Sunday, February 8, 2015

Fentency खानदानी औरतें-5

Fentency


  खानदानी औरतें-5

 अपनी दोनो फुफियों को चोदने के तक़रीबन दो घंटे बाद हम फिर बैठ गए और बातें शुरू हो गईं. फूफी शहनाज़ हमें अपनी चूत देने के बाद अब परेशां नज़र नही आ रही थीं .
"ज़ाहिद यार चाची फ़हमीदा भी यहाँ होतीं तो मज़ा आ जाता." मैंने कहा क्योंके मुझे याद था के फूफी खादीजा को चोदने के बदले में उस ने चाची फ़हमीदा को मुझ से चुदवाने का वादा किया था. फिर फूफी खादीजा भी यही चाहती थीं .
“हाँ ये ठीक है ज़ाहिद फोन करो उससे और बुला लो." फूफी खादीजा ने ज़ाहिद से कहा.
"फ़हमीदा यहीं आ जायेगी तो बहुत बेहतर रहे गा घर पर कोई प्राब्लम ही ना बन जाए." फूफी शहनाज़ ने भी उनकी हाँ में हाँ मिलाई.

में अपनी दोनो फुफियों की ग़मे समझ रहा था. वो चाहती थीं के चाची फ़हमीदा को नतियागली बुलवा कर चुदवाते हुए देखें और उनकी पोज़िशन खराब हो. वो शायद ये समझती थीं के में और ज़ाहिद चाची फ़हमीदा को चोदेंगे और वो तमाशा देखें गी. लेकिन ज़ाहिर है के चाची फ़हमीदा के साथ उन्हे भी चूत देनी थी और ऐसी सूरत में हिसब बराबर हो जाता और किसी की पोज़िशन भी खराब ना होती.

कुछ देर की बहस के बाद हम सब ने यही फ़ैसला किया के ज़ाहिद अपनी माँ को फोन कर के बुला ले जो पिंडी से कोच पर हसनबदल तक आ जाएं और ज़ाहिद कार पर जा कर उन्हे हसनबदल से नतियागली ले आइ. ज़ाहिद रात ही को कार ले कर निकल गया और हम तीनो सोने के लिये लेट गए.

सुबा कोई 11 बजे ज़ाहिद और चाची फ़हमीदा होटेल पुहँच गए. चाची फ़हमीदा की उमर भी 40 से ऊपर ही थी. वो बड़ी तेज़ थर्रार औरत समझी जाती थीं और दोनो फुफियों से कई बार उनका झगड़ा हो चुका था. इसी लिए वो दोनो खाहिसमंद थीं के चाची फ़हमीदा को किसी तरह नीचा दिखा सकैं. वो लंबे क़द की बड़े भारी बदन वाली औरत थीं . उनको मोटा तो हरगिज़ नही कहा जा सकता था क्योंके उनके जिसम का सारा चर्बी उनके चूतड़ों और मम्मों में थी. शादी शुदा औरतों की तरह उनका जिसम गोश्त से भरा हुआ था और थोड़ा सा पेट भी निकला हुआ था. लेकिन लंबे क़द की वजह से मम्मे और गांड़ और भी बड़े लगते थे. उनका रंग सांवला और नाक नक़्शा बस वजबी सा ही था. मेरी दोनो फुफियों के मुक़ाबले में वो बिल्कुल भी खूबसूरत नही थीं मगर जिस्मानी तौर पर बड़ी ज़बरदस्त थीं .

चाची फ़हमीदा के जिसम का सब से शानदार हिस्सा उनके चूतड़ थे जो 48 इंच मोटे तो ज़रूर हूँ गे. उनके चूतड़ बिल्कुल गोल और बहुत ज़ियादा बाहर निकले हुए थे. आज से दस साल पहले भी उनकी गांड़ बहुत मोटी हुआ करती थी मगर वक़्त के साथ साथ उनके चूतर और भी बड़े और भारी हो गए थे. पता नही कब से मेरा दिल कर रहा था के में चाची फ़हमीदा के चूतरों में लंड डाल कर घस्से मारूं और उनके छेद में अपनी मनी छोडूं. आज वो दिन आ ही गया था. वो खानदान की सब से पहली औरत थीं जिस की मोटी गांड़ देख कर में इन्सेस्ट की तरफ मा’आइल हुआ था. चाची फ़हमीदा के मम्मे भी उनकी गांड़ की तरह ही इंतिहा मोटे थे. वो ब्रा के बावजूद अपने मम्मे संभाल नही सकती थीं और और हमेशा क़मीज़ के ऊपर से भी ऐसा लगता जैसे अभी उनके मम्मे ब्रा से बाहर आ जायेंगे. ब्रा कभी भी उनके मम्मों को टाइट नही रख सका और जहाँ तक मेरी यादाश्त काम करती थी वो जब भी चलती फिरतीं तो उनके मम्मे हिलते रहते थे.

