Tuesday, February 10, 2015

कृति मेरी जान

 कृति मेरी जान
हाय ... दोस्तों आप सबो की फड़कती चूतों और भटकते लंडों को मेरे लौडे का सलाम॥

मैं एक सॉफ्टवेर इंजिनियर हूँ और बंगलोर में जॉब कर रहा हूँ.
मै बहुत गोरा हूँ और लोग कहते हैं कि मै बहुत ही स्मार्ट और डैशिंग हूँ, और शायद इसी वज़ह से मै कॉलेज में बहुत सारी लड़कियों का कृश भी था.. मेरी हाईट ज्यादा नही है बस ५' ५'' ही है पर मेरी कुछ फ्रेंड कहती है की अगर मेरी हाईट थोडी और होती तो मै अच्छे अच्छो की छुटी कर देता.. खैर ये सब छोड़ कर मै कहानी पर आता हूँ.
बात उस समय की है जब मै कॉलेज में फिनल इयर का था (आज से लगभग ६ महीने पहले ) और उस समय मेरे फाइनल इयर प्रोजेक्ट का काम चल रहा था। कम्प्यूटर साइंस का स्टुडेंट होने क वजह से प्रोजेक्ट क लिए मुझे इन्टरनेट पे काफी समय बिताना पड़ता था. चूंकि कंप्यूटर मेरे फ्लैट पर ही थी इसलिए बोर होने पर मै चैटिंग करता था. एक बार मुझे चैटिंग करते समय एक लड़की मिली। उसने अपना नाम कृति बताया. वो वस्तुतः गुजरात की रहने वाली थी पर फिलहाल मुंबई में पढ़ रही थी. धीरे धीरे हमारी अच्छी दोस्ती हो गई. बाद में उस से फ़ोन पर बातें भी होने लगी.. हम लोग आपस में हर तरह की बातें करने लगे थे पर मैंने कभी लिमिट क्रॉस करने की कोशिश नही की.
जब मेरे एग्जाम ख़त्म हुए तो मै कोल्हापुर से वापस घर जाने वाला था. मै झारखण्ड का बोकारो का रहने वाला हूँ और ट्रेन पकड़ने के लिए या तो मुझे पुणे या फ़िर बॉम्बे जाना पड़ता था. जब ये बात कृति को पता चली तो उसने मुझसे जिद की कि मै ट्रेन मुंबई से ही पकडू. हालांकि मेरी ट्रेन मुंबई से ही थी पर मैने उस से झूठ बोल दिया कि मेरी ट्रेन पुणे से है. इस बात से वो नाराज़ हो गई और फिर फ़ोन काट दिया. मैंने सोचा- भोंसडे में जाने दे उसको और वापस कॉल नही किया.
जब मै वापस लौट रहा था तब अचानक उसका कॉल आया. चूंकि मेरी ट्रेन उस समय महाराष्ट्र में एंटर कर चुकी थी इसलिए रोमिंग की प्रॉब्लम ना होने कि वजह से मैंने फ़ोन रिसीव किया. उसने मुझे अपने उस दिन के बिहेवियर के लिए सॉरी बोला. उसने मुझ से बोला कि वो मेरे से बहुत मिलना चाहती है. मैंने बताया कि मै थोडी देर में कल्याण स्टेशन पहुचने वाला हूँ. यह सुन कर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा.. उसने मेरा ट्रेन और बोगी नम्बर पूछा और बताया कि वो मेरे से मिलने आने वाली है. मैंने भी उसे मना नहीं किया, सोचा चलो मिल लेते है वरना फ़िर से इसकी खिट पिट सुननी पड़ेगी..
थोडी देर में ट्रेन मुंबई के कल्याण स्टेशन पर पहुच गई. मै प्लेटफ़ार्म पे उसका इंतज़ार करने लगा. मैंने देखा सामने एक धूप जैसी गोरी चिट्टी लड़की खड़ी है और किसी का इंतज़ार कर रही है. उसके सुनहरे बाल, बड़े बड़े मम्मे और स्लिम फिगर मुझ पे क़यामत ढहा रही थी खैर ये सोच कर कि ये चूत मेरे लंड के नसीब में नही मै वापस कृति का इन्तज़ार करने लगा. तभी उसका कॉल आया कि मै कहा पर हूँ मैंने जगह बताई और बताया कि मै सफ़ेद टी शर्ट और ब्लू जींस पहना हूं और हाथ में ब्लू कलर कि ट्रोली वाली बैग है. मैंने अभी फ़ोन काटा ही था कि देखा वो लड़की जो सामने खड़ी थी मेरे सामने मुस्कुरा रही है. मै हैरान था !! उसने नजाकत से मुझ से पूछा- आर यू ऋषि? मैंने बोला "या....क्या बात है !!!" उसने अपना हाथ बढाया और बोली "दिस इस कृति .. " मै ये सुन कर थोडी देर क लिए ठंडा पड़ गया.. मुझे अब भी विश्वास नही हो रहा था कि मै इतना खुश नसीब हूं.
