Fentency
पुरानी किताबों की दुकान
कुछ लोगों का कहना है की किताबों की दुकान मैं कभी कुछ अच्छा नहीं मिला
उन्हें आज तक| कौन जाये धूल और मिट्टी से भरी इन किताबों के बीच? कुछ
लोगों का तो यह भी कहना है की, यह दुनिया की सबसे उबाऊ जगह है| ना तो
यहाँ कुछ अद्भुत होता है ना ही कुछ आश्चर्यजनक| मगर मेरा अनुभव इन सभी से
थोडा हट कर है| अब कह लीजिये की मैं एक किताबी कीड़ा हूँ लेकिन मेरे साथ
जो हुआ, वोह शायद ही किसी किसी के साथ ही होता होगा| तो लीजिये मैं
सुनाता हूँ अपनी कहानी, अपनी ज़ुबानी| जेब मैं कुछ पैसे पड़े थे और हो
रहा था बोर तो सोचा की क्यों ना अपना पुरानी किताबों की दुकान मैं चक्कर
लगा लिया जाये| धीरे धीरे किताबों के ढेरों से निकलता हुआ जा रहा था की
शायद कहीं कोई किताब मुझे अपनी तरफ खींच लेगी और कहेगी हाँ मुझी पर अपनी
कमाई खर्च कर दो| लेकिन मेरी नज़र को किसी और ने खींच लिया| दुकान के
पीछे की तरफ एक लड़की बैठी हुई थी| पहले तो मुझे मेरी आँखों पर भरोसा ही
नहीं हुआ, की कोई लड़की यहाँ भी बैठेगी और वोह भी इतनी खूबसूरत| एक बड़ा
सा कोफ्फ़ी का मग पकडे हुए, किसी सस्ते रोमांटिक नोवेल को पढ़ रही थी|
अचानक उसने मेरी तरफ देखा, और मेरी आँखें खुद ही इधर उधर किताबों को
ढूँढने लगीं| धीरे धीरे मैंने उसकी तरफ देखने की सोची लेकिन फिर सोचा की
कहीं मैं उसे कोई आवारा लोफर ना लगूं|
थोड़ी देर बाद मैंने नज़रें उठायीं तो देखा की वोह अभी भी अपने नोवेल मैं
नज़रें गढ़ाए बैठी थी| उसके बाल कुछ गहरे भूरे रंग के थे| उसके कन्धों से
ढलकते हुए उसके चेहरे को घेर रहे थे| उसका रेशमी ब्लाउस उसके तने हुए
स्तनों को और भी ज़्यादा उभार रहा था| ऐसा लग रहा था जैसे मानों बस वही
एक आखरी बचाव बचा था, उसके निप्पलों को बहार निकल जाने से| उसकी स्कर्ट,
जो सिर्फ घुटनों तक थी वोह उसकी गोद में इकट्ठा थी| उसने अपनी जांघों से
उसे खींच रखा था, और टांगों को आराम से एक के ऊपर एक कर के मोड़ा हुआ था|
उनकी एक झलक पाने के लिए मैं थोडा झुक कर किताबों की तरफ देखने का नाटक
करने लगा| उसने अपने हाई हील्स टेबल की नीचे सरका रखीं थीं| ऐसा लग रहा
था जैसे वोह किसी पुरानी किताबों की दुकान मैं नहीं, बल्कि अपने घर में
बैठी हो| उसने अपनी कोफ्फ़ी का अक और सिप लिया, और इधर उधर देखा की कहीं
उसे कहीं देख तो नहीं रहा| मैं फटाफट एक रैक के पीछे छुप गया| जहाँ मैं
खड़ा था वहां से मैं यह तो देख सकता था की वोह क्या कर रही है लेकिन वोह
मुझे नहीं देख पा रही थी|
जैसा की मैंने पहले कहा था, एक पुरानी किताबों की दुकान में कोई नहीं
आता, और मंगलवार की भरी दुपहरी में तो शायद कोई बदनसीब या कोई मेरे जैसा
किताबों का शौक़ीन ही आयेगा| हाँ काउंटर पर एक १८-१९ साल की एक लड़की
बैठी थी| जो शायद किसी कॉलेज में पढ़ रही थी और यहाँ पार्ट-टाइम काम करती
थी| ऐसा लगता ही नहीं था उसे इस बात की चिंता थी की स्टोर में क्या हो
रहा है| वोह या तो अपने होमवर्क मैं धंसी रहती थी, या फिर पूरे समय अपने
बॉयफ्रेंड के साथ फ़ोन पर लगी रहती थी| आज वोह कुछ नया कर रही थी| शायद
उसको एक आईपॉड मिला था अपने बॉयफ्रेंड से, जो अब उसके कानों मैं गूँज रहा
था| और फिर एक बूढा आदमी बैठता था, जो वैसे तो सिर्फ अख़बारों को पलटता
रहता था, लेकिन सभी को पता था की वोह वहां सिर्फ उस लड़की को देखने के
लिए आता था| और फिर बचे हम दोनों| वैसे तब तो मुझे यह पता नहीं की वोह
लड़की भी मुझे देख चुकी है| और अब हम दोनों ही एक दूसरे को देख रहे थे और
यह सोच रहे थे की दूसरा हमें नहीं देख सकता|
मैंने एक मैगज़ीन उठाई और जा बैठा स्टोर के पीछे वाले टेबल पर, मगर इस
तरह की मैं उसे कमरे के दूसरे कोने में देखता रहूँ| फिर मैं अपनी मैगज़ीन
