Friday, August 29, 2014

Fentency सफ़र की दोस्ती--2

Fentency

 सफ़र की दोस्ती--2

 गतान्क से आगे..........
 अब तक मीना और अंशु दोनो ने अपने अपने जिस्म को अपने हाथों से ढँक लिया था. मीना अपनी नज़र मेरी तरफ घुमा कर बोली, "शाब, आप कब से जागे हुए हैं?" "अरे मैं सोया ही कब था कि जगूंगा." तब मीना और अंशु मेरी तरफ घूर घूर कर देखने लगी और ‘सर’ ने अपने नंगे पन को ध्यान ना देते हुए मेरी तरफ मूड कर अपना हाथ मुझसे मिलाया और कहा, "मेरा नाम मनोज शर्मा है और मैं इओc मे काम करता हूँ और आप मैने कहा मेरा नाम राज शर्मा है और मैं सेक्सी स्टोरी लिखता हूँ तो मनोज ने कहा अब आप जब हमारा कार्यक्रम देख चुके तो मैं आप को हमारे साथ शामिल होने की निमंत्रण देता हूँ. क्या आप को कोई आपत्ति है?" मैने कहा, "आपका निमंत्रण स्वीकार है और मुझे खुशी होगी आपके साथ जवानी का खेल खेलने मे." ये सुनकर मा और बेटी दोनो ने मुस्कुरा दिया और मुझसे नमस्ते किया. मैं फिर बोला, "जब हम लोग एक ही खेल मे शामिल होने वाले हैं तो फिर ये नाइट बल्ब क्यों?" ये सुन कर मीना ने ‘सर’ का लंड छोड़ कर उठ कर कूपे की लाइट जला दी और मेरे पास आ कर मुझे पकड़ मेरे होठों को चूम लिया. तब मैने मीना को अपने हाथों मे लेकर एक हाथ से उसकी चूंची मसल्ने लगा और दूसरा हाथ उसकीचूत पर ले जाकर चूत मे उंगली करने लगा. उधर मनोज ने अब अंशु को सीट पर लेटा दिया था और उसकी चूत मे अपनी उंगली पेल रहा था और अंशु की चूत टाइट होने के कारण अंशु मारे दर्द के तिलमिला रही थी. तब मीना ने मुझसे अपनेको छुड़ाते हुए अपने बॅग से पॉंड्स कोल्ड क्रीम की शीशी निकाली और पॉंड्स क्रीम अंशु की चूत के अंदर और बाहर मलते हुए अंशु के आँसू पोंछ कर अंशु के सिर पर हाथ फेरने लगी. अंशु अपनी मा को देख कर बोली, "मा जब उंगली से ही इतना दर्द हो रहा है तो ‘सर’ का लंड मेरे अंदर कैसे जायगा? मीना अंशु की चूंची को दबाते हुए बोली, "बेटी, पहले तो थोड़ा सा दर्द बर्दास्त तो करना होगा फिर बाद मे बहुत मज़ा आएगा. तू चिंता मत कर, ‘सर’ बहुत आराम आराम से तेरी लेंगे और तुझे मज़ा देंगे. अब देख मैं भी राज के पास जा रही हूँ और उनको अपनी दूँगी और मज़े लूँगी." इतना कह कर मीना मेरे पास आ गयी और मेरे लंड को चूमने और चूसने लगी. ये देख कर अंशु भी उठ कर मनोज का लंड अपने मुँह मे ले करचूसने लगी. मनोज का लंड इतना मोटा था कि अंशु के मुँह मे पूरा नही समा पा रहा था तो अंशु ,मनोज का लंड अपनी मुट्ठी मे लेकर चाटने लगी. इधर मैं भी मीना से अपना लंड बड़े आराम से चुस्वा रहा था और मीना मारे गर्मी के कभी कभी मेरे सुपरे को अपने दाँत से हल्के हलकेकट रही थी. अब मैने मीना को सीट के पास झुका कर खड़ा कर दिया और उसके पीछे से आ कर उसके चूतर मे अपना लंड रगड़ने लगा. फिर मैने मीना से कहा अब मैं तुमको पीछे से कुत्ता की तरह चोदुन्गा और ये कह कर मैने थोड़ा सा थूक अपने लंड पर लगाया और मीना की चूत मे अपना लंड पेल दिया. मीना मेरे लंड को अंदर लेते ही अपनी कमर आगे पीछे करने लगी और ज़ोर ज़ोर बोल रही थे, "देख अंशु देख, कैसे राज शर्मा का लंड मेरी चूत