Wednesday, February 18, 2015

Fentency मेरी भाभी बड़ी सायानी

Fentency


मेरी भाभी बड़ी सायानी


मेरा नाम अमित है | मेरी उम्र २४ साल है और मुझे सेक्स और संभोग काफी पसंद है और मुझे सेक्स कामसूत्र मेरी पड़ोसन ने सिखाया | ये बात जब की है, जब मै १८ साल का था | हमारे पड़ोस मे एक परिवार रहता था और उनसे हमारे बहुत ही अच्छे संभंद थे | हम दोनों के परिवारों को आपस मे काफी आना जाना था | उनके दो लड़के थे और दोनों की ही शादी हो चुकी थी | सबसे छोटे वाले लड़के की दो साल पहले ही शादी हुइ थी, मगर उसकी बीवी को कोई बच्चा नहीं हुआ था | उसकी बीवी माहुत ही सुंदर और मस्त थी | उनका फिगर देखते ही मेरा लंड झटके मारने शुरू कर देता था | वो इतनी सुन्दर थी, कि कोई अगर उन्हें देखे; तो बस देखता ही रह जाये |
एक दिन की बात है, दोपहर का समय था, हम सब लोग धूप में बैठे हुए बातें कर रहे थे | अचानक मैने देखा, कि बातो-बातो में मेरा हाथ भाभी की जांघों के नीचे चला गया | मुझे पता ही नहीं चला, कि ये कैसा हुआ | उनकी जांघे बहुत ही गरम थी | मुझे कीच अजीब सा लगा और मैने सोचा कि भाभी मेरे बारे मे क्या सोचेंगी, लेकिन किसी कारणवश, नहीं निकाल पाया | मुझे कुछ उलझा हुआ देखकर भाभी मेरी परेशानी समझ गयी और भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुस्कुरा दी | अब तो मुझे उनकी भी सहमती मिल चुकी थी और मैने अपने हाथ को और अंदर करना शुरू कर दिया, लेकिन जिस तरह से भाभी बैठी थी, एक हद तक पहुचकर मेरा हाथ आगे जा ही नहीं पा रहा था | ये सब देखकर, भाभी थोड़ी सी आगे को सरक गयी और मेरा हाथ उनकी गांड के नीचे आ गया | मैने उसने नित्म्भो को दबाना और उनकी गांड के छेद मे ऊँगली करना शुरू कर दिया |  भाभी भी पूरी मस्ती मे वैसे ही बैठी रही और थोड़ी देर के बाद जब धूप चली गयी तो सब उठ गए और सब अपने अपने घर जाने लगे |
जाते वक्त, भाभी ने मुझसे कहा की शाम को ५ बजे मेरे घर आना मुझे कुछ काम हैं | अब तो मुझे समझ आ चुका था, कि भाभी ने मुझे क्यों बुलाया है | मैने भी अपना लंड बड़ी मुश्किल से रोका हुआ था, वहा से निकलकर, मै सीधे बाथरूम मै भगा और भाभी के नाम पर मस्त हस्थ्मथुन किया | शाम को ५ बजे, मै अनजान बनकर उनके घर चला गया, मै उनको ये नहीं जताना चाहता था, कि मुझे उनकी मंशा समझ आ गयी है | जब मै उनके घर मै घुसा, तो देखा भाभी सर पर चुन्नी बाँध कर लेटी हुई थी | मैने भाभी से कहा आप तो सो रही हो, चलो मै बाद मे आ जाता हु | भाभी बोली रुक-रुक मत जा, यहाँ पर आ जा | मै उनके पास गया और फिर वो मुझसे बोली की सर में दर्द हो रहा हे, थोडा दबा दो, मैने कहा ठीक है और मै उनका सर दबाने लगा; तो वो बोली, कि ऐसे कुछ अच्छा सनाही लग रहा, तुम ऊपर पैर करके बैठ जाओ और मै तुम्हारी गोदी में सर रख लेती हू फिर तुम अच्छे से दबा देना |
मैने वैसा ही किया और फिर उन्होंने मेरे गोद में सर रख दिया और फिर मै उनका सर दबाने लगा | कुछ देर उनका सर दबाने के बाद मैने उनसे पूछा की अब कैसा लग रहा हे ? भाभी बोली, काफी ठीक है, लेकिन थोडा नीचे की और दबा दो | मैने मन ही मन खुश होते हुए, ठीक है दबा देता हु | फिर उन्होंने मेरे तरफ अपनी कान को किया और उनका गाल अब मेरे लंड की तरफ था, जब भी मै उनके कान के पास दबाता, उनका गाल मेरे लंड को भी दबा देता और ऐसा करते-करते कुछ ही पलो में मेरा लंड खड़ा हो गया | मुझे फिर से अजीब सा लगने लगा और फिर मैने भाभी से कहा, कि अब मुझे चलना चाहिए |
भाभी ने मुझे से रुकने की जिद की और बोली मेरे कान के पास दर्द हो रहा है, कुछ और देर दबा दे; जब मुझे थोडा सा आराम मिलेगा, तब तू चले जाना |
मै अब कुछ भी नही कर पा रहा था | उनके गालो के कारण मेरे लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चूका था | फिर कुछ देर के बाद वो बोली अरे ये क्या है ?जो मेरे गालो को लग रहा है |
मैने भोला बनते हुए कहा, क्या भाभी कुछ भी नहीं है | उन्होंने फिर मेरे पेंट का ज़िप खोल दिया और मेरे लंड को बाहर निकाल कर अपना गाल रख दिया और फिर लेट गयी, और बोली अब दबाव अब मुझे और आराम मिल रहा है | फिर कुछ देर के बाद हिलते हिलते वो अपना होठ मेरे लंड पर लगाने लगी थी | अब तो मुझे पक्का पता चल गया की उनके मन में क्या चल रहा है ? मगर फिर भी मै अनजान बनाने का नाटक कर रहा था | फिर वो अचानक से उठ गयी और मुझसे पूछाम तेरा क्या हाल हो रहा है?
