Fentency
फूफी और मैं -2
उन्होने फीता उठा कर मुझे दिया. मैंने जल्दी से फीता आगे से उनके दोनो मम्मों पर निपल्स के ऊपर जोड़ दिया. फिर मैंने फीता ठीक करने के लिये उनका दायां मम्मा हाथ में पकड़ा और उस के लंबे निप्पल को फीते के नीचे ले आया. फूफी नीलोफर के मम्मे को हाथ में पकड़ा तो मेरी टाँगों से जान निकालने लगी. उन्होने भी अपने उसी मम्मे पर नज़रें जमा रखी थीं जो मेरे हाथ में था. उनका मम्मा बड़ा भारी और अच्छा ख़ासा ठोस था. मेरा सर चकराने लगा. मै सब कुछ भूल गया और मैंने बे-खुदी के आलम में उनके मम्मे को दबाने लगा. उनके मुँह से उन्ह की आवाज़ निकली तो मुझे होश आया और मैंने उनका मम्मा छोड़ दिया. नाप लेने के दोरान भी मेरे हाथ कई दफ़ा उनके मम्मों से टकराते रहे लेकिन वो खामोश ही रहीं. जब मैंने नाप ले लिया तो उन्होने अपनी क़मीज़ दोबारा पहन ली. वो कुछ देर तो नर्वस ही रहीं मगर फिर बेहतर होने लगीं.
में उनके मम्मों के साइज़ का सही हिसाब कर के दोबारा स्टोर गया और ब्रा चेंज करवा लिये. अब आगे मुझे फूफी नीलोफर की फुद्दी लेने का मोक़ा मिलता या ना मिलता मगर ये इतमीनान ज़रूर था के मैंने कम-आज़-कम उनके मम्मों को ना-सिरफ़ नंगा देख लिया था बल्के उन्हे हाथ भी लगा लिये थे. अगर और कुछ ना भी होता तो मेरे लिये यही बहुत था.
में वापस होटेल पुहँचा तो मुझे लगा के फूफी नीलोफर के चेहरे पर हल्की सी खजालत थी जैसे उनकी कोई चोरी पकड़ी गई हो. उन्होने ब्रा ले कर मेरा बहुत शुक्रिया अदा किया.
“फूफी नीलोफर आप तो ब्रा ना भी पहनें तो लगता है जैसे पहन रखा है.” मैंने उनके भारी मम्मों की तरफ देखते हुए तारीफी अंदाज़ में कहा.
“कियों?” उनके मुँह से निकला.
यही वक़्त था. मै फॉरन बोला:
“आप के मम्मे बहुत मुख्तलीफ़ हैं. मोटे, सख़्त और खड़े हुए इसी लिये अगर आप ने ब्रा ना भी पहना हो तो ऐसा लगता है जैसे पहना हुआ है.”
“ऐसा कुछ नही.” उन्होने जावब दिया मगर लहजे और आँखों की चमक से पता चल रहा था के उन्हे अपनी तारीफ सुन कर खुशी हुई है.
मैंने इस को मुनासिब मोक़ा जानते हुए आगे बढ़ कर उनके बांया मम्मे को हाथ में पकड़ा और कहा:
“फूफी नीलोफर अब आप ने ब्रा पहना है या नही?”
उस वक़्त उन्होने ब्रा पहन रखा था मगर फिर भी उनके मोटे ताज़े मम्मे का लांस मुझे बहुत अच्छा लगा.
“हाँ पहना हुआ है.” उन्होने कहा और एक हाथ ऊपर उठाया मगर मुझे अपना मम्मा पकड़ने से नही रोका. उनकी आँखें कुछ कुछ नशीली हो गई थीं .
अब कुछ नही रह गया था.
में सारी हदूद पड़ कर चुका था मगर फूफी नीलोफर ने किसी बात पर गुस्से का इज़हार नही किया था. मैंने उनके मम्मे को थोड़ा सा दबाया तो उन्होने हल्की सी एक सिसकी ली. अब इस बात बिल्कुल वाज़ेह थी के के उन्हे मुझ से अपनी चूत मरवाने पर कोई ऐतराज़ नही था. मुझे इस पर बड़ी हैरत थी लेकिन में सोचने में वक़्त बर्बाद नही करना चाहता था.
में उतर कर उनके पास बेड पर बैठ गया और उनके गले में हथ डाल कर उनके गाल का चूमा लिया. उनकी आँखों में खुमार बढ़ता हुआ नज़र आ रहा था. उन्होने मुझे अपना मुँह चूमने दिया और मेरे बाज़ू पर हाथ रखते हुए बोलीं: “ये तो गुनाह है के……” मैंने उनकी बात काट दी और उनके होठों को मुँह में ले कर चूसने लगा.
में जानता था के ये सब बकवास बातें थीं और वो मुझे अपनी चूत देना चाहती थीं . उन्हे होटेल में आते ही ये अंदाज़ा हो गया था के में उनकी चूत मारना चाहता हूँ और मेरी सारी हरकतों को अच्छी तरह समझते हुए भी उन्होने मुझे रोकने की कोई कोशिश नही की थी. इस लिये अब गुनाह-ओ-सवाब का ज़िकर बिल्कुल बे-मानी था. हक़ीक़त यही थी के वो भी चाहती थीं के में उन्हे चोद लूं.