मे घुस कर मुझे मज़ा दे रहा है. अब तुझे भी ‘सर’ अपने लंड मज़ा देंगे. तू जल्दी से अपनी चूत मे ‘सर’ का का लंड डलवा ले." "आरे मैं कब मना कर रही हूँ. ‘सर’ ही तो अपना मेरे अंदर नही डाल रहे हैं,वो तो बस मेरी चूत को चूस रहे हैं. वैसे मुझे अपनी चूत चुसवाने मे भी बहुत मज़ा आ रहा है," अंशु अपनी मा से बोली. तब मैने मनोज से कहा, "आरी भाई मनोज, लड़की चुदवाने के लिए तैयार है तुम अपना लंड जल्दी से अंशु की चूत मे पेल दो." मनोज ने फिर अंशु को ठीक से लेटा कर उसकी चूत और अपने लंड मे अच्छी तरह से पॉंड कोल्ड क्रीम लगाया और अपना लंड अंशु की चूत के उपर रख दिया. जैसे ही मनोज ने अपना लंड अंशु की चूत के अंदर दबाया तो अंशु चिल्ला पड़ी, "हाई! मम्मी मुझे बचऊऊ, मैं मारीई जा रहीई हुउऊउऊँ. हाई! मेरी चूत फाआअटीईई जा रहीईए हाईईईईईई. ‘सर से कहो की अपना लंड मेरीचूत से निकाल लीईए." मीना तब मेरे लंड को अपनी चूत से निकाल कर अंशु के पहुँच गयी और उसके चूंची को दबाते हुए कहा, "बस बेटी बस, अभी तेरी तकलीफ़ दूर हो जाएगी. बस थोड़ा सा बर्दस्त कर. तेरी ये पहली चुदाई है ना? अभी ‘सर’ तुझको चोद चोद कर मज़ा देंगे," ये कहा कर मीना अंशु की चूंचियो को चुस्ती रही. थोड़ी देर के बाद मीना ने अपनी बेटी की चूत को दोनो हाथ से लंड खाने के लिए फैला दिया और मनोज से कहा, "’सर’ लीजिए मैने अपनी बेटी की चूत को फैला दिया है अब आप अपना लंड धीरे धीरे अंशु की चूत मे डालिए और इसको मज़ा दीजिए. फिर मनोज ने अपना सुपरा फिर से अंशु की चूत के उपर रखा और धीरे से उसको अंदर कर दिया. अंशु फिर से चिल्लाने लगी लेकिन उसकी ना सुनते हुए मनोज ने एक ज़ोर दार धक्का मारा और उसका लंड अंशु की चूत मे घुस गया. अंशु एक चीख मार कर बेहोश हो गयी. मीना ने अंशु के चहेरे पर पानी का छीता मारा और अंशु की चूंची को ज़ोर ज़ोर मसल्ने आगे. मनोज ये सब ना देखते हुए अपनी रफ़्तार से अंशु की चूत मे अपना लंड पेले जा रहा था. थोड़ी देर के बाद अंशु ने आँखे खोली और अपनी मम्मी से कहने लगी, "हाई! मम्मी बहुत दर्द कर रहा और मज़ा भी आ रहा है." ये सुन कर मीना बोली, "बस अब थोड़ी ही देर मे तेरा सब दर्द दूर हो जाएगा और तेरे को मज़ा ही मज़ा आएगा. मैने जब देखा कि अंशु अब मज़े ले लेकर मनोज का लंड अपनी चूत मे लील रही है तब मैने भी मीना के पीछे से जाकर मीना की चूत मे अपना लंड फिर से घुसा दिया और अपनी रफ़्तार से मीना को चोदने लगा. ये देख कर अंशु बोली, "हाई! मम्मी तुम्हारी चूत मे भी राज का लंड घुसा हुआ है और तुम मज़े से चुदवा रही हो. अब मुझे भी मज़ा आ रहा है." अब अंशु ने अपने पैर उठा कर मनोज की कमर मे फसा लिए और नीचे से अपनी चूटर उठा उठा कर मनोज के हर धक्के का जवाब दे रही थी. मनोज भी अंशु की दोनो चूंचियो पकड़ कर उसकी चूत मे अपना लंड हचक हचक कर डाल रहा था. अब दोनो मा और बेटी को चुदाई का मज़ा आ रहा था और दोनो ज़ोर ज़ोर से चोदने को कह रही थी. मैं अपना लंड मीना की चूत मे ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर कर रहा था और दोनो हाथों से उसकी चूंचियो को मसल रहा था. मीना भी अपना चहेरा