Tuesday, September 2, 2014

Fentency माँ दीदी को जमकर

Fentency

  माँ दीदी को जमकर 

 दोस्तों ,जब में सेनिक स्कूल में पढकर घर आया तो मेरी समझ में ये तो आ गया था की अगर आपको सेक्स का आरंभ करना हे तो आपके घर से ज्यादा आसन कोई जगह नही क्योकि आप अपनी माँ बहन भाभी चाची मामी ताई को आसानी से मोका देख कर नंगा देख सकते हे ,उनके अंगो को छू सकते हे ,उनके कपड़ो को देख कर मूठ मार सकते हे ,और कोशिश करे तो उन्हें चोद भी सकते हे।
मेरे घर में मेरे पापा,मेरी माँ जिनकी उम्र ३८ साल के लगभग हे वो, और मुझसे बड़ी १ बहन नेहा हे। मेरी माँ का नाम कमलेश हे जो खुबसूरत तो हे ही साथ में आकर्षक बदन की मालकिन भी हे,उनके चूतड काफी गुदाज हे उनके बोबे तने हुए भरे पुरे हे। कमर एकदम पतली और होठ एसे की हमेशा चूमने का मन करे। मेरी बहन संगीता भी एकदम मस्त कटीली हे उसके चूतड जब वो चलती थी तो एसे हिलते थे की दिल में आग लग जाती थी,और बोबे तो उसकी टी शर्ट में से बाहर बाहर निकलने को बेताब रहते थे।
हम लोग एक मिडल-कलास फमिली है और एक छोटे से फ्लैट मे आगरा मे रहते हैं.
हमारा घर मे एक छोटा सा हाल, डिनिंग रूम दो बेडरूम और एक किचन है बाथरूम एक ही था और उसको सभी लोग इस्तेमाल करते थे.शुरू शुरू मे मुझे सेक्स के बारे कुछ नही मालूम था क्योंकि मै हाई सकूल मे पढ़ता था और हमारे बिल्डिंग मे भी अच्छी मेरे उमर की कोई लड़की नही थी. इसलिए मैने अभी तक सेक्स का मज़ा नही लिया था और ना ही मैने अब तक कोई नंगी लड़की देखी थी. हाँ मै कभी कभी पॉर्न मैगजीन मे नंगी तसबीर देख लिया करता था.
मुझे अभी तक याद है की मै अपना पहला मुठ मेरी दीदी के लिए ही मारा था. एक सन्डे सुबह सुबह जैसे ही मेरी दीदी बाथरूम से निकली मै बाथरूम मे घुस गया. मै बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और अपने कपड़े खोलना शुरू किया. मुझे जोरो की पिशाब लगी थी. पिशाब करने के बाद मै अपने लंड से खेलने लगा. एका एक मेरी नज़र बाथरूम के किनारे दीदी के उतरे हुए कपड़े पर पड़ी. वहां पर दीदी अपनी नाइटगाऊन उतार कर छोड़ गयी थी. जैसे ही मैने दीदी की नाइटगाऊन उठाया तो देखा की नाइटगाऊन के नीचे दीदी की ब्रा पडा हुआ था. जैसे ही मै दीदी का काले रंग का ब्रा उठाया तो मेरा लंड अपने आप खडा होने लगा. मै दीदी के नाइटगाऊन उठाया तो उसमे से दीदी के नीले रंग का पैँटी भी गिर कर नीचे गिर गया. मैने पैँटी भी उठा लिया. अब मेरे एक हाथ मे दीदी की पैँटी थी और दूसरे हाथ मे दीदी के ब्रा था.
ओह भगवान दीदी के अन्दर वाले कपड़े चूमे से ही कितना मज़ा आ रहा है यह वोही ब्रा हैं जो की कुछ देर पहले दीदी के चुन्चिओं को जकड रखा था और यह वोही पैँटी हैं जो की कुछ देर पहले तक दीदी की चूत से लिपटा था. यह सोच सोच करके मै हैरान हो रहा था और अंदर ही अंदर गरमा रहा था. मै सोच नही पा रहा था की मै दीदी के ब्रा और पैँटी को ले कर क्या करूँ. मै दीदी की ब्रा और पैँटी को ले कर हर तरफ़ से छुआ, सूंघा, चाटा और पता नही क्या क्या किया. मैने उन कपड़ों को अपने लंड पर मला. ब्रा को अपने छाती पर रखा. मै अपने खड़े लंड के ऊपर दीदी की पैँटी को पहना और वो लंड के ऊपर तना हुआ था. फिर बाद मे मैं दीदी की नाइटगाऊन को बाथरूम के दीवार के पास एक हैंगर पर टांग दिया. फिर कपड़े टांगने वाला पिन लेकर ब्रा को नाइटगाऊन के ऊपरी भाग मे फँसा दिया और पैँटी को नाइटगाऊन के कमर के पास फँसा दिया. अब ऐसा लग रहा था की दीदी बाथरूम मे दीवार के सहारे ख़ड़ी हैं और मुझे अपनी ब्रा और पैँटी दिखा रही हैं मै झट जा कर दीदी के नाइटगाऊन से चिपक गया और उनकी ब्रा को चूसने लगा और मन ही मन सोचने लगा की मैं दीदी की चुंची चूस रहा हूँ. मै अपना लंड को दीदी के पैँटी पर रगड़ने लगा और सोचने लगा की मै दीदी को चोद रहा हूँ. मै इतना गरम हो गया था की मेरा लंड फूल कर पूरा का पूरा टनना गया था और थोड़ी देर के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मै झड़ गया. मेरे लंड ने पहली बार अपना पानी छोड़ा था और मेरे पानी से दीदी की पैँटी और नाइटगाऊन भीग गया था. मुझे पता नही की मेरे लंड ने कितना वीरज़ निकाला था लेकिन जो कुछ निकला था वो मेरे दीदी के नाम पर निकला था.
मेरा पहले पहले बार झड़ना इतना तेज़ था की मेरे पैर जवाब दे दिया और मै पैरों पर ख़ड़ा नही हो पा रहा था और मै चुप चाप बाथरूम के फ़र्श पर बैठ गया. थॉरी देर के बाद मुझे होश आया और मै उठ कर नहाने लगा. शोवेर के नीचे नहा कर मुझे कुछ ताज़गी महसूस हुआ और मै फ़्रेश हो गया. नहाने बाद मै दीवार से दीदी की नाइटगाऊन, ब्रा और पैँटी उतारा और उसमे से अपना वीर्य धो कर साफ़ किया और नीचे रख दिया. उस दिन के बाद से मेरा यह मुठ मरने का तरीक़ा मेरा सबसे फ़ेवरेट हो गया.
लेकिन एक दिन मै अपने दोस्तों के साथ वी सी आर पर एक बहुत ही सेक्सी फिल्म देख कर आया था और मौका न मिल पाने के कारन उस दिन मुठ नहीं मार सका था | इसलिए पूरा दिन परेशान रहा |मगर पूरा दिन मुझे मुठ मारने का मौका मिला ही नहीं और मुझे रात को बिना मुठ मरे ही सोना पड़ा |
उसी रात मेरे साथ वह हुआ जो शायद इस समाज की नजरो में गलत होगा मगर अब मेरी नजरो में गलत नहीं है | मुझे कामुकता के कारण नींद नहीं आ रही थी और मै करवटे बदल रहा था कि अचानक मेरी नजर मेरे बराबर में सोती हुई मेरी दीदी पर पड़ी | (यहाँ मै आपको बता दूँ की शुरू से ही हम दोनों भाई बहिन एक कमरे में सोते थे और हमारे मम्मी-पापा दुसरे कमरे में सोते थे |)नींद में बेफिक्र हो कर सो रही मेरी बहन बहुत-बहुत सुंदर लग रही थी | और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि नींद में सोती हुई मेरी बहिन के बूब्स बाहर आ रहे थे |पहले तो उसके बूब्स देखते ही मेरे अंदर हवस जाग उठी मगर दुसरे ही पल मेरे अंदर का भाई भी जाग गया और मैंने खुद पर कण्ट्रोल करते हुए अपनी करवट बदल ली |
मगर बहुत जयादा देर तक मेरे अंदर का भाई जागा न रह सका और मेरे अंदर का मर्द जाग गया | मै दिन भर से तो परेशां था ही, अब जयादा देर खुद पर कण्ट्रोल न कर सका और वापिस करवट बदल कर अपनी ही छोटी बहन के बूब्स देखने लगा | सच कहता हूँ उस समय मेरे अंदर मिले जुले विचार आ रहे थे | कभी तो मै अपनी ही बहन के बूब्स देख कर उत्तेजित हो रहा था और कभी खुद पर ग्लानी महसूस करता था |
मगर फिर भी उसके बूब्स देखने का मौका मै खोना नहीं चाहता था इसलिए उस रात मै जी भरकर अपनी बहिन के बूब्स देखता रहा मगर उसे छूने कि हिम्मत नहीं कर सका | लेकिन उसके गोरे-चिट्टे छोटे-छोटे बूब्स ने मेरे लंड का हाल बुरा कर दिया था इसलिए मै लेटे-लेटे ही बिना पजामा खोले ही मुठ मारने लगा और अपनी बहन के बूब्स को निहारने लगा |
बस उस दिन के बाद से ही मै अपनी बहन को ही उस नजर से देखने लगा था जिसे ये समाज तो सेक्स कहता है लेकिंन मै उससे प्यार कहूँगा | उस रात के बाद से मै जाग-जाग कर अपनी बहन के सो जाने का इन्तजार करने लगा | और साथ ही इन्तजार करता उसके सोते समय बूब्स के बहार निकल जाने का | कभी कभी तो मै पूरी पूरी रात जगता रह जाता मगर संगीता के बूब्स बहार ना निकलते और मै डर के कारण उसे छू नहीं सकता था | अब तो दिन रात मेरे ऊपर मेरी ही सगी बहन के प्यार का भूत स्वर हो चूका था | मै सेक्सी फिल्म देखता तो मुझे दीदी नजर आती और दीदी को देखता तो सेक्सी फिल्म कि हिरोइन नजर आती | ये सिलसिला लगभग एक साल तक चलता रहा और मै ऐसे ही दीदी के नाम कि मुठ मारने लगा मगर कुछ करने कि हिम्मत नहीं कर सका |बस रात रात भर जाग कर अपनी बहन के बूब्स बाहर आने का इन्तजार करता |
लेकिन दिन-ब-दिन मेरे अंदर दीदी को पाने कि चाहत बढती जा रही थी | अब मेरी नजर सिर्फ और सिर्फ दीदी के बूब्स पर ही रूकने लगी थी | मै जाने अनजाने में सबके सामने भी दीदी के बूब्स ही निहारता रहता था और इस बात के लिए एक-दो बार मेरे दोस्तों ने मजाक मजाक में टोक भी दिया था, मगर मैंने उन्हें नाराजगी जताते हुए इस बात के लिए डांट दिया था | लेकिन सच तो यही था कि अब मै दीदी के प्यार मे पागल हो चूका था और उसको पाने कि चाहत में अपनी सभी हदे पार करने लगा था |
