Tuesday, December 30, 2014

Fentency बड़े साले की बीवी

Fentency


बड़े साले की बीवी

 
सुनीता एक शादी शुदा और दो बच्चो की माँ है. वो मेरे बड़े साले की बीवी है. मुझसे करीब १० साल बड़ी यानी की ४० साल की… लेकीन उसे देखकर लगता है की उसकी उमर ३०-३२ की होगी, गोरा रंग, ३४ ३० ३६ का फीगुर , उसके बाल लंबे है और कुलहो तक आते है, खुले बाल ले कर जब वो कुल्हे मटकते हे चलती है तो आग सी लग जाती है.
मुझे उसकी नज़रों से लगता था की वो मुझे चाहती है. मेरे सामने उसकी हरकते बड़ी मादक होती थी,छेडछाड और मज़ाक वगैरह, कभी कभी ऐडलट जोकेस भी.
लेकीन उसने कभी लीमीट नही क्रॉस की थी और उसकी येही अदा मुझे उसकी तरफ खीचाती थी.उससे मील के आने के बाद मैं बेचैन हो जता था और उस दीन सुधा (मेरी पत्नी ) को बुरी तरह चोदा था, वो भी कहती थी आज क्या हो गया है..उफ़ मर डालोगे क्या.. वो बेचारी वैसे ही मेरे मोटे लंड से खौफ खाती थी, पहली रात की चुदाई के बाद ही उसने मुझसे वादा लीया था की मैं उसके साथ अहीस्ता और सलीके से सेक्स करु… बेचारी को क्या मालुम की मैं उसे नही सुनीता भाभी को चोद रह हु.(मैं उन्हें भाभी कहता हू)….और सुनीता भाभी को तो ऐसे ही चोदना होगा…तभी मजा आयेगा… मैं दीन रात उस मौक़े की तलाश मे रहता था…. और एक दीन वो मौका आ ही गया..
हुआ यु की मेरी Wife और उसके भाई यानी भाभी के हसबंड को अपने कीसी property के सिल्सीले मे अपने पुश्तैनी गांव मे जाना था, मुझे भी उन्होने चलने के लीये कहा लेकीन मुझे ऑफीस मे कुछ जरुरी काम था.
मैं उन्हें सुबह स्टेशन पर छोडने गया.. तब भाई साब ने कहा सुनीता अकेली है और बच्चे भी नाना के यहाँ गए है एक महीने के लीये. तुम शाम को एक फ़ोन कर लेना घर पर या फीर घर जा के आना. मैंने कहा जी ठीक है.और मैं वही से ऑफीस चला गया.शाम को लौटने मे देर हो गयी करीब ७ बज चुके थे. अचानक सेल पर मेरी बीवी का फ़ोन आया… अरे भाभी का फ़ोन नही लग रहा ..तुमसे कोई बात हूई क्या? मैंने कहा “नही”
“प्ल्ज़ जरा उनके घर जा कर आओ”
मैंने कहा ठीक है..लेकीन अचानक मेरे दीमाग मे घंटी भाभी..”यह गोल्डन चांस है ” आज seduce करो और चांस मीले तो ………. कम कर लो.
मैंने t शर्ट और जींस पहना , एक अच्चा वाला सेंट स्प्रे कीया और कार लेकर चल पड़ा उनके घर.
उनका घर दोमंजीला है
मैं वहा पोहुचा तो आवाज़ दी .. भाभी………
कोई आवाज़ नही आयी..
फीर दरवाज़ा खटखटाया.. . तब हलकी आवाज़ आयी तुम रुको मैं आती हू
थोड़ी देर मे दरवाजा खुला..ऊऊउफ़् भाभी के बाल थोड़े बीखरे हुये उनके चहरे पर आ गए थे और सीने पर दुपट्टा नही .. क्या मस्त चुचीयां है… मेरी बीवी की इनके सामने कुछ भी नही…” आओ..
“भाभी आपका फ़ोन बंद है क्या”
“मालुम नही, वैसे बोहोत देर से कीसी का फ़ोन आया नही”
मैं फ़ोन का रेसिएवर उठाया..”ओह भाभी ये तो बंद है”
मैंने अपने सेल पर सुधा का फ़ोन लगाया ” हाँ सुधा भाभी का फ़ोन बंद है .. लो भाभी से बात करो.”
Un दोनो ने कुछ बात की फीर भाभी ने कहा तुम थोडा बैठो मैं ऊपर स्टोर मे से कुछ समान और बीस्तर नीकाल रही हू
वहं का बेड साफ कीया अभी और भी थोडा काम है फीर चाय बनाती हू..”
मैं चुप रहा और उन्हें देखता रहा उन्होने मेरी तरफ देखा और कहा “लगता है सुधा की बोहोत याद आ रही है;” और एक Sexy smile दी.
मैं तो तड़प गया, फीर वो उनके Sexy कुल्हे मटकते सीडीया चढ़ने लगी और कहा”तब तक तुम tv देखो”
मैं अपने को रोक नही सका और ५ min. बाद मैं भी सीडीयाँ चढ़ के ऊपर पोहचा, वहा भाभी की पीठ मेरी तरफ थी और वो बेड को ठीक कर रही थी
मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लीया…
” क्या कर रहे हो”
“प्यार””अभी अपने कहा ना सुधा को मीस कर रहे हो: मैं उसे नही आपको मीस कर्ता हू भाभी”
“बदमाशी मत करो”और मैंने अपने लंड को उनके हिप्स पर दबाया.. जो अब थोडा कड़क हो रहा था.. वहा लगते ही उसकी साइज़ बड़ने लगा .वो मुझसे छुटने की कोशीश करने लगी ..मेरा हाथ उनके चुचियों पर पोहुच गया..मैंने उनके गर्दन पर पीछे किस कीया..
“अमजद प्ल्ज़ ये गलत है”
“क्या गलत है भाभी”
“मैं सुधा की भाभी हू”
तो क्या हुआ..आप इतनी हसीं हो की मेरा दील मचल गया है अपके लीये.
उनकी गांड मे घुसने जा रह था आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् धीईरे…… मैंने हाथो से.उनकी चुह्की और जोर. से दबायी नहीई करूऊऊ.
मेरा लुंड पुरा तिघ्त हो कर.
कर रही है…….
“नहीई”
मैंने हाथो से उनकी चुच्ची और जोर से दबायी
आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् धीईरे
ये सुन कर मैं समझा गया भाभी चुद्वाना तो चाहती है…लेकीन नखरे कर रही है.. मेरा लंड पुरा tight हो कर उनकी गांड मे घुसने जा रह था.
अब वो भी अपनी गांड मेरे लंड पर दबा रही थी
मैंने उनकी कमीज़ के अंदर पीछे से हाथ दाल दीया.. नरम पीठ से होता हुआ मेरा हाथ सीधे ब्रा के हूक पर गया
मैंने उसे जोर से खीचा वो टूट गया…….
क्या कर रहे हो?
आप प्यार से नही करने दे रही है
क्या नही करने दे रही हू ?????
और वो घूम गयी, मैंने इस मौक़े पर एकदम उनका चेहरा पास लाया और उनके रसीले लाल होटो पर मेरे होट चीप्का दीये.. पहले तो वो मुह इधर उधर करने लगी..फीर थोड़ी देर बाद मेर होटो को जगह मील गयी…….. वो लम्बा चुमबन.. गीला……. ……ऊओह् .. और भाभी मुझसे दूर हटने लगी.. मैने फीर भी नही छोडा उन्हें
और अब उनकी गांड जोर से पकड़ के खीचा.. मेरा लंड उनके पेट पर लगा…. उनके हाथ झटके से मेरे गले पर आ गए..फीर एक बोसा…
इस बार गांड दबाते हुये और उन्होने मुह मेरे मुह से नही हटाया…… ..
मैंने उनके कमीज़ को ऊपर करना शुरू कीया…और गले तक ले आया, उनके हाथ ऊपर कीये और निकल दीया…..
“क्या कर रहे हो”
“प्यार भाभी”
मैंने अपना कुरता भी अब नीकला…
वो जाना चाहती थी लेकीन कमीज़ नीकल गयी वो ऊपर पूरी नंगी थी जली वाला ब्रा था और उसमे से उनके अंगुर जैसे काले नीप्पल दीख रहे थे
मैंने देर नही की झपट के उन्हें पाकर और नीप्पल पर मुह लगाया..
“आआआआआआआह्ह्ह्ह् हा अमाजाद्द्द्द्द. .. मैं तुमसे बड़ी हूऊ.. ये मत करो..” लेकीन मेरा सीर उन्होने अपनी छाती पर दबा लीया
मैंने पीछे हाथ कीये और .. ब्रा का हूक तोड़ दीया .. बड़ी बड़ी दुधीया चुचीया बहार मेरे हाथो मे आ गयी.. जोर से दबयेया.
ऊऊऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् फ्फ्फ धीईरीईईईई इतने ज़ोर से मत दबाऊऊऊऊऊ”
मैंने कुछ सुना नही, उनके बिस्तर पर धकेला… उनके पैर नीचे लटक रहे थे… मैंने सलवार की येलास्टिक खीची तो साथ मे Pink कलर की पैंटी भी नीचे आ गयी.. बजीईईईइ- अमजाद्द्द्द्द्द्द क्या कर रहे हूओओ.. मुझे खराब मत करो… लेकीन उन्होने गांड उठा दी और सलवार नीकाल आयी और पैंटी भी… चुत.. पर छोटे छोटे बाल थे..
मेरा तो लंड अब बेकाबू होने लगा…….. . भाभी की गांड पर हाथ फेरा और ज़ोर से मसल दीया,..
आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह …प्ल्ज़ मत करूऊऊ… . वो उछाल पडी… क्या गोरी और चीक्नी गांड थी उनकी. मैंने आब अपने कपडे उतरना शुरू कीया.. इस मौक़े का फायदा उठा कर भाभी उठी और कपडे उठा कर जल्दी से नीचे भागी
मेरी पैंट आधी खुली थी.. मैंने पूरी खोली , उसे वही फेका और अंडरवीयर मे उनके पीछे भगा वो अपने बेड रुम मे घुस गयी दरवाजा बंद दीया… मैं दरवाजे के पास गया और हलके से धकेला….दरवाजा खुल गया भाभी वैसी ही बेड पर उलटी लेटी हूई है..मैं समझ गया…. मैं उनके पीछे गया.. मैंने अपना अंडरवीयर भी नीकाल दीया..मेरा कला मूसल जैसा ९” का लंड छिटक कर बहार आ गया. मैं पीछे से उन्हें मेरा लंड टौच कीया…वो चौंक कर पलटी….आआआआआ ओछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ …. मुझे क्यों परेशां कर रहे हो..और ये क्या……… ……. ही अल्ल्लाआआआह्ह्ह्ह्ह्ह् इतना बड़ा और मोटा…….. . बाप रे… सुधा तो रोती होगी?
“उसकी बात चोर दो भाभी” लेकीन आप को तो ये अच्चा लगेगा. मैंने फीर से उन्हें दबोच लीया..अब मेरा लंड उनके पेट के पास था… मैंने उनकी चुचीया ज़ोर ज़ोर से मसलन शुरू कीया और उनके होट चूमने लगा…इसबार वो सीर्फ आआआआह् नही..ऊऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्. अमजद मत्त्त्त्त्त्त्त करू..लेकीन साथ मे मुझसे लीपटी जा रही थी
मेरे लंड का प्रेचुम उनके पुरे पेट को गीला कर रह था.
मैंने उनसे कहा इसे पकडो ना…..और उनका हाथ मेरे लंड पर लगाया..उन्होने बदमाशी की और उसे पकड़ के जोर से दबा दीया..”आआआआआह् भाभीभी…………., पयार से सह्लाओ”
“क्या प्यार से इतना मोटा”..भाभी पुरानी खीलाडी थी लेकीन फीर भी कहा तुम्हारा बोहोत लम्बा और मोटा है……… ….. तुम आज मुझे बर्बाद कर के चोडोगे.
मैंने कुछ नही कहा और उनके गोरे पेट को सहलाते हुऐ जीभ से गीला करने लगा…….. …भाभी मुझे धल्केल रही थी लेकीन उन्होने मेरा लंड नही छोडा ….
मैंने अब सीधे उनके पैर फैला दीये…मेरा मुह उनके पैरो के बीच रखा और चूमा…आआआआआअ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ कीत्ने गंदे हो..वहा क्यों मुह लगा रहे हो?
“भाभी अभी आप कुछ मत कहो”