मैने कहा, भाभी  मजा आ रहा है | ऊऊओ………..आआआआअ…….फिर उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और मेरे होठो को और मेरे गालो को चूमने लगी और फिर मुझे बोली की चल अब तू भी ऐसे ही कर मुझे | मैं भी फिर उनको चूमने लगा, गालो पर और होठो को चूसने लगा | मुझे भी अब मज़ा आने लगा | फिर कुछ १५ – २० मिनट तक हम दोनों एक दूसरे को चुमते और चूसते रहे | फिर हम दोनों अलग हुए और फिर उन्होंने मुझसे कहा की किसी को बताना नहीं | उसके बाद मैं फिर अपने घर को निकल पड़ा |
इसके बाद जब भी हम दोनों को मौका मिला, हम दोनों एक दूसरे को चूसते और चुमते रहते कभी कभी में एक कदम आगे बड जाता और उनके चुचे दबा देता |
फिर एक दिन मैने उनसे पूछा, कि आप भैया से खुश नहीं हो क्या ?
भाभी मुस्कुराकर बोली, ऐसी बात नहीं है | वो क्या है, कि तू मुझे अच्छा लगता है; इसीलिए मै तुझ से चुदना चाहती हू | मैने कहा, मैने तो आज तक किसी को नहीं चोदा; थोड़ी देर बाद हंसकर भाभी बोली, चिंता क्यों कर रही है | मै आपको सब कुछ सिखा दूंगी | तुझे सिखने का मन है ?
मैने खुश होते हुए बोला, नेकी और पूछ-पूछ | अभी तो उम्र हे मेरी सिखने की और उसके बाद, मै और भाभी दोनों मौका ढूंढने लगे |
फिर एक दिन वो घर पर अकेली थी, तब उसने मुझे बुलवा लिया, और जब तक मै पंहुचा उसने पूरी तरह से साज्श्रंगार कर रखा था | उसे देख के तो मेरी फट गयी, क्या लग रही थी और उसको देखकर मेरे लंड ने उसको सलाम बजाना शुरू कर दिया | उनके चुचे को मैने ध्यान से देखा; तो, देखा कि उसके चुचे कपड़ो मे से बाहर आने को बैचेन है | मैने उनको इस हाल में देखते ही उन्हें अपने गले से लगा लिया और झट से उनके होठो पर अपने होठ रख दिया और उन्हें जोर जोर से चूसने लगा |
कुछ देर के चूसने के बाद वो बोली की ऊपर के कमरे में चलते हे, तुम उपर चलो में दरवाजा लगा कर आती हू | मै ऊपर चले गया और वो दरवाजा लगाकर ऊपर कमरे मे आ गयी | उनको देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मै उनपर टूट पड़ा  और उनके कामुक होठो को चूसने लगा | उनके होठ आज काफी मीठे लग रहे थे, पहले से | मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मै उनके होठो को नहीं किसी मिस्री को चूस रहा हू | उनके होठो को चूसते चूसते उन्होंने अपनी जीभ से मेरे होठो को चाटने लगी और फिर मुझे बोली की अपनी जीभ से मेरे जीभ को छु आआआ…..ऊऊओ | मैने वैसा ही किया और मुझे काफी मज़ा आ रहा था, आज तो वो मुझ कामशास्त्र की टीचर लग रही थी |
फिर हम दोनों बिस्तर पर लेट गए और फिर उन्होंने मुझे अपने पुरे शरीर पर किस करने को कहा और मस्ती मे चूमने के लिए बोला | मैने उसके गाल, होठ, सर, हर जगह को चूमा | मेरे चूमें से वो भी पूरी तरह से मस्ती मे आ चुकी थी और मस्ती अपना कामुक शरीर हिला रही थी | अब मुझ से रुका नहीं जा रहा था और मैने बड़ी ही बेसब्री से उनके पुरे कपडे उतार दिये और अब वो मेरे सामने पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी | फिर उन्होंने मुझे कहा, कि अब तुम मेरे ऊपर आ जा और मुझे चुसो | फिर, मैने उसके चुचो को अपने हाथो में पकड़ा और कसकर मसलने लगा | उसके दोनों चुचे बड़े ही मजेदार थे और मै दोनों को बारी-बारी से मसल रहा था और वो भी मस्ती मै कामुक आवाजो के साथ आआआआ……ओऊ………..अपना बदन हिला रही थी |
फिर, भाभी ने मेरे सारे कपडे उतारकर पूरा नंगा कर दिया और हम एक दुसरे से लिपट गये | हम दोनों के नंगे बदन आपस मे चिपके हुए थे और उसके चुचे मेरी छाती मे धसे हुए थे और मेरा लंड उसकी चूत की घंटी पर टक्कर मार रहा था और उसके अंदर जाने को बैचेन था | भाभी, ने अपने हाथ नीचे कर लिए और मेरा लंड पकड़ लिया और जोर से खीचने लगी | मेरा शरीर मस्ती मे हिल रहा था ओऊ……क्या कर रही हो भाबी..वाह…मैने भी अपना हाथ उसकी चूत पर रख लिया और उसकी चूत को रगड़ने लगा | भाभी मस्ती मे थी और उसकी गांड हिल रही थी और वो जोर-जोर से चिल्ला रहीथी, साले….और कर…आआअ…ऊऊऊऊऊ..मस्त…तेरा लौड़ा मस्त है…चोद दे मुझे आज…आआआआआआअ…..ऊऊऊऊऊ……..
