Tuesday, February 10, 2015

Fentency होली के रंग

Fentency


होली के रंग


होली के रंगरात के 930 बज रहे थे /दिन भर होली खेलने के कारण बच्चे खा-पी कर सो चुके थे/पापा-मम्मी भी गाँव गये हुये थे/ हमलोग भी सोने की तैयारी मे थे तभी घर की घण्टी बजी, जैसे ही मैने दरवाजा खोला, सामने राकेश और डोली खडे थे उनके हाथ मे रंग था मुझे पता था कि वे लोग रात को घर पर जरुर आयेगे. ऐसे भी होली क यह रिवाज है, रात को लोग एक दुसरे के घर अबीर खेलने जाते है, पूनम भी मेरे पीछे –पीछे आ गई/ अन्दर आते ही राकेश ने अबीर निकाली और पूनम के गालो पर लाल रंग का एक लेप लगा दिया/ पूनम थोडा पीछे हटी परंतु शायद राकेश को सुबह की होली क जोश अभी बाकी था, उसक हाथ पूनम के गालो से फिसलता हुआ उसके छती पर आ गया और उसने अपन हाथ पूनम के ब्लाउज मे डाल दिया और मुठी भर अबीर उसके चुचियो पर मसलने लगा ,पूनम थोडा चिहँकी,उसने राकेश को प्यार से पिछे धकल्ने की कोशिश की ,इस धक्का-मुक्की मे पूनम का पल्लु नीचे गिर गया और उसका वक्षस्थल रकेश के सामने थाअरे आप लोग आपस मे ही होली खेलते रहोगे या मुझे भी भाभी को रंग लगाने दोगे, डोली पूनम के पल्लु को उठाते हुये बोली, फिर पूनम और डोली ने एक दुसरे को अबीर लगाया, पूनम ने राकेश को भी गाल पर थोडा अबीर लगाया/ मै भी पीछे क्यो रहता, मैने भी मौका देखकर डोली के गालो पर अबीर क लेप लगा दिया, मन तो मेरा भी बहुत किया कि मै भी डोली के चुचियो को लाल रंग मे रंग दुँ परंतु हिम्म्त नही हुई/ डोली राकेश के सामने सोफा पर बैठ गई और पत नही मुझे क्या सुझा मै जाकर डोली के बगल मै बैठ गया और पूनम कोल्ड् ड्रिक्ंस लाने रुम मे च्ली गई/ पूनम जैसे ही अन्दर आई उसने मुझे डोली के पास बैठा देख बोली क्या बात है आज डोली इनके साथ बैठी है/राकेश—भाभी आज एक्सचेंज का दिन है ,आप मेरे पास बैठिये, उसने हाथ पकड कर पूनम को अपने बगल मै बैठा दिया/ सभी ने अपना-अपना कोल्ड् ड्रिक्ंस उठाया और पीने लगे/ उन्हे क्या मालूम कि मैने पहले से ही उसमे थोडा शराब मिला दी थी/इधर उधर की बात चलने लगी/ राकेश – राजीव अगर तुम बुरा न मानो तो एक बात बोलुँ, हाँ बोलो , य़ार आज पूनम बहुत सुन्दर लग रही है/ अरे क्या बात है भाइ, डोली से मन भर गया कि मन तो नही भरा लेकिन स्वाद बदल जाये तो क्या हर्‍ज है राकेश हँसते हुये बोला/ थोडा सा नशा चढते ही राकेश की हिम्मत जाग गयी/ उसने अपना हाथ पूनम के गले मे डाल दिया और उअस्के और नजदीक चिपक गया/ पूनम ने इसका कुछ भी विरोध नही किया, शायद नशा उस पर हावी हो चुका था राजीव आज तुम डोली क मजा लो, मै पूनम का लेता हुँ, मैने डोली के तरफ देखा, पता नही क्यो मुझे आज वह बहुत सेक्सी लग रही थी, मैने धीरे से अपना हाथ उसके जाँघ पर रख दिया, डोली ने मेरे तरफ देखा और मुस्कराने लगी, मेरी हिम्मत बढ ग्यी, मैने तुरंत उसए अपने तरफ खींचा और उसके लाल होठो पर अपना होंठ रख दिया और उसके होठो को चुसने लगा/ डोली ने भी मुझसे चिपक गई ,उसकी मोटी-मोटी चुचियाँ मेरे छाती से रगड खाने लगी य़ह मेरे बर्दाश्त से बाहर था , मैने देरी करना