Monday, December 8, 2014

Fentency भाभी का बकरा-1

Fentency

भाभी का बकरा-1

 मेरा नाम राजेश है, 22 साल का हूँ, मैं अभी कुंवारा हूँ।
कुछ समय पहले मेरी सरकारी नौकरी लखनऊ से 200 किलोमीटर दूर एक शहर में लगी तो मैं वहाँ अपने रिश्ते की एक मौसी के यहाँ रह रहा हूँ।
मौसी के एक बेटे, बहू घर में ऊपर, मैं और मौसी नीचे रहते हैं।
भैया सुबह आठ बजे नौकरी को चले जाते, सविता भाभी मौसी के साथ काम कराती रहती हैं।
लड़कियों को घूरना, मुठ मारना, ये सब और लड़कों की तरह मैं भी करता हूँ। मैंने किसी औरत या लड़की के बदन को हाथ नहीं लगाया था। ऊपर वाली सविता भाभी से एक दो बार मेरी हल्की फुलकी बात हुई थी लेकिन मैंने कभी उन्हें गलत नज़र से नहीं देखा था।
मेरे वहाँ जाने के 15-20 दिन बाद घर की पानी की मोटर ख़राब हो गई, पानी ऊपर नहीं चढ़ रहा था।
उस दिन मेरी छुट्टी थी, भैया घर पर नहीं थे, मौसी बाज़ार गई हुईं थीं। मैं घर मैं अकेला था।
कुछ देर बाद भाभी नीचे आईं और मुझे देखकर मुस्कराते हुए बोलीं- राजेश, तुम्हें नहाना हो तो नहा लो। अगर मैं एक बार नहाने लगी तो पूरा एक घण्टा लगेगा।
मैंने कहा- मेरी तो आज छुट्टी है, मैं तो आराम से नहा लूँगा। लेकिन आपको लगता नहीं कि एक घण्टा बहुत ज्यादा होता है?
भाभी मेरे सामने साड़ी उतारते हुए बोलीं- पूरा बदन मल मल कर नहाती हूँ, तभी तो इतनी चिकनी हूँ।
साड़ी उतार कर पलंग पर रखते हुए बोली- अच्छा बताओ, मैं माल लगती हूँ या नहीं?
मैंने आज पहली बार गलत नज़रों से आँख उठाकर देखा तो ब्लाउज-पेटीकोट में सविता भाभी को देखता ही रह गया… क्या मोटी मोटी कसी हुई चूचियाँ थी, ब्लाउज चूचियों से चिपका जा रहा था और निप्पलों के उभार भी साफ़ चमक रहे थे।
भाभी ने इस बीच पेटीकोट ढीला करके नाभि के नीचे बाँध लिया, अब पेटीकोट चूत के थोड़ा ऊपर ही बंधा था, गोरा चमकता पेट और गोल नाभि देखकर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था।
मैं कुछ बोलता, भाभी मेरे सामने सामान्य ज्ञान की किताब झुककर देखने लगीं और बोली- राजेश, यह किताब मुझे दे देना, मैं बीएड की तैयारी कर रही हूँ, उसमें काम आएगी।
झुकने से पेटीकोट उनके चूतड़ों की दरार में फंस गया था और भाभी के उभरे हुए चूतड़ गज़ब के सुन्दर लग रहे थे, मन कर रहा था कि उन पर हाथ फेर दूँ।
वो मुझे खुल कर अपनी जवानी दिखा रही थीं।
उसके बाद भाभी बाथरूम में चली गईं। बाथरूम में झांककर देख सकते थे पर मुझ लौड़ू की देखने की हिम्मत ही नहीं हुई।
आधे घण्टे के बाद भाभी की आवाज़ आई- राजेश, बाहर कोई है तो नहीं?
मैं बोला- नहीं, मेरे अलावा कोई नहीं है।
भाभी बोलीं- तुम जरा इधर तो आओ।
मैं बाथरूम के पास पहुँचा और बोला- क्या बात है?
