा.
खाला – यह क्या कह रहे हो तुम? राशिद ने जो किया वो गलत था. अगर तुम भी वही गलत काम करोगे तो मसला हल कैसे हो जाएगा? और कहीं आपा को पता चल गया तो वो क्या सोचेंगी?
मैं – आपकी पहली बात का जवाब यह है कि जब राशिद का और मेरा हिसाब बराबर हो जाएगा तो कोई मसला रहेगा ही नहीं. और रही दूसरी बात तो मैं हिसाब बराबर करने की बात अम्मी को बता चुका हूं और वे मेरी तजबीज से इत्तेफ़ाक रखती हैं.
खाला – या खुदा, ... क्या करूं मैं? मेरे एक तरफ कुआ है और दूसरी तरफ खाई.
मैंने सोचा कि लोहा गरम है. हथौड़ा मारने का यही मौका है. मैंने कहा – खालाजान, जब नजीर जैसा गलीज़ इंसान ये काम कर गया तो क्या मैं उस से भी बुरा हूं? और मेरे हाथों में आपकी इज्ज़त भी महफूज़ रहेगी क्योंकि मैं तो ये बात किसी को बताने से रहा.
खाला अपने ख्यालों में खो गयीं. उनकी कशमकश वाजिब थी. भानजे को अपनी चूत पेश करने का फैसला आसान नहीं था. पर वे ये भी सोच रही होंगी कि उनकी बड़ी बहन को भी ये करना पड़ा था (वो सोच रही होंगी, किसी मजबूरी में). और वे मान जाती हैं तो इस फैसले से उनकी बड़ी बहन भी रज़ामंद होंगी. इज्ज़त जाने का भी डर नहीं था. मैं बेचैनी से उनके जवाब का इंतज़ार कर रहा. अब सारा दारोमदार उनके फैसले पर था. इंतज़ार लंबा होता जा रहा था.
... आखिर उन्होंने जवाब दिया – अगर आपा भी यही चाहती हैं तो मुझे भी ऐतराज़ नहीं है.
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था. मैंने कहा – आप चाहें तो अम्मी से पूछ सकती हैं.
खाला – उन्हें तो पूछूंगी ही.
अब काम बनने में कोई अड़चन नहीं थी क्योंकि अम्मी तो इंकार करने से रहीं. लेकिन काम आधा ही हुआ था. अम्बरीन खाला की चूत तो अब मेरी पहुंच में थी लेकिन अगर राशिद ने अपनी अम्मी को मुझ से चुदते नहीं देखा तो हिसाब बराबर नहीं होगा. अनजाने में ही सही मगर उसने मेरी अम्मी को मेरी आँखों के सामने चोदा था. मैं भी उसकी अम्मी को उसके सामने चोदना चाहता था. अब मुझे राशिद का इंतजाम करना था. थोड़ी देर में मैंने उसे ढूंढ लिया. इधर-उधर की बात ना करके मैंने सीधे उस से पूछा - तुमने कितनी बार ली है मेरी अम्मी की?
वो चौंक कर बोला – खाला की...? क्या...? ये क्या कह रहे तो तुम?
मैं – क्या का क्या मतलब? तुमने उनकी चूत के अलावा कुछ और भी ली है?
राशिद सकपका कर बोला – ये क्या बक रहे हो तुम, शाकिर भाई? तुम्हे जरूर कोई गलत फहमी हुई है.
मैंने उसे मोबाईल वाला वीडियो दिखाते हुए पूछा – अच्छा, तो ये क्या है?
वीडियो देखते ही उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई. वो सर झुका कर बोला – शाकिर भाई, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है. मुझे ये नहीं करना चाहिए था पर मैं बहकावे में आ गया.
मैंने उसके गाल पर एक थप्पड़ रसीद किया और कहा – अच्छा, तो मेरी अम्मी ने तुम्हारे जैसे भोले-भाले बच्चे को बहका दिया था?
राशिद – मुझे माफ कर दो, भाई. मैं अब ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा, ... अम्मी की कसम.
मैं – मेरी मां तो चुद गई और तेरी मां सिर्फ कसम से बच जायेगी?
राशिद – क्या मतलब? तुम बताओ मैं क्या करूं?
मैं – मतलब यह है कि चूत के बदले चूत. तूने मेरी अम्मी की ली है, अब मुझे अपनी अम्मी की दिला.
राशिद – मैं ये कैसे कर सकता हूं?
मैं – कैसे का क्या मतलब? तू अपनी अम्मी को तैयार कर.
राशिद तकरीबन रोता हुआ बोला – भाई, मैं अपनी अम्मी से ऐसी बात कैसे कर सकता हूं? हां, तुम उन्हें तैयार कर लो तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है.
मैं – ठीक है, उन्हें मैं तैयार कर लूंगा. पर तुम वही करोगे जो मैं कहूँगा.
खाला तो पहले ही मान चुकी थीं. मुझे सिर्फ राशिद के सामने ड्रामा करना था सो मैंने अगले दिन उसे फिर पकड़ा और बताया कि बहुत तिकडम भिडाने के बाद आखिर खाला ने मंजूरी दे दी है. मैंने सोचा था कि यह सुन कर राशिद को दुःख होगा मगर उसके के हाव-भाव से ऐसे लगा जैसे उसके ऊपर से एक बहुत बड़ा बोझ उतर गया हो. वह बोला – शाकिर भाई, अब तो आप मेरे से नाराज़ नहीं हैं?