“तुम भाभी भाभी कहते हो, कहते हो इज्जत कर्ता हु…ये इज्जत का तरीका है……… ..उयीईईईईई ईईईईइ. ……… .” मेरी जीभ चुत के अंदर दखील हो गयी और मैं अंदर गोल गोल नाचने लगा…….. ….आआआआह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्छ अम्जाद्द्द्द्द मैं पागल हो रही हूऊऊ.ये मत्त्त्त्त्त्त्त करूओ प्ल्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज़. . मैं तुम्हारी भाभी हूऊउ.
लेकीन मुझे अब उनकी गुलाबी चुत और उसके अंदर का नमकीन पानी ही याद था..मैंने तेजी से चाटना शुरू कीया..भाभी अपनी गांड उछालने लगी थी……. अमजद्द्द्द्द ………… अ..मम…ज्जाद्द्द्द D हरामीईइ ये क्या कर रह हैईई..आआअह्ह्ह्ह्ह् , भाभी का बदन अकडने लगा था…उनका पानी नीकलने वाला है ये मैं समझ गयाआआ… ..अब मैंने अपनी एक ऊँगली उनके मुह मे डाली उन्होने कट ली फीर उसे धीरे धीरे चूसना शुरू कीया..मैंने पोसीशन बदली और उन्हें उठाया…… .कीनारे पर मैं बैठ गया ..और उनसे कहा नीचे आओ
“क्यों”
आओ तो
वो नीचे आयी मैंने उन्हें घुटनों पर बीठाया
मेरा लंड उनके मुह के सामने था…वो तो तड़प रही थी फीर भी उठ कर जाने लगी.. मैंने जबरदस्ती बीठाया और लंड को उनके गालों पर राग्डा… फीर होटो पर रख कर कहा इसे कीस करो……
वो मेरी तरफ देखने लगी… मैंने उनके सीर को पकड़ा और लंड को होटो पर राग्डा.. चाहती तो वो भी थी…पहले थोडा चाटा जीभ से फीर होटो को खोला और लंड का सुपाडा मुह मे लीया…मैंने देखा उनके छोटे मुह मे लंड नही जा रह था.. बोहोत मोटा जो है.. मैंने सीर को कास के पकड़ा उअर दबाया ले साली….. . बोहोत दीनो से तडपा रही हो…. अपनी चूची और चूतर दीखा दीखा के.. अउब उन्होने चूसना शुर कीया मैं तो जन्नत मे पोहुच गया था..ऊऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् बजीईईईईईई मज़ा आ रह है……… . थोड़ी देर बाद मुझे लगा की मेरे गोटीयों मे सुजन आ रही है मेरा हो जाएगा…. मैंने भाभी को उठाया और बेड पर लीटा दीया
पैर नीचे लटक रहे थे… पैरो को उठाया..
” नही प्ल्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज़. .. अभी मैं सैफ नही हूऊऊऊउ.. .. मैं माँ बन जौन्गीईइ.. नहीईई. मैंने कहा फीक्र मत करो मैं बहार नीकाल लूँगा
और पैरो को फैलाया अपने कंधे पर रखा….. लंड को चुत के ऊपर रगड़ना शुरू कीया……
“भाभी कैसा लग रह है”
“हरामजादे अपने लंड को मेरी चुत पे लगा के भाभी कह रह हैईईई… ..अब जल्दी कर जो करना है”
ये सुन कर मुझे तो जोश आ गया और आपना लंड उसकी चुत पे धीरे धीरे रगड़ने लगा रगड़ता रहा र्ग्डता रहा भाभी को छट्पटाता हुआ देख के मुझे बहुत मजा आ रहा था !! फीर मेने भाभी के मुम्मे दबाने लगा !! वो बोली मादर्चोद और कीतना तड़येगा !! मैं हंसा और अपाना लंड उसके छेद पर रख कर दबाया.
भाभी तड़प उठी…….ऊऊओह्ह्ह् ह्ह्ह मर गयीईई माद्र्र्र्र्र्चोदददद निकल्ल्ल्ल्लल्ल्ल निकाआल्ल्ल. …… बोहोत मोटा हैह्ह्ह्ह.. मैं मर जाऊगीईईईइ. … ” मैं रूक गया. और उसे लंड को बहार खीच लीया. भाभी ने आंखे खोली….और पुछा”अब क्या हुआ?” मैंने कहा अपने कहा नीकाल ईसलिए नीकाल लीया”
“हरामी क्यों तडपा रहा हईई… अब जो करना है कर…”
मैंने आव देखा ना ताव और लंड को चुत पर रख कर जोर का झटका मारा…….. …भाभी का पुरा बदन एठ गया आआआआआआआआआअ आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह्छ मार दलाआआआअ रेई हरमीईईई. ……… .. ये आदमी का है की घोड़े का, सुधा की क्या हालत करते होऊ, ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् पूरी भर गयी मेरी… मैंने अब थोडा थोडा आगे पीछे करने लगा और भाभी को चूमने लगा… नीप्पल को चूसने लगा.. वो थोडा नॉर्मल हूई और उनकी चुत ने भी अब फीर से पानी छोर… मैने आधा लंड बहार नीकाल के इस बार तुफानी शोट मारा और …… बील्कुल धोनी की sixer की स्पीड से लंड पुरा भाभी के चुत मे पेल दियाआआआअ. ,उयीईईईईईइ ईईईईईई माआआआआआ कीस मनहूस घड़ी मे मैं तुम्हारे हाथ लग गयीईईईइ………… मैंने उनके बगल के नीचे से हाथ डालकर उनके कंधों को पकड़ा जीससे वो हील नही पाए और फीर मैंने धोनी की स्टाइल batting शुरू की…. वो उफ़ उ फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ आआआआआआह् अह्ह्ह्ह्ह्छ कर रही थी, चुत से पानी की धार लग गयी उनकी गांड तक बहने लगी और नीचे चादर भी गीली हो रही थी… मेरी स्पीड जोर से थी. . भाभी के मुह से नीक्ला। ….. वहा मेरे शेर !!! वाह आज मुझे पहली बार इतना मजा आया ऊऊऊ..आज मेरी मुराद पूरी हो गयीईईईइ. .. ऊऊऊह् ऊओह्ह्ह्ह्ह्ह् मेरा होने वलाआआ हैईईईई और ज़ोर सीईई मैं उनके पुरे बदन को चूम रह था, काट रह था.. उनके लंबे नाखुम मेरे पीठ मे गड रहे थे . फाड़ दे… मेरी फाड़ दीईईईए.आआआआ आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्
उन्होने मुझे कस के पकडा और वो झड़ने लागी… करीब २ min उनका orgasm चालू थाआआआ.. इधर मेरा भी होने वाला थाआआआ. उस तुफानी स्पीड मे मैंने कहा भाभी मेरा झडने वाला हैईईईई मैं कहॉ निकलू.
“मेरे अंदर डाल दो, दूऊऊऊओ .. आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् लो बजीईईईईईई ये लूऊऊऊऊऊओ और मैंने लंड को उनकी चुत के एकदम अंदर मुह पर टीका दीया और मेरी पिचकारी शुरू हो गयी . दोनो ने एक दुसरे को कास के पकड़ा था.. इसी तरह हम करीब १० min रहे. उन्होने फीर मुझे धकेला और मेरी तरफ देखा.. कर दीया ना भाभी को खराब.. और मुझे धकेला. मैंने उनकी चुत से लंड बहार खीचा , वो मासूम भाभी के और मेरे पानी से लिपटा हुआ था.. उसे देख कर भाभी ने कहा… देखो कैसे मासूम लग रहा.. उन्होने नीचे देखा… चुत फुल गयी थी उन्होने हाथ लगाया और सीहर उठी देखो क्या हालत की तुमने……छोटी सी थी.. कीतना सूज गयी है..और कीतना दर्द हो रह है…….उनकी चुत से मेरा सफ़ेद पानी और उनका पानी बहार टपक रह था चुत का मुह भी खुल गया था… वो उठ भी नही पा रही थी कीसी तरह मैंने उन्हें उठाया और बाथरूम ले गया..
एक बार की चुदाई के बाद भाभी की हालत तो एकदम खराब हो गयी थी..इस उमर मे इतनी जबर्दस्त चुदाई होगी.ये उन्होने सोचा भी नही था..लेकीन मुझे भी उनका वो गदराया बदन इतने सालों बाद मीला..मैंने जम कर चोदा..सबसे बड़ी बात ..मुझे पता था की भाभी को मोटे और लंबे लंड से ज्यादा मजा आयेगा और वो मेरे पास है…लेकीन मेरी बीवी मुझेसे इस तरह चोदने नही देती..रोने लगती है..और मुझे चुदाई मे रहम से नफ़रत है…खैर मैं उठा..लंड तो पुरा लथपथ था..इतना माल तो मेरा कभी नही नीकला था.. और भाभी की चुत भी मुह खोलें “O” हो गयी थी..पूरी लाल दीख रही थी.. बाथरूम बाजु मे था !!!!
मैंने देखा भाभी ठीक से उठा नही पा रही है… मैंने उन्हें हाथ पकड़ के उठाया..मैंने देखा भाभी के कांख मे बाल है..और चुत पर भी बल अब बडे थे ..
मैं: भाभी आप कांख के बाल क्यों साफ नही करती?
भाभी: नही क्यों?
मैं: कीया करो ना.. और स्लीव्लेस पहना करो
भाभी: वह शेव केसे करु डर लगता है काट जाएगा तो ????
मैं: शेवींग का समन दो मुझेसे..
भाभी : क्यों?
मैं: मैं कर देता हु आपका जंगल साफ.
मैंने शेवींग का समन लीया..भाभी को मैंने सामने खड़ा कीया..उन्होने एक हाथ ऊपर करने के लीया ..भाभी पूरी नंगी खडी थी मेरे सामने… और मेरा लंड आधा खड़ा हो रहा था.. उनके कांख मे साबुन लगा कर आराम से शेव कीया..इस बीच उनकी चुचीया भी सहला रहा था… निप्प्ल कड़क होने लगे थे..
भाभी:तुमने मुझेसे रंडी बाना दीया..मैंने पहली बार कीसी दुसरे मर्द को नंगा देखा..और खुद भी इतनी बेशरम जैसी तुम्हारे साथ नंगी खडी हु.
मैंने दोनो कांख पानी से धोया और उस पर कीस करने लगा..
भाभी: ..आआआआआअह् फीर से मुझे मत गरम करो प्ल्ज्ज्ज़….एक बार मैंने गुनाह कर लीया हैईईईइ.आआआआ आह्ह्ह्ह्छ
मेरे होंठ उनके निप्प्ल पर आ गए और उन्होने मेरा सीर जोर से दबा लीया..मेरा खड़ा लंड उनकी चुत के दरवाजे पर खड़ा था….वो अपनी चुत उसके साथ सटा रहा….आआआआ ह्ह्ह्ह्ह्छ . …..मात्त्त करूऊ नाआआआआ.
मैं: क्या मत करो?
भाभी: बोहोंत बदमाश हो तुम? अपने से बड़ी भाभी के साथ ये सब कीया..?
मैं अपने लंड को उनकी चुत पर राग्डने लगा… चुत का पानी आब बाथरूम के फ्लोर पर टपक रहा था.. तभी भाभी से नही रहा गया और खुद मेरे लंड को हाथ मे पकड़ा और अपने चुत के दाने पर रगड़ने लगी….मैं तो बेकाबू होने लगा. वही दीवार पर उनकी पीठ टीका दी और उनके पैर खुद ही फेळ गए लंड को रास्ता देने के लीये…..ऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़् कीतना पानी नीकाल रही थी भाभी..लगता है सालो से चुत को लंड नसीब नही हुआ. मैंने वैसे ही खडे खडे अपना लंड सेट कीया और क़मर हीला के धक्का मारा.
भाभी:आआआआअह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह हरमीईईई. धीरे कर ना..अपनों बीवी की चुत समझी है क्या?
मैं: बीवी की नही मेरी Sexy भाभी की गाद्रायी चुत है इसीलीये तो.
भाभी:अरे अभी तक दर्द हो रहा है..आआआआअह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह
उन्होने हाथ लगा कर देखा..अभी तो इतना बहार है..हीईईइ आल्लाह्ह्छ मैं तो मार जाउंगी…
