Sunday, February 8, 2015

Fentency माँ की अगन --2

Fentency

  माँ की अगन --2

 सरला दिनभर दर्द के मारे ठीक से काम नही कर पाई। उसे तेज बुखार आ गया , उसे ठीक से चलने मे भी
दीक्कत होने लगी उसकी चुत से सालों बाद की चुदाई से खुन निकल रहा था । रात को बेचारी सरला ने दवाईया

लेकर विजय से बचने के लिए दुसरे कमरे मे अपने आप को कैद कर लिया। विजय सरला की ये हालत देख कर

घबरा गया। दुसरे दिन सुबह विजय सरला को काम मे मदत करने लगा , उसने खामोश नाराज सरला से पुछा

विजय- तबीयत कैसी है मां, बुखार कम हुआ की नही।

सरला खामोश रही उसने विजय के सवाल का कुछ जवाब नही दीया।

विजय- मां ये क्या बात हुई, तू मुझसे बोलती क्यू नही नाराज है मुझसे

सरला खामोश रही ।

विजय- देख तू बोल ना मुझसे अगर तू नही बोलेगी ना तो मै आज ही शहर चला जाऊंगा और कभी तुझसे बात

नही करूंगा।

सरला- पहले गलती करो और बादमे हालचाल पुछो ।

विजय ने सरला को अपनी बाहों मे पकड लिया और उसके होंट चुमने लगा।

विजय- मां क्यू रूठी है मुझसे मेरी क्या गलती है, क्या मै तुझसे प्यार करता हूं ये मेरी गलती है, तो की है मैने

गलती मुझे अपना प्यार ऐसी ही जताना आता है।

सरला ने पुरी ताकद से अपने आप को उससे छुडाया

सरला- अरे क्यो फसाता है, बडी अच्छी तरह से जानती हूं तुम मर्दो का प्यार

सरला ये कह कर वहा से चली गई, विजय बडी सोच मे पड गया की सरला को प्यार से ईतनी नफरत क्यूं थी।

उसकी नजर बाथरूम मे पडे सरला की साडी पर पडी उसपे खून लगा था। वो समझ गया कल की चुदाई से

सरला की चुत फट गई है। सरला अंदर कमरे मे थक कर दर्द के मारे जमिन पर चद्दर पर बैठी थी विजय कमरे

मे घुस गया वो सरला के तरफ बढने लगा सरला डर के मारे पिछे पिछे होने लगी विजय सरला के पास बैठ

गया उसने सरला के पैर फैलाये सरला रोने लगी।

सरला- छोड दे बेटा भगवान के लिए मुझे छोड दे

विजय- अरे डर मत मां कुछ नही करूंगा

उसने उसकी साडी कमर तक उठाई सरला की छीली हुई लाल चमडी फटी हुई चुत विजय के सामने थी विजयने

जेब से बोरोलिन क्रीम निकाली उसे उंगली पर लगाके सरला के चुत पर हल्के से लगाया सरला की आंखे फटी

की फटी रह गई उसने क्या सोचा था और क्या हुआ उसकी चुत को बडी राहत मिल रही थी।

विजय- दर्द मैने दीया है ना मां तो दवां भी मुझेही देनी होगी।

सरला की आंख से आंसू निकले वो समझ गई विजय उसे सच्चा प्यार करता है।

और विजय वहां से चला गया। सरला बैठी सोच मे पड गई की वो ये कीस उलझन मे फस गई है । वो अपने

लाडले बेटे से ज्यादा दीन नाराज नही रह सकती। पर उसे कल रात वाली चीज से मना भी नही कर सकती थी

नही तो वो फीर अपनी प्यास बुझाने शहर की रंडीयो के पास चला जाएगा और कीसी बीमारी की शिकार ना हो

जाए । जैसा विजय सोचता था वैसे नही था वो औरत तो थी पर सबसे पहले वो विजय की मां थी। उसकी सबसे

ज्यादा चिंता उसे थी । अब सरला ने ठान ली अगर यही उसके नसिब मे लिखा है तो यही सही जो होगा देखा

जाएगा सरला ने ये मन बना लिया।

सरला ने साडी ठीक की और वो रसोई मे खाना बनाने आई सामने ही बाथरूम था गांव का बाथरूम सिर्फ परदे

वाला विजय बीना परदा डाले नहा रहा था । उसका काला सांप उसके पैरो के बीच रबर की तरह हील डुल रहा था

सरला की नजर उसपे पडी उसने नजर नही हटाई वो प्यार से उसे देखने लगी और उसके गाल शरम से लाल