फिर उन्होंने मेरी एक जांघ को अपनी चूत के पास अपनी दोनों टांगो के बीच मे ले लिया | अब मेरा लंड उनकी चूत को बिलकुल छु रहा था और जब उनको उनकी चूत पर मेरे लंड की लम्बाई और मोती का अहसास हुआ, तो वो बोली साले, तेरा लंड तो छुपा रुस्तम है |  और फिर से मेरे लंड को अपने हाथो मे ले लिया और हँसते हुए, तेजी से अमर लंड अपने मुह मे ले लिया और फिर अपने मुह को आगे पीछे करके मेरा मुठ मारने लगी और मेरे लंड के टोपे को अपनी जीभ से सहला रही थी | आआआआअ……ओ..बस…….तुम सेक्सी हो मेरी जान…..आज तो तेरी जान ले लूँगा …..आआआअ…ऊऊओ…बस….
मैं तो एक दम सा पागल सा हुए जा रहा था | फिर वो अचानक से रुक गयी और बोली बस चोदने की बारी | इतना कहकर वो लेट गयी और मुझे बोली की चल अब मेरे ऊपर आ | मै जब उनके ऊपर आया तो उन्होंने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चुत के ऊपर रख लिया और अपनी चूत से रगड़ने लगी | उनके मुह से बड़ी कामुक आवाज़े निकल रही थी….आआआ…सी….सी…सी…आ…ऊ…आ…ओउच….औ
र अपनी गांड को सही तरीके से रखने के लिए, उन्होंने गांड के नीचे तकिया रख लिया और मुझे मेरा लंड चूत के ऊपर चलाने को कहा और बोला, कि रगड़ते हुए ही, धक्का मार देना | मैने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ना शुरू किया, तो वो मस्ती मै कसमसाने लगी और मचलने लगी और फिर मैने धीरे से एक धक्का मार दिया | मेरा लंड थोडा सा अंदर गया, मेरा लंड पहली बार किसी चूत मै जा रहा था, तो मुझे थोडा सा दर्द होने लगा | दर्द काफी हो रहा था, तो मै रुक गया | भाभी ने पूछा, क्या हुआ? मैने कहाँ, मेरे लंड की खाल छिल गयी है और काफी दर्द हो रहा है | भाभी बोली, कि कुछ न्हिया होगा, तेज धक्के मार, सब ठीक हो जायेगा और भाभी बैचेनी मे अपनी गांड हिलाकर मेरे लंड को अंदर लेने की कोशिश करने लगी |
मैने जैसा भाभी ने बोला, वैसा ही करना शुरू कर दिया | मैने जोर से धक्के मारकर, लंड को और अंदर डालना शुरू कर दिया | आआअ….ऊऊओ…मेरा दर्द बड़ रहा था और मुझे से दर्द शान नहीं हो रहा था |  लेकिन, भाभी मुझे बार-बार मुझे मेरे लंड को उनकी चूत में आगे पीछे करने के लिए बोलती रही | कुछ देर मे, मेरा दर्द कम होने लगा और मैने पुरे जोश मे लंड को चलाना शुरू कर दिया | अब मुझे से सहन नहीं हो रहा था | भाभी का शरीर काफी तेज चल रहा था और एक ही झटके के साथ उन्होंने अपना पानी छोड़ दिया | फिर, मुझे लगा; कि मै भी झड़ने वाला हु, तो मैने भाभी को बोला, कि भाभी अजीब से चुभन है, लगता है कुछ बाहर आने वाला है | भाभी समझ गयी और उसने मेरा लंड अपनी चूत से बाहर निकाल लिया अपने मुह पर रख लिया और मेरा गरम पानी एक ताज झटके के साथ भाभी के मुह मे चला गया | भाभी ने मेरा पूरा लंड अपने मुह मे ले लिया और मेरा लंड चूसने लगी | भाभी ने मेरे वीर्य की एक-एक बूंद चूस ली और मेरा लंड बिलकुल सुकड़ गया |
मुझे भी उस दिन बड़ा मज़ा आया और मेरा पहला कामसूत्र बहुत ही मस्त था | उसके बाद तो हम को जब भी मौका मिलता, हम एक दुसरे को मस्ती मे चोदते और मज़े लेते |







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Fentency मेरी माँ सेक्सी माँ

Fentency


मेरी माँ सेक्सी माँ

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम गुमनाम जी ! 
आपको तो पता ही है दिल्ली का मौसम ! यहाँ सर्दी में कितनी सर्दी और गर्मी में कितनी गर्मी पड़ती है। और ऊपर से बारिश वो भी सर्दियों में ! शामत ही आ गई समझो ! 
मेरे घर में हम तीन लोग हैं, मैं, मेरी माँ और मेरे पिताजी ! पिताजी ज्यादातर ऑफिस के काम से बाहर ही रहते हैं तो घर पर रह गए मैं और मेरी माँ !
मैं अभी 19 साल का हूँ और मेरी माँ की उम्र होगी 37 साल, मेरी माँ बला की खूबबसूरत है। 
उनकी खूबसूरती तो ऐसी है कि अगर आज भी वो घर से बाहर निकलती है तो चलने वाले सभी आदमियों की और लड़कों की लुल्ली पैंट में ही खड़ी हो जाती है। क्योंकि उनका फिगर है ही इतना लाजवाब 36-27-36 । 
मैं अभी कालेज में ही हूँ और अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ। 
इस रविवार को मैं घर पर ही था छुट्टी होने की वजह से तो जब मैं सोकर उठा तो मेरी माँ घर की साफ सफाई कर रही थी। 
माशा अल्लाह ! 
क्या लग रही थी वो ! 
सिल्की गुलाबी रंग के गाउन में उनके स्तन तो गाउन से बाहर निकलने को ही हो रहे थे। अगर ब्रा ना होती तो माँ के स्तन बाहर निकल चुके होते। और उनकी गांड तो मानो ऐसे मुझे उकसा रही थी कि आ बैल- मेरी मार। 
मैंने अपनी माँ को पहले कभी ऐसी नजर से नहीं देखा था पर मैं करता भी क्या ! 
