Wednesday, April 22, 2015

Fentency दूध वाली की बेटी का दूध

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 दूध वाली की बेटी का दूध

नमस्कार दोस्तों,

मैं आज अपनी ही दूध वाली की बेटी की चुदाई की खानी सुनाने जा रहा हूँ जोकि कुछ महीने पहेली ही खिलकर फूल बनी होगी | दोस्तों मैं अक्सर ही अपनी दूध वाली अम्मा से तंग रहता था क्यूंकि वो हमेशा से अपने दुष् में किसी ना किसी बहाने मुझे पानी मिलाकर दिया करती थी | मैं भी फैसला किया की अब मैं उसके इस जुर्म का बदला पक्का लूँगा | मैं अक्सर ही दूध लेने अम्मा के पास सबसे पहले पहुँच जाया करता था और अम्मा को दूद निकालते हुए उस पर निगरानी रखा करता था | इसी बहाने मेरी नज़र एक दिन दूद वाली अम्मा की सबसे बड़ी अमानत पर पड़ी जोकि कोई और अनहि बल्कि उसकी की बेटी थी | मैंने अब अपना ध्यान सारा का सार अम की बेटी के उप्पर साधते हुए उससे पढाई के बारे में बातें करने लगता जिसपर आमा मुझसे देखती तो अपने जस्बातों को ब्यान ना कर पति | मेरे दिमाक मैं चल रहे बिगडेल इरादों को मेरे अलावा कोई और नहीं जानता था |

मैं अबसे जब भी दूध लेने आया करता तो उसकी बेटी को अपने पास ही बुला लिया आर्ट और उसी के सामने उसकी पति से चिपक – चिपक का बातें किया करता | अब धीरे – धेरे अम्मा की बेटी से मैं खूब अच्छी तरह घुल – मिल चूका था और यूँ समझ लो उसकी चुदाई करने के लिए भी अपने लंड को अच्छी तरह से तैयार कर चूका था | मैं एक समय शाम को नीचे अम्मा के घर के पास से ही गुज़र रहा था तो मैंने उसकी बेटी को देखा और ज़ल्दी से किसी बहाने उसे अपने साथ आगे को ले आया | मैंने जान – बुझ कर पहले उसे कुछ महगी सी चीज़ खिला दि ताकि वो मेरे काबू में पूरी तरह से आ जाये | मैंने अब फटाफट उसी वहीँ की पास वाले कबाड़खाने के पीछे ले गया और कुछ जादू दिखाने के बहाने उसकी टॉप को उतारने लगा जिसपर उसने पहले मुझे टोक दिया |

मैंने अब हार ना मानते हुए उसके हाथ को पकड़ा और धीमे – धीमे अपनी प्यारी उँगलियों से शेलाने शुरू कर दिया जिससे अब व मुझे रोक नहीं पा रही थी | अब मैंने उसके होठों को साफ़ करने के बहाने पहले अपने होठों से लगा लिया और अचनक से अपने मुंह को फाड़ते हुए उसके होठों को चूसने लगा | अब दूद वाली अम्मा की बेटी को मज़ा आ रहा था इसीलिए उसने मुझे रोकना मुनासिफ नहीं समझा | मैं अब उसकी बेटी के होठों को चूसते हुए उसके चुचों के उभार पर उंगलियां फिराते हुए चुचों को दबाने लगा जिसपर उसकी ग्राम सासें छूट पड़ी | मैंने अब कुछ पल में उसे नागी हो जाने को कहा और वो हो भी गयी क्यूंकि उसे सिर्फ मज़ा आ रहा था और आगे होने वाले कांड के बारे में कुछ नहीं पता था |

मैंने अब उसकी चुचों को अपने हाथों में पकड खून निचोड़ा और फिर मुंह में भरकर पीने भी लगा | मैंने उसके एक टांग को उप्पर के पत्थर पर रख दी और फ़ौरन से अपनी उँगलियों की सहारे उसकी चुत पर थूक लगते हुए उसकी चुत में अपने लंड को टिका दिया | मैं फ़ौरन ही अपना लंड का धक्का उसकी चुत में उछालते हुए मारा जिसपर उसे पहले दर्द हुआ पर बाद में मेरे लंड के धक्कों को चिपककर लेने लगी | मैं उस परम आनंद में चूर हो चूका था और उस पूरे समय अम्मा की बेटी के चुचों को निचोड़ते हुए उसकी चुत मारता चला गया |









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Fentency मेरी जीवन-यात्रा का आरम्भ

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 मेरी जीवन-यात्रा का आरम्भ

प्रेषिका : माया रानी

मैं एक साधारण परिवार से हूँ, बचपन में ही मुझे मेरे मामा के घर पर उनके साथ रहने को छोड़ दिया गया था। मामा पुलिस में थे, उनकी पत्नी यानि मेरी मामी का निधन हो गया था। मेरी उम्र उस समय केवल दस साल की ही रही होगी। मामा मुझे बड़ा प्यार करते थे और सब तरह के तोहफ़े भी देते रहते थे।

समय बीतने में देर नहीं लगी। मैं वहाँ बहुत खुश थी, मामा मुझे अपने बिस्तर में ही सुलाते थे और मुझे हमेशा खूब चूमते रहते थे। मैं इसे उनका प्यार-स्नेह समझती रही।

धीरे धीरे उन्होंने रात को मेरे बदन को सहलाना और मुझे खुद से चिपटाना शुरु कर दिया, मुझे कुछ ज्यादा समझ भी नहीं आया और कुछ अच्छा भी लगता था इसलिए कभी उन्हें रोका नहीं..

मामा ने मेरे बदन के साथ ही मेरे गुप्तांगों को सहलाना शुरु कर दिया और अपना लण्ड मेरे टांगों के बीच में रगड़ने लगे, मैंने इसे भी मज़ा लेते हुए स्वीकार कर लिया। तब मैं सेक्स को भी समझ रही थी लेकिन अब तक तो उल्टा हो चुका था, मुझे मामा के बिना नींद ही नहीं आती थी। जब तक मामा अपने ऊपर या फिर साइड से अपना वो सटा कर न सुलाएँ मुझे अच्छा नहीं लगता था। धीरे धीरे मामा ने इस सम्भावना को टटोलना शुरु किया कि उनका वो मेरी चूत में घुस पायेगा या नहीं, वे रोज़ थोड़ा-थोड़ा छूते और मुझे पूरी नंगी करके अपनी उंगली से चूत को चौड़ा करने को समझाते और यह भी कि जब यह थोड़ी खुल जाएगी तो वे मुझको बहुत मज़ा देंगे। मामा मेरी चूत को उंगली से शुरु करके अपने लंड को लेने के काबिल बना चुके थे। अब मामा लगभग रोज़ ही मेरी चुदाई करते और मेरे ऊपर उपहारों की भरमार किये रहते थे, मुझे कोई एतराज़ नहीं था, मैं अपने तरीके से मज़ा ले रही थी।

फिर कुछ दिनों के बाद पापा और मम्मी को कुछ शक हुआ तो उन्होंने मुझे वापस घर बुला लिया अपने पास ही। वहाँ मेरा मन नहीं लग रहा था, मैं कुलबुलाती रहती थी, मुझे चुदने की इच्छा बनी रहती पर कुछ काम नहीं बन रहा था।