होगये रात की बात याद करके उसके मुह पे हल्की मुस्कान झलकी ।

दुसरे दीन विजय ने सरला को जिले के अस्पताल से दवाईयां और चेकअप करवाया डाक्टरने विजयसे कहा आप

इनकी देखभाल करीये ईन्हे अकेला ना छोडे इनकी हर जरूरत आपकी ही जिम्मेदारी है । यह सुनकर विजय को

मन ही मन बडी खूशी हो रही थी । दो दीन विजय सरला से दूर रहा रोज सरला की सेवा करता रहा मालिश से

लेकर उसकी चुत को मलहम लगाता पर कभी उसने उसपर जबरदस्ती नही की । सरला का गुस्सा तो पिघल

चुका था अब तो वो विजय के प्यार के लिए तडप रही थी पर उसे जताना नही चाहती थी। आखिर इतने साल

बाद विजय ने उसके जिस्म की आग भडकाई थी ।

 पर उसे उसका अतित याद आता और वो उदास हो जाती। पर उसने ठान ली अब वो विजय को जो चाहीये वो
देगी वो भी उसके प्यार मे पागल हो रही थी वो उसने विजय को अपना पती मानना शूरू कीया आखिर वजह से

उसने अपनी बनीयान उतार कर सिर्फ लूंगी मे सोया था । सरला अपने कमरे मे सोने जा रही थी उसकी नजर

विजय के पहलवानी शरीर पर पडी तो उसे उस रात की याद आने लगी वो कमरे मे आकर बिस्तर पर लेट गई

गरमी के मारे पसिना हो रही थी उसकी नजर रस्सी पे टंगी विजय ने दी हुई नाईटी पर पडी वो मंद मुस्कुराई

खडी हुई और उसने अपनी साडी निकाल फेंकी और एक-एक कर चोली के हुक खोले उसके मोटे मोटे टरबूज

लटकने लगे फीर उसने पेटीकोट का नाडा खोला और पेटीकोट निचे सरकाया और सरला पुरी नंगी हो गई इतनी

सुंदर के कोई परी हो वो नंगी चलते हुए नाईटी को पहनने रस्सी की ओर चली हर कदम पर उसके मांसल चुत्तर

थिरक रहे थे । उसकी चुंचिया तो मानो झुला झुल रही थी दांये बांये डोल रही थी । उसने नाईटी पहनी उसका

गदराया बदन मुश्कील से उसमे समाया । और वो बिस्तर पर लेट गई उसने आंखे बंद की तो सामने विजय का

कसरती बदन उसे दीखने लगा । उसने अपना हाथ चुचिंयो पर घुमाया तो उस रात के मिलन की सारी यादे ताजा

हो गई सरला अपने होंट दातों से काटते वो स्वर्ग के पल याद करने लगी । सरला मे हवस जाग उठी अब उससे

रहा नही गया उसने आंखे खोली बाल पुरे बिखरे हुए थे । वो बिस्तर से उठी दबे पाव चलकर विजय के कमरे मे

आ गई बडे प्यार से विजय को देखने लगी कुछ देर बाद वो विजय के पास पीठ करके उससे चिपक कर सो गई

उसने विजय का एक हाथ लेकर अपने चुचिं पर रख दीया और दबाने लगी विजय कच्ची निंद मे था उसे हाथ पे

नरम नरम महसूस होने लगा उसके लूंगी मे लंड तंबू बनाने लगा सरला को ये महसूस होते ही सरला ने अपनी

गांड लंड पर घिसना शूरू की विजय हडबडाते निंद से जाग गया और सरला को अपने पास देख कर चौंक पडा

उसने पुछा

विजय- मम म मां तू सोई नही अब तक.

सरला- अरे बेटा निंद तो तूने मेरी चुराई है । मुझसे प्यार करता है ना और मुझे तडपता छोड गया ।

विजय- पर मां तू तो नाराज थी ना मुझसे

सरला- विजय जिगर के तुकडे से मै कीतने दीन नाराज रह सकती थी भला और अब तो तू विजय पती है भूल

गया तुझे तो विजय गुस्सा मीटाना चाहीये था। चल अब मुझसे रहा नही जा रहा जल्दी शूरू कर ।

विजय- क्या मां

सरला- बदमाश अपनी मां से ही पुछता है उस रात तूने क्या कीया था विजय साथ ।

विजयने सरला को कसते हुए उसकी नाईटी चुत तक उपर की और अपनी उंगली उसके चुत मे डाली सरला की

चुत पानी छोड रही थी विजय समझ गया सरला बहोत गरम हो चुकी है ।

विजय- अच्छा चुदाई, अरे मां तू खूद ही बोलना ,अजी मेरी चुदाई करीये ना.. ।

सरला- चल हट बेशरम मुझे शरम आती है ।

विजय- प्लीज प्लीज मां एक बार मुझसे कैसी शरम ।

सरला- अअअजी मेरी चुदाई करीये ना..

