Tuesday, December 16, 2014

Fentency वासना की आग

Fentency



वासना की आग
(कोमलप्रीत कौर के गरम गरम किस्से)
 

शादी के तीन चार महीने के बाद की बात है। मेरे पति की पोस्टिंग उन दिनों अरुणाचल में थी। मैं हर रोज़ कंप्यूटर पर लड़कों से चैटिंग करके मुठ मार कर अपनी प्यास बुझाती थी। चैटिंग पर मुझे लड़के अक्सर अपना मोबाइल नंबर देने और मिलने को कहते मगर मैं सबको मना कर देती। फिर भी कइंयों ने अपना नम्बर मुझे दे दिया था।

इन सब दोस्तों में एक एन.आर.आई बुड्ढा भी था। वो कुछ दिन बाद भारत आने वाला था। उसने मुझे कहा कि वो मुझसे मिलना चाहता है, मगर मैंने मना कर दिया। कुछ दिन के बाद उसने भारत आने के बाद मुझे अपना फोन नम्बर दिया और अपनी तस्वीर भी भेजी और कहा- मैं अकेला ही इंडिया आया हूँ, बाकी सारी फॅमिली अमेरिका में हैं।

उसने यह भी कहा कि वो सिर्फ मुझे देखना चाहता है बेशक दूर से ही सही।

अब तो मुझे भी उस पर तरस सा आने लगा था। वो जालंधर का रहने वाला था और मैं भी जालंधर के पास ही गाँव में रहती हूँ।

अगले महीने मेरी सास की बहन के लड़के की शादी आ रही थी जिसके लिए मुझे और मेरी सास ने शॉपिंग के लिए जालंधर जाना था। मगर कुछ दिनों से मेरी सास की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी तो उसने मुझे अकेले ही जालन्धर चली जाने को कहा।

जब मैंने अकेले जालन्धर जाने की बात सुनी तो एकदम से मुझे उस बूढ़े का ख्याल आ गया। मैंने सोचा कि इसी बहाने अपने बूढ़े आशिक को भी मिल आती हूँ। मुझे झाँटें बिल्कुल पसंद नहीं हैं और मैं हर हफ्ते अपनी चूत वैक्सिंग करके साफ करती हूँ। अभी दो दिन पहले ही मैंने मैंने अपनी चूत की वैक्सिंग करी थी, फिर भी मैंने नहाते समय अपनी चूत फिर से साफ करी और पूरी सज-संवर कर बस में बैठ गई। मैंने बस में से रास्ते में ही उस बूढ़े को फोन कर दिया। उसे मैंने एक जूस-बार में बैठने के लिए कहा और कहा- मैं ही वहाँ आ कर फोन करुँगी।

मैं आपको बूढ़े के बारे में बता दूँ। वो पचपन-साठ साल का लगता था। उसके सर के बाल सफ़ेद हो चुके थे पर उसकी जो फोटो उसने मुझे भेजी थी उसमे उसकी बॉडी और उसका चेहरा मुझे उससे मिलने को मजबूर कर रहा था।

बस से उतरते ही मैं रिक्शा लेकर वहाँ पहुँच गई जहाँ पर वो मेरा इन्तजार कर रहा था। उसने मेरी फोटो नहीं देखी थी इसलि*ए मैं तो उसे पहचान गई पर वो मुझे नहीं पहचान पाया। मैं उससे थोड़ी दूर बैठ गई। वो हर औरत को आते हुए गौर से देख रहा था मगर उसका ध्यान बार बार मेरे बड़े-बड़े मम्मों और उठी हुई गाण्ड की तरफ आ रहा था। वही क्या वहाँ पर बैठे सभी मर्द मेरी गाण्ड और मम्मों को ही देख रहे थे। मैं आई भी तो सज-धज कर थी अपने बूढ़े यार से मिलने।

मैंने आसमानी नीले रंग की नेट की कमीज़ और बहुत ही टाइट चूड़ीदार पजामी पहनी हुई थी। कमीज़ भी काफी टाइट थी और उसका गला भी बहुत गहरा था। साथ ही मैंने गोरे नरम पैरों में काफी ऊँची पेंसिल हील वाले काले रंग के सैंडल पहने हुए थे। खुले बालों में हेयर रिंग और सिर पर गॉगल चढ़ाये हुए थे।

