Fentency
बाप रे बाप
मैं ऋतु,32 वर्षीया शादीशुदा औरत हूँ, और घर में मेरी एक 8 साल की बेटी रूबी, 55 साल के ससुर रामनारायण, मीना मेरी 50 साल की सास, 28 साल की तलाक़शुदा ननद, राधिका है. मेरा पति दुबई में काम करता है और तीन साल के बाद छुट्टी पर आता है वो भी एक महीने की. मेरे पति का नाम रघु है.. मेरा फिगर बहुत ही सेक्सी है, मेरे बूब्स 36 इंच, हिप्स 36 इंच और कमर 30 इंच हैं, रंग गोरा. मेरे चूतर बड़े ही मस्त हैं और मेरे अंदर सेक्स की भूख ज़यादा ही है. लोग कहते हैं कि मैं अपनी मा की तरह चुदकद हूँ. मेरी मा उमा देवी आज भी अपनी चूत में लंड लेने से नहीं हिचकिचाती जबकि उस की उमर 52 साल की हो चुकी है.
जैसा के आप जानते ही हैं, पति दुबई में होने के कारण मुझे तस्सलिबक्श चुदाई नसीब नहीं हो पाती. मैं लंड को तरप्ति रहती हूँ, मेरी ननद राधिका का तलाक़ हो गया किओं कि उसका पति साला नमार्द था. भोसड़ी का मेरी राधिका को दोष देता रहता था कि वो बांझ है जब कि वो राधिका को अच्छी तरह से चोद नहीं सकता था. खैर हम दोनो भाबी ननद लंड की कमी के कारण एक दूसरे के साथ लेज़्बीयन संबंध बना चुकी थी. राधिका को मेरी चूत का नशा सा था.. वो जब भी मौका मिलता, मेरे कमरे में आ कर मेरी चुचि चूसने लगती, कभी चूत में उंगली करती और कभी अपनी मादक चूत को मेरे हवाले कर देती. राधिका का खिला हुआ यौवन, बड़ी बड़ी 38 इंच की चुचि, गांद भी कम से कम 38 की ही होगी. उसके चुत्तेर खूब मस्त थे. मैं अपने हाथ उसके चूतरो से दूर नहीं रख पाती. लेज़्बीयन संबंध तक तो ठीक है लेकिन जब मेरी ननद जोश में आ जाती तो उसकी कामवासना पर काबू पाना मुश्किल हो जाता और राधिका क़िस्सी भी कीमत पर लंड पाने के लिए बेताब हो जाती.
एक दिन उसने मुझे पुच्छा कि मेरा पति (यानी की उसका भाई) कैसी चुदाई करता है और उसका लंड कितना बड़ा है. मैने उससे बताया के उसके भैया का लंड 9 इंच का है और ग़ज़ब का कड़क है. जब वो चोद्ता है तो चूत को तारे नज़र आने लगते हैं. “साला एस्से पेलता है के चूत की भोसड़ी बना देगा, ऐसी चूत चूस्ता है के सारा पानी निकाल देता है, वो कहता है के अगर उसे कामवासना का बुखार चढ़ा हो तो अपनी मा या बेहन को भी चोद डाले, लेकिन मेरी बन्नो मेरी किस्मत ही ऐसी है के वो तीन साल में एक महीने के लिए ही मुझे चोद सकता है और मेरी चुदास चूत को लंड रोज़ चाहिए, राधिका, साली तू ही कोई प्लान बना ता कि हम दोनो ही रोज़ लंड के मज़े ले सकें,” मैं बोली. राधिका ने कहा’ भाबी, तुझे तो तीन साल में एक महीने तो लंड मिल जाता है, मुझे तो अभी तक चुदाई का असली मज़ा नहीं आया, मेरे उस नमार्द पति का तो खड़ा ही नहीं हुआ, बेह्न्चोद चूत पर रगड़ता था और झाड़ जाता था और मेरी चूत तड़प तड़प कर आग में जलती रहती, भाबी मैं क्या प्लान करूँ, यह तो तुम्हें ही कोई प्रबंध करना पड़ेगा, मेरी चूत को भी शांत करवा दो, अगर तेरा कोई यार है या कोई कज़िन है तो उस से ही चुदवा दो मुझे, देखो भाबी मेरी चूत कैसे दहक्ति है लंड के बिना,’ मैने कहा चलो देखते हैं की क्या हो सकता है.
अगले दिन मैं बाज़ार जा रही थी तो मैने अपने ससुर से पुचछा” बाबू जी आपको क्या मंगवाना है बाज़ार से? जो चाहिए, मैं ला दूँगी, ‘ मेरे ससुर ने मुझे ध्यान से देखा और कहा ” बहू तुम शिलाजीत ले आना और साथ में छुआरे भी लेते आना,” मैने पुचछा” ठीक है लेकिन आपको क्या करनी है यह चीज़ें बाबू जी,’ बाबू जी बोले,” बेटी तेरा पति तो दुबई में बैठा है, लेकिन मुझे तो पति का काम करना पड़ता है ना, तेरी सासू को खुश करने के लिए यह चीज़ें चाहिए, इन से मर्दानगी बढ़ती है, ताक़त आती है बेटी,’ कहते हुए बाबूजी ने मुझे अजीब नज़रों से देखा, और मुझे लगा के वो मेरी चूचियो को घूर रहे हैं. जब मैं बाज़ार जा रही थी तो मुझे बाबूजी की नज़रें मेरे चूतरो का पीछा करती हुई महसूस हुई. मेरे शरीर में एक सिरहन सी दौर गयी और मेरी चूत में पानी भर गया.
मैं सारी चीज़ें लेकर आई और बाबूजी की चीज़ें उनको देने गयी. जब बाबू जी ने चीज़ें पकड़ी तो मेरे हाथों से उनका हाथ अचानक ही छ्छू गया, मेरा पैर फिसल गया और मेरे ससुर ने मुझे अपनी मज़बूत बाहों में लेकर संभाल लिया. में उनकी चौड़ी छाती के साथ सॅट गयी. मेरी चुचि उनकी छाती में धस गयी और मेरे जिस्म में आग दहकने लगी. उनका हाथ बरबस ही मेरे कुल्हों पर रेंग गया और मैं शर्मा गयी. ‘ माफ़ करना बाबूजी मेरा पैर फिसल गया था, आप मुझे ना थाम लेते तो मैं तो गिर ही जाती.’ मैने कहा. वो बोले,’ बेटी मैं किस लिए हूँ, अगर क़िस्सी चीज़ की ज़रूरत हो तो बेझिझक मेरे पास आना, मैं अपने परिवार के लिए सब कुच्छ करने को तय्यार हूँ, मुझ से कभी भी शरमाना नहीं, मेरी बेटी,’ मैने गौर से देखा के उनके पाजामे में उनका लंड सलामी दे रहा था, मैं मुस्कुराइ और अपने आप से बोली, साली, तू बाहर क्या ढूड़ रही है, महा लंड तो घर में ही विराजमान हैं, यह साला ससुर मेरे उप्पेर ही नज़रें लगा कर बैठा है, और मुझे भी तो लंड चाहिए, लेकिन अब साला बूढ़ा नहीं जानता कि मैं उस के साथ चुदाई तो करूँ गी पर इसकी बेटी को भी इसके लंड से चुदवाउन्गि.