मैं: अपको दर्द है तो मैं बहार नीकाल लेता हु?मैंने तद्पाने के लिए कहा.
भाभी: अरे ..अब्ब इतना डाल के बहार निकलेगा…. ..और अब उन्होने खुद चुत को लंड पर दबाया .. ..कीतना मोटा है . .
मैं अब क़मर हीला के आगे पीछे कर रहा था……
भाभी की चुत ने इतना पानी छोड दीया की अब लंड आराम से जा रहा था और मैंने भी अब सनसना के धक्का मारा और पुरा लंड अंदर.
मर्र्र्र्र्र्र गयीईईईईईई. .. सच मे मर्द हो…आज्ज मुझेसे लगा की असली मर्द क्या होता है…. i लोवे u ..मेरे राजा…चोदो मुझेसे ज़ोर से चोद्द्द्द्द्द्द्दूऊऊओ.
फाड़ दो मेरीईईईइ.
मैं”(धक्के लगते हुये और उनके निप्प्ल को कटते हुये) क्या फाड़ दु भाभी?
भाभी: जो फोड़ रहे हो…
मैं : उसका नाम बोलो..
भाभी:अपना कम करो.
मैं:अभी तो एक जगह और बची है उसे भी फाड़ना है…सबसे Sexy तो वोही है तुम्हारे पास.
भाभी: क्या?
मैबजी के चूतर पर हाथ लगाया और उनकी गांड के छेद मे ऊँगली डाल कर ये वाली फाड़ना है
भाभी:आआआआआह्ह्ह्ह् हह नहीईईईइ वो नहीईइ ..वो तो मैंने उनको भी नही दी.
मैं : तो क्या हुआ.. मुझेसे तो पसंद है.
भाभी : नही नही..
मेरे धक्के चालू थे.. मैंने देखा भाभी का बदन अकडाने लगा है…….. पैर सीकोड कर लंड को कस रही थी और मेरे कंधे पर दांतों से कटने लगी….. नाख़ून मेरे पीठ को नोच रहे है…….. ये क्या कीया.. आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मैं गय्य्य्यीईईईइ मेरा होऊ गयाआआआआआअऊओ ऊओह्ह्ह्ह् आब्ब नैहीईईईईइ आआआह् हाआआआआअह् आः
और भाभी की चुत का पानी धार निकलने लगी मै गीरने लगा.. मैं रूक गया..वो एक दम हलकी हो गयी थी.
मैंने अब उन्हें दीवार से हटाया और बाथ टब के अंदर ले गया
उसमे पानी और साबुन भरने लगा..मैंने देखा उनकी चुत पर भी बाल है . सोचा अगर इसे भी चीकनी कर लू तो.. मैंने उन्हें वही लीटा दीया..
भाभी: अब क्या कर रहे हो?
मैं: तुम्हारे खजाने को और खुबसुरत बाना रहा हु जान..
भाभी:क्य्का कहा..जान.. फीर से कहो ..आःह्ह्छ मैं तुम्हारी जान..
लो कर लो साफ इसे भी.
मैंने चुत पर भी साबुन लगाया..और उसे साफ करने लगा..
जब चुत पूरी साफ हो गयी मैंने गरम पानी से धोया…मेरा हाथ बार बारा उनके दाने से लग रहा था…इधर मेरा अभी तक dischaarge नही हुआ एक बार भी नही हुआ था.. सो वो तो उछाल रहा था.. मैंने भाभी से कहा इसे थोडा सह्लाओ ना…… इसे !!!
मैं उनके मुह के पास लंड को ले गया..उन्होने कुछ नही कीया…मैंने उनकी चुत को देखा..दोनो जांघों के बीच एक लकीर.. लग रहा था की एक शर्माई हूई मुनीया ..मैंने हाथ फेरा… लकीर के बीच ऊँगली डाली..फीर से गीली लबालब पानी..मुझसे अब रहा नही गया मैंने..भाभी के पेट को चूमना शुरू कीया. और दोनो पैर भाभी के दोनो तरफ डाले और उनकी पर मुह रख दीया..
भाभी तड़प उठी,,छीई गंदे..और पैर उठाने लगी…मैंने जबरदस्ती पैरो को फैलाया और उनका जूस चटाने लगा.. जीभ को दाने पर राग्डा……. .. मेरा लंड उनके मुह के पास लटक रहा था भाभी से रहा नही गया उन्होने उसे हाथ मे पाकर और खीच रही थी मैंने क़मर और नीचे की और उसे ठीक उनके होटो पर टीका दीया…थोड़ी देर तो उन्होने कुछ नही कीया लेकीन फीर अचानक उसे जीभ से चाट..और होट खोलकर उसा अंदर लीया… मैंने सिहरन सी मेसूस की.
मैं..आआआअह्ह्ह् भाभी चुसूऊऊ मेरी जान….अआः मजा आ रहा हाआईईईईइ. मैं तो उनके गरम होटो के टौच से पागल हो रहा था…अब वो भी पूरी मस्ती मे उसे मुह मे ले रही थी..अचानक मैंने थोडा अंदर दबाया..लंड एकदम उनके हलक तक पोहुच गया.उन्होने तड़प कर उसे बहार नीकाला और कहा
भाभी: अब क्या मार डालोगे..इतना लम्बा और मोटा गाले के अंदर डाल रहे हो..मेरी संस् रूक जायेगी.
मैं: ओह बज्ज्ज्ज्जीईईइ आप इतना अछा चूस रही हो..
इधर भाभी की हालत फीर खराब होने लगी मेरी जीभ उनकी चुत के अंदर पुरा सैर कर रही थी..भाभी..ने फीर से पानी छोड दीया..मैंने पुरा चाट लीया उन्की गांड तक बह रहा था..गांड के छेद तक जीभ से पुरा चाटा..इधर मुझेसे लग रहा था की मेरा भी पानी भाभी के मुह मे नीकाल जाएगा….. मैंने अपना लंड उनके मुह से नीकाल लीया उनके थूक से गीला हो कर चमक रहा था और भी मोटा हो गया था. मैं उठा कर कमोड पर बैठ गया और भाभी को अपने पास खीचा…
भाभी:अब क्या कर रहे हो?
मैं: आओ ना, दोनो पैर साइड मे कर लो और सवारी करो
भाभी: दीमाग खराब है क्या? मुझसे नही होगा..
मैंने उन्हें पाकर के पोसीशन मे लीया अब वो मेरी गुलाम थी.. और लंड के ऊपर चुत को सेट कीया और कहा बैठो…… उन्होने कोशीश की…आआआआह् नही होगा.. मैंने उनके चूतड पर हाथ रखे और नीचे से धक्का कीया..आधा लंड “गप्प” से अंदर. अब मैंने उन्हें कहा धीरे धीरे इस पर बैठो….वो बैठाने लगी..फीसलन तो थी..अंदर घुसने लगा फीर वो रूक गयी..अभी भी थोडा बहार था..मैंने उनकी चूची और नीप्प्ल चूसना शुरू कीया..बोहोत कीस् कीये..और पीछे से उनकी गांड के सुराख मे ऊँगली डाली उयीईईईईईई. … और मैंने उन्हें जोर से अपने ऊपर बीठा लीया…पुरा लंड अंदर और भाभी की चीख नीकाल गयी ..आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ मार अग्यीईईईईइ ऊओह् …अभी तक २ बार चुदने के बाद भी चुत इतनी तिघ्त लग रही थी मुझेसे मज़ा और जोश दोनो आ रहा था…भाभी मेरे सीने से चीपटी रही.. फीर थोड़ी देर बाद वो खुद ही मेरे लंड पर ऊपर नीचे करने लगी… मैं भी नीचे से धक्के मार रहा था. भाभी बड बड़ने लगी आआआअह् तुमने मुझेसे जिन्दगी का मज़ा दे दीया अह्ह्ह्ह्छ मुझेसे माँ बाना दोओ.. और उनके उछालने की स्पीड बड़ गयीईई.
आआआअह् आआआआह्ह्.. …. मेरे अमजाद्द्द्द्द्द्द्द्द इतने din क्यों नही किया..आआअह्ह्ह् मेरा होने वाला है….और ऐसे ही उछालते हुये उनका पानी नीकाल गया.. वो मेरे सीने से लीपट गयी मैं उन्हें चूमने लगा.. अब मैंने भाभी को खड़ा कीया..मेरे दीमाग मे एक नया पोस आया, कमोद के ऊपर मैंने भाभी को झुकाया दोनो हाथ ..कमोद के ऊपर रखे…
भाभी..ये क्या कर रहे हो
मैं: मैं तुम्हे और मजा दूंगा जानेमन..
मैं पीछे आ गया..ऊऊओह् क्या मस्त उभरे हुये चूतड.. और ऐसे मे उनकी चुत का छेद एक्दुम गीला…और गांड का गुलाबी छेद… मैंने पीपचे से लंड को उनके चूतर पर घुमाया….. ……..और गांड के छेद पर लगाया…वो एकदम उठ कर खडी हो गयी..नईई वह नहीईईईइ. ……प्ल्ज्ज्ज्ज्ज़. नही डारलींग मैं सही जगह पर दूंगा और फीर से उन्हें झुकाया…. चूतड और ऊपर कीये ताकी चुत ऊपर हो…और फीर..
भाभी: अह्ह्ह्छ धीरे…आआआआआ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ, मेरा लंड अंदर जा रहा था, लेकीन मैंने उसे बहार खीचा और अब एक झटके मे पुरा अंदर डाला.. वो तो चिल्ला पडी अरीईईईईई मार डालोगे क्या ???.मैंने उनके चूतड सहलाये और आगे हाथ बड़ा कर उनकी चुचीया दोनो साइड से दबाने लगा… करीब ३-४ min मे भाभी फीर ….. पानी छोराने लगी.. मैंने उसी पोस मे उन्हें खड़ा कीया.. दीवार की तरफ मुह कीया.. और उनका एक पैर कमोद के ऊपर रखा……. .. और फीर तो मैंने भी राज धानी एक्सप्रेस की स्पीड से चोदना शुरू कीया.
भाभी उफ़ उफ़ आह अह्ह्ह कर रही थी,
मैं:उनके कानो के पास चूमा . जानू..मजा आ रहा है ना?
भाभी: बहूत..और जोर से करो…
अब मुझेसे लगा मेरा नीकलाने वाला है…एक घंटे से ऊपर हो गया था.. मेरी अंडों मे pressure आ रहा था.. मैंने भाभी को वही बाथ टब के अंदर लीया और लीटया .. दोनो पैर फैलाये .. घुटनों से ऊपर बोड कर एक झटके मे अंदर डाला… उनकी आंखे फीर बड़ी बड़ी हो गयी लेकिंमैने कुच्देखा नही और फीर उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ वो धक्के लगाए की भाभी की संस् फूलने लगी वो सिर्फ अआः इश्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ इश्ह्ह्ह्ह्ह्छ आआः कर रही थी.
मैं: जनूऊऊऊऊ मेरा निकलने वाल है..अंदर डालू की बहार…
भाभी..एक बार तो अंदर डाल दीया है अब बहार क्यूऊउ . डाल अंदर तेरा लोडा l.
मैं तो लूऊ आआआह् अह्ह्ह्ह्ह्ह्छ आह्ह्ह्ह ओह्ह ये लूओ मेरी जान्न्न्न … और पुरा लंड उनके बच्चेदानी के ऊपर टीकाया और 1…२..३..४. .5…6… .7..कीतनी पीचकारी मरी की मैं भूल गया..और उनके ऊपर लेट गया.. करीब १० min हम ऐसे ही pade रहे.. मैंने फीर uthkar उन्हें कीस कीया…अन्होने आंखें खोली ..
भाभी: तुमने आज मुझसे बोहोत बड़ा गूनाह karwa लीया..आज के बद मैं तुमसे बात भी नही करुँगी .
बात मत करना जान..लेकीन ये तो करोगी ना..
भाभी : बेशरम, अब मेरी जुती करेगी ये कम. मैंने अपना लंड बहार खीचा..पुरा लथपथ..उनकी चुत से सफ़ेद रस नीकल रहा था और बाथ टब मे फेल रह था….. मैंने उनकी गांड के छेद पर हाथ रख और कहा अभी तो इसका इनौगरेशन करना है.. अभी २ din और मैं यही रहूंगा..तुम्हे माँ बाना के ही जाऊंगा मई..वो बोली..क्क्य कहा..२ din ..मे तो मर जाउंगी..
मैंने धीरे से पुछा”जानेमन कैसा लगा ” वो कुछ बोली नही..सिर्फ मुस्कुरा दी..फीर हम दोनो ने एक दुसरे को नेह्लाया रगड़ रगड़ कर मेरा फीर खड़ा होने लगा था..लेकीन भाभी जल्दी से तोवेल लपेट कर बहार नीकल गयी..लेकीन. …क्या इसके बाद भाभी और चुदेगी..ये आप बताओ…अगर हां.. तो कैसे?????????