मैं – हां, खाला के कारण तुम बच गए. मगर तुम्हे याद है ना कि तुम वही करोगे जो मैं कहूँगा.
राशिद – भाई, आपका काम तो हो गया. अब मुझे क्या करना है?
मैं – काम हुआ नहीं है, होने वाला है और वो भी आधा. पूरा काम तब होगा जब तुम अपनी अम्मी को मेरे से चुदते हुए देखोगे.
राशिद – लेकिन इसकी क्या जरूरत है?
मैं – जरूरत क्यों नहीं है? जब मैंने अपनी अम्मी को चुदते हुए देखा है तुम्हे भी अपनी अम्मी को चुदते हुए देखना पड़ेगा.
राशिद – पर अम्मी इसके लिए तैयार हैं क्या?
मैं - नहीं हैं तो हो जायेंगी. पर तुम तो तैयार हो ना?
राशिद थोड़ी कशमकश में दिखा. पता नहीं उसे अपनी अम्मी के चुदने का गम था या उनकी चुदाई देखने का. आखिर वो बोला – शाकिर भाई, मैं आप की बात मानने के लिए तैयार हूं पर आप बुरा ना माने तो मैं एक तजबीज आपके सामने रखूँ?
मैं – ठीक है, बताओ.
राशिद – मैंने यास्मीन खाला की सिर्फ चार बार ली है. मेरी अम्मी की चार बार लेने के बाद आपका हिसाब बराबर हो जाएगा और फिर आप उनकी नहीं ले पायेंगे. जहाँ तक मुझे गुमान है अब्बू आजकल उनकी कभी-कभार ही लेते हैं. अगर आप थोडा मेरा खयाल रखें तो आप आगे भी उनकी लेते रहेंगे.
उसका मतलब मेरे समझ में नहीं आया. मैं अपनी अम्मी की ले रहा था. तो क्या वो भी अपनी अम्मी को चोदने का ख्वाहिशमंद है?
मैं – ऐसा हो जाए तो बहुत बढ़िया होगा पर मैं कैसे तुम्हारा खयाल रखूँ?
राशिद – शाकिर भाई, पता नहीं क्या वजह है कि आजकल खाला मुझे नहीं देती हैं. मैं कोई दूसरा इंतजाम भी नहीं कर पाया हूं. जब आपका बदला पूरा हो जायेगा तो क्या आप मुझे यास्मीन खाला की दिला सकते हैं? इस तरह हम दोनों का इंतजाम हो जाएगा और हमारी अम्मियों की जरूरियात भी पूरी होती रहेंगी. लेकिन आपको अम्मी की चूत पसंद न आये तो यह सब करने की जरूरत नहीं है.
यह तजबीज मुझे निहायत रद्द-ए-अमल लगी. मैं तो सोच रहा था कि बदला मुकम्मल होने के बाद मैं खाला की चूत से महरूम हो जाऊँगा और मुझे सिर्फ अम्मी से काम चलाना पड़ेगा. अम्मी की चूत बिला-शक बहुत दिलकश थी पर जब दो चूत मिलने का इमकान हो तो एक से क्यों काम चलाया जाए? मैंने राशिद को अम्मी से दूर रखने की तजबीज की थी पर अब मुझे लगा कि उसकी पेशकश से हम चारों का फायदा हो सकता था. मैंने तय किया कि मैं अपनी अम्मी पर लगाई बंदिश हटा लूँगा. और इसके लिए बदला पूरा होने तक इंतज़ार करने से क्या हासिल होगा? मैंने सोचा कि मैं खाला की चूत का मज़ा लूं और वो मेरे लंड का तो अम्मी चुदाई से क्यों महरूम रहे!
मैंने कहा – तुम ठीक कहते हो, राशिद. अम्मी मेरे कहने पर ही तुम्हे नहीं दे रहीं हैं. अब मैं उनको मना लूँगा. और तुम्हे अपनी अम्मी के चार बार चुदने तक इंतज़ार करने की जरूरत नहीं है. हम इस काम को एक साथ अंजाम दे सकते है.
यह सुन कर तो राशिद खुशी से उछल पड़ा. वह बोला – भाई, हम कब कर सकेंगे ये? और मेरा एक और सुझाव है. हम इस काम को एक साथ अंजाम देने की बजाय इसे मिल कर अंजाम दें तो कैसा रहेगा?
मैं – क्या? ... चारों मिल कर? मगर इसके लिए खाला और अम्मी को राज़ी करना आसान नहीं होगा.
राशिद – भाई, तुम्हारे लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है. तुम कोशिश तो करो.
जब यह तय हो गया कि मैं कोशिश करूंगा तो मैंने पहले अम्मी से बात करना मुनासिब समझा. मौका मिलते ही मैंने उन्हें बताया कि खाला मेरी बात मान गई हैं पर वो पहले उनसे तस्दीक करेंगी. इसमें कोई मसला नहीं था क्योंकि अम्मी तो पहले ही मान चुकी थीं. फिर मैंने उन्हें बताया कि मैं खाला को राशिद के सामने चोदूंगा.