इसलिए अब रात को जब दीदी के बूब्स बहार नहीं निकलते थे तो मे खुद अपने हाथ से उन्हें बहार निकालने लगा था | लेकिन बूब्स को बहार निकालते समय मै इस बात का विशेष ध्यान रखता था कि कही दीदी कि नींद न टूट जाये |
धीरे धीरे मेरी हिम्मत भी बढती जा रही थी और मै रोज ही दीदी के बूब्स निकल कर धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा , कभी कभी हलके से किस कर देता तो कभी कभी अपना लंड ही उसके हाथ में दे देता |
एक रात मेरा पागलपन कुछ ज्यादा ही बढ गया और मै रोज कि तरह दीदी के बूब्स से खेलने लगा| साथ ही साथ अपना लंड दीदी के हाथ में दे कर मुठ मरवा रहा था कि अचानक मै अपना कण्ट्रोल खो बैठा और उत्तेजना में बहुत जोर जोर से दीदी के बूब्स चूसने लगा | अपनी उत्तेजना में मै ये भूल गया कि मै अपनी ही बड़ी बहन को सोते समय प्यार कर रहा हूँ और अपना लंड उसके हाथ में दे कर जोर जोर से मुठ मरवाते हुए, बहुत जोर जोर से उसके बूब्स अपने हाथ से दबाते हुए मै उससे लिप्स टू लिप्स किस्स करने लगा (और ये सब बहुत जोर जोर से करने लगा था ) कि अचानक दीदी कि नींद खुल गयी | लेकिन जिस टाइम दीदी कि नींद खुली उस टाइम मेरे होठ उसके होठो को चूस रहे थे इसलिए वो चिल्ला तो न सकी मगर डर बहुत गयी | मेरे ऊपर उस समय जैसे शैतान सावार था | मै उस समाया अपनी चरम सीमा के समीप था | मैंने दीदी के जग जाने कि परवाह नहीं कि और पागलो कि तरह उससे किस्स करता रहा , जोर जोर से उसके बूब्स दबाता रहा और उसके हाथ में अपना लंड दे कर जोर जोर से मुठ मरवाता रहा |दीदी इतनी डर चुकी थी कि वो निष्क्रिय सी मेरे नीचे चुपचाप पड़ी रही | कभी कभी उसके चेहरे पर दर्द के भाव जरुर आ रहे थे मगर होठों पर मेरे होंठ होने के कारण वो कुछ बोल नहीं सकती थी | थोड़ी ही देर में (सिर्फ चंद ही मिनटों में )मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मेरा सारा वीर्य दीदी के हाथ में था | मगर जैसे ही मेरे लंड ने पानी छोड़ा और मेरा पागलपन खत्म हुआ - मेरे हाल ख़राब हो गया | मुझे होश आया तो विचार आया कि अब दीदी मम्मी-पापा को सब बता देगी और अब मेरी खैर नहीं | बस यही सोच कर मेरी हालत ख़राब हुए जा रही थी | लेकिन दीदी चुपचाप गुमसुम और सहमी से अपने बिस्तर पर पड़ी हुई थी |
यहाँ तक कि न तो दीदी ने अपना हाथ ही साफ किया था और न ही उसने अपने बूब्स अंदर करे थे , वो तो जैसे गुमसुम सी हो गयी थी और मै उससे कही जयादा डर रहा था कि अभी दीदी चीखेगी और मम्मी-पापा को सब बता देगी | मै एक दम से दीदी के हाथ-पैर जोड़ने लगा और उससे मानाने लगा कि वो मम्मी-पापा से कुछ न कहे | मै बार बार उससे माफ़ी मांग रहा था कि जो हुआ वो गलती से हो गया मगर दीदी कि कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी | वो बस चुप चाप सी उसी हालत में पड़ी हुई थी | अंत में मैंने ही उसके बूब्स को ढँक दिया और उसे सुलाने लगा | जब बहुत देर तक दीदी ने कोई शोर नहीं मचाया तो मेरे दिल को थोडा सा चैन मिला कि कम से कम आज रात तो वो मम्मी-पापा को कुछ कहने वाली नहीं है लेकिन सुबह कि सोच का मुझे चिंता हुए जा रही थी | थोड़ी देर के बाद दीदी के रोने कि आवाज आने लगी | तब मैंने बार बार उससे माफ़ी मांगी और उससे वादा लिया कि वो मम्मी को कुछ नहीं कहेगी |जब दीदी ने मुझे वादा किया कि वो किसी को कुछ नहीं कहेगी तब कही जा कर मेरी जान में जान आई |
यूं तो दीदी ने मुझे वादा किया था कि वो किसी से कुछ नहीं कहेगी मगर सच तो ये है कि फिर भी मेरी गांड फट रही थी | मगर अगला पूरा दिन शांति से गुजर गया ,हाँ इतना जरुर था कि पूरे दिन मैं दीदी का विशेष ख्याल रख रहा था |अगली रात मैंने पूरी शांति के साथ गुजारी और बिना मुठ मरे या बिना दीदी के बूब्स देखे ही मै सो गया | | दीदी ने अभी तक किसी से मेरी शिकायत नहीं करी थी इस लिए अब डर कुछ कम हो गया था |उस रात मेरे दिल में फिर से अपनी बहन के बूब्स देखने कि इच्छा होने लगी | एक बार फिर से मेरा दिल दीदी के बूब्स को देखने के लिएय बेचैन हो गया था और मै रोज कि तरह दीदी के सोने का इन्तजार करने लगा था |लेकिन मैंने सोच रखा था कि इस बार मैं कोई गलती नहीं करूँगा |
रात के लगभग एक बजे जब मुझे लगा कि अब दीदी सो चुकी है तो मैंने फिर से उसके बूब्स को बाहर निकालें कि कोशिश करी | मगर जैसे ही मैंने दीदी के बूब्स को हाथ लगाया दीदी जाग गयी और बोली क्या कर रहे हो? एक बार फिर से मुझे दीदी ने रंगे हाथ पकड़ लिया था | मै एक दम से सक-पका गया और कोई उत्तर देते न बना | मै कुछ न बोल सका और अपना हाथ दीदी के बूब्स पर से हटाने लगा |तभी दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और वापिस अपने बूब्स पर रख दिया | इस बार दीदी बहुत शांत दिख रही थी | मुझे कुछ समझ में ना आ रहा था कि अब क्या होने वाला है ? कमरे में पूरा सन्नाटा छा चूका था कि तभी दीदी ने सन्नाटा तोड़ते हुए बहुत प्यार से कहा -
"मुझे पता है तू क्या करने वाले था ? तू मेरे बूब्स के साथ हमेशा कि तरह खेलना चाहते हो न ?"
उसकी ये बात सुन कर मै सन्न रह गया | मुझसे कोई बोल न बन पड़ा और मै हैरानी से दीदी को देखने लगा| दीदी फिर बोली- तुझको क्या लगता है तू जो रोज रात को मेरे बूब्स के साथ खेलते हो या मेरे हाथ में अपना वो (दीदी ने लंड न खेते हुए "वो" कहा था ) दे कर जो करते हो, मुझे उसका पता नहीं है?
भाई लड़की चाहे कोई भी हो इतनी गहरी नींद कभी नहीं सोती है कि कोई उसके बूब्स दबाये और उससे पता नहीं चल सके |मै हैरानी से दीदी कि बाते सुन रहा था और शर्म से पानी पानी हो रहा था | लेकिन जब दीदी ने ये सब बाते कही तो मै पूछ ही बैठा कि जब उसे ये सब पता था तो उसने आज तक मेरा विरोध क्यों नहीं किया? मेरी बात सुनकर दीदी मुस्कुराई और बोली भाई जैसे तुझको ये सब अच्छा लगता है मुझे भी तो अच्छा लगता था | वरना तुम ही सोचो जिस नजर से तू मेरे बूब्स देखते थे , क्या मुझे नहीं पता था कि तेरी निगाह कहा पड रही है ? ये सब कहते कहते दीदी मुस्कुरा रही थी और मेरे हाथ से धीरे धीरे अपने बूब्स को दबा भी रही थी |
दीदी कि बाते सुन कर मेरे होश उड़ रहे थे मगर साथ ही साथ उत्तेजना से मेरा लंड भी खड़ा होता जा रहा था | लेकिन तभी मेरे दिमाग में परसों रात वाली बात याद आ गयी जब मेरी अत्यधिक उत्तेजना के कारण दीदी कि नींद खुल गयी थी| मेरे पूछने पर दीदी ने बताया कि सच तो ये है इस उस रात वो भी डर गयी थी क्योकि अभी तक मै उसके साथ सभ्यता से पेश आता रहा था और उस रात मै अचानक पागलो के जैसे उससे प्यार कर रहा था | दीदी ने बताया कि उसे डर इस बात से लग रहा था कि कही मै उसका रेप न कर दूँ |
बाद में दीदी ने कहा कि भाई हम दोनों भाई बहन है इसलिए हम दोनों के बीच में पति पत्नी वाला सम्बन्ध तो कभी बन नहीं सकता , मगर हाँ हम दोनों एक दुसरे कि जरूरते तो पूरी कर ही सकते है |
सच कहता हूँ दोस्तों शायद आप इस बात का विश्वास करे या नहीं मगर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था | न ही मै खुद इस बात पर विश्वास कर पा रहा था कि मेरी बहन (जो मेरी सगी बहन है ) मेरी शारीरिक जरूरते पूरी करने कि बात कर रही थी | मेरा लंड ये सोच सोच कर मचल रहा था कि अब उसे दीदी अपने हाथ से सहलाया करेगी और मै ये सोच सोच कर पागल हुए जा रहा था कि पिछलेदिनों जिन बूब्स के लिए मै पागल था और छुप छुप का उन्हें देखता था , अब उन्ही बूब्स को मै बेझिझक हो कर मै छू सकूँगा, दबा सकूँगा और चूस सकूँगा |और जब जब मेरे दिमाग में ये बात आती कि ये सब मै किसी और लड़की के साथ नहीं बल्कि अपनी सगी बहन के साथ चुदाई करूँगा...................मेरी उत्तेजन और भी बढ जाती |और अपनी इसी उत्तेजना मे मै एक बार फिर से पागलो कि तरह अपनी बहन पर टूट पड़ा | अब मै परसों से भी जयादा जोर से अपनी बहन के बूब्स दबाने लगा, परसों से भी जयादा जोर से उसके होंठ पीने लगा और बिना किसी डर या शर्म के उसका हाथ पकड़ कर पजामे के ऊपर ही अपने लंड पर रगड़ने लगा |