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Fentency मेरी गरम जवानी

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Fentency जीजा साली का रिश्ता

Fentency

  जीजा साली का रिश्ता
मैं यानि मुग्धा, कविता और ऋतू पक्की सहेलियां हैं. हम तीनो की कोई बात आपस में किसी से छुपी नही रहती थी. हम तीनो में सबसे सुंदर मैं ही हूँ. पर कविता और ऋतू भी दिखने में सुंदर ही कहलाती हैं. कविता की शादी हुए २ साल हो चुके हैं. उसका एक बेबी बॉय भी है. कविता का पति एक तराशे हुए बदन का मालिक है. वो भी हमसे बहुत हिलमिल गया है. अक्सर ही हम लोग एक दूसरे के यहाँ पार्टी रखते हैं और साथ साथ हँसी मजाक करते हैं.
मेरी इच्छा भी अब होने लगी कि मैं भी अंकित के और करीब आऊँ. मुझे वो अच्छा भी लगता है.
मैंने अपनी और देखा. मेरा जिस्म भी सेक्सी है. मेरे स्तनों का उभार भी सुंदर है. गोलाई लिए सीधे ताने हुए, किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं. मेरी कमर पतली है. मेरे चूतड थोड़े से भारी हैं. दोनों चूतडों की फांकें गोल और कसी हुयी हैं. चलते समय मेरी चूतडों की दोनों गोलाईयां ऊपर नीचे लहराती हैं. अंकित मुझे चोरी चोरी तिरछी निगाहों से देखते रहते थे. मैं उन के करीब रहने की कोशिश करने लगी. मैं कविता के यहाँ अधिक जाने लगी. अब अंकित भी मेरे से सेक्सी मजाक करने लगा था.
"हाय अंकित … कविता कहाँ है .."
"किचेन में है …अभी आ जायेगी बैठो .."
अंकित सफ़ेद पजामे और बनियान में था. मुझे देखते ही पता चल गया कि उसने अन्दर अंडरवियर नहीं पहना है. उसके सोये हुए लंड तक का आकार ऊपर से ही नजर आ रहा था.
मैंने जान बूझ के सोफे पर ऐसे झुक के बैठी कि उसे मेरे बूब्स आसानी से दिख जायें. उसने भी मेरे बूब्स को देखने का लालच नहीं छोड़ा. मैंने उसे देखते हुए पकड़ लिया. मैं मुस्कराई. वो शरमा गया …
"जीजू क्या देख रहे थे ….."
"कुछ नहीं …. बस .."
"शरारती हो ….है ना .."
अंकित का लण्ड अब धीरे धीरे खड़ा होने लगा था, मुझे देख कर वो उत्तेजित होने लगा था।
"कौन शरारत कर रहा है …" कविता कमरे में आते हुए बोली
"जीजू … मजाक अच्छी मजाक करते हैं .." मैंने बात बदल दी
" लो चाय हाजिर है …"
"कविता ….. जीजू से कहो ना कभी कभी तो हम पर भी लाइन मार लिया करें .."
"अरे तुम ही लाइन मार लो ना …..जीजू तो तुम्हारे ही है ना …"
"क्यों जीजू ……. क्या इरादा है …"
"अंकित …बताओ भी तो …"
"अंकित…बता भी दो …"
"अरे मौका तो मिलने दो ..... फिर इसका चुम्मा भी लूँगा …और ..और .."
"और क्या क्या करोगे …अब थोडी शर्म करो ...तुम्हारी बीवी पास खड़ी है ...."
"बीवी की पूरी परमिशन है ....... मुग्धा ये कह रहा है तो चुपके से दे ही देना .."
कविता मेरे पास आयी और मेरे कान में धीरे से कहा - "जरा ध्यान दो ...तुम्हारे जीजू का खड़ा हो रहा है .."
मेरी नजर तो पहले ही उसके लंड पर थी. ये सुनकर मैं शरमा गयी. मैं धीरे से बोली -
"धत् ......"
"क्या हुआ. .हमें भी तो बताओ ......."
उसकी बात सुनकर हम सभी हसने लगे. पर जीजू का मजाक मुझे अच्छा लगा …..
आज रात को ऋतू की शादी की होटल में पार्टी थी. हम सभी एक कार में होटल आ गए थे. वहां ऋतू को उसकी सहेलियों ने घेर रखा था. कविता ऋतू को सजाने सँवारने लगी. तभी कविता बोली –"तुम दोनों यहाँ क्या करोगे, नीचे हॉल में पार्टी एन्जॉय करो .."
मुझे तो मौका मिल गया. मैंने आज पार्टी के लिए खास सेक्सी ड्रेस पहनी थी. ये ड्रेस उसे बहुत पसंद थी. ब्रा इस तरह से कसी थी कि मेरे बूब्स बाहर उभरे हुए नज़र आ रहे थे. टाइट जींस और टॉप पहना था. ताकि अंकित मेरे हुस्न का मजा ले सके. उसे आज पटाना भी था. कविता से मुझे हरी झंडी मिल ही चुकी थी.
हम दोनो नीचे हाल में आ गए। थोड़ी देर वहां कुछ खाया पिया और बातें करते रहे। मैं बार बार उसका हाथ पकड़ लेती थी। वो हाथ छुड़ाता भी नहीं था। फ़्लोर पर कुछ जोड़े डांस कर रहे थे।
अंकित बोला- "चलो मुग्धा ! डांस करते हैं…"
"हां … चलो… ना…"
हम दोनो डांस फ़्लोर पर आ गए। मैंने उसकी कमर में हाथ डाला तो वो सिहर गया।
" जीजू…शरमा रहे हो… मेरी कमर में भी हाथ डालो…"
उसने मेरी कमर में हाथ डाल दिया और हम थिरकने लगे। मैं जान बूझ कर अपने बूब्स उसके सामने उछाल रही थी। उसकी नज़रें मेरे बूब्स से हट नहीं रही थी। मुझे लगा कि मेरा जादू चल गया। मैंने उससे टकराना शुरू कर दिया। कभी बूब्स टकरा देती तो कभी उससे चिपक जाती। अब अंकित भी समझने लग गया था। वो भी मुझसे कुछ ज्यादा ही चिपकने लग गया था, इतना कि उसके मोटे लण्ड की चुभन मैं कभी अपने चूतड़ों पर महसूस करती तो कभी अपनी चूत के पास। मैं तो यही चाहती थी कि अंकित मुझसे और खुल जाए। कुछ ही देर में हम थक गए। डांस छोड़ कर हम गार्डन की तरफ़ चले गए। अंकित गार्डन में आकर हरी घास पर लेट गया। उसका लण्ड उभर कर दिखने लगा।
मैं भी उसके पास ही बैठ गई। मैंने उसका सर अपनी जांघों पर रख लिया और प्यार से उसके बालों में अपनी उंग्लियों से सहलाने लगी। वो एकटक मुझे निहार रहा था। मैंने कहा-"क्या देख रहे हो जीजू…मुझे कभी देखा नहीं क्या?"
"हां.. पर ऐसी मुग्धा नहीं ....." वो मुस्कुरा उठा।
"..नहीं जीजू ....... तुम आज कुछ अलग लग रहे हो..."
" तुम कितनी सुन्दर लग रही हो आज.."
"हाय जीजू ...ऐसे मत बोलो ना.."
"सच कह रहा हूं .... तुम्हारा बदन भी आज सेक्सी लग रहा है... मुझसे अब सहा नहीं जा रहा है.."
"जीजू ....... हाय रे .... फ़िर से कहो.." मैं खुशी से बेहाल हुई जा रही थी।
वो मेरी आंखों में झांकने लगा। मैने भी अपने नयन उस से लड़ा दिये। आंखों ही आंखों में हम दोनो डूबने लगे। मैं भी अनजाने में उसके ऊपर झुकती चली गयी. हमारे होंट जाने कब एक दूसरे से चिपक गए. मेरी साँसे गहरी हो चली थी. अंकित मेरे होटों को चूस रहा था. मैं भी अपनी जीभ उसके मुंह में डाल चुकी थी. मेरा हाथ अपने आप ही उसके पेट पर से होता हुआ उसके लंड से टकरा गया. मैंने पेंट के बाहर से ही उसे पकड़ लिया. वो सिहर उठा. उसका लंड उत्तेजित हो कर मोटा और लंबा हो गया. बहुत ही कड़क होकर बाहर जोर लगा रहा था. उसका हाथ मेरी चुन्ची पर पहुँच गया था. एक हाथ से उसने मेरी चुन्ची दबा दी. मैं आनंद से निहाल हो गयी. ज्यादा खुशी इस बात की थी कि अब अंकित मुझे जरूर ही चोद कर रहेगा.
मैंने कहा -"हाय जीजू ....मेरी चुन्ची और मसल दो ...मजा आ रहा है ..." कहते हुए मैंने उसकी पेंट की जिप खोल दी और लंड को पकड़ कर सहलाने और हौले हौले उसे मसलने लगी.
उसके मुंह से सिसकारी निकल पड़ी. बोला -"थोड़ा जोर से पकड़ कर ऊपर नीचे करो ......."
"जीजू ...... कितना मोटा लंड है .... हाय जीजू मुझे कब चोदोगे ......"
"आज ही रात को ..... कविता से पूछ कर ..."
"वो हाँ कह देगी ? ......" मैंने अनजान बनते हुए पूछा. अंकित मुझे देख कर मुस्कराया पर बोला कुछ नहीं.
"अब बस करो नहीं तो मेरा रस निकल जाएगा ......."
"नहीं राजा ..... थोड़ा और मसलने दो ना ...तुम भी चुंचियां दबाव ना .... खींचो ना ....." मैं जोश में बोले जा रही थी.
पर अंकित उठ कर बैठ गया. मैं भी अपने कपड़े ठीक करने लगी.
हम दोनों को समय का पता ही नहीं चला. हॉल में आए तो महफिल रंग में थी. ऋतू और उसका हसबंड सामने वाली सिंहासन पर बैठे थे. कविता हमें देखते हुए मुस्कराई. मैं और अंकित भी मुस्करा दिए.
"रात बहुत हो गयी है ... अब चलना चाहिये......." कविता बोली. ऋतू ने भी जाने को कह दिया.