क्रमशः
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मै और खाला अम्बरीन--5
फिर में बेड पर लेट गया और अम्मी से कहा के अब वो मेरा लंड चूसें. मैंने उन्हें राशिद का लंड चूसते हुए देखा था और नज़ीर ने भी खाला अम्बरीन के साथ ऐसा ही किया था. अम्मी मेरी बात सुन कर थोड़ा झिझकीं. शायद अपने बेटे का लंड मुंह में लेने में उन्हें शर्म महसूस हो रही थी. मगर फिर वो घुटनो के बल बैठ गईं और मेरे ऊपर झुक कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया. मेरे लंड का सुपाडा अम्मी के मुँह के अंदर चला गया और वो उस पर अपनी ज़बान फेरने लगीं. अम्मी ने राशिद का लंड काफ़ी जल्दी में चूसा था मगर मेरे लंड को वो बड़ी तसल्ली और महारत से चूस रही थीं .
उन्होने पहले तो सुपाडे पर अच्छी तरह अपनी ज़बान फेर कर उससे गीला कर दिया और फिर लंड के निचले हिस्से को चाटने लगीं. फिर इसी तरह मेरे लंड पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर उनकी ज़बान गर्दिश करती रही. लंड चूसते चूसते अम्मी की ज़बान बहुत गीली हो चुकी थी और जब वो मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर करतीं तो ऐसे लगता जैसे मेरा लंड जन्नत के अंदर हो. यकायक् अम्मी ने बड़ी तेज़ी से मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया. उनके होंठों और जीभ की हरकत से मेरे लंड में तेज़ सनसनाहट होने लगी और मेरे आंड सिकुडने लगे. मुझे लगा कि में खलास होने वाला हूं. मैंने अम्मी को रोकना चाहा मगर उन्होने नही सुना. फिर मैंने देखा के उन्होने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रखा हुआ था और वे अपनी बड़ी उंगली तेज़ी से चूत के अंदर अंदर बाहर कर रही थीं . में समझ गया के वो भी खलास होना चाहती हैं. अम्मी को अपनी चूत में उंगली करते देख कर मेरा सबर टूट गया और मेरे लंड से झटकों के साथ उनके मुँह में मेरा पानी निकलने लगा. अम्मी ने मेरे लंड को मुकम्मल खाली कर के ही अपने मुँह से बाहर निकाला और तब तक वो भी तेज़ साँसें लेतीं हुई खलास हो गईं थीं.
हम दोनो नंगे ही एक-दूसरे की बांहों में लेटे रहे. मैंने इस से पहले अपनी मुट्ठी में ही अपना पानी निकाला था. आज पहली बार एक औरत के मुंह में झड कर मैं बेइंतेहा खुश था. साथ ही मुझे इस बात की भी तसल्ली थी कि अम्मी भी दो बार झड चुकी थीं. लेकिन मेरा लंड अभी चूत की गिरफ्त से नावाकिफ था. अम्मी के ओसान बहाल हुए तो मैंने कहा – अम्मी, आपने तो कमाल कर दिया. मुझे मज़ा तो बहुत आया मगर मैं आपकी तो चूत ले ही नही सका और यों ही निपट गया. उन्होने हंस कर जवाब दिया - अभी तो एक ही बजा है. तुम थोडा आराम कर के अपनी ताक़त फिर से हासिल कर लो. फिर तुम अपनी बाकी मुराद भी पूरी कर लेना. मैंने सोचा के अब मुझे नींद तो आने से रही. लेकिन ऐसा नही हुआ. अम्मी मेरे सर पर हाथ फेरने लगीं तो मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब नींद की आगोश में चला गया. अम्मी शायद अपने तजुर्बे से जानती थीं कि झड़ने के बाद अमूमन मर्दों को नींद आ जाती है.
कोई एक घंटे के बाद मेरी नींद तब खुली जब मैंने अपने लंड पर एक निहायत पुरलुत्फ जकडन महसूस की. मैंने आँखें खोली तो पाया कि मेरा तना हुआ लंड अम्मी के मुंह में था. अम्मी ने मुस्कराते हुए कहा – शायद तुम कोई खुशनुमा ख्वाब देख रहे थे. तभी ये नींद में ही खड़ा हो गया. में अम्मी को लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गया और उनके बदन को चूमने चाटने लगा. मेरा लंड बेचैन हो चुका था और मैं अपनी अम्मी के पुरकशिश और गदराये हुए जिस्म से पूरी तरह लुत्फ़-अंदोज़ होना चाहता था. मै उनके ऊपर लेट कर उनका एक मम्मा पकडे हुए उनकी गर्दन के बोसे ले रहा था के अचानक अम्मी ने अपनी टांगें पूरी तरह खोल दीं. मेरा तना हुआ लंड उनकी चूत के मुहाने से टकराया तो में बे-खुद सा हो गया. मैं अपना एक हाथ नीचे ले जा कर उनकी फुद्दी को मसलने लगा. अम्मी की फुद्दी पूरी तरह गीली हो चुकी थी. वो भी मेरी तरह गरम हो चुकी थीं. अब अपनी माँ की चूत में लंड घुसाने का वक़्त आन पुहँचा था. मैंने अपना लंड अम्मी की चूत के अंदर घुसाने की कोशिश की मगर मुझे कामयाबी नहीं मिली. अम्मी मेरी नातजुर्बेकारी को समझ गयीं. मेरी मदद करने की खातिर उन्होने अपना हाथ नीचे किया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर ठीक से जमाया. फिर उनकी कमर उठी और मेरा लंड अम्मी की चूत को फैलाता हुआ उसके अंदर समाने लगा. उन्होने हल्की सी सिसकी ली और अपने दोनो हाथ मेरे बाजुओं पर रख कर अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर-नीचे किया ताके मेरा लंड अच्छी तरह उनकी चूत में अपनी जगह बना ले. लंड अंदर जाते ही मैंने बे-साख्ता घस्से मारने के लिये अपने जिस्म को ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया. ये बिल्कुल क़ुदरती तौर पर हुआ था. अम्मी ने मेरे चूतडों को कस के पकड़ा और बोलीं – रुको बेटा, इतनी जल्दी नहीं! मैं उतावला हो रहा था. मैंने इल्तिजा भरी नज़रों से अम्मी की तरफ देखा. मेरी आँखें कह रही थीं - क्यों रोक रही हैं, अम्मी? अब चोदने दीजिए ना! उन्होंने कहा – तुम जल्दबाज़ी करोगे तो पूरा मज़ा नहीं ले सकोगे! जैसा मैं कहती हूं वैसा करो. मैंने बमुश्किल अपने धक्कों को रोका. अम्मी ने मेरे चेहरे को अपनी जानिब खींचा और मेरे होंठों से अपने होंठ मिला दिए. उनके बोसे का मज़ा लेने के साथ-साथ मैंने अपने लंड के र्गिर्द अम्मी की चूत की गिरफ्त को महसूस किया. चूत अंदर से नरम और गीली थी मगर काफ़ी चुस्त भी थी. मैं पहली बार अपने लंड पर चूत की कसावट महसूस कर रहा था और यह एहसास नाकाबिले-बयां था.