घुमा कर मुझ को चुम्मा दे रही थी. थोड़ी देर इस तरफ मैं और मनोज मीना और अंशु को चोद्ते रहे और फिर उनकी चूत मे अपना लंड झटके से अंदर डाल कर झार गये. हम लोगो के साथ ही मा और बेटी भी झाड़ गयी. जब हम लोगो अपने लंड मा और बेटी की चूत से नकले तो दोनो ने अपनी अपनी चूत को रूमाल से पोंचा. अंशु की चूत से खून भी निकला था. मैं और मनोज आमने सामने की सीट पर बैठ गये और तब मेरे पास मीना फिर से बैठ गयी और मेरे लंड को अपनो मुँह मे लेकर चूसने लगी. मनोज उठ कर बाथरूम चला गया तो अंशु भी मेरे पास आ कर अपनी मम्मी से मेरा लंड छीन कर चूसने लगी और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूंची से लगा दिया. मैं भी अंशु की चूंचियो को मसल्ने लगा. थोड़ी देर के बाद मनोज कूपे मे आया तो देखा कि अंशु मेरे लंड को मुँह मे ले कर चूस रही है और मीना मेरे से लिपटी हुए अपनी बेटी को देख रही है. मनोज ने ये देख कर कहा, "आरी मीना, तेरी बेटी तो एक ही चुदाई के बाद मस्ती से राज का लंड चूस रही है. तेरी बेटी है बहुत मस्त चीज़. अंशु की चूत चोदने मे हमे बहुत मज़ा आया. अब तू भी कुछ अपनी बेटी से सीख, चल आजा और मेरा लंड को चूस चूस कर खड़ा कर. अब मैं तेरा गंद मे अपना लंड पेलुँगा." ये सुन कर मीना पहले मुस्कुरई और फिर मनोज के पास जा कर बैठ गयी. मनोज नेमीना के चहेरे को अपने लंड तक झुका दिया और अपना लंड मीना के मुँह से लगा दिया. मीना अपनी जीव निकाल कर मनोज का लंड चाटने लगी. थोड़ी देर के बाद अंशु ने अपने मुँह से मेरा लंड निकाला और फिर अपनी मम्मी से पूछा, "मम्मी, क्या ‘सर’ अपना लंड तुम्हारी गंद के छेद मे डालेंगे? तुम्हे दरद नही होगा?" मीना बोली, "नही अंशु औरत के शरीर मे तीन छेद होते हैं जहाँ मर्द अपना लंड डालता है और उसमे मर्द और औरत दोनो को मज़ा आता है. तू भी राज से कह कि वो अपना लंड तेरी गंद के छेद मे डाले." "नही बाबा, मुझे डर लग रहा है. पहले से ही मेरी चूत ‘सर’ ने फाड़ रखी है और अब मैं अपनी गंद के छेद को अमित से नही फड़वाउन्गि, अंशु अपनी मम्मी से बोली. मैने तब अंशु की चूंची को मसल्ते हुए कहा, "ठीक है अंशु मेरी जान, मैं पहले मैं तुम्हारी चूत चोदुन्गा और अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी गंद मारूँगा." अब मैं अंशु को सीट से उठा कर सीट के सहारे खड़ा कर दिया और उसका हाथ सीट की किनारे से पकड़ा दिया. मैं फिर अंशु के पीछे जाकर उसकी चूत, जो कि पीछे से बाहर निकल आई थी अपने जीव से चूसने लगा. अंशु मारे गर्मी के अपनी कमर आगे पीछे कर रही थी. मैं अपना एक हाथ से अंशु की चुन्चिओ को भी मल रहा था. थोड़ी देर के बाद मैं ने अपना लंड अंशु की चूत पर रखा और धक्का मार कर उसको अंदर कर दिया. अंशु लंड अंदर जाते ही हाई हाई करने लगी लेकिन मैं उसको धीरे धीरे चोदने लगा. अंशु कहने लगी, "हाई! बहुत अक्च्छा लग रहा है, तुम ज़रा ज़ोर से अपना लंड अंदर बाहर करो. मेरी चूत मे बहुत खुजली हो रही है. अब तुम ज़ोर ज़ोर से चोदो मुझको, मैं अब अपनी चूत से परेशान हो गयी हूँ. इसको आज फाड़ डालो." इतना सुनते ही मैं अंशु पर पिल पड़ा और