भाभी ने बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खोला, वो अपने एक हाथ से दोनों नंगे स्तन ढकने की कोशिश कर रही थीं और नीचे तौलिया बांधे थीं।
यह देखकर मेरा लंड पूरा कड़क हो गया था, मुझे अपनी चूचियों की तरफ देखते हुए वो हल्के से मुस्कराते हुए बोलीं- तुम से बातें करने के चक्कर में मैं कपड़े लाना ही भूल गई।
भाभी अपने एक हाथ से खिड़की पर रखी चाबी उठाने लगीं, चाबी उनके हाथों से फिसल गई, वो झुक कर चाबी उठाने लगीं।
इस बीच उनके दोनों हाथ स्तनों से हट गए और दोनों स्तन हवा में लहरा गए, झूलते स्तनों और नुकीली भूरी निप्पल को देखकर मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया।
मैं एक टक सविता भाभी के उरोजों को घूरने लगा, भाभी ने भी बेशर्म होते हुए चाबी उठाई और स्तन हिलाते हुए बोलीं- इन संतरों को बाद में देख लेना, अभी तुम यह चाबी लो और जल्दी से ऊपर जाकर मेरी साड़ी और पेटीकोट ले आओ, पलंग पर रखे हैं।
ऊपर जाकर मैं भाभी की साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट ले आया, मैंने भाभी को कपड़े दे दिए।
भाभी जब बाहर निकलीं तो उन्होंने ब्लाउज हाथ में पकड़ रखा था और अपने नंगे दूधिया स्तनों पर गुलाबी साड़ी का पतला सा पल्ला डाल लिया था।
नंगे वक्ष-उभार चमक रहे थे, गुलाबी-चिकने स्तनों ने मेरे दिलो-दिमाग और लंड को घायल कर दिया था।
अपने होंट काटते हुए भाभी पल्लू हटा कर स्तन दिखाते हुए बोलीं- मेरे दुद्दू तुम्हें कैसे लगे? जल्दी बताओ न?
मेरा हाथ अपने लंड पर चला गया, होंटों पर अपनी जीभ फिराते हुए मैंने कहा- आपके दूद्दू बहुत सुंदर हैं।
भाभी भी आह भरते हुए बोलीं- तो देख क्या रहे हो? चूसो ना इन्हें!
उनके सुडौल तने हुए स्तनों और भाभी की अदाओं ने मेरे बदन में बिजली प्रवाहित कर दी थी, मैं बिल्ली की तरह आगे बढ़ा ही था कि तभी दरवाज़े की घण्टी बजी और मौसी की आवाज़ आई।
भाभी पल्ला सही करते हुए ऊपर भागीं और बोलीं- कल ऊपर आना, अच्छी तरह से चूसना… अभी चलती हूँ, बुढ़िया ने देख लिया तो घर से निकाल देगी !
और आँख मारते हुए वो ऊपर भाग गईं लेकिन मेरे लौड़े में न बुझने वाली आग लगा गई थी।
रात भर भाभी की जवानी याद कर कर के मैं अपना लोड़ा सहलाता रहा। बार बार उनके रसीले स्तन मेरी आँखों के सामने आ रहे थे।
मैंने उनके नाम की दो बार मुठ मारी तब जाकर नींद आई।
अगले दिन मौसी जब नाहने जा रही थीं, तभी भाभी की आवाज़ आई- मम्मीजी, आप और राजेश ऊपर आ जाओ, मैंने इडली बनाई है।
मौसी मुझसे बोलीं- राजेश, तू ऊपर जाकर इडली खा ले। मैं जल्दी से नहा कर आती हूँ।
भाभी ऊपर खड़ी सब सुन रही थीं।
मैं ऊपर चला गया।
भाभी मैक्सी में थीं, मुझसे बोली- चलो आज देवर जी ऊपर तो आए ! पहले चाय बनाती हूँ।
भाभी चाय बनाने लगीं।
आज मेरी नज़र बदली हुई थी, भाभी में मैं एक औरत देख रहा था।
पीछे से उनके चूतड़ बहुत सुंदर लग रहे थे।
भाभी ने चाय में दूध डालने के बाद मुड़कर मुझे देखा और मुस्कराते हुए अपनी एक चूची दबाते हुए बोलीं- दुद्दू पीना है?
मैं बोल मौसी आ जाएँगी।
भाभी दरवाज़े के पास गईं और दरवाज़ा बंद कर दिया, बुरा सा मुँह बनाते हुए बोली- बुढ़िया आधे घंटे से पहले नहीं आने वाली! साठ की हो रही है पर ऐसे मल मल कर नहाती है जैसे कि पच्चीस में बदल जाएगी।
फ़िर मुझसे बोली- तुम चूतियों की तरह इतनी दूर क्यों बैठे हो? पास आओ ना !
