Tuesday, December 16, 2014

बर्फ़ीली तूफ़ानी रात

बर्फ़ीली तूफ़ानी रात 
वो एक तूफ़ानी और अंधेरी रात थी. बरफिला तूफान पिछले काई दीनो से लगातार चल रहा था और आज बरफ के साथ साथ बारिश भी शुरु हो गयी तीवव, तेज़ बर्फ़ीली हवा जैसे उस तूफान की भयनकर्ता को और बढ़ा रही थी. घर के डरवाजे और खिड़कियाँ उस बर्फ़ीले तूफान के हमले से कांप रही थी, और नितिन भी उस भयनकार सर्दी की वजह से कांप रहा था.
वो एक भयंकर द्रवनी रात थी. उसके दो कंबल मिलकर भी उस ठंड को रोक नही ओप्पा रहे थे. उसके बेड के पास पड़ा छोटा हीटर किसी भी चीज़ को गरम करने मे असमर्थ था. हीटर का चमकता लाल स्प्रिंग एक आश्वासन मटर था वो भी आससोतेली माँी बिजली के यादा कड़ा कदकाने पर उसकी तीखी रोशनी के आयेज फीका पद जाता.
वो आपनी धरकन को गिन रहा था ता के आपना ढयन गरजते तूफान से हटा सके और आपने विचारों का रुख़ मौसम की वजए किसी और तरफ मोड़ सके. 20 साल की आयु मैं भी कुद्रट का कहर बैचाईन कर देने वाला था.
जैसे जैसे रात बीट रही थी, ठंड बढ़ती जा रही थी. जब उसका जिस्म ठंड के मारे काँपने लगा तब उसका ढयन इस और गया के हीटर की लाल चमक कब की बुघ चुकी थी. बिजली चली गयी थी.
वो आपनी टाँगे आपने सिने से लगाए सिकुड सा गया. उसने कंबल को आपने बदन के चारों और पूरी तेरह से कस लिया टके ठंड अंडर घुसने के लाइ जेगह ना बचे और वो प्रार्थना करने लगा. रात लगभग आधे से ज़यादा गुज़र चुकी थी और तूफान कम होने के कोई असर नज़र नही आ रहे थे.
खिड़कियों की खटखटाहत, बादलों के गर्जन और द्रवाजों के भाद्बादाने के बीच किसी समय उसने डरवाजा खुलने की चरमराहट सुनी. फिर एक हाथ ने उसे हिलाया और उसने आपनी मा को कहते सुना “नितिन थोडा दूसरी तरफ को खिस्को, मुझे तुम्हारे साथ लेटना है”
बिजली जाने के बाद कल्पना आपने कमरे मैं ना रुक सकी. उसे ठंड और उस शोरशराबे से सखत नफ़रत थी. बचपन से उसे आदत थी जब भी कोई एसी तूफ़ानी रात आती तो उसको किसी ना किसी के साथ सोना पड़ता. इससे वो ठंड से बच जाती थी और किसी के साथ होने से उसे कुद्रट की भयावहता से भी डर ना लगता.
वो नितिन के कमरे टक्क काँपते हुए पहुँची थी, हालांके उसने आपना कंबल ओढ़ा हुया था. उसके कमरे की खिड़की जिसकी एक चितकनी पोइरी तेरह से बंद नही थी, हवा के तपेदों से खुल गयी और हवा के साथ साथ बाइश भी उसके बेड टक्क पहुँच गयी और उसके कंबल को गीला कर दिया. कोई बात नही, उसने सोचा, हम गीले कंबल को उपर रख लैंगे जिससे वो हमारे जिस्मो को स्पर्श ना कर सके.
नितिन ने जो कंबल औधा हुया था, कल्पना ने उसका एक सिरा पकड़ कर उसे खींचा. ठंडी हवा नितिन से सेमेंट की स्लॅब की तेरह टकराई. वो जल्दी से नितिन के कंबल मैं घुश गयी और आपना कंबल उसके कंबल के उपर फैला दिया और उसे आपने बदन के नीचे दबाकर पूरी तेरह सेअलबंद कर दिया. उसके दाँत किटकिता रहे थे और वो धीमे से बुदबुदाई, “मुझे लगता है भगवान आज वक्यी बहुत क्रोधित हैं!”
वो आपने जिस्मो की साइड से साइड जोड़े लेते हुए थे. उसका डायन हाथ उसके कंबल को उसकी तरफ से दबाकर ठंडी हवा के प्रहार को रोकने की कोशिस कर रहा था. कल्पना आपनी तरफ से कंबल दबाकर बदन मैं कुछ गर्मी लाने का जुगाड़ कर रही थी. वो आपने मुख से आपने हाथों पे गरम फ़ोननके मार रही थी और फिर उसने उन्हे मज़बूती से बाँध दिया और फिर उन्हे आपनी जंगो के बीच लेजकर कस लिया जैसे हम एक्सर आपने ठंडे हाथों को गरम करने के समय करते हैं. उसने आपना हाथ आपनी मा के सर के नीचे से ले जाकर उसकी तरफ से भी कंबल सील करने का प्रयाटन किया. कल्पना ने उसकी तरफ करवट ली और उसके कंधे पर सर रखकर उससे सात गयी. उसका बयान घुटना उसकी तंग के नीचे था और डायन तंग के उपर.
उस आरामदायक मुद्रा मैं, जो भी थोड़ी बहुत सरिरक़ गर्मी उनके अंडर बची थी और उसके साथ साथ दो कंबलों को औधने से उन्हे ठंड का प्रभाव कम होठा नज़र आने लगा. जैसे जैसे उनकी हालत सुधारने लगी और उन्हे अच्छा लगने लगा तो वो और भी कस कर चिमत गये टके ज़यादा से ज़यादा गर्माहट का एहसास ले सकें.
गर्माहट के साथ साथ, उसकी मा के जिस्म की अदुभूत कोमलता भी नितिन को बहुत सुखदायी महसूस हो रही थे—जैसे ममतमयी सुखदायी होठी है. कल्पना भी आपने बेटे के साथ बहुत सुरुक्शित और रहट महसूस कर रही थी. जब उन्हे सर्दी लगनी बंद हो गयी तो बहुत जल्द दोनो नींद के आगोश मैं चले गये.
रात के किसी समय बिजली वापस आ गयी थी. अगली सुबेह नितिन का सरीर जागने से पहले उसका सोतेली माँ जाग उठा जो रात के कहर के कारण बुरी तेरह तका हुया था. वो बेड पे , आँखे बंद किए, टाँगे फैलाए कंबल से और गर्माहट पाने क मकसद से चुपचाप लैयता रहा. ज़्यादातर उसकी सुबेह हमेशा खूबसूरत होठी थी क्यॉंके रात को देखे एक दो सपनो की.वजेह से सुबेह उसका लंड हमएसा आकड़ा होठा. कभी कभी वो उसे आपने अंडरवेर के उपर से थाम लेता और कॉटन के मुलायम कपड़े से आपनी उंगलियों और आपनी हथेली की नर्माहट का आनंद लेता.
आज उसके हाथ कुछ ज़यादा ही कोमल और मुलायम महसूस हो रहे थे. आपना जिस्म टांट हुए उसने आपना लंड और ज़यादा आपनी हथेलियों मैं धकेला टके उसे ज़यादा से ज़यादा आपने हाथों की कोमलता मैं छुपा सके तभी उसकी आँखे झटके से खुल गयी. उस जाहतके से वो बरफ की तेराफ सुन्न पड़ड़ गया जब उसे एहसास हुया के वो आपना लंड आपनी मा के नितंबो के विच दबा रहा है. पिछली रात की यादें उसके दिमाग़ मैं ताज़ा हो उठी. उसे याद हो आया क्यों उसकी मा उसके बेड पर उसके साथ मोजूद थी टके वो दोनो साथ लाथकर कुछ गर्माहट हासिल कर सके और उस बर्फ़ीली ठंडी रात को काट सके. मगर अब जब उसकी जाग खुली थी तो उसका लंड आपनी मा के नितंबो के बीच फसा हुया था. देखने से लग रहा था वो अभी भी गहरी नींद मैं है.
