Monday, January 12, 2015

Fentency खेल-खेल मे हुई चुदाई

Fentency
  खेल-खेल मे हुई चुदाई
मेरा नाम जुली है और मै एक शराब की बार मे काम करने वाली बिंदास लड़की हु और मै नक़्शे मे प्रदर्शित पश्षिमी देशो मे से एक देश की रहने वाली हु और हमारे देश मे सेक्स काफी खुला हुआ है और सेक्स करने के लिए कोई उम्र की सीमा नहीं है | मेरी उम्र २० साल है और मुझे पार्टी काफी पसंद है; इसी वजह से मैने स्कूल के बाद कॉलेज नहीं ज्वाइन किया, बल्कि एक बार मे काम शुरू कर दिया, उससे मेरे खर्चे भी निकलने लगे और मेरे इच्छा भी पूरी हो गयी | मुझे अपने काम मे बड़ा मज़ा आता था और मै काम के समय मे भी काफी मस्ती करती थी और मेरे ग्राहक मुझे से काफी खुश रहते थे और हमारे बार की आमदनी काफी बढ़ गयी थी | इसी वजह से मेरे बॉस ने मुझे दुसरे लोगो से काफी जल्दी तरक्की दे दी थी | कुछ महीनों बाद मेरा मन इस काम से उब गया और मैने अपने बॉस से एक महीने की छुट्टी ले ली | उस एक महीने मे, मैने सिर्फ मौज मस्ती की और जो मन करता था, वो करती थी |

मेरा एक बुड्डा ठरकी कस्टमर था और मै उसे बहुत छेड़ती थी | मै उसे बहुत मस्त और सेक्सी लगती थी और वो मेरे साथ एक रात सोना चाहता था, सीधा मतलब था; कि वो मुझे चोदना चाहता था | अब मै काफी जवान लोगो से चुदी थी, लेकिन बुड्डे के साथ मैने कभी सेक्स नहीं किया था | जब मै अपनी छुट्टिया मना रही थी, तो उसका एक दिन मेरे पास फ़ोन आया, कि मेरे बगैर बार सुना-सुना हो गया था और वो मुझे एक रात के अपने घर बुलाना चाहता था | उसके लिए उसने मुझे एक मोटी रकम देने का वायदा किया | मुझे क्या फर्क पड़ना था, केवल उस बुड्डे के साथ एक रात ही तो गुजारनी थी और उस बुड्डे मे ज्यादा दम होगा नहीं, सोचकर मैने उसे हा कर दी |

शनिवार की शाम को, मै उस बुड्डे के घर पहुच गयी | काफी शानदार घर था, काफी सारी बड़ी-बड़ी गाडिया थी | मुझे तो उस बुड्डे की बीवी से जलन होने लगी | साली की क्या किस्मत थी? जब मैने डोरबेल बजाई; तो एक शानदार कपडे पहने हुए खानसामे ने दरवाजा खोला | मै अचम्भित होती हुई, पुरे घर को देख रही थी | उस बन्दे ने मुझे एक बड़े से हॉल मे बिठाया और बुड्डे को बुलाने के लिए चला गया | इतनी ही देर मे, एक साफ़ और मस्त कपडे पहनी हुई मेम ने मुझे जूस दिया, वो उस घर की नौकरानी थी | मैने जूस पीते-पीते उस बुड्डे और उसकी बीवी और उसके परिवार के बारे मे पूछा | बुड्डे का सारा परिवार एक हादसे मे ख़तम हो चूका था और वो ही अकेला बचा था, और उसी गम को भुलाने के लिए बार मे आता था | लेकिन, वो बुड्डा बड़ा ही ठरकी था, उसके घर मे सारी पेंटिंग और शो-पीस सिर्फ नंगी लडकियों की ही थे | मैने उस नौकरानी को पूछा, मै उस बुड्डे को ठरकी बोलती हु; क्या वो वास्तव मे ठरकी है? नौकरानी मुस्कुरा के बोली, आप इसी वास्ते आये होना, खुद ही पता चल जायेगा | मुझे समझ आ गया, कि बुड्डे मे अभी  भी दम बाकी है और उसने अपने घर काम करने वाली सारी औरतो को ठोका है |