मैं पास पहुँच गया।
भाभी ने मुस्कराते हुए अपनी मैक्सी की चेन नीचे करी, उनके दोनों दूधिया स्तन बाहर निकाल आए, मुझसे रहा नहीं गया, मैंने दोनों हाथों में उनके स्तन पकड़ लिए और उन्हें 2-3 बार दबा दिया।
भाभी ने मेरे गालों पर एक पप्पी ली और बोलीं- तुम मेरे पीछे आकर इन संतरों से खेलो, साथ ही साथ मैं नाश्ता लगाती हूँ।
भाभी के पीछे आकर उनके कूल्हों से लण्ड चिपकाकर मैं चूचियाँ मलने लगा।
भाभी भी मज़े से दबवाते हुए हुए चाय और इडली का नाश्ता लगाने लगीं।
मेरा यह पहला मौका था जब किसी औरत के नंगे चूचे मैं दबा रहा था।
करीब दस मिनट तक मैं भाभी की चूचियों से खेलता रहा और जी भरकर मैंने उन्हें मसला, चूचियों की निप्पल मैंने घुमा घुमा कर खड़ी कर दीं थीं।
भाभी मुझे हटाकर बोलीं- आओ, अब हम बैठकर नाश्ता करते हैं। तुम्हारी मौसी को तो अभी दस मिनट और लगेंगे।
भाभी ने अपनी चूचियाँ खोल रखी थीं उन पर कटे के दो तीन निशान थे।
भाभी चाय की चुस्की लेते हुए बोलीं- कल रात तुम्हारे भैया ने दो बजे तक सोने नहीं दिया, एक बार मुझे नंगी करके मेरे ऊपर चढ़ जाते हैं तो तीन घंटे से पहले नहीं छोड़ते।
 
अपनी चूची पर उंगली रखते हुए भाभी बोलीं- देखो, तुम्हारे भैया ने तुम्हारी भाभी की चूचियों पर कितना काट रखा है।
भाभी की बातों से मेरा लंड सुलगने लगा था, मैंने कहा- आप का बदन भी तो मस्त चिकना है, भैया की तो मौज ही मौज है।
 भाभी मैक्सी की जिप बन्द करते हुए बोलीं- तुम्हें भी मौज करा दूंगी परसों की छुट्टी ले लो परसों मौसी को अस्पताल जाना है, मैं घर मैं अकेली रहूंगी।
मैंने कहा- समझो मैंने छुट्टी ले ली।
तभी मौसी के ऊपर आने की आहट हुई, भाभी ने जाकर दरवाज़ा खोल दिया।
मौसी ऊपर आ गई, हम सब लोगों ने साथ नाश्ता किया।
उसके बाद मैंने नीचे कमरे मैं जाकर सुलगते हुए लंड की मुठ मारी और कपड़े पहन कर ऑफिस चला गया।
ऑफिस जाकर मैंने एक दिन बाद की छुट्टी ले ली और बड़ी बेचैनी से परसों का इंतज़ार करने लगा।
अगले दिन सुबह मौका देखकर मैं भाभी के कमरे में गया और उनको अपनी बाहों में भरकर उनकी मैक्सी पीछे से उठाई और उनके नंगे चूतड़ दबाते हुए गाण्ड में उंगली कर दी।
भाभी ने मुझे प्यार से पप्पी देकर कहा- गंदे कहीं के… एक दिन इंतज़ार नहीं हो रहा है, कल पूरा मज़ा लेना!
मैंने भाभी की चूचियों को कई बार दबाया और नीचे आ गया।
पूरा दिन और रात बड़ी मुश्किल से कटी।
अगले दिन मौसी ने मुझसे सुबह ही बोल दिया कि आज ऑफिस जाते हुए मैं उन्हें अस्पताल छोड़ दूँ और शाम को लौटते हुए ले लूँ।
मन ही मन मैं खुश हो गया, आज पहली बार सेक्स का मज़ा जो मिलने वाला था।
मैं मौसी के चलने का इंतज़ार करने लगा, मैं और मौसी नौ बजे घर से निकल गए।
मैं मौसी को छोड़कर वापस गयारह बजे से पहले ही घर आ गया।
भाभी नीचे ही थीं, भाभी ने मुस्करा कर कहा- पहले दरवाज़ा बंद करके आओ !
