Friday, August 29, 2014

Hindi-Stories- सफ़र की दोस्ती--1

Fentency

 Hindi-Stories-
सफ़र की दोस्ती--1

 एक बार मैं अपने ऑफीस के काम से न्यू देल्ही से बॅंगलुर जा रहा था. मेरा रेलवे टिकेट ऑफीस वालों ने कर्नाटका एक्सप्रेस मे 1स्ट्रीट एसी मे करवा दिया था. मैं अपनी यात्रा के दिन शाम को आठ बजे न्यू देल्ही स्टेशन पर पहुँच गया. बाहर दिसंबर का महीना था इसीलिए ठंड बहुत पड़ रही थी और मैं अपनी सीट मे बैठ गया. थोरी देर के बाद ट्रेन चल पड़ी और टी.टी. आया और टिकेट चेक कर के चला गया. हमारे कूपे मे एक ही परिवार के दो औरतें और एक आदमी था. मेरा अप्पर बिर्थ था और ट्रेन छूटने के बाद मैं थोड़ी देर तक नीचे बैठा रहा फिर मैं अपने बर्त मे जाकर कंबल तान कर आँख बंद करके सो गया. नीचे वो आदमी और औरतें गप-शॅप लड़ा रहे थे. उनकी बात सुन कर मुझे लगा कि वो आदमी एक एम.न.सी मे सीनियर एग्ज़िक्युटिव पोस्ट पर काम करता है और जो औरत बड़ी उमर की थी उनके ऑफीस से संबंध रखती हैं और छोटी उमर की लड़की उसकी बेटी है. मैं आँखे बंद कर के उनकी बातें सुन रहा था. उनकी बातों से लग रहा था कि दोनो औरतो मे मा और बेटी का संबंध है और वो सब मस्ती करने के लिए बॅंगलुर जा रहे हैं, लेकिन घर पर ऑफीस का काम बता कर आए हुए हैं. छोटी उमर वाली लड़की की उमर लगभग 19-20 साल थी और दूसरी की उमर लगभग 36-37 साल था. मुझे उनकी बातों से मालूम पड़ा की मा का नाम मीना और लड़की का नाम अंशु है. दोनो मा और बेटी उस आदमी को ‘सर’ कह कर पुकार रहे थे. दोनो औरतें ही देखने मे बहुत सुंदर थी. छोटी वाली का फिगर बहुत सेक्सी था. उसके मम्मे उसकी ब्लाउस के उप्पेर से दिखने मे भारी भारी और तने दिखते थे और उसके चूतर गोल गोल लेकिन कम उभरे थे. दूसरी औरत के मम्मे भी बहुत बड़े बड़े थे और उसके चूतर भी खूब बड़े बड़े और फैले हुए थे. उनके साथ का आदमी का उमर लगभग 30-32 साल रही होगी और देखने मे बहुत स्मार्ट था. तीनो आपस मे काफ़ी घुल मिल कर बाते कर रहे थे. थोड़ी देर के बाद मेरी आँख लग गयी. रात के करीब 12 बजे मेरी आँख खुल गयी, मुझे बहुत प्यास लगी हुई थी. मैने अपनी आँख खोली तो देखा कि कूप मे नाइट लॅंप जल रही है और वो तीनो अभी भी बातें कर रहें हैं. फिर मेरे नाक मे शराब की महक आई तो मैने धीरे से नीचे झाँका तो मेरी आँख फैल गयी. उस समय अंशु खिरकी के साथ मेरे नचले वाले बर्त पर बैठी हुई थी और दूसरे बर्त पर मीना और ‘सर’ बैठे हुए शराब पी रहे थे. अंशु के हाथ मे एक कोल्ड ड्रिंक की बॉटल थी. उस समय दोनो मा और बेटी अपने कपड़े बदल चुकी थी. मीना एक हल्के नीले हाउस कोट मे थी और अंशु एक गुलाबी रंग की मॅक्सी पहने हुई थी. मज़े की बात ये थी कि