मेरा बड़े पापा का बेटा यानि मेरा चचेरा भाई मुझसे तीन साल बड़ा था, मैं उसके साथ खेल खेल में ही यह बताने की कोशिश करती रहती थी कि वो मुझे बहुत पसंद है और मैं उसके साथ पकड़ा-पकड़ी, एक दूसरे के पीछे दौड़ने जैसे खेल करती रहती थी।

एक दिन दोपहर को मैं उसे छेड़ कर उकसा कर भागी और वो मुझे पकड़ने मेरे पीछे भागा। मैं जिस कमरे में घुसी दोपहर में, उस कमरे में मेरे पापा और मम्मी कुछ दूसरा ही खेल खेलते हुए मिल गए। मम्मी खूब हंस रही थी और बिस्तर के एक कोने में कपड़ों के एक ऊँचे से ढेर पर चढ़ कर बैठी थी एकदम नंगी, उन्होंने अपने दोनों पैर चोड़े करके फैला रखे थे और अपनी चूत को अपने दोनों हाथो से खोल कर चौड़ा कर रखा था। उस कपड़ों के पहाड़ के नीचे के किनारे पर पापा वो भी पूरे नंगे अपने तनतनाते हुए लण्ड को अपने हाथ से सीधे पकड़ कर मम्मी से कह रहे थे आ जाओ सीधे नीचे फ़िसलते हुए।

मेरे पीछे मेरा भाई भी आ गया, मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया और वो चुपचाप मेरे पीछे खड़ा होकर उसी खिड़की से पापा-मम्मी का चुदाई का तमाशा देखने लगा, साथ साथमुझे नजारे के खास अंदाज़ और अदाओं को बता कर के ध्यान देकर देखने को कह रहा था। सब चुपचाप हो रहा था, बस हमारी मौजूदगी से बेखबर पापा-मम्मी दोनों मस्त होकर हंस रहे थे और चुदाई के इस विचित्र खेल में मग्न थे। ऊपर चढ़ी बैठी मम्मी अपनी चूत खोले थी, उनकी गुलाबी चूत का नज़ारा देख मेरा भाई मस्त हो रहा था, इधर मेरी नज़र ज्यादा पापा के तनतनाते लण्ड पर टिकी थी जो माँ को नीचे आने को ललकार रहे थे कि आओ, देखूँ तुम्हारी चूत में कितना दम है। माँ की उम्र 40 और पापा 42 के थे। दोनों ही बहुत खूबसूरत और सेक्सी थे। माँ खास माल थी, उसका गदराया गोरा मदमस्त बदन किसी को भी दीवाना कर सकता था।

अब मम्मी ऊपर से लगभग चिल्लाती हुई सी नीचे को रपट कर आने लगी, पापा ने निशाना साधा और ये लो ! 

मम्मी की चूत सीधे पापा के लण्ड पर आकर टिकी, टिकी क्या गटक गई पूरा लण्ड, एक ही बार में पूरा चूत के अंदर था !

मम्मी पापा की जैसे गोदी में आ बैठी हों, पापा ने मम्मी की इसी अवस्था में जम कर धक्के लगते हुए चुदाई की और माँ भी उछल उछल कर गोद में ही पापा के लण्ड की सवारी करती रही। फिर पापा ने मम्मी को घोड़ी बना कर खूब चोदा। मम्मी बड़े मज़े ले रही थी और घूम घूम कर पीछे देखती थी, पापा को और अपने हाथ से लण्ड को गाइड भी करती थी।मैं देख रही थी कि भाई को भी नशा चढ़ता जा रहा था और वह मुझे वहाँ से अलग चलने को कह रहा था।

इस चुदाई को देख कर मुझे मामा की चुदाई क स्टाइल याद आ रहा था और मेरी चूत में तो खलबली सी मची हुई थी। मामा बड़े ही आराम से और मेरा ख्याल रखते हुए चोदते थे। जिस दिन उन्होंने मुझे मानसिक रूप से पहली बार की चुदाई के लिए तैयार किया उस दिन उन्होंने बहुत तैयारी की थी, मुझे समझाने से लेकर डर दूर करने और गर्भ निरोधक के अलावा चूत को पूरी तरह क्रीम से भरने तक का काम किया था। हालाँकि फिर भी मुझे उस दिन खून भी निकला और थोड़ा दर्द भी हुआ पर मज़ा भी बहुत आया,.वे हमेशा पहले मुझे बड़े प्यार से बिस्तर में ही सहला कर और चूम चाट कर खूब उत्तेजित कर लेते थे, फिर सामने से मेरी टांगों को चौड़ा करके और चूत को फैला कर धीरे धीरे ही लण्ड अंदर घुसाते थे, रोज़ नित नए चुदाई के पोज़ मुझे एक पुरानी सी किताब से दिखाते थे।

अब तक भाई कुछ ज्यादा ही बेचैन हो चुका था और मुझे खींच कर अपने कमरे में ले गया। तब तक उसका इरादा मम्मी-पापा की इस चुदाई बाबत विश्लेषण और बातें करना ही दिख रहा था।

पर कमरे पर जाकर उसने मम्मी-पापा के बारे में जिस गन्दी, या सेक्सी कहो, भाषा बोली और लण्ड-चूत, चुदाई, गांड, धक्के, रंडी, चुदक्कड़ जैसे शब्दों का इस्तेमाल खुल कर करते हुए चुदाई का रंगीन नज़ारा सुनाया, उससे मैं दंग रह गई कि यह भाई तो कभी ऐसा नहीं लगा जबकि मैं तो चाहती ही यही थी कि किसी तरह यह मुझसे खुल जाये और मामा की कमी पूरी कर दे।

बस फ़िर क्या था, इतनी खुल्लम-खुल्ला बातें और हमारा मिलकर इस चुदाई के माध्यम से अपना रास्ता साफ कर लेना बहुत कम का रहा और भाई ने अपनी पूरी उत्तेजना और मेरी चूत की खुजली के मौके का फायदा उठाते हुए उसी दिन, उसी समय उसके साथ की मेरी पहली चुदाई कर डाली। मैंने पूरा सहयोग करते हुए चुदवाया तो उसको भी खूब मज़ा आया। फिर तो दोनों दे लिए ही घर में ही और बिल्कुल सुरक्षित चुदाई का इंतजाम हो गया। गर्भ से बचने की व्यवस्था बाबत मैं पहले से ही खूब सीखी-सिखाई थी।

इस प्रकार मम्मी-पापा की चुदाई के देखने से वो रास्ता साफ हो गया जिसमें हम दोनों ही झिझकते रहे थे। अब तो करीब करीब रोज़ चुदाई होती थी।

भाई ने आखिर में थोड़ी गड़बड़ कर दी, शान में आकर अपने एक दोस्त को यह सब बता दिया जो बाद में ब्लैकमेल करने लगा था और मुझे उसको भी चोदने का मौका देना पड़ा, कई कई बार मेरे चचेरे भाई के दोस्त ने मुझे चोदा।









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Fentency मेरी गर्ल फ्रेंड अंजली

