Monday, December 8, 2014

Fentency साली को उसके घर में जम कर

Fentency


साली को उसके घर में जम कर 

मैं मुंबई के कोलाबा में रहता हूँ. मेरे साथ मेरी पत्नी और 2 बच्चे रहते हैं. मेरा ससुराल बंगलौर में है. मेरे ससुराल में मेरी सास और मेरी साली है. मेरे ससुर जी का देहांत दो साल पहले हो गया था. तब से मुझे अक्सर बंगलौर जाना पड़ता है. मेरी साली की उम्र लगभग बीस साल की होगी. देखने में वो बड़ी ही मस्त है.पिछले महीने मुझे अपने परिवार के साथ बंगलौर जाना था. लेकिन जाने के ठीक एकदिन पहले मेरी पत्नी आरती की तबियत कुछ खराब हो गयी. मैंने बंगलौर जाना कैंसिल करना चाहा. लेकिन मेरी पत्नी ने मुझे कहा कि बड़ी मुश्किल से टिकट मिले हैं. आप हो आईये. मैं यहाँ बच्चे के साथ रहती हूँ.पत्नी के जिद के चलते मैं अकेला ही अपने ससुराल बंगलौर चला आया. दरअसल मेरेससुराल में कुछ जरुरी अदालती काम था जिसका निपटारा करना अत्यंत ही आवशयक था. इसलिए मैं अगले दिन बंगलौर की ट्रेन पकड़ ली और अपने ससुराल पहुँच गया. वहां मेरी सास और साली भारती ने मेरी काफी आवभगत की. मेरी सास बिलकुल ही एकसरल विचार वाली सीधी साधी महिला थी और मेरी साली भारती भी सीधी साधी और भोली भाली लड़की थी. मैंने रात का डिनर लिया और अपने कमरे में जा कर सो गया.अगले दिन मैं क़ानूनी काम से सरकारी दफ्तर गया. वहां मुझे बताया गया कि मुझे 3-4 दिन और रुकना पड़ेगा तभी काम होगा. मैंने जब यह बात अपनी पत्नी को फोन कर के बताया तो उसने कहा कि आप काम कर के ही आईयेगा , क्यों कि फिर छुट्टी मिलनी मुश्किल हो जाती है. मुझे भी यही सही लगा. आखिर ससुराल का फायदा होगातो मुझे ही फायदा होगा क्यों कि ससुराल में जो कुछ है वो मेरी पत्नी आरती और उसकी छोटी बहन भारती का है. और जो कुछ आरती का है वो मेरा भी है. तो इसीकार्य के लिए मैंने 4-5 दिन रुकने का फैसला कर लिया. यह देख मेरी सास और साली काफी खुश हुयीं.मैंने शाम को अपनी साली को कहा - चलो हम सब मिल कर आज फिल्म देखते हैं. भारती ने तो झट हाँ कर दी. लेकिन मेरी सास ने खुद जाने से मना कर दिया और कहा - मैं तो फिल्म देखने जाती ही नहीं, इसलिए तुम लोग ही चले जाओ. फिर मैं और मेरी साली भारती फिल्म देखने एक मल्टीप्लेक्स चले गए. वहां एक ही थियेटर में 4 फिल्म लगी थी. जिसमे 2 कन्नड़ सिनेमा थी, 1 हिंदी और एक मेंइंग्लिश फिल्म लगी थी. कन्नड़ तो मुझे समझ में आती थी नहीं. जो एक हिंदी फिल्म लगी थी उसे तो मैंने मुंबई में ही देख लिया था. अब एक मूवी बची थी वोभी इंग्लिश. मैंने डिसाइड किया कि क्यों नहीं इंग्लिश मूवी ही देखी जाय. मैनें दो टिकट लिया और हम दोनों अन्दर चले गए. थोड़ी देर में मूवी स्टार्ट हो गयी. वो फिल्म एक बोल्ड फिल्म थी. उस फिल्म में नायिका ने एक वेश्या का रोल निभाया था जो समुंद्री तट पर बिकनी पहन कर अपने ग्राहकों को ढूंढती रहती थी. कभी कभी उसके और उसके ग्राहक के बीच के सम्भोग के सीन को बड़े देर तक दिखा दिया जाता था.वो दृश्य देख कर मैं उत्तेजित हो रहा था. उत्तेजना में मेरे हाथ मेरी साली के हाथ पर पद गए. लेकिन ना मैंने हाथ हटाया ना ही मेरी साली ने. धीरे धीरे मैंने भारती का हाथ अपने हाथों में पकड़ा और दबाते हुए पूछा - कैसा लग रहा है सिनेमा?भारती - धत . कितने गंदे गंदे सीन हैं. मैंने - अरे भाई , जवानी में ये सब नहीं देखोगी तो कब देखोगी?
भारती - जीजू आप भी ना बड़े शरारती हैं. आप को मज़ा आता है ये सब देखने में ?
मैंने - हाँ, मुझे तो मज़ा आता है, आपको मज़ा नहीं आता?
भारती ने कहा - नहीं , मुझे शर्म आती है.मैंने - अरे इसमें शर्म की क्या बात है? क्या तुझे मन नहीं करता है ये सब करने को?
