Tuesday, December 16, 2014

Fentency इतनी जल्दी है क्या-1

Fentency


इतनी जल्दी है क्या-1

प्रेषक : आदित्य पटेल 
किस्मत कभी-कभी आपको किसी पराये के इतना करीब ला देगी यह आपको इस कहनी में पता चलेगा। 
मेल चेक करने के दौरान मुझे किसी सुनीता नाम से मेल मिला उन्होंने अपना पता दिया और कहा- इस जगह पर आ जाना, 5000 दूंगी। 
और मेरी एक पुरानी मित्र रश्मि का रेफरेंस दिया। 
आप यकीन नहीं मानोगे वो पता मेरे घर के पास रहने वाली सुनीता भाभी का था, सुनीता एक शादी शुदा और दो बच्चो की माँ है और किसी जनकल्याण संस्था में काम करती है, मुझसे करीब दस साल बड़ी यानि 33-34 साल की... लेकिन उसे देखकर लगता है कि उनकी कमर 26-28 की होगी, गोरा रंग, 34-30-36 का फिगर, उनके बाल लंबे हैं, कूल्हों तक आते हैं, खुले बाल लेकर जब वो कूल्हे मटकते हुए चलती है तो आग सी लग जाती है या खुले शब्दों में यों कहो क़यामत साथ चलती है... 
मुझे उनकी नज़रों से हमेशा लगता था कि वो मुझे चाहती है। मेरे सामने उनकी हरकतें बड़ी मादक होती थी, छेड़छाड़ और मज़ाक वगैरह, कभी कभी वयस्क चुटकले भी, लेकिन मुझे मोहल्ले में रहना था और उनके पति राजनीतिक आदमी थे, भला मैं क्यों अपनी हद पार करता। पर अब उस मेल आने के बाद मैंने तय किया कि चलो इनके पास भी जाकर चूत का रसपान किया जाये, और यदि शिकार खुद आ रहा है तो शिकारी को हर्ज ही क्या है। 
तभी मैंने सोचा इनके घर पर कैसे इन्होंने बुलाया, कहीं पिटाई तो नहीं करवाएगी? 
उस दिन मैंने सुबह देखा कि सुनीता भाभी के पति सामान पैक करके अपने दोनों बच्चों और उनकी माताजी के साथ कहीं जा रहे थे, साथ में अपने लाव लश्कर को भी ले जा रहे थे। 
मैं ठीक समय पर उनके घर पर गया, उनका घर दोमंजिला है, मैं वहाँ पहुँचा तो आवाज़ दी- भाभी...!! 
कोई आवाज़ नहीं आई.. 
फ़िर दरवाज़ा खटखटाया.. तब हल्की सी आवाज़ आई- रुको, मैं आती हूँ। 
थोड़ी देर में दरवाजा खुला.. उफ़ ! भाभी के बाल थोड़े बिखरे हुए उनके चहरे पर आ गए थे और सीने पर दुपट्टा नहीं.. क्या मस्त चूचियाँ हैं... 
मेरे कुछ बोलने से पहले ही वो बोली- तुम्हारे भाई साहब तो 4-5 दिन के लिए किसी सम्मेलन में गए हैं, ज्यादा जरुरत हो तो उनको कॉल कर लो। 
मैंने कहा- नहीं, वो दरअसल मुझे आपसे ही काम है। 
उन्होंने कहा- मुझसे क्या काम है? 
तब मैंने उनको अपना असली नाम बताया और मेल वाली कहानी बताई तो कुछ देर के लिए तो वो शरमा गई और मुझे नजरें नहीं मिला पाई थी। 
करीब 5 मिनट बाद वो खुलकर सामने आई और कहा- तो आप ही असली आदमी हो जो महीने भर से जानते हुए भी जताया तक नहीं और मेरे घर के पास रह रहे हो? खैर मैंने तुम्हारा वो देख रखा है, तुम्हारी फेसबुक की आईडी पर है और मुझे रश्मि ने सब कुछ बता दिया है। चलो अब अन्दर चलो, मैं चाय बनाती हूँ.. 
अब सुनीता का रंग बदला-बदला सा लग रहा था। मैं चुप रहा और उन्हें देखता रहा ! 