हम दोनो के बदन में आग लगी हुई थी, और हम बेचैन थे कि, कब हम एक-दुसरे की बांहो में खो जाये।वासना की आग ने, हमारी सोचने-समझने की शक्ति शायद खतम कर दी थी। मैने जोर से अपनी प्यारी बहन को अपनी बांहो में कस लिया, और उसके पुरे चेहरे पर चुंबनो की बरसात कर दी। उसने भी मुझे अपनी बांहो में कस कर जकड लिया था, और उसकी कठोर चुचियां मेरी छाती में दब रही थी। उसकी चुचियों के खडे निप्पल की चुभन को, मैं अपने छाती पर महसूस कर रहा था। उसकी कमर और जांघे मेरी जांघो से सटी हुई थी, और मेरा खडा लंड मेरे पेन्ट के अंदर से ही उसकी स्कर्ट पर, ठीक उसकी बुर के उपर ठोकर मार रहा था। मेरी प्यारी दीदी अपनी चूत को मेरे खडे लंड पर, पेन्ट के उपर से रगड रही थी। हम दोनो के होंठ एक-दुसरे से जुडे हुए थे और मैं अपनी प्यारी बहन के पतले, रसीले होंठो को चुसते हुए, चुम रहा था। उसके होंठो को चुसते और काटते हुए, मैने अपनी जीभ को उसके मुंह में ठेल दिया था। उसके मुंह के अंदर जीभ को चारो तरफ घुमते हुए, उसकी जीभ से अपनी जीभ को लडाते हुए, दोनो भाई-बहन एक-दुसरे के बदन से खेल रहे थे। उसके हाथ मेरी पीठ पर से फिरते हुए, मेरे चुतडों और कमर को दबाते हुए, अपनी तरफ खींच रहे थे। मैं भी उसके चुतडों को दबाते हुए, उसकी गांड की दरार में स्कर्ट के उपर से ही अपनी उन्गली चला रहा था। कुछ देर तक इसी अवस्था में रहने के बाद मैने उसे छोड दिया, और वो बेड पर चली गई।

