Sunday, February 8, 2015

Fentency खानदानी औरतें-4

Fentency

  खानदानी औरतें-4

 ज़ाहिद फिर उठ कर फूफी खादीजा के मम्मों से थोड़ा नीचे इस तरह बैठ गया के उनके ऊपर ज़ियादा वज़न ना पड़े और अपना लंड उनके मुँह में दे दिया. उन्होने चंद मिनिट तक उसका लंड चूसा लेकिन फिर कहा,
"ज़ाहिद में इस तरह तुम्हारा लौड़ा नही चूस सकती मुझे उठने दो."
ज़ाहिद ने उनके होंठ चूमे और फिर खुद सीधा लेट गया. फूफी खादीजा ने अब उस का लंड मुँह में लिया और चूसने लगीं. मै भी इसी तरह लेट गया और फूफी शहनाज़ फूफी खादीजा की देखा देखी मेरा लंड चूसने लगीं. मैंने नीचे से हाथ लंबा कर के उनके मोटे मोटे मम्मे मसलने शुरू कर दिये.

फूफी खादीजा से लंड चुसवाने के दोरान ज़ाहिद ने फूफी शहनाज़ का नंगा बदन देखा जो मेरा लंड चूस रही थीं और एक हाथ से उनके चूतरों और चूत को सहलाना शुरू कर दिया. मुझे लगा के जैसे ज़ाहिद ने उनकी चूत में उंगली दी है क्योंके उस का हाथ अपनी चूत पर महसूस कर के फूफी शहनाज़ ने मेरे लंड को और ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया. मेरा लंड कभी कभार उनके दांतो से भी टकरा जाता लेकिन वो उससे अपने मुँह के बीच में रख कर चूसती रहीं. वो अब बे-क़ाबू हो रही थीं और मेरा लंड अपने अंदर लेना चाहती थीं . उन्होने लंड चूसते चूसते सर उठा कर अजीब सी नज़रों से मेरी तरफ देखा और कहा:
"मैरा मुँह तक गया है."

फूफी खादीजा ने ये देख कर कहा.
"अमजद शहनाज़ सबर नही कर सकती तुम इससे चोदना शुरू करो."
फूफी शहनाज़ कुछ ना बोलीं.

मैंने फूफी शहनाज़ को लिटाया और उनकी खूबसूरत मोटी चूत के अंदर लंड डाल दिया. फूफी खादीजा के मुक़ाबले में क़द छोटा होने के बावजूद फूफी शहनाज़ ने मेरे लंड को फूफी खादीजा से ज़ियादा होसले और आराम से अपनी चूत में लिया. उनकी चूत काफ़ी गीली और गरम थी और मेरा लंड स्लिप होता हुआ टट्टों तक उस के अंदर चला गया. मैंने घस्से मारने शुरू किये और फूफी शहनाज़ के कंधे पकड़ कर उन्हे चोदने लगा.

ज़ाहिद ने भी फूफी खादीजा की टांगें अपने कंधों पर रखीं और बड़े ज़ोर से अपना लंड उनकी चूत के अंदर घुसेड़ दिया. फूफी खादीजा के मुँह से हल्की सी चीख निकली और और उन्होने बेड से उठने की कोशिश की. ज़ाहिद रुका नही और उनकी चूत में घस्से मारता रहा.
“आराम से चोदो हरामजादे. किया मेरी चूत फाड़ो गे?” फूफी खादीजा ने अपनी आदत के मुताबिक़ गालियाँ देनी शुरू कर दीं.
“फूफी खादीजा आप की फुद्दी बड़ी मज़बूत है दस लंड भी ले ले गी तो इससे कुछ नही होगा.” ज़ाहिद ने जवाबन कहा.
“कुतिया के बच्चे ये तेरी कंजड़ी माँ की चूत नही है जो तू इस तरह घस्से मार रहा है.” फूफी खादीजा के चेहरे पर तक़लीफ़ के आसार थे.
फूफी शहनाज़ ने कभी अपनी बड़ी बहन को इस तरह गालियाँ देते नही सुना था. उस वक़्त वो मेरे नीचे सीधी लेतीं हुई थीं और मेरा लंड उनकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था. उन्होने हैरत से मेरी तरफ देखा और फिर खुद भी नीचे से अपने चूतड़ों के ज़ोर पर घस्से लगाने लगीं. शायद उन्हें भी फूफी खादीजा की गालियों ने भड़का दिया था.

