Thursday, November 20, 2014

Fentency शादी का हंगामा--3

Fentency

 शादी का हंगामा--3
 
मैं उसकी चूत को सहला बोली, “और जब तेरा मॅन करे तू इस चूत को मेरे घर आ अपने जीजा के लंड से चुद्वा अपना तस्ते भी बदल सकती है.”
फिर नीलेश का लंड पाकर बोली, “नीलेश इसको स्टोरी सुनाने मैं चुदाई का मज़ा नही आया आप फिर चोदओ.”
“अरे दीदी एक बात तू बताओ. फिर अगले दिन क्यत उम् भी नीलेश के साथ राजेश के घर गयी थी”
“अरे कहां जा पायी हाँ रात मैं नीलेश गए थे. वह नीलेश ने राजेश के साथ मिलकर रात भर बेचारी उर्मिला को जमकर चोदअ.
दोनो ने उसकी चूत चोदई और गांड मरी. बेचारी अगले दिन मुझसे फ़ोन पर कह रही थी की Priyanka अब कभी अकेले अपने नीलेश को नही भेजना. दोनो ने मिलकर मेरी चूत को फाड़ कर रख दीया है.”
“दीदी फिर आपने राजेश से कब चुद्वाया?”
“अगले दिन नीलेश राजेश को घर पर लाए और मेरे रूम मैं कर दीया. वहाँ हम डॉन वन ३ घंटे तक चुदाई का मज़ा लिया और नीलेश ने बहार पहरा दीया. विनीता अपने नीलेश जैसा Cousin कोई नही होगा. हम्दोनो बहनों का कितना ख्याल रखते हैं.”
“ओह्ह नीलेश अब दीदी की स्टोरी सुन मैं बहुत गरम हो गयी हूँ. प्लेस अब दीदी को बाद मैंचोदना पहले एक बार मेरी झाड़ दो.”
“चल लेट मैं तेरी नीलेश से चात्वाकर झारवा देती हूँ.”
“ओह्ह दीदी केवल चात्वाना ही नही चुद्वा भी देना, हाय आपकी स्टोरी सुन बड़ा मन कर रह है नीलेश के लंड का पनि चूत के अन्दर लेने का.”
“ठीक है आओ नीलेश जब तक इसकी लो तब मैं ज़रा मूत कर आती हूँ.”
फिर मैं बाथरूम गयी और छार्र छाराकर मूता और अपनी मूत से भीगी चूत ले वापस आयी तू नीलेश विनीता की चूत को चाट रहे थे. मैं आयी तू नीलेश ने पूछा, “Priyanka मूत लिया.”
“हाँ नीलेश.”
“धोया तू नही मूतने के बाद?”
“नही नीलेश आपने मन किया था ना की मूतने के बाद धोना नही.”
“तू ला ज़रा तेरी चूत का मूत चाट लूं.”
फिर नीलेश ने मेरी चूत को ७-८ बार छठा. उसके बाद नीलेश को एक चिर पर बिठा खुद उनके मुँह पर अपनी चूत रख नीलेश से चात्वाते कहा, “विनीता तू खुद नीलेश के ऊपर आ अपनी चुद्वा ले तू फिर मैं नीलेश का अपने अन्दर लेकर अब सोना चाहती हूँ. रात बहुत हो रही है ३ बज रहे हैं.”
उसके बाद विनीता ने १५ मिनट नीलेश से चुद्वाया और झारकर अलग हूई तू मैं बेद पर लेटी और नीलेश ने मेरी चूत मैं लंड डाला और मुझसे चिपककर सो गए. विनीता भी हम्दोनो के ऊपर लेट गयी.
अगले दिन सुबह सोकर उठे और फ्रेश हुवे. सुन्दय का दिन था ममी पापा घर ही थे. करीब ११ बजे नीलेश ने ममी से कहा की वह अपने एक दोस्त के घर जा रहे हैं और शाम को ६-०७ बजे तक आएंगे.
उनकी बात सुन मैं बोली, “नीलेश आप किधर जाओगे?”
नीलेश ने बताया तू मैं बोली, “नीलेश उधर ही मेरी सहेली भी रहती है, आप मुझे लिए चलिये और जब शाम को वापस आयें तू मुझे भी लेते आना. ममी चली जाऊं कई दिन से गयी नही हूँ.”
“ठीक है बेटी चली जा. विनीता को भी लेटी जाओ इसका मॅन भी बहल जाएगा वर्ना पूरा दिन घर पर बोअर होगी.”
हमारी प्लानिंग सफल रही. हम तीनो राजेश के घर पहुंचे. वहाँ उर्मिला ने दरवाज़ा खोला और हमको देखकर बहुत खुश हूई पर विनीता को देख वह हिचकी. नीलेश ने राजेश के बारे मैं पूछा तू उसने बताया की बहार गए हैं. फिर वह हमे अपने रूम मैं ले गयी.
नीलेश सोफा पर बैठे तू हम दोनो नीलेश के दोनो ऊर बैठ गए. तभी नीलेश ने उर्मिला को पकरकर अपनी गोद मैं खींच लिया. वह विनीता को देख सिकुड़ने लगी तू नीलेश ने कहा, “अरे मेरी जान यह तेरी होनेवाली भाभी विनीता है. आज तेरे Cousin को यही सम्हालेगी.
देखना यह साली कितनी मस्त”
नीलेश की बात सुन खुश होती विनीता के पास जा विनीता के गाल पर हाथ फेर बोली, “ओह्ह मेरी प्यारी भाभी, हाय अभी नीलेश को बुलाती हूँ.”
फिर उसने राजेश के मोबाइल पर फ़ोन कर उसे बताने लगी, “नीलेश आप कहां हो जल्दी आओ नह आये नीलेश आपकी होने वाली बीवी आपकी राह देख रही हैं.”
विनीता उसकी बात सुन शर्म गयी. फिर वह फ़ोन रख विनीता के पास गयी और उससे बोली, “भाभी आप बहुत खूबसूरत हैं.”
तब विनीता उससे बोली, “उर्मिला अभी मुझे भाभी ना कहो मुझे शरम आती है.”
“अरे शर्माने की क्या बात, आप मेरी भाभी बनोगी ही. अभी नीलेश अजये तू आपको चोदकर वह तुमको मेरी भाभी बाना देंगे. एक बार नीलेश से चुद जाओ फिर तू भाभी बन ही जोगी.”
हम सब उसकी बात पर हँसे. नीलेश ने उर्मिला को खींचकर अपने पास बिठाया और विनीता के हूंत चूमकर बोले, “विनीता अभी राजेश आता होगा. आज तू उससे चुद्वाकर उसका लंड भी देखले और अपना तस्ते भी बदल ले. रोज़ रोज़ मुझसे चुद्वाती है. आ ज़रा तेरी चूत चाट लूं.”
उर्मिला फौरन बोली, “नही नही. इसकी तू अब नीलेश ही चोदएंगे और चातेंगे. अखिर उनकी होने वाली बीवी है. आज तू उनको ही इसके साथ सब करने दो. आप तू आज बस मुझे ही चोदइये. हाय बहुत दिन हुवे आपका लंड खाए. आज ख़ूब चूसुंगी इस मस्ताने लंड को.”
मैं उनकी बात सुन बोली, “ओह्ह नीलेश विनीता तू राजेश से चुद्वायेगी और आप उर्मिला की लोगे तू फिर मेरी कौन लेगा. मैं क्या अपनी चूत मैं आपके होते हुवे भी ऊँगली दलूँगी?”
“अरे नही मेरी प्यारी बहना. तेरा Cousin है ना तेरी लेने के लिए. घबरा मत तेरी मस्त जवानी चखकर ही तू तेरा Cousin चोदना सीखा है, भला तेरा Cousinचोद Cousin तुझे नही चोदएगा. मैं तुम दोनो को बरी बरी चोदउन्गा. आजो दोनो.”
मैं फौरन नीलेश की गोद मैं कूदी. उर्मिला भी नीलेश से चिपक गयी. विनीता बेचारी अपने चोदउ का इंतज़ार करने लगी. नीलेश मेरे कप्रे उतारने लगे तू उर्मिला ने नीलेश को नंगा किया. फिर मैंने उर्मिला को नंगा कर दीया और हम तीनो नंगे होकर बेद पर चले गए.
तभी बहार दूर बेल बजी. उर्मिला के पूछने पर राजेश की आवाज़ आयी तू मैंने विनीता से कहा जा दरवाज़ा खोल आ. वह बेचारी शर्माती सी गयी. फिर मैं नीलेश के लंड को पाकर मुँह मैं ले चूसने लगी. उर्मिला ने भी मेरे साथ नीलेश के बल्ल्स मुँह मैं ले लिए.
हम दोनो नीलेश के लंड से खेल रहे थे.
तभी राजेश विनीता को गोद मैं उठाये रूम मैं आया. विनीता उसके गले मैं हाथ डाले आँखें बंद किये शर्म रही थी. हम सब उनको देखने लगे. वह विनीता को लिए हमारे पास बेद पर आया और उसे बेद पर लिटा बोला, “हाय मेरी रानी कितनी खूबसूरत है. यार नीलेश तू अपनी इन दोनो मस्तानियों को उधर सोफा पर ले जा यार. आज मैं विनीता की जमकर लूँगा. हाय आज तू इसके साथ सुहागरात माननी है. हाय एक महिने से अपनी Cousin की ले रह था. आज लंड को नया माल मिलेगा. हाय उर्मिला जा तू अपने यार के साथ तू मैं तेरी भाभी के साथ सुहागरात मन लूं.”
“नीलेश तुम ख़ूब जी भरके मनाओ सुहागरात और चोदलो मेरी भाभी को. मैं भी अपने रजा से चुद्वा लूं.”
मैं राजेश से बोली, “रजा ख़ूब मज़ा लो अपनी रानी से पर यार ज़रा अपनी इस साली को और अपनी Cousin की ननद मत भूल जाना.”
“नही मेरी जान तुझको भूल नही सकता आज भी तुमको एक बार चोदउंगा ज़रुर, तेरे साथ तू कई रिश्ते हैं.”
“हाय कौन कौन से रिश्ते मानते हो मेरे साथ.”
“अरे Priyanka रानी पहला रिश्ता तू यह कित उ मेरे दोस्त की Cousin है, दूसरा कित उ मेरी Cousin की नानंद है और तीसरा यह कित उ मेरी साली है.”
“अच यह तू बताओ जब मुझे चोदते हो तू कौन सा रिश्ता मॅन मैं सोचते हो?” मैंने हस्नते हुवे उसके लंड को हिलाया.
वह मेरी चूचियों को पाकर कसकर मसलते बोला, “अरे सोचा तू हमेशा यही की यह मेरे दोस्त की मस्त जवान Cousin है.”
नीलेश दोनो की बात सुन बोले, “यार राजेश तू सच कहता है. चोदने का असली मज़ा तभी आता है जब तू जिसको भी चोदए उसे अपनी Cousin समझ या अपने दोस्त की.”
फिर नीलेश हम दोनो का हाथ पाकर सोफे पर लाए और मुझे सोफे पर बिठाया और खुद मेरे बीच आये और मेरी चूत पर झुके और फिर मेरे मन पसंद मज़े को मुझे देने लगे. वह मेरी चूत को फैलाकर चाट रहे थे. उर्मिला अब नीलेश के निचे गयी और उनके लंड को मुँह मैं ले लिया और ज़ोर से चूसने लगी. मैंने नीलेश के हाथ अपनी चूचियों पर रखे तू वह दोनो को दबा दबा चाटने लगे.
उधर विनीता पूरी नंगी हो चुकी थी और वह राजेश को नंगा कर रही थी. फिर राजेश का लंड पाकर उसपर अपनी जीभ ऊपर से निचे तक चलाने लगी. राजेश उसको अपना लंड चाटते हुवे बहुत खुश लग रह था. वह बार बार लंड को झटके दे रह था. तभी उसने मेरी ऊर देखा और मुझे अपनी ऊर देखता प वह मुस्कायी तू मैंने उसे मुँह मैं लेने का इशारा किया. वह भी इशारे मैं मुझे बोली की ले रही हूँ.
इधर उर्मिला ने नीलेश के
लंड को छोड़ा और ऊपर मेरे पास आ मेरी चूसियों से खेलने लगी. वह एक को मुँह से चुस्ती दूसरी को मसलने लगी. वह मेरे ऊपर लेती थी जिससे उसकी चूत भी मेरी छूट के ऊपर आ गयी थी. अब नीलेश हम दोनो कि छूट साथ साथ चाट राहे थे. मैने उर्मिला की चूचियों को पाकर और दबाते हुवे विनीता को देखने लगी. अब वह पूरा मुँह के अन्दर लेकर चूस रही थी. राजेश का लंड उसके थूक से भीगा बहुत चमक रह था.
तभी मैने उर्मिला को अपने पास किया और उसके हूंत चूम उससे बोली, “उर्मिला ज़रा उधर भी देख तेरे नीलेश कैसे मेरी छोटी कोउसिं को अपना ल्डं चूसा राहे हैं.”
वह अपने कोउसिं की ऊर देख बोली, “हाँ प्रियंका मेरा Cousinचोद कोउसिं साल दो महिने मैं ही बहुत अच्छी चुदाई करमा सीख गया है. यार तुने ही उसे इतनी अच्छी चुदाई करमा सिखा दिया है.”
“अरे पहले मुझे भी कहॉ आता था चुद्वाना, नीलेश ने जब पहली बार मेरी लिट ही तू मैं तू अपनी चूत चात्वाना भी नही जानती थी.
नीलेश ने मुझे एक महिने की ट्रैनिन्ग दी थी.”
“अरे क्या किया था training मैं?”
“नीलेश ने पहले ५ दिन मेरी चूत चाटकर मुझे चूत चात्वाना सिखाया. फिर अगले ५ दिन ल्डं चूसना सिखाया. फिर ५ दिन चूचियों का मज़ा लेना सिखाया और १० दिन चुद्वाना सिखाया. तभी तू नीलेश इतनी मस्त चुदाई करते हैं की क्या बातों.”
“पर यार प्रियंका यह तू केवल २५ दिन हुवे. बाकी ५ दिन क्या कुछ नही बताया?”
“अरे बताया ना ३ दिन नीलेश ने मुझे गांड मरवाना सिखाया और दो दिन नीलेश ने अपने सामने नंगे होकर डान्स करमा सिखाया. जानती हो नीलेश रोज़ रात हम दोनो का डान्स देखते हैं.”
“हाय मुझे भी सिख्वा दो डांस करमा.”
“अरे भाभी तू मेरे नीलेश से सब सीख जायेगी.”
फिर वह मेरे ऊपर से हटी और नीलेश को ऊपर सोफे पर बिठाया और उनका ल्डं पाकर चूमती बोली, “नीलेश यह तू बताओ की तुमने इतनी अच्छी चुदाई किस्से सीखी?”
“अरे यार मैने तू ब्लू फिल्म देखकर और ४-५ लड़कियों को चोदकर सीखा था. फिर जब से प्रियंका को चोदअ तब से सब कुछ सीख गया?”
“आह अच्छा आपने अपनी दोनो बहनो के अलावा और किसे चोदअ?”
“अरे ४-५ बाहरी लड़कियों को चोदने के बाद जब अपनी Cousin को चोदकर Cousinचोद बाना तब से तू कोई बहार की चोदने का मॅन ही नही कर्ता. बस अपनी मौसी को ही चोदअ था. अब तुम हो जो मुझे अपनी कोउसिनों के बाद अच्छी लगी हो.”
वह नीलेश की बात सुन खुश हो गयी और बोली, “रजा अब एक बार मेरी चोदकर पनि निकल दो फिर आज मुझे अपनी Cousinचोद बन्ने की कहानी बताना.”
“आजा मेरी जान तेरा पनि निकल दो अपना ल्डं डालकर.”
तब नीलेश ने उसे सोफे पर लिटाया तू मैने नीलेश का ल्डं पाकर उसकी चूत पर लगाया और फिर मैं नीलेश के ऊपर लेट गयी. इस तरह नीलेश हम दोनो के बीच दब गए. मेरे ऊपर लड़ने से नीलेश का ल्डं उर्मिला की चूत मैं घुस गया. मेरे ऊपर होने से नीलेश को ल्डं अन्दर बहार करने मैं बहुत ताकत लग रही थी. उर्मिला मज़े से भर गयी थी. मैं उसकी चूचियों को भी दबा रही थी. वह मुझे देख मुस्करा रही थी. मैं भी उसे देख मुस्करा अपनी चूचियों को नीलेश की पीठ से दबा रही थी.
उधर विनीता ने राजेश का ल्डं चाटकर अपने चहरे पर ही झाड़ लिया था. मैने देखा की वह अपने चहरे पर गिरे राजेश के ल्डं के पनि को हाथ से साफ कर रही है तू मैं उसके पास गयी और बोली, “अरे विनीता पगली इसे तुने अपने मुँह मैं क्यों नही झादा. देख इनका पनि कितना तस्त्य है.”
फिर मैं उसके मुँह को चाटने लगी तू वह मेरे हूंत चूम बोली, “प्रियंका दीदी नीलेश के दोस्त बहुत अछे हैं.”
“पगली अब यह सिर्फ नीलेश के दोस्त नही बल्कि तेरे पति भी हैं. शादी तू बाद मैं होगी परतु इनके साथ शादी का मज़ा अभी से ले ले. अब तू इनके साथ मज़ा ले. नीलेश तू उर्मिला की चोद राहे हैं, मैं भी नीलेश का ही लूंगी. तू आज राजेश को तू छोरेगी नही.”
“नही दीदी आज तू राजेश जी सिर्फ मुझे ही चोदएंगे. तुम नीलेश से चुद्वाओ.”
फिर मैं उन्दोनो को छोर नीलेश के पास आयी और नीलेश के मुँह पर अपनी चूत रख चात्वाते उर्मिला से बोली, “उर्मिला देख तेरे नीलेश कैसे मेरी छोटी Cousin की चाट रह है.”
“हाँ प्रियंका नीलेश को चूत चाटने मैं बहुत मज़ा आता है.
वह मेरी भी खोइओब चाटकर ही चोदते हैं. नीलेश की जीभ चूत मैं ल्ल्ल्की तरह चलती है. मेरा तू मॅन कर्ता है हर समय नीलेश से चात्वती रहूँ.”
“तू तुम चत्वा लिया करो ना अपने नीलेश से.”
“अरे यार चात्वती तू हूँ. मुम्म्य पापा तू बहार ही रहते हैं. इसलिये नीलेश दिन भर घर पर मुझे नंगी रखते हैं और मेरी चूचियों को मसल मसल ख़ूब चाटते हैं.”
“घर पर ही अपने Cousin से मज़ा लेने की बात ही कुछ और है.” मैने नीलेश की जीभ चूत के अन्दर लेते कहा.
वह अपनी गांड उछल चूत को नीलेश के ल्डं पर दबाती हांफती बोली, “तू सच कहती है. मैं दिन रात सोचा करती थी कोई मुझे भी चोदकर मज़ा दे पर बहार के लड़को से डरती थी की बदनामी होगी. अब तुमने मेरा चक्कर नीलेश से चल्वाकर मेरा काम बाना दिया है. जानती हो नीलेश भी बहुत खुश हैं. वह मुझसे कह राहे थे की मेरे जैसी खूबसूरत और जवान Cousin को चोदकर वह बहुत खुश हैं. जानती हो प्रियंका मैं जब नीलेश को नीलेश या राजेश के नाम से बुलाती हूँ तू वह कहते हैं की मुझे नीलेश नही बल्कि Cousinचोद कहा करो. मैं उनको अब घर मैं Cousinचोद के नाम से ही बुलाती हूँ.”
“अच्छा कैसे?”
“ऐसे की आओ बहिनचोद खाना खा लो या
बहिनचोद सुबह हो गयी है उठना नही है क्या. जानती हो वह मुझे क्या कहते?”
“क्या?”
“जब मैं उनको Cousinचोद कहती हूँ तू वह मुझसे कहते हैं की अरे साली उठ रह हूँ ना, अरे रंडी Cousin की रखैल अभी time ही क्या हुवा है.”
“हाय तुमलोग तू पूरा मज़ा ले राहे हो. चुदाई का मज़ा तभी आता है जब खुलकर बोलो और चोदओ. यार हमारे घर पर तू मुम्म्य रहती हैं इसलिये रात मैं ही चुदाई होती हमारी.”
तभी नीलेश ने मुझे अपने मुँह से हटाया और फिर उर्मिला को निचे लिटाया और ७-८ बार कसकर ढके लगाए तू मैने पूछा, “क्या नीलेश निकलनेवाला है क्या?”
“हाँ प्रियंका मेरी Cousin तेरा Cousin अब झड़ने वाला है.”
“ओह्ह नीलेश इसकी चूत भर दो अपने पनि से.”
“तू पीयेगी नही?”
“नीलेश तुम इसकी चूत मैं पनि भार्दो मैं इसकी चूत से चाट लूंगी.”
फिर नीलेश ने उर्मिला को कसकर जकड लिया और झड़ने लगे. उम भी झाड़ रही थी और वह हांफ रही थी. २-३ मिनट तक नीलेश उसकी चूत मैं ही झाड़ते राहे फिर ल्डं बहार किया तू उर्मिला ने उसे अपने मुँह मैं लेकर चाट कर साफ किया. ल्डं ढीला कर नीलेश लेट गए तू मैं भी उनकी बगल लेट उर्मिला को अपने ऊपर आने का इशारा किया. वह उठी और अपनी चूत को मेरे मुँह पर रख घोड़ी बनी तू उसकी चूत से नीलेश के ल्डं का पनि निकल कर मेरे मुँह पर गिरने लगा. मैने मुँह खोल दिया और पनि मेरे मुँह मैं गिरा जिसे मैने चाट लिया फीर उसकी चूत को चाटने लगी.
कुछ देर तक चात्वाने के बाद वह नीलेश के ऊपर लेट गयी तू नीलेश ने उसे कास कर भींच लिया. तभी मेरी नज़र विनीता पर पडी. वह राजेश के ऊपर लेती उसके ल्डं को अपनी चूत मैं लिए थी. मैने नीलेश को इशारे से दिखाया तू नीलेश ने दोनो को देखा फीर मुस्कराते हुवे बोले, “यार राजेश कैसी लगी मेरी छोटी Cousin?”
“यार तुम्हारी दोनो बहने मस्त मॉल है. हाय विनीता की बहुत प्यारी है. यार चाटकर मज़ा आ गया.”
मैने विनीता से कहा, “विनीता तुमको नीलेश का दोस्त कैसा लगा?”
“दीदी सच नीलेश के दोस्त भी नीलेश की तरह मस्त हैं. बहुत अच्छी तरह से चाता था और चोद भी बहुत अच्छा रहें हैं.”
“चोदएंगे कैसे नही, इतने दिनों से अपनी Cousin को चोदकर प्रक्टिस कर राहे थे.”
फीर मैं नीलेश से बोली, “नीलेश मेरी भी चोदलो एक बार फीर उर्मिला को ही खिलाना अपना ल्डं.”
तब नीलेश ने मुझे कसकर चोदअ और फीर एक बार उर्मिला को और चोदअ. तब तक विनीता तीन बार राजेश से चुद चुकी थी. नीलेश हम्दोनो को चोदकर एकदम ठण्डा करने के बाद विनीता के पास गए और उसकी चूचियों को पाकर सहलाते बोले, “विनीता मज़ा आया मेरे दोस्त से चुदवाने मैं?”
“बहुत हाय नीलेश आपके दोस्त का ल्डं बहुत जबर्दस्त है. मज़ा आ गया.”
“और मज़ा लेना हो तू ले लो फीर घर चलत है मुम्म्य वेट कर रही होंगी.”
“ठेक है नीलेश चलिये अब फीर कभी, आज बहुत मज़ा लिया.”
उसके बाद हम दोनो नीलेश के साथ वापस आ गए.
घर पर आ नीलेश अपने काम निप्ताये. फीर रात को हम दोनो को अपने रूम मैं बुलाया. विनीता आते ही नीलेश की गोद मैं गयी और उनके ल्डं को पाकर लिया. नीलेश ने उसकी चूसियां को पाकर और दबाते हुवे पूछा, “बहुत खुश लग रही है तू.”
“हाँ नीलेश आज मुझे चुदवाने मैं बहुत मज़ा आया.”
“क्यों क्या हुवा था?”
“नीलेश रोज़ आपसे चुद्वाती हूँ तू सच बहुत मज़ा आता है. पर नीलेश आज अपने Cousin के सामने उसके दोस्त से चुदवाने का मज़ा ही कुछ और था.”
“इसका मतलब विनीता तुझे मेरे साथ चुदवाने मैं मज़ा नही आता?”
“ओह्ह नीलेश यह बात नही, हाय आप तू बुरा मान गए. आप तू मेरा पहला प्यार हैं नीलेश. मेरा कहने का मतलब यह है की किसी दुसरे लड़के से चुदवाने मैं भी बहुत मज़ा आया.”
मैं दोनो की बात सुनकर बोली, “ओह्ह नीलेश बेचारी अपने पति से चुद्वाकर आ रही है ना इसलिये बहुत खुश है. शायद इसीलिये उल्टा सीधा बोल रही है.”
इस पर हम सब हंसने लगे. फीर नीलेश ने हम्दोनो को ज्जमकर चोदअ और चिपककर सो गए.
मेरी शादी क ईक दिन पहले घर पर बहुत मेहमान आ गए थे. मैं अपने रूम मैं ऊपर थे. सब लोग निचे थे. रात को सब सोने लगे.
मैं अपने रूम मैं विनीता के साथ थी. वह मेरे हाथो मैं मेहंदी लगा रही थी. दोनो हाथों मैं मेहंदी लग गयी तू मैं धीरे से लेट गयी. करीब ११ बजे नीलेश आये और हमारे पास बैठ बोले, “प्रियंका कल तेरी शादी है. कल तू अपनी ससुराल चली जायेगी.”
“ओह नीलेश उदास ना हो. ससुराल से आया भी तू करुँगी. जब भी मौका मिल आ जाया करुँगी. मेरा वहाँ आपके बिना मॅन भी तू नही लगेगा.”
“हाँ दीदी जल्दी जल्दी आया करमा.” विनीता बोली.
“औंगी विनीता. नीलेश विनीता तू है ना आपका ख्याल रखने के लिए.”
“हाँ पर तू नही होगी तू मेरा दिल नही लगेगा.”
“ओह्ह नीलेश मैं भी अपने नीलेश के बिना नही रह पाऊँगी पर क्या करें. नीलेश आओ आज मुझे और चोद लो फीर तू कल मैं ससुराल चली जाउंगी. विनीता तू नीलेश की हेल्प करमा मेरे हाथो मैं तू मेहंदी लगी है.”
“ठीक है दीदी.”
“चल पहले नीलेश के कप्रे उतार फीर मेरी मक्षि खोल दे.”
आज मैं मक्षि पहने थी जो आगे से खुलती थी. इसे बिना उतारे ही मैं पूरी नंगी हो जति थी. विनीता ने नीलेश को नंगा कर मेरी मक्षि खोल दी. फीर मेरे कहने पर नीलेश के ल्डं को पाकर मेरे मुँह मैं दे दिया जिसे मैं चूसने लगी. मुझे आज नीलेश का ल्डं बहुत प्यारा लग रह था. आज नीलेश के ल्डं मैं नया जोश लग रह था. कुछ देर बाद मैने विनीता से कहा, “विनीता तू मेरी चूत अपने हाथ से फैलाकर नीलेश से चत्वा दो फीर चुद्वा भी देना.”
उसने मेरी चूत के फांक खोलें तू नीलेश ने अपनी जीभ अन्दर तक पेल दी. मैं गांड उठा उठा चात्वाते बोली, “नीलेश.”
“हाँ प्रियंका.”
“नीलेश अपने दोस्त को बुला लो ना. आज तू शादी का हंगामा है. उसे काम के कोउसिने बुलाकर मुझे उससे भी चुद्वा दो फीर पता नही कब मौका मिले. आपके अलावा आपके उसी दोस्त का ल्डं ही खाया है मैने.”
और पैरों से नीलेश के सर को अपनी चूत पर दबाया.
“ठीक है प्रियंका. विनीता चल राजेश को फ़ोन करके बुलाले.”
फीर विनीता ने फ़ोन किया वह आने को तैयार हो गया. नीलेश मेरी चूत को अब अपनी जीभ से चपड राहे थे. जीभ पेल पलकर नीलेश ने ५ मिनट मैं ही मेरी झाड़ दी. तभी बहार से किसी ने राजेश के आने का बताया तू नीलेश जल्दी से कप्रे पहन उसे अपने रूम मैं ले गए.
फीर कुछ देर बाद मैं भी वहाँ पहुंची. वह मुझे इस तरह देख बहुत खुश हुवा. वह मेरे पास आ मुझे चूम बोला, “यार नीलेश तेरी Cousin तू दुल्हन बन गयी. मज़ा आएगा आज इसको चोदकर.”
“हाँ यार तू इमेरी Cousin के साथ सुहागरात मन ले. मैं भी इसकी कल ज़रूर चोदउन्गा जब यह दुल्हन वाले कप्रे पहनेगी.”
“नीलेश जब चाहे तब चोदना आप पर अभी मुझे अपने दोस्त से चुदवाने दीजिए.” फीर मैं बेद पर लेट बोली, “ओह्ह राजेश आप इधर आइये ना. मेरे हाथो मैं मेहंदी लगी है इसलिये मैं कुछ करुँगी नही. आप मुझे चाटकर चोदइये. ह्ह्हाछ ख़ूब जमकर चोदना आज. नीलेश आज कुछ नही करेंगे.”
“क्यों मैं क्या ऐसे ही रहूँ.”
“हाँ नीलेश आप देखिए आपका दोस्त आपकी Cousin को उसकी शादी वाली रत कैसे चोदता है. आप तू मुझे रोज़ चोदते ही हैं. आज अपने दोस्त को चोद लेने दीजिए.”
“ठीक है प्रियंका चुद्वा मेरे दोस्त से. मैं तेरी कल चोद लूँगा.”
फीर राजेश ने मेरी साड़ी अलग की और ब्लौसे भी उतार दिया. थोरी देर पहले नीलेश के साथ थी isliye bra panty नही पहनी थी. जब मैं नंगी हो गयी तू वह भी नंगा हो गया और मेरी चूत पर झुक गया. अब वह मेरी चूत को चाट रह था और हाथ से चूचियों को भी दबा मज़ा ले रह था. नीलेश वही एक चिर पर बैठे हमको देख राहे थे.
तभी वह बोले, “यार जल्दी से चोद ले मेरी Cousin को. आज कोई भी आ सकता है.”
फीर नीलेश के दोस्त ने मुझे कसकर चोदअ और फीर नीलेश ने उसे चुपके से बहार कर दिया. उसके बाद मैं अपने रूम मैं आ गयी.
विनीता मेरा इंतज़ार कर रही थी. पास गयी तू पूछा की चुद्वा लिया तू मैने कहॉ हाँ. फीर हमलोग सो गए.


