चाय पीने के बाद सुनीता ने ब्लू फिल्म लगा दी और आकर बिस्तर पर बैठ गई, करीब 15-20 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के बदन को रह-रह कर नोचते रहे। 
मैंने हाथों से उनकी चूचियाँ जोर से दबाई तो उनकी आवाज निकली- आआह्ह्ह धीईरे ! 
यह सुन कर मैं समझ गया कि सुनीता चुदवाना तो बहुत चाहती है... लेकिन बड़े आराम से ! किसी भी प्रकार की कोई जल्दबाजी नहीं.. 
इधर मैं पूरे उफान पर था। 
मैंने उसे अपनी गोदी में खींच लिया, वो भी अपनी गांड मेरे लंड पर दबा रही थी। 
मैंने उनकी कमीज़ के अंदर पीछे से हाथ डाल दिया.. नर्म बोबों से होता हुआ मेरा हाथ सीधे ब्रा के हूक पर गया। 
मैंने उसे जोर से खींचा तो वो टूट गया... 
"इतनी जल्दी है क्या...?" 
और वो घूम गई, मैंने इस मौक़े का फ़ायदा उठाया और एकदम उनका चेहरा पास आया तो उनके रसीले लाल होंटों पर अपने होंट चिपका दिये.. वो लम्बा चुम्बन .. गीला... ऊ ओह .. और भाभी मुझसे दूर हटने लगी.. 
मैंने फ़िर भी नहीं छोड़ा उन्हें और अब उनकी गांड जोर से पकड़ कर खींची.. मेरा लंड उनके पेट पर लगा... उनके हाथ झटके से मेरे गले पर आ गए.. फ़िर एक बोसा... 
इस बार गांड दबाते हुये और उन्होंने मुँह मेरे मुँह से नहीं हटाया... 
मैंने उनके कमीज़ को ऊपर करना शुरू किया और गले तक ले आया, उनके हाथ ऊपर किये और निकाल दिया... 
"क्या कर रहे हो?" 
"प्यार, भाभी !" 
"क्या कोई काल बॉय इतना भी प्यार करता है?" 
मैंने कहा- मैं तो करता हूँ, दूसरों का नहीं पता ! 
"लेकिन दूसरे तो सिर्फ चोदना शुरू कर देते हैं...!" 
मैंने कहा- मेरा अंदाज कुछ अलग है... आप तो संतुष्ट हो ही जाएँगी...साथ में मैं भी तो संतुष्ट हो जाऊँगा... 
उन्होंने मेरे शर्ट निकाल फेंका... 
मैंने सलवार की इलास्टिक खींची तो साथ में गुलाबी रंग की पैंटी भी नीचे आ गई.. 
मैंने भी हौले-हौले उनके एक-एक कपड़े को उनके बदन से अलग कर दिया। 
मखमली कमर और छोटी पर बहुत कम चुदी हुई गुलाबी बिना बाल की चूत... शायद किसी को पहली नजर में घायल कर दे... 
मैंने देर नहीं की, झपट करके उन्हें पकड़ा और निप्पल पर मुँह लगाया.. 
"आआह्ह हा आदित्य आह्ह्ह्ह्..." 
लेकिन मेरा सिर उन्होंने अपनी छाती पर दबा लिया। ऊऊफ़्फ़ धीरे ! इतने ज़ोर से मत दबा !" 
मैंने कुछ सुना नहीं, बिस्तर पर धकेला... उनके पैर नीचे लटक रहे थे... 
मेरा तो लंड अब बेकाबू होने लगा... . भाभी की गांड पर हाथ फेरा और ज़ोर से मसल दिया.. 
आअह्ह ह्ह.. मत कर... वो उछल पडी... क्या गोरी और चिकनी गांड थी उनकी। 
अब उन्होंने मुझे भी निर्वस्त्र कर दिया... आअह्ह ऊओ इतना बड़ा और मोटा... बाप रे... तभी तो रश्मि को दो-तीन दिन तक दर्द हुआ... 
"उनकी बात छोड़ दो भाभी ! लेकिन आपको तो यह अच्छा लगेगा।" मैंने फ़िर से उन्हें दबोच लिया.. अब मेरा लंड उनके पेट के पास था... मैंने उनकी चूचियाँ ज़ोर ज़ोर से मसलनी शुरू की और उनके होंट चूमने लगा... इस बार वो सिर्फ आ आह ही नहीं बल्कि साथ में मुझसे लिपटी जा रही थी... 
मेरे लंड का पानी उनके पूरे पेट को गीला कर रहा था। 
मैंने उनसे कहा- इसे पकड़ो ना... 
