Tuesday, February 10, 2015

Fentency रूचि की कहानी --2

Fentency

 रूचि की कहानी --2
अगले दिन से मेरी दुनिया मे परिवर्तन आने लगा. मई घर मे अब कुच्छ
रिवीलिंग कपड़े पहन ने लगी. बेब गले का गाउन या कुर्ता पहनती
और उनके सामने जान बूझ कर तोड़ा ज़्यादा झुकती जिससे की उसे मेरी
च्चाटिया नज़र आ जाएँ. मई कुच्छ दिन बाद अंदर ब्रा भी पहन ना
छोड़ दी. बड़े बड़े निपल्स झीने कपड़ों के ऊपर से ही नज़र आते
थे. सिर्फ़ वो ही क्यों मुरली और अशोक भी मेरे अंदर आए बदलाव का
आनंद लेने लगे.


दो टीन दिन बाद की बात है. एक दिन शाम को राजेश जल्दी आया. और
बिना कोई आवाज़ के ही मेरे कमरे मे आगे. उस वक़्त मई बेड पर लेती
किसी मागज़िने के पन्ने पढ़ने मे व्यस्त थी. गाउन घुटने तक उठा हुया
था. सामने से डोरी भी लूस थी. आहत मिलते ही मई उठी तो गाउन
कंधे सरक गया और एक च्चती बाहर आ गयी. मैने तुरंत उसे
कपड़ों मे धक लिया.


« आइए, आज आप जल्दी ही आगाए »


« हन आज चलो पिक्चर देखने चलते हैं. चलॉगी मेरे साथ ? »


« अभी ? »


« हन झता झट तैयार हो जाओ. दो टिकेट लिए हैं. हम दोनो
चलेंगे »उसने कहा


« मगर पिक्चर कौन सी है »मैने पूचछा मगर वो इस बात को गोल
कर गया और मुझे तैयार होने के लिए कहकर चला गया.


आज पहली बार मई उनके साथ कहीं जेया रही थी. दिल मे एक अंजान
सा भय डरा रहा था. मई आज खूब बन संवार कर तैयार हुई.
मानो मई अपने किसी प्रियतम से मिलने जा रही हून. गुलाबी शिफ्फॉन
की सारी और उसकी माचिंग का ही ब्लाउस पहना. ब्लाउस बहुत ही झीना
था और गला काफ़ी डीप था. आईने मे अपने सन को कुच्छ देर तक
निहारा. सेक्सी चीज़ लग रही थी. मई बाहर निकली तो मुझे देख
कर अशोक ने मेरी ओर देखते हुए एक हल्की सी सीटी ब्ज़ाई और आँख
मार दी. मुझे गुस्सा तो बहुत आया मगर मई चुप रही.


राजेश के साथ पिक्चर हॉल मे पहुँची वाहा एक रोमॅंटिक पिक्चर «
जिस्म » चल रही थी..