मैं सारी रात अपनी और राधिका की चुदाई का प्लान बनाती रही. जब मैं सारा काम ख़त्म कर के अपने कमरे में राधिका के पास जा रही थी तो बाबूजी के कमरे से आवाज़ आ रही थी,’ अह्ह्ह्ह मार डाला मेरे रजाअ, आज क्या खा कर आए हो, मेरी चूत की धज़ियाँ ही उड़ा डालीं, आज तेरा लंड कुच्छ ज़यादा ही ज़ोर मार रहा है, ऐसा लगता है जैसे क़िस्सी जवान औरत की कल्पना करके मुझे चोद रहे हो, मेरे स्वामी मैं आपके हल्लाबी लंड के सामने नहीं टिक सकती, ये मैं नहीं झेल सकती, जब कल मैं अपने मायके चली जाउन्गि तो शूकर हो गा कम से कम दो महीने तो आराम से काट लूँगी, और तुम मूठ मार मार के करना गुज़ारा, ओह्ह्ह्ह मैं झड़ी मेरी चूत का रस निकल गया, निकाल लो अपना लॉडा मेरी बुर में से मैं तो थक गयी,’ बाबूजी बोले” साली मेरा तो झाड़ दे, चूस के, मूठ मार के या फिर अपनी गांद मे चुदवा के, मैं इस खंबे जैसे लंड को ले कर कहा जाउ, बेह्न्चोद मेरा तो पानी निकाल दो” सासू मा बोली” अपना पानी आप ही निकाल लो मैं तो सोने लगी हूँ.’ मेरा दिल किया केमैं दौड़ के बाबूजी का लंड अपनी चूत में लेकर मस्त हो जाउ पर एस्सा कर ना सकी. लेकिन एस्सा कुच्छ ना कर सकी और अपने कमरे जाकर सारी रात बाबूजी के लंड के सपने देखते हुए जाग कर निकाल दी
सुबह जब मैं उठी तो राधिका मेरे साथ लिपटी हुई थी, उस्केहाथ मेरे मम्मों पर थे जिन्हे वो दबा रही थी. मैं उठ कर बाथरूम होकर आई तो मेरी ननद अपनी चूत खुज़ला कर बोली,”भाबी अगर तुमने क़िस्सी लंड का इंतज़ाम नहीं किया तो मैं मर जाउन्गि, मुझे बचा लो मेरी प्यारी भाबी,” मैने मुस्कुरा कर पुचछा, क़िस्सका लंड चाहिए. उसने जवाब दिया लंड किसी का भी हो, चलेगा, अब तो चूत इतनी बेसबरी हो चुकी है कि अगर मेरे बाप का भी मिल जाए तो इसकी आग ठंडी करने के लिए ले लूँगी” मैने कहा” ठीक है अब मुकर मत जाना किओं कि तुझे आज बाबूजी का लंड ही मिलने वाला है, तू बस ऐसा ही करना जैसे मैं कहती हूँ,” वो मान गयी. जब वो तय्यार होने चली गयी तो मैं बाबूजी की चाइ लेकर उनके रूम में चली गयी. मैने जानबूझ कर सारी का पल्लू नीचे गिरा रखा था, जिस कारण मेरे वक्ष आधे से अधिक नंगे हो रहे थे. सासू मा अपने मायके जाने के लिए तय्यार हो रही थी.
मैने आगे झुक कर चाइ बाबूजी को दी और अपने कूल्हे इनके हाथ से रगड़ दिए. मैने देखा कि उनका लंड उठक बैठक करने लगा है. मैने जान बुझ कर उनसे कहा” बाबूजी, देखो मेरा हाथ दुख रहा है, क्या ये सूज गया है, देखो तो सही,” इतना कह कर अपना हाथ उनके हाथ में दे दिया, उन्हों ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मलने लगे, मैं उनसे साथ कर बैठ गयी. मैने नोट किया की बाबूजी मेरा हाथ सहलाने लगे और उनका लंड पाजामे के अंदर सर उठाने लगा. मैने उनको पूरी तरह उतेज़ित कर डाला. जब वो मेरे कंधे पर हाथ रखने लगे तो मैं जान बुझ कर बोली, ” अब मैं चलती हूँ माजी का नाश्ता बनाना है,’ मैने हाथ छुड़ाया और चली गयी लेकिन बाबूजी का बुरा हाल था, वो अपने लंड को मसल रहे थे.
मैने राधिका को कहा,’ तुम माजी के जाने के बाद, कमर मैं दर्द का नाटक करना, और बाबूजी को कमर पर इयोडीक्स लगाने के लिए कहना, और धीरे धीरे नीचे तक उनका हाथ ले जाना, लेकिन ये सब उस वक्त करना जब मैं माजी को बस स्टॅंड पर छ्चोड़ने जाउ और घर मैं कोई ना हो. देखना वो तेरे को चोदने को तय्यार हो जाएँगे, मैने उनकी चाइ में शिलाजीत मिला दी थी, आज तेरी चुदाई पक्की हो जाएगी मेरी बन्नो, तुम यह निकर और टीशर्ट पहन लो और ब्रा और पॅंटी मत पहनना, तेरा बाप आज क़िस्सी को भी चोदने को तैयार हो जाए गा, तुम उस पर अपनी जवानी का जादू चला दो मेरी रानी उसके बाद हम दोनो उसके लंड के मज़े लेंगे, वो भी चूत का भूखा है मेरी जान’ वो हैरान हो कर मेरी तरफ देखने लगी. मैं फिर बाबू जी के कमरे में गयी और उनकी जांघों पर हाथ रख कर बातें करने लगी, और उनके लंड को भी च्छू लिया. वो बेचैन होने लगे और मैं मुस्कुरा कर बाहर आ गयी.
मैं थोड़ी देर में वापिस आ गई और राधिका के कमरे में झाँकने लगी. राधिका ने आवाज़ लगाई” पप्पा ज़रा मेरी कमर पर बॉम लगा देना, मुझे बहुत दर्द हो रहा है,’ उसने ये कहते हुए अपनी टीशर्ट उप्पेर उठा डाली और उस का गोरा पेट नंगा हो गया, और जब उसने अपनी नाइकर्स को नीचे कर दिया तो उसकी जाँघ नज़र आने लगी. मेरी आँख ने देखा कि बाबूजी की नज़र में वासना की चमक उभर आई. उनकी आँखों में एक लाली नज़र आने लगी. वो अपनी बेटी के नज़दीक आ गये और वासनात्मक नज़रों से देखते हुए बोले” बेटी क्या हुया, दर्द कहाँ हो रहा है, और उनका हाथ अपनी बेटी की कमर पर चला गया और उसकी कमर को सहलाने लगा.