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 मेरी गर्ल फ्रेंड अंजली
में कटनी रहने वाला हु और मेरी कटनी में कंप्यूटर की दुकान है करीब दो महीने पहिले मुझे अपने काम के सिलसिले में इटारसी जाना पड़ा था ।इटारसी में मेरे बुआ का घर था लेकिन उनका घर छोटा था और गर्मी भी थी इसलिये मैं छत पर जाकर
सोने गया था हमारे घर की छत सभी के छत से मिलती थी और पड़ोस में मेरी गर्ल फ्रेंड अंजली भी रहती थी मेने उसे फोन कर बता दिया की में रात को ऊपर ही सोउगा और वह अपने छत पर अकेली सोने को कह दिया था मेरी अंजली करीब चोबीस साल की थी। बेहद सुन्दर, तीखे नाक-नक्श, लम्बा चेहरा, गोरी रंगत और गठीले बदन की थी.अब रात को खाना खाकर में छत पर अंजली का इन्तजार करने लगा लेकिन वो आई ही नहीं मोबाइल भी स्विच ऑफ़ बता रहा था रात के करीब ग्यारह बज गए थे और इन्तजार करते करते में सो गया  रात करीब दो बजे मैं नींद में ही था कि लगा जैसे कोई मेरे छत पर चुपचाप आ रहा है। मैंने आँख खोलकर देखा तो वो अंजली थी। मुझे कुछ अजीब सा लगा, इसलिए मैं चुपचाप पड़ा रहा। अब अंजली पास में आकर बैठ गयी और मेरे गालों को सहलाने लगी में लुंगी में था कुछ देर गाल सहलाने के बाद वो झुककर मुझे किस करने लगी  मैं उठ बैठा।

उसने पूछा- क्या हुआ देर से आने से नाराज हो क्या?
मैंने कहा- नहीं, पर तुम इतनी रात में ...?
उसने कहा-प्यार में भी इन्तजार होता है ये सुनते ही मैंने अंजली का हाथ पकड़ कर अपने करीब खींचा और सीने से लगा लिया। सीने से लगते ही मेने उसके भरे गालों को चूम लिया। इससे अंजली अमरलता के समान मुझ से लिपट गई । उसके भरे बूब्स मेरे सीने से दबने लगे।और मेरे होटों ने उसके होठो और गालो को चूमना शुरू कर दिया और एक हाथ से धीरे-धीरे उसके उरोजों को  ऊपर से ही दबाने-सहलाने लगा उसके  मस्त, गोल, नर्म बूब्स थे। मैने उसके कान में फुसफुसा कर कहा कि अपनी सलवार कमीज उतार दो. तो पहले तो वह मना करने लगी.लेकिन जब मैने उसकी कमीज ऊपर उठानी शुरु कि तो उसने कहा रुको बबा तुम तो मेरे कमीज के बटन ही तोड़ दोगे मै ही उतार देती हु. और यह कहकर उसने अपनी कमीज के बटन खोल कर कमीज उतार दी अब वह सिर्फ ब्लैक ब्रा और सलवार में थी. मै उसको देखता रहा गया। मैने अपना एक हाथ उसकी चूची पर रख ब्रा के ऊपर से ही दबाने लग गया और दुसरे हाथ से में उसकी गांड को सहला रहा था अंजली का चेहरा सुर्ख हो गया था और उसके होंटों से अह्हह्ह अह्हह्ह ओह्हह्ह की  सिसकारी निकलनी शरू हो गयी थी  इस समय मेरे दोनो हाथ बूब्स और गांड को मसलने में लगे थे साथ ही लिप किस भी चल रहा था फिर मेने धीरे से एक हाथ से सलवार को नीचे किया उसकी इलास्टिक वाली सलवार होने के कारण तुरंत ही नीचे हो गयी फिर मेने उसको बिस्तर पर लिटा कर उसकी ब्रा पेंटी भी उतार दी अब वह पूरी नंगी हो चुकी थी और मै उसके ऊपर चढ़ गया और हाथ से उसके सर को उठा कर उसके होठो को किस करने लगा अब तो अंजली मदहोश हो गयी वह कसमसाने लगी अब मेने लुंगी खोली और अपना 7 इंची लोड़ा निकाल लिया. इसी बीच में अंजली ने अपनी टांगे मेरे चारो तरफ लपेट ली और अपनी चूत को मेरी जांघो में रगड़ने लगी रगड़ने से ही वो बेचेन मछली की तरह छटपटाने लगी। और उसकी  योनि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मेने कुछ कहे बिना अपने लिंग को उसकी योनि के द्वार पर रखा और सहलाते हुए एक जोरदार झटका दिया। अंजली की चूत काफी कसी हुई थी इस कारण से उसे थोड़ी तकलीफ़ हुई पर उसने कुछ नहीं बोल पाई  सिर्फ अपने होंठों को जोर से भींच लिया और अपनी बाहों को मेरी पीठ में गडा दिया जिससे मेरे पीठ में नाख़ून धस गए में दर्द से कराह उठा लेकिन मैने उसे फिर एक जोरदार झटका दिया और अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया  था। उसके बाद थोड़ी देर लंड को योनी के अंडर रखकर में आगे पीछे करने लगा कुछ ही देर में उसे भी मजा आने लगा। अब उसके मुंह सिस्कारिया फूटने लगी फिर मैने धीरेधीरे  अपनी स्पीड बढ़ाते हुए फ़ुल स्पीड कर दी। अब वो जोश में चिल्लाने रही थी.प्लीज जोर से चोदो, प्लीज।ऊऊऊओ ऊ अह्ह्ह्हह्ह्छ ऊऊऊऊह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह उम्मम्म्म करीब 15 मिनट तक मैं उसे जमकर चोदता रहा। फिर उसकी चूत में से पानी निकल गया और उसने मुझे और जोर से पकड़ लिया। अब मैं समझ चुका था कि उसका पानी निकल चुका है। वह अब निठाल हो चुकी थी अब मैने अपनी गति और तेज की फिर थोड़ी देर में मेरा भी वीर्य निकलने लगा तो में अंजली के ऊपर लेटा रहा। करीब दस मिनट हम गले लगकर इसी तरह पड़े रहे





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Fentency बड़े घर की बेटी

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  बड़े घर की बेटी 

दोस्तों ये सेक्सी कहानी मैं आपको सुना रहा हूं अपने मेजर साहब की बेटी बेबी की कहानी है। इस कहानी का मकसद बड़े घरानों में होने वाले नंगे और फ्री सेक्स को उजागर करना है। हां तो हम वहां पर कुक रहे, उ  मैडम का बेटी गजब का माल थी। ससुरी की शादी तो हो गयी थी पर कभी अपना हसबैन्ड के पास कभी न रही। हमको बहुत तरस आता रहा उस पर बेचारी हर शाम को मिलिट्री वाली दारु पीकर कहीं लान में तो कभी अपने रुम में फर्श पर लुढकी रहती। एक रोज एक लौंडा आया बड़ा हैंडसम सा, उसके साथ वो काफी देर तक रही और जब वो चला गया, मैं ने खाना खाने के लिये उसको बुलाने को अंदर कमरे में गया वहां का नजारा देख कर ह्म्मर होश उड़ गया। ससुरी फरश पर एक दम चारो खाने बिल्कुल नंगी लेटी थी। अचेत, एक दम से। मैने आवाज दी बेबी उठो खाना खालो तो बोली रामू काका, आज खाने का मन नहीं है आप दारु पियोगे, हम्को लालच आ गया।