बॉक्स का टिकेट था. हम दोनो जा कर पीच्चे की लाइन मे बैठ गये.हॉल मे काफ़ी कूम लोग थे. बॉक्स मे तो हमारे अलावा सिर्फ़ एक जोड़ा बैठा
था और टीन सिंगल आदमी थे. पिक्चर काफ़ी होत्त्त्त्त थी. पिक्चर
देखते देखते राजेश मेरी ओर झुक गया. मेरे हाथों पर अपने हाथ
रख दिए. कुच्छ देर बाद अपने दाएँ हाथ को मेरे उठा कर मेरे
कंधे पर रख दिया और मुझे अपनी तरफ खींचा. मई उस से सात
गयी. उसके हाथ मेरे गालों पर फिरने लगे. सामने गर्म सीन चल
रहा था और मई उनकी हरकतों से गर्म हो रही थी. उन्हों ने मेरे
गाल पर दबाव देकर मेरे सिर को अपनी तरफ मोड़ा. फिर मेरे तपते
होठों पर अपने होंठ रख दिए. मैने भी उनके बालों मे अपने हाथ
रख कर अपनी होंठों पेर भींच दिए. मएरए होंठ उसके होंठों को
हल्के से अलग कर दिया और मेरी जीभ उसके मुँह मे प्रवेश कर
गयी. हम दोनो एक दूसरे की जीभ के साथ खिलवाड़ करने लगे.
उसके हाथ मेरी पीठ पर फिर रहे थे. धीरे से वो सामने आए और
मेरी च्चातियों को च्छुआ. फिर कुच्छ देर तक मेरी च्चातियों को सहलाने
के बाद उनके हाथ मेरी सारी का पल्लू नीच गिरा दिए और ब्लाउस के
गले की तरफ से मेरे ब्लाउस के अंदर प्रवेश कर गये. उनके हाथ
मेरे स्तनों का मर्दन करने लगे. मेरे निपल्स को दो उंगलियों के
बीच लेकर सहलाने लगे. तभी इंटेरवेल हो गया और बत्ती जल गयी.
हम दोनो हड़बड़ा उठे उसने एक झटके से अपने हाथ मेरे ब्लाउस से
निकाल लिए. मैने भी अपनी सारी ठीक कर ली. इंटेरवेल के बाद
वापस उसने मुझे अपनी ओर खींचा और मुझे चूमने लगे. उसके हाथ
मेरे निपल से खेल रहे थे.


« मेरी गोद मे आजा » उन्हों ने कहा. मई शरमाते हुए उठी और चारों
ओर का जयजा लेते हुए उनकी गोद मे बैठ गयी. उन्हों ने मेरे ब्लाउस
के बटन्स खोलने शुरू कर दिए.


« प्लीज़ » मैने कहा « प्लीज़ यहाँ कपड़े मत खोलो कोई देख लिया
तो गजब हो जाएगा »


« कोई नहीं देखेगा »उसने कहते हुए मेरी ब्लाउस के सारे बटन्स
खोल दिए. उनके पल्लों को अलग कर ब्रा मे च्छूपे मेरे स्तनों पर
होंठ फिराए. फिर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया. मेरे ब्रा को च्चातियों
पर से उपर सरका दिया और मेरे च्चातियों को कूंने लगे. मेरी
निपल्स को मुँह मे भर कर चूसने लगे. एक हाथ से मेरी सारी को
घुटनो के ऊपर उठा दिया और अपने हाथ को मेरी पनटी पर फिरने
लगे. पनटी के उपर से मेरी योनि को कस कर भींच दिया. मई «
आआआआआहह »कर उठी.


मई भी पंत के उपर से उसके लिंग को सहला रही थी.