में उनके खूबसूरत चेहरे को चूमता रहा. उन्होने पहले तो मेरा साथ नही दिया लेकिन फिर मेरे साथ चिपकते हुए अपनी ज़बान मेरे मुँह में दे दी और में उससे चूसने लगा. वो भी मेरी ज़बान चूसने लगीं. मैंने फूफी नीलोफर का मुँह खूब चूमा और वो भी जवाबन मुझे चूमती रहीं. मैंने उनके भारी मम्मों को जो ब्रा के अंदर थे क़मीज़ के ऊपर से ही मसलना और दबाना शुरू किया तो वो और गरम होने लगीं. मै उनकी सफ़ेद गर्दन चूमते हुए सीने तक आया और क़मीज़ का गिरेबां नीचे कर के उनके दोनो मम्मों का ऊपरी नंगा हिस्सा चूमने लगा.
उन्होने अपना दुपट्टा उतार दिया और मेरे एक कंधे को पकड़ लिया. मैंने उठ कर अपने शॉर्ट्स उतार दिये और उनका हाथ अपने खड़े हुए लंड पर रखा. उन्होने मेरे लंड को पकड़ कर पहले तो उससे आहिस्ता से दबा कर महसूस किया और फिर उस पर ऊपर नीचे हाथ फेरने लगीं. उन्होने अचानक अपनी हथेली नीचे कर के मेरे टट्टे अपने नरम हाथ में लिये तो मेरे जिसम में सनसनी दौड़ गई. वो बड़ी नर्मी से मेरे टट्टों को टटोलती रहीं.
“फूफी नीलोफर क़मीज़ उतारें.” मैंने फूलती हुई साँसों में उनके एक मम्मे को साइड से चूमते हुए कहा.
वो बेड पर सीधी हो कर बैठ गईं. उन्होने पहले अपनी क़मीज़ उतारी और फिर ब्रा का हुक खोल कर उससे अपने मम्मों से अलहदा कर दिया. अब उनके मम्मे बिल्कुल नंगे हो गए. मैंने बे-ताबी से उनके दोनो मम्मों को अपने हाथों में ले लिया और उन्हे बेड पर लिटा दिया. मै उनके मम्मे अपने मुँह में ले कर चूसने लगा. मम्मे चुसवाने के दोरान वो सिसकियाँ लेने लगीं. फूफी खादीजा की तरह मम्मे चुसवाना उन्हे भी पागल कर रहा था.
उनके मम्मे इतने बड़े बड़े थे के एक मम्मे को चूसने के लिये मुझे उससे अपने दोनो हाथों में पकड़ना पड़ता था. मै उनके खड़े हुए मोटे निपल्स को मुँह में भर भर कर चूसता रहा.
फूफी नीलोफर के मम्मों का ज़ाइक़ा बहुत अच्छा था. उनके मम्मों का जो हिस्सा में चूस कर अपने मुँह से बाहर निकालता वो थोड़ी देर सुर्ख रहता और फिर ये सुर्खी चंद लम्हों के बाद दोबारा सफेदी में बदल जाती. मैंने उन्हे करवट से लिटाया और उनके साथ लेट कर बारी बारी उनके दोनो मम्मों के निपल्स को ज़ोर ज़ोर से चूसता रहा. मेरा लंड उनकी चूत के क़रीब ही था. उन्होने हाथ नीचे कर के मेरा लंड मुट्ठी में ले लिया और आँखें बंद कर के मज़े लेने लगीं. उनका बदन गरम हो गया था और साँस भी अब तेज़ तेज़ चल रही थी. ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वो कहीं से दौड़ लगा कर आ’ई हूँ.
फूफी नीलोफर के मम्मे चूसते चूसते मैंने उन्हे सीधा किया और उनकी नाफ़ के को चाटने लगा. उन्होने अपना एक हाथ अपने मम्मे पर रख लिया और मुँह से आवाजें निकालने लगीं. कुछ देर इसी तरह उनकी नाफ़ और पेट को चाटने के बाद मैंने उनकी शलवार का नाड़ा खोला. उन्होने अपने मोटे और गोल गोल चूतड़ ऊपर उठाये और मैंने उनकी शलवार घुटनो तक नीचे कर दी जो उन्होने उतार कर बेड पर रख दी. उनकी निहायत सेहतमंद चूत अपनी तमाम तर खूबसूरती के साथ मुझे नज़र आई. उनकी चूत बालों से बिल्कुल साफ़ थी. मैंने उनकी चूत पर हाथ फेरा तो वो गीली और बहुत गरम थी. मैंने अपना मुँह नीचे कर के उनकी चूत को को ज़ोर से चूम लिया. ना-जाने क्यों फूफी नीलोफर ये देख कर हंस पड़ीं लेकिन में अपने काम में मसरूफ़ रहा.