मैं अभी उनके नितम्बों को देख कर सोच ही रहा था कि इतने में उन्होंने कहा- आज पूरे दिन पड़ा ही रहेगा या उठेगा भी ! बिस्तर से खड़ा हो ! मुझे यहाँ सफाई करनी है, कितना गन्दा कर रखा है यूने अपना कमरा ! 
मैं बोला- होता हूँ खड़ा ! 
और मैं खड़ा हो गया पर यह भूल गया कि मेरा लंड भी जोश में आकर खड़ा हो गया था, वो तो बस घुस जाना चाहता था माँ की गांड में ! 
मैंने उसे ठीक किया और बाहर आ गया। 
बाहर पिताजी अखबार पढ़ रहे थे। इतने में मेरे दोस्त मुझे बुलाने के लिए आ गए क्रिकेट मैच के लिए। 
मैं भी फिर जल्दी से नहा धोकर अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने चला गया पर पूरे दिन में अपनी माँ के सेक्सी ख्यालों में खोया रहा और उस दिन ढंग से खेल भी नहीं पाया। 
शाम को 6 बजे जब मैं घर पर आया तो घर बिलकुल सुनसान सा पड़ा था, लग रहा था कि कोई नहीं है। पर जब मैं अन्दर घुसा तो मैं तो हैरान ही रह गया। 
पापा मम्मी को चोद रहे थे। वो अब मेकअप करके किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। मैं यह सब बाहर दरवाजे के बगल में खड़ा होकर देख रहा था। क्या लग रही थी वो ! पापा मम्मी के बोबों को ऐसे दबा रहे थे कि आज ही सारा दूध निकाल लेना चाहते हो ! 
वो कह रहे थे- आजा मेरी जान ! अब तो महीने भर बाद ही मौका मिलेगा तुझे चोदने का ! 
शायद वो ऑफिस के काम से बाहर जा रहे थे। 
माँ ने कहा- तो जा क्यों रहे हो ? इस जान को छोड़कर मत जाओ न ! मेरा दिल नहीं लगेगा, इतने दिन में मैं तो पागल ही हो जाऊँगी तुम्हारे बिना ! 
क्यों चिंता करती हो? एक महीने बाद आ तो रहा हूँ मैं ! फिर से चोदूँगा तुझे मेरी जान ! पर काम तो काम है न ! वो तो करना ही पड़ेगा। 
माँ बोली- हम्म ! वो तो है मेरे राजा ! 
पापा ने कहा- चल अब घोड़ी बन जा ! काफी देर हो गई चूत मारते हुए ! 
तो माँ बोली- तुम मर्द लोगो को गाण्ड में ऐसा क्या मजा आता है? 
और उन्होंने मम्मी को घोड़ी बनाया और चोदने लगे। 
क्या आवाजें निकाल रही थी माँ चुदते हुए ! मेरा लंड तो फनफनाने लगा था उनकी अवस्था देख कर ! 
मैं मन ही मन सोच रहा था कि काश मैं अपनी माँ को चोद पाता ! क्या माल है वो ! 
आधे घंटे भर तक वो चुदाई-कार्यक्रम चला होगा और फिर पापा रात को ही मुंबई के लिए चले गए और माँ से कह गए कि मेरा ख्याल रखे। 
मैंने उस शाम का दृश्य देख कर कसम खाई कि एक बार तो माँ को जरुर चोदूँगा। 
दिन ऐसे ही निकलने लगे और माँ भी थोड़ा उदास सी रहने लगी। क्या करे, उन्हें लंड ही नहीं मिला था इतने दिनों से ! 
मुझसे माँ की यह बेचैनी देखी नहीं जा रही थी पर मैं उनसे कह भी तो नहीं सकता था। 
मैंने उनसे पूछा- माँ, इतनी उदास क्यों रहती हो तुम आजकल? 
तो वो बोली- कुछ नहीं बेटा, तेरे पापा की बहुत याद आ रही है, इतनी दिन हो गए न ! 
तो मैंने कहा- माँ मैं हूँ न पापा की जगह ! बोलो क्या हुआ ? 
तो वो बोली- तू क्या जाने एक औरत की मज़बूरी ! तू तो अभी बच्चा है। 
तो मैंने कहा- हाँ माँ ! मैं समझ सकता हूँ कि आप पर क्या बीत रही है ! पर मैं एक बात बता दूँ कि मैं बच्चा नहीं रहा अब ! पूरे 19 साल का हो गया हूँ ! और मेरा पप्पू भी। 
वो बोली- क्या कहा तूने ? 
मैं सकपका गया और कहा- सॉरी माँ, गलती से मुँह से निकल गया। 


और वो मेरे लंड को देखने लगी। मैं उस समय माँ से सॉरी बोलकर कॉलेज़ चला गया और काफी सोचता रहा कि यह मैंने क्या कह दिया ! माँ क्या सोचेगी मेरे बारे में..... 
पर माँ ने तो शाम के लिए कुछ और ही योजना बना रखी थी। 
कॉलेज़ खत्म करके जैसे ही मैंने घर के अन्दर कदम रखा, वैसे ही बारिश चालू हो गई। माँ ने मुझे देख कर कहा- आ गया मेरा राजा बेटा ! 
और यह कह कर वो छत पर कपड़े उठाने चली गई। उन्होंने उस समय वही गुलाबी सिल्की गाउन पहन रखा था। मैं भी उनके पीछे पीछे ऊपर चला गया तो वो मुझे देख कर बोली- तू ऊपर क्यों आ गया? भीग जायेगा ! चल नीचे जा ! 
मैं बोला- अरे माँ, मैं तो आपकी मदद करने के लिए ऊपर आया हूँ ! 