थोड़ी देर के बाद मैं बाहर आ गई और उसे फोन किया कि बाहर आ जाए। मैं थोड़ी छुप कर खड़ी हो गई और वो बाहर आकर इधर उधर देखने लगा। मैंने उसे कहा- तुम अपनी गाड़ी में बैठ जाओ, मैं आती हूँ।

वो अपनी स्विफ्ट गाड़ी में जाकर बैठ गया। मैंने भी इधर उधर देखा और उसकी तरफ चल पड़ी और झट से जाकर उसके पास वाली सीट पर बैठ गई। मुझे देख कर वो हैरान रह गया और कहा- तुम ही तो अंदर गई थी, फिर मुझे बुलाया क्यों नहीं?”

मैंने कहा- अंदर बहुत सारे लोग थे, इसलिए!

उसने धीरे-धीरे गाड़ी चलानी शुरू कर दी। उसने मुझे पूछा- अब तुम कहाँ जाना चाहोगी?”

मैंने कहा- कहीं नहीं, बस तुमने मुझे देख लिया, इतना ही काफी है, अब मुझे शॉपिंग करके वापस जाना है।

उसने कहा- अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं तुम्हें कुछ तोहफ़ा देना चाहता हूँ। क्या तुम मेरे साथ मेरे घर चल सकती हो?”

उसका जालन्धर में ही एक शानदार बंगला था। पहले तो मैंने मना कर दिया पर उसके ज्यादा जोर डालने पर मैं मान गई। फिर हम उसके घर पहुँचे। मुझे एहसास हो चुका था कि अगर मैं इसके घर पहुँच गई हूँ तो आज मैं जरूर चुदने वाली हूँ। मैं गाड़ी से उतर कर उसके पीछे पीछे चल पड़ी।

अंदर जाकर उसने मुझे पूछा- क्या पियोगी तुम कोमल?”

कुछ नहीं! बस मुझे थोड़ा जल्दी जाना है!

वो बोला- नहीं ऐसे नहीं! इतनी जल्दी नहीं.. अभी तो हमने अच्छे से बातें भी नहीं की!

अब तो मैंने तुम्हें अपना फोन नम्बर दे दिया है, रात को जब जी चाहे फोन कर लेना.. मैं अकेली ही सोती हूँ।

प्लीज़! थोड़ी देर बैठो तो सही!

मैंने कुछ नहीं कहा और सोफे पर बैठ गई। वो जल्दी से बियर की दो बोतलें ले आया और मुझे देते हुए बोला- मेरे साथ यह बियर ही पी लो फिर चली जाना।

मैंने वो बियर ले ली। वो मेरे पास बैठ गया और हम इधर उधर की बातें करने लगे। बातों ही बातों में वो मेरी तारीफ करने लगा।

वो बोला- कोमल... जब जूस बार में तुम्हें देख रहा था तो सोच रहा था कि काश कोमल ऐसी हो, मगर मुझे क्या पता था कि कोमल यही है।

रहने दो! झूठी तारीफ करने की जरुरत नहीं है जी! मैंने कहा।

उसने भी मौके के हिसाब से मेरे हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा- सच में कोमल, तुम बहुत खुबसूरत हो।

मेरा हाथ मेरी जांघ पर था और उस पर उसका हाथ! वो धीरे-धीरे मेरा हाथ रगड़ रहा था। कभी-कभी उसकी उंगलियाँ मेरी जांघ को भी छू जाती जिससे मेरी प्यासी जवानी में एक बिजली सी दौड़ जाती। बियर की आधी बोतल पी चुकी थी और उसकी हरकतों से अब मैं मदहोश हो रही थी। मगर फिर भी अपने ऊपर काबू रखने का नाटक कर रही थी जिसे वो समझ चुका था। फिर उसने हाथ ऊपर उठाना शुरू किया और उसका हाथ मेरे बाजू से होता हुआ मेरे बालों में घुस गया। मैं चुपचाप बैठी मदहोश हो रही थी और मेरी साँसें गरम हो रही थी। उसका एक हाथ मेरी पीठ पर मेरे बालों में चल रहा था और वो मेरी तारीफ किए जा रहा था। फिर दूसरे हाथ से उसने मेरी गाल को पकड़ा और चेहरा अपनी तरफ कर लिया।