मैंने उनकी सेहतमंद रानों को अंदर की तरफ से पकड़ कर खोला और उनकी मोटी चूत पर ज़बान फेरने लगा. जब औरत की चूत पर बाल ना हूँ तो उससे चाटने का मज़ा हो और होता है. उनकी चूत पर मुँह रखे रखे मैंने अपना एक हाथ आगे किया और उनके मोटे मम्मों को पकड़ कर मसलने लगा. फूफी नीलोफर एक बार फिर तेज़ आवाज़ में सिसकियाँ लानी लगीं. फिर रफ़्ता रफ़्ता ये सिसकियाँ भारी आवाज़ों में बदल गईं. उनकी चूत अब बहुत गरम हो चुकी थी. ऐसा लग रहा था जैसे उस में आग लगी हुई हो.
मैंने उनकी चूत पर ज़बान फेरते हुए उनकी गांड़ के सुराख पर उंगली फेरी तो उनका मज़बूत बदन काँप कर रह गया और उनके चौड़े चक्ले चूतड़ अकड़ गए. मै जान गया के वो खलास होने के क़रीब हैं. मैंने फिर उनकी चूत में अपना मुँह घुसेड़ दिया और उस के दाने को ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा. चंद सेकेंड्स के बाद यही हुआ और वो अपने ताक़तवर बदन को ज़बरदस्त झटके देते हुए खलास होने लगीं.
उउउफफफफ्फ़….उूुउउफफफफ्फ़…..उूु ुउउफफफफफ्फ़ की आवाजें मेरे कानो से टकराने
लगीं. फूफी नीलोफर बहुत बुरी तरह खलास हुई थीं . मैंने उन्हे कुछ देर अपने
खलास होने का मज़ा लेने दिया.
उनकी हालत ज़रा संभली तो हम दोनो करवट ले कर लेट गए. मै उनके मम्मे मुँह में ले कर चूसने लगा और एक हाथ उनकी रानों, चूतड़ों और मोटी फुद्दी पर फेरता रहा. चंद मिनिट बाद मैंने उठ कर उनके ताक़तवर चूतड़ों के बीच में उनकी गांड़ के सुराख को चाटना शुरू किया. गांड़ चटवाने से फूफी नीलोफर को कुछ और ही क़िसम का लुत्फ़ आ रहा था. मैंने महसूस किया के उनकी गांड़ का सुराख बा-काएदा हरकत कर रहा था. वो मज़ा लेते हुए गैर-इरादि तौर पर अपनी गांड़ को खोलती और बंद कर रही थीं . मैंने और भी कई औरतों को यही करते देखा था. मैंने उनकी गांड़ के टाइट सुराख पर ज़बान फेर फेर कर उससे अपने थूक से भर दिया. मै सोच रहा था का जल्द ही में अपना लंड फूफी नीलोफर की गांड़ के छेद के अंदर करने में भी कामयाब हो जाओं गा. फूफी नीलोफर जैसी औरत को गाँडू बनाने के ख़याल से ही मेरे खून की गिर्दिश तेज़ हो गई.
फिर मुझे एक और मस्ती सूझी. मैंने फूफी नीलोफर को सीधा लिटाया और उनके ऊपर आ कर उनके सीने पर इस तरह बैठ गया के उन पर ज़ियादा वज़न ना पड़े. उन्होने मुझे सवालिया निगाहों से देखा. वो समझ नही पा रही थीं के में किया करना चाहता हूँ. मैंने हाथ नीचे कर के उनके दोनो मम्मे पकड़ लिये और उनके दरमियाँ में अपना खड़ा लंड रख कर उससे आगे पीछे करने लगा. उनके मोटे ताज़े मम्मों के सफ़ेद गोश्त में मेरा लंड गायब हो गया. उन्हे समझ आ गई के में किया कर रहा था. उनकी आँखें बंद थीं और एक हाथ मेरी रान पर रखा हुआ था. मै उनके मोटे सेहतमंद मम्मों के बीच में घस्से मार रहा था और वो खामोशी से लेतीं हुई थीं . मै कुछ देर इसी तरह फूफी नीलोफर के निपल्स को मसलते हुए उनके मोटे मोटे मम्मों को चोदता रहा.
थोड़ी देर और उनके मम्मों को चोदने के बाद मैंने सोचा के अब कुछ और करना चाहिये.
“फूफी नीलोफर किया आप मेरा लंड चूसें गी?” मैंने उनके सफ़ेद मम्मों में से अपना लंड निकालते हुए सवाल किया.
“मैंने कभी ऐसा किया नही मगर आज कर के देखती हूँ.” उन्होने जवाब दिया और उतर कर बैठ गईं. उनके भारी मम्मे ज़ोर से हीले. मै नही जानता के लंड चूसने के बारे में वो सच कह रही थीं या झूठ.