को पढने में लग गया| तकरीबन १० मिनट तक में विश्व की बढती जनसँख्या के
बारे में पढने में लगा रहा| न तो मैंने उसकी तरह देखा ना ही यह जानने की
कोशिश कर रही की वोह मुझे देख रही है या नहीं| जब मैंने उसकी तरफ देखा,
तो वोह अपने किताब पर कुछ इस तरह झुकी हुई थी जैसे मानो उस किताब में ना
जाने कौनसे रहस्य दबे हुए हैं, जिन्हें वह चुन चुन के निकालना चाहती है|
मैंने थोडा और गौर से देखा तो पाया की उसने किताब को अपने बाएं हाथ से
पकड़ रखा था, और उसका दायाँ हाथ उसकी स्कर्ट के घेरों में छुपा हुआ था|
पहले पहल तो मैंने इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया, मगर जब थोड़ी देर बाद
और ध्यान से देखा तो पाया की उसका दायाँ हाथ, धीमे-धीमे हिल रहा था| पहले
तो मुझे लगा की मेरी कल्पनाएँ मुझ पर हावी होके मुझे धोखा दे रही हैं,
क्योंकि अँधेरे में कुछ ठीक से दिख नहीं रहा था| फिर मैंने देखा की उसकी
टाँगें थोड़ी खुली थीं और उसकी दोनों पैर ज़मीन पर जमे हुए थे| अचानक
मुझे लगा जैसे मुझे कोई घूर रहा हो| मैंने ऊपर देखा तो पाया की वोह मुझे
ही देख रही थी| उसके चेहरे पर बिछी हुई मुस्कान मुझे दो चीज़ें बता रही
थीं| एक की में पकड़ा गया हूँ, और दूसरा मैंने जो भी देखा वोह सब सच था,
ना की मेरी सोच या कल्पना| लेकिन इससे पहले की में उसे कुछ कह पता उसकी
मुस्कान और बड़ी हो गयी और वोह अपनी कुर्सी पर और पीछे की तरफ झुक कर बैठ
गयी| उसके तने हुए निप्पल उसके ब्लाउस से बाहर आने की पूरी पूरी कोशिश कर
रहे थे| अचानक उसने अपनी टाँगें और फैला दीं, और अब मैं उसकी चूत में
घुसी हुई उँगलियों को आराम से देख रहा था| उसने अपनी किताब को एक तरफ रख
दिया और अपने निप्पलों को अपने खाली हाथ से सहलाने लगी| अब वह धीमे से
मुस्कुरा रही थी और अपनी होंठ के कोने को अपने दांतों में चबा रही थी|
एकदम ही वोह ठीक से बैठ गयी, अपनी स्कर्ट को सीधा करा और अपनी किताब में
दुबारा झुक गयी| उसकी चेहरे की वासना से भरी मुस्कान अचानक एक पढ़ाकू से
भाव में बदल गयी| मैं डर गया की कहीं मैंने कुछ गलत तो नहीं कर दिया| तभी
अचानक मेरे सामने से काउंटर वाली लड़की टोइलेट की तरफ जाती हुई दिखी|
मेरे सामने से अचानक दबी सी हंसी की आवाज़ आई और मैंने देखा की वह किताब
में मुंह छुपा के हंस रही थी| अब मैं समझ गया था की यही मौका है जब मैं
उससे बात कर लूं| काउंटर वाली लड़की टोइलेट से निकली और जाके अपने आईपॉड
पर वापस लग गयी| मैं भी अपनी मैगज़ीन उठा के उसके सामने वाली चेयर पर बैठ
गया|
"अच्छा, मुझे नहीं पता था की यह एक डाक्यूमेन्टरी थी|" मैंने जवाब दिया|
वोह हंस दी| उसके सफ़ेद मोतियों जैसे दांतों के देख के ऐसा लगा मानों
जैसे कमरे में एक नयी रोशनी हो गयी हो|
फिर वोह उठी और अपनों कपड़ो को सीधा करके टोइलेट की तरफ बढ़ गयी| थोडा
आगे जा कर वोह रुकी और मुड़ के मेरी तरफ देखने लगी| में अपनी जगह से हिला
ही नहीं था, यही नहीं उसकी हिरनी जैसी चाल को ही निहार रहा था| मेरा मुंह
खुला हुआ तो और एक बेवक़ूफ़ की तरह से मैं बस उसे घूरे जा रहा था| उसने
मुझ पर एक बार फिर अपनी कातिल मुस्कान फेंकी और अपनी स्कर्ट को ऊपर उठाकर
आगे को झुक गयी| यह मुझे नींद से जगाने के लिए काफी थी और मैं फटाफट आगे
की तरफ बढ़ा, मगर मेरी टाँगें चेयर में उलझ कर रह गयीं| लड़खड़ाते हुए
मैंने अपने को संभाल तो लिया, मगर अपनी शर्म को छुपा नहीं पाया| मेरे कान
लाल हो गए और ऐसा लगा जैसे अभी जल जायेंगे| वोह मेरी यह हालत देख कर हंसी
और टोइलेट की तरफ मुड़ गयी| लेकिन अचानक रुक कर उसने अपने ब्लाउस के ऊपर
के बटन खोल दिए और मेरी तरफ झुकते हुए अन्दर चली गयी|
मैं दौड़ कर टोइलेट के दरवाज़े पर गया, मगर एक बार रुक के देखा की कहीं