मुझको लग रहा था दोनो मा और बेटी अपने अपने हाउस कोट और मॅक्सी के अंदर कुछ नही पहन रखी है और ‘सर’ सिर्फ़ एक बनियान और लूँगी पहने हुए हैं. मुझे लगा कि मीना और ‘सर’ काफ़ी शराब पी चुके हैं क्योंकि दोनो काफ़ी झूम रहे थे. शराब पीते पीते ‘सर’ ने मीना को अपने और पास खींचा तो मीना पहले अंशु की तरफ देखी और फिर ‘सर’ के बगल मे कंधे से कंधा मिला कर पैर के उप्पेर पैर चढ़ा कर बैठ गयी. मीना जैसे ही ‘सर’ के पास बैठी तो ‘सर’ अपने हाथ मीना के कंधे पर रख कर मीना के कंधे को सहलाने लगे. मीना ने एक बार अंशु की तरफ देखा और चुप चाप अपने ड्रिंक लेने लगी. अंशु भी ‘सर’ और मा की तरफ देख रही थी. थोड़ी देर के बाद ‘सर’ अपना एक हाथ मीना के पेट के उपर रख कर मीना के पेट को सहलाने लगे. ऐसा करने से मीना तो पहले कुछ कसमसाई फिर चुप चाप अपने ड्रिंक लेने लगी. फिर ‘सर’ ने मीना के पेट से हाथ को और थोड़ा उपर उठाया और अब उनका हाथ मीना के मम्मो के ठीक नीचे था. उनकी इस हरकत से मीना सिर्फ़ अपने ‘सर’ को देख कर मुस्कुरा दी. फिर ‘सर’ ने अपना हाथ मीना के मम्मो पर रख दिया और अपना हाथ घुमाने लगे. अब ‘सर’ का हाथ मीना के मम्मो को उसकी हाउस कोट के उपर से धीरे धीरे सहला रहे थे. अपनी मम्मी और ‘सर’ का काम काज अंशु बड़े गौर से बिना पलक झपकई देख रही थी. थोड़ी देर के बाद ‘सर’ ने अपना ड्रिंक सामने की टेबल पर रख दिया और अपने दोनो हाथ से मीना के दोनो मम्मे पकड़ लिए और उन्हे ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे. अब मीना भी नही चुप बैठ सकी और उसने भी अपनी ड्रिंक टेबल मे रख कर ‘सर’ को अपने दोनो हाथों से पकड़ लिया, लेकिन ‘सर’ अपने दोनो हाथों से मीना के दोनो मम्मे पकड़ कर दबाते रहे. थोड़ी देर के बाद ‘सर’ अपना मुँह मीना की मम्मे के उपर लाए और उसके मम्मे को उसके हाउस कोट के उपर से ही अपने मुँह मे भर लिया और चूसने लगे. ‘सर’ ने मीना के मम्मे को हाउस कोट के उपर से चूमते चूमते अपना एक हाथ मीना के हाउस कोट के अंदर डाल दिया और अपने हाथ घुमा घुमा कर उसकी चुचयों को मसल्ने लगे फिर उन्होने मीना के कान मे कुछ कहा और मीना ने अपने हाथ से अपनी बेटी अंशु को अपने पास बैठने को कहा. अंशु ने पहले तो अपनी आँख घुमा ली पर मीना ने उसे आवाज़ देकर बुलाया तो वो उठ कर ‘सर’ और मीना के बगल मे बैठ गयी. फिर ‘सर’ ने मीना को और खिसकने को कहा और खुद भी मीना के साथ खिसक गयी. अब उन्होने अंशु को अपनी दूसरी तरफ बैठने के लिए कहा. जब अंशु नही उठी तो उन्होने अपना हाथ मीना के हाउस कोट के अंदर से निकाल कर अंशु का हाथ पकड़ कर अपने दूसरी तरफ बैठा दिया. अंशु के बैठते ही ‘सर’ ने अपना दूसरा हाथ उसके कंधो के पीछे रख