मैंने भी अपना हाथ अपनी गाल पर उसके हाथ पर रख दिया। उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और मेरे होंठों का रस चूसना शुरू कर दिया। मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैं उसका साथ देने लगी। फिर उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मुझे अपनी गोद में बिठा लिया। अब मेरे दोनों चूचे उसकी छाती से दब रहे थे। उसका हाथ अब कभी मेरी गाण्ड पर, कभी बालों में, कभी गालों पर, और कभी मेरे मम्मों पर चल रहा था। मैं भी उसके साथ कस कर चिपक चुकी थी और अपने हाथ उसकी पीठ और बालों में घुमा रही थी।

पंद्रह-बीस मिनट तक हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे को चूमते-चाटते रहे। फिर उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बेडरूम की ओर चल पड़ा। उसने मुझे जोर से बेड पर फेंक दिया और फिर मेरी टाँगें पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। वो मेरी दोनों टांगों के बीच खड़ा था। फिर वो मेरे ऊपर लेट गया और फिर से मुझे चूमने लगा। इसी बीच उसने मेरे बालों में से हेयर रिंग निकाल दिया जिससे बाल मेरे चेहरे पर बिखर गए।

मुझे यह सब बहुत अच्छा लग रहा था, अब तो मैं भी वासना की आग में डूबे जा रही थी। फिर उसने मुझे पकड़ कर खड़ा कर दिया और मेरी कमीज़ को ऊपर उठाया और उतार दिया। मेरी छोटी सी जालीदार काली ब्रा में से मेरे गोरे मम्मे जैसे पहले ही आजाद होने को मचल रहे थे। वो ब्रा के ऊपर से ही मेरे मम्मे मसल रहा था और चूम रहा था।

फिर उसका हाथ मेरी पजामी तक पहुँच गया... जिसका नाड़ा खींच कर उसने खोल दिया। मेरी पजामी बहुत ही टाईट थी जिसे मेरी टाँगों से खींचने में उसे बहुत मुश्किल हुई। उसके बाद भी वो पजामी मेरे ऊँची ऐड़ी वाले सैंडलों में अटक गयी और जब उसने झटके से खींची तो सैंडल की ऐड़ी से पजामी हल्की सी चीर भी गयी। मगर पजामी उतारते ही वो मेरे गोल गोल चूतड़ देख कर खुश हो गया।

अब मैं उसके सामने काली ब्रा पैंटी और सैंडलों में थी। उसने सैंडलों के बीच में मेरे पैरों और फिर मेरी टांगों को चूमा और फिर मेरी गाण्ड तक पहुँच गया। मैं उल्टी होकर लेटी थी और वो मेरे चूतडों को जोर जोर से चाट और मसल रहा था।

अब तक मेरी शर्म और डर दोनों गायब हो चुके थे और फिर जब गैर मर्द के सामने नंगी हो ही गई थी तो फिर चुदाई के पूरे मज़े क्यों नहीं लेती भला। शादी से पहले तो कईं लण्डों से चुदती थी... पर शादी के बाद किसी पराये मर्द के साथ ये पहली बार था।

मैं पीछे मुड़ी और घोड़ी बन कर उसकी पैंट पर, जहाँ पर लण्ड था, अपना चेहरा और गाल रगड़ने लगी। मैंने उसकी शर्ट खोलनी शुरू कर दी थी। जैसे-जैसे मैं उसकी शर्ट खोल रही थी उसकी चौड़ी और बालों से भरी छाती सामने आई। मैं उस पर धीरे-धीरे हाथ फेरने लगी और चूमने लगी। धीरे-धीरे मैंने उसकी शर्ट खोल कर उतार दी। वो मेरे ऐसा करने से बहुत खुश हो रहा था। मुझे तो अच्छा लग ही रहा था। मैं मस्त होती जा रही थी।

मेरे हाथ अब उसकी पैंट तक पहुँच गए थे। मैंने उसकी पैंट खोली और नीचे सरका दी। उसका लण्ड अंडरवियर में कसा हुआ था। ऐसा लग रहा था कि जैसे अंडरवीयर फाड़ कर बाहर आ जाएगा।