ज़ाहिद फूफी खादीजा को चोदे जा रहा था. उस का लंड फूफी खादीजा की मोटी चूत के अंदर इस तरह जाता था के उस के लटके हुए टट्टे उनकी गांड़ के सुराख से लगते. उस का लंड बहुत मोटा था और फूफी खादीजा चंद ही घस्सों में बे-हाल हो गई थीं . लेकिन तक़लीफ़ के बावजूद वो बहुत एंजाय भी कर रही थीं . फिर ज़ाहिद ने उनकी टांगें नीचे कर दीं और उन्हे खोल कर उनकी फुद्दी लेता रहा. उस का लंड फूफी खादीजा की फुद्दी से बाहर आता तो फूफी खादीजा अपना हाथ नीचे करतीं और ज़ाहिद के टट्टों को पकड़ कर सहलाने लगतीं. "अफ फूफी खादीजा आप तो मुझे जल्दी डिसचार्ज कर दें गी. आप की बहन की चूत मारूं." ज़ाहिद उनकी चूत में घस्से मारता हुआ बोला.
“तेरी बहन की चूत में किसी कुत्ते का लंड डालूं ज़ाहिद. तेरी माँ को चोदुं कुत्ते……. उूउउफफफफफफ्फ़.” फूफी खादीजा उस के टट्टों से खेलते हुआ गालियाँ दिये जा रही थीं .

फूफी खादीजा ने मुझे चूत देते हुए कभी ये नही किया था. हाँ फूफी नीलोफर मेरे टट्टे ज़रूर पकड़ा करती थीं . मै समझ गया के फूफी खादीजा बड़ी खुल के चुद रही थीं . ज़ाहिद फिर सीधा लेट गया और फूफी खादीजा को अपने लंड पर बिठा कर चोदने लगा. उस ने उनके मम्मे हाथों में पकड़ लिये. फूफी खादीजा ने उस के लंड को हाथ से अपनी चूत में डाला और थोड़ा सा आगे झुक कर अपनी चूत को आहिस्ता आहिस्ता उस के लंड पर ऊपर नीचे करने लगीं. अब वो खुद ही ज़ाहिद के लंड से अपनी चूत चुदवा रही थीं .

में फूफी शहनाज़ की फुद्दी ले रहा था और उन्होने भी अब मेरा साथ देना शुरू कर दिया था.
“बता शहनाज़ तू खादीजा की तरह कुतिया है या नही?” मैंने फूफी शहनाज़ को गाली दी. वो अब समझ चुकी थीं के गालियाँ इस खेल का हिस्सा हैं.
“हाँ इस वक़्त तो में किसी कुतिया से भी ज़ियादा हूँ.” उन्होने जवाब दिया.
“हम दोनो कुतिया हैं तभी तो ये दो कुत्ते हमें चोद रहे हैं.” फूफी खादीजा ने ज़ाहिद के लंड पर छलांग लगाते हुए कहा. वो तो शायद गालियों के बगैर चूत दे ही नही सकती थीं .

मैंने फूफी शहनाज़ को कुतिया बना कर चारों हाथों पैरों पर कर के उनकी चूत पीछे से अपनी तरफ की और उस में लंड डाल कर उन्हे चोदने लगा. फूफी शहनाज़ ने दोनो हाथों में चूड़ियाँ पहन रखी थीं जो मेरे घस्सों से खनक रही थीं . फूफी खादीजा की तरह उनकी गांड़ भी बहुत मोटी और गोश्त से भारी हुई थी. घस्से मारने के दोरान में दोनो हाथों से उनके गोरे चूतरों को गूधता रहा जिन पर मेरी उंगलिओ के निशान पड़ जाते थे.

मैरा तजर्बा था के गांड़ का सुराख बहुत सी औरतों की कमज़ोरी होता है. मैंने अपनी उंगली पर थूक लगाया और फूफी शहनाज़ के ब्राउन छेद पर लगा दिया. उन्हे अच्छा लगा और वो ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे हो कर मेरे लंड को अपनी चूत में लेने लगीं. वो बहुत देर से कोशिश कर रही थीं के उनके मुँह से ज़ियादा आवाजें ना निकने पा’आयायन लेकिन खलास होने के क़रीब उन्होने काफ़ी देर तक ऊऊहह….. ऊऊऊहह…… उउउफफफफफफ्फ़…..ऊऊऊहह की और फिर अपने चूतड़ों को अकड़ाती हुई खलास हो गईं. उनकी साँस फूल गई थी और चूत पानी से भर चुकी थी मगर मैंने उन्हे चोदना जारी रखा. वो दो तीन मिनिट सर नीचे किये चुदवाती रहीं और फिर एक दफ़ा और डिसचार्ज हो गईं. पाँच मिनिट में वो दो दफ़ा खलास हुई थीं .

ज़ाहिद ने फूफी खादीजा को करवट दिला के साइड से उनकी चूत में लंड डालने की कोशिश की मगर इस तरह चुदवाना उन्हे मुश्किल लगा जिस पर ज़ाहिद ने फिर उन्हे सीधा लिटाया और आगे से उनकी फुद्दी लेने लगा.
“उफफफ्फ़ ज़लील गांडू चीर दिया तुम ने मेरी चूत को. तुम्हारी माँ की चूत में खोते का लंड दूँ. उस की चूत बहुत खुली है मेरी तो छोटी सी है.” फूफी खादीजा चाची फ़हमीदा को गालियाँ दे रही थीं . फिर अचानक वो भी खलास हो गईं और होंठ दाँतों में दबा कर अपने अंदर गुस्से हुए ज़ाहिद के मोटे और लंबे लंड का मज़ा लेतीं रहीं.