दिया. ‘सर’ का एक हाथ अब मीना की चुचियों से खेल रहा था और दूसरी हाथ अंशु के पीछे था. उनका पीछे वाला हाथ अब उन्होने धीरे धीरे आगे की तरफ किया और अब उनका दूसरा हाथ अंशु की ठीक चूंची के उपर था. जैसे ही ‘सर’ का हाथ अंशु की चूंची को छूने को हुआ तो उसने ‘सर’ का हाथ झिरक दिया. अंशु को ऐसा करने से उन्होने मीना के कान मे फिर कुछ कहा. अब मीना उठ कर अंशु के सामने खड़ी हो गयी और ‘सर’ का हाथ लेकर अंशु की चूंची पर रख दिया और ‘सर’ से उन्हे दबाने को कहा. अपनी मम्मी की इस बर्ताब से अंशु की आँख से आँसू आ गये पर वो कुछ ना कह सकी. अंशु अब चुप चाप अपनी चूंची को ‘सर’ से दबवा रही थी. मीना ने झुक कर अंशु की गाल पर एक चुम्मा दिया और बड़े प्यार से बोली, "बेटी एमेन्सी मे नौकरी ऐसे ही नही मिलती, उसके लिए कुछ देना पड़ता है. हमारे पास तो इतना पैसा हैं ही नही इसलिए हम लोगो को वही देना पड़ेगा जो अपने पास है." फिर उसने ‘सर’ से कहा, "सर अब आप बेफिक्र हो कर मज़ा लो, लेकिन देखना अंशु को पक्की नौकरी मिले." ‘सर’ ने भी एक हाथ से अंशु की चूंची दबाते हुए मीना की तरफ अपना मुँह बढ़ा कर उसकी चूंची को चूमते हुए कहा, "चिंता मत करो, अंशु की नौकरी तुम्हारी तरह पक्की नौकरी होगी. लेकिन अंशु को भी मेरा कहना मानना पड़ेगा." "आरे ‘सर’ देख नही रहे कि अंशु आप की बात मानने के लिए तैयार है? अरे अंशु मेरी ही बेटी है और आप जो भी कुछ कहेंगे मेरी तरह अंशु भी आपकी बात मानेगी." इतना कहा कर मीना फिर से ‘सर’ की बगल मे जाकर बैठ गयी और उन्हे अपने दोनो हाथों से जाकड़ लिया. अब ‘सर’ के दोनो हाथ मा और बेटी की चूंचियो से खेल रहे थे. मा की चूंचियो को वो हाउस कोट के अंदर हाथ कर मसल रहा था और बेटी के चूंचों को उसकी मॅक्सी के उपर से ही दबा रहा थ.यह सब देख कर मेरी नींद आँखों से बिल्कुल साफ हो गयी और मैं अपनी कंबल के कोने से नीचे की तरफ देखने लगा. मुझे ‘सर’ की किस्मत पर ईर्षा हो रही थी और मेरा लंड खड़ा हो गया था जिसे मैं अपने हाथ से कंबल के अंदर सहला रहा था. फिर मैने देखा कि ‘सर’ ने अपना हाथ मीना के हाउस कोट से निकाल कर उसके घुटने के उपर रख दिया और धीरे धीरे मीना की घुटने और उसकी जाँघ को सहलाने लगे. अपने जाँघ पर ‘सर’ का हाथ पड़ते ही मीना ने अपने पैर, जो कि एक दूसरे के उपर थे, खोल कर फैला दिया. उधर ‘सर’ अपना हाथ अब अंशु की मॅक्सी के अंदर डाल कर के उसकी चूंची को मसल रहा था और झुक झुक कर उन्हे मॅक्सी के उपर से चूम रहा था. फिर ‘सर’ अपने हाथ से मीना के हाउस कोट उपर करने लगे और हाउस कोट उपर करके मीना की चूत पर हाथ फेरने लगे. मीना की चूत उस हल्की रोशनी मे भी मुझको साफ साफ दिखाई दे रही थी और मैने