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Fentency शादी का हंगामा--2

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 शादी का हंगामा--2


 तब नीलेश ने दो तीन तेज़ धक्के उसके मुँह पर मरे और फीर झरने लगा. Urmila लंड के पनि को मुँह मैं लेटी रही और फीर जब नीलेश ने लंड उसके मुँह से बहार निकला तू वह बहुत खुश नज़र आ रही थी.
नीलेश मेरी बगल मैं मुझसे सैट कर बैठे और Urmila को अपनी गोद मैं भिथा मेरी चुद्ती चूत को देख फीर अपने दोस्त से बोले, “हाँ अब तू सही चोदा रह है. चोदा साली को जितना चोदा सके.” और फीर नीलेश Urmila से बात करने लगे.
उन्दोनो की बात मुझे साफ सुनायी दे रही थी. नीलेश ने Urmila को दोनो चूचियों को सहलाते हुवे धीरे से उससे पूछा, “यार तुम्हे मज़ा आया ना.”
“हाँ रजा बहुत मज़ा आया. बहुत दिनों से चुदवाने को सोच रही थी पर दर लगता था, आज तू घर मैं ही आर्जो पूरी हो गयी.”
फीर नीलेश ने उसे अपने मुँह पर बिठाया और उसकी चूत चाटने लगे. इधर राजेश ने स्पीड तेज़ कर दी थी और मैं समझ गयी की अब वह झरने वाला है. मैं निचे से अपनी गांड उछल उछल हाय हाय करती उससे बोली, “हाय रजा और तेज़ चोदाओ हाय रजा मेरे यार लंड मेरे मुँह मैं झरना, हाय तुम्हारे लंड का पानी पियोंगी हाय.”
फीर ५-६ धक्के और मारकर उसने अपना लंड मेरी चूत से निकल मेरे मुँह मैं डाला और फल से झरने लगा. नया माल था देर तक झर फीर लंड बहार निकल बगल मैं लेट हांफने लगा. मैं भी थोरी देर सुस्तायी फीर अपने नीलेश को देखा तू वह Urmila की चूत से मुँह हटा उसे ऊँगली से चोदा रहे थे. मैं हाथ बढ़कर नीलेश का लंड टटोला तू वह फीर खरा था. मैं समझ गयी की अब उर्मी चुदेगी.
तभी वह दोनो अलग हुवे तू Urmila मेरे पास आयी और अपने नीलेश से चूड़ी मेरी चूत देख मुस्कराते हुवे झुकी और मेरी चूत को चाट और फीर बोली, “हाय यह चूत मेरी नीलेश की पहली चूत है. इस चूत को मेरे नीलेश ने चोदाअ है हाय.” और फीर अपने नीलेश के पास जा उनके झरे लंड को पाकर प्यार से देखा फीर मुँह मैं लेकर चाता और फीर मुझसे बोली, “Priyanka इस बार मेरे नीलेश तुमको चोदा पाये या नही?”
“अरे यार इस बार तू मज़ा आ गया. अब तू तुम अपने नीलेश से चुद्वाकर मस्त हो जोगी. यार क्या बताये रोज़ रोज़ आ नही पाऊँगी वर्ना मैं तू रोज़ तुम्हारे नीलेश का लंड अन्दर करवाती.”
तब वह अपने नीलेश से बोली, “अपको कैसी लगी इसकी चूत?”
“अरे बड़ी मजेदार है. यार तू जल्दी से एक बार नीलेश से चुद्वाकर अपनी चूत खुलवा ले फीर मैं तुझे रोज़ चोदाउन्गा.”
“हाँ नीलेश मैं भी जाने कब से चुद्वाना चाह रही थी. आज तू मज़ा आ गया हाय अब मुझे चुद्वैये नीलेश. ऊओह्ह्ह् आपके दोस्त का लंड बहुत प्यारा है. बहुत लम्बा और मोटा मुँह मैं नही जा रह था. अआछ नीलेश इनको जब भी मौका लगे घर पर लाना.”
“हाँ उर्मी अब तू चुद्वा ले जल्दी से.”
फीर मैंने राजेश से कहा, “नीलेश आप ज़रा अपनी Cousin की चूत को चाट कर देखिए तू.”
वह फौरन अपनी Cousin को लिटा उसके पैर फैला उसकी कुंवारी चूत को चाटने लगा. वह अपने नीलेश से चात्वती हाय हाय करने लगी.
मैं अपने नीलेश की गोद्म मैं बैठी दोनो को देख रही थी. ५
मिनट बाद वह अपने Cousin को हटती बोली, “हटो नीलेश अब अपने दोस्त को बोलो की मुझे चोदाए वर्ना मैं मर जाउंगी.”
तब उसने नीलेश से कहा, “आओ यार अब तू इसको चोदा ही दो.”
फीर जब नीलेश अपना लंड उसकी चूत परा लगाने लगे तू उसने अपनी Cousin की चूत को अपने हाथ से खोलते हुवे लंड को ठीक से छेड़ पर लगवाया फीर जब नीलेश ने धीरे धीरे पूरा पेल दिया तू मैं बोली, “Urmila पहली बार चुद रही हो ज़रा दर्द होगा फीर मज़ा आएगा.”
अब नीलेश ने स्लोव मोशन मैं चुदाई स्टार्ट की तू मैं नीलेश के दोस्त की गोद मैं बैठ अपनी चूचियों पर उसके हाथ को रख देखने लगी. वह भी मेरी चूचियों को मसलते हुवे अपनी Cousin की चुदाई देखने लगा. मैं उसके लंड को धीरे धीरे सहला रही थी.
अब नीलेश ने चुदाई तेज़ कर दी थी और वह ज़ोर ज़ोर से सिसकी लेटी चुद्वा रही थी. मैं दोनो की चुदाई देख राजेश से बोली, “आपकी Cousin तू बहुत ठीक से चुद्वा रही है. हाय मेरे नीलेश तू mast हो गए हैं. हाय देखिए कैसे गांड उछल उछल चुद्वा रही है.”
“हाँ सछ कहती हो मैं तू अभी तक इस मज़े को चख ही नहा पाया था. आज तुमको चोदाकर पता चला चोदाने मैं कितना मज़ा आता है.”
“अब रोज़ अपनी Cousin को चोदाकर इस मज़े को लीजियेगा. नीलेश तू मुझे रोज़ चोदाते हैं. रात भर नीलेश मुझे अपनी बीवी बाना मेरे साथ होनेय्मूं मनाते हैं और दीन मैं नीलेश बन जाते हैं. जिस दीन पापा और मुम्म्य दोनो घर पर नही होते तू फीर दीन मैं भी मेरी ज़बर्दस्त चुदायी होती है.”
“आजकल हमारे घर भी कोई नही है केवल मैं Urmila हैं. हमलोग भी चुदाई करेंगे.”
उधर नीलेश शायद अब झरने वाले थे और नीलेश ने Urmila को कसकर जकड लिया था. मैं नीलेश से बोली, “नीलेश इसके मुँह मैं झरो.”
फीर नीलेश ने लंड उसकी चूत से निकला और उसके मुँह के पास लाए और तेज़ी से धर के साथ झरने लगे. Urmila के पूरे मुँह पर लंड का पानी गिर रह था. Urmila क ईक तरफ मैं बैठी थी और दूसरी तरफ उसका बड़ा Cousin. वह नीलेश के झरते लंड को मुँह मैं ले चाटने लगी और फीर जब नीलेश लंड उसके मुँह से निकल अलग हुवे तू मैं Urmila के पूरे मुँह को चाट चाट अपने नीलेश के लंड के पानी का मज़ा लेने लगी.
इस मज़े दार चुदाई के बाद हमसब लोग बैठ गए तू नीलेश ने Urmila को अपनी गोद मैं ले उसकी चूचियों को पाकर दबाते हुवे अपने दोस्त से कहा, “यार तेरे घर पर ही इतना mast माल है और तुने अभी तक इसे चोदाअ भी नही. देख मैंने तू अपने घर का माल घर पर ही चोदा लिया. अब रात भर तू अपनी Cousin को चोदाना. कल फीर आऊंगा तू तुम मेरी Cousin Priyanka को चोदाकर चूत का तस्ते बदलना.”
फीर हमदोनों ने अपने कप्रे पहने और घर वापस आने लगे तू Urmila अपने Cousin से लिपट बोली, “हाय Priyanka तू अब अपने नीलेश से रात भर मज़ा लेगी हाय मुझे तुम्हारे नीलेश बहुत अछे लगे हैं.”
“यार कहॉ मज़ा ले पाऊँगी रात मैं. साले मेहमान जा ही नही रहें है. यार मॅन तू कर रह है की यही रूक जू और तेरे नीलेश से चुद्वाती रहूँ.”
“तू रूक जाओ ना. मुझे भी मज़ा आजायेगा. राजेश नीलेश तू घर के हैं जब चाहो लंड घुसा लो पर तेरे नीलेश कहॉ रोज़ रोज़ मिलेंगे.”
अब राजेश भी आगे आया और मेरी चूचियों को पाकर मेरे नीलेश से बोला, “यार रूक जा ना. हमारे घर पर भी आज कल कोई नही है. यार रूक जा तू रात भर मज़ा लिया जाएगा. घर पर फ़ोन करके बता दो ना.”
तब नीलेश ने घर पर मुम्म्य को फ़ोन करके बताया तू मुम्म्य ने इज़ाज़त दे दी. यह सुन हमसब खुश हो गए. अब तक शाम हो रही थी. Urmila खुश होते बोली, “नीलेश हम दोनो खाना बाना लेते हैं फीर खा पीकर रात का मज़ा लेते हैं.”
फीर वह दोनो कित्चें मैं घुस गयी और हम दोनो रूम मैं टीवी देखने लगे. ८ बजे तक डॉन वन खाना बाना लिया और हमसब खा पीकर ९ बजे तक फ्री होगये तू Urmila बोली, “आप दोनो चलिये हम लोग अभी आते हैं.”
फीर वह मुझे अपने रूम मैं लेकर आयी. उसने अपनी वार्द्रोबे से दो बहुत ही झीने कप्रे की तिघ्त शर्ट और मिनी स्किर्ट निकली. हम डॉन वन वह पहनी और फीर मके-उप कीया और एक नशीली सेक्ष्य् परफ्यूम लगाकर इठलाते हुवे वापस आये. रूम मैं आते ही दोनो की नज़रें हमपर पडी तू उनके मुँह खुले रह गए.
नीलेश बोले, “हाय हाय क्या बात है. तुम दोनो तू इन कप्रों मैं कितनी सेक्ष्य् लग रही हो.”
“हाँ यार दोनो कितनी खूबसूरत हैं. मैंने तू आज पहली बार अपनी Cousin को इतनी खूबसूरत पाया है.”
Urmila अपने Cousin की बात सुन मुस्कराती हूई बोली, “नीलेश मैं तू पहले भी इतनी ही खूबसूरत थी आपने कभी मुझे ठीक से देखा ही नही.”
“साली तू मुझे पहले दिखाती ही नही थी वर्ना तेरी तू मैं चोदा चोदाकर फैला देता.”
“नीलेश अब फैलाओ ना. आओ चोदाओ अपनी खूबसूरत Cousin को.” वह में ऊर देख बोला, “हाय समझ मैं नही आ रह की किसे चोदाए. तुम दोनो ही बहुत mast लग रही हो. तुम्ही बताओ उर्मी तुम किस्से चुद्वोगी?”
“नीलेश जो चाहे चोदाए मुझे. मुझे तू बस चुद्वाना है.” मैं उनकी बात सुन बोली, “Urmila ऐसा कर मैं अपने Cousin से चुद्वाती हूँ और तू अपने Cousin से चुद्वाले क्योंकी तू मेरे नीलेश से तू चुद्वा चुकी है. एक बार अपने नीलेश का लंड खाकर देख कैसा है.”
तब वह अपने Cousin के पास गयी तू उसने उसे गोद मैं उठा बेद पर लिटाया और उसका स्किर्ट ऊपर कर अपने मुँह को उसकी चूत पर रख दिया. अब मुझे भी नीलेश ने Urmila की बगल लिटाया और मेरा स्किर्ट ऊपर कर मेरी चूत पर झुक गए. अब दोनो दोस्त अपनी अपनी Cousin की चूत को चाट रहे थे.
तभी राजेश ने मेरी शर्ट के बटन खोल दोनो चूचियों को नंगा कीया और मेरी एक चूची पाकर ली. मेरी दूसरी चूची को नीलेश ने अपने हाथ मैं ले लिया. मैंने हाथ आगे कर Urmila की शर्ट खोल दी. हमदोनों के मुँह से सिस्कारी निकल रही थी. तभी नीलेश ने जीभ को मेरी चूत मैं दाल दिया और कच कच चूत को जीभ से चोदाने लगे. घर पर नीलेश ऐसे ही मुझे झारते थे. यहाँ भी यही हुवा. ३०-३५ बार ही जीभ पली होगी की मैं हाय हाय कर झरने लगी.
मैं झर रही थी तू Urmila ने मेरी ऊर देखते कहा, “हाय Priyanka क्या हुवा?”
“आह मज़ा आ गया नीलेश ने एक पानी निकल दिया मेरा. अब चुदवाने मैं मज़ा आयेगा.”
“अआह्छ मेरी नही झारी हाय यार मेरी भी झारवा देना. मेरे नीलेश अभी चाटना नही जानते वर्ना मेरी भी झर जति.”
तब मैं उसकी चूत के पास गयी और उसके Cousin के सर पर हाथ फेरती बोली, “नीलेश ऐसे नही अब इसकी चूत मैं अपनी जीभ डालकर जीभ से चोदाओ इसकी तू यह झर जायेगी. एक बार झारकर चोदाइयेगा तू इसको भी बहुत मज़ा आएगा और आपको भी.”
तब वह मेरे बताये तरीके से अपनी Cousin की चाटने लगा. और ६-७ मिनट बाद ही Urmila हाय हाय करती अपने Cousin के मुँह पर झरने लगी. मैं उसकी चूत को झरते देख उसके Cousin के साथ साथ उसकी चूत का पानी चाटने लगी. दो जीभ पा वह mast हो गयी. वह झरने के बाद कुछ नॉर्मल हो अपने Cousin को देख मुस्काती बोली, “नीलेश आप तू एक ही दीन मैं सब कुछ सीख गए हैं.”
“तुब ही तू पहली बार मैं ही सीख गयी.”
“हाँ नीलेश असली काम तू लड़को का होता है. उनको ही लड़कियों को ठण्डा करमा पड़ता है.”
फीर मैंने अपने नीलेश से कहा, “नीलेश अब लंड पिलाओ. आज तू मज़ा आ गया. अकेले से ज़्यादा मज़ा आज आ रह है ग्रुप मैं.”
अब मैं बेद पर बैठ गयी तू नीलेश मेरे सामने खरे हुवे और अपने लंड को मेरे मुँह के पास कीया. मैंने लंड को पाकर कर मुँह मैं लिया और फीर दोनो हाथ नीलेश की गांड पर लगा चूसने लगी. Urmila ने मुझे देख इसी तरह से अपने नीलेश के लंड को मुँह मैं लिया. हम दोनो अगल बगल बैठी अपने अपने Cousin के लंड पी रही थी. ४-५ मिनट इसी तरह लंड चूसने के बाद मैंने लंड बहार कीया और बोली, “नीलेश अब चोदाओ.”
तब नीलेश ने मुझे बेद पर घोड़ी बन्ने को कहा. मैं बन गयी तू नीलेश मेरे ऊपर चढ़ गए और ३-४ बार चूत को चाटने के बाद सुपर को गीली चूत पर लग तेज़ धक्का मार पेल दिया. Urmila और उसका Cousin हमदोनों को देख रह था. उन्दोनो ने भी चुदाई शुरू करने के लिए लंड बहार कीया और Urmila मेरे निचे घुस गयी की उसका मुँह मेरी चूचियों के पास आ गया. तब उसका Cousin उसके ऊपर आया और अपना लंड उसकी चूत पर लगा झुककर उसकी चूची को मुँह मैं भर पेलने लगा. वह मेरी चूचियों को पारकर दबाते हुवे अपने Cousin के लंड को अपनी चूत मैं लेने लगी.