उसने अपने घुटनो को बेड के किनारे पर जमा दिया। फिर वो इस तरह से झुक गई, जैसे कि वो बेड की दुसरी तरफ कोई चीज खोज रही हो। अपने घुटनो को बेड पर जमने के बाद, मेरी प्यारी बेहना ने गरदन घुमा कर मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए अपने स्कर्ट को उपर उठा दिया। इस प्रकार उसके खूबसुरत गोलाकार चुतड, जो कि नायलोन की एक जालीदार कसी हुई पेन्टी के अंदर कैद थे, दिखने लगे। उसकी चूत के उभार के उपर, उसकी पेन्टी एक दम कसी हुई थी और मैं देखा रहा था कि, चूत के उपर पेन्टी का जो भाग था, वो पुरी तरह से भीगा हुआ था। मैं दौड के उसके पास पहुंच गया और अपने चेहरे को, उसकी पेन्टी से ढकी हुई चूत और गांड के बिच में घुसा दिया। उसके बदन की खुश्बू, और उसकी चूत के पानी व पसिने की महक ने मेरा दिमाग घुमा दिया, और मैने बुर के रस से भीगी हुई उसकी पेन्टी को चाट लिया। वो आनंद से सिसकारीयां ले रही थी, और उसने मुझसे अपनी पेन्टी को निकाल देने का आग्रह किया।
मैने उसकी चूत और गांड को कस कर चुमा, उसके मांसल चुतडों को अपने दांतो से काटा और उसके बुर से निकलने वाली मादक गंध को एक लम्बी सांस लेकर अपने फेफडों में भर लिया। मेरा लंड पुरी तरह से खडा हो चुका था, और मैने अपने पेन्ट और अंडरवियर को खोल कर इसे आजादी दे दी। दीदी की मांसल, कंदील जांघो को अपने हाथो से कस कर पकडते हुए, मैं उसकी पेन्टी के उपर से ही उसकी चूत चाटने लगा। जालीदार पेन्टी से रीस-रीस कर बुर का पानी निकल रहा था। मैं पेन्टी के साथ ही उसकी बुर को अपने मुंह में भरते हुए, चुसते हुए, चाट रहा था। पेन्टी का बिच वाला भाग सीमट कर उसकी चूत और गांड की दरार में फस गया था, और मैं चूत चाटते हुए, उसकी गांड पर भी अपना मुंह मार रहा था। मेरे ऐसा करने से बहन की उत्तेजना बढ गई थी। वो अपनी गांड को नचाते हुए, अपनी चूत और चुतडों को मेरे चेहरे पर रगड रही थी। फिर मैने धीरे से अपनी बहन की पेन्टी को उतार दिया। उसके खूबसुरत चुतडों को देख कर मेरे लंड को जोरदार झटका लगा। उसके मैदे जैसे, गोरे चुतडों की बिच की खाई में भुरे रंग की अनछुई गांड, एकदम किसी फूल की कली की तरह दिख रही थी। जिसे शायद किसी विशेष अवसर पर (जैसाकि दीदी ने प्रोमिस किया था), मारने का मौका मुझे मिलने वाला था। उसकी गांड के निचे गुलाबी पंखुडियों वाली उसकी चिकनी चूत थी। दीदी की चूत के होंठ फडफडा रहे थे और भीगे हुए थे। मैने अपने हाथो को धीरे से उसके चुतडों और गांड की दरार में फिराया, फिर धीरे से हाथो को सरका कर उसकी बिना झांठो वाली चूत के छेद को अपनी उन्गलियों से कुरेदते हुए, सहलाने लगा। मेरी उन्गलियों पर उसकी चूत से निकला, उसका रस लग गया था। मैने उसे अपनी नाक के पास ले जा कर सुंघा, और फिर जीभ निकल कर चाट लिया। मेरी प्यारी बहन के मुंह लगातार सिसकारीयां निकल रही थी, और उसने मुझसे कहा,
“भाई, जैसाकि मैं समझती, अब तुमने जी भर कर मेरे चुतडों और चूत को देखा लिया है। इसलिये तुम्हे अपना काम शुरु करने में देर नही करनी चाहिए।”

