Sunday, January 25, 2015

Fentency आंटी पे शक

Fentency

 आंटी पे शक
ये बात तब की हें जब मै delhi  मै रहता था, बोले तो जब वह काम करता था | मुझे वह रहने के लिए घर चाहिए था तो मेरा एक दोस्त वही रहता था, तो मेने उसे बात की, तो उसने कहा घर तो मिल जायेगा मगर तुझे पयिंग गेस्ट बन के रहना पड़ेगा | मेने फिर उसे उसी के लिए हा कह दिया | मै जिनके घर मै रहने के लिए गया उनके दो बचे थे एक लड़का जो यूएस मै पड़ता हें और एक लड़की थी जो कही बहार कोलेगे कर रही थी मगर कभी कभी वो घर भी आती थी | उनके घर मै जब रहना लगा तब सिर्फ वो अंकल आंटी  ही रहते थे | शुरुर शुरू मै मुझे शर्म आती थी मगर धीरे धीरे सब ठीक हो गया |
आँटी बहुत अच्छा खाना बनती थी, और अंकल भी बहुत आचे थे, बोले तो हमेशा आराम से बात करते थे |
मैं रोज़ सुबह १० बजे ऑफ़िस चला जाता था और शाम को ८ बजे घर आता था। फिर सब लोग साथ मिलकर खाना खाते थे। फिर मैं यहाँ वह घूम कर सोने चला जाता था।
मुझे कभी कभी आंटी पे शक होता था क्यों की वो कभी कभी मुझे अजीब निघाव से देखती थी | और उनके देखने के ढंग से मुझे कुछ कुछ होने लगता था| वो दिखने मै तो कही से भी नहीं लगती थी की दो बचो की माँ हें, बस हलकी सी मोटी थी मगर फिगर बराबर था उनका |
आंटी को क्या था, वो तो मुझे घुर लेटी थी अजीब तरह से मगर बाद मै  मुझे तकलीफ होती थी, कभी कभी तो वो अंकल के सामने हें मुझे घूरने लग जाती थी, और मुझे शर्म सी आ जाती थी |
उनकी ऐसी हरकतों से मैं डर जाता था।
वैसे वो आंटी बड़ी प्यारी-प्यारी बातें करती थी, दोनों बड़े प्यार से ख्याल रखते थे, मुझे वहाँ कोई रोक टोक नहीं थी, कभी भी कहीं भी घर में घूमो, बाहर घूमो, कुछ भी खाओ ! कोई मन नहीं करता था |
एक दिन शाम को मैं ऑफ़िस से घर आया तो आंटी ने दरवाज़ा खोला। मैं फ्रेश होकर थोडा यहाँ वह घुमा और फिर सोफे पर बैठ गया। मुझे लगा की अंकल घर पर नहीं थे।
मैंने आंटी से पूछा- अंकल नहीं दिख रहे कही गए हें क्या ?
तो आंटी मुस्कुरा कर बोली- आज वो अपने दोस्त के बेटे को देखने अस्पताल गये हैं और रात भर वहीं रुकने वाले हैं।
और मुझे आंटी ने कहा कि मैं अंकल को खाना देकर आऊँ।
मैं जल्दी से अस्पताल पहुच गया, अस्पताल मै काफ़ी भीड़ थी। मेने अंकल को खाना दे दिया। फिर थोड़ी देर मै वही रुका जब तक अंकल ने खाना नहीं खा लिया और फिर खली टिफिन लेके वापस आ गया |
घर पहुचते पहुचते मुझे काफी तेज़ से भूख लग गयी थी। घर जाकर मैंने और आंटी ने मिल के खाना खाया, फिर मैं थोडा घूम के आया और आके के टीवी देखने लगा और आंटी अपना काम करने लगी।
वो काम करते करते बार बार मेरी तरफ अजीब तरह से देख रही थी ।
मैं एकदम डर सा गया, की अज तो अंकल भी नहीं हें अज कुछ गद बड न हो जाये |
अचानक वो मेरे पास आकर बैठ गयी और टीवी देखने लग गयी |
मैं कुछ नही बोला। आंटी ने सलवार-सूट पहना हुआ था पर दुपट्टा नहीं था।
थोड़ी देर के बाद आंटी मुझसे पूछी - बेटा दूध पियोगे?
मैंने कहा- हाँ आंटी जी !
तो वो हंस कर किचेन में चली गई।
मुझसे रहा नहीं गया, मैं भी आंटी के पीछे-पीछे रसोई में चला गया। वो मेरे लिए दूध गर्म कर रही थी।
मुझे किचेन में देख कर वो मुस्कुराने लगी और अपनी जिब होंठों पर घुमाने लगी।
मैं भी थोडा हिम्मत करके उनके पीछे खड़ा हो गया और धीरे से अपने दोनों हाथ उनके कंधों पर रख दिए और ज़ोर से अपनी तरफ खींचा।
आंटी शरमा कर बोली- बेटा, क्या कर रहे हो ?
मैंने कहा- कुछ नहीं कर रहा हूँ।
आंटी ने धक्का देकर मुझे दूर कर दिया अपने से और बोली- बेटा, शरम करो ! मैं तुम्हारी माँ की उम्र की हूँ।