चाची फ़हमीदा के आने के बाद अब खेल दोबारा शुरू होना था. ज़ाहिद ने उनको बता दिया था के उस ने दोनो फुफियों को चोद लिया है और ये के उन्हे भी मालूम हो चुका है के चाची फ़हमीदा ज़ाहिद से चूत मरवा रही हैं. इस लिये वो होटेल में आने के बाद बिल्कुल नॉर्मल रहीं और फुफियों से बड़े आराम से मिलीं. लेकिन में जानता था के जब ये तीन जनानियाँ कहीं जमा हो जाएं तो कोई ना कोई मसला ज़रूर होता है. पहले तो सूरत-एहाल ठीक रही लेकिन फिर चाची फ़हमीदा बातों बातों में कहा:
"बाजी खादीजा आज तो इन लड़कों की मोज हो गई है दो दो फूपियाँ मिल गईं मज़े लेने के लिये."
में उनकी बेबाकी पर हैरान नही हुआ क्योंके वो थीं ही बहुत मुँह-फॅट और तेज़ मिज़ाज की.
"फ़हमीदा हम तो देखना चाहते हैं के ज़ाहिद तुम्हे कैसे चोदता है." फूफी खादीजा ने फॉरन जवाब दिया.
“फ़हमीदा जब बेटा अपनी माँ को चोदता है तो कैसा लगता है? तुन्हे तो पता होना चाहिये क्योंके ज़ाहिद तुम्हे चोद रहा है.” फूफी शहनाज़ ने भी उन पर वार किया. उनके मुँह से ऐसी बातें सुन कर मुझे ज़रूर हैरत हुई. वो फूफी खादीजा और फूफी नीलोफर के मुक़ाबले में ज़रा ठंडे मिज़ाज की थीं .
“बाजी शहनाज़ आप का बेटा अभी छोटा है जब बड़ा हो गा तो आप की चूत ज़रूर मारे गा. तब आप को पता चले गा के बेटा माँ को कैसे चोदता है.” चाची फ़हमीदा ने मुस्कुरा कर जवाब दिया.
“फ़हमीदा मेरा बेटा मेरी चूत मारे या ना मारे लेकिन तुम्हारा बेटा तो शायद रोज़ ही तुम्हारी फुद्दी का क़ीमा बनाता है.” फूफी शहनाज़ कहाँ छोड़ने वाली थीं .



 "बाजी इस में किया है ये मेरा बेटा है इस का लौड़ा भी मैंने ही सब से पहले अपनी फुद्दी में ले कर इस की ज़रूरत पूरी की है. आप भी तो दो दो भतीजों से चुदवा रही हैं. ज़ाहिद ने कल ही तो आप की चूत ली है और आप जानती ही हैं के वो कितने अच्छे तरीक़े से चोदता है." चाची फ़हमीदा ने तुर्की बा तुर्की जवाब दिया.

दोनो फुफियों ने इस दफ़ा उन्हे कोई जवाब नही दिया.

इस से पहले के बात बढ़ जाती और रंग में भंग पड़ जाती मैंने जा कर चाची फ़हमीदा का एक मम्मा हाथ में ले लिया और उससे मसलने लगा. उनके बदन को मैंने इस से पहले कभी हाथ नही लगाया था. उनका मम्मा बहुत भारी लेकिन नरम था और मैंने सोचा के उन्हे चोदने में भी बड़ा मज़ा आए गा. चाची फ़हमीदा फॉरन ही गरम होने लगीं. मैंने कभी किसी औरत को इतनी जल्दी गरम होते नही देखा था.

मुझे अपनी माँ के मम्मे को पकड़ता देख कर ज़ाहिद भी उठा और फूफी खादीजा और फूप शहनाज़ के दरमियाँ बैठ गया जो बेड पे साथ साथ बैठी हुई थीं . उसने फूफी शहनाज़ का मुँह चूमना शुरू कर दिया.

