Fentency
दीवाना बना दिया
अपने भाई विक्की से एक बार चुदने के बाद हमारा यह खेल रोजाना चलने लगा, इसी बीच मेरा कॉलेज खत्म हो गया. कॉलेज के फेयरवेल के दिन मैं और वाणी साड़ी पहन कर कॉलेज गए, मुझे विक्की को अपनी कार की चाबी देनी थी इसलिए मैंने विक्की को फोन करके पूछा तो उसने बताया कि वो अपने कॉलेज में है. मैं बताना भूल गई हम दोनों अलग-अलग कॉलेज में पढ़ते थे, माफ कीजियेगा नाम नहीं बता सकती.
जब मैं विक्की को चाबी देने पहुँची तो वो अपने दोस्तों के साथ खड़ा था. मुझे देखते ही उसके दोस्त लार टपकाने लगे और मुझे घूर- घूर कर देखने लगे. चूँकि विक्की वहीं खड़ा था इसलिए किसी की हिम्मत नहीं हुई कि मुझसे कोई बात कर सकें.
कॉलेज खत्म होने के बाद मेरा घर से बाहर निकलना लगभग बंद ही हो गया, मैं बस शॉपिंग करने और किसी जगह घूमने जाना हो तभी बाहर निकलती थी. इसी बीच मेरे लिए एक घर से रिश्ता आया, लड़के का नाम अनिल था, लड़के वाले वैसे तो राजस्थान से थे मगर आजकल दिल्ली में हौजखास एरिया में रहते थे. मैं बता दूँ हौजखास दिल्ली का सबसे पोश इलाका है, लड़के वाले बहुत अमीर थे इसलिए मेरे माता-पिता ने तुरंत हाँ बोल दी.
लड़के वाले बहुत अमीर थे इसलिए मेरे चाचा ने भी वाणी के लिए अनिल के छोटे भाई गौरव का रिश्ता माँगा जिसे लड़के वालों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.
जब मेरे रिश्ते की बात विक्की ने सुनी तो वो आगबबूला हो गया, उस रात जब विक्की मेरे कमरे में आया उसने बहुत शराब पी रखी थी, शराब के नशे में विक्की ने मुझे जमकर चोदा. जब सुबह विक्की होश में आया तो मैंने विक्की से वादा लिया कि आज के बाद हम दोनों एक-दूसरे के साथ सेक्स नहीं करेंगे और ना ही विक्की वाणी को चोदेगा क्यूंकि उसकी भी शादी होने वाली है और वो मेरी होने वाली देवरानी है.
विक्की ने मान लिया और मुझसे वादा किया वो आज के बाद ऐसा नहीं करेगा.
विक्की से वादा लेने की बात मैंने वाणी को बताई तो उसने भी मुझे सराहा और बोली- अच्छा हुआ कि तुमने बात कर ली वर्ना मुझे तो समझ नहीं आ रहा था कि मैं विक्की से कैसे बात करूँगी.
हम दोनों की शादी की बात पक्की हो चुकी थी मगर ना ही अब तक मैंने और ना ही वाणी ने लड़कों की फोटो देखी थी इसलिए मैंने पापा और वाणी से अनिल और गौरव से मिलने की जिद की, जिसे उन्होंने मान लिया.
मैंने अनिल को फोन किया और उसे नेताजी सुभाष प्लेस के मेट्रो स्टेशन पर बुलाया, जब मैं अनिल से मिली तो मैं बहुत खुश हुई क्योंकि अनिल देखने में काफी सुन्दर था और एक बलिष्ठ शरीर का मालिक भी था. मुझे लगा अब मुझे कहीं बाहर मुँह मारने की जरुरत नहीं होगी.
कुछ वक्त साथ बिताने के बाद मैंने अनिल से विदा मांगी तो अनिल बोला- तुम मेरी होने वाली पत्नी हो, तुम बस के धक्के खाओ, अच्छा नहीं लगता!
अनिल ने किसी को फोन मिलाया और थोड़ी ही देर में एस.यू.वी. हमारे सामने थी. मैं और अनिल पीछे बैठ गए और ड्राईवर कार चला रहा था. सबसे पहले अनिल ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, यह मेरे लिए कोई नया नहीं था और मैं जानती थी कि अनिल क्या करना चाहता है मैंने कोई विरोध नहीं किया और धीरे-धीरे मेरे होंठो की तरफ बढ़ा और मेरे होंठों को चूम लिया.
मैंने कोई विरोध नहीं किया, मगर फिर भी अनिल मुझे सॉरी बोलने लगा.
मैंने कहा- कोई बात नहीं! कुछ ही दिनों में हमारी शादी होने वाली है और मैं तुम्हारी होने वाली पत्नी हूँ.
इसके बाद अनिल मेरे टॉप के ऊपर से मेरे बूब्स दबाने लगा तो मैंने तुरंत ही उसे हटा दिया, मैंने सोचा कहीं उसे यह ना लगे कि मैं चरित्रहीन हूँ.
थोड़ी ही देर में मेरा घर आ गया, अनिल शरमा रहा था इसलिए मैं खुद ही उसे गुडबाय किस दे दिया.
उस शाम में ही मैंने अनिल को अपना दीवाना बना दिया था.
शाम को मैंने और वाणी ने अपना अनुभव एक-दूसरे से बांटा, वाणी ने बताया कि गौरव दिखने में अच्छा नहीं है और काफी पतला भी है, वाणी शायद गौरव से खुश नहीं थी लेकिन उसने बताया कि गौरव बिलकुल शर्मीला नहीं है जैसा कि अनिल है.
कुछ ही दिनों में मेरी और वाणी की सगाई थी, घर में सगाई की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही थी. आखिर वो दिन भी आ गया जो हर लड़की कि जिंदगी में जरुरी होता है, सगाई के दिन मैंने पहली बार गौरव को देखा, गौरव सच में पतला था. चूँकि लड़के वाले बहुत अमीर थे इसलिए वो चाहते थे कि शादी का पूरा खर्चा वो करें, उन्हें तो बस लड़की चाहिए थी, इसलिए उनकी तरफ से बहुत सी ज्वैलरी आई उन्होंने एक बहुत महंगी साड़ी
भी मेरे लिए भेजी.