कुछ देर बाद हमदोनों की चुदाई अपने अपने Cousin के साथ शुरू हो गयी. बेद बहुत तेज़ी से हिल रह था. Urmila चुद्वाते हुवे मेरी चूचियों से भी खेल रही थी जिससे मुझे बहुत मज़ा मिल रह था. नीलेश मेरी चूत को बहुत तेज़ी से चोदा रहे थे. वह बीच बीच मैं Urmila की चूचियों को भी दबा देते थे. Urmila अब अपनी गांड उछलने लगी थी. मेरी चूत भी नीलेश का लंड खाकर mast थी. तभी नीलेश ने अपना लंड मेरी चूत से निकला और बेद पर लेट गए. मैं समझ गयी की नीलेश क्या चाहते हैं. मैं फौरन उनके ओप्पर आयी और लंड पर चूत रख बैठने लगी. अब मैं ऊपर थी और उछल उछल अपनी चुदवाने लगी. वह दोनो अभी भी चुदाई मैं खोये थे. नीलेश निचे से गांड उठा लंड कोप एल रहे थे. मैं नीलेश पर झुकी उनके हूंत चुस्ती चुद्वा रही थी.
कुछ देर बाद नीलेश मेरी चूचियों को पाकर कसकर दबाते बोले, “ह्ह्ह्हाछ आह मेरी जान Priyanka मेरी रानी हाय Priyanka मेरा निकलने वाला है. साली बोल कहॉ लेगी पानी?”
“नीलेश आह्ह लंड बहार नही करा. हाय अपना गरम रस मेरी चूत मैं ही डालना नीलेश. हाय मेरी चूत अपने भा के लंड का पानी पीकर बहुत खूबसूरत हो गयी है.”
मेरी बात सुन Urmila बोली, “Priyanka पानी अन्दर लेने से तू खतरा होता है?”
“नही पगली मेरे नीलेश इतने बेवकूफ नही हैं. वह सब जानते हैं. नीलेश ने एक गोली दी थी जो १५ दीन काम करती है. चाहे जितना चुद्वाओ चाहे जितना पानी अन्दर लो कुछ नही होने वाला.”
“हाय मुझे भी वह गोली दीजियेगा मैं भी आपका और अपने नीलेश का पानी चूत से पियोंगी.”
“ला दूंगा तुमको भी. हाय आह निकला मेरा हाय Priyanka साली ले अपने Cousin के पानी को अपनी चूत मैं.”
नीलेश झरने पर बहुत पानी निकलते थे. पूरी चूत भर गयी और कुछ पानी बहार निकल बेद्शीत को भिगोने लगा. २ मिनट बाद नीलेश ने लंड बहार निकला और Urmila के मुँह मैं दाल दिया जिसे वह चूसने लगी. मैं उठकर उसकी चूत के पास गयी और उसकी चुद्ती चूत और उसके Cousin के लंड को चाते लगी. मेरी इस हरकत से दोनो की मस्ती तेज़ हूई और Urmila का Cousin हाय हाय कर्ता हुवा झरने के करीब आया तू मैंने उससे कहा, “आप बहार झारियेगा. कल नीलेश गोली ला देंगे तू अन्दर निकलियेगा चाहे बहार पर आज बहार.” उसने फौरन अपना लंड अपनी Cousin की चूत से निकल उसके मुँह मैं पेल दिया और फीर पानी छोरने लगा. वह पानी को मुँह से निगलती रही. फीर जब दोनो नॉर्मल हुवे तू मैंने घरी देखी १ बज गया था. मैंने Urmila से पूछा, “Urmila क्या प्लान है, १ बज गया है.”
“Priyanka कल कोई काम नही है देर से उठेंगे सोकर पर अभी तू मुझे और चुद्वाना है.”
“अरे मैं भी कहॉ अभी सोने वाली हूँ. मैं तू यह चाह रही हूँ की अब तुम ज़रा अपने नीलेश को मेरे लिए भी छोर दो या सारा मज़ा अपने नीलेश से खुद ही ले लोगी.”
“अरे यार ले ना नीलेश को मैं तेरे नीलेश का लेटी हूँ तू मेरे नीलेश का ले.”
फीर हम दोनो उठकर बाथरूम मैं गए और अपनी अपनी चूड़ी और झारी चूत धोकर साफ कर वापस कित्चें मैं गए और चार ग्लास दूध लेकर वापस आये. नीलेश ने एक ग्लास लिया और उसका दूध Urmila की चूत पर दाल दाल चाट चाट पिने लगे. इस तरह नीलेश घर पर मेरी चूत मैं भी दूध दाल कर पिटे थे. यह देख मैंने भी अपना ग्लास लिया और उसमे राजेश के लंड को डालती फीर लंड चुस्ती. हम डॉन वन इस तर्तः दूध पी लिया तू उन्दोनो ने भी ऐसा ही कीया.
यह कर बोला, “यार तुमलोग तू बहुत मज़ा लेते हो घर पर.”
“नीलेश अब हमलोग भी इसी तारा लिया करेंगे.”
“हाँ Urmila अब तुम मेरी बीवी बन गयी हो. रात भर बीवी और दीन मैं भाहन.”
“हाँ नीलेश अब तू रोज़ रात मैं हमलोग सुहागरात मनाया करेंगे.” मैंने नीलेश से कहा, “नीलेश हाय ईक बार आप मेरी गांड मार दीजिए बड़ा मॅन कर रह है मरवाने का.”
“अरे यार तुब ही कैसी बात करती है? राजेश से मर्वाले. क्यों राजेश मरेगा इसकी गांड?”
“यार कभी मारी नही है किसी की.”
“अबे तुने तू कभी किसी को चोदाअ भी नही था पर आज पहली ही बार दो दो लड़कियों को चोदाअ या नही.”
तब वह मेरी गांड मारने को तैयार हो गया. मैंने उससे कहा, “कोई करें ले लो गांड बिना करें के न्शी मर्वती.”
तब वह अपनी Cousin से बोला, “Urmila अपनी कोई कोलद करें दे.”
वह जल्दी से करें लायी और अपने Cousin को देती बोली, “लो नीलेश मारो इसकी गांड हाय मैं भी इसके Cousin से मर्वती हूँ.”
मैंने अपनी गांड का छेड़ खोलते कहा, “राजेश मेरे रजा लो इस छेड़ को चाटकर मारो.”
वह जीभ को मेरी गांड पर लगा चाटने लगा. १०-१५ बार चाटने के बाद बोला, “Priyanka रानी तेरी गांड की महक बड़ी सोंधी है हाय कितनी खुश्बोदार गांड है.”
तब मैंने अपनी गान पर करें लगा उसके लंड को भी करें से चिकना किया और घोड़ी बन बोली, “करो सवारी इस घोड़ी की.”
वह पीछे आ लुंड को गांड के छेड़ पर लगा अन्दर करने लगा. मेरी तू नीलेश कई बार मारकर खोल चुके थे इसलिये आराम से अन्दर जाने लगा. २ मिनट मैं ही अन्दर पेल वह मेरी गांड मारने लगा.
मैं गांड मर्वाते हाय हाय करती नीलेश से बोल रही थी, “हाय नीलेश तुम्हारे दोस्त बहुत बधिया गांड मार रहे है. नीलेश इनका लंड गांड मैं बहुत मज़ा दे रह है. आप भी देखिए इनकी कोउसिं कि गांड कैसी है. आपकी अपनी कोउसिं कि गांड जैसी है कि नही?” उधर उर्मिला भी नीलेश का लंड मुँह मैं लिए थी और नीलेश उसकी गांड चाट रहे थे. मेरी गांड मैं लंड तेज़ी से अन्दर बहार हो रह था. अब नीलेश भी उर्मिला कि गान को मारने को तैयार थे. उर्मिला कि गांड बहुत कासी थी. नीलेश का सुपर बहुत मुश्किल से गया था. वह चिल्ला रही थी और उसकी आंखों मैं आँसू थे. अपनी Cousin का दर्द देख राजेश से रह ना गया और वह बोली ही पड़ा, “प्रियंका अपने Cousin से कहो मेरी Cousin की गांड ना मरे वह अभी छोटी है.”
“कहां छोटी है, मेरी उमर की ही तू है.”
“हाँ लेकिन वह अभी पहली बार चुद रही है ना.”
“आप ही कहिये ना.”
“प्लेस तुम कहो मैं कैसे कह सकता हूँ मैं तू खुद उसकी Cousin की गांड मार रह हूँ.”
मैं उसकी बात सुन मुस्काते हुवे बोली, “नीलेश रहने दो वर्ना इसकी फट जायेगी. अभी आप चूत ही मैं डालो. अभी इसकी गांड खुलने मैं टिम लगेगा.”
मेरी बात सुन नीलेश ने उसकी गांड से लंड निकला और उसकी चूत मैं दाल दीया.
१० मिनट बाद वह मेरी गांड मैं झाड़कर अलग हुवा. मैं अपनी चूड़ी गांड लिए उर्मिला के पास गयी और उसकी चूत को सहलाती उसकी चूसियों को बरी बरी पिने लगी. राजेश भी हमारे पास आया और अपनी Cousin की गान को देखने लगा. मैं उसको देख बोली, ” क्या देख रहे हो?”
“देख रह हूँ की यह छेड़ भी जल्दी से खुले तू इसकी मार कर मज़ा लूं.”
” नीलेश मृत उ मारली अब अपनी Cousin का छेद चाटकर देखो कैसा है.”
उसने अपनी Cousin की गांड चाटना शुरु कर दीया. इससे उर्मिला की मस्ती बढ़ गयी. कुछ देर बाद नीलेश ने लंड बहार खींचा और राजेश को हटा उर्मिला की गांड पर झरने लगा. गान पर ढ़ेर सारा पनि छोरा. मैं उर्मिला की गांड पर गिरे पनि को हाथ से उसके पूरी गांड चूतअर और चूत पर लगाने लगी.
३०-३५ मिनट तक हम्चारो वही बेद पर सुस्ताते रहे. मैं अपने नीलेश के ऊपर थी और उर्मिला अपने Cousin से चिपकी थी. फिर हम सब लोग फ्रेश हो गए तू उर्मिला सबके लिए काफ़ी बाना लायी. मैं राजेश के साथ बैठी थी और वह मेरे Cousin के साथ.
तब उर्मिला उठी और अपने Cousin के पास जा नज़रे झुका बोली, “नीलेश.” “नीलेश मुझे आपके यह दोस्त बहुत अछे लगे हैं. प्रियंका को भी मैं अच्छी लगी हूँ. मैं आपके दोस्त से शादी करमा चाहती हूँ.”
वह अपनी Cousin की बात सुन नीलेश को देखने लगा तू नीलेश मुझसे बोले, “क्या सच प्रियंका?”
“हाँ नीलेश मैं उर्मिला को अपनी भाभी बाना चाहती हूँ.”
“अरे यार यह तू बहुत अच्छी बात है. मैं कल ही मम्म्य पापा से बात कर्ता हूँ. राजेश तुम क्या कहते हो?”
“अरे मेरे दोस्त यह तू बहुत अच्छा रहेगा. हमारी दोस्ती और पक्की हो जायेगी. “
मैं दोनो की बात सुन बोली, “नीलेश मेरी एक शर्त है?”
नीलेश ने कहा, “क्या प्रियंका?”
“नीलेश जब आप उर्मिला से शादी करे और इसके साथ सुहागरात मनाये तू मुझे भी अपने साथ रखियेगा.”
“हाय उसदिन?”
“हाँ नीलेश मैं उस्दीन कुछ भी नही करुँगी. बस चुपचाप अपने नीलेश और भाभी की सुहागरात देखूंगी.”
“अरे यार सही तू कह रही है. तू मेरी Cousin से शादी कर ले और सुहागरात भी दिखा.”
फिर नीलेश उर्मिला को अपनी गोद मैं ले उसके हूंत चूमते बोले, “तुम खुश हो?”
वह शर्माती सी बोली, “जी आप जैसा पति पा तू मेरी किस्मत खुल गयी.”
“नीलेश काश मेरी शादी ना पक्की होती तू मैं भी राजेश से शादी करती पर क्या हो सकता है.”
“एक काम हो सकता है प्रियंका.”
“क्या नीलेश?”
“राजेश की शादी विनीता से करवा देते हैं.”
“हाँ नीलेश से सही रहेगा. उस बेचारी को भी राजेश जैसा पति मिल जाएगा तू वह बहुत खुश होगी.”
राजेश ने मेरी छोटी Cousin विनीता को देखा था. वह खुश होकर बोला, “मैं तैयार हूँ यार तेरी छोटी Cousin भी बहुत मस्त माल है.”
मैं उनकी बात सुन बोली, “राजेश नीलेश एक बात तू बताइए, आप क्या मेरी छोटी Cousin विनीता को पसंद करते हैं?”
“हाँ बहुत.”
“ओह्ह नीलेश अब शर्माने की क्या बात खुलकर बताओ.”
वह मेरी बात सुन मेरी चूसियों को पाकर बोला, “सच तू यह है प्रियंका की मैं जब भी नीलेश से मिलने जता ठाट उ तुम दोनो को देखकर सोचता था कित उम् दोनो की चोदने को मिल जाये तू मज़ा आ जाये.”
“ओह्ह तू आपने कभी त्रय क्यों नही किया.”
“व्व्वो असल मैं.”
“अबे क्या व्व्वो वो कर रह है. सेल अबे अगर मेरी Cousin तुझे अच्छी लगती थी तू तू इन्दोनो को दबाकर या गांड पर हाथ लगा छेर्ता तू शायद तेरा काम बन जता.” नीलेश ने उससे कहा.
वह बोला, “अरे यार कभी किसी को चोदअस नही था इसलिये ट्रिक नही जानता था.”
“चल कोई बात नही Priyanka को तू चोद लिया अब विनीता से तेरी शादी कर दूंगा हाँ अगर तू चाहे तू विनीता को चोद सकता है.”
“अरे यार कब?”
“इसके लिए तुझे दो महिने वेट करमा पारेगा. क्योंकि वह मामा के घर गयी है. आयेगी तू तुझे उसके साथ शादी से पहले सुहागरात मानाने को मिलेगी.”
इसके बाद मैं राजेश से चिपककर सो गयी. नीलेश भी उर्मिला के साथ लेते थे. अगले दिन हम लोगो ने फिर चुदाई का मज़ा लिया और फिर घर चलत वक़्त नीलेश ने राजेश से कहा, “यार आज मम्म्य से हम्दोनो का कोउसिना शायद ना चल पाये. मैं चाहता था की आज रात भी मज़ा लिया जाता.”
तभी उर्मिला बोली, “हाय अगर Priyanka ना आ सके तू आप ही आ जाइएगा. आप मुझे चोद लीजियेगा.”
मैं उसकी बात सुन बोली, “उर्मिला अगर मैं ना आ सकी तू तुम मेरे राजेश नीलेश को तरसने मत देना. तुम मेरे होने वाले जीजा को अपनी चूत चोद लेने देना.”
“अरे मेरी होने वाली ननद रानी अभी तू पूरा दिन नीलेश से ही चुद्वौंगी. मेरे रजा तू अब रात को ही आएंगे.”
फिर हम दोनो घर वापस आ गए.
इतना कह मैं विनीता से बोली, “सुन्ली मेरी नीलेश के दोस्त से चुदाई की कहानी. अब जान गयी की तेरी शादी राजेश से कैसे हो रही है. नीलेश उसकी Cousin उर्मिला से शादी करेंगे.”
“हाय दीदी तुम तू मेरे होनेवाले पति से पहले ही चुद चुकी हो. हाय नीलेश आपने मुझे राजेश से नही चुद्वाया. प्लेस अभी तू दीदी की शादी मैं १० दिन है. नीलेश प्लेस मुझे भी दीदी के साथ अपने दोस्त से चुद्वा दो. आपने तू वादा किया था उनसे. नीलेश मैं भी देखूंगी की दीदी को कोई दूसरा लड़का कैसे चोदता है.”
“अरे विनीता मेरी Cousin Priyanka की शादी हो जाये फिर तुमको ले चलूँगा अपने दोस्त के पास.”
“नही दीदी कल ही मेरी भी चुद्वाओ.”
“जो कहना है नीलेश से कहो.”
नीलेश हमारी बात सुन बोले, “ठीक है विनीता कल तुम दोनो चलना राजेश के घर कई दिन से मैंने भी उर्मिला की ली नही हां.”
“नीलेश आपकी शादी भी ३-४ महिने मैं हो जायेगी और आप उर्मिला भाभी की चूत मैं खो जाओगे फिर मेरा क्या होगा. नीलेश मेरे लिए लंड का इंतज़ाम आपको ही करमा है.”
“पगली तू घबरा मत शादी के बाद भी तू रोज़ रात को मेरे पास ही सोना जैसे आजकल सोती हो. मेरी दोनो बिविया होंगी. तुम भी उर्मिला भी. पहले तुमको ही चोदअ करुंगा फिर उर्मिला. इस लंड पर पहला हक मेरी दोनो बहनों का है. वैसे भी तुम जब चाहो राजेश के पास जा सकती हो. साल भर मैं ही तेरी शादी भी कर दूंगा राजेश से.” नीलेश की बात सुन विनीता खुश हो बोली, “त्य्हंक यू नीलेश.”