सरला ने शरमसे अपना चेहरा छुपा लिया ।

विजय सरला की गांड की दरार मे लंड दबाने लगा।

विजय- मां एक बात बता तूझे प्यार से ईतनी नफरत क्यू है

सरला- उसके लिए विजय अतित जिम्मेदार है ,छोड ना वो बात बादमे बताउंगी।

विजय बिस्तर पर बैठ गया

विजय- वाह मां तूने मेरी दी हुई नाईटी पहनी है, तू ईसमे बिल्कूल आईटम लगती है मां , ईसी नाईटी के वजह

से तेरी जवानी मुझे पता चली ।

सरला- चल हट झूटा कैसी गंदी गंदी बाते करता है , शहर मे जाकर तू बिल्कूल बिगड गया है।

विजय- अरे तेरी कसम मां कभी ये नाईटी दीन मे मत पहना कर अगर गांव वालो ने देख लिया ना तो घर पर

लाईन लग जाएगी ।

सरला- हाय हाय कैसी गंदी बाते करता है

विजयने सरला की नाईटी को उसके बदन से अलग कीया तो सरला का नंगा बदन विजय के सामने था सरला के

चुच्चे देख के विजय को बड़ा मजा आ रहा था, और विजय ने एक चुचके को पकड़ लिया और उसके निप्पल पे

जीभ फेरने लगा और सरला एक दम सिसकिय भरने लगी आह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म इसससस करने लगी |


 विजय फिर उसके उस निप्पल को पूरा मुह में भर लिया और मुह के अंदर हि जिभ फेरने लगा और दूसरे को
मसलने लगा |

सरला एक दम से मस्त हो चुकी थी और उसका जिस्म एक दम गर्म हो चूका था जो की विजय को भी साफ़

साफ़ महसूस हो रहा था, सरला ने सारी शरम छोड दी थी वो अपने बेटे के साथ पुरी तरह से खुल उठी थी और

करती भी क्या हवस की अगन मे जल रही थी वो | विजय करीब दस मिनट उसके निप्पल और चुच्चो को इसी

तरह चूसता रहा और फिर निचे की तरफ सरक गया सरला आंखे बंद कर सिस्का रही थी | विजय उसकी चुत

के दाने को दात से काटने लगा सरला दर्द के मारे आहहहह करे होंट कांट रही थी | विजय को उसकी चुत से

मस्त बदाम के तेल की और पेशाब की मंद मंद खुशबू आ रही थी जिसे सुंग के विजय ने पुछा |

विजय- आह ह ह ह मां क्या मस्त बदाम के तेल की खूशबू आ रही है तेरी चुत से बता ना मां कैसे ।

सरला- छी गंदा कही का , वो तो मै नहाने के बाद लगाती हूं उससे हम औरतो का वो हीस्सा मुलायम और गोरा

रहता है इसलिए।

विजय- वाह क्या बात है मां फीर कलसे मै तेरी चुत पे तेल लगाया करूंगा बल्की तेरा पूरा बदन मालिश करता

रहूंगा ताकी तेरा बदन रेशम की तरह मुलायम रहे।

विजय तो एक दम मस्त हो गया था उसकी उस महक से और विजय जोश में उसकी चुत को उपर से ही काटने

लग गया | सरला एक-दम से कस कस के सिसकिय भरने लगी और धीरे धीरे उसकी सिसकिय कराहने में

बदलने लग गयी| पती अस्पताल मे बीमार पडा था और यहा घरमे मां की हवस की सिस्कारीया आधी रात मे

घर मे गुंज रही थी । सरला जैसे अपना अतित भुल गई थी वो अपने नये आशिक बेटे के साथ नई कामुक

जिंन्दगी की शूरूवात कर रही थी।

पाँच मिनट तक विजय उसकी चुत के अंगूर जितने दाने को वेसे ही काटा और फिर विजय उसकी टांगो को खोल

के उसकी चुत को चाटने लग गया | सरला इस बार तो एक दम से पागल हो गयी चुत का दाना सुजन से फूल

कर लाल हुआ था अब विजय चुत के गुलाबी होटों को चुस रहा था सरला विजय के सर को पकड़ के अपने चुत