बोला हां बेबी लेकिन मेजर साब जान जाएंगे तो। वो बोली पापा तो देल्ही गये हुए हैं दो दिन बाद मम्मी को लेकर ही आएंगे। मैने कहा ठीक है और लाल्च भरी नजरों से उसकी कोमल बड़े घर की खायी पीयी भरी हुई गांड को देख रहा था। आज मैने इसकी जवानी की कहानी अपने लंड से लिखने की कसम खाली। मैने दारु की रखी बोतल उठायी और एक गिलास पटियाला लगाया। अब नशा चढ रहा था कि दूसरा पैग। अब कोई मालिक नहीं, कोई मालकन नहीं सिर्फ लंड और चूत मैने अपनी धोती उतार दी। बेबी बैठ गयी थी वो मेरा लंड घूर रही थी। बोली रामू काका आप तो कुक ही नहीं अच्छे हुकर लगते हो, जरा अपना लौड़ा दिखाओ, मैने खड़ा होकर उसके मुह के पास रख दिया अपना लंड बोला लो बेबी तुम्हारा ही तो है।वो उसे सहलाते हुए मेरे सुपाड़े के चमड़ी को उपर नीचे करने लगी, लंड नशे में था सो खड़ा हो गया। बोली काका चूत मारी इधर बीच की नहीं मैने कहा कहां बेटी तेरी आंटी तो गांव में है। तो वो बोली मेरी लोगे। मेरा लंड एक दम खुश हो गया मैने कहा क्यों नहीं तुम्हारी चूत तो  जन्नत है बेटी चलो कैसे दोगी। वो बोली मैं लेट जाती हूं आप मुझे पेल दो। वो लेट गयी अपनी टांगे छितरा कर के, मैने अपना लंड उसकी बड़ी घराने की बड़ी चूत में डाल दिया। कोमल चूंचियों को मसलते हुए जब मैं चोदने लगा  उसे तो वह अंगरेजी में गालियां बक रही थी। ओह माय डिक यू आर माय फेवरेट। कमान फक मी येह। मैने साली को रंडी की तरह चोद कर अपने लंड की एक नयी कहानी बना दी। जब मैं झड़ने वाला था तो मैने अपना लौड़ा निकाल कर उसके मुह में दे दिया। और कहा कि बेबी जरा इसे चूस लो वह इत्मीनान से मुखमैथुन करने लगी। बोली रामू काका आपका तो लौड़ा भी स्वादिष्ट है। मैने उसे गले में लौड़ा पेलते हुए कहा आह्ह्ह्ह बेबी मेरा मूत निकलने वाला है और मेरा गरमा गरम लावा उसके मुह में चला गया। वह उसे अपनी जीभ से अंदर ले गयी और चूस कर बोली रामू काका प्यास लगी है जरा पानी पिला दो। दारु पीने के बाद अक्सर प्यास लगती है। मैने उसके मुह में पेशाब कर दिया बोला लो नमकीन ग्लूकान डी पी लो बेटी वो खुशी खुशी पी कर सो गयी फर्श पर वहीं मैं भी अपनी धोती खोल उस्के गांड से लिपटकर वहीं सो गया। इस रंडी बड़े घर की बेटी की सेक्सी कहानी को पढने के लिये आपका रामू काका धन्यवाद देता है अपने कमेन्ट जरुर दीजियेगा


 





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Fentency मेरी मकान मालकिन

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 मेरी मकान मालकिन 

चूत की मल्लिका सुनने में लगता है, कि वो औरत काम जी देवी होगी और काम वासना से घिरी होगी । किसी सपने की तरह लगता है न, हा; लेकिन ये कोई सपना नहीं नहीं ये हक्कीकत है, मेरी मकान मालकिन वास्तव में, चूत की मल्लिका है । वो 40 साल की एक मस्त शरीर वाली और हलकी सी मोटी औरत है और उसका बदन गोरा, मुलायम और मख्खन की तरह चिकना है । उसकी मासूम और भोली सूरत पर दिल लुटा देने का मन करता है । लेकिन, मेरे मकानमालिक को उसकी कद्र नहीं थी और वो उसको सारा समय डांटा करता था । मेरा मकानमालिक अक्सर शहर के बाहर होता था और वो घर में अकेले होती थी । मकान मालिक मेरे पिता जी को जानता था और इस शहर में आनेवाला था; तो उसने मुझे एक कमरा किराये पर दे दिया था । मुझे उन दोनों से कोई मतलब नहीं था और मै अपने काम में व्यस्त रहता था । एक दिन, बारिश का मौसम था और मकान मालिक घर पर नहीं था और मेरी मकान मालकिन सीमा बारिश में कपडे उतारने के पूरी भीग गयी और उसकी साड़ी उसके शरीर से चिपक गयी । मै खिड़की में से बाहर देख रहा था, कि मेरी नज़र उसके बदन पर पड़ी और मेरा मुह खुला रह गया । वो इतनी सुंदर गरम और कामुक लग रही थी, बिलकुल किसी ब्लुव्फिल्म की हीरोईन की तरह ।

अब तो मै कुछ न कुछ करके उससे बात करने की कोशिश करता और जान-बुझ कर छुने की कोशिश भी करता । सीमा को मेरा बदला हुआ व्यवहार समझ आ गया और वो मुझे और भी तरसाने लगी । जितना वो मुझे तरसती, मै उतना ही उसकी तरफ खिचता चला जाता । मै अब अक्सर उसके नाम का मुठ मारने लगा और जब सीमा का पति नहीं होता, तो मै जानबूझकर जोरजोर से मस्त कामुक आवाज़ के साथ मुठ मारा करता । मै खाना सीमा और सीमा के पति के साथ खाता था । एक दिन हंसी-मजाक चल रहा था और बातो ही बातो में उसने बोला, कि खेल कब तक खेलते रहोगे? उस रात सीमा का पति बाहर जा रहा था, मैने कहाँ जल्दी ही ।