सगाई किसी तरह अच्छे से निपट गई, सगाई की थकावट में पूरा शरीर टूट रहा था इसलिए मैं अपने कमरे मे गई और सिगरेट के कश का आनन्द लेने लगी.
तभी विक्की मेरे कमरे में आया और कमरे में घुसते ही दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और मुझसे बोला- कम से कम दरवाजा तो बंद कर लेती!
मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और सिगरेट का आनन्द लेती रही, कब विक्की ने मेरे पीछे आकर मेरी कमर में अपने हाथ डाल दिए मुझे पता नहीं लगा. विक्की ने थोड़ी पी रखी थी, मैंने उसे पीछे धकेला और कहा- तुमने वादा किया था कि हम सिर्फ भाई-बहन की तरह रहेंगे ना कि पति-पत्नी की तरह.
तभी बाहर से दरवाजा बजा, मैंने तुरंत सिगरेट बाहर फेंक दी.
बाहर अनिल खड़ा था, जैसे ही अनिल अंदर घुसा तो उसने विक्की से कहा- सिगरेट पीना अच्छी बात नहीं है.
विक्की कुछ नहीं बोला और अपनी गर्दन नीचे कर ली. मैं समझ गई कि अनिल बहुत शरीफ लड़का है, मैंने निश्चय कर लिया कि मैं उसके लायक बनने की कोशिश करुँगी. अनिल और उसके घरवाले सब काम निबटने के बाद वहाँ से चले गए.
अगले ही दिन विक्की पापा से कहीं घूमने जाने के लिए अनुमति मांग रहा था, मैं भी सगाई के कारण काफी थक गई और मैं भी कहीं घूमने जाना चाहती थी. मगर विक्की अपने दोस्तों के साथ जा रहा था तो मैंने सोचा मैं तो वहाँ बोर हो जाऊँगी इसलिए मैंने विक्की से नहीं पूछा.
मगर कुछ देर बाद विक्की खुद ही मुझसे पूछने मेरे कमरे में आया तो मेरे मन में भी लालसा जाग गई और मैंने हाँ बोल दिया.
पापा तो वैसे भी मेरे हाथों की चाभी बन चुके थे तो उन्होंने निस्सकोच हाँ कह दिया.
अगले दिन सुबह ही उन लोगों का घूमने जाने का प्लान था, मैंने उनसे यह तक नहीं पूछा था कि वे लोग घूमने कहाँ जा रहे हैं. सुबह-सुबह दो कारें हमारें घर के सामने रुकी, उसमें से विक्की के 8 दोस्त बाहर आये. मैंने उन लोगों को देख पूछा कि तुम्हारे ग्रुप की कोई लड़की नहीं जा रही?
तो विक्की बोला- हम तो लड़के-लड़के जा रहे थे. मुझे लगा तुम मना कर दोगी इसलिए किसी लड़की को नहीं बुलाया.
चूँकि मैंने जाने की पूरी तैयारी कर ली थी और मेरा घूमने का मन भी था तो मैंने प्लान कैंसल करना उचित नहीं समझा. इसके बाद पापा को बोल कर मैंने और विक्की ने हमारी कार निकली और मनाली चल दिए.
रास्ते में एक जगह पर हमने कार रोकी और हम सब बाहर आये तो मैंने विक्की के बाकी सारे दोस्तों को देखा, तब मुझे याद आया कि ये सब तो वही है जो मुझे देख कर फेयरवेल के दिन लार टपका रहे थे.
लेकिन मैंने उस बात को इग्नोर कर दिया. मुझे लगा हम मनाली में किसी होटल में रुकेंगे, मगर हमारी कार एक घर के सामने रुकी. विक्की बोला- यह हमारे एक दोस्त का घर है, हमें यहाँ कोई परेशानी नहीं होगी और हमारे होटल के पैसे भी बच जायेंगे जो हम कहीं और खर्च कर सकते हैं.
मुझे सुझाव अच्छा लगा, उस घर में चार कमरे थे. एक कमरा उन लोगो ने मुझे दे दिया और बाकी नौ जने बचे हुए तीन कमरों में एडजस्ट हो गए.
मैं सफर के कारण काफी थक गई थी इसलिए मैंने सबसे पहले स्नान किया और फ्रेश होकर बाहर आ गई. विक्की के 3 दोस्त वहीं बाहर बैठे थे.
मैं नहीं चाहती थी विक्की के दोस्त मुझसे अनजान रहे और मैं उनके लिए अजनबी, इसलिए मैंने खुद ही दोस्ती बढ़ाने की पहल की और खुद उनसे जाकर बात करने लगी. कुछ ही देर में मुझे ठण्ड लगने लगी और मैं ठिठुरने लगी तो विक्की के एक दोस्त कपिल ने मेरे सामने सिगरेट कर दी और बोला- ब्राण्डी तो खत्म हो गई है, तुम चाहो तो यह ट्राई कर सकती हो.
मैंने कहा- मैं स्मोक नहीं करती!
तो उसने कहा- माफ करना, ठण्ड ज्यादा थी इसलिए ब्राण्डी खत्म हो गई लेकिन सिगरेट ट्राई करने में कुछ बुरा नहीं है.
वो मुझे जोर देकर कहने लगा तो मैंने भी सिगरेट स्वीकार कर ली.
तभी अंदर से विक्की और उसके बाकी तीन दोस्त हँसते हुए बाहर आये और बोले- कपिल यार, तू शर्त जीत गया, तूने अर्चना को सिगरेट के लिए राजी कर ही लिया.
मैं समझ गई कि यहाँ क्या हो रहा था. इसके बाद मैं भी उनके गैंग का हिस्सा बन गई और मेरी उन सबसे अच्छी दोस्ती हो गई.
दो दिन कब गुजर गए पता ही नहीं चला, चूँकि हम वहाँ सात दिनों के लिए आये थे. तीसरे दिन शाम को हम सभी ट्रुथ और डेअर खेल रहे थे, जैसे ही सबसे पहले बोतल घुमाई तो वो मेरी तरफ रुकी, तो मैंने डेअर बोल दिया तो सबने मुझसे मॉडल की तरह चलने को बोला.