हम चारों यानि अंकित , मैं , कविता और बेबी बाहर आकर कार में बैठ गए. अंकित गाड़ी चला रहा था. कविता ने पूछा -"पार्टी एन्जॉय की या नहीं .."
"हाँ ...पार्टी अच्छी थी ...."
"क्या अच्छा था .. बताओ तो ..."
"जीजू...वो ही अच्छे लगे ..."
"तो बाजी हाथ में आयी या नहीं ...या मैं कुछ करूँ "
"तुम ही कुछ कर दो ना ....मेरी तो चुदवाने कि बहुत इच्छा हो रही है "
" हाँ मेरी भोली रानी .... आपके चेहरे से सब पता चल रहा है .... कि मेरी मुग्धा को किस चीज़ की जरूरत है .." और हंस पड़ी.
"पर तुम्हारी सहमति तो चाहिए ना ..."
"चलो आज घर चल के देखते हैं ...आज मन भर लेना ..." कविता ने भी अब साफ़ कह दिया.
अंकित का घर आ चुका था. मेरा घर अभी दूर था. और कविता ने रुकने को पहले ही कह दिया था.
हम सभी कमरे में गए. और बेबी को बेड पर सुला दिया. हमने अपने कपड़े बदले. मैंने भी कविता का एक ढीला सा पजामा पहन लिया. अंकित भी पजामा पहन कर आ गया. पजामे में से उसका उत्तेजित लंड की उठान साफ़ दिख रही थी.
कविता ने भी भांप लिया कि मैं क्या देख रही हूँ. वो मुझे देख कर मुस्करा दी. कविता अपनी बेबी के साथ लेट गयी फिर अंकित भी लेट गया. मैं किनारे पर अंकित के साथ लेट गयी. कमरे में धीमी बत्ती जल रही थी. मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था. मुझे पता था आज मेरी चुदाई हो ही जायेगी।
मैंने हिम्मत करके अंकित के पेट पर हाथ रख दिया. उसने मेरी तरफ़ देखा. मैंने हाथ बढा कर उसका लंड पकड़ लिया. वो अन्दर कुछ नहीं पहना था. उसके लंड की मोटाई से मैं सिहर उठी. मैं उसका लंड दबाने लगी. लंड और टन्ना ने लगा. मैंने पजामे के अन्दर हाथ डाल दिया और उसके लंड के ऊपर की चमड़ी को ऊपर चढा दी. उसके मुंह से सिसकारी निकल पड़ी. उसने मेरे बूब पकड़ लिए और धीरे धीरे सहलाने लगा .मेरे टॉप को ऊँचा करके मेरी चूचियां दबाने लगा. मेरे मुंह से आह निकल गयी।
मैंने उसका लंड पकड़े पकड़े ही उसकी तरफ़ पीठ कर ली. अंकित मेरी पीठ से चिपक गया. उसने मेरा पजामा नीचे उतार दिया. मेरी गांड की दरारों में उसका नंगा लंड टकरा गया. मेरे जिस्म में सनसनी फैलने लगी. फिर उसने लंड को और चूतडों में गडा दिया. मेरी चूतड की फांकों को चीरता हुआ उसका लंड मेरी गांड के छेद से टकरा गया. मेरी चूतडों के बीच उसका मोटा लंड फंसा हुआ बहुत आनंद दे रहा था. मुझे उसका पूरा साइज़ और नंगा स्पर्श अच्छा लग रहा था. उसके हाथ मेरी टॉप में घुस पड़े और चुन्ची मसलने लगे. उसके लंड ने जोर मारा तो मेरी गांड की छेद मे थोड़ा सा घुस गया. मैंने अपनी टांग थोड़ी ऊँची कर ली. फिर तो लंड की सुपारी फक से गांड में घुस गयी. मेरे मुंह से आह निकल गयी. उसने अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर दूसरे ही झटके में लंड अन्दर घुसता चला गया .. मैंने अपना मुंह भींच लिया कि कहीं आवाज ना निकल जाए. उसने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए. मेरी चूत में उसने उंगली घुसा दी. पर मुझे लगा कि उंगली मर्द की नहीं है. मैंने देखा तो वो कविता थी.
वो मुझे देख कर प्यार से मुस्कराई ."मजा आ रहा है ना ...."
" हाय .... कविता. ... मैं मर जाऊंगी .... मुझे मत देखो ना .."
"अरे शर्म मत कर ..चुदाने के लिए तो तू तड़प रही थी ना ...तेरे जीजू का लंड है ... खाए जा ...और मस्त हो चुदाए जा ..."
उसने मेरी गांड से अपना लंड निकाल लिया और अब वो बिस्तर के बीच में लेट गया. उसका लंड सीधा और लंबा तना हुआ खड़ा था.
कविता बोली - "इस चाकू पर बैठ जा ... और अपनी फांकों में इसे घुसने दे और आज तू चोद डाल अपने जीजू को ..."
"थंक यू. .." कह कर मैं उछल कर उसके लंड पर बैठ गयी ... मैंने निशाना लगाया और चूत का छेद खड़े लंड पर रख दिया. मेरी चूत पानी से भीग गयी थी ...सारा चिकना रस इधर उधर फ़ैल गया था. लंड ने मेरी चूत को चूमा और चूत ने उसका वैलकम किया. वो फच की आवाज करता हुआ अन्दर जाने लगा साथ ही मेरा बैलेंस भी बिगड़ गया और मैं लंड पर पूरा धच से बैठ गयी।
मेरे मुंह से चीख निकल पड़ी, "हाय ..जीजू ...मर गयी .."
कविता बोली - "हाँ .... मेरी रानी ...अब लंड का पता चला है ..."
"बहुत मोटा है ..राम. ..जड़ से टकरा गया है .."
अंकित अब नीचे से चूतडों को हिला हिला कर चोद रहा था. इतने में कविता ने मेरी गांड में उंगली घुसा दी. और घुमाने लगी. मैंने तो अब ऊपर से कमर हिला हिला कर अंकित को चोद रही थी .सारा कमरा फच ..फच ...की आवाज से गूंज उठा.
"हाय मेरी रानी ....दे धक्के ....कविता मेरी गांड में उंगली घुसा दे रे .." वो आनंद से सिसकारी भरने लगा.
"हाँ ..मेरे राजा ...ये लो ..." कहते हुए कविता ने अपनी दूसरे हाथ की उंगली अंकित की गांड में घुसा दी. मैं मस्ती में झूम रही थी.
" हाय ..जीजू ...चोद दे रे .... लगा दे ..रे .....और जोर से ....फाड़ दे यार ...... स ई से ऐ ....मर गयी .....हाय .....चोद दे ......जीजू .... मेरी चुन्ची मसल डाल ...खींच ...और खींच ....ऊऊओए ई ई .... रे ..... क्या कर हो ...राजा .... लगा ना ...जोर से ...."
मेरी हालत चरम सीमा पर पहुँच रही थी . मैं होश खोती जा रही थी.
अचानक उसने मुझे करवट बदल कर अपने नीचे दबा लिया. और मेरे ऊपर चढ़ गया. उसने लंड को दबा कर चूत में घुसा दिया. और उसके धक्के तेज होते गए. ऊधर कविता ने फिर से अपनी उंगली हमारी गांड में घुसेड़ दी और अन्दर गोल गोल घुमाने लगी. मुझे दोनों तरफ़ से डबल मजा आने लगा. पर अब मुझे लग रहा था ...कि मैं झड़ने वाली हूँ. उसके लंड की तेजी को और उंगली को सह नहीं पा रही थी.
"जीजू ...मैं मर गयी .... हाय रे ...चोद ...और चोद ...हाय निकल दे पानी ..... चोद दे रे. ...हाय यी ययय ......मैं मरी ....सी सी ओ ऊ ओए एई मैं मरी ...मैं गयी ऐ .....अरे निकाला ..निकल अ ....अरे ...अरे .... हाय रे ...."
कहते हुए मैंने अपना पानी निकाल दिया. कविता ने मेरी गांड से उंगली निकाल दी. अचानक अंकित के लंड का दबाव मेरी चूत पर बढ़ने लगा .. और फिर वो कराह उठा ..."हाय मेरी रानी ...मैं गया ....मेरा निकलने वाला है ...... हँ ...हँ ...... ओ ऊ ओह ह्ह्ह ह्ह्ह हह. ओ ऊ ह ह ह हह ह्ह्ह ...कविता ......निकला .....निकल अ .......आ आह हह आया आह्ह ..."
उसके लंड ने अपना रस उगलना चालू कर दिया. पर कविता तो इंतज़ार में थी उसने पीछे से हाथ डाल कर मेरी चूत से लंड खींच लिया और टांगो के बीच घुस कर लण्ड अपने मुंह में ले लिया. अंकित ये जानता था कि ये रस तो कविता का ही है. इसलिए उसने अपनी टांगे ऊँची कर के अपना पूरा लण्ड उसके मुंह में दे दिया. कविता पूरा रस गट गट करके पी गयी और अब लण्ड को चाट कर साफ़ कर रही थी. मैं निढाल सी बिस्तर पर पड़ी थी.
"मजा आया मेरी रानी " कविता बोली
"जीजू ने तो बस कमाल ही कर दिया ..इतनी जोर से चोद दिया कि पूछो मत .... पर माल मेरे लिए तो छोड़ा होता ....." कविता हंसने लगी.
"जीजा साली का रिश्ता ऐसा ही मजेदार होता है ...क्यूँ अंकित है ना ...."
" तुम तो लकी हो जो जीजू से रोज़ चुदवा लेती हो ..... मेरी तरफ़ तो देखो ना ..... चूत में ज़ंग लग जाता है .." मै हंसती हुयी बोली.
"अच्छा तो हरी झंडी ..बस "
"क्या .... हरी झंडी ..."
'ये तुम्हारा जीजू ...और ये तुम ...खूब चुदवाओ जीजू से ...... और मस्त हो जाओ "
अंकित और मैं एक दूसरे को मुस्करा कर देख रहे थे. आँखों आँखों में इशारे हो गए थे. हम सब उठे और अपने कपड़े ठीक किए. और सोने की तय्यारी करने लगे.