मैंने अपनी T-शर्ट भी उतार दी और बेड पर लेट गया. फूफी नीलोफर घुटनो के बल मेरे ऊपर झुक गईं और मेरा लंड अपने मुँह में लिया और उस का टोपा चूसने लगीं. मैंने अपनी टांगें खोल दीं और फूफी नीलोफर ने मेरे लंड का निचला हिस्सा हाथ में पकड़ लिया और उनका सर मेरे लंड पर ऊपर नीचे होने लगा. उन्हे शायद मेरे लंड का टोपा चूसना ज़ियादा अच्छा लग रहा था क्योंके वो मुसलसल मेरे टोपे पर अपनी ज़बान फैरे जा रहीं थीं . वो चूँके कमर झुका कर मेरा लंड चूस रही थीं इस लिये उनके सेहतमंद मम्मे मुझे नज़र आ रहे थे. मैंने हाथ आगे बढ़ाया और उनके मम्मों से खेलने लगा. फूफी नीलोफर को लंड चूसने का तजर्बा वाकई नही था और थोड़ी ही देर में उनका मुँह थूक से भर गया और उनके लिये मेरा लंड चूसना मुश्किल हो गया. मै बहरहाल नीचे से अपना जिसम उठा कर आहिस्ता आहिस्ता उनके थूक से भरे हुए मुँह में अपना लंड अंदर बाहर कर के उसे चोदता रहा.
मैंने उन्हे अब बेड पर लिटाया और खुद उनके ऊपर लेट कर अपने दोनो बाज़ू उनकी कमर के गिर्द डाले और उनके चेहरे, गर्दन, और सीने के ऊपरी हिस्सों को चूमने लगा. चूँके मेरा क़द फूफी नीलोफर से कम-आज़-कम दो इंच छोटा था इस लिये मेरा लंड उनकी फुद्दी से ज़रा ऊपर पडा हुआ था. उन्होने अपनी टाँगें खोल कर फैला लीं और मुझे पूरी तरह अपनी फुद्दी के ऊपर आने दिया. मै थोड़ा सा नीचे खिसका ताके मेरा लंड बिल्कुल उनकी फुद्दी के मुँह पर आ जाए. फिर में उनके मम्मों को अपने मुँह में ले कर चूसने लगा. अब मेरा लंड मेरे जिस्म और उनकी गीली फुद्दी के बीच में फँसा हुआ था और उस के अंदर घुसने का शिद्दत से मुंतज़ीर था. मगर में अभी कुछ देर और अपनी फूफी के खूबसूरत बदन का मज़ा लेना चाहता था. मैंने उन्हे चूमने का सिलसिला जारी रखा.
फूफी नीलोफर के मम्मों को ऊपर नीचे अच्छी तरह चूसने के बाद मैंने घुटनो के ज़ोर पर अपनी कमर ऊपर उठाई और अपना खड़ा हुआ लंड उनकी चूत के अंदर डाल कर दो तीन हल्के हल्के घस्से मारे. फूफी नीलोफर ने बड़े आराम से मेरा लंड अपने अंदर ले लिया. वैसे भी मुझे उनकी चूत में घस्से मारने में कोई मुश्किल पेश नही आ रही थी क्योंके वो अंदर से भी काफ़ी गीली थी. उनकी गरम चूत में अपना लंड डाल कर मुझे उतना ही लुत्फ़ आया जैसा में कभी सोचा करता था. उनकी चूत को अपने लंड से महसूस करते ही मुझे पता चल गया के वो चोदने के लिये बड़ी शानदार औरत थीं . मै यों ही मज़े लेते हुए फूफी नीलोफर की चूत में हल्के हल्के लेकिन नपे तुले घस्से मारता रहा. वो भी मेरे घस्सों से पूरी तरह लुत्फ़-अंदोज़ हो रही थीं .
घस्से मारते मारते मैंने अपना हाथ नीचे किया और उनकी गांड़ के गोल सुराख में उंगली दी. गांड़ का सुराख बहुत सी औरतों की तरह फूफी नीलोफर की कमज़ोरी भी था. मैंने अपनी उंगली उनकी टाइट गांड़ के अंदर घुसा ने की कोशिश की तो उन्होने अपनी गांड़ के सुराख को और भी टाइट कर लिया. लेकिन उन्हे जब अपनी गांड़ में मेरी उंगली महसूस होती रही तो कुछ देर बाद उन्होने मेरे कंधे पकड़ लिये और गांड़ के सुराख को नरम कर लिया. अब वो होंठ दाँतों में दबा कर अपनी चूत में मेरे लंड के झटकों का मज़ा लेने लगीं.
मैंने अब उनकी मज़बूत फुद्दी के अंदर ज़ोरदार घस्से मारने शुरू कर दिये. मेरा पूरा का पूरा लंड फूफी नीलोफर की फुद्दी के अंदर बाहर हो रहा था और मेरे नीचे लटके हुए टट्टे उनकी गांड़ के सुराख से ज़रा ऊपर बार बार टकरा रहे थे. उनकी फुद्दी में काफ़ी पानी था मगर चुदवाते हुए ना वो पानी कम हो रहा था और ना ज़ियादा. वो पूरी तरह अपनी ताक़तवर और हट्टी कट्टी फुद्दी को हिला हिला कर मेरा साथ दे रही थीं . घस्सों के झटकों की वजह से उनके मोटे मम्मे एक ख़ास रिदम में ऊपर नीचे हो रहे थे. उन्हे चोदते हुए उनके मम्मों के अकड़े हुए बड़े बड़े निपल्स मुझे हिलते हुए साफ़ दिखाई दे रहे थे.