उसे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा और अपनी एक उंगली मे थूक लगा कर उसकी गंद के छेद मे घुसा कर घुमाने लगा. उधर मनोज भी मीना को सीट के सहारे झुका कर खड़ा कर के उसकी गंद मे अपना लंड पेल चुक्का था. मीना अपनी कमर हिला हिला कर अपनी गंद मनोज से मरवा रही थी और बोल रही थी, "देख अंशु देख कैसे ‘सर’ का लंड मेरे घुस कर मेरी गंद चोद रहा है. सच कह रही हूँ मुझे गंद चुदवाने मे बड़ा मज़ा आ रहा है. अब तू भी राज से पानी गंद मरवा." "नही मम्मी, मैं अमित से अभी अपनी गंद नही मर्वौन्गी, मुझे पहले अपनी चूत चुड़वानी है. मेरी चूत मे बहुत खुजली हो रही है और जैसे जैसे राज मुझको चोद रहा है, मेरी चूत की खुजली कम हो रही है. मैं बाद मे अपनी गंद मे लंड पीलवौनगी. तुम अब मज़े से अपनी गंद चुद्वओ," अंशु अपनी मम्मी से बोली. मैं उसकी इस तरह खुल्लम खुल्ला बात सुन कर बहुत खुश हुआ और उसकी चूत चोद्ता रहा. थोड़ी देर के बाद अंशु बोली, "अमित मुझे अपनी मम्मी के पास जाना है. तुम अपना लंड मेरी चूत से मत निकालो और ऐसे ही मुझको मम्मी के ले चलो." मैने भी अपना लंड निकाले बिना अंशु को अपनी बाहों मे भर लिया और मीना के पास ले गया. अंशु अपनी मम्मी के पास पहुँचते ही मीना की चूंची को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी और अपनी हाथों को मीना की चूत पर रख दिया. फिर वो बोली, "मम्मी जब जब पिताजी तुमको चोद्ते थे मैं छुप छुप कर देखती थी और अपनी चूत मे उंगली किया करती थी और सोचती थी कि एक दिन मैं तुम्हारे पास बैठ कर तुम्हारी चूत की चुदाई देखूँगी. आज भगवान ने सुन ली और मैं तुम्हारे पास खड़ी खड़ी अपनी चूत मे लंड घुसा तुमको चुद्ती देख रही हूँ. तुमको कैसा लग रहा है मेरे सामने अपनी चूत या गंद मरवाते हुए."ये सुन कर मीना बोली, "हाँ मैने छुप छुप कर तुम्हे जब जब चोद्ते थे देखती थी और ये मेरी तमन्ना थी कि मैं एकबार कम से कम तुम्हारे पास बैठ कर तुम्हे चूत मरवाते हुए देखु. आज मेरी वो तमन्ना भी पूरी हो गयी. सही मे मम्मी तुमको चुद्ते देख कर बहुत अक्च्छा लगता है." ये कहा कर अंशु अपनी मम्मी की चूत मे उंगली अंदर बाहर करने लगी. हम लोगो ने अपने बिस्तेर ज़मीन पर बिछा दिए और फिर मीना और अंशु को साथ साथ लेटा कर मैं और मनोज ने उनकी चूत और गंद खूब जम कर मारी. एक बार तो मैं मीना की गंद मार रहा था और मीना अंशु की चूत अपनी जीवसे चोद रही थी और मनोज अपना लंड अंशु के मुँह मे डाल कर चुस्वा रहा था. मीना और अंशु दोनो अपनी चूत और गंद हम लोगो से मरवा कर बहुत खुश थी और लौटने का भी प्रोग्राम हमने साथ साथ बना डाला. यहाँ तक कि मा और बेटी नेअपने घर का अड्रेस और फोन नंबर भी मुझे दिया और बोली देल्ही जाकर हमारे यहाँ ज़रूर आईएगा वान्हा हमारी सहेलियाँ भी होंगी जो कि अपनी चूत और गंद आप से चुदवा कर खुस होंगी. इस तरह मैने और मनीज़ अपने सफ़र का पूरा टाइम उन मा और बेटी को चोद्ते हुए बिताया. दोस्तो कैसी लगी ये मस्त कहानी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त एंड










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