कोई हमें देख तो नहीं रहा| जब मुझे विश्वास हो गया की हमें कोई देख नहीं
रहा तो में अन्दर घुस गया और अपने पीछे दरवाज़े को बंद कर दिया| वोह
अजंता एल्लोरा की किसी मूर्ति की तरह खड़ी हुई थी| उसका एक पैर ज़मीन पर
था और दूसरा उसने सिंक पर रखा हुआ था, वोह एक तने हुए धनुष की तरह मुड़ी
हुई थी| उसकी जांघ मेरे सामने उघड़ी हुई थी, और वोह अपने दायें हाथ से
अपनी चूत की सहला रहा थी| उसका ब्लाउस खुल के उसके बाएं निप्पल पर हलके
हलके झूल रहा था, और वोह अपने बाएं हाथ से अपनी दायें स्तन को मसल रही
थी| उसका सर पीछे को गिरा सा हुआ था, आँखें बंद, होंठ हल्के से खुले और
उनमे से ओह और आह की आवाजें हर साँस के साथ निकल रहीं थी|
मुझसे यह सब देख के रुका नहीं गया| मैं उसके पास गया और उसकी गर्दन को
हल्के से पकड़ कर अपनी ओर खींच कर उससे चूम लिया| हमारी जीभें एक दूसरे
के साथ ऐसे उलझ रही थी, जैसे वोह अपना ही कोई वासना भरा नाच नाच रहीं
हों| मैं अपने बाएं हाथ से अपनी पैंट खोलने में लगा था| उसने अपने आप से
खेलना बंद कर दिया और मेरे सोये हुए लंड को अपने हाथ में ले लिया| उसने
उसे दोनों हाथों से पकड़ कर धीम से सहलाने लगी| इस बीच मेरा लंड अपने
पूरे आकार में आने लगा| मैंने हमारा चुम्बन तोड़ा, और हम दोनों की नज़रें
उसके हाथों पर गयी| वोह अपने कोमल हाथ, धीमे धीमे मेरे लंड पर घुमा रही
थी| फिर उसने मुझे एक हल्का सा धक्का दे कर पीछे किया, लेकिन बिना अपना
पैर काउंटर से हटाये, वोह नीचे झुकी, एक हाथ काउंटर पर और एक हाथ मेरी
कमर पर रख कर वोह मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी| धीरे धीरे वोह
मेरे लंड को अपने मुंह के नादर समाती जा रही थी| ऐसा लग रहा था जैसे हर
साँस जो वोह ले रही थी, उसीके साथ वोह मेरे लंड का कुछ हिस्सा भी अन्दर
ले रही थी| थोड़ी देर में मेरा पूरा लंड उसके मुंह में था| उसने मुझे
थोड़ी देर अपने मुंह में रखा और अपने सर को इधर से उधर हिलाया| फिर उसने
मुझे अपने मुंह से निकल के देखा| मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ था,
लेकिन वोह तो अभी भी अपने थूक से सने मेरे लंड को देख रही थी| अचानक ही
उसने उसे अपने मुंह में पूरा ले लिया, धीरे धीरे उसे अपने थूक से गीला
करती जा रही थी| वोह ऐसा तब तक करती रही जब तक वोह पूरी तरह उसके थूक में
भीग नहीं गया| में तो सातवें आसमान में था लेकिन, मैंने देखा की उसने
अपना हाथ काउंटर से हटा के अपनी टांगों के बीच कर लिया था| यह देख कर,
में थोड़ा मुड़ा और इस तरह खड़ा हुआ की मैं शीशे में उसे अपना लंड चूसते
देखता रहूँ| फिर मैंने उसकी स्कर्ट उठाई और देखा की वोह बार बार अपनी
उँगलियों को अपनी गीली चूत में धकेल रही थी|
अब मैंने सोच लिया था की बहुत हो गया, अब मेरी बारी है इस लड़की को जन्नत
दिखाने की| मैं खड़ा हुआ और उसके मुंह से अपने लंड को निकला| वोह इस बात
से खुश नहीं लग रही थी, मगर में तभी अपने घुटनों पर बैठा और उसके हाथों
को उसकी चूत से हटा दिया| अब उसकी शकल देखने वाली थी, और अचानक ही मैंने
अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर घुसा दी| उसके मुंह से एक हल्की से चीक निकल
गयी, और जितना मैं अपनी जीभ को उसकी चूत के अन्दर घुमा रहा था, उतना ही
वोह चिल्ला रही थी| उसने मेरे बाल पकड़ के मुझे और अन्दर धकेल दिया|
क्यूंकि मेरा सर उसकी स्किर्ट के नीचे थे इसलिए में एक अंधे आदमी की तरह
उसके शरीर पर हाथ घुमाने लगा| मेरे हाथ उसके पेट, उसके ताने हुए स्तनों
और उसकी लम्बी टांगों पर घूम रहे थे| फिर मैंने उसके स्तनों पर ध्यान
देना शुरू कर दिया| धीमे से उसके स्तनों को मसलना और रगड़ना शुरू किया|
उसकी चीखें और तेज़ होने लगीं जैसे ही मैंने उसके क्लिटरिस को अपने