खैर उसने मुझे हग किया और मेरे हाथ में हाथ डाल कर स्टेशन के बाहर ले जाने लगी. मै अपनी ही दुनिया में था. वो बहुत कुछ बोल रही थी पर मुझे कुछ सुनाई नही दे रहा था। मै बस उसके स्पर्श को महसूस कर रहा था और उसकी पर्फ़्यूम की खुशबू मुझे दीवाना बना रही थी. जब मैं होश में आया तो मैंने पाया कि मै एक रेस्टोरेंट के सामने खड़ा हूं और वो मुझ से पूछ रही है कि मुझे क्या हुआ ? मैंने बोला नही बस थका हुआ हूं और कोई बात नही.. उसके बाद हम अन्दर गए और उसने एक कार्नर वाली टेबल पर बैठने को कहा. हम लोग बैठ गए और इधर उधर की बातें करने लगे.
तभी उसने मुझे कहा कि ऋषि ! एक बात बोलूं तुम्हे बुरा तो नही लगेगा .. मैंने बोला बोलो मुझे बुरा नही लगेगा.. उसने बोला कि तुम वाकई बहुत ही स्मार्ट और होट हो और अपने लिप्स पे हाथ रख कर खिलखिला कर हस पड़ी. मुझे लग रहा था कि वो मुझ पे काला जादू कर रही है और मै उसकी गिरफ्त में फ़ंसता जा रहा हूँ. उसकी खूबसूरती, उसकी हंसी .. उफ़ कमाल की थी.. मै भी हंस पड़ा उसकी इस बात पे .. मैंने फ़िर उस से कहा कि कृति मै थोड़ा फेस धो कर आता हूं.. और मै वाश रूम चला गया.. जब मै वापस आया तो देखा कि टेबल पर पहले से ही खाना रखा है. मै हैरान था कि उसे मेरे पसंद के बारे में कैसे मालूम था. तभी कृति ने बोला हैरान मत हो तुम ने मुझे फ़ोन पर बताया था कि तुम्हे ये सब काफी पसंद है.. और फ़िर उसकी फुलझड़ी वाली हंसी...उफ्फ्फ्फ्फ़
अब हम खाना खा रहे थे हंसी मजाक चल रहा था तभी मैंने उसे बताया कि मै रात की बस से कोल्हापुर जा रहा हूं. उसने मुझे बहुत इन्सिस्ट किया कि आज मै उसके एक फ्लैट पर रुक जाऊं और कल चला जाऊं. पर मैंने साफ़ मना कर दिया. वो फ़िर से उदास दिख रही थी..थोडी देर बाद उसने कहा कि ठीक है पर अगर मेरे फ्लैट पर आने में तुम्हे प्रॉब्लम है तो तुम्हे वादा करना पड़ेगा कि तुम दिन भर मेरे साथ रहोगे और हम फ़िर साथ में मूवी देखने चलेंगे.. मै राज़ी हो गया.. पर प्रॉब्लम ये थी कि मेरे पास लगेज थी और मै वो ले कर घूम नही सकता था और मै थका हुआ भी था इसलिए मैंने एक होटल में फ्रेश होने और लगेज रखने के लिए रूम बुक किया.. कृति मेरे साथ ही थी.. रूम बहुत ही साफ़ सुथरा था होता भी क्यों नही कृति को इम्प्रेस करने के लिए सबसे महंगे वाला ए सी रूम जो बुक किया था।
रूम में आते ही मै बेड पर लेट गया्। बिस्तर बहुत ही नर्म था. कृति भी मेरे बगल में बैठ गई और मुझे जिद करने लगी कि मै ज़ल्दी से फ्रेश हो जाऊं. मै उठा अपनी बैग खोला तौलिया निकाला और बाथरूम में नहाने चला गया..कृति वहीं टीवी देख रही थी। जब मै वापस निकला तब मै सिर्फ़ टी शर्ट और टोवेल पहना हुआ था, बाल गीले थे, और कृति मुझे देखे जा रही थी..