सीमा के पति को मै ही स्टेशन तक छोड़ कर आता था, उस दिन उसको स्टेशन छोड़ने के बाद, मै अपने कमरे में नहीं गया; सीमा के कमरे में चले गया ।सीमा को पता था, कि आज रात कुछ होगा तो उसने अपने सबसे सेक्सी कपड़े पहने हुए थे । वो मेरे कमरे में घुसते ही, मेरे से चिपक गयी और बोली कितने दिन लगा दिए और अपने लंड से अकेले ही खेलकर मुझे तड़पाते रहे । आज की रात तुम्हे नहीं छोडूंगी और मुझे बिस्तर पर धक्का दे दिया और मेरे सारे कपड़ो को फाड़ डाला और मेरे शरीर को चूमने लगी और अपनी जीभ से चाटने लगी । मैने ब्लूफिल्म तो बहुत देखी थी और मुठ भी कई बार मारा था, लेकिन किसी औरत के साथ सेक्स कभी नहीं किया था । उस दिन पहली बार कुछ कर रहा था, सीमा को ये मालूम था, कि मैने आजतक सेक्स नहीं किया है क्योकि वो बातो ही बातो में ये पूछ चुकी थी । वो मेरे ऊपर आ गयी और मेरे होठो को चूसने लगी और और उसने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और उसको अपनी चूत पर घिसने लगी । वो शायद काफी दिनों से प्यासी थी और ज्यादा रुक नहीं सकती थी इसलिए उसने ज्यादा इंतज़ार नहीं किया और अपनी चूत को मेरे लंड में एकदम घुसा दिया । मेरे लंड की खाल एकदम नीचे खिचती चली गयी और मुझे बबाल का दर्द हुआ । सीमा अपनी गांड चला रही थी और मेरे लंड को अन्दर से अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी । मैने भी अपनी गांड हिलना शुरू कर दिया और लंड और ज्यादा पुश करने लगा । कुछ ही देर में, हम दोनों झड़ गये और एक दुसरे की बाहों में सो गये । फिर तो मैने सीमा के कमरे में ही सोना शुरू कर दिया और हमने खूब मज़े लिए






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Fentency चोली के नीचे क्या है

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 चोली के नीचे क्या है

चोली के नीचे क्या है, बहुत ही फेमस गाना था, ये कभी । लेकिन, मेरे जैसे ठरकी के लिए मज़े की चीज़ । जब भी मै किसी औरत या लड़की को देखता हु, तो मेरी पहली नज़र उसकी चोली पर जाती है और मै उस चोली के नीचे छिपे हुए उसके मस्त गोल चूचो और गुलाबी और भरे निप्पलो की कामुकता को अपनी नजरो के आगे महसूस करता और उसकी वजह से मेरे लंड पर गर्मी महसूस होने लगती । इस गन्दी और अच्छी आदत की वजह से मुझे वो मिली, जिसकी चोली के नीचे छिपे हुए सारे राज़ मुझे देखने को मिले और मै लड़के से मर्द बन गया । ये चोली थी, मेरी मकान मालकिन की ।

मै शहर में नौकरी की वजह से अकेले रहता था, मैने एक कमरा किराये पर ले रखा था । घर में मकान मालिक और उसकी पत्नी सीमा और उनका एक छोटा सा बच्चा । वो बहुत ही सुंदर और कमसिन थी, पति-पत्नी दोनों ही बहुत प्यार करते थे और मुझे नहीं लगता था, कि मुझे सीमा को चोदने का मौका मिलेगा । एक दिन, उसका पति ऑफिस गया था और मै घर पर ही था । सीमा अपने बच्चे को सुलाकर, नहाने चली गयी । उसको पता नहीं था, कि मै आज घर मे हु, रोज़ कोई नहीं होता था । सीमा के बच्चे ने रोना शुरू कर दिया, तो सीमा बाथरूम से बाहर निकल आई; उसने कुछ भी नहीं पहना था, मै उस समय बाहर ही खड़ा हुआ था और मेरी आँखे फटी-फटी रह गयी । उसका गोरा और चिकना बदन मस्त था, मुझे नहीं मालूम था, कि उसकी चोली के नीचे इतने मस्त और खरबूजे जैसे चुचे होंगे ।

सीमा अपने बच्चे को चुप कराकर वापस जाने लगी, और उसकी नज़र मुझपर पड़ी, उसने आखे नीचे की और बाथरूम में भाग गयी । उसके बाद, मैने 1 हफ्ते की छुट्टी ले ली और रोज़ उसको देखने लगा । मै उसको दुबारा नंगा तो नहीं देख पाया, लेकिन उसने मुझे नोटिस कर लिया । अब वो जानबूझकर कम कपड़ो में बाहर आने लगी । एक दिन, मुझसे कण्ट्रोल नहीं हुआ और मै उसके बाथरूम के बाहर पहुच गया और दरवाजे की झिरी में से उसको देखने लगा, वो अपनी झाटे शेव कर रही थी । मेरे धक्के से दरवाजा खुल गया और मै उसके सामने गिर पड़ा । सीमा मेरे पास आई, बोली तुमने तो बड़े दिन लगा दिए । इतने मस्त बदन की गर्मी को कितने दिन जलाया तुमने और मुझे लिटा दिया और मेरे सीने पर चढ़ बैठी । उसने मेरे होठो को अपने होठो से मिला दिया और उसकी सांसो की गर्मी ने मेरे लंड को तन्न से खड़ा कर दिया ।

सीमा ने मेरी पेंट को खोल दिया और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और वो मेरे लंड और अन्डो से खेलने लगी । अब वो पीछे मुड़ी और मेरे लंड को अपने मुह में ले लिया और उसको मस्ती मे चूसने लगी और बोली, ये तो पहले वाले से भी बड़ा है । ये बच्चा भी उस साले का ही है । मेरे पति के बसकी कुछ नहीं है, साले का ढंग से खड़ा तक तो होता नहीं । मैने उठने के कोशिश की, तो सीमा ने मुझे उठने नहीं दिया और मेरे ऊपर चढ़ के बैठी रही । वो मेरे लंड के पास गयी और अपनी चूत को दो उंगलियों से खोला और मेरे लंड पर बैठ गयी और धम्मम से उसने अपनी चूत मेरे लंड पर गुसा दी । मेरे खाल अचानक खीचने से मुझे दर्द होने लगा, लेकिन सीमा उसको छोड़ने को तैयार ही नहीं थी । वो किसी घोड़े की तरह मुझे चोदे जा रही थी और हम दोनों का शरीर मस्ती में मचल रहा था और वो वो मुझे मसल रही थी । कुछ देर में उसके झटके तेज होने लगे और मुझे भी लगा, कि मेरा माल निकलने वाला है, वो एक दम मेरे ऊपर गिर गयी और उसने अपनी चूत मेरे लंड से निकल ली । उसके निकालते ही, मेरा सारा माल मेरे लंड और शरीर पर गिर गया । बहुत ही मस्त और कामुक दिन था वो । दरवाजे की खूंटी पर उसकी चोली लटकी हुई मुझे चिड़ा रही थी और और बोल रही थी, साले देख नहीं छोड़ा तुझे आज …








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Fentency सीमा का भाई

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 सीमा का भाई

घर में सेक्स बहुत ही सामान्य बात है । घर में सेक्स करना सबसे सेफ होता है, लेकिन मेरे लिए अपनी गर्लफ्रेंड को उसके घर में चोदना भारी पड़ गया । मुझे नहीं मालूम था, कि उसको और उसके भाई दोनों को लडको का शौक है और जब एक बार घर खाली देखकर मेरी गर्लफ्रेंड ने मुझे अकेले बुलाया, तो उसके भाई ने मेरी मस्त गांड मारी । मैने कॉलेज की सबसे हॉट लड़की को पटाया, उसका नाम सीमा था और वो मुझसे 2 साल सीनियर थी, लेकिन कॉलेज के सारे लड़के उसकी सुन्दरता पर मरते थे, मै नाचने में अच्छा था, और वो भी और हम दोनों ने मिलकर कॉलेज को जिताया; तो हम दोनों की जोड़ी अच्छी बन गयी और हम एक दुसरे को पसंद करने लगे । सीमा बहुत ही बिंदास लड़की थी और वो बात-बात में मेरा हाथ पकड़ लेती थी और मुझे किस कर लेती थी । मुझे भी बड़ा मज़ा आता था ।