दांतों से हल्के से खींचना शुरू किया और उसकी चूत में अपनी जीभ को ऐसे
घुमाना शुरू कर दिया जैसे मानों मैं बरसों से प्यासा हूँ, और सिर्फ उसकी
चूत ही मेरी प्यास बुझा सकती हो| अचानक वोह अपने चरम पर पहुंची और खुद को
मेरे मुंह पर रगड़ने लगी| उसके सत्व मेरे चेहरे पर फ़ैल गए|
उसके बाद मैं उसे गोद में उठाकर, काउंटर पर पीछे किया| उसके बाद उसने
मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर डालना शुरू किया| उसके मुंह से "आह" की
आवाजें आने लगीं थीं| में उसके अन्दर अपने लंड को धकेलता जा रहा था|
लेकिन उसका पैर जो सिंक पर था, उसके साथ में अपने लुंड को पूरी तरह अन्दर
नहीं धकेल पा रहा था| आखिर मैंने थक के उसे गोद में उठाया और इस तरह उसे
बिठाया की में उसकी जांघों को पकड़ के अपने लंड को उसके अन्दर पूरी तरह
दाल सकूँ| उसने मेरी कमर को अपनी टांगों से जकड़ लिया, और मुझे अपने
अन्दर खींचने की कोशिश करने लगी| यह करते ही उसकी आँखें और चौड़ी हो गयी
और मुंह खुला का खुला रह गया, ऐसा लगता था जैसे मानों उसने कभी ऐसा महसूस
ही नहीं हुआ हो| वोह एकदम ही अपने चरम पे पहुँच गयी और उसकी चीखों को कम
करने के लिए मुझे उसके मुंह पर हाथ तक रखना पड़ा| "मेरे सबसे बड़े डिल्डो
के साथ भी मुझे ऐसा कभी फील नहीं हुआ" उसके मुंह से थोड़ी देर तक बस यही
निकलता रहा|
मैं उसकी चूत में अपना लंड और जोर से धकेलने लगा| हर धक्के के साथ, मेरा
लंड और अन्दर जाता, और उसकी चूत को और भर देता, उसकी चूत मेरे लंड पर
कसती जा रही थी| फिर मैंने चुपचाप अपना मोबाइल अपनी जेब से निकला और किसी
तरह उसे खोला| धीरे से मैंने किसी तरह से उसे विडियो मोड में किया और दबा
दिया रिकॉर्ड का बटन| फिर मैंने कैमरे को ऐसे रखा जहाँ से हम दोनों के
जिस्मों का संगम आराम से दिख सके, मेरा लंड, शायद मेरी ज़िन्दगी की सबसे
खूबसूरत चूत को चोदते हुए रिकॉर्ड हो रहा था| जब उसने अपनी ऑंखें खोलीं
और देखा की विडियो बन रहा है, तो बस मुस्कुरा के बोली "चेहरे नहीं, ओके?"
मैं सिर्फ मुस्कुरा दिया और तेज़ी के साथ धकेलते हुए हर हरकत को कैमरे
में कैद करने लगा|
वोह अपने चरम पर पहुँचने वाली थी, और इसकी अपेक्षा में उसने अपना सर पीछे
फेंक रखा था| उसकी कमर ताने हुए धनुष की तरह झुकती जा रही थी, और उसका
ब्लाउस उसके स्तनों से फिसल गया था और उसका पूरा शरीर मेरे सामने था|
जैसे ही वोह अपने चरम पर पहुंची तो वोह मुझसे खुद को रगड़ने लगी, उसका
शरीर ऐसे हिल रहा था जैसे मानो उसे कोई बिजली के दौरे दे रहा हो| वोह चाह
कर भी अपनी चीखें नहीं रोक पा रही थी, क्यूँकी उसके शरीर के हर हिस्से
में वासना से मिली ख़ुशी बह रही थी|
वोह धीरे धीरे अपने होशोहवास में वापस आरही थी, लेकिन इतने में मैंने
अपना लंड निकाला और उसे तेज़ी से अपने हाथ से रगड़ने लगा| मेरा वीर्य एक
फुव्वारे की तरह उसके पेट, स्तनों, गर्दन और उसके खूबसूरत चेहरे पर गिरने
लगा| ऐसा लग रहा था जैसे मानों किसी ने उसे वीर्य के झरने में छोड़ दिया
ही, लेकिन उसे इस चीज़ की कोई चिंता नहीं थी| उसने अपना पूरा मज़ा ले
लिया था और यह तो बोनस था|
जब हम दोनों पूरी तरह से थक गए थे तो अचानक उसने कहा "अरे मुझे अपना फ़ोन
दो|| जल्दी||||"
"क्यूँ क्या हुआ?" मैंने पूछा|
"मेरा वहां टेबल पर रह गया है|" और उसने मेरे हाथ से फ़ोन छीना और एक
नंबर पे कॉल किया| जब दूसरी तरफ किसी ने फ़ोन उठाया तो वोह बोली "हाँ,
सवी, मैं आस्था बोल रही हूँ| बॉस को बोल देना में थोड़ा लेट हो जायूंगी|
कहीं फंसी हुई हूँ|" वोह उठी और मेरे होठों पर एक हल्का सा चुम्बन दे के
मेरे कानों में बोली "अब मेरे पास आधा घंटा और है|"
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पुरानी किताबों की दुकान