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Fentency मालकिन की चुदाई

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Fentency मेरी भूख शांत नहीं होती

Fentency


मेरी भूख शांत नहीं होती 



मै नीषा हूँ. मेरी उमर २१ साल, रंग गोरा, बोडी एक दम सलीम है. मेरी शादी १ साल पहले सुनील के साथ हूई है. सुनील की उमर २३ साल की थी. सुनील के अलावा घर पर कोई नहीं रहता. मैं सेक्स में बहुत
रुची रखती हूँ. मैंने अपनी लाइफ के बारे में जो ख्वाब देखे थे वो सभी ख्वाब सुनील से शादी करने के बाद टूट गए. सुनील का लंड (पेनिस) बहुत ही छोटा था और उस से मेरी भूख शांत नहीं होती थी.


शादी के बाद जब मैं ससुराल पहुची तो मैंने देखा की एक आदमी एक दम नंगा ही पागलों की तरह हमारे घर के आस पास चक्कर लगता रहता था. दीखने में वो गठीले बदन का सुंदर नौजवान था और कीसी
अच्छे परीवार का लगता था. उसकी उमर लगभग २६-२७ साल की रही होगी. मैंने सुनील से उस पागल के बारे में पूछा तो वो बोले ये तो बहुत दीनो से यहीं आस पास ही घूमता रहता है. मेरे घर के आस पास
बहुत सरे जंगली पेड और पौधे थे जीस से कोई भी आदमी gate के बहार से हमारे घर को आसानी से नहीं देख सकता था. वो जब हमारे घर के आस पास होता तो मैं हमेशा छुप छुप कर उसके लंड (पेनिस) को देखती रहती थी क्यों की उसका लंड (पेनिस) ढीला रहने पर भी लगभग ८” लम्बा और बहुत ही मोटा था. मैंने सोचा की काश एक बार मैं उसके लंड (पेनिस) को अपने हाथो से पकड़ कर देख सकती.

मैं हमेशा सोचा करती थी की काश सुनील का लंड (पेनिस) भी लम्बा और मोटा होता क्यों की सुनील का लंड (पेनिस) लगभग ४” लम्बा और बहुत ही पतला था. मुझे उनसे चुदवाने में बिल्कुल भी मज़ा नहीं आता था. वो पागल रात को हमारे compound में आ जता था और पूरी रात घर के मैं दरवाज़े के पास बैठा रहता था. ये Un दीनो की बात है जब सुनील १५ दीनो के लीये बंगलोर चले गए. उनके जाने के दुसरे दीन रात के ८ बजे के आस पास वो पागल हमारे घर के दरवाजे के पास आ कर बैठ गया. जब वो रात को आ कर बैठ जता तो वो फीर सुबह ही वहाँ से वापस जता था. मैंने सोचा आज उस से कुछ बात करके देखती हूँ. मैंने डरते हुये दरवाज़ा खोला और उस से पूछा खाना खाओगे. उस ने अपना सीर हाँ में हीला दीया. मैं खाना ले आयी और जब वो खाना खा चूका तो उसने इशारे से पानी माँगा. मैंने उसे पानी लाकर दीया. पानी पीने के बाद वो चुप
चाप बैठा रह. मौका अच्छा था मैं उसके बगल में बैठ गयी. मैं तो उसके लंड (पेनिस) को अपने हाथ में लेकर देखना चाहती थी. मैं ये भी देखना चाहती थी की उसका लंड (पेनिस) खड़ा होने के बाद कीतना
लम्बा और मोटा हो जता है.