मैने देखा कि अब बाबू जी नहीं बल्कि उनका लंड बोल रहा था. उनकी आवाज़ से साफ ज़ाहिर था के काम वासना में वो बाप बेटी के रिश्ते की पवित्रता को भूल गये थे. अब कमरे में सिर्फ़ चूत और लंड के मिलन का सीन बना हुआ था. बाबूजी के हाथ काँप रहे थे जब वो अपनी बेटी की कमर को सहला रहे थे. राधिका ने अपना सिर बाबूजी की छाती पर टीका दिया. राधिका की साँसें तेज़ हो चुकी थी.
बाबू जी ने इयोडीक्स की शीशी उठाई और कमर पर लगाना शुरू कर दिया. राधिका की चुचि अब उनके शरीर से सॅट गयी थी और बाबूजी और भी उतेज़ित हाने लगे. बाबूजी ने अपना एक हाथ उसकी चुचि पर रख दिया और धीरे से दबा दिया.” ओह्ह्ह पापा धीरे से, मुझे बहुत घबराहट हो रही है, हाए मुझे दर्द हो रहा है, बॉम मलीए ना, पापा,” राधिका बोली और अपने बाप के शरीर से चिपक गयी. बाबूजी का लंड अब बेकाबू हो चुका था. राधिका ने अपनी निकर्स को और नीचे कर दिया जिस के साथ ही उसकी जांघे पूरी तरह नंगी हो गयी. अब उसके कूल्हे बस उसकी टीशर्ट से ही ढके हुए थे. बाबूजी ने काँपते हाथों से राधिका की कमर और जांघों पर बॉम लगाना शुरू कर दिया और राधिका और ज़ोर से अपने बाप के शरीर से चिपकती चली गयी. मैं मंत्रमुग्ध हो कर कमरे के अंदर का सीन देख रही थी और मेरे जिस्म में भी कामग्नी जल रही थी. ‘ पापा मेरे कूल्हे भी दर्द कर रहे हैं, प्लीज़ वहाँ भी बॉम लगा दो,’ बाबूजी ने बॉम लगाना शुरू कर दिया और उसकी टीशर्ट को उप्पेर उठा दिया. वो अपनी बेटी के चुटटरों पर बॉम लगाने लगे. राधिका ने अपना हाथ अपने पापा की छाती पर रख दिया और अपने होठ उनके होंठों पर रख दिए, उसकी साँसें पापा की साँसों से टकरा रहीं थी. बाबूजी ने बेटी को बाहों मैं भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगे.. राधिका ने नाटक करते हुए अपने आप को छुड़ाने की झूठी सी कोशिश की लेकिन बाबूजी ने उसे और भी कस कर जाकड़ लिया और अपनी बटी को बेतहाशा चूमने लगे, उनका लंड राधिका के पेट को टच कर रहा था, बाबूजी ने उसकी चुचि कस कर दबानी शुरू कर दी और राधिका ने ड्रामा किया” पापा, यह क्या कर रहे हो, मैं आपकी बेटी हूँ, क्या यह पाप नहीं है, आप मुझे छ्चोड़ दो, हम यह सब नहीं कर सकते, पापा, मुझे छ्चोड़ दो, प्लीज़,” वो भी जानती थी कि अब पापा वापिस आने के काब्िलनहीँ रहे किओं कि उनका लंड अब फटने के करीब ही था. पापा ने अपनी बेटी का हाथ अपने लंड पर रख कर कहा” मेरी बेटी लंड और चूत का एक ही रिश्ता होता है और वो है चुदाई का रिश्ता, मेरी प्यारी बेटी, तू भी लंड के बिना तड़प रही हो मुझे पता है और साथ ही तेरी भाबी भी चुदासी है क्योंकि उसका पति भी उससे चोद नहीं सकता, आ जा मैं तेरी चूत को चोद कर मस्त कर दूँगा, बेटी मेरा लंड कैसे दाहक रहा है, तुम इसको हाथ में लेकर सहलाओ ज़रा, देखो तुम्हारी चुचि कितनी कड़ी हो गयी है, जल्दी से अपनी टीशर्ट भी उतार दो मेरा लंड तुझे चोदने को तड़प रहा है,” राधिका भी मस्ती में भर उठी और अपनी शर्ट उतार कर पूरी तरह नंगी हो गयी और पापा के लंड को हाथ में भर के मुठियाने लगी. लंड की आँख से प्री-कम की दो बूँदें टपक पड़ी और बाबूजी चुदाई की मस्ती में आ गये और ज़ोर ज़ोर से अपनी बेटी की चुचि को मुह्न मे लेकर चूसने लगे, ” बेटी तू कितनी सेक्सी हो गयी है, मेरा लंड तेरी चूत का प्यासा है, अब मुझे अपनी चूत का स्वाद दिखाओ, मेरी प्यारी बेटी और मेरे लंड को चूस कर इसका स्वाद देखो, जल्दी से मैं आज सवेरे से ही चोदने के लिए तड़प रहा हूँ, लाओ अपनी टाँगें खोल कर अपनी चूत का दीदार तो कर्वाओ,” राधिका ने अपनिजंघें खोल दी और उसकी चूत मुस्कुरा उठी क्योंकि वो आज पहली बार किसी असली लंड से चुदाई करने वाली थी. पापा ने अपना मुह्न उसकी चिकनी चूत में घुसा दिया और अपनी जीभ चूत की फांकों के अंदर डाल दी. ” अहह पापा, यह क्या कर दिया मेरी चूत को, यह तो पानी छ्चोड़ने लगी है, चूस लो मेरी बुर को पापा, यह आज चुदाई के लिए तड़पति है, लाओ मैं आपके लंड को चूस लेती हूँ, मुझे चोद डालो आज, चोद दो अपनी बेटी को, मेरे पापा,’ इसके साथ ही राधिका ने पापा का लंड अपने मुह्न में ले लिया और लगी चूसने उनके लंड को. लंड आग की तरह दहकने लगा. बाबूजी अपने चुटटर आगे पिछे करने लगे, राधिका बाबूजी के लंड को गले के भीतर तक ले गयी और करहाने लगी, उधर बाबूजी की जीभ राधिका की चूत में पूरी तरह समा चुकी थी और उसकी चूत का रस, बाबूजी के मुह्न से बहने लगा, जैसे की उनके मुह्न से लार टपक रही हो, राधिका की चूत झाड़ रही थी.