जब मैं वॉक कर रही थी मैंने देखा कि सबके लंड खड़े हो गए थे.
इसी तरह हम काफी देर तक खेलते रहे. एक बार जब बोतल विक्की की तरफ रुकी तो उसने ट्रुथ(सच) कह दिया.
तो कपिल ने कहा- कुछ ऐसा अपने बारे में बताओ जो हमें ना पता हो.
विक्की काफी देर तक सोचता रहा, फिर उसने जो बोला उसे सुनकर मैं दंग रह गई, उसने सबके सामने बोल दिया कि उसके मेरे साथ जिस्मानी सम्बन्ध रह चुके हैं.
शर्म के मारे मैं वहाँ बैठ नहीं पाई और उठकर वहाँ से चली आई.
अगली सुबह जब मैं उठी तो उन सबसे आखें नहीं मिला पा रही थी, मैं सीधा उस कमरे में गई जिसमे विक्की था. मेरे अंदर घुसते ही बाकी सब बाहर निकल गए, मैं बहुत गुस्से में थी, मैं कुछ बोलती उससे पहले ही विक्की बोला- मैंने बहुत पी ली थी और दिमाग काम नहीं कर रहा था, जो दिमाग में आया वही बोल दिया.
मैंने भी फिर कुछ नहीं बोला क्योंकि जो होना था वो हो चुका था और मैं वापिस अपने कमरे में आ गई.
मुझे अपने कमरे में बहुत ठण्ड लग रही थी तो मैंने विक्की के दूसरे दोस्त राजीव से ब्राण्डी मांगी तो उसने भी सिगरेट का पैकेट पकड़ा दिया और बोला- सॉरी, आज ब्राण्डी लाये ही नहीं! हम लोग भी सिगरेट से काम चला रहे हैं.
मैंने सिगरेट का पैकेट लिया और अपने कमरे माँ आकार सिगरेट फ़ूंकने लगी. उस पूरे दिन मैं अपने कमरे में रही, मैं चाहती थी कब ये छुट्टियाँ खत्म हों और मैं अपने घर जाऊँ.
उस दिन शाम को मुझे बहुत ठण्ड लग रही थी और सिगरेट भी खत्म हो चुकी थी. मैंने जाकर राजीव से ब्रांडी या सिगरेट मांगी तो वो बोला कि दोनों ही खत्म हैं.
चूँकि मैं पहली बार मनाली आई थी और वो भी ठण्ड में, तो मुझसे ठण्ड बर्दाश्त नहीं हो रही थी. मुझे लगा मैं तो इस ठण्ड में मर ही जाऊँगी तो मैंने सोचा मैं पहले भी विक्की से चुद चुकी हूँ, एक बार और चुद लूंगी तो क्या फ़र्क पड़ेगा, इसलिए मैं विक्की के कमरे की तरफ गई तो देखा विक्की सो रहा था,
मैंने विक्की को जगाने कीकोशिश कि मगर विक्की जगा नहीं. मैं वापिस अपने कमरे में आ गई लेकिन मेरे पास ठण्ड का कोई इलाज नहीं था. मैं समझ गई कि मुझे विक्की के किसी दोस्त से ही अपनी प्यास बुझानी पड़ेगी ताकि मेरी ठण्ड का इलाज हो जाए.
मैंने एक सेक्सी सी काले रंग की झीनी सी नाईटी पहनी जो बिल्कुल पारदर्शी थी, अब मेरी ठण्ड जा चुकी थी और मेरा पूरा ध्यान विक्की के दोस्तों को रिझाने का था. मैं विक्की के कमरे में गई जहाँ कोई नहीं था, ढूंढने पर मुझे एक सिगरेट मिल ही गई, मैंने दूसरे कमरे में घुसने से पहले ऊँची ऐड़ी की सेंडल पहनी और सिगरेट जलाई और बड़े ही कामुक अंदाज में दूसरे कमरे में प्रवेश किया. विक्की के दो दोस्त,
सुमित और अभिषेक उस कमरे में थे, मैंने कोई परवाह नहीं की और उनके कमरे में घुस गई.
सुमित उठा और उठकर कमरे का दरवाजा बंद कर दिया. जैसे ही उसने मेरी कमर पर हाथ लगाने की कोशिश की, मैंने उसके बाल पकड़े और धक्का दे दिया और खड़ी-खड़ी अपनी टांगों पर हाथ फिराने लगी. मेरी इन हरकतों को देखकर अभिषेक पागल हो उठा और अपना लौड़ा निकाल कर मुठ मारने लगा.
मैं उसके पास गई और उसका लौड़ा पकड़कर आगे-पीछे करने लगी. अभिषेक का शरीर पूरा गर्म हो चुका था और उसका झड़ने वाला था. वो मुझे हाथ लगाता, उससे पहले ही मैंने उसे रोक लिया और कहा- अब मेरी शादी होने वाली है, और यह मेरी आखिरी गैर मर्द से चुदाई है तो मैं चाहती हूँ कि तुम सभी आठ लोग मिलकर मुझे एक साथ चोदो और वो भी विक्की के सामने.
सुमित जाकर बाकी छ: को भी बुला लाया तो मैंने अपनी इच्छा के बारे में बताया. इसके बाद वो लोग विक्की को उठा लाये और लाकर कुर्सी से बाँध दिया.
कुर्सी से बांधने के बाद राजीव ने विक्की के ऊपर पानी फेंका जिससे उसकी आँखें खुल गई मगर कमरे का नजारा देखकर वो हैरान रह गया. उस वक्त मैं अभिषेक की बाहों में थी, वो चिल्लाता रहा मगर मैंने कहा- तुम्हारी वजह से इन लोगों को हमारे बारे में पता चला और अगर मैं इनके साथ सेक्स नहीं करुँगी तो ये सबको बता देंगे.
मुझसे यह सुनने के बाद विक्की चुप हो गया, वैसे भी वो कुछ बोल नहीं सकता था.