पर दबाने लगी | बिच बिच मे सरला विजय के बालो को भी नोचती रहती और बोल रही थी की आहहह बेटे

खालो अपनी मां की चुत को बहुत सताती है ये मुझे जबसे तेरे लंड से चुदी है तितली की तरह फुदकती रहती है

। उफ्फ्फ कितना मजा आ रहा है और कस कस के चाटो इसे अह्ह्ह म्मम्मम्म इस इस इस एस्स्स्स | विजय

ने उसकी चुत की पंखुडियो को खोल के उसकी चुत के लाल छेद के उपर जीभ घुमाने लगा तो उसकी चुत ने एक

दम से पानी छोड़ दिए वो विजय के मुह पे आने लगा |

पानी निकलते ही सरला को पता चल गया की विजय के मुह पे गिरा है तो सरला ने विजय से कहा माफ कर दे

बेटा रहा ही नही गया| विजय ने कहा माफी काहे की मां बडा नमकीन है पानी तेरा और फिर उसकी चुत को फिर

से चाटने लग गया | विजय ने उसकी चुत को चाट चाट के पूरा साफ़ कर दिया | साफ़ होने के बाद वो वो सरला

को बोला

विजय- चल ये ले मां अब तेरी बारी, ले तेरे जवान बच्चे का लंड मुह मे।

सरला- छी छी ना बाबा मै ये गंदा काम नही करूंगी।

विजय- अच्छा जी और मैने जो तेरी चाटी वो ,कुछ बहाने नही चलेंगे भुल गई मै तेरा पती हूं मेरी बात तो तुझे

माननी ही पडेगी हां।

विजय उठा और फिर उसके मुह के पास अपना लंड ले गया सरला पहले उपर उपर से मुह लगाने लगी फीर

विजय ने लंड उसके मुह मे घुसेड दीया फीर सरला विजय के लंड को चाट चाट के पूरा गीला कर दी | विजय का

लंड अब पूरी तरह गीला हो चूका था उसने सरला के होटों को चुसा और सरला की जिभ चुसी और विजय ने झट

से उसके टांगो को दोनों तरफ फैला दिया और उसकी चुत पे लंड रख के रगड़ने लग गया |

सरला एक-दम मस्त हो रही थी और पागलो की तरह अपने चुच्चो को दबा रही थी |

सरला कहने लगी

सरला- बेटे और मत तड़पाओ अपनी मां को जल्दी से डाल दो अंदर में और नही रुक

सकती तेरे लंड के लिए | और रुकी तो में मर जाउंगी जल्दी से अंदर डाल दो अपने लंड को ।

सरला उस वक्त तो विजय के सामने जैसे भीक मांग रही थी उसके लंड के लिए |

विजय ने सरला को और नही तडपाया क्योकी वो भी दो दीन तडप रहा था और विजय ने चुत के अंदर लंड पेल

दिया | सरला एक दम से चिक्ख उठी उईईईईइ मांआअअ

उईईईईइ आआआआआआ आआआआआआ आआआआआआ उईईईईइ उईईईईइ उईईईईइ

आआआआआआ माँ विजय मर गयी ईईईई रे |

 विजय को ऐसी चिखों की आदत पड चुकी थी वो बेरहमी से लंड पेलता रहा और सरला के चुचो को चूसता रहा |
सरला दर्द के मारे चिंख रही थी उसके आंखो से आंसू बह रहे थे वो बिस्तर पर हाथ पटक रही थी उसकी चुडीया

खनक रही थी और हर धक्के के साथ पायल बज रही थी वो अपने नाखून विजय के पीठ मे गाढ रही थी फीर

कुछ देर बाद धीरे धरे वो शांत हुई तो विजय उठा और तेजी से लंड को अंदर बाहर करने लगा | वो अब भी अपने

नाखून से विजय के पीठ को नोच रही थी और सर को दोनों तरफ घुमा रही थी बार बार पर वो विजय को विरोध

नही कर रही थी, विजय अब भी तेजी से लंड को अंदर बाहर कर रहा था और कुछ देर बाद ही उसका दर्द मस्ती

में बदल गया अब सरला पूरी तरह से विजय के लंड का मजा ले रही थी | सरला ने विजय कमर को पकड़

लिया और विजय को अपनी तरफ खिचने लगी थी, कुछ देर के बाद सरला ने तो अपनी टांगो को हटा के विजय

कमर पे बंद दिया और अपने हाथो से और पेरो से विजय को कसने लगी और फिर एक दम उसने विजय के