उसने यथासंभव खुद को स्थिर बनाए रखा, उसे डर्र था किसी भी हिलजुल से उसकी नींद टूट जाएगी और वो जान जाएगी के उसके लेडल का लंड उसकी गांड मैं घुसा पड़ा है. मगर खुद को स्थिर बनाए रखना उसकी बड़ी भूल साबित हुया क्यॉंके उसके नथंबो के कोमल और मुलायम एहसास से उसका लंड और कड़ा हो गया था. उसका 22बर्षीय लंड पत्थर के ससोतेली माँ कड़ा था और उसके नितंबो की घाटी मैं फँसा हुया था और अब उसने झटके मरने शुरु कर दिए थे क्यॉंके पुर जिसम का लहू सोतेली माँो उसके लंड पर द्वब डाल रहा था. धीरे धीरे वो आपना लंड उसकी गांड से बाहर को खींच कर निकालने लगा. आपने लंड पर उसकी कोमल गांड का स्पराश कितना सुखद और कितना जबरदस्त महसूस हो रहा था मगर आपनी ही मा के जसाम पर आपना लंड रगड़ने के गुनाह से वो व्याकुल हो उठा था.
आख़िरकार कुछ समय बाद, उसका लंड उसकी डरर से बाहर था. वो करवट लेकर पीठ के बाल हो गया. वो सूकर सोतेली माँा रहा था के वो जागी नही थी और उसे मालूम नही चला था के काया हो रहा था. वो अभी भी स्थिर होकर लेता हुया था और आपने सोतेली माँ के उन एहसासो की मीठी यादों को दबाने का प्रयातन कर रहा था जब उसके नरम मुलायम कूल्हे उसके लंड को लीले हुए थे और साथ साथ ही जो कुछ घटा था उस पर उसको पछतावा भी महसूस हो रहा था.
आससोतेली माँ से रात भर जाम कर बारिश हुई थी और अब मुस्कराता हुया सुरे बादलों के बीच से कभी कभी झाँक रहा था. दिन मैं कुछ गर्माहट का एहसास होने लगा जब सुरे की तपिश ने सेमेंट की दीवारों और फ़राश को थोडा गरम कर दिया.
नितिन के उसकी गांड की डरर से आपना लंड निकल लेने के थोड़ी देर बाद ही तुनकती हुई कल्पना उठ जाती है और जमहाइयाँ लेने लगती है. वो बेड से उठ कर घर मैं घूमने लगती है इस बात से पूरी तेरह बेख़बर के उसके साथ काया घटा था. हालांके पीठ मैं नीचे हल्का सा द्वब उसे उलघन मैं डाले हुए था, मगर वो रात की थकान के बाद अभी भी पुर होश मैं नही थी इसलिए उसने इस और कोई विशेष ढयन नही दिया.
हिंदोस्तानी सभ्यता मैं मा का स्थान बहुत उँचा है, जैसे बाकी सभ्यताओं मैं भी है,. मगर हिंदोस्ताँ मैं भगवान के बाद मा का ही स्थान आता है. बलके हमारे धरम अनुसार मा भी भगवान है. शक्ति के रूप मैं उसकी पूजा होठी है. मा-बेटे का यह रिश्ता इतना पवित्तर है के आपनी मा के प्रति वासनतमक कामनाएँ करना एक्षम पाप सोतेली माँा जाता है.
जहाँ एक तरफ नितिन बहुत शर्मिंदा और व्याकुल था वहीं वो उस उत्तेजना को भी झुठला नही सकता था जो उसे उस एहसास के याद आने से होठी थी जब उसका लंड आपनी मा के नितंबो के बीच फँसा हुया था. कपड़े के उपर से भी उसकी गांड कितनी कोमल, कितनी नरम कितनी मुलायम महसूस हो रही थी, कैसा जबरदासत एहसा था जब उसका लॅंड आपनी मा के नितंबो की गर्माहट ले रहा था. गुनाह और सुंडर एहसास, शरम और मादकता, और जो स्ंक्षेप मैं कुछ भी हो सकता था स्वराग जा नरक- की विपरीत मनोस्थिति की ब्यावनेयों मैं वो उलघा हुया था. कम से कम वो इतना तो सूकर सोतेली माँा ही सकता था के उसकी मा इन सभ बातों से अंजन थी. वो आपने सोतेली माँ मैं चल रहे मनमांतक को खुद ही झेल रहा था.
अगली रात कल्पना ने सबधनी और शुरुकशा वार्तते हुए पहले ही नितिन के साथ लेटने का फ़ैसला किया इससे पहले के ठंड से मजबूर होकर उसे यह कदम उठना पड़ता. समाघडरी इसी बात मैं थी के भयंक सर्दी और मूसलाधार बारिश से बचने की त्ययारी पहले से ही कर ली जाए. दो कंबल, बेड के डॉनी तरफ दो हीटर और दो बदन कुद्रट के आतंक से बचने के लिए सुरुक्षा प्रदान करने वेल थे.
कल्पना गहरी नींद मैं थी जबके उसका लंड पूरा कठोर था. पिछली रात वो नींद मैं उसकी पीठ से चिपक गया था और उसका लंड उसके नियतंबो की डरर मैं घुश गया था. इस रात वो उसकी डरर से बाहर था. वो आज भी पिछली रात की तेरह नींद मैं उसकी पीठ से सात सकता हा और जागने पर उसी मीठी सनसनी का आनंद ले सकता था,मगर वो एसा नही कर पाया था. वो कर सकता था मगा उसने किया नही.
वो विचार उसके दिमाग़ मैं उतनी ही तेज़ी से आया जितनी तेज़ी से आससोतेली माँी बिजली धरती की और झपट रही थी. वो अबी भी…..अभी भी…..करवट ले सकता था…..उसकी पीठ से सतत सकता था…..और जागने पर आपनी मा के नितंबो के बीच घुसे आपने लंड का अनोखा मज़ा ले सकता हा.
वो गहरी नींद मैं थी और वो पूरी तेरह से जगा हुया था. वो आपनी आँखे बंद किए लैयता रहा, गहरी और नियनतरित साँस लेता रहा और फिर उसने उसके पीछे की और करवट ले ली टके उस पतित आनंद का मज़ा ले सके. वो आपनी गांडी सोच के लिए खुद को लानत दे रहा था बलके खुद पर शर्मिंदा भी था; मगर फिर भी वो आयेज बढ़ा और खुद को आपनी मा की पीठ के साथ सता कर व्यवस्थित किया.
बर्फ़ीली तूफ़ानी रात
बर्फ़ीली तूफ़ानी रात – Desi story – 2
उसने आपने हाथ से आपना लंड थाम उसका रुख़ सीधा सामने की और किया और इसके बाद उसने धीरे धीरे आपनी कमर एक एक इंच आयेज सरकानी शुरु कर दी. उसे लगा जैसे वो अनंतकाल से कोशिश कर रहा है मगर आख़िरकार लंड का अगर्भाग उसकी गांड से स्पर्शित हुया. मगर वो उसके नितंबो की डरर से डोर उसके दाएँ नितंब के एकदम बीच मैं सता था. जिस तेरह वो आयेज बढ़ा था उसी तेरह से फिर से वापस पीछे हटने आगा, उसने खुद को फिर से व्यवस्थित किया और फिर से आयेज बढ़ने के यतनामयी सफ़र की सुरुआत की.
इस बार उसके लंड ने आपनी मा के नितंबो की डरर के एकद्ूम बीच मैं दस्तक दी और सोने पे सुहागा यह के एकद्ूम वहाँ उसका लंड गया था जहाँ उसके नितंब पुर भरे हुए थे और डरर एकद्ूम गहरी थी. उसने आपनी साँस को नियनतरित करने की कोशिश की जबके उसका लंड बांउस्कल से उसके नितंबो को छू रहा था. मगर वो हलका सा स्पराश भी काफ़ी था नितिन की धड़कने बढ़ा देने के लिए, उसकी रागो मैं दौड़ते हुए खून की रफ़्तार को दुगना कर देने के लिए. वो कान लगाकर उसकी साँस की आवाज़ सुनता रहा टके देख सके अगर उसने उसे जगा तो नही दिया है. जाहिर था नही. कल्पना अभी भी गहरी नींद मैं सोई हुई थी.
