Wednesday, December 17, 2014

Fentency जितनी देर चाहो

Fentency

 जितनी देर चाहो
 कहानी का मजा तभी आता है जब कोई कुआरी कन्न्या पास मे हो.गाव मे जितनी
चुदाई खेतो मे होती है,उतनी शहरो मे नही हो पाती है,शहरो मे जगह की कमी
और पुलिस का दर सबको लगता है,मगर गाव मे किसी का कोई दर नही होता है,शहर
मे लोन्डिया पटाने के लिये काफ़ी नोटो की जरूरत पडती है,मगर गाव मे एसा
कुछ नही है.बचपन से ही मेरा ध्यान कुछ लोन्डियावाजी मे जादा था,पिताजी
कलकत्ता मे थे और मा मर गई थी,घर मै अकेला ही रहता था,भाई बहिन कोई था ही
नही,अकेला होने के कारण जो भी मन मे आता था वही करता था,सोलह साल की उमर
से ही लोन्डियावाजी का चस्का लग गया था,मै घर की पुताई करवा रहा था,मजदूर
छुट्टी पर था,सोचा कि चलो हम ही एक कमरे को पोत कर देखते है,हमारे ही
पडोस की एक लडकी मेरे घर आकर बैठ जाती थी और मेरे साथ खाना आदि बनवाने मे
मेरी सहायता कर देती थी उसका नाम मुन्नी था,उमर भी बारह साल के आस पास
थी,घर मे अकेला तो था ही किसी के आने जाने की कोई समस्या भी नही थी,गाव
मे किसी लोन्डिया को चोदने के लिये तैयार करने के लिये उसको कहना पडता
है,कि दोगी क्या,अगर लोन्डिया तैयार होती है तो मुस्करा देती है और तैयार
नही होती है तो भाग जाती है,मैने मुन्नी से कहा तो वह मुस्करा दी,मामला
ठीक है को जान्कर मै उसको अपने कमरे मै ले गया और उसको पलन्ग पर लिटाकर
उसकी बिना बालो की बुर को देखने लगा,गुलाबी रन्ग की मुलायम सी बुर बहुत
ही अच्छी लग रही थी,बचपन से ही मेरा लौन्डा बहुत ही बडा होने लगा था,गाव
के लडको से नाप कर देखता था,तो सबसे बडा इतनी छोटी उमर मे लडके देख कर
दन्ग रह जाते थे,एक किताब मे लिखा था कि शहद को रात को लगाकर लौन्डे को
खुला रखा जावे,तो एक माह मे वह दुगुनी लम्बाई का हो जाता है,मै यह प्रयोग
कर चुका था,मगर किसी को बताया नही था,मुन्नी की चूत को देखकर मैने कहा की
देखो मुन्नी लगे तो रोना नही,अगर रोई तो कल से मेरी और तुम्हारी कुट्टी
हो जायेगी,उसने हा मे सिर हिला दिया,मैने लौन्डे के ऊपर थूक लगा कर
मुन्नी की बुर मै डालने की कोसिस की मगर लन्ड आगे को जा ही नही रहा था,मै
रसोई मै गया और सरसो के तेल का डिब्बा खोल कर उसमे से थोडा सा तेल अपने
लोन्डे पर लगा लिया,हाथ मे लेकर मुन्नी की बुर के ऊपर भी चुपद
दिया,गुलाबी रन्ग की बुर के ऊपर लगा सरसो का पीला तेल खूब्सूरत लग रहा
था,मैने उसकी बुर की दोनो फ़ाको कोदोनो हाथो से फ़ैलाया,और लोन्डे को बुर
के बीच मे रख कर पूरी ताकत से धक्कालगा दिया,लोन्डा तो बुर मै आधा घुस
गया,मगर मुन्नी दर्द के मारे दोहरी हो गई,उसकी आन्खो से पानी की धार
निकलने लगी,मैने जब लोन्डे को बाहर निकाला तो पलन्ग के ऊपर खून ही खून हो
गया मै पहले तो घबडाया,मगर हिम्मत करने के बाद एक कपडे से खून को पोन्छ
दिया,मुन्नी बहुत जोर से घबडा गई थी,उसको भी धीरज बन्धाया,और फिर से रसोई
मे जाकर तेल को कटोरी मे दाल कर ले आया,तेल को मुन्नी की बुर पर डाला और
लोन्डे को पूरा तेल से तर कर लिया,मुन्नी की दोनो टान्गो को अपने दोनो
कन्धो पर रख कर बुर मे लोन्डे को पेल दिया,अई की आवाज के साथ मुन्नी फिर
से रोने लगी,मैने उसके मुह पर हाथ रख कर लन्ड को पूरा का पूरा मुन्नी की
बुर मे डाल दिया,जिन्दगी का पहला मजा था,कभी इस काम को नही क्या था,पता
ही नही था कि बुर मे लन्ड कैसे डाला जाता हैलन्द को बढाने और मुट्ठ मारने
की ही आदत थी,पानी मुट्ठ मारने के बाद भी नही निकलता था,चाहे एक घन्टा
लगातार मुट्ठ मारते रहो,मुनी की बुर मै जाने के बाद लन्ड बहुत ही कडा हो
गया था,मुन्नी की गान्ड के नीचे तकिया लगा लिया था जिससे उसको दर्द कम