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Fentency शादी का हंगामा--1

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Fentency मै और खाला अम्बरीन--6

Fentency

 मै  और खाला अम्बरीन--6



अम्मी – क्या? ... अम्बरीन इसके लिए भी तैयार हो गई? 
मैं – अभी तो नहीं पर उन्हें तैयार होना पड़ेगा. आखिर राशिद भी तो देखे कि मैं उसकी माँ को ठीक तरह से चोदता हूं या नहीं.
अम्मी – मुझे यकीन है कि तुम इस काम को पूरी सलाहियत से अंजाम दोगे. न अम्बरीन को शिकायत का मौका मिलेगा और न राशिद को. पर तुम अम्बरीन को इसके लिए कैसे मनाओगे?
मैं – अम्मी आप मेरे साथ हैं तो सब हो जाएगा. लेकिन एक बात और है. मैंने आप पर राशिद से दूर रहने की जो बंदिश लगाई थी उसे मैं वापस लेता हूं.
अम्मी – क्या मतलब?


अब मैंने उन्हें राशिद की तजबीज तफसील से बताई और कहा कि मैं भी इस से इत्तेफ़ाक रखता हूं. उन्होंने इसे मानने में आना-कानी की और कहा कि तुम्हारे जैसे बेटे के होते मैं क्यों राशिद को खुश करूं? मैंने उन्हें बताया कि राशिद के मुताबिक़ उसके अब्बू अम्बरीन खाला की जिस्मानी ख्वाहिशात पूरी नहीं कर पाते हैं. जब मैं उनकी ख्वाहिशात पूरी करने में मशगूल हो जाऊँगा तो अम्मी तो प्यासी ही रह जायेंगी. मेरा मकसद राशिद को खुश करने का नहीं है बल्कि मैं तो चाहता हूं कि वो मेरी अम्मी को खुश रखे. यह सुन कर उन्होंने मुझे सीने से लगा लिया और कहा कि उन्हें पता नहीं था कि मैं उनका इतना खयाल रखता हूं. बहरहाल वो मेरी बात से रज़ामंद हो गयी. अब मैंने अगला तीर छोड़ा और उन्हें बताया कि हम चारों ये काम मिल कर करेंगे. यह सुन कर तो वो बिदक गयीं.