मैंने अपना हाथ उसके जांघों पर रख दिया. वो कुछ नहीं बोला तो मैं अपना हाथ उसके जांघ पर फीराने लगी. वो फीर भी कुछ नहीं बोला तो मैंने अपना हाथ धीरे धीरे उसके लंड (पेनिस) की तरफ बढ़ा दीया. वो फीर भी कुछ नहीं बोला. अब मेरी उंगलियाँ उसके लंड (पेनिस) को touch कर रही थी. मेरे बदन में सुरसुरी सी होने लगी तो मैंने अपनी ऊँगली उसके लंड (पेनिस) पर फीरनी शुरू कर दी. जब वो फीर भी कुछ नहीं बोला तो मैंने अपने हाथों से उसके लंड (पेनिस) को पकड़ लीया. मैं धीरे धीरे उसका लंड (पेनिस) सहलाने लगी तो वो मुझे घूर घूर कर देखने लगा. उसकी आंखों में भी सेक्स की प्यास एक दम साफ दीख रही थी. थोड़ी ही देर में उसका लंड (पेनिस) खड़ा होने लगा. उसका लंड (पेनिस) tight होने के बाद लगभग १०” लम्बा और बहुत ही ज्यादा मोटा हो गया.

मैं उसके लंड (पेनिस) के साइज़ को देखकर जोश के मारे पागल सी होने लगी और थोड़ी ही देर में मेरी चुत एक दम गीली हो गयी. मुझे अब गलत या सही का कोई होश नहीं रह गया था. मैंने सोचा अगर मैं इस पागल से चुदवा लूं तो मुझे कोई कुछ भी नहीं कह सकेगा. अगर मुझसे कोई कुछ कहेगा तो कह दूँगी की इस पागल ने मेरे साथ जबरदस्ती कीया है. मैंने सोच लीया की आज मैं इस पागल से चुदवा कर रहूंगी भले
ही मेरी चुत का हाल कुछ भी हो. मैं उस पागल का हाथ पकड़ कर घर के अन्दर ले गयी. उसे देख कर लग रह था जैसे उसने कभी नहाया ही ना हो. मैं उसे बाथरूम में ले गयी और उसे एक साबुन देते हुये
नहाने को कहा. मैं खडी रही और वो नहाने लगा. जोश के मारे मेरी चुत फीर से गीली होने लगी. नहाने के बाद उसका गोरा बदन एक दम नीखर आया. उसका लंड (पेनिस) भी बहुत गोरा था. जब वो नहा चूका तो मैं
उसे बेडरूम में ले गयी. मैंने उसे बेड पर बिठा दिया. वो कुछ भी नहीं बोल रह था.

मैंने पूछा तुम गूंगे हो क्या तो उसने अपना सीर हाँ में हीला दिया. मैंने सोचा की ये तो और अच्छी बात है की ये गूंगा है और कीसी से कुछ भी नहीं कहेगा. मैं बेड पर उसके बगल में बैठ गयी. मैंने उसके लंड (पेनिस) को फीर से सहलाना शुरू कर दिया तो थोड़ी ही देर में उसका लंड (पेनिस) खड़ा हो कर एक दम tight
हो गया. मैंने सोचा ये तो पागल है. अगर मैं इस से चोदने के लीये कहा तो कहीँ ये जबरदस्ती अपना पूरा का पूरा लंड (पेनिस) एक झटके से ही मेरी चुत में ना घुसा दे नहीं तो मेरी चुत फट जायेगी.
मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और अपने सरे कपडे उतर दिए. वो मेरे गोरे बदन को घूर घूर कर देखने लगा. मैंने उसके बगल में बैठ गयी और उसके लंड (पेनिस) के सुपडे पर अपनी जीभ फीराने लगी. वो जोश
में आ कर आहें भरने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने उस से पूछा, मेरी चुत को चाटोगे तो उसने अपना सीर हाँ में हीला दिया. मैं उसके ऊपर ६९ की पोसिशन में लेट गयी और मैंने उसका लंड (पेनिस) अपने
मुह में ले कर चूसना शुरू कर दिया. वो अपनी उँगलियों से मेरी clitoris को मसलते हुये बडे प्यार से मेरी चुत को चाटने लगा. मैं समझ गयी की वो कीसी औरत को चोदने का पुराना खिलाडी है.

थोड़ी देर तक मेरी चुत को चाटने के बाद उसने अपनी बीच की ऊँगली मेरी चुत में घुसा दी और मेरी चुत के G-स्पॉट को रगड़ने लगा. मेरे सारे बदन में आग सी लगने लगी और मैंने उसके लंड (पेनिस) को तेजी के साथ चूसना शुरू कर दिया. वो मेरे G-स्पॉट को रगड़ता रह और मैं जोश से पागल सी होने लगी. फीर २ मं में ही मैं झाड़ गयी. उसके बाद मैं उसके ऊपर से हट गयी और ढ़ेर सारी cream लाकर उसके लंड (पेनिस) पर लगा दी और थोड़ी cream अपनी चुत में भी लगा ली. Cream लगाने के बाद मैं फीर से उसके ऊपर आ गयी. जैसे ही मैंने उसके लंड (पेनिस) के सुपडे को अपनी चुत की छेद पर रखा तो उसने मेरा सीर पकड़ कर अपनी तरफ खीच लीया और बडे प्यार से मुझे चूमने लगा. उसके होठ एक दम गरम थे.

मेरे सारे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी. थोड़ी देर तक मैंने अपनी चुत को उसके लंड (पेनिस) के सुपडे पर राग्डा फीर उसके बाद मैंने अपनी चुत को उसके लंड (पेनिस) पर थोडा सा दबा दिया तो मेरे मुह से हलकी सी चीख नीकल गयी और उसके लंड (पेनिस) का सुपडा मेरी चुत में घुस गया. मुझे दर्द होने लगा तो मैंने उसके लंड (पेनिस) का सुपडा अपनी चुत से बहार नीकल दिया और अपनी चुत को फीर से उसके लंड (पेनिस) पर रगड़ना शुरू कर दिया. वो बडे प्यार से मेरी पीठ को सहलाता हुआ मुझे चूमने लगा. थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने अपनी चुत को उसके लंड (पेनिस) के सुपडे पर फीर से थोडा सा दबा दिया. उसके लंड (पेनिस) का सुपडा फीर से मेरी चुत में घुस गया लेकिन इस बार मुझे ज्यादा दर्द
नहीं हुआ. मैंने अपनी चुत को जैसे ही थोडा सा और दबाया तो मेरे मुह से चीख नीकल पडी. अब उसका लंड (पेनिस) मेरी चुत में लगभग २” तक घुस चूका था. मेरी टांगें थार-थार कांपने लगी. मेरी धड़कन
बहुत तेज चलने लगी. लग रह था की कोई गरम लोहा मेरी चुत को चीरता हुआ अन्दर घुस रह हो. मैं रूक गयी. थोड़ी देर बाद मैंने धीरे धीरे अपनी चुत को उसके लंड (पेनिस) पर ऊपर निचे करना शुरू कर
दिया. जब मेरा दर्द फीर से कुछ कम हुआ तो मैंने थोडा सा जोर और लगा दिया. मैं फीर से चीख उठी और उसका लंड (पेनिस) मेरी चुत में ३” तक घुस गया.

मैंने फीर से अपनी चुत में उसके लंड (पेनिस) को धीरे धीरे अन्दर बहार करना शुरू कर दिया. थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो उसने मुझसे लेट जाने का इशारा कीया. मैं जोश से पागल हूई जा रही थी और उसके इशारे के बाद मैं उसके ऊपर से हट गयी और बेड पर लेट गयी. मैंने सोचा अब जो होगा देखा जाएगा. उसने मेरे चुताड के नीचे २ तकिए रख दिए. फीर वो मेरी टांगों के बीच आ गया और उसने मेरी चुत के बीच अपने लंड (पेनिस) का सुपडा रख दिया और मेरी टांगों को पकड़ कर दूर दूर फैला दिया. मैं दर रही थी की वो कहीँ जबरदस्ती ही अपना पूरा का पूरा लंड (पेनिस) मेरी चुत में ना घुसेड दे. उसने धीरे धीरे अपना लंड
(पेनिस) मेरी चुत के अन्दर दबाना शुरू कीया. उसका लंड (पेनिस) धीरे धीरे मेरी चुत में घुसने लगा. जैसे ही उसका लंड (पेनिस) लगभग ४” तक मेरी चुत में घुसा तो मैं चीखने लगी और वो रूक गया.
उसने अपने होठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे बूब्स को मसलते हुये धीरे धीरे अपना लंड (पेनिस) मेरी चुत के अन्दर बहार करने लगा. अब मैं समझ गयी की वो जबरदस्ती अपना लंड (पेनिस) मेरी
चुत में नहीं घुसयेगा. थोड़ी देर बाद जब मैं झाड़ गयी तो उसने अपनी स्पीड थोडा तेज कर दी. थोड़ी देर बाद उसने एक हल्का सा धक्का लगा दिया तो मेरे मुह से आह नीकल पडी और उसका लंड (पेनिस) और
ज्यादा गह्रायी तक मेरी चुत में घुस गया. वो फीर से धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. उसका लंड (पेनिस) अब तक मेरी चुत के अन्दर लगभग ५” तक घुस चूका था.