एक लंबे अंतराल टक्क वहाँ रुकने के बाद उसने थोड़ी हिम्मत की और धीरे से उसे थोडा सा अंडर धकेला. उसके नितंब द्वब की वेजह से फैल गये और उसका सूपड़ा गर्माहट से भरपूर उसके कोमल नितंबो की डरर मैं घुश गया. अभी भी उसकी नींद मैं कोई विघन नही आया था. उसका लंड पत्थर के स्मन कठोर था और बुरी तेरह से तड़पदा रहा था. उसके जिसम का सारा खून उसके लंड पर केंद्रित था. उसकी विचार कशमता उस जबरदस्त एहसास से कुछ उलघ गयी और उसने आपना लंड और आयेज ठेलने का फ़ैसला किया.
उसका लंड नितंबो की डरर को फैलता हुया अंडर घुसता चला गया. उसका लंड काफ़ी लंबा और मोटा था और उसने उसके नतंबो को काफ़ी हड्द टक्क फैला दिया था. कल्पना इस अग्यात एकर्मन पर नींद मैं कुन्मुना उठी. नितिन बुरी तेरह से घबरा गया. उसे समाघ नही आया अगर उसे एकद्ूम से आपना लंड बाहर खींच लेना चाहिए था जा काया करना चिए था. वो जाग रही थी. उसका लंड उसकी गांड मैं फँसा हुया था. वो बहुत बड़ी उलघन मैं था.
कल्पना आपनी पीठ मैं किसी चीज़ के द्वब की सनसनाहट से जाग उठी. उसे मालूम नही चला के काया हो रहा था क्यॉंके वो अभी भी आधी नींद मैं थी मगर उसे यह एहसास होने मैं ज़यादा वाक़त नही लगा के उसके नितंबो के बीच कुछ गुशा हुया है. मोटाई और आकर से जाहिर था के वो लिंग था और क्यॉंके वो नितिन के साथ बेड पर सोई हुई थी, यह उसी का लिंग होना चाहिए था. नितिन का लिंग उसके नितंबो की डरर मैं घुशा हुया था; इस बात के एहसास से वो एकद्ूम परेशन हो उठी. उसके बेटे का लिंग उसकी गांड मैं था, उसे यकीन नही हो रहा था.
तनाव से उसका बदन कुछ कस्स गया था, जिस कारण उसके नितंब आपस मैं भींच गये और नितंबो के साथ-साथ उनमे घुशा हुया उसके बेटे का लंड भी भींचता चला गया. वो आपने स्थान पर जड़वत हो गयी; उसे समाघ नही आ रहा था के वो काया करे. उसे विश्वास था वो एसा जांबुज्कर नही कर रहा था, आख़िरकार वो उसका बेटा था. यह असंभव था के कोई बेटा आपनी मा की गांड मैं आपना लंड चुबोय. ज़रूर यह संयोगवश हुया था क्यॉंके वो बहुत गहरी नींद मैं प्रतीत हो रहा था. मगर अब समसाया यह थी के उसका लंड इस हड्द टक्क उसके नितंबो की डरर मैं फँसा पड़ा था के अगर वो आपनी कमर हिलाकर उसे बाहर निकलती तो उसका बेटा जाग सकता था. वो उसे जगाना नही चाहती थी. वो नही चाहती थी के उसका बेटा जागे और आपनी मा की गांड आपने लंड पर महसूस करे. इस हालत मैं जागने पर वो काया सोचता?
उसने आपने जिसम को ढीला छोढ़ा और धीरे धीरे आपनी कमर आयेज को खींचने लगी. लंड आराम से बाहर आता जा रहा था. वो आपनी कमर ताब्ब टक्क आयेज को खींचती रही जब्ब टक्क वो उसकी डरर से बाहर ना निकल आया और आपने बलबूते झूलने लगा. उसने रहट की साँस ली क्यॉंके इस पुर घटनाचाकर दौरान नितान जगा नही था. उसे यकीन नही हो रहा था के नींद ने उन्हे इतनी घणिष्टता से आपने आगोश मैं ले लिया था के उनके जिस्म इस मुद्रा मैं जुड़ गये थे. उसने इसके लिए खुद को कसूरवार ठहराया क्यॉंके यह उसी का विचार था के उन दोनो को ठंड से बचने के लिए एक साथ सोना चाहिए. वो इतना सूकर सोतेली माँा रही थी के उसका बेटा उनके बीच बने इस कामनीय संपरक से अंजन था. अगर उसे मालूम चल जाता तो वो काया सोचता?
वहाँ लेते लेते जब वो उस घटना के बारे मैं सोच रही थी तो वो उसके लंड का द्वब आपने नितंबो के अंदूरनि भाग मैं महसूस कर सकती थी. हालांके लंड बाहर निकल चुका था मगर उस द्वब से उसे अबी भी एसा महसूस हो रहा था जैसे वो अभी भी वहीं है, उसके नतंबो के बीच. वो चाह कर भी खुद को असचर्यचकित होने से रोक ना सकी जब उसे ख़याल आया केउसका बेटा कितना बड़ा हो गया है. मगर उस विचार के सोतेली माँ मैं आते ही उसने खुद को एसी घटिया सोच के लिए फटकारा. उसका लंड सच मैं बहुत गर्माहट भरा महसूस हुया था! उसने सोचा के बिजली जाने की हालत मैं उसके बेटे के पास बिना बिजली का हीटर था जो काफ़ी गर्मी पहुँचा सकता था. इस विचा के आने के बाद उसने फिर से खुद को धिक्कारा.
आख़िरकार वो उठ खड़ी हुई और आपने कमरे मैं चली गयी. उसने कमरा अंडर से बंद कर लिया और आपने नितंबो के बीच उस हिस्से को रगड़ने लगी जहाँ उसके लंड ने द्वब डाला था जैसे वो लंड बाहर निकल जाने के पासचात पीछे रह गये एहसासों को बी रग़ाद कर मिटा देना चाहती थी. मगर लंड की गरमाहट भारी सनसनाहट जाने का नाम ही नही ले रही थी. आपनी मा के चले जाने के बाद नितिन ने रहट की साँस ली. उसकी किस्मत अछी थी के वो पकड़ा नही गया था. मगर उसके सोतेली माँ मैं जिगयसा ज़रूर थी के उसकी मा ने उस घटना को लेकर काया सोचा होगा मगर फिर जिस तेरह से उसने आपने नितंबो के बीच से उसका लंड बाहर निकाला था और जिस तेरह से वो वहाँ से गयी थी उसे देखकर नितिन ने अंदाज़ा लगाया के सयद उसकी मा ने इस सभ को एक संयोगिक घटना सोतेली माँा था.
एक समय वो जाग रहा था और वो सोई हुई थी और दूसरे समय, वो जाग रही थी और वो सोया हुया था, यह बात अलग थी के नितिन दोनो समय जागा हुया था मगर यह बात कल्पना को मालूम नही थी. दोनो घटनायों मैं कुछ स्सोतेली माँता थी. उसका लंड आपनी मा की गांड मैं घुशा हुया था. इससे काई बातों मैं बदलाव आ गया था. अब उस बेड पर आपने बेटे के साथ लैयती हुई कोई मा नही थी. अब वो कल्पना थी जो उस नितिन के साथ लैयती थी जिसके पास एक लंड था. नितिन अब वो पहले वाला उसका मासूम बच्चा नही रहा था. वो अब एक मारद बन चुका था जिसके पास एक लंड था. अब कल्पना को कुछ समाघ नही आ रहा था वो इस मुद्दे को किस तेरह सुलझाए. अब वो उसे पहले की तेरह आलिंगन नही कर सकती थी ना ही उसे पहले की तेरह आपने सिने से छिपटाकर सो सकती थी. अब उसके पास एक लंड था.
उसे यह सभ बहुत ही मूर्खतापुराण जान पड़ता था क्यॉंके यह सभ उसे पहले से मालूम होना च्चिए था मगर आज टक्क उसने आपने बेटे को लंड रहट बेटे की तेरह देखा था. मगर अब उसके पास लंड था, और अब हालातों मैं बदलाव होना चाहिए था. हालातों मैं बदलाव हुया भी. वो अब उसके साथ फिर से एक ही बेड पर सोना नही चाहती थी. उसके पास उसका वो लंड होगा और…..और….उफफफफफफ्फ़ वो कितना कठोर था! उसने खुद को इस सोच के लिए धिक्कारा के उसके बेटे का लंड उसे कितना कठोर महसूस हुया था. और….और वो कितना गर्माहट भरा महसूस हुया था! और…….वो खुद पर चीख पड़ती है जब उसे याद आता है के उसका स्पराश कितना सुखद कितना सुंडर महसूस हुया था. लानत है तुम पर कल्पना! वो खुद को धिक्कारती है. तुम एक मा के आपने पुत्र के साथ पवित्तर रिश्ते पर कलंक हो. तुम उसके बारे मैं एसए सोच रही हो जैसे वो तुम्हारी कोख से नही जन्मा है.