देखा कि मीना की चूत पर कोई बाल नही है और उसकी चूत अपने पानी से भीग कर चमक रही है. थोड़ी देर के बाद ‘सर’ने अपना हाथ अंशु के मॅक्सी के अंदर से निकाल लिया और उसकी चूत पर मॅक्सी के उपर से ही हाथ फेरने लगे. अंशु बार बार अपनी मम्मी की तरफ देख रही थी लेकिन कुछ कह नही पा रही थी. फिर ‘सर’ ने मीना की चूत पर से हाथ निकाल कर अंशु की मॅक्सी धीरे धीरे टाँगों पर से उठाने लगे. अंशु ने अपनी हाथों से अपनी मॅक्सी पकड़ी हुई थी. मीना अपनी जगह से फिर उठ कर अंशु केपास गयी और उसको चूमते हुए बोली, "बेटी आज मौका है मज़े कर लो, मैने भी अपनी नौकरी इसी तरह से पाई थी. वैसे ‘सर’ बहुत अच्छे आदमी है और ये बहुत ही आराम आराम से करेंगे, तुमको बिल्कुल तकलीफ़ नही होगी. बस तुम चुप चाप जैसा ‘सर’ कहें करती चलो, तुम्हे बहुत मज़ा आएगा और तुम्हे नौकरी भी मिल जाएगी. इतना कहा कर मीना ने अंशु के गाल पर और उसकी चूंची पर हाथ फेरा और फिर अपनी जगह आ कर बैठ गयी. तब अंशु अपनी मम्मी से बोली, "मम्मी ये आप क्या कह रही है? आप मुझसे तो ऐसे कभी बात नही करती थी." मीना अपनी बेटी की चूंची पर हाथ फेरते हुए बोली, "आरी बेटी, ये तो समय समय की बात है और जब हम दोनो ही ‘सर’ से शारीरिक संबंध बनाने वाले है, मतलब जब ‘सर’ हम दोनो को ही चोदेन्गे, तो फिर आपस मे कैसा परदा. चुदाई के समय खुलकर; बात करनी चाहिए और इसीलिए हम ऐसे बोल रही है और अब तुम भी खुल कर बाते करो." अंशु अपनी मा की बात सुन कर मुस्कुरा दी और बोली, "ठीक है, जैसा आप कहती है अब मैं भी लंड, चूत और चुदाई की भाषा मे बातें करूँगी." अब ‘सर’ ने अंशु के मॅक्सी के अंदर से अपना हाथ निकाल लिया और आँसू की चूत पर अपने हाथ मॅक्सी के उपर से रगड़ रहे थे और झुक झुक कर उसकी चूंचियो पर चुम्मा दे रहे थे. थोड़ी देर के बाद उन्होने अंशु की मॅक्सी फिर से अपने हाथों से टाँगों के उपर करने लगे और अबकी बार अंशु अपनी मम्मी की तरफ देखती रही और कुछ नही बोली. अंशु का चुप रहना ‘सर’ को और बढ़ावा देने लगा और उन्होने एक ही झटके के साथ अंशु की मॅक्सी पूरी तरह से खींच कर उसकी कमर पर कर दी. इससे अंशु की चूत बिल्कुल खुल गयी और उसकी चूत देख कर मेरी तो आँखे बाहर आने को होने लगी. अंशु की चूत बहुत ही सुंदर देखने मे थी. उसकी चूत पर झांते बहुत ही सलीके का साथ काटी गयी थी. उसकी चूत के होंठ और घुंडी के उपर बाल बिल्कुल नही थे पर चूत के उपर हल्की हल्की झांतों का एक अस्तर सा था. ऐसा लगता था कि अंशु ने बड़े सलीके के साथ और टाइम दे कर अपनी झांते बनाई थी. बेटी की चूत देख कर उसकी मम्मी बोली, "वाह! बेटी वाह! तूने बहुत ही सुंदर ढंग से अपनी झांते बनाई हुई है. तेरी चूत और उस पर