Saturday, April 12, 2014

Fentency बायलोजी की टीचर-1

Fentency
 बायलोजी  की टीचर-1
 मैं स्कूल में बायलोजी विषय की टीचर थी. १२ वीं क्लास को पढाती थी. मेरी क्लास में लड़के और लड़कियां दोनों ही पढ़ते थे. स्कूल में साड़ी पहनना जरूरी था. मैं दूसरी टीचर्स की तरह खूब मेक-अप करती और खूबसूरत साडियाँ पहन कर स्कूल आती थी, जैसे कोई स्पर्धा चल रही हो. क्लास में मुझे रोहित बहुत ही अच्छा लगता था. वो १८ साल का एक सुंदर लड़का था, लंबा भी था, और हमेशा मुझे देख कर मुस्कुराता था, बल्कि खुश होता था. उसकी मतलबी मुस्कराहट मुझे बैचैन कर देती थी. मुझे भी कभी कभी लगता था कि रोहित मुझे अपनी बाँहों लेकर चूम ले ... रोहित ही आज की कहानी का नायक है.

हमेशा की तरह आज भी क्लास में मैं पढ़ा रही थी. मैंने विद्यार्थियों को एक सवाल का उत्तर लिखने को दिया. सवाल सरल था. सभी लिखने लगे, पर रोहित मुझे बार बार देख रहा था. उसे देख कर आज मेरा मन भी मचल गया. मैं भी मुस्कुरा कर उसे निहारने लगी. वो मुझे लगातार देखता ही जा रहा था, कभी कभी उसकी नजरें झुक भी जाती थी. मुझे लगा कि कुछ करना चाहिए. मैं घूमते हुए उसके पास गयी, उसके कंधे पर हाथ रख कर बोली,"रोहित कुछ मुश्किल है क्या ..." मैंने उसका कन्धा दबा दिया.

"न ...नहीं ...मैम ......
" मैं उस से सट गई. उसके कंधे का स्पर्श मेरी जाँघों में हुआ. मैं सिहर उठी. क्लास के बाद मैंने पेपर ले लिए. छुट्टी के समय मैंने रोहित को बुलाया और कहा," मैंने तुम्हारा पेपर चेक कर लिया है ..रोहित, तुम बायोलोजी में कमजोर हो ... तुम्हे मदद की जरूरत हो .... तो घर पर आकर मुझसे पूछ सकते हो."

"जी मैम ... मुझे जरूरत तो है ...पर आपका घर का पता नहीं मालूम है ..."

"रोहित तुम कहाँ रहते हो?...." उसने अपने घर का पता बताया. वो मेरे घर से काफ़ी दूर था।

"अगर तुम्हें आना हो तो ४ बजे शाम को आ जाना ...... मेरा पता ये है .." मैंने अपने घर का पता एक कागज़ पर लिख कर देते हुए कहा

"जी ... थैंक्स ." रोहित से एक तरह की खुशबू आ रही थी, जिसे मैं महसूस कर रही थी.

शाम को वो ४ बजे से पहले ही आ गया. मैं उस समय लम्बी स्कर्ट और ढीले ढाले टॉप में थी. मेरे बड़े और भारी स्तन उसमें से बाहर निकल पड़ रहे थे. तब मैं सोफे पर बैठी चाय पी रही थी. मैंने उसे भी चाय पिलाई.

फिर मैंने कहा -"किताब लाये हो ...." उसने किताब खोली.... मैं उसे पढ़ाने लगी. मैं सेंटर टेबल पर इस तरह झुकी थी कि वो मेरी चुंचियां अच्छी तरह देख सके ..... ऐसा ही हुआ ...... उसकी नजरें मेरी चुन्चियों पर गड़ गयी. मैंने काफी देर तक उसे अपनी चुन्चिया देखने दी ....मुझे अब विश्वास हो गया कि वो गरम हो चुका है. मैंने तुंरत ही गरम गरम लोहे पर चोट की ..."रोहित .!..!... क्या देख रहे हो ....???"
वो बुरी तरह से झेंप गया. पर सँभलते हुए बोला ....."नहीं कुछ नहीं मैम ....!"

मैंने देखा उसका लंड खड़ा हो गया था,"मुझे पता है तुम कहां झांक रहे हो .... तुम अपनी घर में भी यही सब करते हो? अपनी माँ बहन को भी ऐसे ही देखते हो क्या ...?… तुम्हें शर्म नहीं आती ?..."

वो घबरा गया ..."मैम वोऽऽ ...वोऽऽ .... आई एम् सॉरी ..."