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फूफी और मैं -2
उन्होने फीता उठा कर मुझे दिया. मैंने जल्दी से फीता आगे से उनके दोनो मम्मों पर निपल्स के ऊपर जोड़ दिया. फिर मैंने फीता ठीक करने के लिये उनका दायां मम्मा हाथ में पकड़ा और उस के लंबे निप्पल को फीते के नीचे ले आया. फूफी नीलोफर के मम्मे को हाथ में पकड़ा तो मेरी टाँगों से जान निकालने लगी. उन्होने भी अपने उसी मम्मे पर नज़रें जमा रखी थीं जो मेरे हाथ में था. उनका मम्मा बड़ा भारी और अच्छा ख़ासा ठोस था. मेरा सर चकराने लगा. मै सब कुछ भूल गया और मैंने बे-खुदी के आलम में उनके मम्मे को दबाने लगा. उनके मुँह से उन्ह की आवाज़ निकली तो मुझे होश आया और मैंने उनका मम्मा छोड़ दिया. नाप लेने के दोरान भी मेरे हाथ कई दफ़ा उनके मम्मों से टकराते रहे लेकिन वो खामोश ही रहीं. जब मैंने नाप ले लिया तो उन्होने अपनी क़मीज़ दोबारा पहन ली. वो कुछ देर तो नर्वस ही रहीं मगर फिर बेहतर होने लगीं.
में उनके मम्मों के साइज़ का सही हिसाब कर के दोबारा स्टोर गया और ब्रा चेंज करवा लिये. अब आगे मुझे फूफी नीलोफर की फुद्दी लेने का मोक़ा मिलता या ना मिलता मगर ये इतमीनान ज़रूर था के मैंने कम-आज़-कम उनके मम्मों को ना-सिरफ़ नंगा देख लिया था बल्के उन्हे हाथ भी लगा लिये थे. अगर और कुछ ना भी होता तो मेरे लिये यही बहुत था.
में वापस होटेल पुहँचा तो मुझे लगा के फूफी नीलोफर के चेहरे पर हल्की सी खजालत थी जैसे उनकी कोई चोरी पकड़ी गई हो. उन्होने ब्रा ले कर मेरा बहुत शुक्रिया अदा किया.
“फूफी नीलोफर आप तो ब्रा ना भी पहनें तो लगता है जैसे पहन रखा है.” मैंने उनके भारी मम्मों की तरफ देखते हुए तारीफी अंदाज़ में कहा.
“कियों?” उनके मुँह से निकला.
यही वक़्त था. मै फॉरन बोला:
“आप के मम्मे बहुत मुख्तलीफ़ हैं. मोटे, सख़्त और खड़े हुए इसी लिये अगर आप ने ब्रा ना भी पहना हो तो ऐसा लगता है जैसे पहना हुआ है.”
“ऐसा कुछ नही.” उन्होने जावब दिया मगर लहजे और आँखों की चमक से पता चल रहा था के उन्हे अपनी तारीफ सुन कर खुशी हुई है.
मैंने इस को मुनासिब मोक़ा जानते हुए आगे बढ़ कर उनके बांया मम्मे को हाथ में पकड़ा और कहा:
“फूफी नीलोफर अब आप ने ब्रा पहना है या नही?”
उस वक़्त उन्होने ब्रा पहन रखा था मगर फिर भी उनके मोटे ताज़े मम्मे का लांस मुझे बहुत अच्छा लगा.
“हाँ पहना हुआ है.” उन्होने कहा और एक हाथ ऊपर उठाया मगर मुझे अपना मम्मा पकड़ने से नही रोका. उनकी आँखें कुछ कुछ नशीली हो गई थीं .
अब कुछ नही रह गया था.
में सारी हदूद पड़ कर चुका था मगर फूफी नीलोफर ने किसी बात पर गुस्से का इज़हार नही किया था. मैंने उनके मम्मे को थोड़ा सा दबाया तो उन्होने हल्की सी एक सिसकी ली. अब इस बात बिल्कुल वाज़ेह थी के के उन्हे मुझ से अपनी चूत मरवाने पर कोई ऐतराज़ नही था. मुझे इस पर बड़ी हैरत थी लेकिन में सोचने में वक़्त बर्बाद नही करना चाहता था.
में उतर कर उनके पास बेड पर बैठ गया और उनके गले में हथ डाल कर उनके गाल का चूमा लिया. उनकी आँखों में खुमार बढ़ता हुआ नज़र आ रहा था. उन्होने मुझे अपना मुँह चूमने दिया और मेरे बाज़ू पर हाथ रखते हुए बोलीं: “ये तो गुनाह है के……” मैंने उनकी बात काट दी और उनके होठों को मुँह में ले कर चूसने लगा.