हो,लगातार एक घन्टा से ऊपर उसकी बुर को मारता रहा,पहले तो मुन्नी को भी
केवल दर्द ही होता रहा मगर पन्द्रह मिनट के बाद उसको भी मजा आने लगा,पहली
बार की चुदाई थी,दोनो ही पहली बार चोद और चुदवा रहे थे,एक घन्टे के बात
पहली बार मेरे लन्ड से मुन्नी की बुर के अन्दर पानी निकला,मै कुछ ढीला
हुआ मुन्नी भी ढीली हुई,दोनो इतने थक गये थे कि ढीले होते ही,नीद आ
गई,दोनो को जब होस आया तो मेरा लन्ड सूज कर बहुत बडा हो गया था और मुन्नी
की बुर भी सूज कर छोटी गेन्द की ररह से हो गई थी,मेरे पास दो भैस थी,और
उनका पूरा दूध मेरे ही नाम का लिखा था,दूध पीने के बाद लन्ड बहुत ही बढता
है,कहावत भी है-मास खाये मास बढे,घी खाये खोपडा,दूध पीकर लन्ड बढे फ़ाडि
देय भोसडा।दूसरे दिन से मुन्नी रोज मेरे घर आने लगी,उसको भी रोज रोज अपनी
बुर चुदवाने मै मजा आने लगा,पूरे चार साल तक उसकी बुर को चोदा,शादी के
दिन भी उसको अकेले कमरे मे ले जाकर चोदा,आज वो अहमदाबाद मे है,और इतनी
उमर निकलने के बाद भी साल मे एक बार तो मेरे पास किसी न किसी बहाने से आ
ही जाती है,और पूरी तरह से चुद कर अपनी काम पिपासा बुझा कर ही जाती
है,लगातार प्रयोग करने से मेरा लन्ड साढे ग्यारह इन्च लम्बा और दो इन्च
मोटा हो गया था,मेरे लन्ड की तारीफ़ मुन्नी ने अपनी सहेलियो से और सहेलियो
ने अपनी भाभियो से की,पूरे मुहल्ले और आस पास के गाव की औरते जो मेरे
बारे मै जान गई थी,किसी ना किसी बहाने के बुलाती और मजे से अपनी चूत को
मेरे से फ़डवाती,जब मै घर जाता तो बदले मै अपनी सोने चान्दी की चीजे गिफ़्ट
मे देती,मेरा खरच आराम से चलता,एक नई भाभी आई थी,बहुत ही खूब्सूरत
थी,मेरे को को मुन्नी की सहेली ने बताया की उसकी चूत बहुत ही सुन्दर
है,गाव मे लडकियो की शादी सोलह साल तक हो ही जाती है,मैने मुन्नी की
सहेली से कहा कि मेरे बारे मै अपनी भाभी को बताना,औरत को लन्ड की बहुत ही
भूख होती हैकितनी ही सचरित्र औरत क्यो ना हो,अगर उसका मर्द उसकी चूत को
सही रूप से चोद नही पाता है तो बो किसी भ मर्द से चुदवाने मे सन्कोच नही
करेगी,उस भाभी का भी यह ही हाल था,मर्द तो टीभी क मरीज जैसा दिखाई देता
था,गाव मै औरते खेतो मै लेटिन करने जाती है,मैने एक दिन देखा कि वो भाभी
अकेली बाजरा के खेत मै घुस गई है,मै भी उसी खेत मै घुस गया,भाभी जहान पर
लेट्रिन कर रही थी उनके पास ही जाकर खडा हो गया,वो एक दम से घबडा गई,और
जैसे ही चीखने के लिये वो तैयार हुई मैने एक हाथ से उनका मुह बन्द कर
लिया और दूसरे हाथ से उन्को गोद मे उठा कर एक साफ़ सी जगह पर लिटा
लिया,उनके कान मे धीरे से कहा कि अगर चिल्लाई रो गाव मे बदनामी तुम्हारी
ही होगी,मेरा कु नही बिगदेगा,इस्लिये चुप्चाप अपनी चूत देदो और जब मजा
आये तो बात करना,नही तो कभी भी बात नही करना,उनकी धोती को ऊपर उठाकर दोनो
हाथो से उनके पैरो को अपने कन्धे पर डाल कर उनकी चूत मे लन्ड को धीरे
धीरे डाल दिया,ज इतना बडा लन्द उनकी चूत मै गया तो भाभी को स्वर्ग का मजा
आने लगा,बडी बुरी तरह से मेरे शरीर से चिपक गई,उनको मजा मे आता देख कर
मैने भी,अपने मुह मे ताबे का सिक्का डाल लिया,जो गले मै हमेसा लटकाये
रहता हू,सिक्के को मुह मे डालने से जितनी देर चाहो चोदो,झड नही सकते
हो,पूरा आधा घन्टा भाभी को चोदा,उनको जिन्दगी का मजा आ गया,उसके बाद वे
लगातार उसी तरह से चुद्वाती रही,कुछ दिनो बाद उन्के आदमी ने उनको अपने
पास दिल्ली मे बुला लिया,जब भी उनको मेरी जरूरत होती है,टेलीफ़ोन कर देती
है,मै जाता हू,और आठ दस दिन रहने के बाद,दस बीस हजा्र लेकर उन्को जी भर
कर चोद कर आता हू.गाव मे लोग मुझे अपने घर पर बुलाने मै कतराते है,सान्ड
की तरह से रहता हू.











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