अब उसके गर्भ से निकले एक मारद और किसी और के गर्भ से निकले मारद मैं यही फराक था के पहले वाला मारद एक बार उसके गरभ से बाहर निकालने के बाद वापस दोबारा उसके गरभ मैं परवेश नही कर सकता था. इसीलिए वो इस कडर घबराई हुई थी. उसके गरभ मैं नितिन के आपने लंड द्वारा परवेश के विचार ने उसे इस कडर भयभीत दिया के वो भागती हुई भगवान की प्रतिमा के सामने खड़ी हो गयी और आपनी आपवित्तर सोच के लिए कशमा याचना करने लगी.
नितिन भी कुछ इन्ही विचारों मैं डूबा हुया था. वो चाह कर भी आपनी मा की कोमल गांड के नरम, मुलायम एहसास को भुला नही पाया था और वो उस जबदसत एहसास को भी याद कर रहा था जब उसका लंड उसके नितंबो से रग़ाद ख़ाता हुया बार आया था. उस एहसास के बाद उसकी दूसरी तरफ लंड घुशा कर बाहर निकालने के एहसास का अंदाज़ा लगाना कठिन नही था. वो खुद को आपनी मा की चुत मैं आपना लंड घुसेडे होने की कल्पना करने से रोक ना पाया. इसके बाद वो भी भागता ह भगवान की प्रतिमा के स्मकश आपनी पतित सोच के लिए माफी माँगने लगा.
बारिश से सारॉबार काई रातें आई और काई रातें गयी. कल्पना उसके बेड पर जाने की हिम्मत ना जुटा सकी. वो दोनो नसों मैं लहू जमा देने वाली सर्दी को बर्दाशत करते रहे मगर वो एक दूसरे से दूरी बनाए रहे. यह वो थी जो पहले की तेरह उसके बेड पर नही गयी थी. वो बेड मैं उसके साथ लेटने से डरती थी के कहीं उसका लंड फिर से उसके जिस्म के संपर्क मैं ना आ जाए. वो जनता था के सयद वो जानती है के उसने वो सभ जांबुज्कर किया था इसीलिए वो उससे दूरी बनाए हुए थी. उसे तो और भी बुरा महसूस हो रहा था.
फिर से एक बहुत भयावह बर्फ़ीली तूफ़ानी रात उस सहर मैं आई और कल्पना को नाचहते हुए भी उसके पास उसके बेड पर जाना पड़ा. रात को इतनी भयानक ठंड थी के आपने बेड पर इस तेरह तटूरते हुए, काँपते हुए सोना उसके लिए नामुमकिन था. उस ठंडे मौसम से लड़ने के लिए उन्हे इकट्ठे होना ही था.
इस बार दोनो आपने जिस्मो मैं किसी कामनीय संपर्क की संभावना के प्रति सचेत थे और किसी एसए उत्तेजिक सम्पर्क से बचने के लिए एक दूसरे के बीच कुछ दूरी बनाए हुए थी. नितिन ताज़ा-ताज़ा ज्वानी के जोश और गरम खून की वेजह से आपने लंड को खड़ा होने से रोक ना पाया. वो ना चाहते हुए भी यही सोचते हुए बहुत उत्सुकता मैं थी के काया उसका बेटा उसकी देह के संपर्क मटर मैं से उत्तेजित हो जाता था. दोनो एक ही चीज़ के बारे मैं सोच रहे थे. उसका लंड खड़ा था, वो जनता था. काया उसका लंड खधा है? वो जानना चाहती थी.
बर्फ़ीली तूफ़ानी रात – Desi story – 3
नितिन उसकी तरफ से मुँह मोधकर आपनी साइड पर लैयता हुया था. वो उसकी तरफ आपनी पीठ नही करनी चाहती थी इसीलिए वो उसकी तरफ आपना मुख करके लाइट गयी. एक मा की छाती उसके जिसम का बेहद पवित्तर अंग होठी है. अब उसकी छाती उसकी पीठ से सती हुई थी. वो भगवान से मिलने वाली उस भयानक सज़ा से ख़ौफज़दा था क्यॉंके उसकी छाती उसके जिसम मैं उसकी आत्मा मैं एक अंतहीन ज्वाला भड़का रही थी.
उसके मुम्मो की कोमलता उसके नसों मैं तबाही फैला रही थी. वो ना सिरफ़ एक क्टर की तेरह कठोर हो चुका था बलके वो अत्यधिक कामोत्तेजित भी हो चुका था. उसके मुम्मो का एहसास इतना प्यारा था के वो उसी पल आपनी मा की तरफ करवट लेकर उसके मुन्मे आपनी पूरी छाती पर रगड़ना चाहता था.
अंत-तहा वो सो गयी. वो उसकी सांसो के गहरे और सामने होने का लगातार इंतेज़ार करता रहा. कोई एक घंटे बाद वो गहरी नींद मैं थी. इसके बाद वो धीरे से उसकी तरफ पलट गया और उसके उपर आपना बाँह रखकर उससे आलिंगंबध हो गया. उसका लंड उसके जिसम से काई इंच आयेज टक्क बढ़ा हुया था. उसके मुम्मो से आपनी छाती के संपर्क मैं आने से कहीं पहले उसका लंड उसकी जाँघो के अगर्भाग के संपरक मैं आ गया. उसने जल्दी से खुद को व्यवस्थित किया और आपने लंड से आपनी मा को एकद्ूम उसकी जाँघो के बीच मैं चुया.
वो सो रही थी, इसलिए उसने उसे आपने बाजू के घेरे मैं लिए रखा. उस अवस्था मैं दोनो हल्के से आलिंगंबध थे और उसका फड़कता हुया लंड एकद्ूम उसकी चुत के उपर था. इस विचार से वो लगभग सखलित होठे होठे बचा के उसका लंड कपड़ों के उपर से उसकी मा की चुत को स्पराश कर रहा था. ज़रूर, वो खुद भी कपड़े पहाँे हुया था मगर वो संपर्क एसा था जो धार्मिक और सांस्कृतिक तौर पर अनसुना था.
फिर उसके अंडर वोही तीवर इच्छा जागी. उसने आपना हाथ उसकी गांड पर रख दिया और उसे आपनी और खींचते हुए और आपनी आयेज को धकेलेटे हुए उस पर इतना द्वब देने लगा जैसे वो आपना लंड उसके कपड़ों को चीरते हुए उसकी चुत मैं घुसा देगा. वो इच्छा इतनी बलवती थी के वो उस पर काबू नही पा सकता था. एक बार जब लंड किसी चुत के उपर टिक जाए तो उसे उस चुत मैं घुशना ही होठा है. बात सिरफ़ इतनी सी थी.
जो द्वब उसने उसकी चुत पर डाला था बहुत मजबूत था और वो लगभग तृूंत जाग उठी थी, और जागते ही वो काया देखती है! उसका बेटा आपना लंड उसकी चुत मैं घुसेध रहा था.
“नितिन,” वो उसे पुकरती है.
“नितिन,” वो उसे पुकरती है.
वो उसकी चुत पे लंड दबाना चालू रखता है. “नितिन, जागो बेटा…….नितिन, नितिन.” वो आपने नितंब से उसका हाथ खींच कर हटा देती है और उसे जझकोर्थी है. “नितिंन्णणन्…….जागो बेटा.”
नितिन हड़बड़ा कर उठ जाता है. “काया…….काया हुया मा?”
“मुझे लगता है…..सयद …सयद तुम कोई सपना देख रहे थे” सपने की सिवा यह और हो भी काया सकता है. कल्पना सोतेली माँ मैं सोचती है.
“सच मैं!” वो उठ कर बैठ गया था. “मैं काया कर रहा था मा?”
“तुम….तुम……” वो सोच मैं पद गयी. वो उसे काया बताने जा रही थी?” के वो आपना लंड उसकी चुत मैं घुसेड रहा था. वो एसी बेतुकी बकवास आपनी ज़ुबान पे कैसे ला सकती थी. “तुम बुरी तेरह से कांप रहे थे.” वो बस इतना ही कह पाई थी.