तभी मैने कमरे मैं एंट्री कर दी और बोली,” साले बाबूजी, इतने कामीने निकले के अपनी ही बेटी को चोदने के लिए तैयार हो गये, बेतिचोद साले मैं क्या मर गयी थी, मुझे कौन चोदे गा बेहन्चोद, तेरा बेटा तो बेहन्चोद मुझे छ्चोड़ कर चला गया और तू भी साले अपनी बेटी को ही चोद रहा है, मेरा क्या हो गा, ” बाबूजी मुझे देख कर घबरा गये और फिर संभाल कर बोले,” बेटी तू भी आ जा मेरी बेटी, मेरा लंड मेरी बहू और बेटी के लिए काफ़ी है, मैं तुम दोनो को चोद कर शांत कर दूँगा, आजाओ मेरी रानी बहू, अगर बेटा चला गया है तो क्या हुया, बाप तो ज़िंदा है, मेरे पास आ मैं तेरी चुचि को भी चूस्ता हूँ, आ मेरी बेटी तू भी कोई कम सेक्सी नहीं हो, तेरा जिस्म भी चुदाई की आग में जल रहा होगा, ला मेरे पास आ मैं तुझे भी तृप्त कर्दून्गा,” मैने फटाफट अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और बिस्तर पर आके बाबूजी के जिस्म को चाटने लगी और राधिका की चुचि दबाने लगी. बाबूजी ने अपना हाथ मेरी गांद पर फिराना शुरू कर दिया. मैने बाबूजी का लंड हाथ में ले लिया और उससे सहलाना शुरू कर दिया. उनका लंड पूरी तरह कड़ा हो चुका था. मैने उससे चाटना शुरू कर दिया, मेरी चूत भी पनिया गयी थी. मैने कहा ” आप पहले राधिका को चोद कर शांत कर दो, इसकी चूत अभी कुँवारी है, लेकिन ज़रा, प्यार से चोदना अपनी बिटिया को,” ये कहते हुए मैने राधिका की टांगे चौड़ी कर दी और उसकी चूत पर बाबूजी का लंड टीका दिया, उनके टट्टों पर हाथ फिराया जिस कारण बाबूजी के मुह्न से आह निकल गयी, मैने उनका लंड राधिका की चूत पर रगड़ा जिस में से पहले ही पानी निकल रहा था. उसकी खुजली इतनी बढ़ गयी के वो अपने आप पर काबू ना रख सकी” पापा अब और मत तड़पाव, मेरी चूत में आग लगी हुई है, आप का लंड रगड़ना मुझे पागल बना रहा है, पापा मेरी चूत के अंदर पेल दो अपना लोड्ा, पापा मेरे साथ सुहागरात मना लो, मुझे मम्मी की तरह चोद डालो मेरे प्यारे पापा, मुझे पेल दो पापा, प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज, भाबी मेरी चूत में पापा का लंड पेल दो, मेरी प्यारी भाबी, उसके बाद तुम मज़े ले लेना पापा के लंड के साथ, मैं तेरी विनती करती हूँ, मेरी आग बुझा दो, प्लीज़्ज़ज्ज.”
बाबू जी का लंड पकड़ कर मैने राधिका की चूत के मुख पर टिकाया और कहा” बाबूजी पेल दो अपना लंड अपनी बेटी की बुर में, देखो कैसे तड़प रही है साली, कैसे दाहक रही है इसकी चूत, अब तो इसकी आग आपका लंड ही शांत कर सकता है, उड़ा दो इसकी चूत की धज़ियाँ, पेल दो अपनी बेटी को, डाल दो अपना लंड रस इस की प्यासी चूत में, ” बाबूजी ने देर करना मुनासिब नहीं समझा और धक्का मार के लंड पेल दिया, और उनका आधा लंड पहले धक्के में चूत में समा गया. राधिका चिल्लाई” पापा बहुत दर्द हो रहा है, लगता है मेरी सील टूट गयी है, बाहर निकाल लो अपना लंड, दर्द बर्दाशत नहीं हो रहा पापा, प्लीज़.” लेकिन बाबूजी ने धक्के मारना जारी रखा. उनका लंड अपनी बेटी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था. राधिका की चूत से लहू बहने लगा. बाबूजी भी पुराने खिलाड़ी थे, ” बेटी दर्द थोड़ी देर में ख़त्म हो जाएगा, ऋतु, तू राधिका की चुचि चूसना शुरू कर दो और इस की चूत को भी सहलाओ, साली बहुत टाइट है इसकी चूत, लेकिन मैं आज इसे चोद कर ठंडी कर दूँगा, ले बेटी ले लो अपने पापा का लंड अपनी प्यासी बुर में और मिटा दो इसकी प्यास.’
मैने अपनी जीभ से राधिका की चुचि चाटना शुरू कर दिया और अपनी उंगलिओ से उसकी चूत के आसपास का इलाक़ा उतेज़ित करना शुरू कर दिया. उसका दर्द कम हो गया और उसे मज़ा आने लगा, और वो चुटटर उछाल कर बाबूजी के धक्कों का ज्वाब देने लगी,” पापा मेरा दर्द ख़त्म हो गया है, आपके लंड से मुझे जन्नत का मज़ा आ रहा है, आपका लंड मेरी चूत को स्वर्ग दिखा रहा है, पेलो अपना लंड मेरी चूत के अंदर, चोद दो अपनी बेटी को, ले लो मेरी कुंवाई चूत के मज़े, ज़ोर से चोदो मुझे,” मैने बाबूजी के लंड पर उंगलियाँ फेरी और उनके चुटटर पर थपकी दी और कहा” बाबूजी, चोदो अपनी हरामी बेटी को साले, ज़ोर से लगा धक्के बेहन्चोद, देखता क्या है साले तुझे आज अपनी जवान और कुँवारी बेटी की चूत का मज़ा मिल रहा है, साले बन गया है तू बेतिचोद और थोड़ी देर में बहुचोद भी बन जाएगा, साले चोद डाल इसको, चोद डालो अपनी बेटी को, वो कब से प्यासी है लंड की, मिटा तो इसकी प्यास, छोड़ दो अपना पानी इसकी चूत मैं.’ बाबूजी भी पागलों की तरह धक्के मारने लगे. कमरे में घचा घच की आवाज़ें आने लगी, राधिका के मुह्न से अहह, ओह की आवाज़ आ रही थी.
बाबूजी ने अपनी बेटी के चूतरो को कस के पकड़ रखा था और उसे पेल रहे थे,” अहह, बेटी मेरा भी टाइम नज़दीक आ रहा है, मैं भी झड़ने वाला हूँ, हां मैं सच में बेटीचोड़ बन गया हूँ, और मुझे ख़ुसी है के तुमने अपनी कुँवारी चूत ,मेरे लिए संभाल के रखी हुई थी, हाँ बेटी चुदवा ले मुझ से मेरी प्यारी बेटी, कसम तेरी जवानी की आज तक इतना मज़ा नहीं आया, क्या चुटर है तेरी, ले लो मेरा पानी तेरी चूत में जा रहा है, मेरा पानी तेरी कोख में गिर रहा है, तेरा बाप झाड़ रहा है, मैं गयाआआआ,” यह कहते हुए बाबूजी ने पिचकारी राधिका की चूत में छ्चोड़ दी और उनका लंड छपॅक की आवाज़ से चूत से बाहर निकल आया. मैने पहले उनका लंड चूस कर सॉफ किया और फिर अपनी ननद की चूत को चाता और हम दोनो ही बाबूजी की बगल में लेट गयी.