अम्मी – ये क्या बेवकूफी है! मैं अपने बेटे और अपनी बहन के सामने ये कैसे करूंगी?
मैं – अम्मी, आपकी बहन भी तो यह काम आपके और अपने बेटे के सामने करेगी.
अम्मी – वो कभी नहीं मानेगी.
मैं – क्यों नहीं मानेंगी? वो जरूर आपके सामने ये साबित करना चाहेंगी कि उनका बेटा इस काम में मेरे से ज्यादा हुनरमंद है. और आप भी उन्हें ये दिखाना चाहेंगी कि आपका बेटा राशिद से किसी तरह कम नहीं है. है कि नहीं?
अब अम्मी ने हथियार डालते हुए कहा – ये बात तो है. और मुझे यकीन है कि एक बार ये काम हो जाए तो अम्बरीन तुम्हारी कुव्वत की कायल हो जायेगी.
मैं – तो जब खाला आपसे बात करें आप उन्हें राज़ी करने की कोशिश कीजिये.


उसी दिन शाम को अम्बरीन खाला हमारे घर आईं. उनके आते ही अम्मी उन्हें अपने कमरे में ले गयी. कोई एक घंटे तक उनकी गुफ्तगू चलती रही और मैं बेसब्री से इसके नतीजे का इंतज़ार करता रहा. जब वे बाहर निकलीं तो खाला ने एक नज़र मेरे पर डाली और बिना कुछ बोले अपने घर के लिए रवाना हो गयीं. मैंने अम्मी को सवालिया नज़र से देखा तो उन्होंने धीमी आवाज में कहा कि वे रात को मुझे बताएंगी. मैं इंतज़ार करता रहा और आधी रात हो गई. आख़िरकार अम्मी मेरे कमरे में दाखिल हुईं तो मैंने पूछा कि क्या हुआ. उन्होंने मेरे पास लेट कर कहा कि अम्बरीन खाला कल सुबह नौ-दस बजे आएँगी और मेरी मुराद पूरी कर देंगीं. जब मैंने पूछा कि एक घंटे में इतनी ही बात हुई तो उन्होंने कहा कि थोडा इंतज़ार करो. मैं सब बताती हूं. ये कहते हुए उन्होंने मेरी जाँघों पर हाथ फेरा. नतीज़ा जो होना था हुआ. कुछ ही देर में अम्मी मेरे नीचे नंगी लेटी थीं मैं उन्हें चोद रहा था. चुदाई के दरमियान हमारी बातें भी चलती रहीं.


अम्मी – अम्बरीन ने पहले तो राशिद की तरफ से मुझ से माफ़ी मांगी और कहा कि जो हुआ वो नहीं होना चाहिए था. मैंने कहा कि तुम ठीक कहती हो पर जो हो गया उसे अब मिटाया तो नहीं जा सकता. उसने पूछा कि अब क्या किया जाए तो मैंने कहा कि शाकिर बहुत नाराज़ है. उसका गुस्सा तुम्ही दूर कर सकती हो. उसने कहा कि इस का मतलब है जो वो चाहता है वो मुझे करना पडेगा. मैंने कहा कि सिर्फ इस से काम नहीं चलेगा, तुम्हे कुछ और भी करना पड़ेगा. उसने पूछा कि और क्या तो मैंने कहा कि राशिद ने मेरे साथ जो किया वो अनजाने में शाकिर ने देख लिया. अब वो चाहता है वो तुम्हारे साथ जो करेगा वो राशिद भी देखे. यह सुन कर तो अम्बरीन तैश में आ गयी. उसने कहा कि ये क्या वाहियात बात है.
मैं – इसमें वाहियात क्या है? उनका बेटा मेरी अम्मी को मेरे सामने चोदे और उसकी अम्मी अकेले में चुदे! यह क्या इन्साफ हुआ?
अम्मी – देखो बेटा, राशिद को थोड़े ही पता था कि ये तुम्हारी नज़रों के सामने हो रहा है. खैर, अम्बरीन ने पूछा कि यह कितनी बार हुआ है तो मुझे बताना पड़ा कि ऐसा तीन बार पहले भी हो चुका था. उसने पूछा कि इतनी बार हुआ और तुमने उस बदमाश को रोका नहीं. मैं तुम्हारे अब्बू की शिकायत नहीं करना चाहती थी पर मुझे कहना पड़ा कि हम औरतों की तकदीर ही ऐसी होती है. हमारे शौहरों की उम्र हम से काफी ज्यादा होती है और एक उम्र के बाद या तो उनकी मरदाना ताक़त कम हो जाती है ये किसी और वजह से उनकी बीवियों में दिलचस्पी नहीं रहती. अम्बरीन ने कहा कि यह तो सच है. तुम्हारे दूल्हा भाई (नावेज) भी अब मेरे पास कम ही आते हैं. मैंने कहा कि सोचो, तुम्हे शाकिर जैसा नौजवान मिल जाए और वो तुम्हे मुतमईन कर दे तो तुम्हारा मन डोलेगा या नहीं. मेरे साथ भी यही हुआ. पहली बार जब राशिद ने तकरीबन जबरदस्ती मेरे साथ ये काम किया तो मुझे गुस्सा आया था पर फिर मुझे यह अच्छा लगने लगा और मैं उसे रोक नहीं पाई.
मैंने अम्मी को चोदते हुए पूछा – क्या आपको सच में यह अच्छा लगने लगा था?
अम्मी – उस वक्त तो अच्छा ही लगा था पर बाद में पता चला कि तुम उस से कहीं बेहतर हो. और जल्द ही अम्बरीन भी तुम्हे मान जायेगी.
मैं – अच्छा? पर खाला ने कुछ जवाब दिया?
अम्मी – हां, उसने पूछा कि जब तुम उसके साथ ये करोगे तो मुझे बुरा नहीं लगेगा क्या? मैंने कहा कि यह तो तभी पता चलेगा जब तुम मेरे सामने करवाओगी. 
मैं – तो वो आपके सामने करवाने के लिए तैयार हो गयीं?
अम्मी – हां, पर बड़ी मुश्किल से. साथ ही उसने यह भी कहा कि अगर राशिद यह काम होता देख कर अपने आप पर काबू नहीं रख पाया तो? मैंने कहा कि मैं भी तो वहां रहूंगी. उस का ज्यादा मन हुआ तो मैं उसका खयाल रखूंगी.
मैं – अम्मी, आपने तो कमाल कर दिया. फिर तो खाला मान गई होंगी.
अम्मी – हां, अब कल सुबह तक इंतज़ार करो. फिर जो तुम चाहते हो वो तुम्हे हासिल हो जाएगा.


मैंने प्यार से अम्मी का मुंह चूम लिया और पूरे जोश से उन्हें चोदने लगा. कुछ ही देर में मेरा लंड अम्मी की चूत में लावा उगलने लगा. जब अम्मी अपने कमरे में चली गयीं तो मैं अगली सुबह का इंतज़ार करते-करते सो गया.


अगले दिन अम्बरीन खाला सुबह 9 ½ बजे अकेली ही आईं. मै यह देख कर मायूस हो गया. मुझे लगा कि वक्त आने पर खाला की हिम्मत जवाब दे गई. अम्मी के कहने पर में अपने छोटे भाई-बहन को नाना के घर छोड़ने चला गया. वापस आते वक्त मैं सोच रहा था कि एक बार खाला अम्मी के सामने मेरे से चुद गयीं तो अगली बार राशिद के सामने चुदने को भी तैयार हो जायेंगी. एक घंटे बाद मैं वापस घर पहुंचा तो खुशी से उछल पड़ा. वजह थी कि राशिद भी वहां नमूदार हो चुका था. थोड़ी रस्मी बातचीत के बाद मैंने कहा कि हमें वक्त जाया नहीं करना चाहिए. खाला थोड़ी संजीदा लग रही थीं और शर्मसार भी. अम्मी ने मुझे राशिद को बेडरूम में ले जाने के लिए कहा. मैं उसे अंदर ले गया. कुछ देर में अम्मी और खाला भी वहां पहुंच गयी. 


फिजा में एक अजीब किस्म का तनाव था. हम चारों में से कोई भी पहल नही कर रहा था. अम्मी बेड पर बैठी हुई थीं और खाला अम्बरीन कुर्सी पर. मै खाला के पास बैठ गया और उनकी कमर में हाथ डाल कर मैंने उनका गाल चूम लिया. उन्होने मेरी रान पर अपना हाथ रख दिया. मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं उन्हें शिद्दत से चूमने लगा. राशिद अम्मी के पास बैठ कर ये नज़ारा देख रहा था. थोड़ी देर बाद मैं अम्बरीन खाला को उठा कर बेड पर ले आया. मैं उनके ऊपर झुक गया. उन्होने अपने मुँह पर मेरे होंठ महसूस किये तो शर्माते हुए अपने होंठ मेरे होठों के साथ चिपका दिये. मै उनके बोसे लेता रहा और वो जवाब में अपने लिपस्टिक लगे होठों से मुझे चूमती रहीं. मेरा लंड तन कर फौलाद बन गया था. उनके होंठों और गालों के जी भर के बोसे लेने के बाद मैं उठा. जब मैं उनके कपड़े उतारने लगा तो अम्मी ने कहा – यह ठीक नहीं है, शाकिर.
मैंने कहा – लेकिन यह किये बिना काम कैसे होगा?
अम्मी – थोडा तहजीब का खयाल रखो. पहले तुम्हे नंगा होना चाहिए. 


उनकी बात मान कर मैंने अपने कपडे उतारे. नंगा होने के बाद मै खाला के सामने खड़ा हो गया और अपना लंड उनके मुँह के सामने कर दिया. खाला ने शर्म से सर झुका लिया पर वे समझ चुकी थीं कि उन्हें ये तो करना ही होगा. वो मेरे सामने नजीर का लंड चूस चुकी थीं पर अपने बेटे के सामने मेरा लंड मुंह में लेने में उन्हें शर्म आ रही थी. मैं यही नज़ारा देखना चाहता था. मेरे इसरार करने पर उन्होंने मेरा लंड हाथ में थाम कर मुँह में ले लिया और उससे चूसने लगीं. मैंने राशिद पर नज़र डाली. वो भी शर्मसार था पर कुछ कर नहीं सकता था. हां, उसकी पैंट में तम्बू बन चुका था. मेरा लंड चूसते हुए खाला के मुँह से लप-लप की आवाजें सुनाई दे रही थीं. 


मैंने सोचा कि मैं जो चाहता था वो हो ही रहा था. अब राशिद को और तडपाना मुनासिब नहीं था. मैंने कहा – राशिद, मैंने अम्मी की बात मान ली पर इस कमरे में सिर्फ मैं नंगा हूं. यह तहजीब है क्या?
यह सुनते ही राशिद एक मिनट से भी कम वक्त में नंगा हो गया. और उसने कहा – लो शाकिर भाई, मैं भी नंगा हो गया मगर यहाँ सिर्फ हम दोनों नंगे रहें ये तहजीब है क्या?
मैं – हां, यह तो मुनासिब नहीं है. अब हमें दोनों खवातीन को भी नंगा कर देना चाहिए. 


फिर क्या था, मैंने खाला के कपड़े उतारने शुरू कर दिये और राशिद ने अम्मी के. मैं बहुत दिनों बाद अम्बरीन खाला के नंगे जिस्म का दीदार कर रहा था. राशिद ने भी शायद काफी दिनों के बाद अम्मी को नंगा देखा था. हम दोनों के लंड टनटना रहे थे. मैंने खाला को आगोश में ले लिया और अपने हाथ पीछे ले जा कर उनके मांसल चूतड़ों को दबाने लगा. उधर राशिद भी यही कर रहा था. राशिद ने अम्मी को बिस्तर पर लेटा कर उनके होठों को अपने मुँह में लिया और दोनो हाथों से उनके मम्मे मसलने लगा. अम्मी अपना मुँह खोल खोल कर उस का साथ दे रही थीं. दोनो बुरी तरह एक दूसरे को चूम-चाट रहे थे. 


मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था. मैंने अम्बरीन खाला को अम्मी के पास लिटाया और उनके होंठों और मम्मों पर काबिज़ हो गया. बेडरूम में चूमा चाटी की आवाजें फैली हुई थीं. होंठों और चूंचियों की दावत उडाने के बाद मैंने खाला अम्बरीन की चूत की जानिब रुख किया. मुझे उनकी चूत का रस पीते देख कर राशिद ने भी अपना मुंह मेरी अम्मी की बुंड पर रख दिया. कुछ ही देर में खाला और अम्मी के जिस्म बुरी तरह मचलने लगे. अब जाहिर था कि दोनों की बुंड में आग लग चुकी थी. मैं अम्बरीन खाला को और तडपाना चाहता था मगर जब उन्होंने मुझे अपने ऊपर आने को कहा तो मैं अपने आप को नहीं रोक पाया. जिस लम्हे का मैं अरसे से मुन्तज़िर था वो आ चुका था और मेरा लंड भी मेरे काबू में नहीं था. मैंने खाला को अपने नीचे लिया और अपना लंड उनकी बुंड में घुसा कर आहिस्ता आहिस्ता घस्से लगाने लगा. वो भी अपने बदन को ऊपर-नीचे हरकत दे रही थीं. मै खाला अम्बरीन की चूत में घस्से मारता रहा. धक्कों की वजह से उनके मम्मे डांस कर रहे थे. 


राशिद ने अपनी माँ को चुदते हुए देखा तो उसने भी अम्मी की टांगें उठा कर अपने कंधों पर रख लीं. अम्मी की चूत का मुँह उस के सामने आ गया. राशिद ने जब अपना लंड अम्मी की चूत में डाला तो अम्मी की टांगें उनके सीने की तरफ आ गईं. अम्मी ने ज़ोर से उफफफ्फ़ कहा और अपने हाथों से राशिद को पीछे ढकैलने की कोशिश की. राशिद ने अपना पूरा वज़न डाल कर अम्मी के घुटने उनके सीने से मिला दिये और उनकी उभरी हुई चूत में घस्से मारने लगा. वो इतना ताक़तवर नज़र नही आता था मगर उस ने अम्मी जैसी तंदरुस्त औरत को बड़ी अच्छी तरह क़ाबू किया हुआ था. अम्मी उस के हर घस्से पर बड़ी तेज़ आवाज़ में कराहती थीं. उनकी चूत से पानी काफ़ी मिक़दार में निकल रहा था. फिर राशिद के चेहरे के नक्श बिगड़ गये. उस ने अपना लंड अम्मी की फुद्दी से बाहर निकाला और तेजी से मूठ मारने लगा. फ़ौरन ही उसके लंड से पानी निकल कर अम्मी के पेट पर गिरने लगा. अपना लंड खाली कर के राशिद बेड से उठ गया और सामने पड़ी हुई कुर्सी पर जा बैठा. अम्मी बेड पर ही लेटी रहीं. 


राशिद को खलास होते देख कर मुझे खुशी हुई के में उस से पहले नही झडा. मैंने अम्बरीन खाला की चूत से लंड निकाला और उन्हे पीछे से चोदने की ख्वाहिश जाहिर की. वे घुटनो और कोहनियों के बल कुतिया बन गयीं. मैं लंड घुसा कर पीछे से उनकी चूत का मज़ा लेने लगा. उन्हें चंद मिनट हलके धक्कों से चोदने के बाद मैं उनकी चूत में खलास होने की नीयत से जबरदस्त घस्से लगाने लगा. जल्द ही मुझे अपने लंड के सुपाड़े पर एक मीठी गुदगुदी महसूस हुई और मैंने अम्बरीन खाला की चूत में ताबड़तोड़ घस्से मारने शुरू कर दिये. वो अपने बदन की सारी ताक़त लगा कर के पीछे की तरफ धक्के लगा रही थीं. हमारी मेहनत रंग लाई और मेरे लंड ने उनकी चूत में पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दीं. मेरे साथ-साथ खाला का भी पानी निकल गया और वो बेदम हो कर लेट गयीं. मैं भी निढाल हो कर उनके ऊपर लेट गया. थोड़ी देर बाद हम सब उठ कर नहाए. अम्मी नाश्ता लायीं और हम सब बातें करने लगे. इतनी लज़्ज़तदार और बेबाक चुदाई के बाद हम काफी बेतकल्लुफ हो चुके थे.