मैंने उसकी पैंट उतार दी। मैंने अपनी एक ऊँगली ऊपर से उसके अंडरवियर में घुसा दी और नीचे को खींचा। इससे उसकी झांटों वाली जगह, जो उसने बिलकुल साफ़ की हुई थी दिखाई देने लगी। मैंने अपना पुरा हाथ अंदर डाल कर अंडरवियर को नीचे खींचा। उसका आठ इंच का लण्ड मेरी उंगलियों को छूते हु*ए उछल कर बाहर आ गया और सीधा मेरे मुँह के सामने हिलने लगा।

इतना बड़ा लण्ड अचानक मेरे मुँह के सामने ऐसे आया कि मैं एक बार तो डर गई। उसका बड़ा सा और लंबा सा लण्ड मुझे बहुत प्यारा लग रहा था और वो मेरी प्यास भी तो बुझाने वाला था। मेरे होंठ उसकी तरफ बढ़ने लगे और मैंने उसके सुपाड़े को चूम लिया। मेरे होंठों पर गर्म-गर्म एहसास हुआ जिसे मैं और ज्यादा महसूस करना चाहती थी।

तभी उस बूढ़े ने भी मेरे बालों को पकड़ लिया और मेरा सर अपने लण्ड की तरफ दबाने लगा।

मैंने मुँह खोला और उसका लण्ड मेरे मुँह में समाने लगा। उसका लण्ड मैं पूरा अपने मुँह में नहीं घुसा सकी मगर जो बाहर था उसको मैंने एक हाथ से पकड़ लिया और मसलने लगी।

बुढा भी मेरे सर को अपने लण्ड पर दबा रहा था और अपनी गाण्ड हिला-हिला कर मेरे मुँह में अपना लण्ड घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था। थोड़ी ही देर के बाद उसके धक्कों ने जोर पकड़ लिया और उसका लण्ड मेरे गले तक उतरने लगा। मेरी तो हालत बहुत बुरी हो रही थी कि अचानक मेरे मुँह में जैसे बाढ़ आ गई हो। मेरे मुँह में एक स्वादिष्ट पदार्थ घुल गया। तब मुझे समझ में आया कि बुड्ढा झड़ गया है। तभी उसके धक्के भी रुक गए और लण्ड भी ढीला होने लगा और मुँह से बाहर आ गया।

उसका माल इतना ज्यादा था कि मेरे मुँह से निकल कर गर्दन तक बह रहा था। कुछ तो मेरे गले से अंदर चला गया था और बहुत सारा मेरे मम्मों तक बह कर आ गया। मैं बेसुध होकर पीछे की तरफ लेट गई। और वो भी एक तरफ लेट गया। इस बीच हम थोड़ी रोमांटिक बातें करते रहे।

थोड़ी देर के बाद वो फिर उठा और मेरे दोनों तरफ हाथ रख कर मेरे ऊपर झुक गया। फिर उसन मुझे अपने ऊपर कर लिया और मेरी ब्रा की हुक खोल दी। मेरे दोनों कबूतर आजाद होते ही उसकी छाती पर जा गिरे। उसने भी बिना देर किये दोनों कबूतर अपने हाथो में थाम लिए और बारी-बारी दोनों को मुँह में डाल कर चूसने लगा।

वो मेरे मम्मों को बड़ी बुरी तरह से चूस रहा था। मेरी तो जान निकली जा रही थी। मेरे मम्मों का रसपान करने के बाद वो उठा और मेरी टांगों की ओर बैठ गया। उसने मेरी पैंटी को पकड़ कर नीचे खींच दिया और दोनों हाथों से मेरी टाँगे फ़ैला कर खोल दी। वो मेरी जांघों को चूमने लगा और फिर अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। मेरे बदन में जैसे बिजली दौड़ने लगी। मैंने उसका सर अपनी दोनों जांघों के बीच में दबा लिया और उसके सर को अपने हाथों से पकड़ लिया। उसका लण्ड मेरे सैंडल की पट्टियों के बीच में से पैरों के साथ छू रहा था। मुझे पता चल गया कि उसका लण्ड फिर से तैयार हैं और सख्त हो चुका हैं।

मैंने बूढ़े की बांह पकड़ी और ऊपर की और खींचते हुए कहा- मेरे ऊपर आ जाओ राजा...!