दोस्तो कैसी लगी ये मस्त कहानी
समाप्त
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मैं ऋतु,32 वर्षीया शादीशुदा औरत हूँ, और घर में मेरी एक 8 साल की बेटी रूबी, 55 साल के ससुर रामनारायण, मीना मेरी 50 साल की सास, 28 साल की तलाक़शुदा ननद, राधिका है. मेरा पति दुबई में काम करता है और तीन साल के बाद छुट्टी पर आता है वो भी एक महीने की. मेरे पति का नाम रघु है.. मेरा फिगर बहुत ही सेक्सी है, मेरे बूब्स 36 इंच, हिप्स 36 इंच और कमर 30 इंच हैं, रंग गोरा. मेरे चूतर बड़े ही मस्त हैं और मेरे अंदर सेक्स की भूख ज़यादा ही है. लोग कहते हैं कि मैं अपनी मा की तरह चुदकद हूँ. मेरी मा उमा देवी आज भी अपनी चूत में लंड लेने से नहीं हिचकिचाती जबकि उस की उमर 52 साल की हो चुकी है.
जैसा के आप जानते ही हैं, पति दुबई में होने के कारण मुझे तस्सलिबक्श चुदाई नसीब नहीं हो पाती. मैं लंड को तरप्ति रहती हूँ, मेरी ननद राधिका का तलाक़ हो गया किओं कि उसका पति साला नमार्द था. भोसड़ी का मेरी राधिका को दोष देता रहता था कि वो बांझ है जब कि वो राधिका को अच्छी तरह से चोद नहीं सकता था. खैर हम दोनो भाबी ननद लंड की कमी के कारण एक दूसरे के साथ लेज़्बीयन संबंध बना चुकी थी. राधिका को मेरी चूत का नशा सा था.. वो जब भी मौका मिलता, मेरे कमरे में आ कर मेरी चुचि चूसने लगती, कभी चूत में उंगली करती और कभी अपनी मादक चूत को मेरे हवाले कर देती. राधिका का खिला हुआ यौवन, बड़ी बड़ी 38 इंच की चुचि, गांद भी कम से कम 38 की ही होगी. उसके चुत्तेर खूब मस्त थे. मैं अपने हाथ उसके चूतरो से दूर नहीं रख पाती. लेज़्बीयन संबंध तक तो ठीक है लेकिन जब मेरी ननद जोश में आ जाती तो उसकी कामवासना पर काबू पाना मुश्किल हो जाता और राधिका क़िस्सी भी कीमत पर लंड पाने के लिए बेताब हो जाती.
एक दिन उसने मुझे पुच्छा कि मेरा पति (यानी की उसका भाई) कैसी चुदाई करता है और उसका लंड कितना बड़ा है. मैने उससे बताया के उसके भैया का लंड 9 इंच का है और ग़ज़ब का कड़क है. जब वो चोद्ता है तो चूत को तारे नज़र आने लगते हैं. “साला एस्से पेलता है के चूत की भोसड़ी बना देगा, ऐसी चूत चूस्ता है के सारा पानी निकाल देता है, वो कहता है के अगर उसे कामवासना का बुखार चढ़ा हो तो अपनी मा या बेहन को भी चोद डाले, लेकिन मेरी बन्नो मेरी किस्मत ही ऐसी है के वो तीन साल में एक महीने के लिए ही मुझे चोद सकता है और मेरी चुदास चूत को लंड रोज़ चाहिए, राधिका, साली तू ही कोई प्लान बना ता कि हम दोनो ही रोज़ लंड के मज़े ले सकें,” मैं बोली. राधिका ने कहा’ भाबी, तुझे तो तीन साल में एक महीने तो लंड मिल जाता है, मुझे तो अभी तक चुदाई का असली मज़ा नहीं आया, मेरे उस नमार्द पति का तो खड़ा ही नहीं हुआ, बेह्न्चोद चूत पर रगड़ता था और झाड़ जाता था और मेरी चूत तड़प तड़प कर आग में जलती रहती, भाबी मैं क्या प्लान करूँ, यह तो तुम्हें ही कोई प्रबंध करना पड़ेगा, मेरी चूत को भी शांत करवा दो, अगर तेरा कोई यार है या कोई कज़िन है तो उस से ही चुदवा दो मुझे, देखो भाबी मेरी चूत कैसे दहक्ति है लंड के बिना,’ मैने कहा चलो देखते हैं की क्या हो सकता है.
अगले दिन मैं बाज़ार जा रही थी तो मैने अपने ससुर से पुचछा” बाबू जी आपको क्या मंगवाना है बाज़ार से? जो चाहिए, मैं ला दूँगी, ‘ मेरे ससुर ने मुझे ध्यान से देखा और कहा ” बहू तुम शिलाजीत ले आना और साथ में छुआरे भी लेते आना,” मैने पुचछा” ठीक है लेकिन आपको क्या करनी है यह चीज़ें बाबू जी,’ बाबू जी बोले,” बेटी तेरा पति तो दुबई में बैठा है, लेकिन मुझे तो पति का काम करना पड़ता है ना, तेरी सासू को खुश करने के लिए यह चीज़ें चाहिए, इन से मर्दानगी बढ़ती है, ताक़त आती है बेटी,’ कहते हुए बाबूजी ने मुझे अजीब नज़रों से देखा, और मुझे लगा के वो मेरी चूचियो को घूर रहे हैं. जब मैं बाज़ार जा रही थी तो मुझे बाबूजी की नज़रें मेरे चूतरो का पीछा करती हुई महसूस हुई. मेरे शरीर में एक सिरहन सी दौर गयी और मेरी चूत में पानी भर गया.
मैं सारी चीज़ें लेकर आई और बाबूजी की चीज़ें उनको देने गयी. जब बाबू जी ने चीज़ें पकड़ी तो मेरे हाथों से उनका हाथ अचानक ही छ्छू गया, मेरा पैर फिसल गया और मेरे ससुर ने मुझे अपनी मज़बूत बाहों में लेकर संभाल लिया. में उनकी चौड़ी छाती के साथ सॅट गयी. मेरी चुचि उनकी छाती में धस गयी और मेरे जिस्म में आग दहकने लगी. उनका हाथ बरबस ही मेरे कुल्हों पर रेंग गया और मैं शर्मा गयी. ‘ माफ़ करना बाबूजी मेरा पैर फिसल गया था, आप मुझे ना थाम लेते तो मैं तो गिर ही जाती.’ मैने कहा. वो बोले,’ बेटी मैं किस लिए हूँ, अगर क़िस्सी चीज़ की ज़रूरत हो तो बेझिझक मेरे पास आना, मैं अपने परिवार के लिए सब कुच्छ करने को तय्यार हूँ, मुझ से कभी भी शरमाना नहीं, मेरी बेटी,’ मैने गौर से देखा के उनके पाजामे में उनका लंड सलामी दे रहा था, मैं मुस्कुराइ और अपने आप से बोली, साली, तू बाहर क्या ढूड़ रही है, महा लंड तो घर में ही विराजमान हैं, यह साला ससुर मेरे उप्पेर ही नज़रें लगा कर बैठा है, और मुझे भी तो लंड चाहिए, लेकिन अब साला बूढ़ा नहीं जानता कि मैं उस के साथ चुदाई तो करूँ गी पर इसकी बेटी को भी इसके लंड से चुदवाउन्गि.