उचित नही सम्झा, मैने तुरंत उसको गोदी मे उठाया और वही बिस्तर पर लिटा दिया उसकी साँसे धोंकनी की तरह चल रही थी मानो चुचियाँ ब्लाउज से बाहर निकल्ने के लिये बेताब हो/फिर क्या था थोडी सी मेहनत से ही डोली की गोरी-गोरी चुचियाँ मेरे सामने थी/ मैने पूरी तरह उसको नंगा कर दिया, वह बला की खुबसुरत लग रही थी. मै तुरंत उसके गदगदे बदन पर लेट गया और उसके चुचियो को चुसने लगा. राकेश भी पीछे क्यो रहता , उसने अपना मोटा लण्ड निकाला और पूनम के मुँह मे ठुस दिया, पूनम थोडा हिचकिचाइ, लेकिन राकेश ने जोर से उसके बालो को पकडा और पूरे जोर से अपना लण्ड उसके मुँह मे ठुस दिया. चुसते –चुसते राकेश का लण्ड और मोटा होने लगा.
कैसा है रानी मेरा लण्ड राकेश पूनम का मुख चोदन करते हुए पूछाबहुत मोटा है ,मै तो आपको दुबला-पतला समझते हुये आप्का लण्ड को दुबला-पतला ही समझती थी, लेकिन यह तो बहुत मोटा है पूनम चुसते हुये बोली. राकेश ने पूनम को खडा किया और उसके ब्लाउज और पेटीकोट को उसके शरीर से अलग कर दिया, साडी तो उसने पहले ही खोल दी थी. पूनम की मस्त चुचिया देख राकेश मस्त होने लगा.क्या-मस्त चुचियाँ है तुम्हारी डालिग, राकेश चुचियो को मसलते हुये बोला, यह तो दोनो हाथो से भी पकड मे नही आयेगा,.पूनम पूरे जोश से राकेश का पैंट खोलने लगी. .कमरे मे मद्धिम रोशनी थी. मै बिस्तर पर पूरे दम से डोली को चोद रहा था. राकेश भी पूनम को उसी बिस्तर के नजदीक ले आया. पूनम पलंग पर दोनो हाथ रखकर झुक गयी , राकेश ने पूनम के कमर को पकडा और अपने लंड को पीछे से बुर मि धकेल दिया और पूरे जोर से धक्का मार्ने लगा.धीरे करो—आह-उह पूनम की चीख पूरे कमरे मे गुँज रही थी. पूनम की चीख ने पूरे कमरे मे जोश भर दिया. मैने डोली को पेट के बल लिटाया और उसके चुतर को उठाया. उसकी दोनो बडी-बडी चुचिया पपीते की तरह झुल रही थी. मैने अपने आप को उसके चुतर की सिधाई मे पोजीशन किया और और अपने लण्ड को उसके गांड के पास ले आया मैने थोडे ही देर मे मेरा लण्ड डोली के ग़ांड की चुदाइ मे लग गया.राकेश भी पूनम को अब बिस्तर पर ले आया और उस्ने पूनम के दोनो जाघो को फैला दिया. पूनम की सुनहरी बुर रस से लबालब चमक रही थी. राकेश ने अपना सर उसके बुर मे घुसा दिया और पूनम के बुर का स्वाद चटखारे के साथ लेने लगा. पूनम अप्ने दोनो हाथो से अपने चुचियो को मसल रही थीराकेश- रानी अब तैयार हो जाओ. मेरा लण्ड अब तेरी धज्जियाँ उधेड देगा.पूनम- राजा अब तुम मेरे बुर मे हाथ भी डाल दोगे, तो भी मे उअसे झेल लुंगी.फिर क्या था राकेश ने पोनम के दोनो पावो को अपने कन्धे पर रखा और लंड को धीरे से पूनम के बुर मे प्रविश्ट करा दिया और और धीरे-धीरे धक्का मार्ने लगा पूनम ने भी अपने बाहो से राकेश को जकड लिया और चुतड- उछाल- उछाल कर लण्ड के झट्के बर्दाश्त कर रही थी दोनो के इस जोश ने डोली और मुझ्मे एक नई जान डाल दी. मैने भी डोली को सीधा लिटाया .क्या गजब सीन था.दोनो औरते बिल्कुल नग्न अगल-बगल लेटी हुई और पराये मर्द के लंड क मजा ले रही थी--















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