Fentency
नौकरानी की तिज़ोरी
हाई दोस्तों,मेरा नाम विशाल कटोच है और मीरा की कहानी आपके सामने रखने जा रहा हूँ | मीरा कोई और नहीं बल्कि मेरे ही घर की रोजाना की नौकरानी थी | मेरे बचपन के दिनों से मीरा ने मेरी काफ़ी अच्छी देखभाल भी की इस बदले में मैंने उसे जवानी की दस्थक के समय अपनी आहोश में ही ले लिया | मेरे घर पर मेरे माता – पिता ठीख से टिके की कब, उन्हें तो बस हमेशा कुछ ना कुछ काम रहा करता | हम घर पर अकेले ही रहा करते और जब मेरी जवानी सर चड्ड चुकी थी तो सबसे पहले घर के लड्डू पर ही मुझे हाथ साफ़ करना था | मैं अब मीरा को रोज काम करते हुए कुत्ते की तरह घूरता पर वो साली बार – बार मेरी शकल पर हंस के चल पड़ती | मेरा उसके स्वाभाव पर हर – बार दिमाक का दही हो जाया करता |मुझसे यह दूरियां कतई भी बर्द्शात ना होने लगी मुझे किसी भी तरह बस अब मीरा की चुदाई करनी थी | मैं सीधा अपने घर की तिज़ोरी से मस्त वाले पैसे दिए और जाके मीरा के मुंह पर दे मारे और कहने लगा,मैं – नहीं रहा जाता . . यह रख . .और करदे मेरी चाहत पूरी . . ! !उसने अपनी साड़ी का पूरा पल्लू हटा दिया और सीधा मुझे एक कमरे में ले गयी | वो बिना कुछ बोले मेरे पूरे कपड़ों को उतार नंगा कर दिया | मैं वहीँ बैठा हुआ था और वो मेरे लंड को मसलते हुए मस्त में चूस रहा था | मैं सातवें आसमान पर पहुँच गया था तभी उसने उल्टा लिटाया और मेरी गांड के छेद पर थूक गिराकर चाटने लगी | अब मीरा ने मेरी अवस्था ला दी थी की मुझे ऐसा लगा मानो अब कोई मेरी गांड मार लो | इतने में सब कुछ छोड़ एक दम मीरा वहाँ से जाने लगी तभी मैंने मीरा का हाथ पकड़ा और उसे नीचे बिस्तर पर गिरा लिया,मैं – इतनी जल्दी कैसे खेल खतम हो जाएगा जान |अब मैंने मीरा के उप्पर लेट गया और उसके होठों का रस पीने लगा | उसकी चुचे मेरी नंगी छाती से लग रहे थे तभी मैंने मीरा की पूरी साड़ी खोल दी उसके के चुचों को मसलता हुआ उन्हें पीने लगा | मैंने कुछ ही देर मैं मीरा के पेटीकोट को खोल उसकी गीली काली पैंटी को भी उतार उसकी चुत को रगड़ने लगा | मेरा लंड पहले से ही तना हुआ था तभी मैंने मीरा की टांगों को उप्पर की ओर उठाते हुए उसकी चुत में थूकते हुए अपने लंड वहीँ चुत पर कुछ देर मसलने लगा और एक पल में ही ऐसा आँख बंद करके धक्का लगे जिसससे पूरा लंड अंदर ही समां गया | मेरे इतने जोरदार झटके पर भी मीरा सिर्फ हलकी – हलकी सिस्कारियां भर रही थी |जिससे मुझे हलकी – फुल्की शर्म भी आई पर मुझे क्या . . असल में तो मीरा की चुत के मज़े लेने से जो मतलब था | मैंने बस अब अपने दोनों हाथों से मीरा की टांगों को उलटी तरफ दबाव डालते हुए अपनी गांड का पूरा दम लगाते हुए उसकी चुत को चोदने में जुट गया | अब मीरा भी जोर – जोर से आह्ह्ह्ह्ह्ह अहहहहः करती हुई कामुकता की आग में जल रही थी | हम दोनी इस नशे में डूबे हुए थे तभी मेरे चिच्न्गारी मारते हुए मुठ ने सारा मज़े को अंत करते हुए उसकी चुत में जाकर खो गया | मैं काफी हांफ चूका था अपनी नौकरानी मीरा को उप्पर ६९ की मुद्रा में लेट गया जिससे हम एक दूसरे के उप्पर निढाल पड़े हुए एक दूसरे के गुप्त अंगों को चाट और चूस रहे थे | इसी तरह अब हमारी चुत – चद्यी का दानदा कहाँ थमने वाला था |अब जब मन करता तो मैं फिर कुछ रुपैये के मुंह पर दे मारता और नुझा लेता अपनी प्यास |
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नौकरानी की तिज़ोरी