और आधे कपड़े उन्होंने उठाये, आधे मैंने, और नीचे आ गए। 
सीढ़ी उतरते वक़्त माँ मेरे आगे चल रही थी, मैं उनके पीछे ! 
उनके भीगे हुए मादक चूतड़ क्या लग रहे थे ! भीगने की वजह से उनका गाउन बिल्कुल उनके शरीर से चिपक गया था। मन तो कर रहा थ कि उनको गोदी में उठा कर उनकी इतनी गांड मारूँ कि सारा वीर्य ही निकाल दूँ ! 
नीचे आकर माँ कहने लगी- इस बारिश को भी आज ही आना था ! एक तो यह ठण्ड, ऊपर से बारिश ! चल कपड़े बदल ले, नहीं तो ठण्ड लग जाएगी। 
उस समय मैं माँ के दोनों स्तन देख रहा था जो गाउन में से झांक रहे थे। क्या संतरे थे- मानो कि अभी दबाओ तो कई ग्लास भर कर जूस निकलेगा उसमें से !उन्होंने मुझे देख कर कहा- क्या देख रहा है तू इधर मेरे उभारों को घूर कर ? 
मैं डर गया और कहा- कुछ भी तो नहीं ! 
तो वो बोली- मैं सब समझती हूँ बेटा ! माँ हूँ तेरी ! 
और यह कह कर वो बाथरूम की तरफ जाने लगी और कहने लगी- तू भी अपने कपड़े बदल ले, मैं भी अब नहा लेती हूँ ! 
क्या गाण्ड लग रही थी चलते हुए उनकी ! मैं मन ही मन तो उन्हें चोद ही चुका था और आज अच्छा मौका था उन्हें सचमुच में चोदने का ! 
मैं उनसे जाकर पीछे से लिपट गया। माँ एकदम से घबरा गई। मैंने कहा- माँ सॉरी ! मैं ऐसा कुछ नहीं देख रहा था जो आप सोच रही हो ! 
माँ से चिपकते ही मेरा लंड फुन्कारे मारने लगा था और इसका एहसास मेरी माँ को भी हो गया था क्योंकि उस समय मेरा लंड उनकी दरार में रगड़ मारने लगा था। शायद माँ समझ गई थी कि मैं उन्हें चोदना चाहता हूँ। 
उन्होंने कहा- चल छोड़ मुझको ! मैं तो बस मजाक कर रही थी ! 
शायद वो भी काफी दिनों से चुदासी थी इसलिए चुदवाना भी चाहती थी और उन्होंने मुझे पीछे से हटाकर अपनी छाती में समा लिया। मैं तो उनके वक्ष में खो ही गया था। 
क्या स्तन थे उनके ! मन तो कर रहा था कि दबा कर सारा दूध निकल लूँ ! 
फिर वो बोली- चल, अब जा ! कपड़े बदल ले ! मैं भी नहा लूँ ! 
तब वो बाथरूम में चली गई। 
मैं कहाँ मानने वाला था, उनके बाथरूम में जाने के बाद मैं उन्हें बाथरूम में देखने लगा दरवाज़े के छेद मैं से ! 
उन्होंने अपने धीरे-धीरे कपड़े उतारे। शायद उन्हें पता लग गया था कि मैं उन्हें छेद में से देख रहा हूँ और वो धीरे धीरे अपनी चूचियाँ दबाने लगी और सिसकारी भरने लगी- उह्ह्ह ह्म्म्मम्म ओह माय गोशह्ह्ह्ह आह्ह्ह अहा ओह्ह्ह और अपनी चूत में भी ऊँगली डालने लगी। वो यह सब कुछ मुझे दिखा रही थी जानबूझ कर ! 
और मैं भी बाहर खड़ा होकर अपना लंड दबा रहा था। 
क्या आवाजें थी- हम्म ओह्ह्ह होऊस्स्स ओह माय गुड फक मी .... 
मैं बाहर सब सुन रहा था पर कुछ नहीं बोला ! मन तो कर रहा था कि दरवाज़ा खोल कर अन्दर घुस जाऊँ ! 
पर मुझे लगा कि यह मेरा भ्रम भी तो होसकता है, शायद उन्होंने मुझे न देखा हो ! 
इतने में उन्होंने मुझे आवाज़ लगाई- अरे मेरे कपड़े तो बाहर ही रह गए ! जरा देना बेटा ! 
मैं घबरा गया और वहाँ से बाहर के कमरे में आ गया और डरते हुए पूछा- कहाँ हैं कपड़े? 
वो बोली- वहीं पर मेज पर रखे हैं ! 
मैं बोला- ठीक है। लाता हूँ ! 
वहाँ पर उनकी लाल रंग की ब्रा और चड्डी के साथ लाल रंग का गाउन रखा हुआ था। मैंने उन्हें उठाया और उनकी ब्रा और चड्डी को सूंघने लगा। क्या खुशबू थी उनमें ! भीनी-भीनी सी चूत की ! मानो जन्नत ! 
और फिर माँ को देने के लिए बाथरूम की ओर जाने लगा कि तभी माँ जोर से चिल्लाई- क्या कर रहा है ? इतनी देर हो गई तुझे? कहाँ मर गया? 
मैं बोला- ला तो रहा हूँ ! 
मैं जब बाथरूम के पास पहुँचा तो दरवाज़ा खुला हुआ था। मैं उन्हें कपड़े देने लगा, उन्होंने अपना हाथ बाहर निकाला और कपड़े ले लिए। 
मेरा मन किया कि मैं भी घुस जाऊँ ! क्या पता बात बन ही जाये ! 
और दरवाजा खुला होने के कारण मैं भी बाथरूम में घुस गया। माँ को पता नहीं लगा क्योंकि उनका मुँह पीछे की तरफ था, वो ब्रा पहन रही थी। मैंने उन्हें पीछे से जाकर पकड़ लिए और उनके मम्मे दबाने लगा। 
वो एकदम से घबरा गई और बोली- कौन है? 