कुछ लोगों का कहना है की किताबों की दुकान मैं कभी कुछ अच्छा नहीं मिला
उन्हें आज तक| कौन जाये धूल और मिट्टी से भरी इन किताबों के बीच? कुछ
लोगों का तो यह भी कहना है की, यह दुनिया की सबसे उबाऊ जगह है| ना तो
यहाँ कुछ अद्भुत होता है ना ही कुछ आश्चर्यजनक| मगर मेरा अनुभव इन सभी से
थोडा हट कर है| अब कह लीजिये की मैं एक किताबी कीड़ा हूँ लेकिन मेरे साथ
जो हुआ, वोह शायद ही किसी किसी के साथ ही होता होगा| तो लीजिये मैं
सुनाता हूँ अपनी कहानी, अपनी ज़ुबानी| जेब मैं कुछ पैसे पड़े थे और हो
रहा था बोर तो सोचा की क्यों ना अपना पुरानी किताबों की दुकान मैं चक्कर
लगा लिया जाये| धीरे धीरे किताबों के ढेरों से निकलता हुआ जा रहा था की
शायद कहीं कोई किताब मुझे अपनी तरफ खींच लेगी और कहेगी हाँ मुझी पर अपनी
कमाई खर्च कर दो| लेकिन मेरी नज़र को किसी और ने खींच लिया| दुकान के
पीछे की तरफ एक लड़की बैठी हुई थी| पहले तो मुझे मेरी आँखों पर भरोसा ही
नहीं हुआ, की कोई लड़की यहाँ भी बैठेगी और वोह भी इतनी खूबसूरत| एक बड़ा
सा कोफ्फ़ी का मग पकडे हुए, किसी सस्ते रोमांटिक नोवेल को पढ़ रही थी|
अचानक उसने मेरी तरफ देखा, और मेरी आँखें खुद ही इधर उधर किताबों को
ढूँढने लगीं| धीरे धीरे मैंने उसकी तरफ देखने की सोची लेकिन फिर सोचा की
कहीं मैं उसे कोई आवारा लोफर ना लगूं|
थोड़ी देर बाद मैंने नज़रें उठायीं तो देखा की वोह अभी भी अपने नोवेल मैं
नज़रें गढ़ाए बैठी थी| उसके बाल कुछ गहरे भूरे रंग के थे| उसके कन्धों से
ढलकते हुए उसके चेहरे को घेर रहे थे| उसका रेशमी ब्लाउस उसके तने हुए
स्तनों को और भी ज़्यादा उभार रहा था| ऐसा लग रहा था जैसे मानों बस वही
एक आखरी बचाव बचा था, उसके निप्पलों को बहार निकल जाने से| उसकी स्कर्ट,
जो सिर्फ घुटनों तक थी वोह उसकी गोद में इकट्ठा थी| उसने अपनी जांघों से
उसे खींच रखा था, और टांगों को आराम से एक के ऊपर एक कर के मोड़ा हुआ था|
उनकी एक झलक पाने के लिए मैं थोडा झुक कर किताबों की तरफ देखने का नाटक
करने लगा| उसने अपने हाई हील्स टेबल की नीचे सरका रखीं थीं| ऐसा लग रहा
था जैसे वोह किसी पुरानी किताबों की दुकान मैं नहीं, बल्कि अपने घर में
बैठी हो| उसने अपनी कोफ्फ़ी का अक और सिप लिया, और इधर उधर देखा की कहीं
उसे कहीं देख तो नहीं रहा| मैं फटाफट एक रैक के पीछे छुप गया| जहाँ मैं
खड़ा था वहां से मैं यह तो देख सकता था की वोह क्या कर रही है लेकिन वोह
मुझे नहीं देख पा रही थी|
जैसा की मैंने पहले कहा था, एक पुरानी किताबों की दुकान में कोई नहीं
आता, और मंगलवार की भरी दुपहरी में तो शायद कोई बदनसीब या कोई मेरे जैसा
किताबों का शौक़ीन ही आयेगा| हाँ काउंटर पर एक १८-१९ साल की एक लड़की
बैठी थी| जो शायद किसी कॉलेज में पढ़ रही थी और यहाँ पार्ट-टाइम काम करती
थी| ऐसा लगता ही नहीं था उसे इस बात की चिंता थी की स्टोर में क्या हो
रहा है| वोह या तो अपने होमवर्क मैं धंसी रहती थी, या फिर पूरे समय अपने
बॉयफ्रेंड के साथ फ़ोन पर लगी रहती थी| आज वोह कुछ नया कर रही थी| शायद
उसको एक आईपॉड मिला था अपने बॉयफ्रेंड से, जो अब उसके कानों मैं गूँज रहा
था| और फिर एक बूढा आदमी बैठता था, जो वैसे तो सिर्फ अख़बारों को पलटता
रहता था, लेकिन सभी को पता था की वोह वहां सिर्फ उस लड़की को देखने के
लिए आता था| और फिर बचे हम दोनों| वैसे तब तो मुझे यह पता नहीं की वोह
लड़की भी मुझे देख चुकी है| और अब हम दोनों ही एक दूसरे को देख रहे थे और
यह सोच रहे थे की दूसरा हमें नहीं देख सकता|
मैंने एक मैगज़ीन उठाई और जा बैठा स्टोर के पीछे वाले टेबल पर, मगर इस
तरह की मैं उसे कमरे के दूसरे कोने में देखता रहूँ| फिर मैं अपनी मैगज़ीन
