Monday, December 8, 2014

Fentency मम्मी के साथ फ़ार्म हाउस का सफर!

Fentency

 मम्मी के साथ फ़ार्म हाउस का सफर!
हेलो! मैं हू सूरज। मैं २० साल का हूँ। आज मैं आपको मेरे  एक अनोखे  सेक्स अनुभव के बारे मे बताने जा रहा हू। ये पढकर चौंक मत जाना।

मेरे पिता की मृत्यु सात साल पहले हो चुकी थी। मेरी मम्मी ही सारा व्यापार संभालटी  थी । मेरा फ़ार्म-हाऊस घर से बीस किलोमीटर की दूरी पर था। उसे मैं ही सम्भालता था। फ़ार्म-हाऊस मे मैं दोस्तों के साथ पार्टियां मनाता था। मम्मी उस तरफ़ नहीं आती थी। मैं कॉलेज में  पढ़ता था। मेरी मम्मी का घर में एक अलग ही भाग था, जहाँ पर वो अपने खास सहयोगियों के साथ काम किया करती थी।

मुझे एक दिन कॉलेज जाने से पहले मम्मी से काम पड़ा तो मैं सीधे उनकी तरफ़ के हिस्से में चला आया। मुझे लगा अभी वहाँ कोई नहीं है। पर मुझे कहीं से एक हंसी की आवाज सुनाई दी।

ओह! तो मम्मी पिछले कमरे में हैं। धीमी-धीमी आवाजें अब भी आ रही थी। यकायक मुझे खिड़की से किसी की एक झलक दिखाई दी । मेरा दिल धक से रह गया। मैं चुपके से उस खिड़की के पास   चला आया। उसके थोड़े से खुले भाग से मुझे सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाई दे गया। मेरी मम्मी को दो मर्द आगे व पीछे से जबरदस्त तरीके से चोद रहे थे! मम्मी दोनों के बीच नंगी खड़ी चुद रही थी। मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ! पर मम्मी उस चुदाई का खूब आनन्द उठा रही थी।

अचानक मां की नजर मुझ पर पड़ गई। मेरी जैसे सांसें रुक गई! मैं जल्दी से वहाँ से हट गया और दबे पांव वहाँ से बाहर निकल आया। मैं अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गया। जाने कब मम्मी मेरे कमरे में आ गई।

वो बोली, “बेटा, तुने जो देखा है वो किसी को बताना मत!” मैं उठ के बैठा और प्रश्नवाचक मुद्रा में उन्हें देखा। मां ने मुझे समझाने की कोशिश की, “प्लीज, ऐसे मत देख मुझे! तेरे पापा चल बसे। मैं चाहती तो दूसरी शादी कर सकती थी पर नहीं की। समय के साथ मेरा मन भटकने लगा और मैं अनचाहे रिश्तो में उलझ गई। मेरी अन्दर की प्यास मुझसे सही नहीं गई! बेटा मुझे माफ़ कर दे…!”

मैने मां की शारीरिक मांग को समझ लिया था। मैं उठ कर मां के गले लग गया। मैं बोला, “ओह, मम्मी, मैं आपकी बात समझ गया… मुझे आप से कोई शिकायत नहीं है… अब मैं उस तरफ़ आपको फ़ोन करके ही आऊंगा!” तो मां ने मुझे चूम लिया। मेरा दिल भी हल्का हो गया। फिर मैने मां से रुपये लिये, गाड़ी निकाली और दोस्तों के साथ फ़ार्म-हाऊस पहुँच गया। वहाँ दारू की पार्टी शाम तक चली।

मैंने अपने दोस्तों से कहा, “सुन कैलाश, अपनी क्लास में वो तीन-चार चालू लड़कियाँ हैं ना, उन्हें पटा यार… कुछ पैसे भी खर्च देंगे यार ! नीतू, और रेखा को तो तू जानता है… पैसे से तो वो आ ही जायेंगी! वो राखी और चन्दा को भी ले आना। उनको  भांग पिला कर खूब चोदेंगे… नशे में तो वो चुदवा भी लेंगी!” हमने सन्डे सवेरे क ये प्लान बनाया। मेरे सभी दोस्त कैलाश, राहुल, धीरज और विवेक मेरे साथ खुशी से चल दिये। घर आकर मेरे विचार में आया कि मम्मी को ब्लैकमेल किया जाये। मम्मी भी अगर पार्टी में रहेंगी तो लड़कियाँ आसानी से आ जायेंगी। तो मैंने मम्मी को अपनी योजना बताई। तो उन्होंने मुझे पहले तो बहुत डांटा। मैंने उन्हें उनकी चुदाई की बात याद दिलाई तो वो तैयार हो गई।