मैं भी अब ज्यादा देर नही करना चाहता था, और झुक कर मैने उसकी चूत के होंठो पर अपने होंठो को जमा दिया। फिर अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया। उसकी बुर का रस नमकीन-सा था। मैने उसकी बुर के कांपते हुए होंठो को, अपनी उन्गलियों से खोल दिया, और अपनी जीभ को कडा और नुकिला बना कर, चूत के छेद में घुसा कर उसके भगनशे को खोजने लगा।उसके छोटे-से भगनशे को खोजने में मुझे ज्यादा वक्त नही लगा। मैने उसे अपने होंठो के बिच दबा लिया, और अपनी जीभ से उसको छेडने लगा। दीदी ने आनंद और मजे से सिसकारीयां भरते हुए, अपनी गांड को नचाते हुए, एक बहुत जोर का धक्का अपनी चूत से मेरे मुंह की ओर मारा। ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी जीभ को वो अपनी चूत में निगल लेना चाहती हो। वो बहुत तेज सिसकारीयां ले रही थी, और शायद उत्तेजना की पराकाष्ठा तक पहुंच चुकी थी। मैं उसके भगनशे को अपने होंठो के बिच दबा कर चुसते हुए, अपनी जीभ को अब उसके पेशाब करने वाले छेद में भी घुमा रहा था। उसके पेशाब की तीव्र गंध ने मुझे पागल बना दिया था। मैने अपनी दो उन्गलियों की सहायता से, उसके पेशाब करने वाले छेद को थोडा फैला दिया। फिर अपनी जीभ को उसमे तेजी से नचाने लगा। मुजे ऐसा करने में मजा आ रहा था, और दीदी भी अपनी गांड को नचाते हुए सिसकारीयां ले रही थी।

“ओह भाई, तुम बहुत अच्छा कर रहे हो। डार्लिंग ब्रधर, इसी प्रकार से अपनी बहन की गरमाई हुई बुर को चाटो, हां,,, हां भाई,,,, मेरे पेशाब करने वाले छेद को भी चाटो और चुसो। मुझे बहुत मजा आ रहा है, और मुझे लगता है, शायद मेरा पेशाब निकल जायेगा। ओह भाई, तुम इस बात का ख्याल रखना कि, कहीं तुम मेरे मुत ही नही पी जाओ।”

मैने दीदी की चूत पर से, अपने मुंह को एक पल के लिये हटाते हुए कहा,
“ओह सिस्टर, तुम्हारे पेशाब और चूत की खूश्बु ने मुझे पागल बना दिया है। ऐसा लगता है कि, मैने तुम्हारी मुत की एक-दो बुंद पी भी ली है, और मैं अपने आप को इसका और ज्यादा स्वाद लेने से नही रोक पा रहा हुं। हाये दीदी, सच में तुम्हारे बदन से निकलने वाली हर चीज बहुत ही स्वादिष्ट है,,,,, ओह,,,,।”“ओह भाई ! लगता है, तुम कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो चुके हो, और मुझे ये बहुत पसंद है। तुम्हारा इस तरह से मुझे प्यार करना, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, प्यारे भाई। पर अगर तुम इसी तरह से मेरी चूत और पेशाब वाले छेद को चुसोगे, तो मुझे लगता है कि मेरा पेशाब निकल जायेगा। और मैं नही चाहती कि, हमारे कपडे और बिस्तर खराब हो,,,,,,,, ओह राजा, मेरे प्यारे सनम,,,,,,,तुम इस बात का ख्याल रखते हुए मुझे प्यार करो।”

