Monday, January 12, 2015

Fentency हमारा नया चोकीदार

Fentency

हमारा नया चोकीदार

कपडे सूकाने के लिए मै आज जैसे ही बहार निकली मैंने देखा की आज भी वह नया चोकीदार मुझे देख रहा था, इस 24 साल के नए चोकीदार ने मुझे कितनी बार ही देखा होगा | मै हमेंशा से मूसल लंड की दीवानी रही थी, और जब यह चोकीदार पिछले महीने यहाँ आया तो मैंने उसको थोड़ी थोड़ी लाइन देनी शरु कर दी थी, उसके बड़े बाजू और तगड़ा सीना देख मै समझ गई थी के वह जरुर एक मूसल लंड का मालिक होगा | एकाद हफ्ते तक वह देखने में कतराता था, फिर शायद उसे भी पता चल गया की मेरी इच्छा है और वह फिर मुझे देखता बिना संकोच के | मुझे भी बस एक मोके की तलाश थी जब मै रमेश, नए चोकीदार, को घर में ले आऊ और उसके लंड से अपनी प्यास भुजाऊं | राकेश ऐसे भी अब अपने काम को ज्यादा तवज्जो देता था, बीवी को सिर्फ चूत वाला मशीन बना दिया था, कपडे उतारो, पेलो और सो जाओ | में मन ही मन में सोचती थी, की राकेश शादी के बाद काफी बदल गया है, लेकिन अब मैंने सोचना छोड़ दिया है, अब में केवल मौका देख रही हूँ इस रमेश का लंड लेने का |

 

हफ्ते के बाद राकेश ने मुझे कहा की वोह कंपनी के काम से बंगलौर जा रहा है, उसने मुझे पूछा की क्या मै आना चाहूंगी, मैंने उसे कहा बिट्टू की एक्जाम है | आप अकेले चले जाओ | दुसरे दिन सुबह राकेश बेंगलोर निकल गया, मै सब्जी लेने के लिए सोसायटी से बहार जा रही थी, मैंने रमेश से स्माइल की | रमेशने भी स्माइल दे दी, मैंने उसे कहा, आप डयूटी पर कब तक है, रमेश बोला, बीबी जी आज में पूरा दिन यही हूँ | मैंने उसे कहा, मेरे घर की टंकी में कुछ सामान गिर गया है क्या आप दोपहर को निकाल देंगे, इसके डेडी बाहर चले गए और में उन्हें कहना भूल गई | रमेश बोला ठीक है, मैं खाने के वक्त आपके यहाँ आ जाऊँगा | मेने सब्जी ला कर बिट्टू को उस दिन जल्दी स्कुल पहुंचा दिया, मैंने वेक्स करके चूत के आसपास के सारे बाल निकाल दिए | अपनी हलकी पतली पिली नाईटी डाल में रमेश के आने का इन्तेजार करने लगी |

 

रमेश लगभग 1 बजे आया, उसने डोरबेल बजाते ही मैंने एक बेल में दरवाजा खोल दिया, उसकी नजरे मेरे शरीर पर फिरने लगी | मैंने उसे कहा आइये, रमेश आके बोला, कहा है टंकी मेडम | मैंने कहा बैठिये तो सही, दोपहर में सोसायटी में चोर नहीं आते है….! वोह भी हंस पड़ा और सोफे पर बेठा | में उसके लिए पानी लायी और जान भुझ कर उसको अपने चुंचे दिखाते हुए झुकी, मैंने देखा की उसकी आँखे मेरे भरी चुंचे देखते ही जैसे की बड़ी हो गई | मेने ग्लास लेते वक्त उसे दुबारा चुंचे दिखाए | में तो कब से गर्म थी, बस एक बार रमेश गर्म हो जाए तो हल्ला बोलना था उसके मूसल लंड पर | मैंने उसकी उपरकी जेब देखी तो मैं दंग रह गई, ड्यूरेक्स के कंडोम का पाकिट था उसमे, राकेश की भी फेवरेट ब्रांड थी इसलिए में उसे ऊपर से हलकी झलक मै ही पहेचान गई, तो रमेश भी तयारी के साथ आया था…..!!!