"सॉरी क्यों?..... तुम्हें जो दिखा, तुमने देखा ....तुमने मेरा स्तन देखे पर मेरा टॉप तो उतार कर नहीं देखे हाथ नहीं लगाया फ़िर सॉरी किस बात की ?…मिठाई खुली पड़ी हो तो मक्खी तो आएगी ना ! पर हाँ .....सुनो किसी को कहना मत ..."

"नऽऽ ..नहीं मैम .. नहीं कहूँगा ..."

"अच्छा बताओ तुम्हारी बहन है?"

हाँ मैम .... है ! एक बड़ी बहन है !

तुम उसे भी ऐसे ही देखते हो? उसकी चुंचियां भी ऐसी हैं....मेरे जैसी?"

"नहीं मैम ... वोऽऽ उसकी तो आप आपकी आपसे छोटी हैं ...... " रोहित शरमाते हुए बोला।

"तुम्हें कैसे पता ..?. बोलो ...."

"जी ...मैंने छुप के देखी थी .. जब वो नहा रही थी ...." वो शर्माता भी जा रहा था और मैंने देखा कि उसका मुंह लाल हो रहा था. मैं समझ गयी कि वो उत्तेजित होता जा रहा है. मैंने धीरे से उसकी जांघ पर हाथ रखा. वो सिहर गया. पर वो कुछ बोला नहीं. मैं अब उसकी जांघ सहलाने लगी. मेरे अन्दर उत्तेजना अंगडाई लेने लगी. मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने धीरे से उसके लंड पर हाथ रख दिया.
वो मेरा हाथ हटाने लगा ......" मैम ना करो ऐसे...गुदगुदी होती है..."

"अच्छा ... कैसा लगता है ....?" मैंने अब उंगलियों से उसके लण्ड को ऊपर से पकड़ कर दबाया।

"मैम आह…… अह…… नहीं… मैम छोड़ो ना..."

"पहले बताओ कैसा लग रहा है...?"

"मैम .... मीठी मीठी सी गुदगुदी हो रही है.." और वो शरमा गया.

उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया पर मेरा हाथ नहीं हटाया, बल्कि सोफ़े पर आगे सरक कर अपने लण्ड को और ऊपर उभार लिया। मैं खुश हो गई ... चलो अब रास्ता साफ़ है.

मैंने जल्दी से उसकी पैन्ट की ज़िप खोली और उसका लण्ड बाहर खींच लिया। उसने अपनी आंखें बन्द कर ली। मैं लण्ड को प्यार से आहिस्ता आहिस्ता सहालाने, मसलने लगी। रोहित सीत्कारने लगा। उसने धीरे से अपनी आंखें खोल कर मुझे देखा...मैंने प्यार से उसके होठों को चूम लिया। अब उसके सब्र का बांध भी टूट गया। उसने मेरी चूचियां पकड़ ली और बुरी तरह भींचने लगा। मुझे दर्द हो रहा था पर मैंने कुछ कहा नहीं क्योंकि मज़ा भी तो आ रहा था।
उसकी हरकतें बढ़ गई और वो मेरे तोप के ऊपर से ही मेरे चूचुक खींचने लगा। रोहित मेरे साथ निर्दयता से पेश आ रहा था। मैं कराहने लगी- रोहित…! धीरे… धीरे रोहित। मैंने उसका हाथ पकड़ कर हटाना चाहा मगर उसने मुझे छोड़ा नहीं। उसका लण्ड फ़ूल कर फ़टने को हो रहा था। मैंने लन्ड के सुपाड़े की चमड़ी ऊपर खींच दी और झुक कर लण्ड को अपने मुंह में ले लिया। रोहित अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरे मुंह को चोदने लगा। उसका लण्ड बढ़ता ही जा रहा था। मेरी उससे चुदने की इच्छा भी बढ़ती जा रही थी।

मैं सोफ़े से उठी और रोहित को लेकर बिस्तर पर आ गई। जैसे ही मैंने अपना टॉप उतारने के लिए अपने हाथ ऊपर किए, रोहित ने मेरी स्कर्ट नीचे सरका दी। ब्रा और पैन्टी तो मैंने पहले से ही नहीं पहनी थी। अब मैं अपने जन्म-रूप में थी और चुदने को बिल्कुल तैयार थी। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने रोहित से भी कपड़े उतारने को कहा। वो तो इसके लिए पहले से ही आतुर था, उसने फ़टाफ़ट अपने सारे कपड़े उतार दिए और मादरजात नंगा हो गया।

मैंने उससे प्यार से पूछा,"रोहित ! मुझे चोदोगे?"