मैं अभी तक पेशाब वाले छेद को चिडोर-चिडोर कर चाट रहा था। मगर दीदी के बोलने पर मैने उसको छोड कर, अपना ध्यान उसकी चूत और भगनशे पर लगा दिया। उसके भगनशे को अपने होंठो से छेडते हुए, उसकी पनियाई हुई बुर के कसे हुए छेद में, अपनी जीभ को नुकिला करके पेलने लगा। अपने हाथो से उसके चुतडों और गांड के छेद को सहलाते हुए, मैं उसकी गांड के छेद को अपने अंगुठे से छेडने लगा। मैं अपनी जीभ को कडा कर के उसकी चूत में तेजी के साथ पेल रहा था, और जीभ को बुर के अंदर पुरा ले जाकर उसे घुमा रहा था। दीदी भी अपने चुतडों को तेजी के साथ नचाते हुए, अपनी गांड को मेरी जीभ पर धकेल रही थी, और मैं उसकी बुर को चोद रहा था।

हालांकि, इस समय मेरा दिल अपनी प्यारी बहन की गांड के भुरे रंग के छेद को चाटने का कर रहा था। परंतु मैने देखा कि, दीदी अब उत्तेजना की सीमा को पार कर चुकी थी, शायद। वो अब अपने चुतडों नचाते हुए बहुत तेज सिसकारीयां ले रही थी।

“,,,,,भाई, तुम मुझे पागल बना रहे हो,,,,,,ओह,,,,डार्लिंग ब्रधर हां ऐसे,,,,, ही,,,,, ऐसे ही, चुसो मेरी चूत को,,,,,,,मेरी बुर के होंठो को अपने मुंह में भर कर,,,, ऐसे ही चाटो राजा,,,,,,ओह, प्यारे,,,,, बहुत अच्छा कर रहे हो तुम। इसी प्रकार से मेरी चूत के छेद में अपनी जीभ को पेलो, और अपने मुंह से चोद दो, मुझे। हाय, मेरे चोदु भाई,,,,, मेरी चूत के होंठो को काट लो और उन्हे काटते हुए अपनी जीभ को मेरी बुर में पेलो।”
चूत के रस को चाटते हुए और बुर में जीभ पेलते हुए, मैं उसके भगनशे को भी छेड देता था। मेरे ऐसा करने पर वो अपनी गांड को और ज्यादा तेजी के साथ लहराने लगती थी। दीदी अब पुरी उत्तेजना में आ चुकी थी। मैने अपने पंजो के बिच में उसके दोनो छुतडों को दबाया हुआ था, ताकि मुझे उसकी प्यारी चूत को अपने जीभ से चोदने में परेशानी ना हो। मैं अपनी नुकिली जीभ को उसकी चूत के अंदर गहराई तक पेल कर, घुमा रहा था।

“ओह भाआआईईईई,,,,,, ऐसे ही प्यारे, मेरे डार्लिंग ब्रधर,,,,, ऐसे ही। ओह,,,, खा जाओ मेरी चूत को, चुस लो इसका सारा रस,,,, प्यारे!!!! ओह,,, चोदु,,,, मेरे भगनशे को ऐसे ही छेडो और कस कर अपनी जीभ को पेलो,,,,,,,, ओओओओह्ह्ह्ह,,, सीईईईईईई मेरे चुदक्कड बालम,,,, मेरा अब निकलने ही वाला,,,, ओह…मैं गई,,,,,,, गईईईईई,,,,,,,, गई राआज्जाआआ,,,,, ओह बुरचोदु,,,,,,,,देखो मेरा निकल रहा है,,,,,,,,, हायेएएए,,, पी जाओ,,,,,, इसे!!!!! ओह,,,, पी,,,,, जाओ मेरी चूत से निकले पानी को,,,,,,,ईईईईईशीशीशीश्श्शीईई,,
,, भाई, मेरी चूत से निकले स्वादिष्ट पानी को पीईईई जाआआओओओ प्याआआरेएएएए,,,,,”,
कहते हुए दीदी अपनी चूत झाडने लगी।

उसकी मखमली चूत से गाढा द्रव्य निकलने लगा। वो मेरे चेहरे को अपनी चूत और चुतडों के बिच दबाये हुए, बिस्तर पर अपनी गांड को नचाते हुए गीर गई। उसकी चूत अभी भी फडफडा रही थी, और उसकी गांड में भी कंपन हो रहा था। मैने उसकी चूत से निकले हुए रस की एक-एक बुंद को चाट लिया, और अपने सिर को उसकी मांसल जांघो के बिच से निकाल लिया।

मेरी बहन बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी। कमर के निचे वो पुरी नंगी थी। झड जाने के कारण उसकी आंखे बंध थी, और उसके गुलाबी होंठ हल्के-से खुले हुए थे। वो बहुत गहरी सांसे ले रही थी। उसने अपने एक पैर को घुटनो के पास से मोडा हुआ था और दुसरे पैर को फैलाया हुआ था। उसके लेटने की ये स्थिति बहुत ही कामुक थी। इस स्थिति में उसकी सुनहरी, गुलाबी चूत, गांड का भुरे रंग का छेद और उसके गुदाज चुतड मेरी आंखो के सामने खुले पडे थे और मुझे अपनी ओर खींच रहे थे। मेरा खडा लौडा, अब दर्द करने लगा था। मेरे लंड का सुपडा, एक लाल टमाटर के जैसा दिख रहा था। मेरे लंड को किसी छेद की सख्त जुरुरत महसूस हो रही थी। मैं गहरी सांसे खींचता हुआ, अपनी उत्तेजना पर काबु पाने की कोशिश कर रहा था। मेरे हाथ मेरी दीदी के नंगे चुतडों के साथ खेलने के लिये बेताब हो रहे थे। मैं अपने अंडकोषो को सहलाते हुए, सुपाडे के छेद पर जमा हुई पानी की बुंदो को देखते हुए, अपनी प्यारी नंगी बहन के बगल में बेड पर बैठ गया। मेरे बेड पर बैठते ही दीदी ने अपनी आंखे खोल दी। ऐसा लग रहा था, जैसे वो एक बहुत ही गहरी निंद से जागी हो। जब उसने मुझे और मेरे खडे लंड को देखा तो, जैसे उसे सब कुछ याद आ गया और उसने अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए, मेरे खडे लंड को अपने हाथो में भर लिया और बोली,
“ओह प्यारे, सच में तुमने मुझे बहुत सुख दिया है। ओह भाई, तुमने जो किया है, वो सच में बहुत खुशनुमा था। मैं बहुत दिनो के बाद इस प्रकार से झडी हुं।,,,,, ओह प्यारे, तुम्हारा लंड तो एकदम खडा है।,,,,,,ओह,,, मुझे ध्यान ही नही रहा कि, मेरे प्यारे भाई का डण्डा खडा होगा और उसे भी एक छेद की जुरूरत होगी। ओह डार्लिंग आओ,,,,,,,, जल्दी आओ, तुम्हारे लंड में खुजली हो रही होगी। मैं भी तैयार हुं,,,,, तुम्हारा खडा लंड देख कर मुझे भी उत्तेजना हो रही है, और मेरी बुर भी अब खुजलाने लगी है।”