दरवाज़ा बंद करके जब मैं आया तो भाभी ने अपनी मैक्सी उतार दी थी और अपनी जांघें एक के ऊपर रखकर मेरे पलंग पर बैठीं थीं, उनके नंगे तने हुए चूचे दबाने का निमंत्रण दे रहे थे और जांघें मेरे लंड को चोदने के लिए आमंत्रित कर रही थीं।
मुझसे रहा नहीं गया, मैंने आगे बढ़कर दोनों चूचियाँ अपने हाथों में लपक लीं और उनके गालों को चूमते हुए बोला- अब नहीं रहा जाता… वाकयी आप तो गज़ब का माल हो।
भाभी ने मुझको अपने से चिपका लिया, मैं उनकी चूचियाँ मसलने लगा, पागलों की तरह कभी चूची दबाता, कभी चूमता कभी काटता, मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद भाभी ने मेरे कपड़े उतरवाए, अब मैं सिर्फ चड्डी में था।
मेरी निप्पल हाथों से नुकीली करती हुई बोली- अब पूरा दिन अपना है, उतावले न बनो, आओ मेरी गोद में लेटो और पहले दूध पियो ! दो दिन से परेशान हो रहे हो।
मैं भाभी की गोद मैं लेट गया उन्होंने मेरा मुहं अपनी टोंटियों पर लगा लिया मैं उनकी चूचियाँ निप्पल दबाते हुए चूसने लगा। भाभी ने मेरे कच्छे के अन्दर हाथ अंदर डालकर भाभी ने मेरा तना लंड पकड़ लिया और सहलाते हुए बोलीं- तुम्हारा घोड़ा तो बहुत चिकना है, मज़ा आ जाएगा।
 
उन्होंने 2-3 बार ही उसे हिलाया होगा कि मेरे वीर्य का फव्वारा छुट गया।
लंड को दबाते हुए भाभी बोलीं- तुम तो अभी कच्चे घड़े हो, तुम्हें पक्का बनाना पड़ेगा वर्ना किसी को चोद ही नहीं पाओगे।
मेरी चड्डी गीली हो गई थी, मैं शर्म महसूस कर रहा था।
भाभी बाल सहलाते हुए बोली- शर्माओ नहीं, शुरू में एसा सबके साथ होता है।
भाभी ने मेरी चड्डी उतरवा दी, मेरे झड़े हुए लौड़े के चारों तरफ झांटों का जंगल खड़ा था, उन्होंने मेरे लौड़े को तौलिये से अच्छी तरह साफ़ किया और मेरे होंटों की पप्पी लेते हुए बोलीं- इस जंगल को साफ़ रखा करो।
नीचे ड्रेसिंग टेबल से एक क्रीम निकाली और मेरी झांटों पर लगाते हुए बोली- अभी दस मिनट में पूरा जंगल साफ़ हो जाएगा।
क्रीम लगाने के बाद उन्होंने अपनी कच्छी भी उतार दी।
भाभी की पाव रोटी की तरह उभरी हुई चूत पर नाम मात्र के बाल थे, उसे देख मेरा लंड फ़िर उबाल खाने लगा।
मुस्कराते हुए भाभी ने क्रीम मेरे हाथों में दी और बोलीं- थोड़ी सी मेरी चूचु में भी लगा दो, मुझे तो ये झांटें बिल्कुल अच्छी नहीं लगती हैं।
भाभी ने जब बिस्तर पर लेट कर अपनी जाँघें फ़ैला कर मेरे हाथ से अपनी चूत के आसपास क्रीम लगवाई तो मेरे लंड से दो-तीन बूंदें वीर्य की छुट गईं।
इस बीच धीरे धीरे वो मेरा लंड सहलाते हुए मेरे टट्टे पर भी हाथ सहलाती रहीं और मैं उनकी चूत के बाहरी होंटों को सहलाता रहा, बीच बीच में मैं अपने दूसरे हाथ की उंगली उनकी चूत में भी घुसा देता था, बड़ा मज़ा आ रहा था।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने एक बार फिर भाभी की चूचियाँ दबाते हुए निप्पल मुँह में भर लीं।
भाभी मुझे अपने से चिपकाती हुई बोलीं- आओ, अब चल कर साथ नहाते हैं।
कुछ देर बाद हम लोग बाथरूम में थे।
बाथरूम में भाभी और मैंने पानी डालकर अपने बाल साफ़ किये, बाल साफ़ होने के बाद भाभी ने मेरे लौड़े को अच्छी तरह से धोया और खड़े लंड के सुपारे की पप्पी लेते हुए बोलीं- आह, कितना सुंदर लग रहा है, राजेश इसे मेरी चूत में पेलोगे न?