उन्होंने जैसे ही पीछे मुड़ कर देखा तो मुझे देख कर सबसे पहले उन्होने मुझे कस कर चांटा जड़ दिया और कहने लगी- क्या कर रहा था यह? तुझसे शर्म नहीं आती अपनी माँ के साथ ऐसा करते हुए? पर मैं तो मानो सब कुछ भूल ही गया था उस समय। मैं उनके उरोजों से चिपट गया और उन्हें चूसने लगा। 



दरवाजा खुला होने के कारण मैं भी बाथरूम में घुस गया। माँ को पता नहीं लगा क्योंकि उनका मुँह पीछे की तरफ था, वो ब्रा पहन रही थी। मैंने उन्हें पीछे से जाकर पकड़ लिए और उनके मम्मे दबाने लगा। 
वो एकदम से घबरा गई और बोली- कौन है? 
उन्होंने जैसे ही पीछे मुड़ कर देखा तो मुझे देख कर सबसे पहले उन्होने मुझे कस कर चांटा जड़ दिया और कहने लगी- क्या कर रहा था यह? तुझसे शर्म नहीं आती अपनी माँ के साथ ऐसा करते हुए? पर मैं तो मानो सब कुछ भूल ही गया था उस समय। मैं उनके उरोजों से चिपट गया और उन्हें चूसने लगा। 
इससे पहले कि वो मुझे कुछ कहती, मैंने उनकी चूत में ऊँगली डाल दी और घुमा दी। 
और इसके बाद तो शायद माँ को भी लगा कि अब इसने इतना कुछ कर लिया है तो अब क्या रोकूँ इसे, क्योंकि वो भी तो सेक्स करने के लिए तड़प रही थी इतने दिनों से ! 
और माँ सिसकारी भरने लगी- उह्ह्ह ह़ा हाह आःह्ह्ह जालिम शर्म कर ! मैं तेरी माँ हूँ ! कम से कम मुझे तो बख्श दे ! शर्म कर थोड़ी ! 
तो मैंने कहा- माँ, आप बहुत सेक्सी हो ! मैं तो आपको कब से चोदने की फ़िराक में था ! आज मौका मिला है तो कैसे हाथ से जाने दूँ? आज मत रोको ! समा जाने दो मुझको तुम्हारे अन्दर ! नहीं तो मैं मर जाऊंगा माँ ! 
तो वो बोली- अच्छा ठीक है कम्बखत मारे ! अब तुझे क्या कहूँ? कुछ कहने लायक नहीं छोड़ा तूने तो ! जो करना है कर लेना ! पर अभी बाहर जा ! मैं कपड़े पहन कर बाहर आती हूँ ! कम से कम चैन से कपड़े तो पहन लेने दे। बाहर आने के बाद जो करना है, कर लेना। 
मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने कहा- नहीं पहले तो मैं आपको खूब चोदूंगा अभी ! 
और इतनी देर में मैंने अपना लौड़ा निकाल कर उनकी चूत पर लगा दिया। 
वो एकदम से चिल्ला पड़ी- ऊई माऽऽऽ आऽऽ आ मार डाला जालिम ! 
जैसे ही मैंने उनकी चूत मैं लोडा डाला- उईऽऽ मांऽऽ मार डाला तूने तो ! अहह हूह्ह म्मम्म म्मम्म हह्म्म्म उह्ह्ह ! 
और मैं धीरे धीरे धक्के लगाने लगा क्योंकि यह मेरा पहला सेक्स था तो मैं जल्दी झड़ने वाला था, मैंने माँ से कहा- माँ, मैं झड़ने वाला हूँ ! क्या करूँ? 
वो बोली- निकाल दे अपना वीर्य मेरी चूत में ! बना दे मुझे अपने बच्चे की माँ ! 
और मैंने सारा वीर्य उनकी चूत में छोड़ दिया। अब मैं बिल्कुल शांत हो चुका था पर माँ के अन्दर चुदाई करने की तमन्ना जाग गई थी। माँ मुझे देख रही थी और कहने लगी- पड़ गई तुझे शांति? चोद लिया तूने साले अपनी माँ को ? चोदते समय शर्म नहीं आई? तूने तो अपनी आग तो बुझा ली अब मैं क्या करूँ साले? चल अब बाहर जा ! मुझे दोबारा नहाना पड़ेगा। सारा गन्दा कर दिया मुझे। अब क्या मुँह दिखाऊँगी मैं तेरे पापा को ! 
और मैं बाहर आ गया। कुछ देर बाद वो भी बाथरूम से बाहर आ गई और अपने कमरे में चली गई। तब तक मैं भी अपने कमरे में जा चुका था। करीब आधा घंटा हो चुका था इस बात को। 
मैं भी काफी शर्म महसूस कर रहा था, तो मैंने सोचा कि क्यों न माँ को जाकर सॉरी कह दूँ ! 
मैं उनसे माफ़ी मांगने उनके कमरे की तरफ जाने लगा, पर जैसे ही मैं उनके कमरे में पहुँचा तो वो तो सज-धज कर खड़ी हुई थी बिल्कुल 18 साल की लड़की की तरह लग रहा थी। उनके बड़े बड़े स्तन मानो कह रहे थे- आओ और हमें खा जाओ ! 
उनका यह रूप देख कर लग रहा था जैसे कि आज मानो उनकी सुहागरात हो ! 
मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था। शायद माँ को चुदवाने की हुड़क चढ़ चुकी थी, वो कहने लगी- इधर आ ! मुझे तुझसे कुछ बात करनी है ! 
मैंने कहा- माँ सॉरी ! प्लीज पापा से मत कहना ! 