राशिद – शाकिर भाई, अब तो आप गुस्सा नहीं हो? आप जो चाहते थे वो हो गया ना?
मैं – मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है. लगता है मैं कोई ख्वाब देख रहा था.
राशिद – यकीन तो मुझे भी नहीं हो रहा है. यह तो यास्मीन खाला और अम्मी ही बता सकती हैं कि कुछ हुआ था या नहीं.
खाला – बदमाश, अपनी अम्मी के सामने सब कुछ करने के बाद अब नाटक कर रहा है.
राशिद – लेकिन शाकिर भाई ने भी तो आपके बेटे और अपनी अम्मी के सामने आपकी ली थी.
खाला – तुम दोनों ही बेशर्म हो.
मैं – इसका मतलब है कि ये ख्वाब नहीं हकीक़त थी. लेकिन खाला, ये दुबारा होगा या नहीं?
खाला (शर्माते हुए) – तुम्हारा मन हो तो कर लेना.
मैं – मेरा मन तो अभी कर रहा है.
अम्मी – अम्बरीन, पहले ये बता कि शाकिर ने ये काम तसल्लीबख्श तरीके से किया या नहीं?
खाला – शाकिर मियां इस काम में यकीनन होशियार हैं.
राशिद (मेरी अम्मी से) – खाला, शाकिर भाई ने जितनी देर अम्मी की ली मैं उतनी देर नहीं ले पाया. आप का काम तो हुआ ही नहीं होगा.
अम्मी – शायद इन दोनों की मौजूदगी की वजह से तुम जल्दी फारिग हो गये.
मैं – अम्मी, सिर्फ ये वजह नहीं हो सकती. आपकी चूत है ही इतनी टाइट कि उसमे ज्यादा देर टिकना मुश्किल है.
राशिद (मुझ से) – यह तो सच है पर ये आपको कैसे मालूम हुआ? 


अब मुझे एहसास हुआ कि मैं बिना सोचे ये बोल गया था. लेकिन अब क्या हो सकता था? मैं यह भी नहीं कह सकता था कि मैंने यह सिर्फ सुना था क्योंकि राशिद ने तो मुझे बताया नहीं था और अब्बू मुझे ये बताने से रहे. और इन दोनों के अलावा किसी ने अम्मी की चूत ली नहीं थी.


खाला (अम्मी से) – ये लड़का क्या कह रहा है, आपा. कहीं इसने भी आपकी ...
मैंने बात को संभालने की कोशिश की – खाला, आपको तो इल्म होगा कि अब्बू अब ये कभी-कभार ही करते हैं और अम्मी को पता चल गया था कि मैं एक अरसे से आपकी चूत का ख्वाहिशमंद था जो मुझे हासिल नहीं हो रही थी. इसलिए उन्होंने ...
खाला – लेकिन राशिद के अब्बू भी तो ये काम अब कम ही करते हैं. तो क्या इस वजह से मैं ...
अम्मी (खाला से) – अम्बरीन, अब ये भूल जाओ. अब तो तुम्हे एक नौजवान लड़का मिल गया है.
राशिद -  लेकिन खाला, शाकिर भाई को आप की चूत ही अच्छी लगती है.
मैं – मैंने ये कब कहा? मेरा मतलब था कि अम्मी की ज्यादा टाइट है मगर लज्ज़त में अम्बरीन खाला की चूत भी कम नहीं है. लेते वक्त ऐसा लगता है जैसे लंड एक फोम के गद्दे में लिपटा हुआ हो!
राशिद – सच?
मैं – तुम्हे यकीन नहीं है तो खुद ले कर देख लो.
राशिद (खाला से) – अम्मी, एक बार मुझे भी दे दो ना.
खाला – ये क्या कह रहे हो तुम?
मैं – खाला, इसे भी देखने दीजिए ना कि आप की चूत कितनी मज़ेदार है.
अम्मी (खाला से) – अम्बरीन, अब मान भी जाओ. बच्चे इतना कह रहे हैं तो एक बार राशिद को भी दे दो.
खाला – तुम सब यही चाहते हो तो ठीक है.


फिर क्या था, जब अम्मी-बेटे राज़ी तो क्या करेगा क़ाज़ी? तहजीब के मुताबिक पहले राशिद ने और मैंने अपने कपडे उतारे और फिर हमने अपनी-अपनी अम्मी को बेपर्दा करना शुरू किया. अम्बरीन खाला थोड़ी देर पहले हमारे सामने बे-लिबास हो चुकी थीं पर इस बार अपने बेटे के हाथों नंगी होने में वो शर्मा रही थीं. जब उनके जिस्म से आखिरी कपडा अलग हुआ तो वे शर्मा कर अपने बेटे की बाहों में समा गयी. मैं भी अम्मी से लिपट कर उनके गालों और होंठों का रस पीने लगा. मेरे हाथ उनके चूतडों पर घूम रहे थे. राशिद भी कहाँ पीछे रहने वाला था. उसने खाला के होंठों को चूसते हुए उनके मम्मों को अपने हाथों में ले लिया. मैंने अम्मी को बिस्तर पर लिटाया और मेरे होंठों ने उनकी चूंचियों पर कब्ज़ा कर लिया. अम्बरीन खाला भी अब अब बिस्तरदराज़ हो चुकी थीं और राशिद उन पर चढ़ा हुआ था. वो उनके मम्मों को बिल्कुल दीवानों की तरह चूस रहा था. खाला अम्बरीन के मुँह से मस्ती की  आवाजें निकलना शुरू हो गईं थीं और वो आहिस्ता आहिस्ता अपना सीना आगे पीछे कर रही थीं. ये मंज़र खून गरमा देने वाला था. राशिद और अम्बरीन खाला मुझ से क़रीब ही थे. जब राशिद अम्बरीन खाला का एक मम्मा चूस रहा था तो मैंने हाथ आगे बढ़ा कर उनके दूसरे मम्मे को दबाना शुरू कर दिया. खाला अम्बरीन के मुँह से निकलने वाली आवाजें एक लम्हे के लिये बंद हुईं और फिर फॉरन ही उन्होने ज़ियादा तेज़ आवाज़ में सिसकना शुरू कर दिया.


अम्मी ने मुझे इशारा किया कि मैं अपना लंड उनके मुंह में दे दूं. मेरा लंड तो इंतज़ार कर रहा था कि उसे मुंह या चूत की गर्मी नसीब हो. मैंने अपना लंड उनके मुंह के सामने किया और उनके मुंह ने फ़ौरन उसे लपक लिया. ये देख कर राशिद ने भी अपना लंड अपनी माँ के मुँह के हवाले कर दिया. अम्बरीन खाला अपने बेटे का लंड चूसने लगीं मगर उनके चेहरे पर हया के आसार साफ़ नज़र आ रहे थे. इधर अम्मी के मुँह के अंदर मेरे लंड में मज़े की मौजें उठने लगीं. मै अपना लंड आहिस्ता आहिस्ता अम्मी के मुँह के अंदर बाहर करने लगा. जब मेरा लंड अम्मी के मुँह में घुसता तो वो अपनी ज़बान नीचे कर लातीं और जब लंड उनके मुँह से बाहर निकलता तो वो उस के टोपे पर ज़बान फेरतीं. लंड चुसवाते हुए मैंने खाला के मम्मे पर हाथ फेरा तो वो खिसक कर मेरे क़रीब आ गईं और में उनके मम्मे को मसलने लगा. राशिद ने अपनी माँ में मेरी दिलचस्पी देखी तो उठ कर अम्मी के पास आया और अपना लंड उनके मुँह के आगे कर दिया. अम्मी ने मेरा लंड मुँह से निकाला और राशिद के लंड का सुपाडा चाटने लगीं. मैंने भी अपना लंड खाला के मुँह में दाखिल कर दिया. मुझे अंदाज़ा हुआ के जब दो मर्द दो औरतों को एक साथ चोदते हैं तो दोनो एक दूसरे को देख कर एक जैसी हरकतें करने लगते हैं. 


फिर राशिद ने अम्मी से कहा के खाला ज़रा अपने चूतड़ मेरी तरफ करें. अम्मी ने अपने नंगे चूतड़ों को राशिद की तरफ कर दिया. राशिद ने उनके चूतड़ों को अपने हाथों से खोला और उनकी चूत और गांड़ चाटने लगा. अम्मी ने बिस्तर की चादर पकड़ ली और ऊऊं ऊऊऊं करने लगीं. मै भी खाला अम्बरीन के पीछे आ गया और बिल्कुल राशिद की तरह उनके चूतड़ों को खोल कर उनकी चूत पर ज़बान फेरने लगा. अम्बरीन खाला भी अपनी चूत चटवाते हुए खुद पर क़ाबू ना रख सकीं और मज़े से सिसकने लगीं. दोनो बहने एक दूसरे से चंद इंच के फ़ासले पर थीं. 


मैंने अम्बरीन खाला का हाथ पकड़ कर अम्मी के हिलते हुए मम्मों के क़रीब कर दिया. उन्होने अम्मी के मम्मों को पकड़ा और उन्हे दूध दुहने वाले अंदाज़ में नीचे की तरफ खैंचने लगीं. मैंने खाला अम्बरीन की चूत को चूमते हुए उनकी गांड़ के सुराख को देखा जो कभी खुल रहा था और कभी बंद हो रहा था. मैंने अपनी एक उंगली उनके गांड़ के सुराख पर रखी और उससे आहिस्ता से अंदर धकेला. खाला अम्बरीन ने एक तेज़ आवाज़ निकाली और अपना एक हाथ नीचे ला कर अपनी चूत को मसलने लगीं. वो इस दोहरे हमले को ज्यादा देर ना झेल सकीं. उनका जिस्म जोर से लहराया और वो झड़ने लगीं.


राशिद ने जब देखा के उस की माँ खलास हो गई है तो वो अम्मी को छोड़ कर अम्बरीन खाला के पास आ गया. चूँके कुछ देर पहले राशिद ने खाला अम्बरीन को मेरे लिये छोड़ा था इसलिये में भी उसे अम्मी के पीछे से उठते हुए देख कर वहाँ से हट गया. राशिद ने अम्बरीन खाला के चूतड़ों को अपने लंड की तरफ घुमाया और अपना फूँकारता हुआ लंड उनकी चूत के अंदर डाल दिया. लंड अंदर जाते ही वो कस कर घस्से मारने लगा. खाला ने उसे जल्दबाज़ी न करने की हिदायत दी तो उसके धक्कों की तेज़ी कुछ कम हो गयी. शायद खाला कोशिश कर रही थीं कि वो जल्दी न झडे.


मैंने भी अम्मी को घुटनो के बल झुकाया और उनकी चूत में अपना लंड दाखिल कर दिया. अम्मी की चूत राशिद ने काफ़ी देर चाटी थी और वो पूरी तरह चिकनी हो चुकी थी. मेरा लंड उनकी चूत में आसानी से रास्ता बनाता हुआ उस के अंदर घुस गया और मैंने उनके चूतड़ पकड़ कर घस्से मारने शुरू कर दिये. क्या दिलकश नज़ारा था! दोनों बहने पास-पास थीं और उनके बेटे उनको खुल कर चोद रहे थे. हमारे लंड एक लय के साथ अपनी अम्मियों की फुद्दियों में अंदर बाहर हो रहे थे. वो दोनो भी अपने चूतड़ों को हमारी जानिब धकेल-धकेल कर हमारा साथ दे रही थीं. दोनो के मम्मे हमारे झटकों की वजह से बुरी तरह हिल रहे थे. अम्मी और खाला अम्बरीन वक़फे-वक़फे से एक दूसरे की तरफ भी देख लेतीं थीं. वो अब इस खेल का पूरा मज़ा ले रही थीं और दोनो के चेहरों पर इतमीनान और सकून नज़र आ रहा था. 


में चुदाई में ज्यादा तजुर्बेकार नही था लेकिन फिर भी मुझे एहसास हो गया के अम्मी की बुंड पानी छोड़ने वाली है. उन्होने तेज़ रफ़्तारी से मेरे लंड पर अपनी फुद्दी को आगे पीछे किया और झडने लगीं. उनकी फुद्दी पूरी तरह पानी में भीग गई और वो सर बिस्तर में घुसा कर मुँह से बे-हंगम आवाजें निकालने लगीं. उन्होने खलास होने के बाद अपनी राने नीचे की और उल्टी लेट गईं. मेरा लंड अब भी उनकी फुद्दी के अंदर था. मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला. जब अम्मी थोड़ी नोर्मल हुईं तो मैंने फिर घस्से मारने शुरू किये लेकिन अब मुझे अपना लंड उनकी बुंड के ज्यादा अंदर पहुंचाने में मुश्किल हो रही थी. मैंने अपना लंड बाहर निकाला और सीधा लेट कर उन्हे अपने लंड पर चढा लिया. मेरा लंड फिर अम्मी की चूत के अंदर था और वो उस पर आहिस्ता आहिस्ता धक्के लगाने लगीं. मैंने अम्बरीन खाला की तरफ सर घुमाया. 


राशिद अब भी उन्हें पीछे से ही चोद रहा था. जब वो अपना लंड उनकी चूत में अंदर करता तो खाला मुँह से उफफफफ्फ़ की आवाज़ निकलटीं लेकिन जब उस का लंड उनकी चूत से बाहर निकलता तो उनके चेहरे पर तक़लीफ़ के आसार आ जाते. राशिद की पतली रानें खाला के मांसल चूतड़ों से टकरा कर नशीली आवाजें पैदा कर रही थीं. उस ने खाला के चूतड़ों को कस कर पकड़ा और अपने घस्सों में थोड़ी तेज़ी ले आया. कुछ देर इस तरह खाला को चोदने के बाद वो भी मेरे पास लेट गया और अपनी माँ को अपने ऊपर चढ़ने के लिए कहा. अब खाला की शर्म उनसे कोसों दूर जा चुकी थी. उन्होंने अपने हाथ से राशिद का लंड पकड़ कर अपनी फुद्दी पर रखा और एक शानदार धक्का लगाया. एक ही धक्के में उन्होंने पूरा लंड अपनी बुंड में ले लिया. अब अम्मी की तरह अम्बरीन खाला भी अपने बेटे के लंड पर फुदकने लगीं. 


अभी तक मैंने अपने ऊपर काफ़ी क़ाबू रखा था और खलास नही हुआ था लेकिन जब अम्मी के भरे हुए चूतड़ों ने बार बार मेरे लंड पर वज़न डाला तो मुझे लगा के में खलास हो जाऊंगा. अम्मी मेरे चेहरे के ता’असूरात से समझ गईं के में खलास होने वाला हूँ. उन्होने अपने चूतड़ों की हरकत धीमी कर दी. वो खामोशी से मेरी मदद कर रही थीं. मैंने अपनी साँसें दुरुस्त कीं और एक हाथ से अम्मी का एक मम्मा पकड़ा और दूसरे हाथ से खाला का उछलता हुआ मम्मा दबोच लिया. खाला अब मजीद रफ़्तार से फुदक रही थी और झड़ने के कगार पर थीं. अम्मी ने भी अपने घस्सों को तेज़ी दी और फिर दोनों बहने एक साथ चीखें मारते हुए झड़ने लगीं. राशिद का बदन भी अकड गया. शायद वो भी अपनी अम्मी की चूत में झड रहा था. सब को झड़ते देख कर मेरा भी बाँध टूट गया.  कुछ मिनट बाद मेरी हालत ज़रा बेहतर हुई तो में खाला अम्बरीन की तरफ मुखातिब हुआ. वो राशिद के लंड से उतर कर मेरे साथ लिपट गईं. अम्मी ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा और राशिद के पास खिसक गयी. वो भी गर्मजोशी से उन से लिपट गया. 


इस वाक़िये को चार साल बीत चुके हैं. उस दिन मैंने और राशिद ने फ़ैसला किया था के हम दोनों की शादी होने तक हम सिर्फ अपनी खाला और अम्मी को चोदेंगे. हम आज तक इस फ़ैसले पर कायम हैं. अम्मी और अम्बरीन खाला भी हमारा साथ दे रही हैं. जब मैं अकेला होता हूं और अम्मी को लगता है मुझे चूत की जरूरत है तो  वो बिना झिझक मुझे अपनी चूत दे देती हैं. उधर खाला भी राशिद की चूत की ख्वाहिश खुशी से पूरी कर देती हैं. और जब मौका मिलता है, हम चारों इकट्ठे हो जाते हैं. मैं खाला को चोद लेता हूं और राशिद मेरी अम्मी को. हमें पता है कि मेरी और राशिद की शादी होने के बाद ये हालात नहीं रहेंगे. तब ये सिलसिला शायद बंद करना पड़े. ... पर मेरी और राशिद की बीवियां तो होंगी. हम कोशिश करेंगे कि हम इकट्ठे अपनी बीवियों को चोदें, ... और एक दूसरे की बीवी को भी.