« चलो घर चलें » उसने मेरे कानो मे कहा « आब आगे का कम यहाँ
नहीं हो सकता . » कहकर उसने मुझे कमर से पकड़ कर उठाया.
« चलो »मई भी उनके साथ लौट पड़ी. मोबाइल पर अशोक को गाड़ी लेकर
आने के लिए पहले से ही कह दिया था. हम बाहर आकर गाड़ी मे बैठ
गये. गाड़ी के काले शीशों को चढ़ा कर मुझे अपनी आगोश मेखेंच लिया. मई ना..ना.. करती रही मगर उन्हों ने नहीं सुना और
मेरे बदन से ब्लाउस और ब्रा नोच कर अलग कर दिया. मई जानती थी
की अशोक बॅक मिरर से मेरे बदन को देख रहा है. मई शर्म से
दोहरी हुई जा रही थी. उसने मेरे हाथ को अपने लिंग पर रख दिया.
मैने पंत का ज़िप खोल कर उनके तमतमाए हुए लिंग को बाहर निकाला.
उन्हीं ने मेरे सिर को पकड़ कर अपने लिंग पर दबाया. मई इधर उधर
मुँह हिला रही थी. आइसिस दौरान मेरी नज़र सामने के मिरर से
झँकते अशोक की आँखों से मिली. वो मेरी एक एक हरकत को देख रहा
था. उसकी आँखों से वासना झलक रही थी. मैने अपने होत खोल कर
उसका लिंग अपने मुँह मे क़ैद कर लिया. ये मुख मैथुन का मेरा पहला
एक्सपीरियेन्स था. पहले मुझे घिंन सी आई मगर बाद मे अच्छा लगने
लगा. मई उसके लिंग पर अपनी जीभ फिरने लगी. वो अपने हाथों से
मूज़े अपने लिंग पर दाब रहा था. कुच्छ देर बाद जैसे ही घर के
नज़दीक पहुँचे तो अशोक ने हल्के से कहा
« साहब घर आने वाला है »
हम जल्दी से अलग हो गये. राजेश ने जल्दी अपने पंत को ठीक किया.
मेरे पास अपने ब्लाउस और ब्रा को पहनने का समय नहीं था. इसलिए
अपनी नग्न च्चातियों को अपनी सारी से ढँक लिया. गाड़ी रुकते ही हम
दोनो निकल कर अपने अपने कमरे की ओर लपके. मैने ब्लाउस और ब्रा कार
मे ही छोड़ दी जिससे की मुझे शर्मिंदगी महसूस ना हो. हमारे
पोर्षन का अलग से एंट्रेन्स था. मई कमरे मे घुस कर दरवाजे को
कुण्डी लगा कर सबसे पहले अपनी सारी उतार दी. तभी बेल बजा. मई
समझ गयी अब राजेश से सहा नहीं जा रहा है और मुझे छोड़ने के
लिए उतावला हो रहा है. मैने बिना कुच्छ सोचे सिर्फ़ पेटिकोट पहने
दरवाजा खोल दिया. मगर सामने अशोक को देख कर सन्न रह गयी.
« रूचि जी आपका ब्लाउस और ब्रा गाड़ी मे ही रह गया था. » वो अंदर आ
गया.
« लाओ मई अपने हाथों से पहना डून. » मैने एक हाथ से मेरे योवां
युगल को च्चिपते हुए उसे धक्का दिया. यहाँ से चले जाओ नहीं तो
राजेश से तुम्हारी शिकायत कर दूँगी.
« जाने मान जिससे छाए शिकायत करो. अगर मुझे कुच्छ हुआ तो मई
तेरी शादी तुद्वा दूँगा अनिल साहब को कह कर और तो और तेरी
करतूत दूसरों को बता कर तुझे बदनाम भी कर दूँगा. » मई उसके
इरादे भाँप कर ठंडी पड़ने लगी. उसने मुझे खींच कर अपनी बाहों
मे भर लिया. मेरे दोनो स्तानो को बुरी तरह मसल दिए. मेरे
पेटिकोट को उँचा कर मेरी पनटी को उतार दिया और मेरी योनि पर
हाथ फिराया.
« प्लीज़ अशोक मुझे अभी छ्चोड़ दो फिर कभी आ जाना. किसी समय भी
राजेश अज़ायगा. हम दोनो को इस हालत मे देख लिया तो ग़ज़ब हो
जाएगा. »
« एक बार मेरे लिंग को भी मुँह मे ले तब छ्ोड़ूँगा. »मई नीचे
घुटनो के बाल झुक गयी. उसके पंत से उसका लंबा लिंग निकल कर
धीरे से अपने मुँह मे ले लिया. आसोहक के लिंग से अजीब से गंदी
दुर्गंध आ रही थी. मगर मान मरते हुए दो चार बार मुँह के अंदर
लेकर चड़ना चाहा. मगर उसने मेरे सिर को अपने हाथों से मजबूती से
पकड़ लिया और मेरे मुँह को योनि की तरह ज़ोर ज़ोर से रोँदणे लगा. वो
इतना एग्ज़ाइट था की कुच्छ ही झटकों मे उसने मेरा मुँह वीरया से भर
दिया. मुझे ज़ोर से उबकाई आई मई दौरते हुए बातरूम मे पहुच कर
वॉश बेसिन पर उसके वीरया को थूक दी. मैने अपना मुँह अच्छी तरह