 "अमजद चलो फूपियाँ बदलते हैं. तुम अब फूफी खादीजा को चोदो और में फूफी शहनाज़ की फुद्दी लेता हूँ." ज़ाहिद ने अचानक कहा और फूफी खादीजा की चूत से लंड निकाल कर मेरी और फूफी शहनाज़ की तरफ बढ़ा. ऐसा लग रहा था जैसे कोई जिन अपने जिसम के बीच में एक लंबा सा डंडा लगाए चलता हुआ आ रहा हो.

मैंने भी फूफी शहनाज़ की गीली चूत से लंड निकाला और फूफी खादीजा के साथ लेट कर उनके मम्मे चूसने लगा. उन्होने मेरा लंड हाथ में पकड़ कर फॉरन छोड़ दिया क्योंके उस पर फूफी शहनाज़ की चूत का पानी लगा हुआ था. लेकिन कुछ देर बाद फूफी खादीजा ने दोबारा मेरा लंड हाथ में ले लिया. दूसरी तरफ ज़ाहिद ने फूफी शहनाज़ को खूब छूने चाटने के बाद अपने लंड पर बिठा लिया. उस ने उनके चूतड़ पकड़ कर अपना मोटा लंड पूरा उनकी चूत के अंदर किया और घस्से रोक दिये. अब उस का लंड फूफी शहनाज़ के अंदर ही था. फूफी शहनाज़ की चूत में बहुत दर्द हो रहा था और वो तक़लीफ़ से दोहरी हुई जा रही थीं .

मैंने फूफी खादीजा की टांगें खोल कर उनकी गोरी चूत में लंड घुसा दिया. उन्होने अपने गोरे गोरे बाज़ो मेरे गले में डाल दिये और चूतर हिला हिला कर मेरे घस्सों का भरपूर जवाब देने लगीं. मुझे लगा के वो मुझ से ज़ियादा आराम से चुदवा रही थीं . शायद इस की वजह ये थी के में उन्हे पहले से चोद रहा था जबके ज़ाहिद की आज पहली बार थी. खैर में उनकी फुद्दी के बिल्कुल दरमियाँ में घस्से मारता रहा. ये उनका वीक पॉइंट था. उनके मुँह से थूक उररने लगा और वो एक दफ़ा फिर डिसचार्ज हो गईं.

ज़ाहिद भी डिसचार्ज होने वाला था. "अमजद फूफी खादीजा के अंदर में डिसचार्ज हूँ गा." उस ने फूली हुई साँस के साथ कहा और फूफी शहनाज़ में से अपना लंड निकाल लिया. फूफी शहनाज़ की जान में जान आ’ई.
फिर उस ने पीछे से फूफी खादीजा की चूत में लंड डाला और उन्हे चोदने लगा. मै आ कर फूफी शहनाज़ की टाँगों के बीच में बैठ गया और उनकी फुद्दी में एक दफ़ा फिर लंड डाल दिया. उनकी फुद्दी अब फिर खुश्क थी और लंड लेते हुए उन्हे तक़लीफ़ हो रही थी. मैंने सात आठ घस्से लगए तो उनकी फुद्दी ने पानी छोड़ दिया और में आराम से उन्हे चोदने लगा. अब थोड़ी ही देर रह गई थी और में और ज़ाहिद दोनो डिसचार्ज होने वाले थे.

ज़ाहिद ने फूफी खादीजा की चूत लेते लेते ज़ोर की आवाज़ निकाली और उनकी चूत के अंदर खलास हो गया. उस ने अपनी मनी से उनकी चूत को भर दिया. "ज़ाहिद किया करते हो ये होटेल है बाहर आवाज़ चली जाए गी." मैंने फूफी शहनाज़ की फुद्दी में घस्से मारते मारते कहा. वो हंस पड़ा.

ज़ाहिद फूफी खादीजा को चोद कर अब साइड पर हो गया और बेड पर लेटा रहा. उस का लंड फूफी खादीजा की चूत के पानी में नहाया हुआ था और अब बैठ चुका था. मै भी अब फूफी शहनाज़ की चूत में डिसचार्ज होने वाला था. फूफी शहनाज़ को अंदाज़ा हो गया के में खलास होने वाला हूँ और वो गांड़ उठा कर मेरा लंड लानी लगीं. फिर कुछ देर बाद में और फूफी शहनाज़ एक साथ ही डिसचार्ज हुए और मैंने अपनी मनी उनकी फुद्दी के अंदर छोड़ दी. वो मुझ से लिपटी कांपती रहीं. उनकी आँखों से लग रहा था के उन्होने आज बहुत मज़े किये थे. यों हम ने अपनी दोनो फुफियों को चोद लिया.
चुदाई का अगला सेशन अब अगले दिन होना था.







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