मैं सारी रात अपनी और राधिका की चुदाई का प्लान बनाती रही. जब मैं सारा काम ख़त्म कर के अपने कमरे में राधिका के पास जा रही थी तो बाबूजी के कमरे से आवाज़ आ रही थी,’ अह्ह्ह्ह मार डाला मेरे रजाअ, आज क्या खा कर आए हो, मेरी चूत की धज़ियाँ ही उड़ा डालीं, आज तेरा लंड कुच्छ ज़यादा ही ज़ोर मार रहा है, ऐसा लगता है जैसे क़िस्सी जवान औरत की कल्पना करके मुझे चोद रहे हो, मेरे स्वामी मैं आपके हल्लाबी लंड के सामने नहीं टिक सकती, ये मैं नहीं झेल सकती, जब कल मैं अपने मायके चली जाउन्गि तो शूकर हो गा कम से कम दो महीने तो आराम से काट लूँगी, और तुम मूठ मार मार के करना गुज़ारा, ओह्ह्ह्ह मैं झड़ी मेरी चूत का रस निकल गया, निकाल लो अपना लॉडा मेरी बुर में से मैं तो थक गयी,’ बाबूजी बोले” साली मेरा तो झाड़ दे, चूस के, मूठ मार के या फिर अपनी गांद मे चुदवा के, मैं इस खंबे जैसे लंड को ले कर कहा जाउ, बेह्न्चोद मेरा तो पानी निकाल दो” सासू मा बोली” अपना पानी आप ही निकाल लो मैं तो सोने लगी हूँ.’ मेरा दिल किया केमैं दौड़ के बाबूजी का लंड अपनी चूत में लेकर मस्त हो जाउ पर एस्सा कर ना सकी. लेकिन एस्सा कुच्छ ना कर सकी और अपने कमरे जाकर सारी रात बाबूजी के लंड के सपने देखते हुए जाग कर निकाल दी
सुबह जब मैं उठी तो राधिका मेरे साथ लिपटी हुई थी, उस्केहाथ मेरे मम्मों पर थे जिन्हे वो दबा रही थी. मैं उठ कर बाथरूम होकर आई तो मेरी ननद अपनी चूत खुज़ला कर बोली,”भाबी अगर तुमने क़िस्सी लंड का इंतज़ाम नहीं किया तो मैं मर जाउन्गि, मुझे बचा लो मेरी प्यारी भाबी,” मैने मुस्कुरा कर पुचछा, क़िस्सका लंड चाहिए. उसने जवाब दिया लंड किसी का भी हो, चलेगा, अब तो चूत इतनी बेसबरी हो चुकी है कि अगर मेरे बाप का भी मिल जाए तो इसकी आग ठंडी करने के लिए ले लूँगी” मैने कहा” ठीक है अब मुकर मत जाना किओं कि तुझे आज बाबूजी का लंड ही मिलने वाला है, तू बस ऐसा ही करना जैसे मैं कहती हूँ,” वो मान गयी. जब वो तय्यार होने चली गयी तो मैं बाबूजी की चाइ लेकर उनके रूम में चली गयी. मैने जानबूझ कर सारी का पल्लू नीचे गिरा रखा था, जिस कारण मेरे वक्ष आधे से अधिक नंगे हो रहे थे. सासू मा अपने मायके जाने के लिए तय्यार हो रही थी.
मैने आगे झुक कर चाइ बाबूजी को दी और अपने कूल्हे इनके हाथ से रगड़ दिए. मैने देखा कि उनका लंड उठक बैठक करने लगा है. मैने जान बुझ कर उनसे कहा” बाबूजी, देखो मेरा हाथ दुख रहा है, क्या ये सूज गया है, देखो तो सही,” इतना कह कर अपना हाथ उनके हाथ में दे दिया, उन्हों ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मलने लगे, मैं उनसे साथ कर बैठ गयी. मैने नोट किया की बाबूजी मेरा हाथ सहलाने लगे और उनका लंड पाजामे के अंदर सर उठाने लगा. मैने उनको पूरी तरह उतेज़ित कर डाला. जब वो मेरे कंधे पर हाथ रखने लगे तो मैं जान बुझ कर बोली, ” अब मैं चलती हूँ माजी का नाश्ता बनाना है,’ मैने हाथ छुड़ाया और चली गयी लेकिन बाबूजी का बुरा हाल था, वो अपने लंड को मसल रहे थे.
मैने राधिका को कहा,’ तुम माजी के जाने के बाद, कमर मैं दर्द का नाटक करना, और बाबूजी को कमर पर इयोडीक्स लगाने के लिए कहना, और धीरे धीरे नीचे तक उनका हाथ ले जाना, लेकिन ये सब उस वक्त करना जब मैं माजी को बस स्टॅंड पर छ्चोड़ने जाउ और घर मैं कोई ना हो. देखना वो तेरे को चोदने को तय्यार हो जाएँगे, मैने उनकी चाइ में शिलाजीत मिला दी थी, आज तेरी चुदाई पक्की हो जाएगी मेरी बन्नो, तुम यह निकर और टीशर्ट पहन लो और ब्रा और पॅंटी मत पहनना, तेरा बाप आज क़िस्सी को भी चोदने को तैयार हो जाए गा, तुम उस पर अपनी जवानी का जादू चला दो मेरी रानी उसके बाद हम दोनो उसके लंड के मज़े लेंगे, वो भी चूत का भूखा है मेरी जान’ वो हैरान हो कर मेरी तरफ देखने लगी. मैं फिर बाबू जी के कमरे में गयी और उनकी जांघों पर हाथ रख कर बातें करने लगी, और उनके लंड को भी च्छू लिया. वो बेचैन होने लगे और मैं मुस्कुरा कर बाहर आ गयी.
मैं थोड़ी देर में वापिस आ गई और राधिका के कमरे में झाँकने लगी. राधिका ने आवाज़ लगाई” पप्पा ज़रा मेरी कमर पर बॉम लगा देना, मुझे बहुत दर्द हो रहा है,’ उसने ये कहते हुए अपनी टीशर्ट उप्पेर उठा डाली और उस का गोरा पेट नंगा हो गया, और जब उसने अपनी नाइकर्स को नीचे कर दिया तो उसकी जाँघ नज़र आने लगी. मेरी आँख ने देखा कि बाबूजी की नज़र में वासना की चमक उभर आई. उनकी आँखों में एक लाली नज़र आने लगी. वो अपनी बेटी के नज़दीक आ गये और वासनात्मक नज़रों से देखते हुए बोले” बेटी क्या हुया, दर्द कहाँ हो रहा है, और उनका हाथ अपनी बेटी की कमर पर चला गया और उसकी कमर को सहलाने लगा.