कुछ देर बाद अम्मी अपने चूतड़ हौले-हौले उठा कर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगीं. उन्होंने मुझे आँखों से इशारा किया कि मैं भी धक्के मारूं. मैंने उनकी ताल से ताल मिला कर हलके-हलके धक्के लगाने लगा. कुछ घस्सों के बाद मेरा लंड आसानी से अम्मी की चूत के अंदर बाहर होने लगा तो अम्मी ने अपने धक्कों की ताक़त बढ़ा दी. अब हम दोनों एक दूसरे के घस्सों का जवाब पुरजोर घस्सों से दे रहे थे. मुझे खाला अम्बरीन याद आई. वो भी इसी तरह अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर नज़ीर से चुदी थीं. अम्मी कुछ देर तो चुप-चाप चुदती रहीं लेकिन जब मेरे लंड के झटके तेज़ हो गए तो वे दबी आवाज़ में उंह……. आह….. ओह... करने लगीं.
अम्मी को चोदते हुए में मज़े के एक गहरे समंदर में गोते खा रहा था. उनके मुँह से निकलने वाली सिस्कारियों से मुझे लगा कि उन्हें भी इस काम में मज़ा आने लगा था. इन आवाज़ों ने मेरे जेहन को बड़ा सकूँ बख्शा और मेरे एहतमाद में इज़ाफ़ा हुआ कि मैं अम्मी को चुदाई का मज़ा देने की सलाहियत रखता हूं. कुछ देर के बाद अम्मी की साँसें तेज़ हो गईं. उन्होने नीचे लेटे लेटे अपनी कमर को गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया और मेरा सर नीचे कर के मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये और खूब कस कर मुझे चूमने लगीं. उनकी चूत में बला की कसावट आ गयी थी.
मेरे नीचे उनके चूतड़ों की हरकत और तेज़ हो गई. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे अम्मी की चूत ने मेरे लंड को सख्ती से अपनी गिरफ्त में जकड लिया हो. उनकी चूत का टाइट होना इस बात की निशानी थी के अम्मी अब झड़ने के कगार पर थीं और. मुझे ये जान कर बहुत खुशी हुई कि मै अपनी पहली ही चुदाई में अम्मी को खलास करने वाला था. मैंने पूरा दम लगा कर उनकी चूत में घस्से मारने लगा. अम्मी की चूत अब लगातार पानी छोड़ रही थी और उनका बदन बुरी तरह लहरा रहा था. इन हालात में मेरे लिये अपने आप को रोकना मुश्किल हो रहा था पर किसी तरह मैंने अपना लंड अम्मी चूत से बाहर निकाला और उनकी बगल में लेट गया.
अम्मी का जिस्म चंद लम्हे ऐसे ही लरजता रहा. फिर उन्होने अपनी साँसें क़ाबू में करते हुए मुझ से पूछा के क्या हुआ. मैंने कहा - मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूं. मैं आपको और मजा देना चाहता हूं. इसीलिये मैंने लंड बाहर निकाल लिया. वो एक बार फिर हंस कर बोलीं – बेटे, तुम एक घंटे पहले ही खलास हुए हो. मर्द एक दफ़ा झड़ने के बाद दूसरी बार इतनी जल्दी नही झडता. वैसे भी तुम मुझे उम्मीद से पेश्तर मज़ा दे चुके हो. अब तुम्हारी बारी है. आ जाओ, अब मैं तुम्हे खलास करूंगी ताके तुम भी इस काम का पूरा मज़ा तो ले सको.
मुझे खयाल आया कि राशिद ने अम्मी को कैसे चोदा था तो मैंने कहा – अम्मी, क्या मैं आपको पीछे से चोद सकता हूँ? वो बोलीं – तुम्हे मुझ से इजाज़त माँगने की जरूरत नहीं है. तुम जो चाहो और जैसे चाहो करो. वो उठीं और अपनी कुहनियों और घुटनों के बल झुक गयीं. अम्मी के उभरे हुए चूतड़ों के बीच उनकी गांड से ज़रा नीचे मुझे उनकी चूत नज़र आई. मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुहाने पर रख कर उसे आगे धकेला. अम्मी ने भी अपने चूतड़ों को थोड़ा सा पीछे किया और लंड चूत के अंदर धंसने लगा. चूत चिकनाई से सराबोर थी इसलिये मेरे लंड को उस के अंदर दाखिल होतने में कोई मुश्किल पेश नहीं आई. मैंने अम्मी के चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़ लिया और उनकी चूत में घस्से मारने लगा.