में जानता था के ये सब बकवास बातें थीं और वो मुझे अपनी चूत देना चाहती थीं . उन्हे होटेल में आते ही ये अंदाज़ा हो गया था के में उनकी चूत मारना चाहता हूँ और मेरी सारी हरकतों को अच्छी तरह समझते हुए भी उन्होने मुझे रोकने की कोई कोशिश नही की थी. इस लिये अब गुनाह-ओ-सवाब का ज़िकर बिल्कुल बे-मानी था. हक़ीक़त यही थी के वो भी चाहती थीं के में उन्हे चोद लूं.
में उनके खूबसूरत चेहरे को चूमता रहा. उन्होने पहले तो मेरा साथ नही दिया लेकिन फिर मेरे साथ चिपकते हुए अपनी ज़बान मेरे मुँह में दे दी और में उससे चूसने लगा. वो भी मेरी ज़बान चूसने लगीं. मैंने फूफी नीलोफर का मुँह खूब चूमा और वो भी जवाबन मुझे चूमती रहीं. मैंने उनके भारी मम्मों को जो ब्रा के अंदर थे क़मीज़ के ऊपर से ही मसलना और दबाना शुरू किया तो वो और गरम होने लगीं. मै उनकी सफ़ेद गर्दन चूमते हुए सीने तक आया और क़मीज़ का गिरेबां नीचे कर के उनके दोनो मम्मों का ऊपरी नंगा हिस्सा चूमने लगा.
उन्होने अपना दुपट्टा उतार दिया और मेरे एक कंधे को पकड़ लिया. मैंने उठ कर अपने शॉर्ट्स उतार दिये और उनका हाथ अपने खड़े हुए लंड पर रखा. उन्होने मेरे लंड को पकड़ कर पहले तो उससे आहिस्ता से दबा कर महसूस किया और फिर उस पर ऊपर नीचे हाथ फेरने लगीं. उन्होने अचानक अपनी हथेली नीचे कर के मेरे टट्टे अपने नरम हाथ में लिये तो मेरे जिसम में सनसनी दौड़ गई. वो बड़ी नर्मी से मेरे टट्टों को टटोलती रहीं.
“फूफी नीलोफर क़मीज़ उतारें.” मैंने फूलती हुई साँसों में उनके एक मम्मे को साइड से चूमते हुए कहा.
वो बेड पर सीधी हो कर बैठ गईं. उन्होने पहले अपनी क़मीज़ उतारी और फिर ब्रा का हुक खोल कर उससे अपने मम्मों से अलहदा कर दिया. अब उनके मम्मे बिल्कुल नंगे हो गए. मैंने बे-ताबी से उनके दोनो मम्मों को अपने हाथों में ले लिया और उन्हे बेड पर लिटा दिया. मै उनके मम्मे अपने मुँह में ले कर चूसने लगा. मम्मे चुसवाने के दोरान वो सिसकियाँ लेने लगीं. फूफी खादीजा की तरह मम्मे चुसवाना उन्हे भी पागल कर रहा था.
उनके मम्मे इतने बड़े बड़े थे के एक मम्मे को चूसने के लिये मुझे उससे अपने दोनो हाथों में पकड़ना पड़ता था. मै उनके खड़े हुए मोटे निपल्स को मुँह में भर भर कर चूसता रहा.
फूफी नीलोफर के मम्मों का ज़ाइक़ा बहुत अच्छा था. उनके मम्मों का जो हिस्सा में चूस कर अपने मुँह से बाहर निकालता वो थोड़ी देर सुर्ख रहता और फिर ये सुर्खी चंद लम्हों के बाद दोबारा सफेदी में बदल जाती. मैंने उन्हे करवट से लिटाया और उनके साथ लेट कर बारी बारी उनके दोनो मम्मों के निपल्स को ज़ोर ज़ोर से चूसता रहा. मेरा लंड उनकी चूत के क़रीब ही था. उन्होने हाथ नीचे कर के मेरा लंड मुट्ठी में ले लिया और आँखें बंद कर के मज़े लेने लगीं. उनका बदन गरम हो गया था और साँस भी अब तेज़ तेज़ चल रही थी. ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वो कहीं से दौड़ लगा कर आ’ई हूँ.
फूफी नीलोफर के मम्मे चूसते चूसते मैंने उन्हे सीधा किया और उनकी नाफ़ के को चाटने लगा. उन्होने अपना एक हाथ अपने मम्मे पर रख लिया और मुँह से आवाजें निकालने लगीं. कुछ देर इसी तरह उनकी नाफ़ और पेट को चाटने के बाद मैंने उनकी शलवार का नाड़ा खोला. उन्होने अपने मोटे और गोल गोल चूतड़ ऊपर उठाये और मैंने उनकी शलवार घुटनो तक नीचे कर दी जो उन्होने उतार कर बेड पर रख दी. उनकी निहायत सेहतमंद चूत अपनी तमाम तर खूबसूरती के साथ मुझे नज़र आई. उनकी चूत बालों से बिल्कुल साफ़ थी. मैंने उनकी चूत पर हाथ फेरा तो वो गीली और बहुत गरम थी. मैंने अपना मुँह नीचे कर के उनकी चूत को को ज़ोर से चूम लिया. ना-जाने क्यों फूफी नीलोफर ये देख कर हंस पड़ीं लेकिन में अपने काम में मसरूफ़ रहा.