मैने देखा कि अब बाबू जी नहीं बल्कि उनका लंड बोल रहा था. उनकी आवाज़ से साफ ज़ाहिर था के काम वासना में वो बाप बेटी के रिश्ते की पवित्रता को भूल गये थे. अब कमरे में सिर्फ़ चूत और लंड के मिलन का सीन बना हुआ था. बाबूजी के हाथ काँप रहे थे जब वो अपनी बेटी की कमर को सहला रहे थे. राधिका ने अपना सिर बाबूजी की छाती पर टीका दिया. राधिका की साँसें तेज़ हो चुकी थी.
बाबू जी ने इयोडीक्स की शीशी उठाई और कमर पर लगाना शुरू कर दिया. राधिका की चुचि अब उनके शरीर से सॅट गयी थी और बाबूजी और भी उतेज़ित हाने लगे. बाबूजी ने अपना एक हाथ उसकी चुचि पर रख दिया और धीरे से दबा दिया.” ओह्ह्ह पापा धीरे से, मुझे बहुत घबराहट हो रही है, हाए मुझे दर्द हो रहा है, बॉम मलीए ना, पापा,” राधिका बोली और अपने बाप के शरीर से चिपक गयी. बाबूजी का लंड अब बेकाबू हो चुका था. राधिका ने अपनी निकर्स को और नीचे कर दिया जिस के साथ ही उसकी जांघे पूरी तरह नंगी हो गयी. अब उसके कूल्हे बस उसकी टीशर्ट से ही ढके हुए थे. बाबूजी ने काँपते हाथों से राधिका की कमर और जांघों पर बॉम लगाना शुरू कर दिया और राधिका और ज़ोर से अपने बाप के शरीर से चिपकती चली गयी. मैं मंत्रमुग्ध हो कर कमरे के अंदर का सीन देख रही थी और मेरे जिस्म में भी कामग्नी जल रही थी. ‘ पापा मेरे कूल्हे भी दर्द कर रहे हैं, प्लीज़ वहाँ भी बॉम लगा दो,’ बाबूजी ने बॉम लगाना शुरू कर दिया और उसकी टीशर्ट को उप्पेर उठा दिया. वो अपनी बेटी के चुटटरों पर बॉम लगाने लगे. राधिका ने अपना हाथ अपने पापा की छाती पर रख दिया और अपने होठ उनके होंठों पर रख दिए, उसकी साँसें पापा की साँसों से टकरा रहीं थी. बाबूजी ने बेटी को बाहों मैं भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगे.. राधिका ने नाटक करते हुए अपने आप को छुड़ाने की झूठी सी कोशिश की लेकिन बाबूजी ने उसे और भी कस कर जाकड़ लिया और अपनी बटी को बेतहाशा चूमने लगे, उनका लंड राधिका के पेट को टच कर रहा था, बाबूजी ने उसकी चुचि कस कर दबानी शुरू कर दी और राधिका ने ड्रामा किया” पापा, यह क्या कर रहे हो, मैं आपकी बेटी हूँ, क्या यह पाप नहीं है, आप मुझे छ्चोड़ दो, हम यह सब नहीं कर सकते, पापा, मुझे छ्चोड़ दो, प्लीज़,” वो भी जानती थी कि अब पापा वापिस आने के काब्िलनहीँ रहे किओं कि उनका लंड अब फटने के करीब ही था. पापा ने अपनी बेटी का हाथ अपने लंड पर रख कर कहा” मेरी बेटी लंड और चूत का एक ही रिश्ता होता है और वो है चुदाई का रिश्ता, मेरी प्यारी बेटी, तू भी लंड के बिना तड़प रही हो मुझे पता है और साथ ही तेरी भाबी भी चुदासी है क्योंकि उसका पति भी उससे चोद नहीं सकता, आ जा मैं तेरी चूत को चोद कर मस्त कर दूँगा, बेटी मेरा लंड कैसे दाहक रहा है, तुम इसको हाथ में लेकर सहलाओ ज़रा, देखो तुम्हारी चुचि कितनी कड़ी हो गयी है, जल्दी से अपनी टीशर्ट भी उतार दो मेरा लंड तुझे चोदने को तड़प रहा है,” राधिका भी मस्ती में भर उठी और अपनी शर्ट उतार कर पूरी तरह नंगी हो गयी और पापा के लंड को हाथ में भर के मुठियाने लगी. लंड की आँख से प्री-कम की दो बूँदें टपक पड़ी और बाबूजी चुदाई की मस्ती में आ गये और ज़ोर ज़ोर से अपनी बेटी की चुचि को मुह्न मे लेकर चूसने लगे, ” बेटी तू कितनी सेक्सी हो गयी है, मेरा लंड तेरी चूत का प्यासा है, अब मुझे अपनी चूत का स्वाद दिखाओ, मेरी प्यारी बेटी और मेरे लंड को चूस कर इसका स्वाद देखो, जल्दी से मैं आज सवेरे से ही चोदने के लिए तड़प रहा हूँ, लाओ अपनी टाँगें खोल कर अपनी चूत का दीदार तो कर्वाओ,” राधिका ने अपनिजंघें खोल दी और उसकी चूत मुस्कुरा उठी क्योंकि वो आज पहली बार किसी असली लंड से चुदाई करने वाली थी. पापा ने अपना मुह्न उसकी चिकनी चूत में घुसा दिया और अपनी जीभ चूत की फांकों के अंदर डाल दी. ” अहह पापा, यह क्या कर दिया मेरी चूत को, यह तो पानी छ्चोड़ने लगी है, चूस लो मेरी बुर को पापा, यह आज चुदाई के लिए तड़पति है, लाओ मैं आपके लंड को चूस लेती हूँ, मुझे चोद डालो आज, चोद दो अपनी बेटी को, मेरे पापा,’ इसके साथ ही राधिका ने पापा का लंड अपने मुह्न में ले लिया और लगी चूसने उनके लंड को. लंड आग की तरह दहकने लगा. बाबूजी अपने चुटटर आगे पिछे करने लगे, राधिका बाबूजी के लंड को गले के भीतर तक ले गयी और करहाने लगी, उधर बाबूजी की जीभ राधिका की चूत में पूरी तरह समा चुकी थी और उसकी चूत का रस, बाबूजी के मुह्न से बहने लगा, जैसे की उनके मुह्न से लार टपक रही हो, राधिका की चूत झाड़ रही थी.