अब मुझे आगे बढ़ना था, तो मैने भी उसको चूमना शुरू कर दिया और एक दो बार सबके सामने ही उसके होठो को चूम लिया । जब भी मै उसे चूमता था, वो मुस्कुरा देती थी । एक दिन, सीमा ने मुझे बताया, कि वो कुछ दिनों के लिए अकेली है और मै उसके घर आ सकता हु, उसकी चूत में बड़ी खुजली हो रही है और वो उसे मेरे लंड से मिटवाना चाहती है । शाम को उसने मुझे अपने घर बुलाया और मै भी नहाकर और साड़ी तैयारी करके सीमा के घर पंहुचा और वो मुझे अपने कमरे ले गयी और मुझे अपने पलंग पर धक्का दे दिया । उसने कमरे में हल्की रौशनी की हुई थी और बहुत धीमा म्यूजिक चल रहा था, बड़े ही मुड में थी वो ।

वो मस्ती में नाच रही थी और झूम रही थी, उसने एक-एक करके अपने कपड़े उतारने शुरू किया और ब्रा पेंटी में आ गयी; उसका गोरा चिकना बदन ब्रा और पेंटी में बड़ा कामुक और उतेजक लग रहा था । फिर वो मेरे पास आई, और उसने एक-एक करके मुझे नंगा कर दिया और मेरे हाथो को अपने चूचो पर रख दिया और मेने उसको दबाना । तभी, मैने दो हाथ अपने लंड पर महसूस किये, मुझे लगा कि वो सीमा के हाथ होंगे; लेकिन सीमा के हाथ तो मेरे कंधो पर थे और वो कामुक आवाजो को निकालने के साथ-साथ मस्ती में मचल रही थी । मैने नीचे से देखा, तो सीमा का भाई एक हाथ से अपना लंड सहला रहा था और एक हाथ से मेरा । मेरे लंड ने डर में झुकना शुरू कर दिया, लेकिन सीमा ने उसको एकदम से अपने मुह में ले लिया और मस्ती में उसको चूसने लगी ।

मेरा बदन मस्ती में मचल रहा था और मुझे और उतेजना झेली नहीं जा रही थी आआआआआआ …………….ऊऊऊऊऊऊऊओ ….मर गया । तभी, सीमा के भाई ने मेरे मुह के पास आकर अपना लंड मेरे मुह में गुसा दिया और मेरे मुह को जोर-जोर से चोदने लगा । वो अपने हर धक्के के साथ अपने लंड को मेरे मुह के और अन्दर गुसा रहा था । मुझे दर्द तो हो रहा था, लेकिन मज़ा भी आ रहा था । अब मेरे लंड और सीमा के भाई के लंड से और नहीं रुका जा रहा था, तो सीमा का भाई पलंग पर लेट गया और सीमा ने मुझे उसके ऊपर लिटा दिया और सीमा के भाई ने मेरी गांड को चिकना करके अपना लंड मेरी गांड के छेद में गुसा दिया । उसका लंड बड़ा था और छेद छोटा, तो उसके हर धक्के में मेरी चीख निकल रही थी और वो मस्ती में अपनी गांड को जोर से उठाकर मेरी गांड मार रहा था । फिर, सीमा मेरे ऊपर आ गयी और मेरे लंड को उसने अपनी चूत में ले लिया और अपनी गांड हिलाकर मेरे लंड को पूरा अन्दर लेने लगी । बहुत ही मस्त समां था, कुछ ही देर में, मैने अपना रस सीमा की चूत मे छोड़ दिया और तभी तेरी गांड में अंगारे लगने शुरू हो गये । सीमा के भाई का सारा गरम माल मेरी गांड में था । हम सब ने पूरी रात घर में सेक्स किया और मज़ा किया । सुबह मेरी आँख देर से खुली, और जब देखा तो वो दोनों हमारे रात की घर में सेक्स की क्लिप देख रहे था ।