और उनका हाथ लंड पर लगाया.. 
उन्होंने बदमाशी की और उसे पकड़ के जोर से दबा दिया.. 
"आह भाभी... प्यार से सहलाओ !" 
उन्होंने कहा- अरे, मैंने तो सुना था कि मर्द को दर्द नहीं होता...? तुम्हारा बहुत लम्बा और मोटा है... तुम आज मुझे बर्बाद करके छोड़ोगे... 
मैंने कुछ नहीं कहा और उनके गोरे पेट को सहलाते हुए जीभ से गीला करने लगा.. भाभी मुझे धकेल रही थी लेकिन उन्होंने मेरा लंड नहीं छोड़ा... 
मैंने अब उनके पैर फैला दिये, मुँह जांघों के बीच रखा और चूमा...आआअ अहहछ.. 
"वहाँ क्यों मुँह लगा रहे हो? वो गन्दी जगह है।" 
"भाभी, अभी आप कुछ मत कहो।" 
मेरी जीभ चूत के अंदर दाखिल हो गई और अंदर गोल गोल नचाने लगा... 
"आह्ह अम मैं पागल हो रही हूँ, ऊ ये मत कर !" 
लेकिन मुझे अब उनकी गुलाबी चूत और उनके अंदर का नमकीन पानी ही भा रहा था.. मैंने तेजी से चाटना शुरू किया.. भाभी अपनी गांड उछालने लगी थी... अ..मम...हई.. आअह्ह ! भाभी का बदन अकड़ने लगा था, उनका पानी निकलने वाला है यह मैं समझ गया... मैंने अपनी एक उंगली उनके मुँह में डाली, उन्होंने काट ली, फ़िर उसे धीरे धीरे चूसना शुरू किया.. 
मैंने अवस्था बदली, उन्हें नीचे बैठाया और मैं बिस्तर के किनारे पर बैठ गया.. 
उन्होंने पूछा- क्यों? 
"आओ तो !" 
वो नीचे हुई, मेरा लंड उनके मुँह के सामने था... वो तो तड़प रही थी फ़िर भी वो बैठी रही, मैंने लंड को उनके गालों पर रगड़ा... फ़िर होंटों पर रख कर कहा- इसकी चुम्मी लो ! 
वो मेरी तरफ देखने लगी... मैंने उनके सिर को पकड़ा और लंड को होटों पर रगड़ा.. चाहती तो वो भी थी...उन्होंने पहले थोड़ा चाटा जीभ से, फ़िर होटों को खोला और लंड का सुपारा मुँह में लिया... मैंने देखा कि उनके छोटे मुँह में लंड नहीं जा रहा था.. बहुत मोटा जो है.. 
मैंने सिर को कस के पकड़ा और दबाया- बहुत दिनों से तड़पा रही हो अपनी चूची और चूतड़ दिखा-दिखा कर.. 
अब उन्होंने चूसना शुरू किया, मैं तो जन्नत में पहुँच गया था- ऊऊ ओह मज़ा आ रहा है.. 
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मेरे गोटियों में हलचल हो रही है, मेरा हो जाएगा... मैंने भाभी को उठाया और बेड पर लिटा दिया। 
पैर नीचे लटक रहे थे... पैरों को उठाया और पैरों को फैलाया अपने कंधे पर रखा... लंड को चूत के ऊपर रगड़ना शुरू किया... 
"भाभी कैसा लग रहा है?" 
वो बोली- आदित्य, मैंने चार बार काल बाय को बुलाया पर जितना तुमने मजा दिया शायद किसी ने नहीं दिया। तभी तो रश्मि कह रही थी कि तुम पेशेवर नहीं हो, बस तुम भूख मिटाते हो ! तुम्हें जो चाहिए मैं दूंगी, बस मुझे तृप्त कर दो..." 
यह सुन कर मुझे तो जोश आ गया और अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा, रगड़ता रहा, भाभी को छटपटाता देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था !! 
फ़िर मैं भाभी के मम्मे दबाने लगा !! 
वो बोली- बस यार आदी, कितना तड़पाएगा? 
मैं हंसा और अपना लंड उनके छेद पर रख कर दबाया। 
भाभी तड़प उठी- ...ऊओह ह्ह मर गई निकाल्ल निकाल्ल. ... बहोत मोटा है, मैं मर जाऊँगीई..." 