तभी मैने कमरे मैं एंट्री कर दी और बोली,” साले बाबूजी, इतने कामीने निकले के अपनी ही बेटी को चोदने के लिए तैयार हो गये, बेतिचोद साले मैं क्या मर गयी थी, मुझे कौन चोदे गा बेहन्चोद, तेरा बेटा तो बेहन्चोद मुझे छ्चोड़ कर चला गया और तू भी साले अपनी बेटी को ही चोद रहा है, मेरा क्या हो गा, ” बाबूजी मुझे देख कर घबरा गये और फिर संभाल कर बोले,” बेटी तू भी आ जा मेरी बेटी, मेरा लंड मेरी बहू और बेटी के लिए काफ़ी है, मैं तुम दोनो को चोद कर शांत कर दूँगा, आजाओ मेरी रानी बहू, अगर बेटा चला गया है तो क्या हुया, बाप तो ज़िंदा है, मेरे पास आ मैं तेरी चुचि को भी चूस्ता हूँ, आ मेरी बेटी तू भी कोई कम सेक्सी नहीं हो, तेरा जिस्म भी चुदाई की आग में जल रहा होगा, ला मेरे पास आ मैं तुझे भी तृप्त कर्दून्गा,” मैने फटाफट अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और बिस्तर पर आके बाबूजी के जिस्म को चाटने लगी और राधिका की चुचि दबाने लगी. बाबूजी ने अपना हाथ मेरी गांद पर फिराना शुरू कर दिया. मैने बाबूजी का लंड हाथ में ले लिया और उससे सहलाना शुरू कर दिया. उनका लंड पूरी तरह कड़ा हो चुका था. मैने उससे चाटना शुरू कर दिया, मेरी चूत भी पनिया गयी थी. मैने कहा ” आप पहले राधिका को चोद कर शांत कर दो, इसकी चूत अभी कुँवारी है, लेकिन ज़रा, प्यार से चोदना अपनी बिटिया को,” ये कहते हुए मैने राधिका की टांगे चौड़ी कर दी और उसकी चूत पर बाबूजी का लंड टीका दिया, उनके टट्टों पर हाथ फिराया जिस कारण बाबूजी के मुह्न से आह निकल गयी, मैने उनका लंड राधिका की चूत पर रगड़ा जिस में से पहले ही पानी निकल रहा था. उसकी खुजली इतनी बढ़ गयी के वो अपने आप पर काबू ना रख सकी” पापा अब और मत तड़पाव, मेरी चूत में आग लगी हुई है, आप का लंड रगड़ना मुझे पागल बना रहा है, पापा मेरी चूत के अंदर पेल दो अपना लोड्ा, पापा मेरे साथ सुहागरात मना लो, मुझे मम्मी की तरह चोद डालो मेरे प्यारे पापा, मुझे पेल दो पापा, प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज, भाबी मेरी चूत में पापा का लंड पेल दो, मेरी प्यारी भाबी, उसके बाद तुम मज़े ले लेना पापा के लंड के साथ, मैं तेरी विनती करती हूँ, मेरी आग बुझा दो, प्लीज़्ज़ज्ज.”
बाबू जी का लंड पकड़ कर मैने राधिका की चूत के मुख पर टिकाया और कहा” बाबूजी पेल दो अपना लंड अपनी बेटी की बुर में, देखो कैसे तड़प रही है साली, कैसे दाहक रही है इसकी चूत, अब तो इसकी आग आपका लंड ही शांत कर सकता है, उड़ा दो इसकी चूत की धज़ियाँ, पेल दो अपनी बेटी को, डाल दो अपना लंड रस इस की प्यासी चूत में, ” बाबूजी ने देर करना मुनासिब नहीं समझा और धक्का मार के लंड पेल दिया, और उनका आधा लंड पहले धक्के में चूत में समा गया. राधिका चिल्लाई” पापा बहुत दर्द हो रहा है, लगता है मेरी सील टूट गयी है, बाहर निकाल लो अपना लंड, दर्द बर्दाशत नहीं हो रहा पापा, प्लीज़.” लेकिन बाबूजी ने धक्के मारना जारी रखा. उनका लंड अपनी बेटी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था. राधिका की चूत से लहू बहने लगा. बाबूजी भी पुराने खिलाड़ी थे, ” बेटी दर्द थोड़ी देर में ख़त्म हो जाएगा, ऋतु, तू राधिका की चुचि चूसना शुरू कर दो और इस की चूत को भी सहलाओ, साली बहुत टाइट है इसकी चूत, लेकिन मैं आज इसे चोद कर ठंडी कर दूँगा, ले बेटी ले लो अपने पापा का लंड अपनी प्यासी बुर में और मिटा दो इसकी प्यास.’
मैने अपनी जीभ से राधिका की चुचि चाटना शुरू कर दिया और अपनी उंगलिओ से उसकी चूत के आसपास का इलाक़ा उतेज़ित करना शुरू कर दिया. उसका दर्द कम हो गया और उसे मज़ा आने लगा, और वो चुटटर उछाल कर बाबूजी के धक्कों का ज्वाब देने लगी,” पापा मेरा दर्द ख़त्म हो गया है, आपके लंड से मुझे जन्नत का मज़ा आ रहा है, आपका लंड मेरी चूत को स्वर्ग दिखा रहा है, पेलो अपना लंड मेरी चूत के अंदर, चोद दो अपनी बेटी को, ले लो मेरी कुंवाई चूत के मज़े, ज़ोर से चोदो मुझे,” मैने बाबूजी के लंड पर उंगलियाँ फेरी और उनके चुटटर पर थपकी दी और कहा” बाबूजी, चोदो अपनी हरामी बेटी को साले, ज़ोर से लगा धक्के बेहन्चोद, देखता क्या है साले तुझे आज अपनी जवान और कुँवारी बेटी की चूत का मज़ा मिल रहा है, साले बन गया है तू बेतिचोद और थोड़ी देर में बहुचोद भी बन जाएगा, साले चोद डाल इसको, चोद डालो अपनी बेटी को, वो कब से प्यासी है लंड की, मिटा तो इसकी प्यास, छोड़ दो अपना पानी इसकी चूत मैं.’ बाबूजी भी पागलों की तरह धक्के मारने लगे. कमरे में घचा घच की आवाज़ें आने लगी, राधिका के मुह्न से अहह, ओह की आवाज़ आ रही थी.
बाबूजी ने अपनी बेटी के चूतरो को कस के पकड़ रखा था और उसे पेल रहे थे,” अहह, बेटी मेरा भी टाइम नज़दीक आ रहा है, मैं भी झड़ने वाला हूँ, हां मैं सच में बेटीचोड़ बन गया हूँ, और मुझे ख़ुसी है के तुमने अपनी कुँवारी चूत ,मेरे लिए संभाल के रखी हुई थी, हाँ बेटी चुदवा ले मुझ से मेरी प्यारी बेटी, कसम तेरी जवानी की आज तक इतना मज़ा नहीं आया, क्या चुटर है तेरी, ले लो मेरा पानी तेरी चूत में जा रहा है, मेरा पानी तेरी कोख में गिर रहा है, तेरा बाप झाड़ रहा है, मैं गयाआआआ,” यह कहते हुए बाबूजी ने पिचकारी राधिका की चूत में छ्चोड़ दी और उनका लंड छपॅक की आवाज़ से चूत से बाहर निकल आया. मैने पहले उनका लंड चूस कर सॉफ किया और फिर अपनी ननद की चूत को चाता और हम दोनो ही बाबूजी की बगल में लेट गयी.
दोस्तो कैसी लगी ये मस्त कहानी
समाप्त
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