धोया. मुँह को पोंच्छ कर बाहर आई तो आसोहक जा चुका था.
कुच्छ देर बाद मुरली ने आकर कहा « साहब बुला रहे हैं. खाना
तैयार है . « मई तैयार होकर राजेश के पोर्षन मे पहुँची.
मैने अपने आप को खूब सँवारा था. ट्रॅन्स्परेंट ब्रा और पनटी के
ऊपर एक महीन सा गाउन डाल लिया था. सारा बदन गुलाबी गाउन के
अंदर से शीशे की तरह सॉफ दिख रहा था. गुलाबी रंग वैसे भी
मेरे बदन की रंगत से मेल ख़ाता था. उस के अंदर लाल नेट की ब्रा
और पनटी मे से मेरे काले काले निपल्स और जांघों के बीच का कला
त्रिकोण डोर से ही दिख रहा था. अब क्या होना है यह तो पता ही था
फिर बेकार की झिझक कैसी. चेहरे पर कुच्छ उगरा मेकप भी कर
रखा था.
मुझे डेक्ख कर मुरली की सासेन उपर नीचे हो गयी. वो कुटिलता से
मुस्कुराते हुए कहा, » क्या बात है ? आज लगता है राजेश साहब
रात भर सो नहीं पाएँगे. कभी एक आध मौका मुझे भी दिया करो. »
मैने उसकी तरफ से मुँह घुमा लिया. तभी राजेश आ गया.
« वाउ, क्या लग रही हो. »
« थॅंक योउ »
« आओ बेड रूम मे अजाओ. » उसने मेरे हाथों को पकड़ कर कमरे की ट्राफ्
इशारा किया, « मुरली तुम टेबल पर हम दोनो का खाना लगा कर घर
चले जाना. »
« एक मिनिट ठहरो मई तुम्हारे ड्रिंक्स का इंतेज़ां करके आती हून. »
कहकर मई किचन मे गयी.
« मुरली तुम बहुत ही बदमाश होते जरहे हो. तुम्हारी घरवाली से
शिकायत करना पड़ेगा. » मैने उसकी ओर आँखें तअरेरी.
« और तुम ? तुम्हारे बारे मे जानकार मुझे नहीं लगता की अनिल साहब
बहुत ख़्श् होंगे. » उसने मुझसे स्ट्रीट ते हुए कहा »टू कुच्छ भी कर
मुझे कुच्छ नहीं लेना देना मगर तुझे कभी कभी मेरा भी दिल
रखना होगा. कभी कभी अपना ये योवां मुझे भी चखा देना »
मैने चौंक कर उसकी तरफ देखा. मुझे सॉफ लग गया की अब मई सेक्स
के दलदल मे धँसती चली जा रही हून. जहाँ से बचने का कोई
रास्ता नहीं है. मई जल्दी से ग्लास लिए और फ्रिड्ज खोल कर बरफ
लेने लगी. मुरली मेरे बदन पर हाथ फिरने लगा. मेरे स्तनों को
सहलाने लगा. उसने मेरे गाउन के अंदर हाथ डाल कर मेरे स्तानो को
ज़ोर से मसला. मेरे मुँह से आआहह निकल गयी. मई पलटी तो उसने
खींच कर मुझे अपने बदन से लगा लिया. मेरे होंठों पर अपने
होंठ रख दिया. उसके हाथ मेरी गाउन को ऊपर उठाने लगे और मेरी
पनटी को ऊपर से सहलाने लगे. मई कसमसा रही थी. तभी आवाज़
आई »क्या हुआ इतनी देर क्यों लगा रही हो. » वो एक झटके मे मेरे
बदन से अलग हो गया. मई अपने कपड़ों को ठीक करती हुई कमरे मे
भाग गयी. कमरे मे पहुँच कर मैने सबसे पहले दरवाजा बंद
किया. फिर धीरे धीरे चलते हुए बिस्तर के पास आई. बिस्तर के
पास रखे एक टेबल ड्रिंक्स का सारा समान रख दिया
 ग्लास मे पेग बनाओ. » मई पेग बनाने लगी ताभ मुझे रोकते हुए
कहा » तहरो » कहकर मुझे अपने सामने खड़ा कर दिया. फिर मेरे
बदन को ऊपर से नीचे तक घूरा.
« अपने हाथ सिर के पीच्चे कर लो. » मैने जैसा बताया था वैसा ही
किया. हाथ पीच्चे ले जाने की वजह से मेरे स्तन और बाहर की ओर
निकल आए. उसने हाथ बढ़ा कर पहले दोनो को सहलाया.
« वो उठ कर मेरे पीच्चे आया और मेरे गाउन को बदन पर टिकाए
रखी डोरी को खोल दिया. फिर मेरे गाउन को बदन से अलग कर दिया. अब
वापस आकर सामने बैठ गया. मई उसके सामने ऑलमोस्ट नंगी खड़ी थी.
« चल अब पेग बना » उसने कहा.
मई पेग बनाने के लिए झुकी तो मेरे स्तन ब्रा मे कसे उसके आँखों के
सामने झूलने लगे..ब्रा और पनटी ट्रॅन्स्परेंट होने की वजह से सब
कुच्छ शीशे की तरह सॉफ नज़र आ रहा था.
मैने पेग बना कर पहले अपनी होंठों से च्छुआ फिर ग्लास राजेस के