अगले दिन कॉलेज में मैने जब बताया कि मेरी माँ भी आ रही है तो चारों लड़कियाँ तैयार हो गई। तीनों लड़कियाँ तो यह सोच कर तैयार हो गई कि चुदाई पर पैसे तो मिलेंगे। मेरी दोनों कारें सभी के घर उन्हें लेने पहुँच गई। मेरी माँ को देख कर किसी के माँ-बाप ने इनकार नहीं किया। हम कुल नौ जन हो गये थे। हमे फ़ार्महाऊस पहुंचते हुए लगभग एक बज गया था। हमने घर से थोड़ी  पकौडिया मंगाई  थी। उनमे भांग मिला हुआ था! रेखा पकौड़े ले कर मम्मी को कमरे में खिला रही थी। कुछ ही देर में लड़कियाँ भांग के पकौड़े खा कर नशे में झूमने लगी थी। बाहर रिमझिम बरसात होने लगी थी। मौसम हमारा साथ दे रहा था। तभी धीरज ने राखी को एक कौने में ले जा कर दबा लिया। वो दोनो वहीं गुत्थम गुत्था हो कर उसी कौने में चूमा चाटी करने लगे। इतने में मधु नशे में बारिश में बाहर निकल गई। लॉन में हरी घास में लोटने लगी। मैने मौका देखा और चिकनी मधु के पास आ गया। मुझे अपने समीप देख कर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं उसके पास आ गया। मौका देख कर मैंने उसके स्तनों को दबा दिया । वो सिमट कर हंसने लगी। फिर उसने मुझे अपनी बाहों को खोल कर अपने छाती से चिपका लिया। मैंने मुड़ कर देखा तो राखी नंगी हो कर एक झाड़ी के पीछे पड़ी थी। राहुल उस पर चढ़ा हुआ उसे चोद रहा था। वो फिर और जोर से हंसी और मुझे लॉन के दूसरे भाग उसने दिखाया, वहाँ चन्दा खूब जोर जोर से हंस रही थी और धीरज उसे खड़े-खड़े चोद रहा था। तभी मुझे विवेक भी नजर आ गया, वो किसी ओर को नहीं बल्कि मेरी मम्मी की गाण्ड चोद रहा था। मेरे ऊपर वासना का रंग चढ़ने लगा था। मैने उसे नर्म हरी घास पर लेटा दिया था और मधु ने अपनी जींस उतार फ़ेंकी। फिर वो हसते हुए उल्टी हो कर घोड़ी बन गई। मां ने दूर से मुझे देखा और मुस्करा दी! मैं भी प्रति-उत्तर में मुस्करा दिया। मेरा लण्ड मधु की नरम गाण्ड में उतर चुका था। औरों की तरह मैं भी चुदाई में लिप्त हो गया। बस नीतू नंगी हो कर अपने मम्में मसलते हुये हम सबको देख रही थी। कभी वो धीरज के पास जाती और अपनी चूचियाँ चुसवाती। कभी राहुल के पास जाकर उसकी गाण्ड में अंगुली करवाती। उस बेचारी का कोई साथी नहीं था। कैलाश किसी कारणवश नहीं आ पाया था। वो उसी की प्रेमिका थी। सबसे आखिर में मेरे पास आई। मैने मधु को छोड़ दिया और नीतू को पकड़ कर नीचे पटक दिया। नीतू ने मधु को देखा। फिर उसे लगा कि जरूर कोई बात है। उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। मैने लंड को नीतू की चूत में रख कर अन्दर दबा दिया। नीतू आनन्द से चीख उठी। वो चुदने लगी… हम दोनो मस्ती में किलकारियाँ मार रहे थे। कुछ ही देर में हम सातवें आसमान में थे… काफ़ी देर चुदाई के बाद हम दोनो झड गए और हम एक दूसरे पर पड़े हुये गहरी सांसें ले रहे थे। रिमझिम वर्षा की फ़ुहारें अभी भी हमारे नंगे बदन पर पड़ रही थी। मैं ज्योंही उठा सबकी तालियों की आवज आई। मैने चौंक कर देखा, सभी मेरे चारों ओर घेरा बना कर खड़े था। फिर एक बार और तालियाँ बज उठी।

कैलाश जाने कब आ गया था और पास ही में  मधु को चोद रहा था। नीतू सबके इस तरह से देखने पर शरमा गई। मधु भी अपने आप को छुपाने लगी।

मम्मी भी मुस्करा कर बोली, “ये तो आज नहीं तो कल सभी के साथ होना है… इसलिये अपनों के सामने शर्माओ नहीं… खुल कर खेलो। अभी तुम जवान हो। मस्ती से खुल कर चुदाओ… मेरी तरफ़ से सभी लड़कियों को पच्चीस-पच्चीस हजार मिलेंगे… सब खुश हो जाओ… जब भी मेरा बेटा ऐसी पार्टी देगा… ये इनाम जरूर मिलेगा।” सभी ने उछल उछल कर तालियां बजाई। एक दो लड़कियों ने तो मेरी मम्मी के अनारों को दबा दिया ! फिर मम्मी ने एक घोषणा और की, “जो मेरे बेटे से चुदवायेगी, उसे बोनस तीस हजार और दूंगी… आज ये मधु और नीतू को मिलेगा।”

सभी बहुत खुश हो गये थे। धीरज तो इतना खुश हुआ कि उसने मेरी मम्मी को नंगी लेटा कर चोदना आरम्भ कर दिया। उनकी चुदाई खत्म होने पर मम्मी ने अपने गले का सोने का हार धीरज के गले में डाल दिया। शाम ढलने पर उसी धीमी वर्षा में सभी लौटते समय एक होटल में रुक गये। शाम का खाना होटल में ही खाया। और फिर एक एक लड़की को मेरी मम्मी घर तक छोड़ने गई। उनके घर वालों को धन्यवाद दिया।

सभी को ऐसी मम्मी ही मिले!








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