को पढने में लग गया| तकरीबन १० मिनट तक में विश्व की बढती जनसँख्या के
बारे में पढने में लगा रहा| न तो मैंने उसकी तरह देखा ना ही यह जानने की
कोशिश कर रही की वोह मुझे देख रही है या नहीं| जब मैंने उसकी तरफ देखा,
तो वोह अपने किताब पर कुछ इस तरह झुकी हुई थी जैसे मानो उस किताब में ना
जाने कौनसे रहस्य दबे हुए हैं, जिन्हें वह चुन चुन के निकालना चाहती है|
मैंने थोडा और गौर से देखा तो पाया की उसने किताब को अपने बाएं हाथ से
पकड़ रखा था, और उसका दायाँ हाथ उसकी स्कर्ट के घेरों में छुपा हुआ था|
पहले पहल तो मैंने इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया, मगर जब थोड़ी देर बाद
और ध्यान से देखा तो पाया की उसका दायाँ हाथ, धीमे-धीमे हिल रहा था| पहले
तो मुझे लगा की मेरी कल्पनाएँ मुझ पर हावी होके मुझे धोखा दे रही हैं,
क्योंकि अँधेरे में कुछ ठीक से दिख नहीं रहा था| फिर मैंने देखा की उसकी
टाँगें थोड़ी खुली थीं और उसकी दोनों पैर ज़मीन पर जमे हुए थे| अचानक
मुझे लगा जैसे मुझे कोई घूर रहा हो| मैंने ऊपर देखा तो पाया की वोह मुझे
ही देख रही थी| उसके चेहरे पर बिछी हुई मुस्कान मुझे दो चीज़ें बता रही
थीं| एक की में पकड़ा गया हूँ, और दूसरा मैंने जो भी देखा वोह सब सच था,
ना की मेरी सोच या कल्पना| लेकिन इससे पहले की में उसे कुछ कह पता उसकी
मुस्कान और बड़ी हो गयी और वोह अपनी कुर्सी पर और पीछे की तरफ झुक कर बैठ
गयी| उसके तने हुए निप्पल उसके ब्लाउस से बाहर आने की पूरी पूरी कोशिश कर
रहे थे| अचानक उसने अपनी टाँगें और फैला दीं, और अब मैं उसकी चूत में
घुसी हुई उँगलियों को आराम से देख रहा था| उसने अपनी किताब को एक तरफ रख
दिया और अपने निप्पलों को अपने खाली हाथ से सहलाने लगी| अब वह धीमे से
मुस्कुरा रही थी और अपनी होंठ के कोने को अपने दांतों में चबा रही थी|
एकदम ही वोह ठीक से बैठ गयी, अपनी स्कर्ट को सीधा करा और अपनी किताब में
दुबारा झुक गयी| उसकी चेहरे की वासना से भरी मुस्कान अचानक एक पढ़ाकू से
भाव में बदल गयी| मैं डर गया की कहीं मैंने कुछ गलत तो नहीं कर दिया| तभी
अचानक मेरे सामने से काउंटर वाली लड़की टोइलेट की तरफ जाती हुई दिखी|
मेरे सामने से अचानक दबी सी हंसी की आवाज़ आई और मैंने देखा की वह किताब
में मुंह छुपा के हंस रही थी| अब मैं समझ गया था की यही मौका है जब मैं
उससे बात कर लूं| काउंटर वाली लड़की टोइलेट से निकली और जाके अपने आईपॉड
पर वापस लग गयी| मैं भी अपनी मैगज़ीन उठा के उसके सामने वाली चेयर पर बैठ
गया|
"अच्छा, मुझे नहीं पता था की यह एक डाक्यूमेन्टरी थी|" मैंने जवाब दिया|
वोह हंस दी| उसके सफ़ेद मोतियों जैसे दांतों के देख के ऐसा लगा मानों
जैसे कमरे में एक नयी रोशनी हो गयी हो|
फिर वोह उठी और अपनों कपड़ो को सीधा करके टोइलेट की तरफ बढ़ गयी| थोडा
आगे जा कर वोह रुकी और मुड़ के मेरी तरफ देखने लगी| में अपनी जगह से हिला
ही नहीं था, यही नहीं उसकी हिरनी जैसी चाल को ही निहार रहा था| मेरा मुंह
खुला हुआ तो और एक बेवक़ूफ़ की तरह से मैं बस उसे घूरे जा रहा था| उसने
मुझ पर एक बार फिर अपनी कातिल मुस्कान फेंकी और अपनी स्कर्ट को ऊपर उठाकर
आगे को झुक गयी| यह मुझे नींद से जगाने के लिए काफी थी और मैं फटाफट आगे
की तरफ बढ़ा, मगर मेरी टाँगें चेयर में उलझ कर रह गयीं| लड़खड़ाते हुए
मैंने अपने को संभाल तो लिया, मगर अपनी शर्म को छुपा नहीं पाया| मेरे कान
लाल हो गए और ऐसा लगा जैसे अभी जल जायेंगे| वोह मेरी यह हालत देख कर हंसी
और टोइलेट की तरफ मुड़ गयी| लेकिन अचानक रुक कर उसने अपने ब्लाउस के ऊपर
के बटन खोल दिए और मेरी तरफ झुकते हुए अन्दर चली गयी|
मैं दौड़ कर टोइलेट के दरवाज़े पर गया, मगर एक बार रुक के देखा की कहीं