मैंने उससे पूछा क्या हुआ , वो कुछ नही बोली बस मुस्कुरा दी... फ़िर वो मेरे पास आई और उसने मेरे लिप्स पे अपने लिप्स लाक कर दिए और मुझे समूच करने लगी.. मै बिल्कुल जम गया था ... वो मुझे पागलो कि तरह समूच किए जा रही थी..फ़िर मै भी गरम हो चुका था.... और मै उसको हर जगह किस करने लगा...चूंकि मैंने सिर्फ़ टोवेल पहना था इसलिए वो कब खुल गई मुझे पता ही नही चला...
उसने अचानक मुझे बिस्तर पर धक्का दिया और मेरे लंड को एक ही झटके में अपने मुंह में भर कर ब्लो जॉब करने लगी मुझे ऐसा लग रहा था जैसी वो मेरे लंड से मेरे शरीर की सारी शक्ति चूसे जा रही हो . चूंकि ये सब मै पहली बार महसूस कर रहा था इसलिए मुझे लग रहा था कि मै बादलों पर आसमान में तैर रहा हूँ .. अचानक मेरे शरीर में कम्पन हुई तब जा के मुझे आभास हुआ कि मै झड़ चुका हूं . मैंने कृति को देखा कि मेरे स्पर्म्स उसके पूरे चेहरे पर गिरे हैं और वो कातिल मुस्कान के साथ मुझे देख रही.. है..
अब मेरी बारी थी वही पड़े टोवेल से मैंने उसका चेहरा पौंछा..और वापस समूच करने लगा... धीरे धीरे मै उसकी बूब्स को ग्रीन टॉप के ऊपर से ही दबाने लगा.. फ़िर एक ही झटके में उसकी टॉप निकाल कर फेक दी. ब्लैक ब्रा के अंदर उसका चंडी जैसा शरीर मनो क़यामत ढाने को अमादा था .. मै दो मिनट उसके शरीर को देखता ही रहा.. ब्लैक ब्रा के अन्दर जब उसकी तेज धड़कने अपनी रफ़्तार पकड़ रही थी तो ऐसा लग रहा था मनो उसके मम्मे ब्रा से बाहर नही बल्कि कोई आइस क्रीम पिघल कर सोफ्टी कप से बाहर टपकने वाली है.. तब मुझे अहसास हुआ कि अब मैंने अगर कृति के शरीर को कपड़ो से आज़ाद नही किया तो प्रलय आ जाएगा..
मैंने बिजली कि तेजी से उसके ब्रा, जींस और ब्लैक कलर की पैंटी उसके शरीर से निकाल फेंकी .. यकींन मानिए वो बिना कपड़ो में जब वो अपने हाथो से अपनी चुच्ची और जान्घों में अपनी बुर छुपा रही थी तो ऐसा लगा रहा था मनो कोई संगमरमर कि बनी अप्सरा कि मादक मूर्ति मेरे सामने रखी हुई हो .. अब तक मै अपने भी सारे कपड़े उतार चुका था..मै सीधा उसके पास गया .. वो अपने हाथो से अपने चेहरे को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी.. मैंने अपने दोनों हाथो से उस के गालो को उठाया और पहली बार उसके खूबसूरती की तारीफ की... मैंने बोला "कृति .. सचमुच तुम बला की ख़ूबसूरत हो और मुझे विश्वास नही हो रहा कि तुम्हारे जैसी लड़की मेरी बाँहों में है.. ".