इतना होने के बाद मुझसे रहा नहीं गया, हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए, मैंने भाभी के होंटों पर अपने होंट टिका दिए और चूसने लगा।
थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे हटाकर पास रखे नारियल तेल मुझे दिया और बोली- तुम मेरी चूचियों की मालिश करो, मैं तुम्हारे लंड की मालिश कर देती हूँ। तुम्हारे लौड़े को तगड़ा भी तो बनाना है, नहीं तो फिर यह ढेर हो जाएगा।
सामने टॉयलेट सीट पर भाभी बैठ गईं, उन्होंने मेरे हाथ अपने दूधों पर रख दिए, सामने से तेल लगा कर उनके चूचे दबाते और मलते हुए मालिश करने में मज़ा आ गया।
उधर भाभी ने मेरा लंड मालिश कर कर के कड़ा कर दिया था।
इसके बाद शावर खोलकर हम एक दूसरे से चिपक गए, मेरे लंड का सुपारा उनकी चूत के मुँह पर लग रहा था, मैं बार बार अंदर घुसाने की कोशिश कर रहा था पर वो अंदर नहीं घुस पा रहा था।
मैं भाभी को अपने बदन से भींचते हुए हुए बोला- यह अंदर क्यों नहीं घुस रहा है?
भाभी ने मेरी मुठिया सहला कर लंड का मुँह अपने चूत के मुहं पर रगड़ा और बोलीं- अच्छे अच्छे तो अपनी बीवी की चूत में शुरू में लेट कर नहीं घुसा पाते हैं, तुम्हारा तो यह पहला अनुभव है। नहाने के बाद बिस्तर पर चलते हैं, वहाँ इसको मेरी चुनिया में घुसाना, मुझे भी बड़ी तड़प हो रही है लंड डलवाने की। अभी तो तुम एक काम करो, टॉयलेट की सीट पर बैठो, मैं तुम्हारा लौड़ा अपने मुँह में लेती हूँ, मुझे लंड चूसना बहुत अच्छा लगता है।
मैं सीट पर बैठ गया, मेरा लंड टनटना रहा था।
भाभी ने कुतिया बनकर अपने होंठ मेरे लंड पर रखे और एक कुशल खिलाड़िन की तरह पूरा लण्ड मुँह में ले लिया।
मेरे मुँह से आहें निकल पड़ीं, अभी 5-6 बार ही भाभी ने लंड चूसा होगा कि मेरा लौड़ा उनके मुख में झड़ गया।
भाभी ने खड़े होकर मुझे अपनी दुधिया चूचियों से चिपका लिया और बोलीं- शुरू शुरू में सबके साथ ऐसा ही होता है। अभी थोड़ी देर में यह दुबारा खड़ा हो जाएगा। नहाने के बाद बिस्तर पर मेरी चूत में पेलना। दो दिन में मैं पूरा चोदू बना दूँगी तुम्हें ! अभी तुम मेरी पीठ और चूतड़ों पर साबुन लगा दो।
मैं भाभी के चूतड़ों पर साबुन मल ही रहा था कि तभी भैया की आवाज़ आई- सविता क्या कर रही हो?
भाभी घबरा गईं और बोलीं- आज ये लंच भूल गए थे, दरवाज़ा बजा कर थक गए होंगे तभी बगल वाली आंटी की छत से कूदकर आ रहे हैं।
भाभी ने दरवाज़ा खोलकर देखा और बोली- नहा रही हूँ, अभी आती हूँ, ऊपर ही रहो।
उसके बाद मुझसे बोलीं- राजेश, जल्दी से कमरे में जाकर छुप जाओ, ये अभी ऊपर ही हैं।
मैं दौड़ कर कमरे में नंगा ही घुस गया।





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