हाथ को दात से काटा और उसके मुह से आहहहह निकल पडी और वो अचानक से ढीली पड गयी |

विजय को सरला के चुत मे अचानक तेज गरम फव्वारा अपने लंड पे महसूस हुआ वो समझ गया की सरला

झड गयी और फिर सरला चुपचाप पडी रही और विजय उसे हमच-हमच के पेलता रहा सरला का पानी चुत से

रीस रहा था विजय के लंड को चिपका था सफेद गाढा चिक लंड और चुत को चिपका था | विजय ने सरला की

घमासान चुदाई चालू रखी वो उसके होट चुसने लगा उसकी जिभ मुह मे लेकर चुसने लगा कुछ देर बाद वो फिर

से मस्त होने लगी और फिर से वो कराहने लगी और इस बार वो अपनी कमर उठा उठा के विजय से चुद रही थी

विजय उसको २० मिनीट तक हमच-हमच के पेला होगा और उसके बाद विजय को लगा की वो झड़ने वाला हैँ

तभी सरला बोली

सरला-बेटा हाय मे झडने वाली हूं

विजय- में भी आ रहा हूँ मेरी जान छोडदू अंदर

तो सरला ने कुछ भी जवाब नही दीया तो विजयने कस कस के पेलना शुरू कर दिया और दोनों एक साथ झड

गए और विजयने अपना सारा माल उसकी चुत में ही छोड़ दिया |जब वो झड रही थी तो उसके पूरे नाख़ून

विजय पीठ पे गडे हुए थे | धीरे धीरे सरला की पकड़ ढीली होने लगी और दोनों एक दूसरे से लिपट के सो गए |

आधे घंटे बाद विजय ने सरला को उठाया और बोला

विजय-मां तुने मेरे पूछने पर कुछ कहा नही तो मेरा पाणी अंदर ही छूट गया |

फिर सरला हसी और बोली

सरला- ये भी कोई पुछने की बात है , तू मेरा पती है मै कैसे तुझे मना करती

विजय हस पडा और फिर सरला विजय को चूमने लगी और उसे बिलग के सो गयी |

सूबह सरला नंगे पडे विजय के पास नहा कर आई और विजय के बालों मे हाथ घुमाते बडी सुरीली आवाज से

कहने लगी

सरला- अजी सुनो, अजी सुनोना मेरी बात कब तक सोते रहेंगे उठीये ना, तेल नही लगाएंगे

विजयने ये सुन कर विजय ने आंखे खोली और वो चौंक गया सरला सिर्फ साडी लपेटे खुले बाल मे विजय के

पास बैठी थी वो झट से बिस्तर पे बैठ गया और तेल की शीशी से तेल हाथ पे ले लिया सरला ने अपनी साडी

पेट तक उपर उठाई खिडकी से आते रोशनी मे सरला की बीना बालों वाली गोरी मुलायम चुत चमक रही थी उसे

देख कर विजय के मुह मे पाणी आ गया वो अपना हाथ लेकर सरला के चुत पर तेल मलने लगा कुछ देर बाद

उसने सरला को अपनी तरफ खिचा सरला अपने आप छुडाती हुई बोली

सरला- अ अ अ अभी नही पहले नहा लिजीए चाय नाश्ता कर लिजिये फीर दीन पडा है हमारे पास

सरला दरवाजे की तरफ जा कर मुडी और बोली

सरला- अजी हां और दोपहर को सिंदूर की डीबीया लेते आईयेगा जरूर।

विजय हस पडा वो भी हसते शरमाते चली गई।

दोपहर को विजय जिले मे जाकर सिंदूर की डीबीया और नई साडी और मंगलसूञ ले आया

और सरला ने पूराना मंगलसूञ निकाल कर अलमारी मे रख दीया विजय ने घर आने पर सरला की मांग मे

सिंदूर भर दीया और मंगलसूञ पहनाया और फीर दोनो चुदाई करने लगे ।

इस तरह अगले दो दीन दोनो की दीन रात चुदाई चलती रही और तिसरे दिन दोपहर को अस्पताल से उसके बापू

के डीस्चार्ज का फोन आया ये बात उसने सरला को बताई, पती के लिये तडपने वाली सरला के चेहरे पर यह

खबर सून कर खूशी नही उदासी थी । क्यू के जो खूशी उसका पती सालो नही दे पाया वो विजय पीछले हफ्ते भर

से दे रहा था। और कुछ घंटो बाद विजय के ऑफीस से भी काम पे लौटने का फोन आया।











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