हाई दोस्तों,मेरा नाम विशाल कटोच है और मीरा की कहानी आपके सामने रखने जा रहा हूँ | मीरा कोई और नहीं बल्कि मेरे ही घर की रोजाना की नौकरानी थी | मेरे बचपन के दिनों से मीरा ने मेरी काफ़ी अच्छी देखभाल भी की इस बदले में मैंने उसे जवानी की दस्थक के समय अपनी आहोश में ही ले लिया | मेरे घर पर मेरे माता – पिता ठीख से टिके की कब, उन्हें तो बस हमेशा कुछ ना कुछ काम रहा करता | हम घर पर अकेले ही रहा करते और जब मेरी जवानी सर चड्ड चुकी थी तो सबसे पहले घर के लड्डू पर ही मुझे हाथ साफ़ करना था | मैं अब मीरा को रोज काम करते हुए कुत्ते की तरह घूरता पर वो साली बार – बार मेरी शकल पर हंस के चल पड़ती | मेरा उसके स्वाभाव पर हर – बार दिमाक का दही हो जाया करता |मुझसे यह दूरियां कतई भी बर्द्शात ना होने लगी मुझे किसी भी तरह बस अब मीरा की चुदाई करनी थी | मैं सीधा अपने घर की तिज़ोरी से मस्त वाले पैसे दिए और जाके मीरा के मुंह पर दे मारे और कहने लगा,मैं – नहीं रहा जाता . . यह रख . .और करदे मेरी चाहत पूरी . . ! !उसने अपनी साड़ी का पूरा पल्लू हटा दिया और सीधा मुझे एक कमरे में ले गयी | वो बिना कुछ बोले मेरे पूरे कपड़ों को उतार नंगा कर दिया | मैं वहीँ बैठा हुआ था और वो मेरे लंड को मसलते हुए मस्त में चूस रहा था | मैं सातवें आसमान पर पहुँच गया था तभी उसने उल्टा लिटाया और मेरी गांड के छेद पर थूक गिराकर चाटने लगी | अब मीरा ने मेरी अवस्था ला दी थी की मुझे ऐसा लगा मानो अब कोई मेरी गांड मार लो | इतने में सब कुछ छोड़ एक दम मीरा वहाँ से जाने लगी तभी मैंने मीरा का हाथ पकड़ा और उसे नीचे बिस्तर पर गिरा लिया,मैं – इतनी जल्दी कैसे खेल खतम हो जाएगा जान |अब मैंने मीरा के उप्पर लेट गया और उसके होठों का रस पीने लगा | उसकी चुचे मेरी नंगी छाती से लग रहे थे तभी मैंने मीरा की पूरी साड़ी खोल दी उसके के चुचों को मसलता हुआ उन्हें पीने लगा | मैंने कुछ ही देर मैं मीरा के पेटीकोट को खोल उसकी गीली काली पैंटी को भी उतार उसकी चुत को रगड़ने लगा | मेरा लंड पहले से ही तना हुआ था तभी मैंने मीरा की टांगों को उप्पर की ओर उठाते हुए उसकी चुत में थूकते हुए अपने लंड वहीँ चुत पर कुछ देर मसलने लगा और एक पल में ही ऐसा आँख बंद करके धक्का लगे जिसससे पूरा लंड अंदर ही समां गया | मेरे इतने जोरदार झटके पर भी मीरा सिर्फ हलकी – हलकी सिस्कारियां भर रही थी |जिससे मुझे हलकी – फुल्की शर्म भी आई पर मुझे क्या . . असल में तो मीरा की चुत के मज़े लेने से जो मतलब था | मैंने बस अब अपने दोनों हाथों से मीरा की टांगों को उलटी तरफ दबाव डालते हुए अपनी गांड का पूरा दम लगाते हुए उसकी चुत को चोदने में जुट गया | अब मीरा भी जोर – जोर से आह्ह्ह्ह्ह्ह अहहहहः करती हुई कामुकता की आग में जल रही थी | हम दोनी इस नशे में डूबे हुए थे तभी मेरे चिच्न्गारी मारते हुए मुठ ने सारा मज़े को अंत करते हुए उसकी चुत में जाकर खो गया | मैं काफी हांफ चूका था अपनी नौकरानी मीरा को उप्पर ६९ की मुद्रा में लेट गया जिससे हम एक दूसरे के उप्पर निढाल पड़े हुए एक दूसरे के गुप्त अंगों को चाट और चूस रहे थे | इसी तरह अब हमारी चुत – चद्यी का दानदा कहाँ थमने वाला था |अब जब मन करता तो मैं फिर कुछ रुपैये के मुंह पर दे मारता और नुझा लेता अपनी प्यास |
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