इसके बाद हमने अपना खेल शुरू किया. आज के दिन मैं उन सबकी मालकिन थी और वो लोग मेरे कुत्ते! वो मेरी हर बात मान रहे थे, मैंने दो लोगों को अपना एक-एक पाँव चाटने के लिए दो लोगों को अपना एक-एक हाथ चाटने के लिए दे दिया. वो लोग ऐसे चाट रहे थे जैसे कोई केंडी चाट रहे हों, कपिल अपना लंड निकाल कर मेरे कन्धों पर मार रहा था और राजीव मेरे होंठों को चूमने में लगा हुआ था.
बाकी बचे हुए दो लोग मेरा एक-एक चुच्चा मेरी नाईटी के ऊपर से ही दबा रहे थे. काफी देर तक जगह बदल-बदल कर वो मुझे चाटते रहे और मैं भी अपने आपको चटवाने का मजा लेती रही.
इसके बाद अभिषेक ने मेरी नाईटी उतारी और सभी ने मेरी ब्रा के ऊपर हमला बोल दिया मैंने उन्हें रोका और खुद ही अपनी ब्रा और पेंटी
उतार कर नंगी ही विक्की की तरफ बढ़ी. सभी अपना-अपना लंड हिलाकर मेरा इन्तजार कर रहे थे. मैंने जाकर विक्की का सर अपनी चूत में दबा दिया और चाटने को कहा.
विक्की भी सब कुछ भूल गया और मेरी चूत चाटने लगा तो मैंने भी विक्की को खोल दिया. उस वक्त उस कमरे में 9 लड़के थे और मैं एक अकेली लड़की.
विक्की ने भी अपने कपड़े उतार दिए और वो भी हाथ में लौड़ा लेकर मेरी चूत मारने के लिए तैयार हो गया. इतने लड़कों को देखकर एक बार के लिए तो मैं घबरा गई, लेकिन तभी दिमाग में एक और शरारत आई, मैंने उन सबको बताया- सेक्स मैं पहले भी कर चुकी हूँ इसलिए मैं चाहती हूँ कि तुम सब लड़के मिलकर मेरा रेप करो.
मेरी बात सुनकर सबके चेहरे पर एक कातिलाना हंसी आ गई. मैं भी एक बेचारी लड़की का अभिनय करने लगी और नंगी ही कमरे से भागने लगी, विक्की ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और पीठ के बल घसीटते हुए मुझे बिस्तर पर लाकर पटक दिया, इसके बाद अभिषेक ने अपना लंड मेरे मुंह में घुसा दिया, सुमित ने मेरे दोनों हाथ कस कर पकड़ लिए और राजीव ने मेरे दोनों पाँव, कपिल अपना लंड लाकर मेरी चूत पर रगड़ने लगा, बचे हुए छ:
लोग मेरी चूत मारने के लिए लड़ाई करने लगे, मैं भागने के लिए झटपटा रही थी.
राजन ने सबसे पहले अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया फिर भी मैं बेचारी लड़की की तरह छटपटाई और भागने की कोशिश करने लगी.
राजन और योगेश दोनों ने अपना लंड एक साथ मेरी चूत में घुसा दिया एक साथ दो लौड़े अपनी चूत में महसूस कर मेरी आह निकल गई. मैंने अभिषेक से हटने के लिए कहा मगर वो भी मेरी सुनने को तैयार नहीं था. सभी बारी बारी से मेरी चूत में अपना लंड घुसा रहे थे
और जब कोई झड़ने को होता तो मेरे मुंह में अपना लेस झाड़ देते और तब तक मेरे मुंह में अपना लौड़ा रखते जब तक कि दुबारा खड़ा ना हो जाये.
इसके बाद उन सभी ने मुझे उठाया और टिंकू निचे लेट गया और नीचे से ही मेरी गांड में अपना लंड डाल दिया. इसके बाद सबने अपनी अपनी जगह ले ली मेरे दोनों हाथों में दो-दो लौड़े थे, एक गांड में, एक मुंह में, दो चूत में और एक अपना पानी मेरे मुंह पर झाड़ रहा था.
काफी देर तक जगह बदल-बदल कर वो मुझे चोदते रहे.
थोड़ी देर में मुझे लगा कोई मेरी चूत में कुछ मोटा सा कुछ घुसा रहा है, मैं देखती इससे पहले ही उन्होंने मेरी चूत में एक घिया और गाण्ड में एक मूली एक साथ घुसा दी, मेरी चूत पूरी खुली हो चुकी थी और मुझ में अब संघर्ष की ताकत नहीं बची थी. वो एक-एक करके कभी घिया कभी तोरई तो कभी डंडा तो कभी लंड घुसा रहे थे. इस तरह उन लोगों से सब कुछ मेरी चूत और गांड में घुसा कर देख लिया.
मेरे साथ उन लोगों ने कई राउंड लिए और मुझे तरह-तरह से रौंदा, मेरी चूत का उन्होंने मिलकर पूरा भौसड़ा बना दिया, अब मैं खड़ी होने लायक हालत में नहीं थी. उन सबने मिलकर मुझे उठाया और बाथरूम में ले जाकर मुझे नहलाया और वहाँ भी मुझे काफी रगड़ा और मेरी हालत पर बिल्कुल भी रहम नहीं खाया और वहाँ भी कई बार मुझे चोदा.
इसके बाद हम सब जाकर सो गए, अगले दिन सुबह मेरी आँख सुबह 11 बजे खुली. जब मैं उठी तो उन्होंने सबके लिए खाने का आर्डर दिया और उसके बाद हम सभी ने खाना खाया.
इसके बाद वो बचे हुए तीन दिनों तक मुझे चोदते रहे और वो भी पूरी बेरहमी के साथ.
जब हम वापिस आ रहे थे तो मैं उन सबसे कहा- ये हम सबने एक साथ आखिरी बार सेक्स किया था. अब मेरी शादी होने वाली है इसलिए आज के बाद हम मिल सकते हैं लेकिन एक-दूसरे के साथ सेक्स नहीं करेंगे.
इस पर वो मान गए.