मैंने उनकी सेहतमंद रानों को अंदर की तरफ से पकड़ कर खोला और उनकी मोटी चूत पर ज़बान फेरने लगा. जब औरत की चूत पर बाल ना हूँ तो उससे चाटने का मज़ा हो और होता है. उनकी चूत पर मुँह रखे रखे मैंने अपना एक हाथ आगे किया और उनके मोटे मम्मों को पकड़ कर मसलने लगा. फूफी नीलोफर एक बार फिर तेज़ आवाज़ में सिसकियाँ लानी लगीं. फिर रफ़्ता रफ़्ता ये सिसकियाँ भारी आवाज़ों में बदल गईं. उनकी चूत अब बहुत गरम हो चुकी थी. ऐसा लग रहा था जैसे उस में आग लगी हुई हो.
मैंने उनकी चूत पर ज़बान फेरते हुए उनकी गांड़ के सुराख पर उंगली फेरी तो उनका मज़बूत बदन काँप कर रह गया और उनके चौड़े चक्ले चूतड़ अकड़ गए. मै जान गया के वो खलास होने के क़रीब हैं. मैंने फिर उनकी चूत में अपना मुँह घुसेड़ दिया और उस के दाने को ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा. चंद सेकेंड्स के बाद यही हुआ और वो अपने ताक़तवर बदन को ज़बरदस्त झटके देते हुए खलास होने लगीं.
उउउफफफफ्फ़….उूुउउफफफफ्फ़…..उूु
उनकी हालत ज़रा संभली तो हम दोनो करवट ले कर लेट गए. मै उनके मम्मे मुँह में ले कर चूसने लगा और एक हाथ उनकी रानों, चूतड़ों और मोटी फुद्दी पर फेरता रहा. चंद मिनिट बाद मैंने उठ कर उनके ताक़तवर चूतड़ों के बीच में उनकी गांड़ के सुराख को चाटना शुरू किया. गांड़ चटवाने से फूफी नीलोफर को कुछ और ही क़िसम का लुत्फ़ आ रहा था. मैंने महसूस किया के उनकी गांड़ का सुराख बा-काएदा हरकत कर रहा था. वो मज़ा लेते हुए गैर-इरादि तौर पर अपनी गांड़ को खोलती और बंद कर रही थीं . मैंने और भी कई औरतों को यही करते देखा था. मैंने उनकी गांड़ के टाइट सुराख पर ज़बान फेर फेर कर उससे अपने थूक से भर दिया. मै सोच रहा था का जल्द ही में अपना लंड फूफी नीलोफर की गांड़ के छेद के अंदर करने में भी कामयाब हो जाओं गा. फूफी नीलोफर जैसी औरत को गाँडू बनाने के ख़याल से ही मेरे खून की गिर्दिश तेज़ हो गई.
फिर मुझे एक और मस्ती सूझी. मैंने फूफी नीलोफर को सीधा लिटाया और उनके ऊपर आ कर उनके सीने पर इस तरह बैठ गया के उन पर ज़ियादा वज़न ना पड़े. उन्होने मुझे सवालिया निगाहों से देखा. वो समझ नही पा रही थीं के में किया करना चाहता हूँ. मैंने हाथ नीचे कर के उनके दोनो मम्मे पकड़ लिये और उनके दरमियाँ में अपना खड़ा लंड रख कर उससे आगे पीछे करने लगा. उनके मोटे ताज़े मम्मों के सफ़ेद गोश्त में मेरा लंड गायब हो गया. उन्हे समझ आ गई के में किया कर रहा था. उनकी आँखें बंद थीं और एक हाथ मेरी रान पर रखा हुआ था. मै उनके मोटे सेहतमंद मम्मों के बीच में घस्से मार रहा था और वो खामोशी से लेतीं हुई थीं . मै कुछ देर इसी तरह फूफी नीलोफर के निपल्स को मसलते हुए उनके मोटे मोटे मम्मों को चोदता रहा.
थोड़ी देर और उनके मम्मों को चोदने के बाद मैंने सोचा के अब कुछ और करना चाहिये.
“फूफी नीलोफर किया आप मेरा लंड चूसें गी?” मैंने उनके सफ़ेद मम्मों में से अपना लंड निकालते हुए सवाल किया.
“मैंने कभी ऐसा किया नही मगर आज कर के देखती हूँ.” उन्होने जवाब दिया और उतर कर बैठ गईं. उनके भारी मम्मे ज़ोर से हीले. मै नही जानता के लंड चूसने के बारे में वो सच कह रही थीं या झूठ.