वो मुझे धीरे धीरे चोद्ता रह तो थोड़ी देर बाद मेरा दर्द जता रह और मुझे मज़ा आने लगा. ५ मं तक चुदवाने के बाद मैं फीर से झाड़ गयी. मेरे झड़ने के बाद उसने फीर से अपनी स्पीड बढ़ा दी. मुझे अब बहुत ही मज़ा आ रह था. मैंने अपना चुताड उठाना शुरू कर दिया था. मुझे चुताड उठा उठा कर चुद्वाता हुआ देखकर वो रूक गया और उसने धीरे धीरे अपना लंड (पेनिस) मेरी चुत के अन्दर और ज्यादा गह्रायी तक घुसना शुरू कर दिया. उसका लंड (पेनिस) भौत ही धीरे धीरे मेरी चुत को चीरता हुआ अन्दर घुसता जा रह था. जैसे ही उसका लंड (पेनिस) मेरी चुत के अंदर थोडा और घुसा तो मैं फीर से तड़पने लगी लेकिन इस बार मैं चीखी नहीं. दर्द के मारे मैंने अपने होठ जकड लीये. वो अपना लंड (पेनिस) धीरे धीरे मेरी चुत इमं घुसता रह. जब उसका लंड (पेनिस) मेरी चुत में लगभग ७” तक घुस गया तो मैं दर्द से तड़प उठी और मेरे
मुह से जोरदार चीख नीकल ही गयी. मेरी चीख निकलते ही वो रूक गया. थोड़ी देर तक रुकने के बाद उसने फीर से धीरे धीरे मेरी चुदायी शुरू कर दी. थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द फीर से कुछ कम हो गया
तो उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मुझे तेजी के साथ चोदने लगा.

मैं जोश के मारे पागल सी हूई जा रही थी और जल्दी से जल्दी उसका पूरा का पूरा लंड (पेनिस) अपनी चुत के अंदर लेना चाहती थी. लगभग १० मं तक चुदवाने के बाद मैं फीर से झाड़ गयी. मेरे झाड़ जाने के बाद उसने फीर से अपना लंड (पेनिस) मेरी चुत में धीरे धीरे घुसना शुरू कर दिया. मेरी चुत अब तक एक दम गीली हो चुकी थी इस लीये इस बार उसका लंड (पेनिस) आसानी से मेरी चुत के अंदर धीरे धीरे घुसता जा रह था. मैंने अपने होठ जोर से जकड रखे थे. उसका लंड (पेनिस) मेरी चुत को चीरता हुआ अंदर घुसता ही जा रह था. थोड़ी देर बाद जब उसका लंड (पेनिस) मेरी चुत में लगभग ९” तक घुस गया तो मैं तड़प उठी और मेरे मुह से फीर एक चीख नीकल पडी. इस बार वो रुका नहीं. उसने अपना लंड (पेनिस) आधे से ज्यादा मेरी चुत से बहार खीचा वापस बहुत ही जोरदार धक्के के साथ मेरी चुत में घुसेड दिया. मेरे मुह से बहुत ही जोरदार चीख निकली. उसने ४-५ बहुत ही जोरदार धक्के लगा दिए तो उसका पूरा का पूरा लंड (पेनिस)
मेरी चुत में घुस गया. पूरा लंड (पेनिस) मेरी चुत में घुसा देने के बाद उसने मेरी चुदायी शुरू कर दी. मैं दर्द के मारे चीखती रही लेकिन मैंने उसे मन नहीं कीया.

थोड़ी देर बाद मेरा दर्द एक दम कम हो गया तो मैंने चुताड उठा उठा कर उसका साथ देना शुरू कर दिया. उसने अपनी स्पीड और तेज कर दी. लगभग १० मं तक चुदवाने के बाद मैं फीर से झाड़ गयी. उसने अपनी स्पीड और तेज कर दी. वो मुझे तेजी के साथ चोद्ता रह और मैं एक दम मस्त हो कर उस से चुदवा रही थी. अब वो इतने जोर जोर के धक्के लगा रह था की उसका हर धक्का मुझ पर भरी पड़ रह था. उसके हर धक्के के साथ मेरे बदन के सारे जोड़ हिल रहे थे. मेरी चुत में अब ज्यादा दर्द नहीं हो रह था. मुझे चुदवाने में आज जो मज़ा पहली पहली बार मिल रह था उसके आगे ये दर्द कुछ भी नहीं था. लगभग १५ मं और चुदवाने के बाद जब मैं झाड़ गयी तो उसने अपना लंड (पेनिस) मेरी चुत से बहार नीकल लीया. मैं उस से पूछा, अब क्या हुआ तो उसने इशारे से मुझे doggy स्टाइल में होने को कहा. मैं doggy स्टाइल में हो गयी. वो मेरे पीछे आ गया और उसने धीरे धीरे अपना पूरा का पूरा लंड (पेनिस) मेरी चुत में घुसा दिया. इस बार मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ.

उसके बाद उसने मेरी क़मर को पकड़ कर मेरी चुदायी शुरू कर दी. इस बार वो बहुत ही तेजी के साथ मुझे चोद रह था. सारा बेड जोर जोर से हिल रह था. मेरी जोश भरी सिस्कारियां रूम में गूज रही थी और वो जम कर मेरी चुदायी कर रह था. थोड़ी देर बाद उसने मेरी क़मर को छोड़ दिए और अपने दोनो हाथों से मेरे दोनो निप्प्लेस को मसलते हुये मुझे चोदने लगा. मं एक दम मस्त हो चुकी थी. अब तक मुझे चुद्वाते हुये लगभग ४५ मं हो चुके थे और वो था की झड़ने का नाम ही नहीं ले रह था. वो मुझे एक दम आंधी की तरह चोद्ता रहा. लगभग १ घंटे के बाद उसने रूक रूक कर जोर जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिए तो मैं समझ गयी की अब वो भी झड़ने वाला है.

मैं भी बस झड़ने ही वाली थी. २ मं में ही मैं झाड़ गयी और मेरे साथ ही साथ वो भी झाड़ गया. उसके लंड (पेनिस) से ढ़ेर सारा जूस निकला जैसे की वो बहुत दीन बाद झाडा हो. लंड (पेनिस) का सारा का सारा पानी मेरी चुत में नीकल देने के बाद वो हट गया और लेट गया. मैंने उसके लंड (पेनिस) को चाट चाट कर साफ कर दिया. आज ज़िंदगी में पहली बार मुझे चुदवाने में बहुत ही मज़ा आया और मैंने भी एक दम मस्त हो कर उस से चुद्वाया. वो भी मुझे चोदने के बाद बहुत ही खुश दीख रहा था और लग रहा था की जैसे बरसों बाद उसके लंड (पेनिस) की प्यास बुझी हो. लगभग १ घंटे तक हम दोनो लेते रहे और एक दुसरे के बदन को सहलाते हुये होंठों को चूमते रहे. उसके बाद मैंने उसका लंड (पेनिस) फीर से चूसना शुरू कर दिया तो २ मं में ही उसका लंड (पेनिस) फीर से खड़ा हो गया.

इस बार मैंने उस से doggy स्टाइल में ही चुद्वाया. मरई चुत पहली बार की चुदायी में सूज गयी थी इस लीये मुझे फीर से थोडा थोडा दर्द होने लगा लेकीन थोड़ी देर बाद मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आया. उस ने भी इस बार मेरी जम कर चुदायी की.इस बार उसने मुझे लगभग १ १/२ घंटे तक बहुत ही बुरी तरह से चोदा और फीर झाड़ गया. इस बार की चुदायी के दौरान मैं ४ बार झाड़ गयी थी. झाड़ जाने के बाद उसने अपना लंड (पेनिस) मेरी चुत से बहार निकला और मेरी चुत को चाटने लगा. जब उसने मेरी चुत को चाट चाट कर एक दम साफ कर दिया तो उसने अपना लंड (पेनिस) मेरे मुह के पास कर दिया. मैंने भी उसके लंड (पेनिस) को बडे प्यार से चाटा और चाट चाट कर एक दम साफ कर दिया. मैंने उस से कहा, आज तुमसे चुदवाने में मुझे जो मज़ा आया है मैं उसे कभी भी नही भूल पाऊँगी. तुमसे चुदवाने में मेरी चुत में बहुत दर्द हो रहा है लेकीन मुझे तुमसे चुदवाने में जो मज़ा आया है उसके आगे ये दर्द कुछ भी नहीं है. वो चुप चाप उठा और kitchen में चला गया. थोड़ी देर बाद वो पानी गरम कर के ले आया और उसने बडे प्यार से मेरी चुत की ख़ूब सिकयी की. १५-२० मं की सिकयी के बाद मेरी छुआ का सारा दर्द जता रहा. उसके बाद वो मेरी बगल में लेट गया. थोड़ी देर बाद उसने टेबल पर से लैटर पड़ और पेन उठा लीया और कुछ लिखने लगा. मैंने अब जाना की ये तो पढा लीखा भी है. मैं चुप चाप देखती रही. थोड़ी देर बाद मैंने पूछा क्या लीख रहे हो तो उसने मुझे लैटर पड़ दे दिया. उसे पढने के बाद मैं सकते में आ गयी.

उसने लीखा था की वो सुनील का सबसे बड़ा भाई रोहन है और property हड़पने के चक्कर में सुनील ने उसकी जुबान कट कर उसे पागल बाना दिया था जब की वो बिल्कुल भी पागल नहीं है. सुनील ने अपने मझले भाई सोहन का मुर्देर भी कर दिया था. उसने ये भी लीखा था की वो १२ तक पढा लीखा है. उसकी कहानी पढने के बाद मुझे सुनील से नफरत होने लगी. मैंने मन ही मन सोच लीया की अब मुझे सुनील के साथ नहीं रहना है. मैं मन ही मन रोहन से बहुत ज्यादा प्यार करने लगी. मैंने सोच लीया की रोहन भले ही गूंगा है, मैं उसी को अपना जीवन साथी बाना कर उस के साथ अपनी सारी ज़िंदगी गुजर दूँगी. सुनील के आने तक मैंने उस से ख़ूब चुद्वाया. उसने भी मेरी बहुत ही अच्छी तरह से चुदायी की. वो हर बार मुझे लगभग १ घंटे तक चोद्ता था और उस के पहले कभी नहीं झाड़ता.

मुझे भी उस से चुदवाने में बहुत बहुत मज़ा आता था और मैं एक दम मस्त हो कर उस से चुद्वाती थी. सुनील के आने के बाद एक दीन मैंने मायके जाने का बहाना कीया. सुनील ने कहा, ठीक है, चली जाओ लेकीन जल्दी वापस आ जाना. मैंने रोहन को बस स्टोप पर बुला रखा था. रोहन को लेकर मैं दुसरे शहर में चली गयी. उस के बाद मैंने सुनील से तलक ले लीया और रोहन के साथ शादी कर ली. मैंने एक ऑफिस में नौकरी कर ली. बाद में उसी ऑफिस में रोहन को भी नौकरी मील गयी. आज मैं रोहन के साथ बहुत ही खुश हूँ.







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