“ऐसा नही है दीदी, अगर इस समय तुम्हारी ईच्छा नही है तो कोई बात नही है। मैं अपने लंड को हाथ से झाड लुन्गा।”

“नही भाई, तुम अपनी बहन के होते हुए ऐसा कभी नही कर सकते, अगर कुछ करना होगा तो मैं करुन्गी। भाई, मैं इतनी स्वार्थी नही हुं कि, अपने प्यारे सगे भाई को ऐसे तडपता हुआ छोड दुं। आओ भाई, चढ जाओ अपनी बहन पर और जल्दी से चोदो,,,,,,,,,, चलो, जल्दी से चुदाई का खेल शुरु करें।”

मैने उसके होंठो पर एक जोरदार चुंबन जड दिया। और उसके मांसल, मलाईदार चुतडों को अपने हाथो से मसलते हुए, उससे कहा,
“दीदी, तुम फिर से घुटनो के बल हो जाओ, मैं तुम्हे पिछे से चोदना चाहता हुं।”मेरी बात सुन कर मेरी प्यारी सिस्टरने बिना एक पल गंवाये, फिर से वही पोजीसन बना ली। उसने घुटनो के बल होकर, अपनी गरदन को पिछे घुमा कर मुस्कुराते हुए, मुझे अपनी बडी-बडी आंखो को नचाते हुए आमंत्रण दिया। उसने अपने पैरों को फैला कर, अपने खजाने को मेरे लिये पुरा खोल दिया। मैने फिर से अपने चेहरे को उसकी जांघो के बिच घुसा दिया, और उसकी चूत को चाटने लगा। चूत चाटते हुए अपनी जीभ को उपर की तरफ ले गया, और उसकी खूबसुरत और मांसल गांड की दरार में अपनी जीभ को घुसा दिया और जीभ निकाल कर उसकी गांड को चाटने लगा। मैने अपने दोनो हाथो से उसके चुतडों फैला कर, उसकी गांड के छेद को चौडा कर दिया। फिर अपनी जीभ को कडा करके, उसकी गांड में धकेलने की कोशिश करने लगा। उसकी गांड बहुत टाईट थी और इसे मैं अपनी जीभ से नही चोद पाया। मगर मैं उसकी गांड को तब तक चाटता रहा, जब तक कि, दीदी चिल्लाने नही लगी और सिसयाते हुए मुझे बोलने लगी,
“ओह ब्रधर, अब देर मत करो। मैं अब गरम हो गई हुं। अब जल्दी से अपनी प्यारी बहन को चोद दो, और अपनी प्यास बुझा लो। मैं समझती हुं, अब हमारा ज्यादा देर करना उचित नही होगा। ओह भाई, जल्दी करो और अपने लंड को मेरी चूत में पेल दो।”

मैने अपने खडे लंड को उसकी गीली चूत के छेद पर लगा दिया। फिर एक जोरदार धक्के के साथ अपना पुर लंड उसकी बुर में, एक ही बार में पेल दिया। ओह, क्या अदभुत अहसास था, यह ! इसका वर्णन शब्दो में करना संभव नही है। उसकी रस से भरी, पनियाई हुई चूत ने, मेरे लौडे को अपनी गरम आगोश में ले लिया। उसकी मखमली चूत ने मेरे लंड को पुरी तरह से कस लिया। मैं धक्के लगाने लगा। मेरी प्यारी बहन ने भी अपनी गांड को पिछे की तरफ धकेलते हुए, मेरे लंड को अपनी चूत में लेना शुरु कर दिया। हम दोनो भाई-बहन, अब पुरी तरह से मदहोश होकर मजे की दुनिया में उतर चुके थे। मैं आगे झुक कर, उसकी कांख की तरफ से अपने हाथ को बाहर निकाल कर उसकी गुदाज चुचियों को, उसके ब्लाउस के उपर से ही दबाने लगा। उसकी चुचियां एकदम कठोर हो गई थी। उसकी ठोस चुचियों को दबाते हुए मैं अब तेजी से धक्के लगाने लगा था, और मेरी दीदी के मुंह से सिसकारीयां फुटने लगी थी। वो सिसकाते हुए बोल रही थी,
“ओह भाई, ऐसे ही, ऐसे ही चोदो, हां,,,, हां, इसी तरह से जोर-जोर से धक्का लगाओ, भाई। इसी प्रकार से चोदो, मुझे।”“आह, शीईईईई, दीदी तुम्हारी चूत कितनी टाईट और गरम है। ओह,,, मेरी प्यारी बहना,,,, लो अपनी चूत में मेरे लंड को,,,, ऐसे ही लो। देखो,,, ये लो मेरा लंड अपनी चूत में,,,,,, ये लो,,,,,,,, फिर से लो,,,,,,, क्या, एक और दुं ?? ले लो,,,, मेरी रानी बहन,,,,, हाये दीदी।”
मैं उसकी चूत की चुदाई, अब पुरी ताकत और तेजी के साथ कर रहा था। हम दोनो की उत्तेजना बढती जा रही थी। ऐसा लग रहा था कि, किसी भी पल मेरे लौडे से गरम लावा निकल पडेगा।

“ओह चोदु,,,,, चोदो,,,,,, और जोर से चोदो। ओह, कस कर मारो,,,,,, और जोर लगा कर धक्का मारो। ओह,,,, मेरा निकल जाआयेएएगाआ,,,,, उईईईईई!!!!!! कुत्तेएएए, और जोर से चोद, मुझे। बडी बहन की बुर चोदने वाले,,,, चोदु हरामी,,,, और जोर से मारो, अपना पुरा लंड मेरी चूत में घुसा कर चोद,,,,, कुतिया के बच्चे,,,,,,,,श्श्शीशीशीईईईईईई,,,,, मेरा निकल जायेगाआआ,,,,,,”