होंठों से लगा दिया. मेरी उंगलियाँ उसके शर्ट के बटन्स खोलने मे
लगे हुए थे. मैने उसका शर्ट उतार दिया. फिर बनियान को भी
बदन से अलग कर दिया. फिर हाथ बढ़ा कर नीचे पहनी लूँगी की
गाँठ कोल दी. लूँगी के हाथ ते ही उसका ताना हुआ लिंग मेरे सामने
था. मई उस से लिपट गयी और उसकी गोद मे बात कर उसे बेतसा
चूमने लगी. उसके हाथ मेरे शरीर से ब्रा को नोच कर फेंक दिए.
मेरे बदन पर अब एक मात्र एक छ्होटी सी पनटी थी. उसने अपना मुँह
नीचे कर निपल्स को चूमा. मई बुरी तरह उत्तेजित हो गयी थी.
मैने उसके सिर को ज़ोर से अपनी च्चातियों पर दबा दिया. वो मेरी
च्चातियों को बुरी तरह से चूस रहा था. हाथों से दूसरे को मसल
मसल कर लाल कर दिया.
« ऊऊऊऊऊहह म्*म्माआअ « मेरे होंठों पर मेरी जीभ फिरने
लगी. मेरा मुँह खुल गया. अपने सिर को मई उत्तेजना से झटकने लगी.
और योनि मे रस की पहली फुहार हो गयी.
मई ज़ोर ज़ोर से हाँफने लगी. उसने मुझे झुका कर अपना लिंग मेरे मुँह
मे डाल दिया. मई उसके लिंग को मुँह मे लेली और अपने सिर को आगे
पीच्चे कर्ण लगी. उसने मुझे बेड पर इस तरह लिटाया की मेरा सिर
बेड से नीचे झूल रहा था.
« अब मुँह खोलो और मेरे लिंग को अंदर लो. »
मैने मुँह को पूरा खोल दिया. उसका लिंग धीरे धीरे अंदर जाता ही
गया. मुँह को क्रॉस कर गले मे काफ़ी डोर तक घुस गया. अब 10 « का
पूरा लिंग अंदर जा चुका था. मेरा गाल फूला हुआ था. उसके अंडकोष
अब मेरे नाकों पर ठोकर मार रहे थे. मुँह से सिर्फ़ गून गून की
आवाज़ निकल रही थी. उसने अपना लिंग थोड़ी देर के लिए कुच्छ बाहर
निकाला फिर दुगने तेज़ी से वापस अंदर डाल दिया. अब उसका लिंग मूसल
की तरह मेरे मुँह के अंदर बाहर हो रहा था. जब उसका लिंग बाहर
जाता तो मई साँस लेती और फिर अंदर आता तो साँस रुक जाती. उसका
लिंग कुच्छ देर बाद फूलने लगा. लग रहा था की आज वो मुझे मार
ही डाले गा. फिर उसके लिंग ने झटके मरते हुए पिचकारी छ्चोड़नी
शुरू कर दी. उसका वीरया. मेरे गले से होता हुआ पेट के अंदर जा
रहा था. कुच्छ देर तक यूँही रहने के बाद उसने अपना लिंग बाहर
खींच लिया. तब भी उसके लिंग से वीरया निकल रहा था. उसके
वीरया से मुँह भर गया. अपने लिंग को उसने बाहर निकल कर मेरेगालों, पर होंठों, पर आँखों पर, सारे चेहरे पर फिराया. जिससे
मेरे पुर चेहरे पर वीरया के थक्के लग गये. फिर मेरे स्तानो से
उसे पोंच्छने के बाद मुझे कुच्छ देर के लिए छ्चोड़ा. इतना वीरया भी
किसी का निकल सकता है मैने पहली बार देखा था. शायद इतने दीनो
से इकट्ठा हुआ वीरया एक झटके मे ही मुझे गीला कर गया. हम दोनो
पसीने से लत पाठ एक दूसरे के बदन को चूम छत रहे थे. उसने
अपने वीरया को मेरे पुर चेहरे और मेरे स्तानो पर माल दिया. पूरा
बदन चिपचिपा हो रहा था.
फिर उसने एक झटके मे मुझे अपनी गोद मे उठाया और बातरूम की ओर ले
चला. बातरूम मे दोनो एक दोसरे को पूरी तरह नग्न हो कर खूब
नहलाए. मेरे बदन से खेलते हुए वापस उसका लिंग तंबू की तरह टन
गया. राजेश ने शवर चला दिया. शवर की बूँदें हम दोनो के नग्न
शरीर को भिगोने लगी. उसने अपने लिप्स मेरे एक निपल के नीचे रख
दी और शवर की बूँदें जो मेरे निपल को छ्छू कर बिखर रही थी
उन्हें अपनने मुँह मे क़ैद करने लगा. फिर ढेरे धीरे मेरे भीगे
बदन पर अपने तपते होंठ फिसलते हुए नीचे जाने लगा. उसके होंठ
अब मेरी नाभि को चूम रही थी. उसने अपने मुँह को तोड़ा खोल कर अपनी
जीभ मेरी नाभि के गड्ढे मे दल कर इस तरह फिरने लगा मानो मेरी
योनि को छत रहा हो. मई उत्तेजना की अधिकता से अपना सिर झटकने लगी.