वो भी समझ गया कि अब मेरी फुद्दी लण्ड लेना चाहती है। वो मेरे ऊपर आ गया और अपना लण्ड मेरी चूत पर रख दिया। मैंने हाथ में पकड़ कर उसका लण्ड अपनी चूत के मुँह पर टिकाया और अंदर को खींचा। उसने भी एक धक्का मारा और उसका लण्ड मेरी चूत में घुस गया।

मेरे मुँह से आह निकल गई। मेरी चूत में मीठा सा दर्द होने लगा। अपने पति के इन्तजार में इस दर्द के लिए मैं बहुत तड़पी थी। उसने मेरे होंठ अपने होंठो में लिए और एक और धक्का मारा। उसका सारा लण्ड मेरी चूत में उतर चुका था। मेरा दर्द बढ़ गया था। मैंने उसकी गाण्ड को जोर से दबा लिया था कि वो अभी और धक्के ना मारे।

जब मेरा दर्द कम हो गया तो मैं अपनी गाण्ड हिलाने लगी। वो भी लण्ड को धीरे-धीरे से अंदर-बाहर करने लगा।

कमरे में मेरी और उसकी सीत्कारें और आहों की आवाज़ गूंज रही थी। वो मुझे बेदर्दी से पेल रहा था और मैं भी उसके धक्कों का जवाब अपनी गाण्ड उठा-उठा कर दे रही थी।

फिर उसने मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा।

मैंने घोड़ी बन कर अपना सर नीचे झुका लिया। उसने मेरी चूत में अपना लण्ड डाला। मुझे दर्द हो रहा था मगर मैं सह गई। दर्द कम होते ही फिर से धक्के जोर-जोर से चालू हो गए। मैं तो पहले ही झड़ चुकी थी, अब वो भी झड़ने वाला था। उसने धक्के तेज कर दिए। अब तो मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे यह बुड्ढा आज मेरी चूत फाड़ देगा। फिर एक सैलाब आया और उसका सारा माल मेरी चूत में बह गया।

वो वैसे ही मेरे ऊपर गिर गया। मैं भी नीचे उल्टी ही लेट गई और वो मेरे ऊपर लेट गया। मेरी चूत में से उसका माल निकल रहा था।

हम दोनों थक चुके थे और भूख भी लग चुकी थी। उसने किसी होटल में फोन किया और खाना घर पर ही मंगवा लिया। मैंने अपने मम्मे और चूत कपड़े से साफ़ किए और अपनी ब्रा और पैंटी पहनने लगी। उसने मुझे रुकने का इशारा किया और एक गिफ्ट-पैक मेरे हाथ में थमा दिया।

मैंने खोल कर देखा तो उसमें बहुत ही सुन्दर ब्रा और पैंटी थी जो वो मेरे लिए अमेरिका से लाया था। फिर मैंने वही ब्रा और पैंटी पहनी और अपने कपड़े पहन लिए।

तभी बेल बजी, वो बाहर गया और खाना लेकर अंदर आ गया। हमने साथ बैठ कर बियर पी और खाना खाया।

उसने मुझे कहा- चलो अब तुम्हें शॉपिंग करवाता हूँ।

वो मुझे मॉल में ले गया। पहले तो मैंने शादी के लिए शॉपिंग की, जिसका बिल भी उसी बूढ़े ने दिया। उसने मुझे भी एक बेहद सुन्दर और कीमती साड़ी लेकर दी और बोला-जब अगली बार मिलने आओगी तो यही साड़ी पहन कर आना क्योंकि तेरी तंग पजामी उतारने में बहुत मुश्किल हुई आज।

फिर वो मुझे बस स्टैंड तक छोड़ गया और मैं बस में बैठ कर वापिस अपने गाँव अपने घर आ गई। शादी के बाद पहली बार मैंने सामाजिक बंधनों को तोड़ कर लकीर पार की थी और मैं बहुत हल्का और अज़ाद महसूस कर रही थी। फिर से कॉलेज के दिनों की तरह नये-नये लण्डों से चुदने के लिये अब मेरी सारी झिझक उड़न छू हो चुकी थी। सिर्फ थोड़ी सावधानी और चालाकी से कदम बढ़ाना होगा।











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