" हां मैम… लेट जाओ जल्दी से…!"

अब मैंने उसे तड़पाने की सोची और कहा," अगर मुझे चोदना है तो पहले मेरी गाण्ड चाटो…!"

मैंने अपनी दोनों टांगें ऊपर उठा कर अपने चूतड़ों को ऊपर उठा लिया। इससे मेरी गाण्ड का छेद उभर कर दिखने लगा। मैंने उसे अपनी गाण्ड की तरफ़ इशारा कर के कहा,' चाटो ! अपनी जीभ मेरी गाण्ड के छेद में घुसाओ !"

पर वो अपनी जगह से हिला नहीं और झिझकते हुए बोला,"नहीं ..मैम...मैं ये काम नहीं कर सकता, गंदा लगता है..."

"अरे चाटो ना...... बहुत मज़ा आएगा मुझे....."

पर वो नहीं माना। मैंने कहा," ठीक है...पर चूत तो चूसो .... देखो कितनी पनीली हो रही है..."

"नहीं मैम ..... मैं तो बस अपना लण्ड चूत में घुसाना चाहता हूं....."

मुझे गुस्सा आने लगा। लेकिन अपने गुस्से को काबू में कर मैंने उससे कहा," साले ! पहले कोई चूत देखी भी है या नहीं? बस चूत में घुसाने की जिद लगा रखी है"मैने भी सोच लिया कि जब तक अपनी गाण्ड और चूत रोहित से चटवा नहीं लूंगी इसको चूत में नही डालने दूंगी।

"अच्छा मेरे पास आओ ........". उसने मेरी एक चुन्ची को मुंह में ले लिया और दूसरी को हाथ से मसलने लगा. मैंने उसका लंड पकड़ लिया और उँगलियों से उसके लंड को मलने लगी. वो उत्तेजित हो उठा. मैंने खींच कर उसे अपने से चिपका लिया. मुझे पता था कि चोदना चाह रहा है. मैं उसके लंड की और तेजी से मुठ मारने लगी. वो सिस्कारियां भरता रहा. मुझे लगा कि वो अब जल्दी झड़ जाएगा. और उसी समय उसका वीर्य निकल पड़ा, वो अपनी उत्तेजना सम्भाल नहीं पाया। मुझे भी यही चहिए था। उसका लण्ड सिकुड़ गया और उसका वीर्य मेरे हाथ से टपक रहा था। वो बोला- मैम ! ये क्या हो गया? अभी तो मैंने अन्दर भी नहीं डाला था !

अन्दर तो मैं तुझे तब तक नहीं डालने दूंगी जब तक तू मेरा कहा नहीं मानता, मेरी गाण्ड और चूत नहीं चूसेगा तो मैं भी चूत में नहीं डलवाऊंगी। ले अब चूस, चाट ले मेरी गाण्ड, इतनी देर में ये भी फ़िर तैयार हो जाएगा- मैं उसके निढाल लौड़े को छेड़ते हुए बोली।
नहीं मैम ! बहुत गंदी होती है ये, घिन आती है !

बहनचोद! घिन आती है, गंदी है फ़िर क्यूं अपना लण्ड हाथ में ले कर इसके पीछे पड़ा है? अच्छा बता अब तक कितनी बार चुदाई की है? किस किस को चोद चुका है?

मैम ! किसी को नहीं ! एक बार भी नहीं !

"अच्छा बताओ ...तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड है ...... "

" नही मैम .. गर्ल फ्रेंड नहीं पर महिमा मुझे अच्छी लगती है ....."

"अच्छा ... और उसे तुम अच्छे लगते हो ?..... "

"हाँ मैम ... मुझसे बात भी करती है और मुझे ललचाई नजरों से देखती है "

"ठीक है ... कल मैं उसको यहाँ बुलाती हूँ ...या कल तुम उसे यहाँ ला सकते हो?

मैम ऐसे कैसे मैं ला सकता हूँ उसे? आप ही बुला लो यहाँ !

वो चुद जाएगी तुमसे ?

अगर आप हेल्प करोगी तो वो जरूर आ जायेगी ..और फ़िर देखेंगे क्या होता है.... शायद चुद जाए ! "

ठीक है.. उसे फिर खूब चोदना .. मेरे सामने ..."

"प्रोमिस मैम ...?

प्रोमिस !!!

वो खुश हो गया. और किताब उठा कर चला गया









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