मुझे अपना लंड अम्मी के गोरे चूतड़ों में से गुज़र कर उनकी चूत में अंदर बाहर होता नज़र आ रहा था. मैं उनकी चूत में घस्से पे घस्सा लगा रहा था और वो अपनी कमर को आगे पीछे कर के मेरा साथ दे रही थीं. मुसलसल घस्सों की वजह से उनके चूतड़ लरज़ रहे थे. फिर मुझे अपने लंड पर एक लज्ज़त-आमीज़ दबाव महसूस होने लगा. मैंने बे-अख्तियार अपने घस्सों की रफ़्तार बढ़ा दी. अम्मी को शायद इल्म हो गया कि मैं अब खलास होने वाला हूँ. उन्होने अपनी चूत को मेरे लंड पर भींचना शुरू कर दिया. ताबडतोड धक्कों के बीच मेरे लंड से पानी की बौछार शुरू हो गयी. मेरी रग रग में एक अजीब-ओ-ग़रीब और मदहोश कर देने वाली लज्ज़त का तूफान उठ रहा था. ठीक उसी वक़्त अम्मी की चूत ने एक दफ़ा फिर मेरे लंड को अपने शिकंजा में कसा और अम्मी भी मेरे साथ फिर झड गईं. मैं अम्मी को बांहों में भींच कर उनके ऊपर पसर गया. तूफ़ान के गुजरने के बाद अम्मी ने उठ कर अपने कपड़े पहने. मै अभी खुशी और बेखबरी के आलम में नंगा ही लेटा हुआ था. अम्मी ने मेरा गाल चूमा और अपने कमरे में चली गयीं.
अम्मी ने मेरी मुराद पूरी कर दी थी पर मुझे अपनी पहली चुदाई में इतना मज़ा आया था कि मेरा मन उन्हें फिर से चोदने के लिए मचल रहा था. पर क्या हो सकता था? बात तो एक बार चोदने की ही हुई थी. अगली रात मैं बेकरारी में करवटें बदलते-बदलते सो गया. सपने में मैं अपने लंड को सहला रहा था और उम्मीद कर रहा था कि खुदा शायद मुझ पर मेहरबान हो जाए और अम्मी को मेरे पास भेज दे. मैंने अपने लंड को मुट्ठी में ले कर दबाया तभी मेरी नींद टूट गयी. ... ये क्या? अम्मी मेरे पास लेटी थीं और मेरा लंड उनकी मुट्ठी में था. उन्होंने मुस्कुरा कर पूछा – तुम कोई सपना देख रहे थे? मैंने शरमा कर कहा – मैं तो सपने में आपके आने का इंतज़ार कर रहा था. मुझे गुमान ही नहीं था कि आप हकीकत में आ जायेंगी. अम्मी ने प्यार से कहा – अब आ गयी हूं तो जो तुम सपने में करना चाहते थे वो हकीकत में कर लो. यह सुन कर मेरा मन बल्लियों उछलने लगा. मैंने अम्मी को अपनी बांहों में भींच लिया. फिर तो पिछली रात वाला सिलसिला फिर से शुरू हो गया और मैंने जी भर कर अम्मी को चोदा. अगली रात को भी यही हुआ और तीसरी रात को भी.
तीसरी रात उन्हें चोदने के बाद मैंने कहा – अम्मी, मैंने आप से महज़ एक बार चूत देने की गुजारिश की थी. अगर आपको तकलीफ होती हो तो अब आपको यह करने की जरूरत नहीं है.
उन्होने संजीदा होते हुए कहा – शाकिर, मैंने राशिद को अपने साथ जो करने दिया उस पर अब मुझे मलाल हो रहा है.
मैंने कहा – अम्मी, जो हुआ उसे अब भूल जाइए.
उन्होंने कहा – मैं ये कैसे भूल सकती हूं कि मेरे बेटे से ज्यादा मर्तबा उसने मेरा लुत्फ़ उठाया है. ये मेरे सीने पर क़र्ज़ के बोझ की मानिंद भारी लग रहा है और मैं इसे सूद के साथ उतारना चाहती हूं.
मैंने उन्हें गले लगा कर कहा – अम्मी, आप पर कोई क़र्ज़ नहीं है. क़र्ज़ तो उस राशिद पर है जिसने आपकी चूत न जाने कितनी बार ली है. और ये क़र्ज़ तब उतरेगा जब मैं उसकी माँ की चूत लूँगा.
अम्मी – यह तो मैंने सोचा ही नहीं. ... तुम ठीक कहते हो पर अम्बरीन को तो कुछ मालूम ही नहीं है. वो क्यों इसके लिए रज़ामंद होगी? और तुम क्या वाकई अपनी खाला की चूत लेना चाहते हो?