करीब 3 महीने बाद मेरी और वाणी की शादी हो गई, अपने साथ ग्रुप सेक्स की बात मैंने वाणी को भी नहीं बताई. विक्की और उसके दोस्तों ने मुझे अपनी बहन की तरह विदा किया और उसके बाद आज तक उन्होंने मुझसे सेक्स की बात तक नहीं की
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दीवाना बना दिया
अपने भाई विक्की से एक बार चुदने के बाद हमारा यह खेल रोजाना चलने लगा, इसी बीच मेरा कॉलेज खत्म हो गया. कॉलेज के फेयरवेल के दिन मैं और वाणी साड़ी पहन कर कॉलेज गए, मुझे विक्की को अपनी कार की चाबी देनी थी इसलिए मैंने विक्की को फोन करके पूछा तो उसने बताया कि वो अपने कॉलेज में है. मैं बताना भूल गई हम दोनों अलग-अलग कॉलेज में पढ़ते थे, माफ कीजियेगा नाम नहीं बता सकती.
जब मैं विक्की को चाबी देने पहुँची तो वो अपने दोस्तों के साथ खड़ा था. मुझे देखते ही उसके दोस्त लार टपकाने लगे और मुझे घूर- घूर कर देखने लगे. चूँकि विक्की वहीं खड़ा था इसलिए किसी की हिम्मत नहीं हुई कि मुझसे कोई बात कर सकें.
कॉलेज खत्म होने के बाद मेरा घर से बाहर निकलना लगभग बंद ही हो गया, मैं बस शॉपिंग करने और किसी जगह घूमने जाना हो तभी बाहर निकलती थी. इसी बीच मेरे लिए एक घर से रिश्ता आया, लड़के का नाम अनिल था, लड़के वाले वैसे तो राजस्थान से थे मगर आजकल दिल्ली में हौजखास एरिया में रहते थे. मैं बता दूँ हौजखास दिल्ली का सबसे पोश इलाका है, लड़के वाले बहुत अमीर थे इसलिए मेरे माता-पिता ने तुरंत हाँ बोल दी.
लड़के वाले बहुत अमीर थे इसलिए मेरे चाचा ने भी वाणी के लिए अनिल के छोटे भाई गौरव का रिश्ता माँगा जिसे लड़के वालों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.
जब मेरे रिश्ते की बात विक्की ने सुनी तो वो आगबबूला हो गया, उस रात जब विक्की मेरे कमरे में आया उसने बहुत शराब पी रखी थी, शराब के नशे में विक्की ने मुझे जमकर चोदा. जब सुबह विक्की होश में आया तो मैंने विक्की से वादा लिया कि आज के बाद हम दोनों एक-दूसरे के साथ सेक्स नहीं करेंगे और ना ही विक्की वाणी को चोदेगा क्यूंकि उसकी भी शादी होने वाली है और वो मेरी होने वाली देवरानी है.
विक्की ने मान लिया और मुझसे वादा किया वो आज के बाद ऐसा नहीं करेगा.
विक्की से वादा लेने की बात मैंने वाणी को बताई तो उसने भी मुझे सराहा और बोली- अच्छा हुआ कि तुमने बात कर ली वर्ना मुझे तो समझ नहीं आ रहा था कि मैं विक्की से कैसे बात करूँगी.
हम दोनों की शादी की बात पक्की हो चुकी थी मगर ना ही अब तक मैंने और ना ही वाणी ने लड़कों की फोटो देखी थी इसलिए मैंने पापा और वाणी से अनिल और गौरव से मिलने की जिद की, जिसे उन्होंने मान लिया.
मैंने अनिल को फोन किया और उसे नेताजी सुभाष प्लेस के मेट्रो स्टेशन पर बुलाया, जब मैं अनिल से मिली तो मैं बहुत खुश हुई क्योंकि अनिल देखने में काफी सुन्दर था और एक बलिष्ठ शरीर का मालिक भी था. मुझे लगा अब मुझे कहीं बाहर मुँह मारने की जरुरत नहीं होगी.
कुछ वक्त साथ बिताने के बाद मैंने अनिल से विदा मांगी तो अनिल बोला- तुम मेरी होने वाली पत्नी हो, तुम बस के धक्के खाओ, अच्छा नहीं लगता!
अनिल ने किसी को फोन मिलाया और थोड़ी ही देर में एस.यू.वी. हमारे सामने थी. मैं और अनिल पीछे बैठ गए और ड्राईवर कार चला रहा था. सबसे पहले अनिल ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, यह मेरे लिए कोई नया नहीं था और मैं जानती थी कि अनिल क्या करना चाहता है मैंने कोई विरोध नहीं किया और धीरे-धीरे मेरे होंठो की तरफ बढ़ा और मेरे होंठों को चूम लिया.
मैंने कोई विरोध नहीं किया, मगर फिर भी अनिल मुझे सॉरी बोलने लगा.
मैंने कहा- कोई बात नहीं! कुछ ही दिनों में हमारी शादी होने वाली है और मैं तुम्हारी होने वाली पत्नी हूँ.
इसके बाद अनिल मेरे टॉप के ऊपर से मेरे बूब्स दबाने लगा तो मैंने तुरंत ही उसे हटा दिया, मैंने सोचा कहीं उसे यह ना लगे कि मैं चरित्रहीन हूँ.
थोड़ी ही देर में मेरा घर आ गया, अनिल शरमा रहा था इसलिए मैं खुद ही उसे गुडबाय किस दे दिया.
उस शाम में ही मैंने अनिल को अपना दीवाना बना दिया था.
शाम को मैंने और वाणी ने अपना अनुभव एक-दूसरे से बांटा, वाणी ने बताया कि गौरव दिखने में अच्छा नहीं है और काफी पतला भी है, वाणी शायद गौरव से खुश नहीं थी लेकिन उसने बताया कि गौरव बिलकुल शर्मीला नहीं है जैसा कि अनिल है.
कुछ ही दिनों में मेरी और वाणी की सगाई थी, घर में सगाई की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही थी. आखिर वो दिन भी आ गया जो हर लड़की कि जिंदगी में जरुरी होता है, सगाई के दिन मैंने पहली बार गौरव को देखा, गौरव सच में पतला था. चूँकि लड़के वाले बहुत अमीर थे इसलिए वो चाहते थे कि शादी का पूरा खर्चा वो करें, उन्हें तो बस लड़की चाहिए थी, इसलिए उनकी तरफ से बहुत सी ज्वैलरी आई उन्होंने एक बहुत महंगी साड़ी
भी मेरे लिए भेजी.