 

रमेश ने पानी पीकर टंकी के बारे में पूछा, मैंने उसे किचन में टंकी दिखाई, जिसके अंदर मैंने पहेले से बिट्टू का खिलौना डाल दिया था | टंकी बहुत टेढ़ी जगह पर स्थित थी, उसमे से सामान निकालना थोड़ा कठिन था, और यही मेरा प्लान था | मैंने रमेश को एक सीडी लाके दी, रमेश उस पर चढ़के टंकी का दरवाजा खोलने लगा | अब सीडी तो हिलनी ही थी उसके वजन से, मैं बोली में आपको पकड़ के रखती हूँ, सीडीका बेलेंस सही नहीं है | मैंने उसकी जांघो वाले भाग को दोनों हाथ से पकड लिया, कुछ इस तरह से की मेरे हाथ से उसके लंड का स्पर्श हो जाए, में देखना चाहती थी के उसका मूसल लंड तना है की नहीं | मेरा शक सही था, उसका लंड कोई लोहे के औजार की माफक तना था | मैंने उसके जांघे पकडे रखी और हाथ को उपर निचे करने लगी | रमेश टंकी से खिलौना निकाल ने में शायद जान भूजकर देरी कर रहा था, खेर  मैं भी वही चाहती थी | मैंने अब बिना कोई देरी किए उसके लंड के ऊपर हाथ फेरना शरु कर दिया | रमेश बोला, बीबी जी क्या कर रही हो…मैंने कहा कुछ नहीं, देख रही हूँ के हमारा नया चोकीदार मजबूत है या कमजोर….? रमेश बोला, मेडम कर लीजिए चेक….!

 

रमेश का तना लंड मै थोड़ी देर तक सहलाती रही और वह सीडी पर ही खड़ा मजा ले रहा था, मैंने उसे अब निचे आनेको कहा और उसे लेकर सोफे पर चली गई, सोफे पर बिठा मैंने उसकी खाखी पेंट निचे सरका दी और उसकी चड्डी भी उतार दी, सही मै उसका मूसल लंड बहुत बड़ा और सेक्सी था | मैं अपने आप को बिलकुल नहीं रोक पायी और मैंने उसे अपने मुहं में भरकर उसकी सेक्सी चुसाई शरु कर दी | रमेश आँखे बंध कर के लंड चुस्वाने की मजा लेता रहा | एकाद दो मिनिट लंड चूसने के बाद में खड़ी हुई और मैंने अपनी नाईटी और उसमे पहनी ब्रा उतार फेंकी, पेंटी तो मै पहेले से ही पहनी नहीं थी | रमेश मेरा सुडोल शरीर देख दंग रह गया | वह उठा और मेरे दोनों चुचक अपने मुहं में भरकर चूसने लगा | मेरी योनी पानी छोड़ने लगी और मै इस मूसल लंड को पाने के लिए बेताब हो गई | रमेशने मुझे वही सोफे पर टांगे फेला के बैठाया और ड्यूरेक्स अपने लंड पर चढ़ा दिया, मैंने उसके लंड को अपने हाथ में लिया और उसे अपनी योनिमुख पर रख दिया…! रमेश का एक झटका काफी था लंड को योनी की गहेराइयो में ले जाने में, कंडोम पर लगा लुब्रिकांत मस्त चिकना था, मुझे एक पल के लिए लगा की योनी फट गई हो, राकेश के मुकाबले रमेश का लंड डबल था | मुझे कुछ देर में मजा आने लगा और रमेश मुझे मस्त पेलने लगा | वह ओह ओह आह ऐसे बोल रहा था, शायद मेरी चूत उसे भी बहुत भा गई थी | मेरी योनी झाग निकालने लगी क्यूंकि रमेश 5 मिनिट तक मुझे कस के पेलता रहा, मेरी योनी में उसके मूसल लंड का प्रत्येक प्रहार मजा दे रहा था…! थोड़ी देर में उसका वीर्य निकलने लगा, मुझे कंडोम के अंदर रहे लंड से निकलता प्रवाह भी महेसुस हो रहा था | रमेशने अपना लंड बहार निकाला और वोह कपडे पहेनने लगा, मैंने उसे अपनी पर्स से 500 रूपये दिए और उससे उसका मोबाइल नंबर भी ले लिया | इसके बाद में जब भी राकेश बहार हो, रमेश को बुलाकर उसके लंड से अपनी प्यास भुजा लेती थी, उसने मेरी गांड तक में अपना मूसल लड़ दे दिया है अब तो…इसकी कहानी फिर कभी लिखूंगी..जब राकेश यहाँ नहीं होगा….!







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