मैंने भी कहा- तो मेरी तरफ यूँ रोज़ देखते हुए तब आप को शर्म नहीं आती थी क्या ?
तो वो कुछ नही बोली।
फिर मैं उनके पास गया और उन्हें पकड़ कर चूमने लगा।
वो धीरे-धीरे मेरी बाहों में पिघलने लगी और मुझसे चिपकने लगी।
फिर मैं उनके कपड़े निकालने लगा । पहले तो वो ना-ना बोलती गई, फिर वो अपने आप ही कपड़े उतारने लगी..
मैंने बाद मै कहा- चुदवाना है तो ना ना क्यूँ करती हो ?
फिर आंटी बोली- एस से पहले मैंने तुम्हारे अंकल के सिवाय किसी और से नहीं किया, इसी लिए अजीब सा लगता हें ।
फिर मैंने कहा- एक बार मेरा लंड ले लोगी तो किसी और काजरुरत नहीं पड़ेगा ।
यह सुन कर आंटी पागल हो गयी और अपने हाथों से मेरी पैंट उतारना शुरू किया। जैसे ही मेरा लंबा सा लंड देखा, वो और पागल हो गई, दोनों हाथों से मेरे लंड को पकड़ कर चूमने लगी, बोली- कितने सालो से, ऐसे लंड का मुझे इंतज़ार था।
और फिर मेरे लंड को मुह में लेकर पागलों की तरह चूसने लगी।
मुझे भी मज़ा आ गया।
और वो चूसती ही रही, पता नहीं चल रहा था की कब मेरे लंड को छोड़ेगी ।
फिर मैंने उन्हें पकड़ कर सोफे पर लेटा दिया और दो उंगली उनकी चूत में डाल कर जोर जोर से हिलाने लगा।
वो तो मानो पागलों की तरह उछल-कूद करने लगी सोफे पे । वो बार बार अपने कूल्हे ऊपर उठाती थी, उन्हें देख कर लग रहा था की उन्हें बड़ा मज़ा आ रहा था।
अब उनसे रहा नहीं गया और आंटी जोर से चिल्ला दी और कहने लगी की अब अपना लंड डाल दे मेरी चुत मै और फाड़ दे इसे |
यह सुन कर मैं भी पागल हो गया और अपना लंड उनकी चूत पर रख दिया और रगड़ना चालू किया।
वो अपनी गाण्ड उछाल-उछाल के मेरा लंड अन्दर ले रही थी और बोल भी रही थी- चोदो ! ज़ोर ज़ोर से चोदो.. फाड़ डालो मेरी चूत को ! बहुत मज़ा आ रहा है ! आज जी भर के चोदो मुझे, सारी रात चोदो सुबह तक मुझे छोड़ते रहो, मुझे चोदना नहीं | आज मेरी चुत को भोसड़ा बना दो |
मैं ज़ोर-ज़ोर से अपने लंड से आंटी को  झटके मारते गया, कुछ देर बाद वो रुक गई तो मैंने पूछा - क्या हुआ?
आंटी बोली- बस थक गई और नहीं उछाल सकती मै !
मैंने कहा- इतने में ही थक गई?
आंटी बोली- बेटा उम्र भी हो चुकी है, उम्र के हिसाब से इतना हें उछाल सकती हु !
मैंने पूछा - थोड़ी देर पहले तो सारी रात चुदवाने की बात कर रही थी आप ?
आंटी बोली- वो तो मैं जोश में थी।
मैंने कहा- मैं तो अभी भी जोश में हूँ, चलो आज आपके चुत के साथ साथ आपकी गांड की मसाज कर दू |
आंटी बोली- नहीं बेटे, बहुत दर्द होगा, मै सह नहीं पाऊँगी !
मैंने कहा- एक बार मसाज करवालो उसके बाद रोज आओगी ।
और मैंने उन्हें ज़ोर से पकड़ कर उल्टा लेटा दिया और उनकी गांड के छेद पे लंड रख दिया और दे मारा ।
पहले to वो कास के चिल्लाई, फिर उन्हें भी मज़ा आने लगा.. वो अभी अपनी गाण्ड उछाल उछाल के मरवा रही थी।
मैंने कहा- देखा आंटी मसाज का कमल , कितना मज़ा आ रहा है !
तो बोली- हाँ बेटे.. तेरे अंकल ने आज तक मेरी गाण्ड नहीं मारी, इसी लिए मुझे इसका स्वाद नहीं पता था !
थोड़ी देर बाद मेरा पानी उनकी गाण्ड में ही निकल गया।
उस रात हम ऐसे ही एक दुसरे को छोड़ते और चुद्वाते रहे or नंगे एक दूसरे से चिपक के सो गये। सुबह साथ-साथ नहाए। मैंने बाथरूम में भी एक बार उन्हें चोदा।
मै जब तक उनके घर पे था तब तक उन्हें बहुत चोदा |
जब जब अंकल बहार जाते तो आंटी नंगी होकर मेरे पास आ जाती मसाज के लिए ।
मैं बोलता- इतनी बड़ी होकर घर में नंगी घूमती हो शर्म नहीं आती क्या ?
आंटी कहती- हमारे जेसे बड़े नंगे हें आचे लगते he। चलो तुम भी उतर दो तो और आचे लगोगे !

 







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