हम दोनों फिक्रमंद हैं कि जब हमारी शादी हो जायेगी तब खाला और अम्मी का क्या होगा. मेरी तजबीज तो यह होगी कि उन दोनों को मिल कर एक दूसरे के शौहर को पटाने की कोशिश करनी चाहिए. मैंने सुना है कि साली को चोदने से उम्रदराज़ इंसान की भी मरदाना ताक़त लौट आती है.

















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Fentency मै और खाला अम्बरीन--5

Fentency

 मै  और खाला अम्बरीन--5

 फिर में बेड पर लेट गया और अम्मी से कहा के अब वो मेरा लंड चूसें. मैंने उन्हें राशिद का लंड चूसते हुए देखा था और नज़ीर ने भी खाला अम्बरीन के साथ ऐसा ही किया था. अम्मी मेरी बात सुन कर थोड़ा झिझकीं. शायद अपने बेटे का लंड मुंह में लेने में उन्हें शर्म महसूस हो रही थी. मगर फिर वो घुटनो के बल बैठ गईं और मेरे ऊपर झुक कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया. मेरे लंड का सुपाडा अम्मी के मुँह के अंदर चला गया और वो उस पर अपनी ज़बान फेरने लगीं. अम्मी ने राशिद का लंड काफ़ी जल्दी में चूसा था मगर मेरे लंड को वो बड़ी तसल्ली और महारत से चूस रही थीं .

उन्होने पहले तो सुपाडे पर अच्छी तरह अपनी ज़बान फेर कर उससे गीला कर दिया और फिर लंड के निचले हिस्से को चाटने लगीं. फिर इसी तरह मेरे लंड पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर उनकी ज़बान गर्दिश करती रही. लंड चूसते चूसते अम्मी की ज़बान बहुत गीली हो चुकी थी और जब वो मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर करतीं तो ऐसे लगता जैसे मेरा लंड जन्नत के अंदर हो. यकायक् अम्मी ने बड़ी तेज़ी से मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया. उनके होंठों और जीभ की हरकत से मेरे लंड में तेज़ सनसनाहट होने लगी और मेरे आंड सिकुडने लगे. मुझे लगा कि में खलास होने वाला हूं. मैंने अम्मी को रोकना चाहा मगर उन्होने नही सुना. फिर मैंने देखा के उन्होने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रखा हुआ था और वे अपनी बड़ी उंगली तेज़ी से चूत के अंदर अंदर बाहर कर रही थीं . में समझ गया के वो भी खलास होना चाहती हैं. अम्मी को अपनी चूत में उंगली करते देख कर मेरा सबर टूट गया और मेरे लंड से झटकों के साथ उनके मुँह में मेरा पानी निकलने लगा. अम्मी ने मेरे लंड को मुकम्मल खाली कर के ही अपने मुँह से बाहर निकाला और तब तक वो भी तेज़ साँसें लेतीं हुई खलास हो गईं थीं.

हम दोनो नंगे ही एक-दूसरे की बांहों में लेटे रहे. मैंने इस से पहले अपनी मुट्ठी में ही अपना पानी निकाला था. आज पहली बार एक औरत के मुंह में झड कर मैं बेइंतेहा खुश था. साथ ही मुझे इस बात की भी तसल्ली थी कि अम्मी भी दो बार झड चुकी थीं. लेकिन मेरा लंड अभी चूत की गिरफ्त से नावाकिफ था. अम्मी के ओसान बहाल हुए तो मैंने कहा – अम्मी, आपने तो कमाल कर दिया. मुझे मज़ा तो बहुत आया मगर मैं आपकी तो चूत ले ही नही सका और यों ही निपट गया. उन्होने हंस कर जवाब दिया - अभी तो एक ही बजा है. तुम थोडा आराम कर के अपनी ताक़त फिर से हासिल कर लो. फिर तुम अपनी बाकी मुराद भी पूरी कर लेना. मैंने सोचा के अब मुझे नींद तो आने से रही. लेकिन ऐसा नही हुआ. अम्मी मेरे सर पर हाथ फेरने लगीं तो मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब नींद की आगोश में चला गया. अम्मी शायद अपने तजुर्बे से जानती थीं कि झड़ने के बाद अमूमन मर्दों को नींद आ जाती है.

कोई एक घंटे के बाद मेरी नींद तब खुली जब मैंने अपने लंड पर एक निहायत पुरलुत्फ जकडन महसूस की. मैंने आँखें खोली तो पाया कि मेरा तना हुआ लंड अम्मी के मुंह में था. अम्मी ने मुस्कराते हुए कहा – शायद तुम कोई खुशनुमा ख्वाब देख रहे थे. तभी ये नींद में ही खड़ा हो गया. में अम्मी को लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गया और उनके बदन को चूमने चाटने लगा. मेरा लंड बेचैन हो चुका था और मैं अपनी अम्मी के पुरकशिश और गदराये हुए जिस्म से पूरी तरह लुत्फ़-अंदोज़ होना चाहता था. मै उनके ऊपर लेट कर उनका एक मम्मा पकडे हुए उनकी गर्दन के बोसे ले रहा था के अचानक अम्मी ने अपनी टांगें पूरी तरह खोल दीं. मेरा तना हुआ लंड उनकी चूत के मुहाने से टकराया तो में बे-खुद सा हो गया. मैं अपना एक हाथ नीचे ले जा कर उनकी फुद्दी को मसलने लगा. अम्मी की फुद्दी पूरी तरह गीली हो चुकी थी. वो भी मेरी तरह गरम हो चुकी थीं. अब अपनी माँ की चूत में लंड घुसाने का वक़्त आन पुहँचा था. मैंने अपना लंड अम्मी की चूत के अंदर घुसाने की कोशिश की मगर मुझे कामयाबी नहीं मिली. अम्मी मेरी नातजुर्बेकारी को समझ गयीं. मेरी मदद करने की खातिर उन्होने अपना हाथ नीचे किया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर ठीक से जमाया. फिर उनकी कमर उठी और मेरा लंड अम्मी की चूत को फैलाता हुआ उसके अंदर समाने लगा. उन्होने हल्की सी सिसकी ली और अपने दोनो हाथ मेरे बाजुओं पर रख कर अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर-नीचे किया ताके मेरा लंड अच्छी तरह उनकी चूत में अपनी जगह बना ले. लंड अंदर जाते ही मैंने बे-साख्ता घस्से मारने के लिये अपने जिस्म को ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया. ये बिल्कुल क़ुदरती तौर पर हुआ था. अम्मी ने मेरे चूतडों को कस के पकड़ा और बोलीं – रुको बेटा, इतनी जल्दी नहीं! मैं उतावला हो रहा था. मैंने इल्तिजा भरी नज़रों से अम्मी की तरफ देखा. मेरी आँखें कह रही थीं - क्यों रोक रही हैं, अम्मी? अब चोदने दीजिए ना! उन्होंने कहा – तुम जल्दबाज़ी करोगे तो पूरा मज़ा नहीं ले सकोगे! जैसा मैं कहती हूं वैसा करो. मैंने बमुश्किल अपने धक्कों को रोका. अम्मी ने मेरे चेहरे को अपनी जानिब खींचा और मेरे होंठों से अपने होंठ मिला दिए. उनके बोसे का मज़ा लेने के साथ-साथ मैंने अपने लंड के र्गिर्द अम्मी की चूत की गिरफ्त को महसूस किया. चूत अंदर से नरम और गीली थी मगर काफ़ी चुस्त भी थी. मैं पहली बार अपने लंड पर चूत की कसावट महसूस कर रहा था और यह एहसास नाकाबिले-बयां था.

कुछ देर बाद अम्मी अपने चूतड़ हौले-हौले उठा कर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगीं. उन्होंने मुझे आँखों से इशारा किया कि मैं भी धक्के मारूं. मैंने उनकी ताल से ताल मिला कर हलके-हलके धक्के लगाने लगा. कुछ घस्सों के बाद मेरा लंड आसानी से अम्मी की चूत के अंदर बाहर होने लगा तो अम्मी ने अपने धक्कों की ताक़त बढ़ा दी. अब हम दोनों एक दूसरे के घस्सों का जवाब पुरजोर घस्सों से दे रहे थे. मुझे खाला अम्बरीन याद आई. वो भी इसी तरह अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर नज़ीर से चुदी थीं. अम्मी कुछ देर तो चुप-चाप चुदती रहीं लेकिन जब मेरे लंड के झटके तेज़ हो गए तो वे दबी आवाज़ में उंह……. आह….. ओह... करने लगीं.

अम्मी को चोदते हुए में मज़े के एक गहरे समंदर में गोते खा रहा था. उनके मुँह से निकलने वाली सिस्कारियों से मुझे लगा कि उन्हें भी इस काम में मज़ा आने लगा था. इन आवाज़ों ने मेरे जेहन को बड़ा सकूँ बख्शा और मेरे एहतमाद में इज़ाफ़ा हुआ कि मैं अम्मी को चुदाई का  मज़ा देने की सलाहियत रखता हूं. कुछ देर के बाद अम्मी की साँसें तेज़ हो गईं. उन्होने नीचे लेटे लेटे अपनी कमर को गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया और मेरा सर नीचे कर के मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये और खूब कस कर मुझे चूमने लगीं. उनकी चूत में बला की कसावट आ गयी थी.

मेरे नीचे उनके चूतड़ों की हरकत और तेज़ हो गई. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे अम्मी की चूत ने मेरे लंड को सख्ती से अपनी गिरफ्त में जकड लिया हो. उनकी चूत का टाइट होना इस बात की निशानी थी के अम्मी अब झड़ने के कगार पर थीं और. मुझे ये जान कर बहुत खुशी हुई कि मै अपनी पहली ही चुदाई में अम्मी को खलास करने वाला था. मैंने पूरा दम लगा कर उनकी चूत में घस्से मारने लगा. अम्मी की चूत अब लगातार पानी छोड़ रही थी और उनका बदन बुरी तरह लहरा रहा था. इन हालात में मेरे लिये अपने आप को रोकना मुश्किल हो रहा था पर किसी तरह मैंने अपना लंड अम्मी चूत से बाहर निकाला और उनकी बगल में लेट गया.

अम्मी का जिस्म चंद लम्हे ऐसे ही लरजता रहा. फिर उन्होने अपनी साँसें क़ाबू में करते हुए मुझ से पूछा के क्या हुआ. मैंने कहा - मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूं. मैं आपको और मजा देना चाहता हूं. इसीलिये मैंने लंड बाहर निकाल लिया. वो एक बार फिर हंस कर बोलीं – बेटे, तुम एक घंटे पहले ही खलास हुए हो. मर्द एक दफ़ा झड़ने के बाद दूसरी बार इतनी जल्दी नही झडता. वैसे भी तुम मुझे उम्मीद से पेश्तर मज़ा दे चुके हो. अब तुम्हारी बारी है. आ जाओ, अब मैं तुम्हे खलास करूंगी ताके तुम भी इस काम का पूरा मज़ा तो ले सको.
मुझे खयाल आया कि राशिद ने अम्मी को कैसे चोदा था तो मैंने कहा – अम्मी, क्या मैं आपको पीछे से चोद सकता हूँ? वो बोलीं – तुम्हे मुझ से इजाज़त माँगने की जरूरत नहीं है. तुम जो चाहो और जैसे चाहो करो. वो उठीं और अपनी कुहनियों और घुटनों के बल झुक गयीं. अम्मी के उभरे हुए चूतड़ों के बीच उनकी गांड से ज़रा नीचे मुझे उनकी चूत नज़र आई. मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुहाने पर रख कर उसे आगे धकेला. अम्मी ने भी अपने चूतड़ों को थोड़ा सा पीछे किया और लंड चूत के अंदर धंसने लगा. चूत चिकनाई से सराबोर थी इसलिये मेरे लंड को उस के अंदर दाखिल होतने में कोई मुश्किल पेश नहीं आई. मैंने अम्मी के चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़ लिया और उनकी चूत में घस्से मारने लगा.

मुझे अपना लंड अम्मी के गोरे चूतड़ों में से गुज़र कर उनकी चूत में अंदर बाहर होता नज़र आ रहा था. मैं उनकी चूत में घस्से पे घस्सा लगा रहा था और वो अपनी कमर को आगे पीछे कर के मेरा साथ दे रही थीं. मुसलसल घस्सों की वजह से उनके चूतड़ लरज़ रहे थे. फिर मुझे अपने लंड पर एक लज्ज़त-आमीज़ दबाव महसूस होने लगा. मैंने बे-अख्तियार अपने घस्सों की रफ़्तार बढ़ा दी. अम्मी को शायद इल्म हो गया कि मैं अब खलास होने वाला हूँ. उन्होने अपनी चूत को मेरे लंड पर भींचना शुरू कर दिया. ताबडतोड धक्कों के बीच मेरे लंड से पानी की बौछार शुरू हो गयी. मेरी रग रग में एक अजीब-ओ-ग़रीब और मदहोश कर देने वाली लज्ज़त का तूफान उठ रहा था. ठीक उसी वक़्त अम्मी की चूत ने एक दफ़ा फिर मेरे लंड को अपने शिकंजा में कसा और अम्मी भी मेरे साथ फिर झड गईं. मैं अम्मी को बांहों में भींच कर उनके ऊपर पसर गया. तूफ़ान के गुजरने के बाद अम्मी ने उठ कर अपने कपड़े पहने. मै अभी खुशी और बेखबरी के आलम में नंगा ही लेटा हुआ था. अम्मी ने मेरा गाल चूमा और अपने कमरे में चली गयीं.

अम्मी ने मेरी मुराद पूरी कर दी थी पर मुझे अपनी पहली चुदाई में इतना मज़ा आया था कि मेरा मन उन्हें फिर से चोदने के लिए मचल रहा था. पर क्या हो सकता था? बात तो एक बार चोदने की ही हुई थी. अगली रात मैं बेकरारी में करवटें बदलते-बदलते सो गया. सपने में मैं अपने लंड को सहला रहा था और उम्मीद कर रहा था कि खुदा शायद मुझ पर मेहरबान हो जाए और अम्मी को मेरे पास भेज दे. मैंने अपने लंड को मुट्ठी में ले कर दबाया तभी मेरी नींद टूट गयी. ... ये क्या? अम्मी मेरे पास लेटी थीं और मेरा लंड उनकी मुट्ठी में था. उन्होंने मुस्कुरा कर पूछा – तुम कोई सपना देख रहे थे? मैंने शरमा कर कहा – मैं तो सपने में आपके आने का इंतज़ार कर रहा था. मुझे गुमान ही नहीं था कि आप हकीकत में आ जायेंगी. अम्मी ने प्यार से कहा – अब आ गयी हूं तो जो तुम सपने में करना चाहते थे वो हकीकत में कर लो. यह सुन कर मेरा मन बल्लियों उछलने लगा. मैंने अम्मी को अपनी बांहों में भींच लिया. फिर तो पिछली रात वाला सिलसिला फिर से शुरू हो गया और मैंने जी भर कर अम्मी को चोदा. अगली रात को भी यही हुआ और तीसरी रात को भी.
तीसरी रात उन्हें चोदने के बाद मैंने कहा – अम्मी, मैंने आप से महज़ एक बार चूत देने की गुजारिश की थी. अगर आपको तकलीफ होती हो तो अब आपको यह करने की जरूरत नहीं है.
उन्होने संजीदा होते हुए कहा – शाकिर, मैंने राशिद को अपने साथ जो करने दिया  उस पर अब मुझे मलाल हो रहा है.
मैंने कहा – अम्मी, जो हुआ उसे अब भूल जाइए.
उन्होंने कहा – मैं ये कैसे भूल सकती हूं कि मेरे बेटे से ज्यादा मर्तबा उसने मेरा लुत्फ़ उठाया है. ये मेरे सीने पर क़र्ज़ के बोझ की मानिंद भारी लग रहा है और मैं इसे सूद के साथ उतारना चाहती हूं.
मैंने उन्हें गले लगा कर कहा – अम्मी, आप पर कोई क़र्ज़ नहीं है. क़र्ज़ तो उस राशिद पर है जिसने आपकी चूत न जाने कितनी बार ली है. और ये क़र्ज़ तब उतरेगा जब मैं उसकी माँ की चूत लूँगा.
अम्मी – यह तो मैंने सोचा ही नहीं. ... तुम ठीक कहते हो पर अम्बरीन को तो कुछ मालूम ही नहीं है. वो क्यों इसके लिए रज़ामंद होगी? और तुम क्या वाकई अपनी खाला की चूत लेना चाहते हो?