मैं रूक गया और लंड को बाहर खींच लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं। 
भाभी ने आँखें खोली और पूछा- अब क्या हुआ? 
मैंने कहा- आपने कहा कि निकाल तो इसलिए निकाल लिया। 
" क्यों तड़पा रहा है... कर ना..." 
मैंने आव देखा ना ताव और लंड को चूत पर रख कर जोर का झटका मारा... भाभी का पूरा बदन ऐंठ गया- आअ आआह्ह्ह ह्हछ मार डालाआअ रे... ये आदमी का है या घोड़े का, रश्मि की क्या हालत करी होगी तुमने? हाय, ऊफ़ पूरी भर गई मेरी... 
मैं अब थोड़ा थोड़ा आगे पीछे करने लगा और भाभी को चूमने लगा... निप्पल चूसने लगा.. वो थोड़ा सामान्य हुई और उनकी चूत ने भी अब फ़िर से पानी छोड़ा... 
मैंने आधा लंड बाहर निकाल कर इस बार तूफानी शॉट मारा और ... बिल्कुल धोनी की सिक्सर की स्पीड से लंड पूरा भाभी की चूत में पेल दिया। 
"आअ उईइ ईई माआआ तुम अब से पहले क्यों नहीं मिले रे..." 
मैंने उनके बगल के नीचे से हाथ डालकर उनके कंधों को पकड़ा जिससे वो हिल नहीं पाए और फ़िर मैंने अपनी आदित्य वाली स्टाइल से शुरू की... 
वो उफ़ उफ्फ आआह् अह्ह्छ कर रही थी, चूत से पानी की धार लग गई उनकी गांड तक बहने लगी और नीचे चादर भी गीली हो रही थी... मेरी स्पीड जोर की थी.. भाभी के मुँह से निकला-... वाह मेरे आदी !! यह कौन सा स्टाइल है जो न तो आज तक मैंने नेट पर देखा है न किसी ब्लू फिल्म में... वाह, आज मुझे पहली बार इतना मजा आया ऊऊ.. आज मेरी मुराद पूरी हो गई... ऊह् ऊओह् मेरा होने वालाआ है ! और ज़ोर से ! 
मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था, काट रहा था.. उनके लंबे नाखून मेरी पीठ में गड़ रहे थे। 
"फाड़ दे... मेरी फाड़ दे आआह्ह !" 
उन्होंने मुझे कस के पकड़ा और वो झड़ने लगी... करीब दो मिनट वो झड़ती रही.. इधर मेरा भी होने वाला था। 
उस तूफानी स्पीड में मैंने कहा- भाभी, मेरा झड़ने वाला है, मैं कहाँ निकालूँ? 
"मेरे अंदर डाल दो.. आह !" 
"लो ये लो !" और मैंने लंड को उनकी चूत के एकदम अंदर मुँह पर टिका दिया और मेरी पिचकारी शुरू हो गई।दोनों ने एक दूसरे को कस कर पकड़ा था.. इसी तरह हम करीब दस मिनट रहे, फ़िर उन्होंने मुझे धकेला और मेरी तरफ देखा- कर दिया ना भाभी को खराब..! और मुझे धकेला। मैंने उनकी चूत से लंड बाहर खींचा, वो मासूम भाभी और मेरे पानी से लिपटा हुआ था.. 
उसे देख कर भाभी ने कहा- देखो, कैसे मासूम लग रहा है ! 
उन्होंने नीचे देखा... उनकी चूत फ़ूल गई थी, उन्होंने हाथ लगाया और सिहर उठी- देखो, क्या हालत की तुमने... छोटी सी थी.. कितना सूज गई है.. और कितना दर्द हो रहा है... 
उनकी चूत से मेरा सफ़ेद पानी और उनका पानी बह रहा था, चूत का मुँह भी खुल गया था... 
वो उठ भी नहीं पा रही थी, किसी तरह मैंने उन्हें उठाया और बाथरूम ले गया.. 
एक बार की चुदाई के बाद भाभी की हालत तो एकदम खराब हो गई थी.. इस उमर में इतनी जबर्दस्त चुदाई होगी, यह उन्होने सोचा भी नहीं था.. लेकिन मुझे भी उनका वो गदराया बदन काफी मुरादों के बाद मिला.. मैंने जम कर चोदा... 
कहानी जारी रहेगी।










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