उनकी बात सुन कर मुझे बहुत खुशी हुई. एक तो इसलिए कि उन्होने मेरी पेशकश पर कोई ऐतराज़ नहीं जताया था और दूसरे इसलिए कि उन्होंने पहली बार मेरे सामने चूत जैसा लफ्ज़ बोला था. मैंने अब उन्हें हकीकत से वाकिफ करवाना मुनासिब समझा और उन्हें होटल वाला वाकिया बता दिया. उसे सुन कर पहले तो उन्होंने मेरी मजम्मत की कि मेरी बेवकूफी की वजह से एक टुच्चा इंसान अम्बरीन खाला की इज्ज़त लूट कर चला गया. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एक खातून को धोखे से शराब पिला कर उसकी चूत हासिल करना कोई बहादुरी का काम नहीं है. मैंने उनकी बात से इत्तेफाक जाहिर किया और उन्हें बताया कि मैं खाला से माफ़ी मांग चुका हूं. लेकिन मसला यह था कि अम्बरीन खाला को अपनी मर्ज़ी से अपनी चूत मुझे पेश करने के लिए कैसे राज़ी किया जाए. अम्मी की राय थी कि होटल वाले वाकिये का इस मामले में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
मैंने कहा – फिर तो एक ही सूरत बचती है. अगर उन्हें बताया जाए कि राशिद ने आपके साथ क्या किया है तो शायद वो मान जाएँ.
अम्मी – ये जरूरी नहीं है. हो सकता है कि वो नाराज़ हो कर राशिद को ही घर से निकाल दें या अपने शौहर से उसकी शिकायत कर दें.
मैं – अम्मी, ये खतरा तो मोल लेना ही पड़ेगा लेकिन उसी सूरत में जब आपको कोई ऐतराज़ न हो.
अम्मी – ठीक है, मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है. तुम कोशिश कर के देखो. अगर अम्बरीन एक बार मान गई तो वो बार-बार तुम्हे अपनी चूत देना चाहेगी.
मैंने हैरत से कहा – यह आप कैसे कह सकती हैं?
अम्मी – बेटा, वो इसलिए कि तुम अब इस काम में माहिर हो चुके हो और माशाअल्लाह, तुम्हारा हथियार भी बहुत तगड़ा है.
यह सुन कर तो फख्र से मेरा सीना तन गया, और सीना ही नहीं मेरा हथियार भी. मुझे अफ़सोस था कि अम्मी ने अभी तक उसे लंड नहीं कहा था. खैर, वो उसे कुछ भी कहें पर जब उन्होंने अपनी रानों पर उसका का तनाव महसूस किया तो उन्होंने खुद ही अपनी चूत फिर से देने की पेशकश कर दी. हमारा खेल फिर शुरू हो गया और काफी लंबा चला. उनकी चूत का लुत्फ़ लेते हुए मैं यही सोचता रहा कि अम्बरीन खाला की चूत तक कैसे पहुंचा जाए.
अगले दिन मै खाला के घर गया. होटल वाले हादसे के बाद मैं पहली बार उनसे रूबरू हुआ था और एक बार फिर मैंने उनसे माफ़ी मांगी. उन्होंने कहा कि जो हुआ वो बिलकुल गलत था पर इसका किसी को पता ना चले तो उनकी इज्ज़त महफूज़ रहेगी. मैंने उन्हें यकीन दिलाया कि मेरी तरफ से वो बेफिक्र रहें. मैं उनकी इज्ज़त पर आंच नहीं आने दूंगा, ... पर मेरी अम्मी की इज्ज़त का क्या होगा?
वो चौंक कर बोलीं – क्या कह रहे हो तुम? आपा को क्या हुआ?
मैंने शर्म से सर झुका कर उन्हें हिचकते-हिचकते बताया कि उनके बेटे ने मेरी अम्मी के साथ क्या किया था. सुन कर उन्हें यकीन नहीं हुआ.
उन्होंने हैरत से कहा – राशिद ऐसा कैसे कर सकता है? और वो भी अपनी खाला के साथ! तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो?
यह इलज़ाम सुन कर तो मैं गुस्से से तमतमा गया. एक तो मेरी माँ चुद गई और ऊपर से ये मुझ पर झूठ बोलने की तोहमत लगा रही हैं. गुस्से में मैंने अपना मोबाईल निकाला और उन्हें कहा – आपको लगता है मैं झूठ बोल रहा हूं तो ये देखिये.
तस्वीरें देख कर वो चौंक गयीं. उनके चेहरे का मंज़र हैरानी से गुस्से, और गुस्से से परेशानी में तब्दील हो गया. वे माथा पकड़ कर बोलीं – हाय अल्लाह! ये क्या कर दिया राशिद ने!
मैं चुप रहा. वे फिर बोलीं – तुमने आपा को तो नहीं बताया ना कि तुम यह जान चुके हो?
मैंने उन्हें जवाब दिया - ये देख कर मुझे इतना गुस्सा आया कि मैं राशिद की गर्दन नापने वाला था. किसी तरह मैंने अपने गुस्से पर काबू किया पर मैं यह राज़ अम्मी के सामने जाहिर करने से अपने आपको नहीं रोक पाया. मैंने उन्हें यह भी जता दिया कि अब राशिद ज्यादा रोज़ महफूज़ नहीं रहेगा.
यह सुन कर खाला घबरा गयीं. वे परेशां-हाल हो कर बोलीं – इस से तुम्हे क्या हासिल होगा, शाकिर. जो होना था वो तो हो चुका. और सोचो, मैं तुम्हारी खाला हूं फिर भी होटल में तुमने मेरे साथ वही करने की कोशिश की थी जो राशिद ने अपनी खाला के साथ किया है.
