Tuesday, December 16, 2014

Fentency जन्मिदीन के तौफे में

Fentency

 जन्मिदीन के तौफे में
नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपको संगीता की मदहोश जवानी में मजेदार चुदाई के बारे में बताना चाहूँगा और उम्मीद करूँगा की आप उसे सुन खूब उत्तेजित हो जाओगे | संगीता मुंबई मेरे नगर में ही रहती थी और च्यूंकि हम बचपन एक साथ पढ़ भी चुके थे सो कभी – कभार नीचे घूमते – फिरते एक दूसरे से बात कर लिया करते थे | मैं तो संगीता के उठे और उभरे हुए बदन बस देखता ही रह गया क्यूंकि बचपन में ऐसी ना थी बल्कि पतली सी एक लड़की थी | मैंने अब उसे पटाने के लिए बात आगे बधाई और उसे वश में करने में दोस्तों मुझे पूरा एक महीना लग गया और तब जाकर मैं उसके सामने अपने प्यार का प्रस्ताव रखा |इतने झूठा भरोसा दिलाने के बाद भला कोई लड़की कसी मुझे ठुकरा सकती थी और हम हमारा एक महीना का प्यार का बंधा भी चला जिसमें मैंने मुश्किल से उसे गिनता पर चूमा था | मैंने अब एक ज़बरदस्त दिन को सार प्लान रचा और वो दिन उसका जन्मदिन था |

मैं पूरा दिन उसके साथ घुमा और आखिर में थक हार कर उसे अपने घर में ले गया | वहाँ अब बिस्तर पर हम एक दूसरे का हाथ थामते हुए बातें कर रहे थे तभी मैंने एक हाथ उसकी पीठ को सहलाते हुए उसे चूमना शुरू कर दिया और जैसे ही उसके होठों पर पहुंचा तो उसने मुझे अपने होठों द्वारा बड़े ज़बरदस्त तरीके से सहयोग किया | मैंने धीरे – धीरे उसे उसके अंगों को छेड़ता हुआ गरम करने लगा और मग्न होकर मैंने उसके टॉप को भी खींच के निकाल दिया |अब संगीता भी नीचे पर मेरे पजामें को नीचे कर मेरे लंड का करने लगी तो मैं हैरान हो गया और बस अब उसकी और अपनी सारी प्यास भुजाने वाला था | मैंने कुछ ही देर मैं उसे अपने सामने नंगी कर डाला अब मैंने उसकी चुत को रगड़ते हुए उसकी जाँघों को उप्पर की और उठा दिया | मैंने अपने होठों से उसकी चुत को चूमने लगा और कुछ ही देर में अपना लोहे जैसे लंड को उसकी चुत पर टिकाते हुए जोर का धक्का मारा जिससे मेरा लंड अपने टोपे के साथ उसकी चुत अंदर चला गया | संगीता को दर्द तो हो रहा था पर अपनी गांड आगे – पीछे हिलाते हुए बस किसी भी हालत में चुदना चाहती थी |

उसकी चुत में लंड को ज़ोरदार तरीके से अंदर धेकेलते हुए मज़े ले रहा था | संगीता अपनी उंगलियों को अपनी चुत पर रगड रही थी जिसे देख मैं भी अंधाधुंध रफ़्तार से अपने लंड के झटके बरसाये जा रहा था था और तभी कुछ देर बाद जैसे मैंने कुछ गरमिले झटके दिए तो उनके साथ मेरे मुठ की फुव्वार भी उसके तन पर निकल पड़ी और हांफता हुआ संगीता की चुत को चोदता रहा | मेरा मकसद पूरा हुआ और मैंने उस दिन संगीता की २ बार को जमकर चुदाई और अससे नंगे अद्मारों की तरह एक दूसरे के उप्पर हम पड़े रहे | आज संगीता मेरे साथ नहीं है क्यूंकि मैं उसे उसी दिन के बाद से छोड़ आगे बढ़ गया पर हसीन मुलाकात और संगम मुझे याद है और रहेगा |












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