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Fentency बुआ हो तो ऐसी-2

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बुआ हो तो ऐसी-2

लेखक : राज शर्मा 

मैं एक बार ठंडा हो चुका था पर मेरे सामने जो आग पड़ी थी उसे देखते ही बदन का खून फिर से गर्म होने लगा। 
अब मैंने बुआ की साड़ी उतारनी शुरू कर दी और अगले ही पल बुआ सिर्फ पेटीकोट में मेरे सामने पड़ी थी। मैंने बुआ के पाँव चूमने शुरू किये और बुआ के केले के तने जैसी टांगो पर हाथ फेरते हुए पेटीकोट को उठाते हुए ऊपर की तरफ बढ़ने लगा। बुआ की गोरी गोरी टांगों पर हाथ फेरते हुए मैं उन्हें चूमता भी जा रहा था। मेरे होंठो के छुअन से बुआ मस्ती में भर गई थे और बेचैन होती जा रही थी। कुछ ही देर बाद बुआ की गोरी-गोरी जांघे दिखने लगी। मैं चूमता जा रहा था और बुआ सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी। अब मुझे पेंटी में कसी बुआ की चूत नजर आने लगी थी। बुआ मस्त हो गई थी और पूरी पेंटी गीली हो चुकी थी बुआ की चूत के पानी से।
मैंने अपना हाथ जैसे ही बुआ की चूत पर रखा, बुआ सीत्कार उठी। शायद बुआ उत्तेजना के कारण झड़ गई थी क्योंकि इस सीत्कार के साथ ही पेंटी और भी गीली हो गई थी। मैंने बुआ की गीली पेंटी को उतार दिया। बुआ की लाल-लाल चूत अब बिलकुल नंगी मेरी आँखों के सामने थी। मैंने बुआ की गीली पेंटी को सूंघा। क्या मादक खुशबू थी यार। लंड अकड़ कर लट्ठ जैसा हो गया था। इस खुशबू ने मुझे दीवाना बना दिया था। मैंने पेंटी एक तरफ़ कर अपने होंठ बुआ की चूत की पुतियों पर रख दिए। बुआ की चूत बहुत पानी छोड़ रही थी। मैं जीभ से उस अमृत को चाटने लगा। मैंने भी पहले कभी चूत का स्वाद नहीं चखा था। पर मुझे बुआ की चूत का कसैला और नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लगा और मैं मस्त हो कर चाटने लगा था।
बुआ बुरी तरह से सीत्कार रही थी। अब मैंने बुआ का पेटीकोट भी उतार कर एक तरफ़ रख दिया। बुआ अब बिलकुल नंगी थी। मेरे शरीर पर भी सिर्फ बनियान थी जो बुआ ने उतार फेंकी। अब हम दोनों जन्मजात नंगे थे। लंड तो पहले से ही लोहे की छड़ की तरह से हो चुका था। बुआ भी पूरी मदहोश थी। 
"अब नहीं रहा जाता राज.... जल्दी से कुछ कर ! नहीं तो मैं मर जाऊँगी !" 
"क्या करूँ बुआ ? खुल कर बोलो ना !"
"क्या बोलू बेशर्म.. क्यों तड़पा रहा है ? चोद मुझे... अब बर्दाश्त नहीं होता.... जल्दी से फाड़ दे रे मेरी चूत !"
मेरा पहली बार था तो मैं भी जल्दी से लंड चूत में डालने के लिए मरा जा रहा था। मैंने लंड बुआ की चूत के मुँह पर रखा तो ऐसा लगा जैसे किसी भट्टी के मुँह पर रख दिया हो। बुआ की चूत बहुत गर्म थी। चूत बिल्कुल उबल रही थी। मैंने लंड को ठीक से सेट किया और एक जोरदार धक्का लगा दिया। चूत बहुत तंग थी सुपारा बुआ की चूत में उतर गया था। बुआ एक दम से कसमसा उठी दर्द के मारे।
मुझे हैरानी हुई कि बुआ की शादी तो दो साल पहले हो चुकी थी यानी बुआ पिछले दो साल से चुदवा रही थी पर फिर भी बुआ को मेरा लंड लेने में तकलीफ हो रही थी। चूत इतनी कसी थी कि लगता ही नहीं था कि इस चूत ने लंड का स्वाद चखा होगा। इसी हैरानी में मैंने एक और जोरदार धक्का लगा दिया। आधा लंड बुआ की पनियाई हुई चूत में घुस गया। बुआ दर्द के मारे छटपटाने लगी। लंड तो मेरा भी कम नहीं था पर बुआ तो पिछले दो साल से चुदवा रही थी। खैर अगले दो धक्कों में पूरा लंड बुआ की चूत में घुस गया था। बुआ की झांटें और मेरी झांटें अब संगम कर रही थी। लंड जड़ तक घुस चुका था। बुआ की आँखों में आंसू आ गए थे। 
मैंने पूछा- बुआ, दर्द हो रहा है क्या ?
"नहीं रे.. तू अपना काम करता रह, मेरे आंसू मत देख..." 
मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए। बुआ की चूत बहुत तंग थी। लंड पूरा रगड़ रगड़ कर जा रहा था चूत में। बुआ धीरे धीरे मस्त होती जा रही थी। दर्द की शिकन जो कुछ देर पहले बुआ के चेहरे पर थी वो अब खत्म हो चुकी थी। बुआ ने अब अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरे धक्कों का जवाब देना शुरू कर दिया था। मैं भी गाँव का जवान पट्ठा था। पूरे जोश के साथ बुआ की चूत का बाजा बजा रहा था। अब तो बुआ भी मस्त हो चुदा रही थी। हम दोनों एक दूसरे से कुछ नहीं बोल रहे थे बस दोनों के मुँह से सीत्कारें निकल रही थी। 
करीब दस मिनट के बाद बुआ का शरीर अकड़ने लगा और बुआ लगभग चिल्ला उठी= आह्हह्ह.........राज....जोर से चोद मेरे राजा....... हाय बहुत प्यासी है रे तेरी बुआ की चूत....आह्ह...मार धक्के मेरे राज मैं तो गय्ईईईई अआहह्ह ग्ईईईई मैं तो आह्ह्ह... जोर से कर और जोर से आह्ह आह जोररर से आहह...
और बुआ झड़ गई और ढेर सारा पानी बुआ की चूत से निकल कर मेरे लंड के बराबर में से बाहर निकलने लगा। मेरा अभी नहीं हुआ था तो मैं अब भी जोरदार धक्को के साथ बुआ की चूत को पेल रहा था। दो मिनट के बाद ही बुआ फिर से गांड उछाल उछाल कर लंड लेने लगी। कमरे में अब फचा फच…. फचा फच… की आवाज गूंज रही थी। लंड मस्त गति से बुआ की चूत के अंदर आ जा रहा था। 
आधे घंटे की मस्त चुदाई के बाद मेरा लंड भी फटने को तैयार था और बुआ की चूत भी दूसरी बार फव्वारा छोड़ने को तैयार थी। मेरे मुँह से भी अब मस्ती भरी आवाजें निकल रही थी बिल्कुल शेर के गुर्राने जैसी। बुआ भी और जोर से और जोर से चिल्लाने लगी थी। बुआ ने मुझे कस कर जकड़ लिया बुआ के नाख़ून मेरी कमर में गड़ गए थे। दोनों का शरीर बुरी तरह से अकड़ने लगा था। फिर मेरा लंड फ़ूट पड़ा और वीर्य की धार बुआ के चूत में छूट गई। मेरे गर्म वीर्य का गर्मी मिलते ही बुआ की चूत भी पिंघल गई और उसने पानी का दरिया चला दिया। बुआ झमाझम झड़ रही थी। कमरे में तूफ़ान सा आ गया था। हम दोनों ही पसीने पसीने हो चुके थे। 
पांच मिनट ऐसे ही लेटे रहने के बाद बुआ की आवाज आई- अब नीचे भी उतर ! मैं दब गई हूँ तेरे नीचे।
लंड अब बैठ चुका था और फक की आवाज के साथ बुआ के चूत से बहार निकला और साथ ही निकला ढेर सारा वीर्य और बुआ की चूत के रस का मिश्रण। बुआ की चूत बिल्कुल भर गई थी। बुआ उठी और अपने पेटीकोट से मेरा लंड और अपनी चूत साफ़ की। फिर बुआ ने कपड़े पहनने लगी। मैंने रोकना चाहा पर बुआ ने मना कर दिया और उठ कर फूफा के कमरे में चली गई। मैं भी कपड़े पहन कर बुआ के पीछे पीछे चला गया। फूफा गहरी नींद में सो रहे थे।