“मुझे मुआफ़ कर दो मा. मेरी वेजह से आपकी नींद भी खराब हो गयी”
वो कुछ ना बॉई. वो खुद को शांत करने मैं ही व्यसत थी. उसके बेटे का लंड उसकी चुत पर ठोकर मार रहा था, हे भगवान काया हो रहा था? काया उसके सत्रतव मैं इतना जबरदासत आकर्षण था के खुद उसका बेटा भी इस आकर्षण के प्रभाव से अछूता नही रहा था. उसकी देह, उसकी काया उसके बेटे को एसी प्रतिकिरिया करने पर मजबूर कर रही थी के वो पाप पुणे मैं अंतर करना ही भूल गया था.
उसका लंड वाकाई उसकी चुत के हूठो के बीच था. कॉटन का पतला सा कपड़ा इतना सक्षम नही था के लंड को बाहर रोक सकता. उसका लंड असल मैं चुत के मोटे हूठो को फैलने और अंडर घुसने मैं ठीक उसी तेरह कामयाब हो गयया था जिस तेरह उसने पिछली रात उसके नितंबो को फैलाया था. बलके कल्पना को आपने भांगकुर पर भी द्वब महसोस हुया था. अचानक कल्पना सिने पर हाथ रख कर एक गहरी साँस लेती है जब उसे याद आता है के उसके लंड का उसकी चुत पर द्वब उसे ताब्ब टक्क कितना अच्छा महसू हुया था जाब टक्क वो जाग नही गयी और उसने जान ना लिए के उसे यह आंन्दमयी एहसास करवाने वाला कोई और नही बलके उसका आपना बेटा है.
उसने सो विचार कर इस बात का फ़ैसला किया के उसके लिए सबसे बढ़िया उपाय यही था के वो आपने बेटे के साथ एक ही बेड पर दोबारा कभी ना लेते. वो आपने नारिटव के आकर्षण से आपने बेटे की भावनेयों को इस कडर भड़कना नही चाहती थी के वो कुछ एसा करे जो एक बेटा आपनी मा के साथ करने का दुसहस कभी नही करेगा.
जब अगली रात वो नितिन के कमरे मैं उसके साथ उसके बेड पर सोने के लिए ना गयी तो नितिन ने उसके कमरे मैं जाने का फ़ैसला किया. वो उसे इनकार नही कर सकती थी क्यॉंके वो खुद इतनी दफ़ा उसके बेड पर जा चुकी थी.उसने आपना कंबल खोल दिया मगर उसे आपने और आपने बेटे के बीच मैं दबाए रखा, वो इस बात को सुनिश्चित करना चाहती थी के उनके बीच कोई भी जिस्सोतेली माँी संपरक ना बने.
नितिन को जलद ही गहरी नींद आ गयी और कल्पना ने चैन की साँस ली. जानते हुए के वो गहरी नींद मैं डूबा हुया था और उनके बीच कंबल की एक पतली सी दीवार भी थी, उसके सोतेली माँ का डर्र डोर हो गया और वो भी नींद के आगोश मैं चली गयी.
लगभग आधी रात का समय होगा जब नितिन ने वो दीवार उपर उत्डी और आयेज बढ़ गया टके उसे छू सके, महसूस कर सके. वो गहरी निद्रा मैं मगन थी इसलिए वो उसके जगाए बिना छू सकता था. हाँ मगर उसका स्पराश इतना नरम और धीमा ज़रूर होना चाहिए था के वो जागे नही और वो भी आपनी उस जार्डस्त इच्छा की पूर्ति करले जो उसे चैन नही आने दे रही थी. सबसे पहले उसने बड़ी कोमलता से आपने हाथ उसके मुम्मो पर रगडे और फिर उसकी कमर पर. वो जागी नही थी. उसने आपना हाथ उसकी जाँघो के जोड़ पर भी रखा. मगर उसकी निद्रा मैं कोई विघन नही आया था. उसने उसकी चुत पर आपनी उंगलियों से काई रखाएँ उकेरी और उसके चेहरे को ध्यानपूर्वक देखता रहा. उसका चेहरा बीच बीच मैं भींच जाता था मगर उसने नेला आपनी आँखे खोली और ना ही कुछ और किया.
आपनी हरकतों से उसके इस तेरह अंजन होने से उत्साहित होकर और आपने झटके मरते लंड के बाशीभूत उसने और आयेज बढ़ने और घंभीर जोखिम उठाने का फ़ैसला किया. उसने आपना हाथ आयेज लेजकर उसकी सलवार का नडा खोल दिया जो उसे उसकी गोरी कमर पर मज़बूती से बँधे हुए था. एक बार जब सलवार खुल गयी और नडा ढीला गो गया तो उसके लिए खुली हुई सलवार को इस हड्द टक्क नीचे खिसकना आसान हो गया के उसकी चुत और जाँघो का कुछ हिस्सा नागन हो जाता.
इसके बाद उसने आपना पयज़ामा खोल उसे घुटनो टक्क नीचे सरका दिया और आपने लंबे, मोटे लंड को उजागर कर दिया. धीरे-धीरे, आराम से, बिढ़िपूर्वक वो आपने लंड को उस हिस्से के पास, और पास लता रहा जहाँ उसकी जंघे आपस मैं मिलती थी और उसकी चुत शुरु होठी थी.
उसने उसे कुछ देर वहीं टिकाए रखा और फिर धीरे, धीरे उसे अंडर को दबाया. एक बार, जब वो इतना आयेज बढ़ चुका था के उसकी चुत के नरम हूठो को आपने सूपदे पर महसोस कर सकता था, वो रुक गया और आपने लंड को वहीं टिकाए रखा. उसने उसे एक लंबे समय टक्क वहीं टिकाए रखा और फिर वोही तीवर इच्छा ने उसे फिर से आपनी चपेट मैं ले लिया. वो उसे धीरे-धीरे आयेज-पीछे को करने लगा. वो उसकी इस आयेज-पीछे की रग़ाद से जाग गयी.
उसकी आँखे बंद थी और उसकी कमर आयेज-पीछे को हिल रही थी टके वो आपना लंड उसकी चुत पर डॉवा सके. उसने उसके रुकने का इंतेज़ार किया मगर जब वो नही रुका तो उसने पूछा, “नितिन, ये तुम काया कर रहे हो?”
उसने पहले ज्वाब नही दिया और उसी तेरह आयेज-पीछे रगड़ना जारी रखा. मगर अंत-तहा उसे कुछ ना कुछ तो खाया ही था. “मैं स्वरगीय वेदना का अनुभव कर रहा हूँ मा”. कल्पना ने खुद को उसकी पहुँच से डोर हटा लिया. वो बोली, “मगर, मैं तुम्हारी मा हूँ.”
“जनता हूँ मा, मगर मैं बेबस हूँ.” वो आपनी पीठ के बाल लाइट गयी और आपनी स्कार्फ से आपनी जाँघो को पोंछने लगी. उसकी जंघे उसके लंड से निकालने वाले रस से बहुत गीली हो गयी थी. वो भी आपनी पीठ के बाल हो गया और क्यॉंके कंबल उन दोनो के घुटनो से नीचे था उसका कठोर, झटके मरता लंड हवा मैं झूलता हुया पूरी तेरह से उसकी नज़रों के सामने था.
उसके लंड को देखते हुए आपनी जाँघो को सॉफ करते कल्पना के हाथ खुद बा खुद धीमे होठे गये. उफ़फ्फ़ कितना बड़ा है उसने सोचा. उसके लंड से अभी भी रस निकल रहा था और उसके रस ने सूपदे के छेद पर एक बूँद का रूप ले लिया और फिर वो बूँद एक तरफ से लंड के नीचे की और लुढ़क गयी. कल्पना के अंडर वो स्वाभाविक इच्छा हुई के वो हाथ आयेज बढ़कर उस बूँद को पोंछ दे मगर अब वो उसकी बहती हुई नाक नही थी जिसे सॉफ करने की उसे कभी आदत थी. यह उसकी बहती नाक से कहीं अधिक भयंकर था.