भारती - मन तो करता है लेकिन देखने में शर्म आती है.मैंने - जब मन करता है तो आराम से देख ना.मैंने उसके हाथ को छू कर महसूस किया कि उसका तापमान बढ़ गया है.मैंने उसके हाथ को मसलना शुरू किया. वो शांत रही. फिर मैंने अपना हाथ उसके जांघ पर ले गया और घसने लगा. वो फिर भी शांत थी. मानो उसे अच्छा लग रहा था.फिर मैंने अपना एक हाथ उसके पीछे से ले जा कर उसके छाती पर रख दिया. और धीरे धीरे सहलाना शुरू कर दिया. वो कुछ नहीं बोली. मेरा लंड खड़ा हो गया था.उसकी चूची एक दम सख्त थी. पूरी फिल्म के दौरान मैं उसकी चूची को सहलाता रहा. फिल्म ख़त्म होने पर हम दोनों बाहर निकले. वो पूरी तरह नार्मल थी. फिर मैं उसे ले कर एक रेस्टुरेंट गया जहाँ उसने अपने मन पसंद का खाना ऑर्डर किया. खाना खा कर हम दोनों घर आ गए. इस दौरान वो मेरे काफी करीब आ चुकी थी. उसकी मेरे प्रति झिझक ख़तम हो गयी थी. शायद वो समझ गयी थी कि मैं उसे पसंद करने लगा हूँ. स्त्री को जब भी यह अहसास हो जाता है कि कोई पुरुष उसके बदन के प्रति आकर्षित है तो वो उसके प्रति थोड़ी बोल्ड हो जाती है और काफी आराम से हुक्म चला कर बात करती है. यही हाल मेरा भी हुआ.घर पहुँचने पर मैंने देखा कि मेरी सास ने चिकन बनाया है. लेकिन चूँकि हम दोनों तो रेस्टुरेंट में खा ही चुके थे इसलिए मैंने खाने से मना कर दिया. लेकिन मेरी साली ने मुझे आदेशात्मक स्वर में वो चिकन खाने को कहा क्यों कि वो नहीं चाहती थी कि उसकी माँ की मेहनत बेकार जाय. खैर मैंने अपनी साली का आदेश मानते हुए चिकन और रोटी खा ही ली.खाना - पीना करते करते रात बारह बज चुके थे. मेरी सास सोने चली गयी. मैंने अपनी साली को कहा - यार बहुत खिला दिया तूने. मैं छत पर थोडा टहल लेता हूँ ताकि खाना पाच जाय. वो बोली - मैं भी आपके साथ चलूंगी. मुझे भी खाना पचाना है.हम दोनों छत पर चले आये.छत पर घुप्प अँधेरा था. वहां मैं और मेरी साली हाथों में हाथ डाल कर धीरे धीरे टहल रहे थे. भारती - जीजू, आप थियेटर में क्या कर रहे थे?
मैंने - फिल्म देख रहा था और क्या?
भारती - आपका हाथ कहाँ था?
मैंने - ओह, वो तो जन्नत की सैर कर रहा था.भारती - आपका हाथ तो बड़ा ही शैतान है. मेरे जन्नत को दबा रहा था.मैंने - ये हाथ सचमुच काफी शैतान हैं. अभी भी वहीँ घुमने कि जिद कर रहा है.साली - तो घुमा दो न उन हाथों को. क्यों रोक रखा है?
मैंने - यार यहाँ छत पर कुछ ठीक नहीं लग रहा है.साली - तो चलो न आपके कमरे में.मैंने - लेकिन आपकी अम्मा कहीं देख ली तो?
साली - वो नहीं उठंगी. क्यों कि वो नींद कि गोली लेती हैं.उसके बाद वो मेरे साथ मेरे कमरे में आ गयी. उसने कमरे का दरवाजा बंद किया और मेरे सामने बिस्तर पर लेट गयी. उसकी मदमस्त आदाएं मुझे न्योता दे रही थी. मैंने उसके न्योते को स्वीकार करते हुए अपने बदन पर से सारे कपडे उतार दिए और सिर्फ अंडरवियर रहने दिया. उसके बाद मैं अपनी साली कि चूची को अपने हाथ में लिया और आराम से दबाने लगा. वो मेरी तरफ बड़े ही प्यार से देख रही थी. मैंने उसके इशारे को समझा और उसके बदन पर से कपडे हटाने लगा. वो मानो इसी का इंतज़ार कर रही थी. उसने बीस सेकेण्ड के अन्दर अपने सारे वस्त्र उतारदिए और पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने लेट गयी. मैंने उसके बदन के हर भागको सहलाना शुरू किया और उसकी चूत तक को सहलाने लगा. उसका हाथ मेरे लंड पर थे. मेरे लंड के अन्दर तूफ़ान मच चूका था. मैंने अपना अंडरवियर खोल कर अपना लंड उसके हाथ में थमा दिया. वो मेरे साथ इंच के लंड को मसलने लगी. मैंने उसके बदन पर लेट गया. उसने मुझे कहा - जीजू , मुझे चोदो ना, मुझे बहुत मन करता है चुदवाने का.मैंने बिना देर किये अपने लंड को उसके चूत में कस कर घुसा दिया. उसकी चूत कि झिल्ली फट गयी लेकिन वो सिर्फ घुटी घुटी सी चीख निकाल कर अपने चूत के दर्द को बर्दाश्त कर गयी. मैंने उसे चोदना चालु कर दिया. वो मस्त हो कर मुझसे चुदवा रही थी. थोड़ी देर में उसके चूत से माल निकल गया. करीब एक मिनट के बाद मेरे लंड ने भी माल उगल दिया. उसके बाद वो मेरे कमरे में सुबह के 4 
बजे तक रही और 3 बार मैंने उसे और चोदा.उस रात के बाद वो हर रात अपनी माँ के सोने के बाद मेरे कमरे में आती और मैं उसे जी भर कर चोदता था.








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