सगाई किसी तरह अच्छे से निपट गई, सगाई की थकावट में पूरा शरीर टूट रहा था इसलिए मैं अपने कमरे मे गई और सिगरेट के कश का आनन्द लेने लगी.
तभी विक्की मेरे कमरे में आया और कमरे में घुसते ही दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और मुझसे बोला- कम से कम दरवाजा तो बंद कर लेती!
मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और सिगरेट का आनन्द लेती रही, कब विक्की ने मेरे पीछे आकर मेरी कमर में अपने हाथ डाल दिए मुझे पता नहीं लगा. विक्की ने थोड़ी पी रखी थी, मैंने उसे पीछे धकेला और कहा- तुमने वादा किया था कि हम सिर्फ भाई-बहन की तरह रहेंगे ना कि पति-पत्नी की तरह.
तभी बाहर से दरवाजा बजा, मैंने तुरंत सिगरेट बाहर फेंक दी.
बाहर अनिल खड़ा था, जैसे ही अनिल अंदर घुसा तो उसने विक्की से कहा- सिगरेट पीना अच्छी बात नहीं है.
विक्की कुछ नहीं बोला और अपनी गर्दन नीचे कर ली. मैं समझ गई कि अनिल बहुत शरीफ लड़का है, मैंने निश्चय कर लिया कि मैं उसके लायक बनने की कोशिश करुँगी. अनिल और उसके घरवाले सब काम निबटने के बाद वहाँ से चले गए.
अगले ही दिन विक्की पापा से कहीं घूमने जाने के लिए अनुमति मांग रहा था, मैं भी सगाई के कारण काफी थक गई और मैं भी कहीं घूमने जाना चाहती थी. मगर विक्की अपने दोस्तों के साथ जा रहा था तो मैंने सोचा मैं तो वहाँ बोर हो जाऊँगी इसलिए मैंने विक्की से नहीं पूछा.
मगर कुछ देर बाद विक्की खुद ही मुझसे पूछने मेरे कमरे में आया तो मेरे मन में भी लालसा जाग गई और मैंने हाँ बोल दिया.
पापा तो वैसे भी मेरे हाथों की चाभी बन चुके थे तो उन्होंने निस्सकोच हाँ कह दिया.
अगले दिन सुबह ही उन लोगों का घूमने जाने का प्लान था, मैंने उनसे यह तक नहीं पूछा था कि वे लोग घूमने कहाँ जा रहे हैं. सुबह-सुबह दो कारें हमारें घर के सामने रुकी, उसमें से विक्की के 8 दोस्त बाहर आये. मैंने उन लोगों को देख पूछा कि तुम्हारे ग्रुप की कोई लड़की नहीं जा रही?
तो विक्की बोला- हम तो लड़के-लड़के जा रहे थे. मुझे लगा तुम मना कर दोगी इसलिए किसी लड़की को नहीं बुलाया.
चूँकि मैंने जाने की पूरी तैयारी कर ली थी और मेरा घूमने का मन भी था तो मैंने प्लान कैंसल करना उचित नहीं समझा. इसके बाद पापा को बोल कर मैंने और विक्की ने हमारी कार निकली और मनाली चल दिए.
रास्ते में एक जगह पर हमने कार रोकी और हम सब बाहर आये तो मैंने विक्की के बाकी सारे दोस्तों को देखा, तब मुझे याद आया कि ये सब तो वही है जो मुझे देख कर फेयरवेल के दिन लार टपका रहे थे.
लेकिन मैंने उस बात को इग्नोर कर दिया. मुझे लगा हम मनाली में किसी होटल में रुकेंगे, मगर हमारी कार एक घर के सामने रुकी. विक्की बोला- यह हमारे एक दोस्त का घर है, हमें यहाँ कोई परेशानी नहीं होगी और हमारे होटल के पैसे भी बच जायेंगे जो हम कहीं और खर्च कर सकते हैं.
मुझे सुझाव अच्छा लगा, उस घर में चार कमरे थे. एक कमरा उन लोगो ने मुझे दे दिया और बाकी नौ जने बचे हुए तीन कमरों में एडजस्ट हो गए.
मैं सफर के कारण काफी थक गई थी इसलिए मैंने सबसे पहले स्नान किया और फ्रेश होकर बाहर आ गई. विक्की के 3 दोस्त वहीं बाहर बैठे थे.
मैं नहीं चाहती थी विक्की के दोस्त मुझसे अनजान रहे और मैं उनके लिए अजनबी, इसलिए मैंने खुद ही दोस्ती बढ़ाने की पहल की और खुद उनसे जाकर बात करने लगी. कुछ ही देर में मुझे ठण्ड लगने लगी और मैं ठिठुरने लगी तो विक्की के एक दोस्त कपिल ने मेरे सामने सिगरेट कर दी और बोला- ब्राण्डी तो खत्म हो गई है, तुम चाहो तो यह ट्राई कर सकती हो.
मैंने कहा- मैं स्मोक नहीं करती!
तो उसने कहा- माफ करना, ठण्ड ज्यादा थी इसलिए ब्राण्डी खत्म हो गई लेकिन सिगरेट ट्राई करने में कुछ बुरा नहीं है.
वो मुझे जोर देकर कहने लगा तो मैंने भी सिगरेट स्वीकार कर ली.
तभी अंदर से विक्की और उसके बाकी तीन दोस्त हँसते हुए बाहर आये और बोले- कपिल यार, तू शर्त जीत गया, तूने अर्चना को सिगरेट के लिए राजी कर ही लिया.
मैं समझ गई कि यहाँ क्या हो रहा था. इसके बाद मैं भी उनके गैंग का हिस्सा बन गई और मेरी उन सबसे अच्छी दोस्ती हो गई.
दो दिन कब गुजर गए पता ही नहीं चला, चूँकि हम वहाँ सात दिनों के लिए आये थे. तीसरे दिन शाम को हम सभी ट्रुथ और डेअर खेल रहे थे, जैसे ही सबसे पहले बोतल घुमाई तो वो मेरी तरफ रुकी, तो मैंने डेअर बोल दिया तो सबने मुझसे मॉडल की तरह चलने को बोला.