मैंने अपनी T-शर्ट भी उतार दी और बेड पर लेट गया. फूफी नीलोफर घुटनो के बल मेरे ऊपर झुक गईं और मेरा लंड अपने मुँह में लिया और उस का टोपा चूसने लगीं. मैंने अपनी टांगें खोल दीं और फूफी नीलोफर ने मेरे लंड का निचला हिस्सा हाथ में पकड़ लिया और उनका सर मेरे लंड पर ऊपर नीचे होने लगा. उन्हे शायद मेरे लंड का टोपा चूसना ज़ियादा अच्छा लग रहा था क्योंके वो मुसलसल मेरे टोपे पर अपनी ज़बान फैरे जा रहीं थीं . वो चूँके कमर झुका कर मेरा लंड चूस रही थीं इस लिये उनके सेहतमंद मम्मे मुझे नज़र आ रहे थे. मैंने हाथ आगे बढ़ाया और उनके मम्मों से खेलने लगा. फूफी नीलोफर को लंड चूसने का तजर्बा वाकई नही था और थोड़ी ही देर में उनका मुँह थूक से भर गया और उनके लिये मेरा लंड चूसना मुश्किल हो गया. मै बहरहाल नीचे से अपना जिसम उठा कर आहिस्ता आहिस्ता उनके थूक से भरे हुए मुँह में अपना लंड अंदर बाहर कर के उसे चोदता रहा.
मैंने उन्हे अब बेड पर लिटाया और खुद उनके ऊपर लेट कर अपने दोनो बाज़ू उनकी कमर के गिर्द डाले और उनके चेहरे, गर्दन, और सीने के ऊपरी हिस्सों को चूमने लगा. चूँके मेरा क़द फूफी नीलोफर से कम-आज़-कम दो इंच छोटा था इस लिये मेरा लंड उनकी फुद्दी से ज़रा ऊपर पडा हुआ था. उन्होने अपनी टाँगें खोल कर फैला लीं और मुझे पूरी तरह अपनी फुद्दी के ऊपर आने दिया. मै थोड़ा सा नीचे खिसका ताके मेरा लंड बिल्कुल उनकी फुद्दी के मुँह पर आ जाए. फिर में उनके मम्मों को अपने मुँह में ले कर चूसने लगा. अब मेरा लंड मेरे जिस्म और उनकी गीली फुद्दी के बीच में फँसा हुआ था और उस के अंदर घुसने का शिद्दत से मुंतज़ीर था. मगर में अभी कुछ देर और अपनी फूफी के खूबसूरत बदन का मज़ा लेना चाहता था. मैंने उन्हे चूमने का सिलसिला जारी रखा.
फूफी नीलोफर के मम्मों को ऊपर नीचे अच्छी तरह चूसने के बाद मैंने घुटनो के ज़ोर पर अपनी कमर ऊपर उठाई और अपना खड़ा हुआ लंड उनकी चूत के अंदर डाल कर दो तीन हल्के हल्के घस्से मारे. फूफी नीलोफर ने बड़े आराम से मेरा लंड अपने अंदर ले लिया. वैसे भी मुझे उनकी चूत में घस्से मारने में कोई मुश्किल पेश नही आ रही थी क्योंके वो अंदर से भी काफ़ी गीली थी. उनकी गरम चूत में अपना लंड डाल कर मुझे उतना ही लुत्फ़ आया जैसा में कभी सोचा करता था. उनकी चूत को अपने लंड से महसूस करते ही मुझे पता चल गया के वो चोदने के लिये बड़ी शानदार औरत थीं . मै यों ही मज़े लेते हुए फूफी नीलोफर की चूत में हल्के हल्के लेकिन नपे तुले घस्से मारता रहा. वो भी मेरे घस्सों से पूरी तरह लुत्फ़-अंदोज़ हो रही थीं .
घस्से मारते मारते मैंने अपना हाथ नीचे किया और उनकी गांड़ के गोल सुराख में उंगली दी. गांड़ का सुराख बहुत सी औरतों की तरह फूफी नीलोफर की कमज़ोरी भी था. मैंने अपनी उंगली उनकी टाइट गांड़ के अंदर घुसा ने की कोशिश की तो उन्होने अपनी गांड़ के सुराख को और भी टाइट कर लिया. लेकिन उन्हे जब अपनी गांड़ में मेरी उंगली महसूस होती रही तो कुछ देर बाद उन्होने मेरे कंधे पकड़ लिये और गांड़ के सुराख को नरम कर लिया. अब वो होंठ दाँतों में दबा कर अपनी चूत में मेरे लंड के झटकों का मज़ा लेने लगीं.
मैंने अब उनकी मज़बूत फुद्दी के अंदर ज़ोरदार घस्से मारने शुरू कर दिये. मेरा पूरा का पूरा लंड फूफी नीलोफर की फुद्दी के अंदर बाहर हो रहा था और मेरे नीचे लटके हुए टट्टे उनकी गांड़ के सुराख से ज़रा ऊपर बार बार टकरा रहे थे. उनकी फुद्दी में काफ़ी पानी था मगर चुदवाते हुए ना वो पानी कम हो रहा था और ना ज़ियादा. वो पूरी तरह अपनी ताक़तवर और हट्टी कट्टी फुद्दी को हिला हिला कर मेरा साथ दे रही थीं . घस्सों के झटकों की वजह से उनके मोटे मम्मे एक ख़ास रिदम में ऊपर नीचे हो रहे थे. उन्हे चोदते हुए उनके मम्मों के अकड़े हुए बड़े बड़े निपल्स मुझे हिलते हुए साफ़ दिखाई दे रहे थे.
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