उनकी बात सुन कर मुझे बहुत खुशी हुई. एक तो इसलिए कि उन्होने मेरी पेशकश पर कोई ऐतराज़ नहीं जताया था और दूसरे इसलिए कि उन्होंने पहली बार मेरे सामने चूत जैसा लफ्ज़ बोला था. मैंने अब उन्हें हकीकत से वाकिफ करवाना मुनासिब समझा और उन्हें होटल वाला वाकिया बता दिया. उसे सुन कर पहले तो उन्होंने मेरी मजम्मत की कि मेरी बेवकूफी की वजह से एक टुच्चा इंसान अम्बरीन खाला की इज्ज़त लूट कर चला गया. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एक खातून को धोखे से शराब पिला कर उसकी चूत हासिल करना कोई बहादुरी का काम नहीं है. मैंने उनकी बात से इत्तेफाक जाहिर किया और उन्हें बताया कि मैं खाला से माफ़ी मांग चुका हूं. लेकिन मसला यह था कि अम्बरीन खाला को अपनी मर्ज़ी से अपनी चूत मुझे पेश करने के लिए कैसे राज़ी किया जाए. अम्मी की राय थी कि होटल वाले वाकिये का इस मामले में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
मैंने कहा – फिर तो एक ही सूरत बचती है. अगर उन्हें बताया जाए कि राशिद ने आपके साथ क्या किया है तो शायद वो मान जाएँ.
अम्मी – ये जरूरी नहीं है. हो सकता है कि वो नाराज़ हो कर राशिद को ही घर से निकाल दें या अपने शौहर से उसकी शिकायत कर दें.
मैं – अम्मी, ये खतरा तो मोल लेना ही पड़ेगा लेकिन उसी सूरत में जब आपको कोई ऐतराज़ न हो.
अम्मी – ठीक है, मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है. तुम कोशिश कर के देखो. अगर अम्बरीन एक बार मान गई तो वो बार-बार तुम्हे अपनी चूत देना चाहेगी.
मैंने हैरत से कहा – यह आप कैसे कह सकती हैं?
अम्मी – बेटा, वो इसलिए कि तुम अब इस काम में माहिर हो चुके हो और माशाअल्लाह, तुम्हारा हथियार भी बहुत तगड़ा है.

यह सुन कर तो फख्र से मेरा सीना तन गया, और सीना ही नहीं मेरा हथियार भी. मुझे अफ़सोस था कि अम्मी ने अभी तक उसे लंड नहीं कहा था. खैर, वो उसे कुछ भी कहें पर जब उन्होंने अपनी रानों पर उसका का तनाव महसूस किया तो उन्होंने खुद ही अपनी चूत फिर से देने की पेशकश कर दी. हमारा खेल फिर शुरू हो गया और काफी लंबा चला. उनकी चूत का लुत्फ़ लेते हुए मैं यही सोचता रहा कि अम्बरीन खाला की चूत तक कैसे पहुंचा जाए.

अगले दिन मै खाला के घर गया. होटल वाले हादसे के बाद मैं पहली बार उनसे रूबरू हुआ था और एक बार फिर मैंने उनसे माफ़ी मांगी. उन्होंने कहा कि जो हुआ वो बिलकुल गलत था पर इसका किसी को पता ना चले तो उनकी इज्ज़त महफूज़ रहेगी. मैंने उन्हें यकीन दिलाया कि मेरी तरफ से वो बेफिक्र रहें. मैं उनकी इज्ज़त पर आंच नहीं आने दूंगा, ... पर मेरी अम्मी की इज्ज़त का क्या होगा?
वो चौंक कर बोलीं – क्या कह रहे हो तुम? आपा को क्या हुआ?
मैंने शर्म से सर झुका कर उन्हें हिचकते-हिचकते बताया कि उनके बेटे ने मेरी अम्मी के साथ क्या किया था. सुन कर उन्हें यकीन नहीं हुआ.
उन्होंने हैरत से कहा – राशिद ऐसा कैसे कर सकता है? और वो भी अपनी खाला के साथ! तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो?
यह इलज़ाम सुन कर तो मैं गुस्से से तमतमा गया. एक तो मेरी माँ चुद गई और ऊपर से ये मुझ पर झूठ बोलने की तोहमत लगा रही हैं. गुस्से में मैंने अपना मोबाईल निकाला और उन्हें कहा – आपको लगता है मैं झूठ बोल रहा हूं तो ये देखिये.
तस्वीरें देख कर वो चौंक गयीं. उनके चेहरे का मंज़र हैरानी से गुस्से, और गुस्से से परेशानी में तब्दील हो गया. वे माथा पकड़ कर बोलीं – हाय अल्लाह! ये क्या कर दिया राशिद ने!
मैं चुप रहा. वे फिर बोलीं – तुमने आपा को तो नहीं बताया ना कि तुम यह जान चुके हो?
मैंने उन्हें जवाब दिया - ये देख कर मुझे इतना गुस्सा आया कि मैं राशिद की गर्दन नापने वाला था. किसी तरह मैंने अपने गुस्से पर काबू किया पर मैं यह राज़ अम्मी के सामने जाहिर करने से अपने आपको नहीं रोक पाया. मैंने उन्हें यह भी जता दिया कि अब राशिद ज्यादा रोज़ महफूज़ नहीं रहेगा.
यह सुन कर खाला घबरा गयीं. वे परेशां-हाल हो कर बोलीं – इस से तुम्हे क्या हासिल होगा, शाकिर. जो होना था वो तो हो चुका. और सोचो, मैं तुम्हारी खाला हूं फिर भी होटल में तुमने मेरे साथ वही करने की कोशिश की थी जो राशिद ने अपनी खाला के साथ किया है.
मैं – खालाजान, मैंने तो सिर्फ कोशिश की थी. राशिद ने तो मेरी अम्मी की चूत हासिल भी कर ली. और होटल में वो दो कौड़ी का नजीर आपकी इज्ज़त का मज़ा ले गया पर मुझे क्या मिला?
खाला – तो तुम क्या चाहते हो?
मैं – वही जो राशिद ने मेरी अम्मी के साथ किया है. अगर आप वो मुझ से करवा लें तो मसला हल हो जाएगा.
खाला – यह क्या कह रहे हो तुम? राशिद ने जो किया वो गलत था. अगर तुम भी वही गलत काम करोगे तो मसला हल कैसे हो जाएगा? और कहीं आपा को पता चल गया तो वो क्या सोचेंगी?
मैं – आपकी पहली बात का जवाब यह है कि जब राशिद का और मेरा हिसाब बराबर हो जाएगा तो कोई मसला रहेगा ही नहीं. और रही दूसरी बात तो मैं हिसाब बराबर करने की बात अम्मी को बता चुका हूं और वे मेरी तजबीज से इत्तेफ़ाक रखती हैं.
खाला – या खुदा, ... क्या करूं मैं? मेरे एक तरफ कुआ है और दूसरी तरफ खाई.
मैंने सोचा कि लोहा गरम है. हथौड़ा मारने का यही मौका है. मैंने कहा – खालाजान, जब नजीर जैसा गलीज़ इंसान ये काम कर गया तो क्या मैं उस से भी बुरा हूं? और मेरे हाथों में आपकी इज्ज़त भी महफूज़ रहेगी क्योंकि मैं तो ये बात किसी को बताने से रहा.
खाला अपने ख्यालों में खो गयीं. उनकी कशमकश वाजिब थी. भानजे को अपनी चूत पेश करने का फैसला आसान नहीं था. पर वे ये भी सोच रही होंगी कि उनकी बड़ी बहन को भी ये करना पड़ा था (वो सोच रही होंगी, किसी मजबूरी में). और वे मान जाती हैं तो इस फैसले से उनकी बड़ी बहन भी रज़ामंद होंगी. इज्ज़त जाने का भी डर नहीं था. मैं बेचैनी से उनके जवाब का इंतज़ार कर रहा. अब सारा दारोमदार उनके फैसले पर था. इंतज़ार लंबा होता जा रहा था.
... आखिर उन्होंने जवाब दिया – अगर आपा भी यही चाहती हैं तो मुझे भी ऐतराज़ नहीं है.
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था. मैंने कहा – आप चाहें तो अम्मी से पूछ सकती हैं.
खाला – उन्हें तो पूछूंगी ही.

अब काम बनने में कोई अड़चन नहीं थी क्योंकि अम्मी तो इंकार करने से रहीं. लेकिन काम आधा ही हुआ था. अम्बरीन खाला की चूत तो अब मेरी पहुंच में थी लेकिन अगर राशिद ने अपनी अम्मी को मुझ से चुदते नहीं देखा तो हिसाब बराबर नहीं होगा. अनजाने में ही सही मगर उसने मेरी अम्मी को मेरी आँखों के सामने चोदा था. मैं भी उसकी अम्मी को उसके सामने चोदना चाहता था. अब मुझे राशिद का इंतजाम करना था. थोड़ी देर में मैंने उसे ढूंढ लिया. इधर-उधर की बात ना करके मैंने सीधे उस से पूछा - तुमने कितनी बार ली है मेरी अम्मी की?
वो चौंक कर बोला – खाला की...? क्या...? ये क्या कह रहे तो तुम?
मैं – क्या का क्या मतलब? तुमने उनकी चूत के अलावा कुछ और भी ली है?
राशिद सकपका कर बोला – ये क्या बक रहे हो तुम, शाकिर भाई? तुम्हे जरूर कोई गलत फहमी हुई है.
मैंने उसे मोबाईल वाला वीडियो दिखाते हुए पूछा – अच्छा, तो ये क्या है?
वीडियो देखते ही उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई. वो सर झुका कर बोला – शाकिर भाई, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है. मुझे ये नहीं करना चाहिए था पर मैं बहकावे में आ गया.
मैंने उसके गाल पर एक थप्पड़ रसीद किया और कहा – अच्छा, तो मेरी अम्मी ने तुम्हारे जैसे भोले-भाले बच्चे को बहका दिया था?
राशिद – मुझे माफ कर दो, भाई. मैं अब ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा, ... अम्मी की कसम.
मैं – मेरी मां तो चुद गई और तेरी मां सिर्फ कसम से बच जायेगी?
राशिद – क्या मतलब? तुम बताओ मैं क्या करूं?
मैं – मतलब यह है कि चूत के बदले चूत. तूने मेरी अम्मी की ली है, अब मुझे अपनी अम्मी की दिला.
राशिद – मैं ये कैसे कर सकता हूं?
मैं – कैसे का क्या मतलब? तू अपनी अम्मी को तैयार कर.
राशिद तकरीबन रोता हुआ बोला – भाई, मैं अपनी अम्मी से ऐसी बात कैसे कर सकता हूं? हां, तुम उन्हें तैयार कर लो तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है.
मैं – ठीक है, उन्हें मैं तैयार कर लूंगा. पर तुम वही करोगे जो मैं कहूँगा.

खाला तो पहले ही मान चुकी थीं. मुझे सिर्फ राशिद के सामने ड्रामा करना था सो मैंने अगले दिन उसे फिर पकड़ा और बताया कि बहुत तिकडम भिडाने के बाद आखिर खाला ने मंजूरी दे दी है. मैंने सोचा था कि यह सुन कर राशिद को दुःख होगा मगर उसके के हाव-भाव से ऐसे लगा जैसे उसके ऊपर से एक बहुत बड़ा बोझ उतर गया हो. वह बोला – शाकिर भाई, अब तो आप मेरे से नाराज़ नहीं हैं?
मैं – हां, खाला के कारण तुम बच गए. मगर तुम्हे याद है ना कि तुम वही करोगे जो मैं कहूँगा.
राशिद – भाई, आपका काम तो हो गया. अब मुझे क्या करना है?
मैं – काम हुआ नहीं है, होने वाला है और वो भी आधा. पूरा काम तब होगा जब तुम अपनी अम्मी को मेरे से चुदते हुए देखोगे.
राशिद – लेकिन इसकी क्या जरूरत है?
मैं – जरूरत क्यों नहीं है? जब मैंने अपनी अम्मी को चुदते हुए देखा है तुम्हे भी अपनी अम्मी को चुदते हुए देखना पड़ेगा.
राशिद – पर अम्मी इसके लिए तैयार हैं क्या?
मैं - नहीं हैं तो हो जायेंगी. पर तुम तो तैयार हो ना?
राशिद थोड़ी कशमकश में दिखा. पता नहीं उसे अपनी अम्मी के चुदने का गम था या उनकी चुदाई देखने का. आखिर वो बोला – शाकिर भाई, मैं आप की बात मानने के लिए तैयार हूं पर आप बुरा ना माने तो मैं एक तजबीज आपके सामने रखूँ?
मैं – ठीक है, बताओ.
राशिद – मैंने यास्मीन खाला की सिर्फ चार बार ली है. मेरी अम्मी की चार बार लेने के बाद आपका हिसाब बराबर हो जाएगा और फिर आप उनकी नहीं ले पायेंगे. जहाँ तक मुझे गुमान है अब्बू आजकल उनकी कभी-कभार ही लेते हैं. अगर आप थोडा मेरा खयाल रखें तो आप आगे भी उनकी लेते रहेंगे.

उसका मतलब मेरे समझ में नहीं आया. मैं अपनी अम्मी की ले रहा था. तो क्या वो भी अपनी अम्मी को चोदने का ख्वाहिशमंद है?

मैं – ऐसा हो जाए तो बहुत बढ़िया होगा पर मैं कैसे तुम्हारा खयाल रखूँ?
राशिद – शाकिर भाई, पता नहीं क्या वजह है कि आजकल खाला मुझे नहीं देती हैं. मैं कोई दूसरा इंतजाम भी नहीं कर पाया हूं. जब आपका बदला पूरा हो जायेगा तो क्या आप मुझे यास्मीन खाला की दिला सकते हैं? इस तरह हम दोनों का इंतजाम हो जाएगा और हमारी अम्मियों की जरूरियात भी पूरी होती रहेंगी. लेकिन आपको अम्मी की चूत पसंद न आये तो यह सब करने की जरूरत नहीं है.

यह तजबीज मुझे निहायत रद्द-ए-अमल लगी. मैं तो सोच रहा था कि बदला मुकम्मल होने के बाद मैं खाला की चूत से महरूम हो जाऊँगा और मुझे सिर्फ अम्मी से काम चलाना पड़ेगा. अम्मी की चूत बिला-शक बहुत दिलकश थी पर जब दो चूत मिलने का इमकान हो तो एक से क्यों काम चलाया जाए? मैंने राशिद को अम्मी से दूर रखने की तजबीज की थी पर अब मुझे लगा कि उसकी पेशकश से हम चारों का फायदा हो सकता था. मैंने तय किया कि मैं अपनी अम्मी पर लगाई बंदिश हटा लूँगा. और इसके लिए बदला पूरा होने तक इंतज़ार करने से क्या हासिल होगा? मैंने सोचा कि मैं खाला की चूत का मज़ा लूं और वो मेरे लंड का तो अम्मी चुदाई से क्यों महरूम रहे!

मैंने कहा – तुम ठीक कहते हो, राशिद. अम्मी मेरे कहने पर ही तुम्हे नहीं दे रहीं हैं. अब मैं उनको मना लूँगा. और तुम्हे अपनी अम्मी के चार बार चुदने तक इंतज़ार करने की जरूरत नहीं है. हम इस काम को एक साथ अंजाम दे सकते है.
यह सुन कर तो राशिद खुशी से उछल पड़ा. वह बोला – भाई, हम कब कर सकेंगे ये? और मेरा एक और सुझाव है. हम इस काम को एक साथ अंजाम देने की बजाय इसे मिल कर अंजाम दें तो कैसा रहेगा?
मैं – क्या? ... चारों मिल कर? मगर इसके लिए खाला और अम्मी को राज़ी करना आसान नहीं होगा.
राशिद – भाई, तुम्हारे लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है. तुम कोशिश तो करो.

जब यह तय हो गया कि मैं कोशिश करूंगा तो मैंने पहले अम्मी से बात करना मुनासिब समझा. मौका मिलते ही मैंने उन्हें बताया कि खाला मेरी बात मान गई हैं पर वो पहले उनसे तस्दीक करेंगी. इसमें कोई मसला नहीं था क्योंकि अम्मी तो पहले ही मान चुकी थीं. फिर मैंने उन्हें बताया कि मैं खाला को राशिद के सामने चोदूंगा.
क्रमशः












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