झांतों को देख कर मुझको उसको चूमने और चाटने का मन कर रहा है. पता नही ‘सर’ को कैसा लग रहा है." तब ‘सर’ ने भी उसकी सुंदर सी चूत पर हाथ फेर कर कहा, "हाँ मीना तुम्हारी बेटी की चूत बहुत ही सुंदर है और उसने बड़े करीने से अपनी झाँटे बनाई हुई है. मुझे अंशु की चूत पसंद आई और मैं भी तुम्हारी तरह इसकी चूत को चूमना और चाटना चाहता हूँ." फिर उन्होने एक बार मेरी तरफ देखा और अंशु की कमर पकड़ कर उसकी मॅक्सी अब उसकी शरीर से अलग कर दी. अब अंशु सीट के उपर बिल्कुल नंगी बैठी थी. ‘सर’ ने अब फिर अंशु के पास पहुँच कर उसकी चूंची से खेलने लगे. वो कभी उसकी चूंची को दोनो हाथों से पकड़ कर दबाते, मसल्ते तो कभी उसकी चूंची को अपने मुँह मे भर कर उसकी घुंडी चूस्ते और जीव से चुव्लाते. धीरे धीरे अंशु के शरीर पर भी अब काम ज्वाला उठने लगी और वो अपने हाथों को उठा उठा कर अंगराई ले रही थी. उसकी सांस अब फूल रही थी और सांस के साथ साथ उसकी चूंची भी अब उठ बैठ रही थी. अब अंशु से रहा नही गया और वो सीट पर लेट गयी. अंशु के सीट पर लेटते ही ‘सर’ अपना मुँह उसकी चूत के पास ले गये और अंशु की चूत को उपर से चाटने लगे. थोड़ी देर के बाद ‘सर’ ने अंशु की पैरो को अपने हाथों से पकड़ सीट पर फैला दिया और एक उंगली उसकी छूट मे डालने लगे. छूट पर उंगली छूटे ही अंशु अपनी कमर नीचे से उपर करने लगी और मुँह से आह! आह! ओह! ओह! नहीए! हाई! हिया! की आवाज़ निकलने लगी. अब मीना अपनी बेटी के पास खड़े हो कर उससे बोली, "अंशु. मेरी बेटी, क्या तकलीफ़ है? तुझे क्या हो रहा है? क्या मैं ‘सिर’ से ये सब कुछ करने के लिए ना कर दूँ?" तब अंशु अपनी मा की तरफ देख कर मुस्कुरा कर बोली, "मा मेरे शरीर के अंदर कुछ कुछ हो रहा है. बहुत गर्मी लग रही है, लेकिन ‘सर’ से तुम कुछ मत कहो." अंशु अपने हाथ अपनी चूत के पास ला कर फिर बोली, "मा मेरे यहाँ कुछ हो रहा है, लगता है कि कोई चींटी घुस गयी है. तुम कुछ करो ना, देखो ना यहाँ क्या हो रहा है." मीना अपनी बेटी की बात सुन कर हंसते हुए बोली, "बेटी तेरे उपर जवानी का बुखार चढ़ गया है और इसीलिए तेरी चूत मे खुजली हो रही है. ये खुजली बिना चमड़े के डंडे से नही जाएगी. अब तू ‘सर’ का चमड़े का डंडा अपने हाथ मे ले कर के देख वो तुझको आराम देने के लिए कितना आतुर है." "मा मैं अब भी समझ नही पाई," अंशु बोली. "आरी बेटी तू अभी सब समझ जाएगी, बस तू चुप चाप देखती जा ‘सर’ अभी तेरी सब मुश्किल दूर कर देंगे," ये कह कर मीना ‘सर’ की तरफ देखने लगी. ‘सर’ अब तक मा बेटी की बातें सुन रहे थे और अब उन्होने मीना को अपनी बाहों मे भर कर एक ज़ोर दार चुम्मा दिया और उसकी चूंची मसल्ने लगे. मीना की चूंची मसल्ते हुए उन्होने