जब मैं वॉक कर रही थी मैंने देखा कि सबके लंड खड़े हो गए थे.
इसी तरह हम काफी देर तक खेलते रहे. एक बार जब बोतल विक्की की तरफ रुकी तो उसने ट्रुथ(सच) कह दिया.
तो कपिल ने कहा- कुछ ऐसा अपने बारे में बताओ जो हमें ना पता हो.
विक्की काफी देर तक सोचता रहा, फिर उसने जो बोला उसे सुनकर मैं दंग रह गई, उसने सबके सामने बोल दिया कि उसके मेरे साथ जिस्मानी सम्बन्ध रह चुके हैं.
शर्म के मारे मैं वहाँ बैठ नहीं पाई और उठकर वहाँ से चली आई.
अगली सुबह जब मैं उठी तो उन सबसे आखें नहीं मिला पा रही थी, मैं सीधा उस कमरे में गई जिसमे विक्की था. मेरे अंदर घुसते ही बाकी सब बाहर निकल गए, मैं बहुत गुस्से में थी, मैं कुछ बोलती उससे पहले ही विक्की बोला- मैंने बहुत पी ली थी और दिमाग काम नहीं कर रहा था, जो दिमाग में आया वही बोल दिया.
मैंने भी फिर कुछ नहीं बोला क्योंकि जो होना था वो हो चुका था और मैं वापिस अपने कमरे में आ गई.
मुझे अपने कमरे में बहुत ठण्ड लग रही थी तो मैंने विक्की के दूसरे दोस्त राजीव से ब्राण्डी मांगी तो उसने भी सिगरेट का पैकेट पकड़ा दिया और बोला- सॉरी, आज ब्राण्डी लाये ही नहीं! हम लोग भी सिगरेट से काम चला रहे हैं.
मैंने सिगरेट का पैकेट लिया और अपने कमरे माँ आकार सिगरेट फ़ूंकने लगी. उस पूरे दिन मैं अपने कमरे में रही, मैं चाहती थी कब ये छुट्टियाँ खत्म हों और मैं अपने घर जाऊँ.
उस दिन शाम को मुझे बहुत ठण्ड लग रही थी और सिगरेट भी खत्म हो चुकी थी. मैंने जाकर राजीव से ब्रांडी या सिगरेट मांगी तो वो बोला कि दोनों ही खत्म हैं.
चूँकि मैं पहली बार मनाली आई थी और वो भी ठण्ड में, तो मुझसे ठण्ड बर्दाश्त नहीं हो रही थी. मुझे लगा मैं तो इस ठण्ड में मर ही जाऊँगी तो मैंने सोचा मैं पहले भी विक्की से चुद चुकी हूँ, एक बार और चुद लूंगी तो क्या फ़र्क पड़ेगा, इसलिए मैं विक्की के कमरे की तरफ गई तो देखा विक्की सो रहा था,
मैंने विक्की को जगाने कीकोशिश कि मगर विक्की जगा नहीं. मैं वापिस अपने कमरे में आ गई लेकिन मेरे पास ठण्ड का कोई इलाज नहीं था. मैं समझ गई कि मुझे विक्की के किसी दोस्त से ही अपनी प्यास बुझानी पड़ेगी ताकि मेरी ठण्ड का इलाज हो जाए.
मैंने एक सेक्सी सी काले रंग की झीनी सी नाईटी पहनी जो बिल्कुल पारदर्शी थी, अब मेरी ठण्ड जा चुकी थी और मेरा पूरा ध्यान विक्की के दोस्तों को रिझाने का था. मैं विक्की के कमरे में गई जहाँ कोई नहीं था, ढूंढने पर मुझे एक सिगरेट मिल ही गई, मैंने दूसरे कमरे में घुसने से पहले ऊँची ऐड़ी की सेंडल पहनी और सिगरेट जलाई और बड़े ही कामुक अंदाज में दूसरे कमरे में प्रवेश किया. विक्की के दो दोस्त,
सुमित और अभिषेक उस कमरे में थे, मैंने कोई परवाह नहीं की और उनके कमरे में घुस गई.
सुमित उठा और उठकर कमरे का दरवाजा बंद कर दिया. जैसे ही उसने मेरी कमर पर हाथ लगाने की कोशिश की, मैंने उसके बाल पकड़े और धक्का दे दिया और खड़ी-खड़ी अपनी टांगों पर हाथ फिराने लगी. मेरी इन हरकतों को देखकर अभिषेक पागल हो उठा और अपना लौड़ा निकाल कर मुठ मारने लगा.
मैं उसके पास गई और उसका लौड़ा पकड़कर आगे-पीछे करने लगी. अभिषेक का शरीर पूरा गर्म हो चुका था और उसका झड़ने वाला था. वो मुझे हाथ लगाता, उससे पहले ही मैंने उसे रोक लिया और कहा- अब मेरी शादी होने वाली है, और यह मेरी आखिरी गैर मर्द से चुदाई है तो मैं चाहती हूँ कि तुम सभी आठ लोग मिलकर मुझे एक साथ चोदो और वो भी विक्की के सामने.
सुमित जाकर बाकी छ: को भी बुला लाया तो मैंने अपनी इच्छा के बारे में बताया. इसके बाद वो लोग विक्की को उठा लाये और लाकर कुर्सी से बाँध दिया.
कुर्सी से बांधने के बाद राजीव ने विक्की के ऊपर पानी फेंका जिससे उसकी आँखें खुल गई मगर कमरे का नजारा देखकर वो हैरान रह गया. उस वक्त मैं अभिषेक की बाहों में थी, वो चिल्लाता रहा मगर मैंने कहा- तुम्हारी वजह से इन लोगों को हमारे बारे में पता चला और अगर मैं इनके साथ सेक्स नहीं करुँगी तो ये सबको बता देंगे.
मुझसे यह सुनने के बाद विक्की चुप हो गया, वैसे भी वो कुछ बोल नहीं सकता था.