और मैं उनकी छाती से चिपट कर रोने का नाटक करने लगा। क्या खुशबू आ रही थी उनके वक्ष से ! 
तो उन्होंने मुझसे पूछा- बेटा जो हुआ उसे भूल जा ! और एक बात बता कि क्या मैं तुझे इतनी जवान लगती हूँ कि तुझे इतनी भी शर्म नहीं आई और तूने ऐसा कर दिया? 
मैंने कहा- गलती हो गई माँ ..... 
वो बोली- चल ठीक है, कोई बात नहीं ! अच्छा एक बात बता, तू क्या फिर से मुझे चोदेगा? 
मैंने कहा- नहीं ! 
तो वो बोली- चल पगले ! इतनी मेहनत से तैयार हुई हूँ मैं चुदने के लिए और तू मना कर रहा है ? तेरे लंड ने तो मेरी चूत में आग लगा दी है, अब इस आग को तो तू ही बुझाएगा मेरे राजा ! चोद डाल मुझे । फाड़ दे मेरी चूत ! निकाल दे आज सारी जलन मेरी चूत की ! 
और उन्होंने मुझे अपने वक्ष में दबा लिया और कहने लगी- पी ले सारा दूध इनका ! कुछ मत छोड़ इनमें ! समा जा मेरे अन्दर ! 
मैं भी मन ही मन खुश हो गया और कहने लगा- मेरा तो जैकपॉट लग गया है आज ! 
मेरी मुराद पूरी हो रही थी एक ही दिन में दो बार ! 
मैंने कहा- ठीक है माँ ! आप इतना कहती हैं तो ! 
मैं उनकी चूचियाँ दबाने और चूसने लगा ब्लाऊज़ के ऊपर से ही। 
मैंने कहा- माँ, मैंने कभी सुहागरात नहीं मनाई ! मैं आपके साथ सुहागरात मनाना चाहता हूँ । 
तो वो बोली- अब तो मैं पूरी तेरी हूँ, जो करना है वो कर ना। 
मैंने कहा- ऐसे नहीं ! जैसे टीवी पर, फिल्मो में दिखाते हैं, धीरे-धीरे ! 
तो वो बोली- अच्छा तो तू ये सब चीजें भी देखता है? 
मैंने कहा- और नहीं तो क्या ? माँ, अब मैं बड़ा हो गया हूँ न इसलिए ! 
वो बोली- ठीक है, मैं तो पहले से तैयार हूँ, तू भी तैयार हो जा ! फिर हम दोनों माँ-बेटे पति-पत्नी बन कर सुहागरात मनाएंगे। 
बाहर आकर नहाने के लिए बाथरूम में गया और सेंट लगाकर, अपनी शेरवानी पहन कर मैं तैयार हो गया और माँ के कमरे में आ गया। 
वो तो तैयार बैठी थी, टीवी पर ब्लू फिल्म देख रही थी। 
मैंने कहा- माँ, यह क्या है? 
वो बोली- अब क्या करूँ? तेरे पापा तो काम से ज्यादातर बाहर ही रहते हैं, तो मुझे भी तो अपनी प्यास बुझानी होती है न। 
तो मैं बोला- अब आगे से जब भी पापा बाहर जाएंगे तो मैं आपको चोदूँगा ! मैं आपका छोटा पति ! 
वो बोली- अरे हाँ हाँ ! मेरे स्वामी अब तो आप भी मेरे दूसरे स्वामी हो। 
और मैंने उनको उठाया और उनसे इस तरह चिपक गया जैसे दो जान एक शरीर ! बिल्कुल जैसे सांप सेक्स करते हैं। मैंने उनको ऊपर से नीचे तक इतना चूसा कि वो कहने लगी- अब डाल दे लौड़ा मेरी चूत में जालिम। अब छोड़ मेरे चूचे ! डाल दे अब मेरी चूत में ! फाड़ दे मेरी चूत ! अब नहीं रुका जाता। 
मैंने कहा- अरे इतनी जल्दी क्या है माँ ! थोड़ा रुक ! तुमसे ज्यादा तो मैं प्यासा हूँ। आज तो मैं तुम्हें इतना चोदूंगा कि तुम आगे से कभी भी पापा के साथ सेक्स करना पसंद नहीं करोगी। 
वो बोली- हम्म ! तू तो बड़ा ज़ालिम है बेटा ! इस चूत पर हक तो तेरे पापा का ही है। इस मकान में तो तू केवल किरायेदार है बेटा ! 
मैंने बोला- हम्म वो तो है ..... 
और मैंने उनको अपनी बांहों में लेकर बिस्तर पर लेटा दिया और अपने सारे कपड़े उतार दिए और सबसे पहले उनके होंटों को कम से कम दस मिनट तक चूसता रहा और बीच बीच में उनकी चूत भी साड़ी के ऊपर से सहला रहा था और वो सिसकारियाँ भर रही थी। 
मैंने धीरे-धीरे उनके कपड़े उतारे और लगभग पूरा नंगा कर दिया, केवल ब्रा और पैंटी रह गई थी वो भी लाल रंग की। 
मैंने कहा- तुम तो इतनी खूबसूरत हो कि मैं तुमसे शादी कर लूँ और तुम्हें रोजाना इतना चोदूँ, इतना चोदूँ कि अब क्या बोलूँ कि कितना चोदूँ। 
तो वो बोली- तो चोद ना साले ! मैं तो मरी जा रही हूँ कबसे ! अब तो मैं पूरी तेरी ही हूँ ! जब चाहे तब चोद मैंने कब मना किया है 
मैं उनकी ब्रा उतारने लगा और इतने में उन्होंने मेरा लौड़ा अपने हाथ में ले लिया, उसके साथ खेलने लगी, कहने लगी- बाथरूम में तो इसकी लम्बाई ढंग से नहीं नाप पाई, पर यहाँ पर तो इसको पूरा खा जाऊंगी ! 