« अब बस भी करो मुझे पागल ही कर दोगे क्या ? » मैने राजेश से
कहा. मगर उसने मेरी बातों पेर कोई तवज्जो नहीं दी. उसकी जीभ
वापस अपने बिल के अंदर चली गयी और होंठ नीचे की ओर फिसलने लगे.


उसके होंठ मेरे रेशमी झांतों पर थिरकने लगे. वो अपनी जीभ से
उन्हे च्छेद रहा था. अपने दाँतों से उन्हे हल्के हल्के खींचने लगा.


फिर वहाँ के उभर को भी दाँतों से काटने लगा. मई उनके बलों मे
उंगलियाँ फिरा रही थी. फिर वो घुटनो के बाल बैठ गया और मेरे एक
पैर को अपने कंधे पर रख लिया.


फिर उसने अपनी लंबी जीभ निकाली और योनि के प्रवेश द्वार को चाटने
लगा. मई उत्तेजना मे अपने तीखे नाखूनो से उसके कंधे को नोच रही
थी. फिर ऐसा लगा जैसे मेरे अंदर रस की बौच्हर हो गयी.


« आआआआआआआअहह ऊऊऊऊऊऊऊओह » मेरे
मुँह से इस तरह की आवाज़ें निकालने लगी. मई वीरया पाट होने के बाद
जब होश आया तो देखा. की राजेश के कंधे पर मेरे नाख़ून ने घाव
बना दिया है जिसमे से हल्का सा खून निकल रहा है. मैने झुक कर
उस जगह को चूम लिया.


उसने मुझे चोपाया बनकर झुकने को कहा. मई हाथों और घुटनो को
फिर्श पर रख कर चौपाया बन गयी. राजसेह पीच्चे से मेरी योनि के
लबों को फैला कर अपना लंड मेरी योनि के मुँह से सताया.




















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