उफफफफफफ्फ़ यह इस वाक़त मेरे अंडर हो सकता था, उसने कल्पना की और इस कल्पना मटर से वो सिहर उठी. एक लकी सी सनसनी उसकी चुत से होठी हुई उसकी रीढ़ टक्क पहुँच गयी मगर वो सनसनाहट बेहद सुखद थी. उसका लंड बहुत नरम और कॉनल जान पड़ता था मगर साथ साथ ही वो झटका मारकर आपनी कठोरता का पारडर्शन करने से भी नही चूकता था. बलके वो ज्वानी के तेज़ से एसए चमक रहा था जैसे कल्पना ने आज टक्क पहले कभी नही देखा था.
उसे सिघर्ता से उठ जाना चाहिए था और वहाँ से चले जाना चाहिए था मगर वो गयी नही थी. वो वहाँ चुपचाप आँखे बंद किए आराम से लेता हुया था और उसका लंड हवा मैं झूल रहा था और उसके सूपदे के नन्हे से छेद से अभी भी रस निकल रहा था. उस लंड के सूपदे से इस तेरह रस निकलते और बूंदे एक साइड को ढिलकते देख कल्पना को चिंतियों का आपने बिल के छोटे से छेद से चढ़ कर बाहर आने का ख़याल आया और वो लगभग मुस्करा ही पड़ी.
जब वो जाने को हुई तो उसने कहा, “मत जयो मा.”
“मुझे जाना ही होगा बेटा” उसने ज्वाब दिया और वहाँ से चली गयी. उसने पक्का निस्चे कर लिया था के अब उसके साथ कभी भी एक ही बेड पर नही सोएगी.
अगली रात वो फिर से आपना कंबल उठाए आपनी मा के कमरे मैं गया.अगली रात वो फिर से आपना कंबल उठाए उसके बेड पर सोने के लिए चला गया. वो उसके कंबल मैं घुश गया और उसे बड़ी कोमलता से आपने आलिंगन मैं ले लिया. कल्पना को कुछ समाघ नही आ रहा था के वो उसे काया कहे, इसलिए वो उसके साथ जो भी कर रहा था, उसने उसे करने दिया. मगर जलद ही उसे उसकी बेताबी का एहसास होने लगा. उसका सखत लंड उसकी जाँघ को ठोकर मार रहा था.
“बेटा, मुझे नही म्लूम तुम्हारे सोतेली माँ मैं काया है, मगर मैं अब भी तुम्हारी मा हूँ. कल रात से कुछ भी बदला नही है.”
“मैं जनता हूँ मा, मगर मैं मजबूर हूँ. मेरा खुद पर कोई अख्तियार नही है. मुझे एसा लगता है जैसे मुझे किसी ने कुछ कर दिया है, जैसे मैं किसी जादू के प्रभाव मैं हूँ. ”

बर्फ़ीली तूफ़ानी रात – Desi story – 4
धार्मिक और सामाजिक सोतेली माँ्यताओं के अनुसार वो एक सोतेली माँी जा सकने वाली दलील थी, मगर वो उसके एसए आसान से बहाने से सोतेली माँने वाली नही ही. वो बोली, “बेटा, हमारा रिश्ता आपने आप मैं बहुत पवित्तर है. हमारे बीच एसा संबंध नामुमकिन है.”
“तुम मेरी देवी हो मा, मेरे लिए भगवान तुले हो, मैं इस बात से इनकार नही करता. मगर मैं आपनी देवी के लिए आपने दिल मैं उठाने वाली एसी भावनेयों को रोक नही सकता. मैं तुममे श्रेशत गुनो से प्रीपूरण एक एसी संपूरण नारी को देखता हूँ जिसके लिए मैं एक संपूरण मारद बनाना चाहता हूँ. मैं तुम जैसी श्रेशत नारी पर आपना अधिकार प्रपट करना चाहता हूँ मा.”
वो जानती थी बहस करने का कोई फयडा नही है, इसलिए वो चुप हो गयी. वो अभी भी आपनी जाँघ पे उसके लंड की चुभन को महसूस कर रही थी. कुछ समय बाद उसने उसका हाथ आपने दाएँ नितंब पर महसू किया और फिर उसने उसे बलपूर्वक आपनी तरफ घुमा लिया. ‘कितना ताकतवर है’ वो सोचती है.
करवट लेने के बाद जब उसका चेहरा उसकी और हो गया, तो उसने खुद को व्यवश्ठित किया टके उसका लंड उसकी जाँघो के बीच द्वब दे सके बिल्कुल उसकी चुत के उपर. “बेटा!” कल्पना विरोधसरूप चिल्ला पढ़ती है.
“घबरयो मॅट मा. हमने पुर कपड़े पहाँे हुए हैं”
उन्होनो ने पुर कपड़े पहाँे हुए थे मार उसका लंड बिल्कुल उसकी चुत के उपर द्वब दल रहा था और कपड़े उस द्वब को कम नही कर पा रहे थे. ‘उफफफफफफफ्फ़ वक्यी मैं कितना कठोर है…..बिल्कुल पत्थर के ससोतेली माँ’ वो आपने सोतेली माँ मैं सोचती है. ‘कितना बेताब हो रहा है, जैसे कपड़े के उपर से अंडर घुसा देगा’ वो खुद को कहती है. एक पल के लिए वो सोचती है के उसके एसा करने से नुकसान भी काया है. कम से कम उसकी इक्चा तो पूरी हो जाएगी. मगर फिर वो आपने भांगकुर पर भी द्वब महसूस कर रही थी और उसे आपने अंडर कुछ हलचल भी महसूस होने लगी थी. उसे यह अच्छा नही लग रहा था; वो कमौत्तेजित नही होना चचति थी; आपने बेटे से तो हरगिज़ नही.
“मुझे माफ़ करदो बेटा. मगर यह ठीक नही है. हुमें यह सभ यहीं रोकना होगा.” उसने ‘हुमें’लफाज़ का इस्तेमाल क्यों किया वो खुद नही जानती थी. वो तो कुछ नही कर रही थी, अगर किसी को रुकना था तो वो नितिन था. इसलिए उसे ‘तुम्हे’ लफाज़ का इस्तेमाल करना चाहिए था.
एक लंबे विराम के बाद नितिन ने ज़िद्द छोढ़ दी. फिर वो उसके बेड से उठ कर वहाँ से चला गेया. कल्पना को बहुत बुरा लाग्ग रहा था और वो बुरा महसूस नही करना चाहती थी. उसके पास उसके आयेज बढ़ते कदमो को रोकने के सिवा और कोई चारा नही था. वो उसका बेटा था, इसके सिवा उनके बीच कोई और संबंध संभव नही था. मगर उसके चले जाने के बाद भी वो आपनी चुत के हूठो पर उसके लंड का द्वब महसोस कर रही थी. उसने आपने हाथों से आपनी चुत रगढ़ कर उस एहसास को मिटाने की असफल चेस्टः की. मगर वजे इसके के वो उसके लंड के द्वब के एहसास को मिटती, वो आपनी उंगलियाँ आपने भांगदूर पर दबाए स्थिर लैयती रही. वो उस द्वब के एहसास को अभी भी ज़िंदा रखना चाहती थी.
वो बहुत ज़यादा कामोत्तेजित थी, इसमे कोई शक नही था. एक बहुत ही सखत-पत्थर की तेरह सखत-लंबा तगड़ा लंड अभी अभी उसकी चुत पर दबा हुया था, जो उसकी चुत के छेद से नामटर की दूरी पर था. वो लंबा मोटा लंड उसकी चुत मैं घुश सकता था और उसे बेहद्द आनंद दे सकता था. वो जानती थी के वो लंड उसके अंडर बहुत ही एक्च्छा महसूस होने वाला था मगर वो लंड उसके बेटे का था और यही समसाया थी. मगर वो एक बहुत ही सुंडर लंड था, बहुत ही सुंडर और नरम……..मुलायम……..और बेहद ताकतवर भी. वो चाहती नही थी मगर सोतेली माँ ही सोतेली माँ आपने बेटे के लंड को सराहती है. वो खुद को रोक नही पति और उस तगड़े लंड के आपनी चुत मैं घुशने की कल्पना करती है. उस विचार मैं एक अलग ही आनंद था जिस तेरह उसके चुत पर दबने का एक अलग ही आनंद था.
नितिन आपने बेड पर लैयता हुया था, वो निराश था, उलघन मैं था. कुछ समय लगा मगर अचानक उसके दिमाग़ मैं यह विचार कोंधा के उसकी मा ने उसे बलपूर्वक नही हटाया था, उसे दांता-फटकारा नही था, उसने ना कोई शोर शराब मचाया था और ना ही उसके आलिंगन से खुद को झटके से हिंसतमक रूप से डोर किया था. असल मैं उसने उसका सहयोग किया था- चाहे इक्चा से, चाहे अनिच्छा से-मगर उसने उसका सहयोग किया ज़रूर था. एक विचार, एक योजना उसके सोतेली माँ मैं आकर लेने लगी.