मैं – खालाजान, मैंने तो सिर्फ कोशिश की थी. राशिद ने तो मेरी अम्मी की चूत हासिल भी कर ली. और होटल में वो दो कौड़ी का नजीर आपकी इज्ज़त का मज़ा ले गया पर मुझे क्या मिला?
खाला – तो तुम क्या चाहते हो?
मैं – वही जो राशिद ने मेरी अम्मी के साथ किया है. अगर आप वो मुझ से करवा लें तो मसला हल हो जाएगा.
खाला – यह क्या कह रहे हो तुम? राशिद ने जो किया वो गलत था. अगर तुम भी वही गलत काम करोगे तो मसला हल कैसे हो जाएगा? और कहीं आपा को पता चल गया तो वो क्या सोचेंगी?
मैं – आपकी पहली बात का जवाब यह है कि जब राशिद का और मेरा हिसाब बराबर हो जाएगा तो कोई मसला रहेगा ही नहीं. और रही दूसरी बात तो मैं हिसाब बराबर करने की बात अम्मी को बता चुका हूं और वे मेरी तजबीज से इत्तेफ़ाक रखती हैं.
खाला – या खुदा, ... क्या करूं मैं? मेरे एक तरफ कुआ है और दूसरी तरफ खाई.
मैंने सोचा कि लोहा गरम है. हथौड़ा मारने का यही मौका है. मैंने कहा – खालाजान, जब नजीर जैसा गलीज़ इंसान ये काम कर गया तो क्या मैं उस से भी बुरा हूं? और मेरे हाथों में आपकी इज्ज़त भी महफूज़ रहेगी क्योंकि मैं तो ये बात किसी को बताने से रहा.
खाला अपने ख्यालों में खो गयीं. उनकी कशमकश वाजिब थी. भानजे को अपनी चूत पेश करने का फैसला आसान नहीं था. पर वे ये भी सोच रही होंगी कि उनकी बड़ी बहन को भी ये करना पड़ा था (वो सोच रही होंगी, किसी मजबूरी में). और वे मान जाती हैं तो इस फैसले से उनकी बड़ी बहन भी रज़ामंद होंगी. इज्ज़त जाने का भी डर नहीं था. मैं बेचैनी से उनके जवाब का इंतज़ार कर रहा. अब सारा दारोमदार उनके फैसले पर था. इंतज़ार लंबा होता जा रहा था.
... आखिर उन्होंने जवाब दिया – अगर आपा भी यही चाहती हैं तो मुझे भी ऐतराज़ नहीं है.
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था. मैंने कहा – आप चाहें तो अम्मी से पूछ सकती हैं.
खाला – उन्हें तो पूछूंगी ही.
अब काम बनने में कोई अड़चन नहीं थी क्योंकि अम्मी तो इंकार करने से रहीं. लेकिन काम आधा ही हुआ था. अम्बरीन खाला की चूत तो अब मेरी पहुंच में थी लेकिन अगर राशिद ने अपनी अम्मी को मुझ से चुदते नहीं देखा तो हिसाब बराबर नहीं होगा. अनजाने में ही सही मगर उसने मेरी अम्मी को मेरी आँखों के सामने चोदा था. मैं भी उसकी अम्मी को उसके सामने चोदना चाहता था. अब मुझे राशिद का इंतजाम करना था. थोड़ी देर में मैंने उसे ढूंढ लिया. इधर-उधर की बात ना करके मैंने सीधे उस से पूछा - तुमने कितनी बार ली है मेरी अम्मी की?
वो चौंक कर बोला – खाला की...? क्या...? ये क्या कह रहे तो तुम?
मैं – क्या का क्या मतलब? तुमने उनकी चूत के अलावा कुछ और भी ली है?
राशिद सकपका कर बोला – ये क्या बक रहे हो तुम, शाकिर भाई? तुम्हे जरूर कोई गलत फहमी हुई है.
मैंने उसे मोबाईल वाला वीडियो दिखाते हुए पूछा – अच्छा, तो ये क्या है?
वीडियो देखते ही उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई. वो सर झुका कर बोला – शाकिर भाई, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है. मुझे ये नहीं करना चाहिए था पर मैं बहकावे में आ गया.
मैंने उसके गाल पर एक थप्पड़ रसीद किया और कहा – अच्छा, तो मेरी अम्मी ने तुम्हारे जैसे भोले-भाले बच्चे को बहका दिया था?
राशिद – मुझे माफ कर दो, भाई. मैं अब ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा, ... अम्मी की कसम.
मैं – मेरी मां तो चुद गई और तेरी मां सिर्फ कसम से बच जायेगी?
राशिद – क्या मतलब? तुम बताओ मैं क्या करूं?
मैं – मतलब यह है कि चूत के बदले चूत. तूने मेरी अम्मी की ली है, अब मुझे अपनी अम्मी की दिला.
राशिद – मैं ये कैसे कर सकता हूं?
मैं – कैसे का क्या मतलब? तू अपनी अम्मी को तैयार कर.
राशिद तकरीबन रोता हुआ बोला – भाई, मैं अपनी अम्मी से ऐसी बात कैसे कर सकता हूं? हां, तुम उन्हें तैयार कर लो तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है.
मैं – ठीक है, उन्हें मैं तैयार कर लूंगा. पर तुम वही करोगे जो मैं कहूँगा.