बुड्डा आ गया और बड़ी ही गरमजोशी के साथ मेरे से गले मिला और फिर वो मुझे अपनी आरामगाह मे लेकर गया | क्या शानदार कमरा था? मुझे लगा, कि बुड्डे से शादी कर लू और इन सब चीजों की मालकिन बन जाऊ | वहा पर एक मेज पर कुछ पत्ते बिछे हुए थे | बुड्डे ने मुझे बोला, कुछ खेलते है | मैने कहा, मस्त है; आ जाओ; ताश मे मेरा कोई सानी नहीं है| फिर, उस बुड्डे ने नोटों की गड्डिया मेज के बराबर मे रख दी और बोला, खेल को थोडा सा मस्त करते है | मै इन नोटों से खेलूँगा और तुम अपने कपड़ो से | मेरे हारने पर १ गड्डी तुम्हारी और तुम्हारे हारने पर तुम एक कपड़ा अपने शरीर पर से उतारोगी | मुझे भी मज़ा आने लगा, बुड्डा काफी रंगीन था | हमारा खेल शुरू हो गया, पहले ३-४ खेल, मै जीत गयी और मेरे पास काफी अच्छी रकम बन गयी | अब मेरा लालच भी बढने लगा और मैने आगे खेलना शुरू कर दिया | लेकिन, अचानक से बाजी पलटनी शुरू हो गयी और मै हारने लगी | एक-एक करके मेरे सारे कपडे उतर गये और मेरे शरीर पर सिफ ब्रा-पेंटी रह गयी | उसके बाद बुड्डे ने और मस्ती करनी शुरू कर दी और वो फिर से हारने लगा, और मेरे नोटों का वजन फिर से बढना शुरू हो गया |

बुड्डे ने थोड़ी सी मस्ती के बाद फिर से बाजी पलट दी और मेरे शरीर शरीर पर अब ब्रा-पेंटी भी नहीं रही | मै बिलकुल नंगी हो चुकी थी और बुड्डा मेरे मस्त और चिकने बदन को ताड़ रहा था | मुझे भी अब मज़ा आने लगा और बुड्डे ने अब पूछा, कि अब तो तुम्हारे पास लगाने के लिए कुछ भी नहीं है | मैने उसको बोला, एक बार हराने पर, मै तुम्हारा लंड चुसुंगी, दूसरी बार हारने पर अपनी चूत चाटने दूंगी, तीसरी बार हारने पर तुम मुझे चोद सकते हो और चौथी बार हारने पर तुम मेरी गांड मार सकते हो | मज़ेदार बात थी, कि मै चारो खेल एक साथ हार गयी और बुड्डे ने अपने सारे कपडे एक साथ उतार फेंके | मै बुड्डे के पास बैठ गयी और उसका लंड मैने अपने हाथ मे ले लिया और मुठ मारने लगी | फिर, मैने बुड्डे का लंड अपने मुह मे ले लिया और उसका मुख्मथुन करने लगी | बुड्डा मे कितना भी दम था, लेकिन मेरे सामने ज्यादा देर नहीं टिका और उसने अपना पानी छोड दिया | बुड्डे  का लंड सुकदकर मटर के दाने जितना हो गया | मै अभी गरम नहीं हुई थी और बुड्डा ठंडा हो गया |

बुड्डे को मेरे साथ बहुत मज़ा आया और उसने मुझे कुछ दिन अपने साथ रुकने की पेशकश की | मुझे कोई ऐतराज़ नहीं था | बुड्डे ने खेल मे लगी सारी रकम मुझे दे दी और मै मेहमानकक्ष मे चली गयी | फिर, मैने २-३ दिन बुड्डे के साथ मस्ती भरे खेल खेले और काफी मोटी रकम जुटा ली | मेरी छुट्टिया भी ख़तम हो गयी थी और वहा से निकलने के बाद मैं अपनी नौकरी पर वापस चली गयी |       









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