कोई हमें देख तो नहीं रहा| जब मुझे विश्वास हो गया की हमें कोई देख नहीं
रहा तो में अन्दर घुस गया और अपने पीछे दरवाज़े को बंद कर दिया| वोह
अजंता एल्लोरा की किसी मूर्ति की तरह खड़ी हुई थी| उसका एक पैर ज़मीन पर
था और दूसरा उसने सिंक पर रखा हुआ था, वोह एक तने हुए धनुष की तरह मुड़ी
हुई थी| उसकी जांघ मेरे सामने उघड़ी हुई थी, और वोह अपने दायें हाथ से
अपनी चूत की सहला रहा थी| उसका ब्लाउस खुल के उसके बाएं निप्पल पर हलके
हलके झूल रहा था, और वोह अपने बाएं हाथ से अपनी दायें स्तन को मसल रही
थी| उसका सर पीछे को गिरा सा हुआ था, आँखें बंद, होंठ हल्के से खुले और
उनमे से ओह और आह की आवाजें हर साँस के साथ निकल रहीं थी|
मुझसे यह सब देख के रुका नहीं गया| मैं उसके पास गया और उसकी गर्दन को
हल्के से पकड़ कर अपनी ओर खींच कर उससे चूम लिया| हमारी जीभें एक दूसरे
के साथ ऐसे उलझ रही थी, जैसे वोह अपना ही कोई वासना भरा नाच नाच रहीं
हों| मैं अपने बाएं हाथ से अपनी पैंट खोलने में लगा था| उसने अपने आप से
खेलना बंद कर दिया और मेरे सोये हुए लंड को अपने हाथ में ले लिया| उसने
उसे दोनों हाथों से पकड़ कर धीम से सहलाने लगी| इस बीच मेरा लंड अपने
पूरे आकार में आने लगा| मैंने हमारा चुम्बन तोड़ा, और हम दोनों की नज़रें
उसके हाथों पर गयी| वोह अपने कोमल हाथ, धीमे धीमे मेरे लंड पर घुमा रही
थी| फिर उसने मुझे एक हल्का सा धक्का दे कर पीछे किया, लेकिन बिना अपना
पैर काउंटर से हटाये, वोह नीचे झुकी, एक हाथ काउंटर पर और एक हाथ मेरी
कमर पर रख कर वोह मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी| धीरे धीरे वोह
मेरे लंड को अपने मुंह के नादर समाती जा रही थी| ऐसा लग रहा था जैसे हर
साँस जो वोह ले रही थी, उसीके साथ वोह मेरे लंड का कुछ हिस्सा भी अन्दर
ले रही थी| थोड़ी देर में मेरा पूरा लंड उसके मुंह में था| उसने मुझे
थोड़ी देर अपने मुंह में रखा और अपने सर को इधर से उधर हिलाया| फिर उसने
मुझे अपने मुंह से निकल के देखा| मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ था,
लेकिन वोह तो अभी भी अपने थूक से सने मेरे लंड को देख रही थी| अचानक ही
उसने उसे अपने मुंह में पूरा ले लिया, धीरे धीरे उसे अपने थूक से गीला
करती जा रही थी| वोह ऐसा तब तक करती रही जब तक वोह पूरी तरह उसके थूक में
भीग नहीं गया| में तो सातवें आसमान में था लेकिन, मैंने देखा की उसने
अपना हाथ काउंटर से हटा के अपनी टांगों के बीच कर लिया था| यह देख कर,
में थोड़ा मुड़ा और इस तरह खड़ा हुआ की मैं शीशे में उसे अपना लंड चूसते
देखता रहूँ| फिर मैंने उसकी स्कर्ट उठाई और देखा की वोह बार बार अपनी
उँगलियों को अपनी गीली चूत में धकेल रही थी|
अब मैंने सोच लिया था की बहुत हो गया, अब मेरी बारी है इस लड़की को जन्नत
दिखाने की| मैं खड़ा हुआ और उसके मुंह से अपने लंड को निकला| वोह इस बात
से खुश नहीं लग रही थी, मगर में तभी अपने घुटनों पर बैठा और उसके हाथों
को उसकी चूत से हटा दिया| अब उसकी शकल देखने वाली थी, और अचानक ही मैंने
अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर घुसा दी| उसके मुंह से एक हल्की से चीक निकल
गयी, और जितना मैं अपनी जीभ को उसकी चूत के अन्दर घुमा रहा था, उतना ही
वोह चिल्ला रही थी| उसने मेरे बाल पकड़ के मुझे और अन्दर धकेल दिया|
क्यूंकि मेरा सर उसकी स्किर्ट के नीचे थे इसलिए में एक अंधे आदमी की तरह
उसके शरीर पर हाथ घुमाने लगा| मेरे हाथ उसके पेट, उसके ताने हुए स्तनों
और उसकी लम्बी टांगों पर घूम रहे थे| फिर मैंने उसके स्तनों पर ध्यान
देना शुरू कर दिया| धीमे से उसके स्तनों को मसलना और रगड़ना शुरू किया|
उसकी चीखें और तेज़ होने लगीं जैसे ही मैंने उसके क्लिटरिस को अपने