चाची फ़हमीदा ने किसी शरम का इज़हार किये बगैर मेरा लंड पकड़ लिया और उस पर हाथ फेरने लगीं जैसे उस की मोटाई और लंबाई चेक कर रही हूँ. मैंने जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतार दिये और उन्हे ले कर ज़मीन पर बिछी हुई मॅट्रेस पे आ गया. ज़ाहिद भी नंगा हो गया और बेड पर पड़ी हुई मॅट्रेस ज़मीन वाली मॅट्रेस के साथ मिला कर डाल दी और दोनो फुफियों को ले कर मेरे और चाची फ़हमीदा के पास ही आ गया. तीन ज़बरदस्त औरतों को एक साथ इस तरह चोदने का मेरा पहला मोक़ा था और ये सोच कर मेरे लंड में खून तेज़ी से दाखिल होने लगा और वो लोहा बन गया.

में चाची फ़हमीदा को नंगा करने लगा और ज़ाहिद फूफी खादीजा और फूफी शहनाज़ के कपड़े उतारने लगा. जल्द ही तीनो के जिसम पर सिर्फ़ ब्रा ही रह गए.

चाची फ़हमीदा का ब्रा मैंने खोल कर उतार दिया और वो बिल्कुल नंगी हो गईं. उनके मोटे मम्मों को मैंने हाथों में ले लिया और उनका लांस महसूस करने लगा. फूफी खादीजा और फूप शहनाज़ के मम्मों के साथ अगर चाची फ़हमीदा के मम्मों का मुआयना किया जाए तो चाची फ़हमीदा के निपल्स और उनके इर्द गिर्द का एरिया ज़रा ज़ियादा डार्क था और इस की वजह शायद उनका सांवला रंग था. निपल्स के क़रीब वाले ब्राउन हिस्से में छोटे छोटे दाने से थे जिन को उंगली लगाओ तो वो उभरे हुए महसूस होते थे. उनके मम्मों के निप्पल मेरी दोनो फुफियों के मुक़ाबले में थोड़े छोटे थे लेकिन मम्मों का साइज़ तक़रीबन उतना ही था. चाची फ़हमीदा के मम्मे बहुत भारी भी थे और मेरे हाथों में पूरे नही आ रहे थे. जब में उनके मम्मों से खेल रहा था तो चाची फ़हमीदा के होठों पर मुस्कुराहट थी.

में चाची फ़हमीदा के चूतड़ों का आशिक़ था इस लिये मैंने उन्हे उल्टा लिटा दिया और उनके चौड़े और चूतड़ अपनी तमाम हशर’समानी के साथ मेरे सामने आ गए. मैंने अपनी ज़िंदगी में किसी औरत के इतने बड़े चूतर नही देखे थे. अगरचे फूफी खादीजा और फूफी शहनाज़ की गांड़ भी दरमियानी उमर की औरतों की तरह बड़ी मोटी और बहुत भारी थी मगर चाची फ़हमीदा तो इस मामले में कमाल ही थीं . मैंने उनके उभरे हुए चूतरों पर अच्छी तरह हाथ फेरने के बाद उनको दोनो हाथों से खोला और उनके छेद के ऊपर ज़बान फेरने लगा. उनके चूतड़ों पर इतना गोश्त था के उनका गांड का सुराख आसानी से नही चाटा जा सकता था इस लिये मैंने उन्हे चारों हाथों पैरों पर कर दिया जिस की वजह से उनकी गांड़ का सुराख मेरे सामने आ गया और मैंने भूकों की तरह उससे चूमना और चाटना शुरू कर दिया.

चाची फ़हमीदा की गांड़ का गांड का सुराख भी अच्छे ख़ासे बड़े साइज़ का था. मैंने उनके छेद को चाट चाट कर गीला कर दिया. जब में अपनी ज़बान उनकी गांड़ के सुराख के बीच में डाल कर उससे सुराख के अंदर करने की कोशिश करता तो वो अपने छेद के मसल्स को कभी टाइट कर लातीं और कभी ढीला छोड़ देतीं. ये हरकत फूपियाँ भी किया करती थीं . चाची फ़हमीदा के छेद का इस तरह खुलना और बंद होना मुझे ज़ियादा अच्छा लग रहा था क्योंके उनका गांड का सुराख साइज़ में काफ़ी बड़ा था और उस की हरकत छोटे मॉरॉन वाली औरतों के मुक़ाबले में वाज़ेह नज़र आ जाती थी.












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