इसके बाद हमने अपना खेल शुरू किया. आज के दिन मैं उन सबकी मालकिन थी और वो लोग मेरे कुत्ते! वो मेरी हर बात मान रहे थे, मैंने दो लोगों को अपना एक-एक पाँव चाटने के लिए दो लोगों को अपना एक-एक हाथ चाटने के लिए दे दिया. वो लोग ऐसे चाट रहे थे जैसे कोई केंडी चाट रहे हों, कपिल अपना लंड निकाल कर मेरे कन्धों पर मार रहा था और राजीव मेरे होंठों को चूमने में लगा हुआ था.
बाकी बचे हुए दो लोग मेरा एक-एक चुच्चा मेरी नाईटी के ऊपर से ही दबा रहे थे. काफी देर तक जगह बदल-बदल कर वो मुझे चाटते रहे और मैं भी अपने आपको चटवाने का मजा लेती रही.
इसके बाद अभिषेक ने मेरी नाईटी उतारी और सभी ने मेरी ब्रा के ऊपर हमला बोल दिया मैंने उन्हें रोका और खुद ही अपनी ब्रा और पेंटी
उतार कर नंगी ही विक्की की तरफ बढ़ी. सभी अपना-अपना लंड हिलाकर मेरा इन्तजार कर रहे थे. मैंने जाकर विक्की का सर अपनी चूत में दबा दिया और चाटने को कहा.
विक्की भी सब कुछ भूल गया और मेरी चूत चाटने लगा तो मैंने भी विक्की को खोल दिया. उस वक्त उस कमरे में 9 लड़के थे और मैं एक अकेली लड़की.
विक्की ने भी अपने कपड़े उतार दिए और वो भी हाथ में लौड़ा लेकर मेरी चूत मारने के लिए तैयार हो गया. इतने लड़कों को देखकर एक बार के लिए तो मैं घबरा गई, लेकिन तभी दिमाग में एक और शरारत आई, मैंने उन सबको बताया- सेक्स मैं पहले भी कर चुकी हूँ इसलिए मैं चाहती हूँ कि तुम सब लड़के मिलकर मेरा रेप करो.
मेरी बात सुनकर सबके चेहरे पर एक कातिलाना हंसी आ गई. मैं भी एक बेचारी लड़की का अभिनय करने लगी और नंगी ही कमरे से भागने लगी, विक्की ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और पीठ के बल घसीटते हुए मुझे बिस्तर पर लाकर पटक दिया, इसके बाद अभिषेक ने अपना लंड मेरे मुंह में घुसा दिया, सुमित ने मेरे दोनों हाथ कस कर पकड़ लिए और राजीव ने मेरे दोनों पाँव, कपिल अपना लंड लाकर मेरी चूत पर रगड़ने लगा, बचे हुए छ:
लोग मेरी चूत मारने के लिए लड़ाई करने लगे, मैं भागने के लिए झटपटा रही थी.
राजन ने सबसे पहले अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया फिर भी मैं बेचारी लड़की की तरह छटपटाई और भागने की कोशिश करने लगी.
राजन और योगेश दोनों ने अपना लंड एक साथ मेरी चूत में घुसा दिया एक साथ दो लौड़े अपनी चूत में महसूस कर मेरी आह निकल गई. मैंने अभिषेक से हटने के लिए कहा मगर वो भी मेरी सुनने को तैयार नहीं था. सभी बारी बारी से मेरी चूत में अपना लंड घुसा रहे थे
और जब कोई झड़ने को होता तो मेरे मुंह में अपना लेस झाड़ देते और तब तक मेरे मुंह में अपना लौड़ा रखते जब तक कि दुबारा खड़ा ना हो जाये.
इसके बाद उन सभी ने मुझे उठाया और टिंकू निचे लेट गया और नीचे से ही मेरी गांड में अपना लंड डाल दिया. इसके बाद सबने अपनी अपनी जगह ले ली मेरे दोनों हाथों में दो-दो लौड़े थे, एक गांड में, एक मुंह में, दो चूत में और एक अपना पानी मेरे मुंह पर झाड़ रहा था.
काफी देर तक जगह बदल-बदल कर वो मुझे चोदते रहे.
थोड़ी देर में मुझे लगा कोई मेरी चूत में कुछ मोटा सा कुछ घुसा रहा है, मैं देखती इससे पहले ही उन्होंने मेरी चूत में एक घिया और गाण्ड में एक मूली एक साथ घुसा दी, मेरी चूत पूरी खुली हो चुकी थी और मुझ में अब संघर्ष की ताकत नहीं बची थी. वो एक-एक करके कभी घिया कभी तोरई तो कभी डंडा तो कभी लंड घुसा रहे थे. इस तरह उन लोगों से सब कुछ मेरी चूत और गांड में घुसा कर देख लिया.
मेरे साथ उन लोगों ने कई राउंड लिए और मुझे तरह-तरह से रौंदा, मेरी चूत का उन्होंने मिलकर पूरा भौसड़ा बना दिया, अब मैं खड़ी होने लायक हालत में नहीं थी. उन सबने मिलकर मुझे उठाया और बाथरूम में ले जाकर मुझे नहलाया और वहाँ भी मुझे काफी रगड़ा और मेरी हालत पर बिल्कुल भी रहम नहीं खाया और वहाँ भी कई बार मुझे चोदा.
इसके बाद हम सब जाकर सो गए, अगले दिन सुबह मेरी आँख सुबह 11 बजे खुली. जब मैं उठी तो उन्होंने सबके लिए खाने का आर्डर दिया और उसके बाद हम सभी ने खाना खाया.
इसके बाद वो बचे हुए तीन दिनों तक मुझे चोदते रहे और वो भी पूरी बेरहमी के साथ.
जब हम वापिस आ रहे थे तो मैं उन सबसे कहा- ये हम सबने एक साथ आखिरी बार सेक्स किया था. अब मेरी शादी होने वाली है इसलिए आज के बाद हम मिल सकते हैं लेकिन एक-दूसरे के साथ सेक्स नहीं करेंगे.
इस पर वो मान गए.
करीब 3 महीने बाद मेरी और वाणी की शादी हो गई, अपने साथ ग्रुप सेक्स की बात मैंने वाणी को भी नहीं बताई. विक्की और उसके दोस्तों ने मुझे अपनी बहन की तरह विदा किया और उसके बाद आज तक उन्होंने मुझसे सेक्स की बात तक नहीं की
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