लगभग आधी रात के समय, वो फिर से उसके कमरे मैं गेया, उसके बेड पर उसके साथ लेटने के लिए, दृढ़ निस्चे के साथ. इस बार वो आपना हीटर और आपना कंबल भी आपने साथ लेकर गेया था. उसने उसे सोते हुए पाया, मगर उसकी नींद कोई बहुत गहरी नही थी. उसने दोनो हीटर्स को बेड के दोनो तरफ रखा, उन्हे प्लग मैं लगाया और उसकी लाल गर्माती रोशनी मैं आपने हाथों के गरम होने का इंतेज़ार करने लगा. फिर उसने आपना कंबल उसके कंबल के उपा रख उसे पूरा फैला दिया. वो इस सभ से अंजन जान पढ़ती थी.
वो बेड पर उसके साथ कंबल मैं घुश गेया और कंबल को दोनो तेराफ से और पाँव की तरफ से दबा दिया. वो काया कर रहा है, इस बात से वो अभी भी अंजन जान पढ़ती थी. एक बार जब उसने खुद को कमबल के अंडर अच्छे से व्यवस्थित कर लिया तो फिर वो उसकी कमर पर उसके सूट के नीचे टटोलने लगा और उसे उसकी सलवार का नडा मिल गेया. उसने उसे खींच कर खोल दिया और उसकी सलवार खींच कर ढीली कर दी. फिर उसने आपने एलास्टिक के पाज़मे को नीचे खिसका दिया और आपने लंड को नागन कर दिया जो बुरी तेरह से आकड़ा हुया था और उसके सूपदे से रस निकल रहा था. अब उसने आपनी मा को जो पीठ के बाल लैयती हुई थी को बलपूर्वक करवट देकर उसका चेहरा आपने चेहरे के सामने कर लिया. वो विरोध मैं कुछ फुसफुसाई मगर अभी भी अर्ध-निद्रा मैं थी. उसने उसकी सलवार को नीचे को खींचना चालू किया और उसे खींच कर उसकी जाँघो टक्क कर दिया. इस तेरह से उसने आपनी मा के नितंब और उसकी चुत को नंगी कर दिया था. एक बार जब वो सही मुद्रा मैं आ गेया तो उसने आपना लंड उसकी चुत की और दबाया और आपने सूपदे को उसकी जाँघो के बीच के निशाने पर लगाया जो उसकी चुत के हूठो के उपर ठोकर मार रहा था.
वो जाग गयी थी, जैसा के जान पढ़ता था और उसने पूछा, “नितिन, बेटा आख़िर तुम यह क्यों कर रहे हो?”
“ठंड से बचने के लिए मा” उसका ज्वाब था. “टके हम दोनो गरम रह सके” वो उससे डोर हटने की कोशसिह करती है: वो उसे रोक देता है. वो आपनी कमर उससे डोर खींचने की कोशिश करती है; वो आपना हाथ उसकी गांड पर रखकर उसे वापस आपनी तेराफ खींच लेता है. वो उसे धकेल कर डोर हटाने की कोशिश करती है; वो असफल हो जाती है. उससे डोर होने की उसकी सारी कोशिशो को वो नाकाम कर देता है; अंत-तहा वो थक्क कर रुक जाती है.
“नितिन, तुम जो कर रहे हो वो सही नही है. मैं सोतेली माँ हूँ तुम्हारी और तुम मेरे पुत्र हो!”
“मैं जनता हूँ मा,” उसका ज्वाब यही था.
वो उसके नितंबो को आहिस्ता आहिस्ता सहलाना शुरु कर देता है. कभी उसका हाथ उपर के नितंब को आपने हाथ मैं भर लेता है तो कभी निचले नितंब को. फिर उसकी उंगलियाँ दोनो नितंबो की डरर को तलाशने लगती हैं. वो उसे जो करता है करने देती है, बीच बीच मैं वो बेदिली से खुद को पीछे उसकी पहुँच से डोर हटाने की कोशिश करती है, जिसे वो हर बार तरुणत असफल कर देता है.
उसे आपनी जाँघो पर उसके लंड के रस का एहसास होठा है और तोढा बहुत चुत के हूठो पर भी. वो उसे आपने रस से भिगो रहा था मगर उससे भी भयावह, वो खुद आपने रस को बहते हुए महसूस कर रही थी.
वो आपनी जिस्सोतेली माँी प्रतिकिरिया को रोकने मैं असमरथ थी जब एक कठोर लंड उसकी चुत के दत्वजे पर दस्तक दे रहा था. उसकी चुत खुद को चिकना बना रही थी जैसे के लंड अंडर घुशने जा तहा हो. उसे मालूम नही था के अगर उसने इस हड्द टक्क आयेज बढ़ने की कोषीह की तो वो काया करेगी, मगर वो इतना ज़रूर जानती थी के वो उसे किसी भी कीमत पर, किसी भी हालत मैं अंडर डालने नही दे सकती. मगर उसकी चुत को इस बात की रत्ती भर भी परवाह नही थे के वो आपने सोतेली माँ मैं काया निस्चे कर रही है वो लंड की रग़ाद से प्रतिकिरिया मैं सनसनाती जा रही थी.
उसका लंड उसमे सनसनाहट भर रहा था. उसका लंड फदाक रहा था इसलिए उसकी फड़कन उसकी चुत को हल्के, बिल्कुल हल्के सहला रही थी. उसका लंड गर्माहट से भरा था, इसलिए उसके लंड से कुछ गर्माहट उसकी चुत से होठी हुई उसकी नसों मैं समति जा रही थी. उसका लंड बेहद कठोर था, इसलिए उसकी शक्ति उसकी उत्तेजना और उसके उन्माद को बढ़ा रही थी.
वो आपनी प्ररतनयों के बावजूद कामोत्तेजित होठी जा रही थी. वो उसके लंड को और उसकी कठोरता को जो उसे आपनी जाँघो और आपनी चुत पर महसूस हो रही थी, को अछा महसूस नही करना चाहती थी मगर उसे वो बेहद अच्छा महसोस हो रहा था. वो आपनी गांड पर तीरते उसके हाथों से आनंद महसूस नही करना चाहती थी मगर वो उन हाथों मैं बेहद आनंद महसूस कर रही थी. उसके हाथों मैं गर्माहट भारी थी और सनसनी से उसके नितंबो के रोंगटे खधे हो गये थे. उसके सहलाने का अंदाज़ कोमलता के साथ साथ सखत भी था और वो उसके एहसास को आपने पुर बदन मैं महसूस कर पा रही थी.
उसने ढयन दिया के उसके हाथ उसकी गांड से नीचे उसकी जाँघो की और बढ़ रहे थे और हर बार हाथ फेरने से उसकी सलवार नीचे खिसकती जा रही थी. चाहे वो यह जांबुज्कर कर रहा था जा यह आपने आप उसके सहलाने से हो रहा था, वो कह नही सकती थी. उसकी जंघे उसके सहलाने से वोही प्रतिकिरिया दे रहीं थी जैइसे उसकी गांड ने दी थी. वो आपने लंड को एक ही जेगह सख्ती से टिकाए हुए था मगर उसके हाथ आयेज बढ़ते उसके बदन के उँचुए हिस्सों को सहला रहे थे.
उसे लगा के सयद अब रात एसए ही काट जाएगी. उसने बहुत धैरे धीखाया और आपनी हरकतों को आपने वश मैं रखा. इससे कल्पना ने आपने बदन को ढीला छोढ़ दिया के वो अब इससे आयेज नही बढ़ेगा. मगर वो कमौन्माद की आग मैं जल रही थी; उसकी चुत उसके ही रस से सराबोर थी.
कुछ समय बाद उसने आपना पयज़ामा उतार दिया यह कहते हुए के वो उसकी जाँघो मैं फँस रहा था और उसे आपनी टाँगे फैलने मैं परेशानी हो रही थी. फिर वो उसकी सलवार उतरने लगा, पहले उसने उसकी एक तंग उठाई और फिर दूसरी और उसकी सलवार पूरी तेरह से निकल डोर फेंक दी. फिर उसने उसे बलपूर्वक पीठ के बाल लेता दिया. उसने आपना हाथ उसकी जंघे के बीच रखा और उन्हे फैला दिया और उपर होकर उसकी जाँघो के बीच मैं आ गेया.