कृति ने फ़िर से मेरे ललाट पे चूम कर बोला "..ऋषि तुम्हे शायद पता नही कि तुम क्या हो.. तुम्हे पाने के लिए कोई भी लड़की अपना शरीर तुम्हे सौप देगी.. और मै तो तुम्हे दिल से प्यार करती हूं.. भला नै तुम्हे कैसे रोक सकती हूं ??" और उसके आँखों में आंसू आ गए..!! मै अपने लिए उसके दिल में इतना प्यार देख कर हैरान था .. मैंने उसे गले से लगा लिया... अब मेरे हाथ उसके मम्मो पर सरक रहे थे और उसके निप्पल सखत हो गई थी.. मैंने देर करना बिल्कुल मुनासिब नही समझा अब मै उसकी निप्पलों को चूस रहा था और एक हाथ मेरा उसकी जांघों के बीच उसकी गहराई को नाप रहा था... उसका लव होल बहुत ही गीला हो चुका था.... अब हम दोनों तड़प रहे थे ... मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धक्का दिया ..मेरा ६'' का लंड उसके बूर के अन्दर आधा जा चुका था. मैंने महसूस किया कि दर्द के मारे उसके आँखों से आंसू निकल आए थे .. मैंने उसके गालो को चूम कर पूछा "ज्यादा दर्द हो रहा है..?", उसने जवाब दिया "इस दर्द को पाने के लिए हर लड़की जवान होती है.. इस दर्द को पाए बिना हर यौवन अधूरा है ".
मै उसकी इस जवाब पे बस मुस्कुरा ही पाया क्योंकि मेरे पास बोलने को कुछ था ही नही.. वो मुझ में लिपटी हुई थी...और मै उसे चूम रहा था...वो मेरे नीचे थी और अपने पैरो को मेरे कमर के इर्द गिर्द लपेटे हुए थी मनो कोई सर्पिनी चंदन के पेड़ को अपने कुंडली से कसी हो..अब मैंने धीरे धीरे अपनी रफ़्तार तेज कर दी... पूरे रूम में मादक माहौल था... परदे के बीच से आती सूर्य कि रौशनी जब उसके चाँद से चेहरे पे पड़ रही थी तो मानो ऐसा लग रहा था कि मै चाँद को अपने बाँहों में समेट रखा हूँ... हमारी सिसकारियां कमरे में ऐसे गूंज रही थी मानो जलजला आने से पहले बदल गरज रहे हो... वो जलजला जल्द ही आया जब मै अपने कमर की हरकतों कि वजह से चरम सीमा पे पहुचने वाला था .. उधर कृति भी मुझे बोल रही थी...".. ऋषि प्लीज और जोर से..और जोर से ...मेरे शरीर में अजीब सी हलचल हो रही है "... मै समझ गया कि वो भी चरम सीमा पे है...इस पर मैंने अपनी रफ्तार काफी तेज कर दी देखते ही देखते हम उफान पर थे और सैलाब बस फूटने ही वाला था कि मैंने अपना लंड बाहर निकला और मानो मेरे लंड से कोई झरना फ़ूट पड़ा हो.. मै वापस उसके बाँहों में निढाल हो गया ..
बहुत देर बाद जब मै उठा और देखा कि कृति की जांघों पर खून गिरा है तब मै समझ गया कि वो अभी तक अन्छुई थी .. मुझे ये देख कर अपने किस्मत पर गर्व हो रहा था और साथ ही साथ कृति के लिए मेरे दिल में इज्ज़त काफी बढ़ गई थी ..क्योंकि वो ऐसी लड़की नही थी कि किसी को भी अपना शरीर सौप दे .. इतने दिनों से अकेले मुंबई में रहने के बाद भी वो आज तक अन्छुई थी...
मैंने पास में पड़े टिशु पेपर उठाया और उसके बूर के ऊपर लगे खून को साफ़ करने लगा..जब खून साफ़ हुआ तो मैंने एक बात गौर की और मुस्कुराने लगा .. कृति ने मुझ से पूछा कि"... तुम क्या सोच कर मुस्कुरा रहे हो .." मैंने उसके बिल्कुल बिना बाल के गुलाब की पंखुड़ियों सी वेजिना लिप्स पर किस कर के बोला... " जान सच बताऊँ तो .. मैंने तुम्हारी बूर अभी तक नही दे्खी थी.. और साफ़ करते वक्त अभी ही देखा...." और हम दोनों हस पड़े.. उस दिन मै वापस कोल्हापुर नही गया और साथ में ही रुके. आप समझ ही सकते है कि हमारे सैलाब में कितनी बार उफान आई होगी..
पर सब कुछ हमेशा सही नही होता.. और अब हम साथ नही है.. पर वो जहां भी होगी मुझे भरोसा है कि मुझे कभी नही भूल पायेगी... और कृति अगर तुम ये कहानी पढ़ रही हो तो..जान लो मै सचमुच तुम्हे आज भी उतना ही प्यार करता हूं.. तुम जहां भी रहो खुश रहो..मेरे दिल में तुम्हारी याद हमेशा रहेगी...

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