दस मिनट तक उन्होंने मेरे लौड़े को चूसा होगा। 
मेरा लंड भी अब पूरे उफान पर था और फाड़ देना चाहता था माँ की चूत को। 
जिस बात का मुझे इतनी दिनों से इंतज़ार था वो सपना पूरा होने वाला था। 
माँ के दोनों संतरे मानो ऐसे लग रहे थे जैसे तो बड़े-बड़े खरबूजे ! मैंने कहा- माँ, इनको तो मैं खा जाऊंगा। 
माँ तो खुशी के मारे जैसे उछल रही थी। 
और मैंने अपना लंड माँ की चूत में बाड़ दिया और फिर चालू हुआ माँ-बेटे की चुदाई का कार्यक्रम ! वो बीच बीच में इतनी तेज चिल्ला रही थी, कह रही थी- बेटा चोद दे आज अपनी माँ को ! घुस जा पूरा इसके अन्दर ! फाड़ डाल इसको। ह्म्मम्म हाआअहाह उह्ह्हह ह्म्म्म मैं तो मर जाउंगी ....उह ह्म्मम्म उह्ह्ह 
और मैंने तेज-तेज झटके लगाने चालू कर दिए। कम से कम आधे घंटे चूत मारने के बाद मैंने कहा- माँ, अब घोड़ी बन जाओ, मैं तुम्हारी गांड मारूँगा। 
तो माँ ने घोड़ी बन कर अपनी सुडौल गाण्ड पीछे की ओर उभार दी और कहा- तुम मर्द लोगों को गांड में ऐसा क्या मजा आता है? 
मैंने कहा- माँ गांड और चूचियाँ ही तो तुम्हारी जान है ! और तुम कह रही हो कि क्या मजा आता है? इनको देख कर तो मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है और इन्हीं चीजों को लेकर तुम औरतें इतना इतराती हो। 
उन्होंने एक सेक्सी सी मुस्कुराहट दी और गांड को सेक्सी तरीके से हिलाने लगी। मैंने धीरे-धीरे से लण्ड गाण्ड में डाल दिया और मां मस्त हो गई। 
बहुत आनन्द आ रहा था मुझे गांड मारने में। मम्मी की गाण्ड को मैंने बहुत देर तक बजाया। मम्मी भी, जब तक मैं नहीं झड़ गया, तब तक चुदती रही और मेरा पूरा साथ दिया..... 
मैं झड़ चुका था और माँ भी.... 
तो माँ ने कहा- रुको, अब थोड़ा आराम कर लो बेटा ! 
मैंने कहा- हाँ माँ ! मैं भी बहुत थक गया हूँ.... 
तो वो बोली- चल तू यहीं रुक ! मैं तेरे लिए दूध लाती हूँ ..... 
माँ जैसे ही उठी दूध लाने के लिये, मैंने फिर से गोदी में खींच लिया और उनकी चूचियों को अपने मुख से दबा लिया और चूसने लगा और कहा- मेरा पैष्टिक दूध तो यह रहा माँ ! तुम तो मुझे बचपन में यही दूध पिलाती थी ना ! 
तो वो बोली- अरे ! तू नहीं सुधरेगा ! थोड़ी देर भी नहीं इंतज़ार कर सकता ? 
मैंने कहा- माँ, ऐसा मौका फिर कहाँ मिलेगा? आज के बाद पता नहीं कब मौका मिलेगा ! 
और मैंने दूध मुंह में भर लिए और मां गुदगुदी के मारे सिसकारियाँ भरने लगी। 
मेरा लण्ड फिर से फ़ुफ़कारने लगा था तो मैंने कहा- माँ यह तो फिर से खड़ा हो गया ! 
तो वो बोली- तो देर किस बात की? आ जा एक बार फिर ! 
मां ने अपनी दोनों खूबसूरत सी टांगें उठा ली। मां अपनी टांगें ऊपर उठा कर उछल-उछल कर चुदवा रही थी और मैं भी उन्हें काफी उछल-उछल कर चोद रहा था। मां को इस रूप में मैंने पहली बार देखा था, वो काम की देवी लग रही थी।माँ ने कहा- लगता है जिन्दगी भर की चुदाई आज ही कर डालोगे ! 
मैंने कहा- और नहीं तो क्या ! 
और मैंने तेज-तेज झटके मारने चालू कर दिए और सारा कमरा फिर से आवाजों से गूंजने लगा।उस रात मैंने उनको दो बार और चोदा। 
अगली सुबह मेरी आँख दोपहर को तीन बजे खुली। मैं उठा और अपने कमरे में जाने लगा पर जैसे ही मैं बाहर आया, माँ झाड़ू लगा रही थी। उन्होंने गुलाबी सिल्की गाउन पहन रखा था वो उस समय झुकी हुई थी। मैं पीछे से चुपचाप गया और उनकी गांड के छेद पर अपना लंड लगा दिया। 
वो बोली- जगा गया मेरे राजा ! चल अब नहा धो ले ! फिर खाना खा ले ! 
मैंने कहा- ठीक है पर एक ट्रिप लेने के बाद ! 
मैंने उनको एक बार फिर से चोदा। अब जब तक पापा नहीं आ जाते, मैं उन्हें रोजाना चोदने वाला था। फिर से पूरा घर सेक्सी आवाजों से गूंज गया और फिर से एक बार हम दोनों माँ-बेटे पति-पत्नी बन गए। 
काफ़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड़ गया और माँ भी ....तो माँ ने कहा- पड़ गई तुझे शांति ! तो जा अब नहा ले ! 
मैंने कहा- ठीक है। 
और रात भी मैंने मा को 5 बार फिर से चोदा.... 
अब मुझे यह बताओ कि आपको यह कहानी कैसे लगी।










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