बुआ ने कमरे में देखा और फिर रसोई में चली गई। बुआ को शायद भूख लगी थी। मैंने और बुआ ने बैठ कर खाना खाया। फिर बर्तन धो कर बुआ फूफा के कमरे में जाकर सो गई। मैं भी अपने कमरे में सोने चला गया और बेड पर लेट कर सोचता रहा कि बुआ की चूत इतनी टाईट कैसे है? फूफा चोदते नहीं है क्या ? और सोचते सोचते ना जाने कब मुझे नींद आ गई।
सुबह बुआ ने मुझे उठाया और चाय दे गई। फूफा भी उठ चुके थे। बुआ बिलकुल सामान्य थी जैसे रात को कुछ हुआ ही ना हो। चाय देकर बुआ नहाने चली गई और फूफा ने मुझे अखबार लाने भेज दिया। वापिस आया तो फूफा ऑफिस के लिए तैयार हो चुके थे। मेरे भी स्कूल का टाइम हो गया था। सो मैं भी नहा कर स्कूल के लिए तैयार हो गया।
दस बजे फूफा ऑफिस के लिए चले गए। बुआ ने अभी तक मुझ से कोई बात नहीं की थी, बिल्कुल चुपचाप थी। जब मैं स्कूल के लिए निकलने लगा तो बुआ बोली- राज.. आज स्कूल रहने दे घर पर कुछ काम है .. आज की छुट्टी ले ले ! 
मैं तो जैसे यही सुनने का इंतज़ार कर रहा था। मैंने झट से अपने एक दोस्त को बुला कर छुट्टी के लिए बोल दिया। कुछ ही देर के बाद एक चपरासी घर की सफ़ाई करने आ गया। मैं उसके जाने का इंतज़ार करता रहा पर उस हरामी ने पूरा डेढ़ घंटा लगा दिया। मैं सोच रहा था कि इससे तो अच्छा था कि मैं स्कूल ही चला जाता। बुआ अब मटक मटक कर मेरे सामने घूम रही थी कुछ मुस्कुरा भी रही थी। मुझे बहुत झुंझलाहट हो रही थी पर मैं कुछ कर नहीं पा रहा था।
खैर जब लगभग बारह बजे वो हरामी चपरासी अपना काम खत्म करके गया। उसके जाते ही मैंने दरवाजा जल्दी से बंद किया और भाग कर बुआ के पास पहुँचा। बुआ रसोई में दोपहर के खाने की तैयारी में लग गई थी। 
मैंने जाते ही बुआ को पीछे से पकड़ा और बुआ के नंगे पेट पर हाथ फेरते हुए बुआ की गर्दन पर चूमने लगा। बुआ ने मेरा हाथ हटा दिया और सब्जी काटती रही। बुआ के इस तरह हाथ हटाने से मैं बेचैन हो गया। मैंने दुबारा फिर कोशिश की तो बुआ ने फिर से मेरा हाथ हटा दिया। मैंने बुआ को अपनी तरफ घुमाया तो देखा बुआ की आँखों में आंसू थे। बुआ रो रही थी। मैंने बुआ के आंसू पोंछे और पूछा- क्या हुआ?
तो बुआ फफक फफक कर रो पड़ी। मैं परेशान हो गया कि आखिर बुआ रो क्यों रही है।
मैंने बुआ से पूछा- मुझ से कोई गलती हो गई क्या बुआ ?
"अरे नहीं रे ... बस तेरा प्यार देख कर वैसे ही मन भर आया" 
मैंने जोर देकर पूछा तो बुआ ने जो बताया उसे सुन कर मेरा खून खौल उठा। बुआ ने बताया कि फूफा एक नंबर का ऐय्याश आदमी है। शादी के बाद सुहागरात को भी फूफा शराब के नशे में धुत हो कर कमरे में आये थे और बोले कि वो किसी दूसरी लड़की से प्यार करते हैं और वो इस शादी से खुश नहीं है। घर वालों के दबाव में उन्होंने शादी के लिये हाँ की थी। क्योंकि बुआ गाँव से थी और पढ़ी लिखी भी कम थी इस लिए फूफा बुआ से शादी नहीं करना चाहते थे। फूफा बुआ के साथ सेक्स नहीं करते थे बल्कि बुआ के बजाय वो रंडियों पर पैसा उड़ाते थे। उन्होने पिछले दो साल में बुआ को सिर्फ दो चार बार ही चोदा था बस और वो भी शराब के नशे में धुत होकर। सही बोला जाए तो उन्होंने सिर्फ दो चार बार बलात्कार किया था बुआ के साथ। शादी के समय बुआ बिल्कुल शील चरित्र थी। कभी ऊँगली भी नहीं डाली थी उन्होंने चूत में। पर हाय रे फूफा की फूटी किस्मत ! जो इतने मस्त माल को कूड़ा समझ कर बाहर गंदगी में मुँह मार रहे थे।
बुआ के ससुर को यह बात पता लग गई थी और उन्होंने फूफा को समझाने की बहुत कोशिश भी की थी पर फूफा तो कुछ समझना ही नहीं चाहते थे। आखिरकार बुआ के ससुर ने फूफा को उस संगत से निकालने के लिए ऊपर सिफारिश करके फूफा का तबादला यहाँ करवा दिया था।
बुआ जवान थी और जवानी की आग उसमे भी भरी हुई थी तभी तो उस आग में जलते हुए बुआ ने मेरे साथ रात को सेक्स सम्बन्ध बना लिए थे। शायद बुआ ने पहली बार यौन का असली मजा लिया था वो भी बड़े प्यार के साथ। 
"बुआ, अब तुम्हे और आंसू बहाने की जरुरत नहीं है मेरे होते हुए तुम्हें कभी भी किसी चीज़ की कमी नहीं होगी !" बुआ मेरे सीने में सिमट गई।
मैंने बुआ को सांत्वना देते हुए कहा- एक दिन मैं फूफा को भी सही रास्ते पर ले आऊंगा।
बुआ एक बार फिर फफक पड़ी। मैंने अपने होंठों से बुआ की गालों पर आये आँसूओं को पीते हुए अपने होंठ बुआ के होंठों पर रख दिए। फिर तो एक प्यासी औरत और एक जवान लड़का दीन-दुनिया को भूल कर एक दूसरे में समाते चले गए। कब कपड़ों ने हम दोनों के शरीर को छोड़ दिया पता ही नहीं चला। कुछ देर के बाद ही हम दोनों बिलकुल नंगे एक दूसरे की बाहों में समाये हुए थे। फिर चूमा-चाटी का ऐसा दौर चला कि थोड़ी देर बाद ही मेरा लंड बुआ के मुँह में था और मेरा मुँह बुआ की चूत पर। लंड पूरा तन चुका था। मैंने बुआ को सीधा लेटाया और अपना मोटा लंड बुआ के गीली चूत पर रख दिया।
बुआ, जिसकी प्यास अब बुझने वाली थी, अपने चूतड़ एक दम से ऊपर उछाल कर मेरे लंड का स्वागत किया। जवाब में मैंने भी एक जोरदार धक्का लगा दिया। बुआ थोड़ी कसमसाई पर बोली कुछ नहीं क्यूंकि प्यासी तो वो भी थी। चूत बहुत तंग थी लंड पूरा फंस-फंस कर जा रहा था। मैंने धीरे धीरे पूरा लंड बुआ की चूत में घुसा दिया। फिर शुरू हुआ हल्के-हल्के धक्कों का दौर और फिर धीरे धीरे गति बढ़ती चली गई। बुआ चूत में होने वाले घर्षण से मस्त उठी और गांड उछाल-उछाल कर लंड अंदर लेने लगी। मस्त चुदाई हो रही थी। आधे घंटे के जबरदस्त चुदाई के दौरान बुआ तीन बार झड़ गई थी। फिर मैंने भी अपना सारा माल बुआ की मस्त चूत में डाल दिया। 
फूफा पांच बजे के बाद आने वाले थे और घर पर और कोई काम भी नहीं था तो हम दोनों ने समय का पूरा मजा लिया और तीन बार चुदाई की। उस दिन के बाद से बुआ मेरी बीवी की तरह से रहने लगी थी। दिन में रात में जब भी दिल करता हम एक दूसरे में समां जाते। आज बुआ का एक बेटा भी है। मेरे समझाने के बाद अब तो फूफा भी बुआ में रुचि लेने लगे है। अब दिन में मैं और रात में फूफा जी बुआ की मस्त चुदाई करते है बुआ अब पहले से ज्यादा मस्त हो गई है।
अब.. मेरी तो यही कामना है कि ऊपरवाला सब की प्यास ऐसे ही बुझाये। 
आप अपनी राय इस कहानी के बारे में जरुर लिखे ताकि मैं आगे भी आपको मस्त कहानियाँ भेजता रहूँ …..








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