मैं अब और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मैं अपने लंड को पुरा बाहर निकल कर, फिर से उसकी गीली चूत में पेल देता। दीदी की चुचियों को दबाते हुए, उसके चुतडों पर हाथ फेरते और मसलते हुए, मैं बहुत तेजी के साथ दीदी को चोद रहा था। मेरी बहन, अब किसी कुतिया की तरह कुकिया रही थी। और वो अपने चुतडों को नचा-नचा कर, आगे-पिछे धकेलते हुए, मेरे लंड को अपनी चूत में लेते हुए, सिसिया रही थी,
“ओह चोदो, मेरे चोदु भाई, और जोर से चोदो। ओह,,,,,, मेरे चुदक्कड बलमा, श्श्शीशीशीशीईईईई,,,,,,, हरामजादे,,,,,,, और जोर से मारो मेरी चूत को,,,, ओह,,,, ओह,,,,,ईईईस्स्स,,,,आआह्ह,,,, बहनचोद,,,,, मेरा अब निकल रहा हैएएएए,,,, ओओओओह्ह्ह,,, ,,, श्श्शीशीशीशीईईईई,,,,,!!!!!”,
कहते हुए, अपने दांतो को पीसते हुए, और चुतडों को उचकाते हुए, वो झडने लगी।
मैने भी झडने ही वाला था। इसलिये चिल्ला कर उसको बोला,
“ओह कुतिया,,,,, लंडखोर,,,, साआल्ली,,, मेरे लिये रुको। मेरा भी अब निकलने वाला,,,,,,,, ओह,, रानी,,,, मेरे लंड का पानी भी,,,,, अपनी बुर में लोओओओ,,, ओह,,, लो,,, लो,,,, ओह ऊउफ्फ्फ,,,,,,,”
ठीक उसी समय मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं किसी के जोर से बोलने और चिल्लाने की आवाज सुन रहा हुं। जब मैने दरवाजे की तरफ मुड कर देखा तो, ओह,,, ये मैं क्या देखा रहा हुं !!!!!! मेरे अंदर की सांस, अंदर ही रह गई। सामने दरवाजे पर मेरी मम्मी खडी थी। उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था। वो क्रोध में अपने होंठो को काट रही थी, और अपने कुल्हे पर अपने हाथ रख कर चिल्ला रही थी। उसका चिल्लाना तो, एक पल के लिये हम दोनो भाई-बहन को कुछ समझ में नही आया। थोडी देर बाद

माँ को सामने देख मेरी तो फटी की फटी रह गयी ,में तुरंत दीदी के उप्पर से उठा,दीदी भी बिजली की गति से उठी और अपने कपडे लेके भाग गयी,सब इतनी जल्दी में हुआ की माँ की समझ में कुछ नही आया की हुआ क्या। में माँ के सामने सर झुक कर खड़ा हो गया,माँ ने मुझे डांटते हुए कहा की ये सब क्या हो रहा था,तुम दोनों भाई बहन को शर्म नही आई ये सब करते हुए।
माँ बहुत देर तक अनाप शनाप बकती रही और में सुनता रहा और सोचता रहा की दीदी इन सब बातो का क्या जवाब देगी। में माँ के सामने से निकला और चुपचाप घर से निकल गया,बहुत देर बाद मेने दीदी के सेल पर फोन मिलाया तो दीदी ने काट दिया ,बहुत देर बाद दीदी ने फोन उठाया तो मेने कहा की मरे आने के बाद क्या हुआ ,माँ ने क्या कहा ,दीदी ने कहा की में पहले तो सुनती रही फिर मेने माँ से कह दिया की में क्या करती,भाई ने मुझे जबरन पकड़ लिया और ये सब कर दिया मेने तो बहुत मना किया पर वो माना ही नही,मेने कहा की फिर माँ ने कुछ कहा की,दीदी बोली माँ ने मुझसे तो ये ही कहा की में तेरे पापा को ये बात नही बता सकती इसलिए तू और तेरा भाई इसका जिक्र किसी को मत करना और तुम दोनों आज से अलग अलग रूम में सोना।
मेरी समझ में ये नही आया की माँ ने पापा को ये बात बताने से क्यू मना किया,फिर सोचा माँ ने सोचा होगा की पापा को दुःख न ही इसलिए माँ पापा से ये बात छिपाना चाहती हे,में फिर से आज दिन के बारे में और दीदी की चुदाई के बारे में सोचने लगा की आज तो क्या ही मजा आया,अपनी बहन को चोदने में जो सुख मिला वो बेमिसाल था,में देर रात भटकने के बद अपने रूम में लोटा और चुपचाप सो गया,सुबह मेरी नींद खुली तो पापा ऑफिस जा चुके थे और दीदी कॉलेज।
में उठा तो मुझे माँ कही नही दिखा दी ,मेने देखा तो मुझे बाथरूम में से उनके नहाने की आवाज आई,कहते हे न चोर चोरी से जाये पर हेरा फेरी से न जाये ,न जाने क्यू मेरे दिमाग में आया की अज तो माँ को नहाते हुए देखा जाये,में बाथरूम के दरवाजे के बाहर खड़ा हो गया और उसमे कोई झिर्री तलाश करने लगा जिसमे से में अपनी प्यारी माँ को नहाते देख सकू।
तभी कहते है ना - जहां चाह , वहां राह | मुझे लकड़ी के दरवाजे के दो पाटो के बीच हल्का सा गैप मिला , वही से मै आँख सटाकर अन्दर देखने लगा ...आ..ह ...क्या नजारा था ....माँ के बड़े बड़े भाड़ी भड़कम चुतर पानी डालने के क्रम में ऊपर नीचे हो रहे थे | माँ के गोल गोल गांड को देखकर मेरे लंड ने सलामी दी।

परन्तु काफी कोशिश के बाद भी मै उनका चूत देखने में कामयाब नहीं हो सका ...बस चूत के उभार का हल्का झलक सा मिला | मैंने अपना लंड निकालकर उसे मुठीयाने लगा। .फिर आँख दरार से सटाकर माँ के नग्न बदन को देखते हुए अपने लंड को उमेठने लगा |थोड़ी देर बाद माँ जब झुकी तब पीछे से माँ के चूत के दरारों के दर्शन हुए .. मै धन्य हो गया ..माँ अपने बदन पर साबुन मल रही थी और अपनी चूत कस कसकर रगड़ रही थी ...मै थोड़ी देर देखता रहा फिर ध्यान आया मुझे देर हो रहा है और अगर चूत के चक्कर में थोड़ी देर और रहा तो या तो पिटूंगा या जेल जाउंगा |.













Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

हिन्दी मैं मस्त कहानियाँ Headline Animator