खाला तो पहले ही मान चुकी थीं. मुझे सिर्फ राशिद के सामने ड्रामा करना था सो मैंने अगले दिन उसे फिर पकड़ा और बताया कि बहुत तिकडम भिडाने के बाद आखिर खाला ने मंजूरी दे दी है. मैंने सोचा था कि यह सुन कर राशिद को दुःख होगा मगर उसके के हाव-भाव से ऐसे लगा जैसे उसके ऊपर से एक बहुत बड़ा बोझ उतर गया हो. वह बोला – शाकिर भाई, अब तो आप मेरे से नाराज़ नहीं हैं?
मैं – हां, खाला के कारण तुम बच गए. मगर तुम्हे याद है ना कि तुम वही करोगे जो मैं कहूँगा.
राशिद – भाई, आपका काम तो हो गया. अब मुझे क्या करना है?
मैं – काम हुआ नहीं है, होने वाला है और वो भी आधा. पूरा काम तब होगा जब तुम अपनी अम्मी को मेरे से चुदते हुए देखोगे.
राशिद – लेकिन इसकी क्या जरूरत है?
मैं – जरूरत क्यों नहीं है? जब मैंने अपनी अम्मी को चुदते हुए देखा है तुम्हे भी अपनी अम्मी को चुदते हुए देखना पड़ेगा.
राशिद – पर अम्मी इसके लिए तैयार हैं क्या?
मैं - नहीं हैं तो हो जायेंगी. पर तुम तो तैयार हो ना?
राशिद थोड़ी कशमकश में दिखा. पता नहीं उसे अपनी अम्मी के चुदने का गम था या उनकी चुदाई देखने का. आखिर वो बोला – शाकिर भाई, मैं आप की बात मानने के लिए तैयार हूं पर आप बुरा ना माने तो मैं एक तजबीज आपके सामने रखूँ?
मैं – ठीक है, बताओ.
राशिद – मैंने यास्मीन खाला की सिर्फ चार बार ली है. मेरी अम्मी की चार बार लेने के बाद आपका हिसाब बराबर हो जाएगा और फिर आप उनकी नहीं ले पायेंगे. जहाँ तक मुझे गुमान है अब्बू आजकल उनकी कभी-कभार ही लेते हैं. अगर आप थोडा मेरा खयाल रखें तो आप आगे भी उनकी लेते रहेंगे.
उसका मतलब मेरे समझ में नहीं आया. मैं अपनी अम्मी की ले रहा था. तो क्या वो भी अपनी अम्मी को चोदने का ख्वाहिशमंद है?
मैं – ऐसा हो जाए तो बहुत बढ़िया होगा पर मैं कैसे तुम्हारा खयाल रखूँ?
राशिद – शाकिर भाई, पता नहीं क्या वजह है कि आजकल खाला मुझे नहीं देती हैं. मैं कोई दूसरा इंतजाम भी नहीं कर पाया हूं. जब आपका बदला पूरा हो जायेगा तो क्या आप मुझे यास्मीन खाला की दिला सकते हैं? इस तरह हम दोनों का इंतजाम हो जाएगा और हमारी अम्मियों की जरूरियात भी पूरी होती रहेंगी. लेकिन आपको अम्मी की चूत पसंद न आये तो यह सब करने की जरूरत नहीं है.
यह तजबीज मुझे निहायत रद्द-ए-अमल लगी. मैं तो सोच रहा था कि बदला मुकम्मल होने के बाद मैं खाला की चूत से महरूम हो जाऊँगा और मुझे सिर्फ अम्मी से काम चलाना पड़ेगा. अम्मी की चूत बिला-शक बहुत दिलकश थी पर जब दो चूत मिलने का इमकान हो तो एक से क्यों काम चलाया जाए? मैंने राशिद को अम्मी से दूर रखने की तजबीज की थी पर अब मुझे लगा कि उसकी पेशकश से हम चारों का फायदा हो सकता था. मैंने तय किया कि मैं अपनी अम्मी पर लगाई बंदिश हटा लूँगा. और इसके लिए बदला पूरा होने तक इंतज़ार करने से क्या हासिल होगा? मैंने सोचा कि मैं खाला की चूत का मज़ा लूं और वो मेरे लंड का तो अम्मी चुदाई से क्यों महरूम रहे!
मैंने कहा – तुम ठीक कहते हो, राशिद. अम्मी मेरे कहने पर ही तुम्हे नहीं दे रहीं हैं. अब मैं उनको मना लूँगा. और तुम्हे अपनी अम्मी के चार बार चुदने तक इंतज़ार करने की जरूरत नहीं है. हम इस काम को एक साथ अंजाम दे सकते है.
यह सुन कर तो राशिद खुशी से उछल पड़ा. वह बोला – भाई, हम कब कर सकेंगे ये? और मेरा एक और सुझाव है. हम इस काम को एक साथ अंजाम देने की बजाय इसे मिल कर अंजाम दें तो कैसा रहेगा?
मैं – क्या? ... चारों मिल कर? मगर इसके लिए खाला और अम्मी को राज़ी करना आसान नहीं होगा.
राशिद – भाई, तुम्हारे लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है. तुम कोशिश तो करो.
जब यह तय हो गया कि मैं कोशिश करूंगा तो मैंने पहले अम्मी से बात करना मुनासिब समझा. मौका मिलते ही मैंने उन्हें बताया कि खाला मेरी बात मान गई हैं पर वो पहले उनसे तस्दीक करेंगी. इसमें कोई मसला नहीं था क्योंकि अम्मी तो पहले ही मान चुकी थीं. फिर मैंने उन्हें बताया कि मैं खाला को राशिद के सामने चोदूंगा.
क्रमशः
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