मीना का हाउस कोट उतार दिया. अब मा और बेटी दोनो ‘सर’ और मेरी आँखों के सामने नंगे थे. बस फरक ये था कि बेटी सीट पर अपने पैर फैलाए लेटी हुई थी और मा ‘सर’ की बाहों मे खड़ी खड़ी अपनी चूंची मलवा रही थी. दोनो मा और बेटी ने एक दूसरे की आँखो मे झाँका और मुस्कुरा दिए. अब अंशु अपने सीट पर बैठ गयी और अपना हाथ बढ़ा कर अपनी मा की चूंची को ‘सर’ के हाथों को हटा कर मसल्ने लगी. थोड़ी देर के बाद अंशु अपनी मा की चूंची मसलते हुए उनके पैर के पास बैठ गयी और अपनी की चूत पर अपनी मुँह रगड़ने लगी. मीना ने अपने हाथों से अंशु का चहेरा अपनी चूत पर कस कस कर दबाने लगी. थोड़ी देर के बाद मा और बेटी एक दूसरे से लिपटे कर खड़े रहे और फिर उन्होने आगे जा कर ‘सर’ को अपने हाथों से पकड़ लिया. अंशु ने ‘सर’ के होठों का चुम्मा लेना शुरू किया और मीना ‘सर’ की लूँगी हटा कर उनका लंड को पकड़ कर मरोड़ने लगी. ‘सर’ का लंड देख कर मैं हैरान हो गया. उनकी लंड की लूंबाई लगभग 11" और मोटाई करीब 4" था और सुपरा फूल करके बिल्कुल एक छोटा सा टमाटर सा दिख रहा था. मुझे उपर लेटे लेटे चिंता होने लगी कि जब ‘सर’ का लंड अंशु की चूत मे घुसेगा तो चूत की क्या हालत होगी. अंशु की चूत बिल्कुल फॅट जाएगी और हो सकता है कि डॉक्टर को बुलाना पड़े. अब मैने अपना मुँह कंबल से निकाल लिया और उनकी तरफ करवट ले कर उनके कारनामे देखने लगा. ‘सर’ अब मीना को छोड़ कर फिर से अंशु के पास पहुँच गये और उसे अपनी बाहों मे लेकर उसकी चूत मसल्ने लगे. अंशु ने चूत मसल्ने केसाथ ही अपनी टाँगे फैला दी और फिर एक पैर सीट पर रख दिया. अब ‘सर’ ने झुक कर अंशु की चूत मे अपनी जीब घुसेड कर उसको अपनी जीब से चोदने लगे. ये सब देख कर मीना जो अब तक खुद ही अपनी चूत मे उंगली अंदर बाहर कर रही थी, आगे बढ़ी और ‘सर’ का फूला हुआ सुपरा अपने मुँह मे भर लिया और चूसने लगी. तब ‘सर’ ने अंशु को सीट के किनारे पैर फैला कर बैठा दिया और उसके पैर सीट पर रख दी. ऐसा करने से अंशु की चूत अब बिल्कुल खुल कर सीट के किनारे आ गयी तो ‘सर’ ने वही बात कर अंशु की चूत को चाटने और चूसने लगे. मीना को भी अब तक नशा चढ़ चुक्का था उसने ‘सर’ के आगे बैठ कर ‘सर’ का लंड अपने मुँह मे भर लिया और चूसना शुरू कर दिया. मैं ये सब देख कर अपने आप को रोक ना सका और अपने सीट पर बैठ गया. मुझको उठते देख कर तीनो घबरा गये और अपने अपने कपड़े ढूँडने लगे. मैं हंस कर बोला, "सॉरी, मैं आप लोग को डिस्टर्ब नही करना चाहता था, लेकिन मैं अपने आप को रोक नही पाया. कोई बात नही आप लोग अपना कम जारी रखिए मैं यहाँ बैठा हूँ." क्रमशः............
 












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