दांतों से हल्के से खींचना शुरू किया और उसकी चूत में अपनी जीभ को ऐसे
घुमाना शुरू कर दिया जैसे मानों मैं बरसों से प्यासा हूँ, और सिर्फ उसकी
चूत ही मेरी प्यास बुझा सकती हो| अचानक वोह अपने चरम पर पहुंची और खुद को
मेरे मुंह पर रगड़ने लगी| उसके सत्व मेरे चेहरे पर फ़ैल गए|
उसके बाद मैं उसे गोद में उठाकर, काउंटर पर पीछे किया| उसके बाद उसने
मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर डालना शुरू किया| उसके मुंह से "आह" की
आवाजें आने लगीं थीं| में उसके अन्दर अपने लंड को धकेलता जा रहा था|
लेकिन उसका पैर जो सिंक पर था, उसके साथ में अपने लुंड को पूरी तरह अन्दर
नहीं धकेल पा रहा था| आखिर मैंने थक के उसे गोद में उठाया और इस तरह उसे
बिठाया की में उसकी जांघों को पकड़ के अपने लंड को उसके अन्दर पूरी तरह
दाल सकूँ| उसने मेरी कमर को अपनी टांगों से जकड़ लिया, और मुझे अपने
अन्दर खींचने की कोशिश करने लगी| यह करते ही उसकी आँखें और चौड़ी हो गयी
और मुंह खुला का खुला रह गया, ऐसा लगता था जैसे मानों उसने कभी ऐसा महसूस
ही नहीं हुआ हो| वोह एकदम ही अपने चरम पे पहुँच गयी और उसकी चीखों को कम
करने के लिए मुझे उसके मुंह पर हाथ तक रखना पड़ा| "मेरे सबसे बड़े डिल्डो
के साथ भी मुझे ऐसा कभी फील नहीं हुआ" उसके मुंह से थोड़ी देर तक बस यही
निकलता रहा|
मैं उसकी चूत में अपना लंड और जोर से धकेलने लगा| हर धक्के के साथ, मेरा
लंड और अन्दर जाता, और उसकी चूत को और भर देता, उसकी चूत मेरे लंड पर
कसती जा रही थी| फिर मैंने चुपचाप अपना मोबाइल अपनी जेब से निकला और किसी
तरह उसे खोला| धीरे से मैंने किसी तरह से उसे विडियो मोड में किया और दबा
दिया रिकॉर्ड का बटन| फिर मैंने कैमरे को ऐसे रखा जहाँ से हम दोनों के
जिस्मों का संगम आराम से दिख सके, मेरा लंड, शायद मेरी ज़िन्दगी की सबसे
खूबसूरत चूत को चोदते हुए रिकॉर्ड हो रहा था| जब उसने अपनी ऑंखें खोलीं
और देखा की विडियो बन रहा है, तो बस मुस्कुरा के बोली "चेहरे नहीं, ओके?"
मैं सिर्फ मुस्कुरा दिया और तेज़ी के साथ धकेलते हुए हर हरकत को कैमरे
में कैद करने लगा|
वोह अपने चरम पर पहुँचने वाली थी, और इसकी अपेक्षा में उसने अपना सर पीछे
फेंक रखा था| उसकी कमर ताने हुए धनुष की तरह झुकती जा रही थी, और उसका
ब्लाउस उसके स्तनों से फिसल गया था और उसका पूरा शरीर मेरे सामने था|
जैसे ही वोह अपने चरम पर पहुंची तो वोह मुझसे खुद को रगड़ने लगी, उसका
शरीर ऐसे हिल रहा था जैसे मानो उसे कोई बिजली के दौरे दे रहा हो| वोह चाह
कर भी अपनी चीखें नहीं रोक पा रही थी, क्यूँकी उसके शरीर के हर हिस्से
में वासना से मिली ख़ुशी बह रही थी|
वोह धीरे धीरे अपने होशोहवास में वापस आरही थी, लेकिन इतने में मैंने
अपना लंड निकाला और उसे तेज़ी से अपने हाथ से रगड़ने लगा| मेरा वीर्य एक
फुव्वारे की तरह उसके पेट, स्तनों, गर्दन और उसके खूबसूरत चेहरे पर गिरने
लगा| ऐसा लग रहा था जैसे मानों किसी ने उसे वीर्य के झरने में छोड़ दिया
ही, लेकिन उसे इस चीज़ की कोई चिंता नहीं थी| उसने अपना पूरा मज़ा ले
लिया था और यह तो बोनस था|
जब हम दोनों पूरी तरह से थक गए थे तो अचानक उसने कहा "अरे मुझे अपना फ़ोन
दो|| जल्दी||||"
"क्यूँ क्या हुआ?" मैंने पूछा|
"मेरा वहां टेबल पर रह गया है|" और उसने मेरे हाथ से फ़ोन छीना और एक
नंबर पे कॉल किया| जब दूसरी तरफ किसी ने फ़ोन उठाया तो वोह बोली "हाँ,
सवी, मैं आस्था बोल रही हूँ| बॉस को बोल देना में थोड़ा लेट हो जायूंगी|
कहीं फंसी हुई हूँ|" वोह उठी और मेरे होठों पर एक हल्का सा चुम्बन दे के
मेरे कानों में बोली "अब मेरे पास आधा घंटा और है|"
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