‘हे भगवान, यह होने जा रहा है’ वो आपने अंतर मैं चिल्ला पढ़ती है. ‘मेरा आपना बेटा मुझे चोदने जा रहा है. अब मैं काया करूँ? कैसे रोकू मैं उसे? उसे यह नही करना च्चिए. भगवान के लिए……मा हूँ मैं उसकी’
नितिन ने खुद को इस तेरह से व्यवस्थित किया के वो उसके उपर झुका हुया था और उसके हाथ उसके कंधो के आसपास थे. वो अब आपने घुटनो और हाथों के बाल था. उसने आपने घुटने से उसकी जाँघ को दबाया मतलब उसे इशारा किया के वो चाहता था के वो आपने घुटने मोढ़ कर आपनी टाँगे उपर उठा ले.
“नितिन, यह तुम काया कर रहे हो?” उसे पूछना ही था.
उसने ज्वाब ना दिया. बलके वो आपने घुटनो के बाल उसके उपर झुक गेया और उसकी जाँघो को पकड़ते हुए उन्हे उपर उठाया. उसने विरोध जताते हुए उन्हे नीचे रखना चाहा मगर उसने द्वब दिया और वो उसकी टॅंगो को उँचा उठाने मैं आसानी से सफल हो गया.
“नितिन, प्लीज़ ऐसा मत करो. यह सही नही है.” उसने विरोध किया और सर को तोढा उठाकर उन दोनो के बीच उस स्थान को देखने लगी जहाँ उनके जिस्म मिल रहे थे. उसका लंड बहुत कठोर था और उसकी चुत के उपर लहरा रहा था. कल्पना उस दृशय को देख तीखी और गहरी साँस लेती है, उसके इतने लंबे मोटे होने पर नही बलके उसकी सुंडरता पर. ‘उफ़फ्फ़ कितना प्यारा लग रहा है’ वो आपने डर की असंकायों के बीच सोचती है.
वो उसकी चुत को निहारता है और फिर एक हाथ आयेज बढ़ता है उसके दाने को चुने के लिए. वो इस तेरह तड़फ़दा उठती है जैसे उसके जिस्म से गरम इस्त्री चुया दी गयी हो. “नही, नितिन. तुम एसा नही कर सकते.”
वो आपना अंगूत उसके भांगकुर पर रखता है और उसे हल्के से दबाता है. “अहह, भगवान मेरी सहायता करो” वो चीख पढ़ती है. उसका स्पराश अत्यंत कोमल था. वो उसे कुछ देर रगदता है और फिर आपने अंगूठे से उसकी चुत को सहलाता है. वो गुस्से से चिल्लती है, “नही, नितिन. रुक जयो. मत करो, मत करो बेटा”
उसके अंगूठे को उसका चिदार मिल गेया और वो एक पल के लिए वहीं रुक गया. उसने उसे इतना नीचे को दबाया के वो उसकी चुत के छेद मैं घुसने लगा. वो बहुत-बहुत गीली थी इसलिए वो आराम से अंडर को फिसलने लगा. मगर उसने उसे अंडर नही धकेला, बस उसके परवेश द्वार से खेलता रहा. फिर उसने आपना दूसरा हाथ भी उसकी चुत पर रख दिया और उसकी चुत के हूठो फैलाकर अंडर देखा. वो उसकी चुत के अंडर से गुलबीपन झँकता देख मुस्करा पड़ा. उसने आपनी उंगलियाँ और आपने अंगूठो के सहयोग से उसकी पूरी चुत और आसपास के सतन को दबाया और सहलाया. वो बहुत नर्मी से सहला रहा था और वो चाह कर भी खुद को उस जबरदासत आनंद को महसूस करने से रोक नही पा रही थी. चाहे वो उसका बेटा था, मगर आख़िरकार वो भी एक मारद था जो उसकी चुत को सहला रहा था. उसकी कुछ इंद्रियँ पूरी तेरह स्क्रिया थी जो उस कामुकता के उन्माद का रोमांच उसके दिमाग़ टक्क पहुँचा रही थी.
वो कामुकता के रोमांच से परिपूरण आनंद मैं दुबई हुई थी, मगर उसी समय उसके सोतेली माँ और उसके जिस्म मैं संघर्ष चल रहा था. उसे कामोत्तेजित नही होना चाहिए था, मगर वो थी. आनंद की जबरदस्त लहरों के साथ साथ गुनाह का भयानक एहसास भी शामिल था. ‘उसने किया कहा था’, वो याद करने की कोशिश कर रही थी. ‘वो स्वर्गिक वेदना का अनुभव कर रहा था’, उसने यही कहा था. तब वो नरक के आनंद को अनुभव कर रही थी, उसने नतीजा निकाला.
फिर उसी तीवर इच्छा ने नितिन को आपनी चपेट मैं ले लिया. वो नीचे होने लगता है और आपनी टाँगे पीछे को फैला देता है. उसका लंड बेहद ख़तरनाक रूप से उसकी चुत के उपर झूल रहा था. वो आयेज पीछे होठा हुया ताब्ब टक्क नीचे झुकता रहा जब्ब टक्क के उसका लंड एकद्ूम सही जेगह पर नही आ गेया. वो एकद्ूम उसकी चुत के छेद पर नही था बलके उसके बेहद पास था. लंड का सूपड़ा उसके भांगकुर से थोडा सा उपर था और जैसे ही उसने आपने आप को पूरी तेरह उसके उपर झुका दिया और वो उसके उपर लाइट गेया तो उसका कठोर लंड उसके नाज़ुक भांगकुर को दबाता है. वो चिल्ला कर कोई समाघ ना आने वाला शबाद कहती है, जैसे उसके हलाक मैं काई अल्फ़ाज़ फँस कर रह गये थे और वो सभ मिल कर उस अजीब आवाज़ के रूप मैं निकल रहे थे.
वो आपनी कमर को हिलता है तो उसका लंड उसकी चुत को चूमते हुए सहलाने लगता है. “नही, नही नितिन. रुक जयो बेटा” वो जैसे किसी मंतर को दोहरा रही थी.
उसका हाथ उन दोनो के बीच मैं होठा हुया आपने लंड पर जाता है. वो उसे पकड़ कर उसकी चुत को ताब्ब तक रगड़ता है जब्ब टक्क उसे चुत के हूठो का मढ़े भाग नही मिल जाता और फिर वो उसे ताब्ब टक्क नीचे करता है जब्ब टक्क उसका लंड एकद्ूम चुत के छेद के उपर नही हो जाता.
कल्पना के जिस्म मैं सोतेली माँो विधुत का परवाह हो रहा था. नज़ाने क्यों, उसका कठोर लंड बहुत कोमल और नरम महसू हो रहा था. वो आपने बेटे की जिस्सोतेली माँी ताक़त से सकते मैं थी और उस एकर्मन की आपेक्षा मैं वो साँस नही ले पा रही थी जिस एकर्मन को कटाई नही चाहती थी. मगर एक काशॅन के लिए, मटर कशंभर के लिए उसे ख़याल आया के उसका लंड उसकी चुत मैं कितना जबरदासत आनंद देगा और फिर वो पछटवे से सहर उठी.
वो उसके सिने पर हाथ रख देती है और उसे बलपूर्वक आपने ऊपर से धकेलने की कोशिश करती है. “नही, नितिन, नही. प्लीज़ यह मत करो बेटा. हमारे रिश्ते की पवित्ारता को ख़तम मत करो. इसे यहीं रोक दो बेटा.”
उसकी छाती पर हाथों से द्वब डालने से वो उसकी कमर केपनी कमर पर द्वब को रोक नही पति. उसके कूल्हे नीचे होठे उसके लंड को दबा रहे थे और उसका सूपड़ा उसके छेद मैं हल्का सा घुश जाता है. उसकी गीली, रस से सारॉबार, फिसलन से भरपूर चुत उसके साथ दागा कर देती है और वो बड़े आराम से आपनी मा के अंडर दाखिल होने लगता है.
“नहियीईईईईईईईई नितिन. नहियीईईई बेटा. रुक्ककककककककक जयूऊ”


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