Tuesday, December 16, 2014

Fentency इतनी जल्दी है क्या-2

Fentency


इतनी जल्दी है क्या-2

 एक बार की चुदाई के बाद भाभी की हालत तो एकदम खराब हो गई थी.. इस उमर में इतनी जबर्दस्त चुदाई होगी, यह उन्होने सोचा भी नहीं था.. लेकिन मुझे भी उनका वो गदराया बदन काफी मुरादों के बाद मिला.. मैंने जम कर चोदा.. 
भाभी की चूत भी मुँह खोले हुए पूरी लाल दिख रही थी.. बाथरूम साथ में था !!!! 
मैंने देखा भाभी ठीक से उठ भी नहीं पा रही है... मैंने उन्हें हाथ पकड़ के उठाया ...और हम दोनों बाथरूम में ही चालू हो गए... 
सुनीता ने शावर चालू कर दिया और मेरे बदन पर साबुन लगाने लगी और कुछ अपना दर्द मुझसे बाँटने लगी... 
मैं अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा... चूत में से पानी अब भी टपक रहा था.. तभी भाभी से नहीं रहा गया और खुद मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और अपने चूत के दाने पर रगड़ने लगी... मैं तो बेकाबू होने लगा, वहीं दीवार पर उनकी पीठ टिका दी और उनके पैर खुद ही फ़ैल गए लंड को रास्ता देने के लिये... 
ऊउफ़्फ़ कितना पानी निकाल रही थी भाभी.. 
लगता है सालों से चूत को लंड नसीब नहीं हुआ था।. मैंने वैसे ही खड़े-खड़े अपना लंड सेट किया और क़मर हिला कर धक्का मारा। 
भाभी- आअह्ह ह ! धीरे कर ना ! अपनी बीवी की चूत समझी है क्या? एकाध महीने में पति को भी दर्शन करवाने पड़ते हैं... 
मैं- बीवी की नहीं मेरी सेक्सी भाभी की गदराई चूत है इसीलिये तो ! 
भाभी- अरे अभी तक दर्द हो रहा है.. आअह्ह ह्ह ! 
उन्होंने हाथ लगाकर देखा.. अभी तो इतना बहार है.. मैं तो मर जाऊँगी... 
"आपको दर्द है तो मैं बाहर निकाल लेता हूँ !" मैंने उन्हें तड़पाने के लिए कहा। 
भाभी- अरे ..अब इतना डाल के बाहर निकालेगा... और अब उन्होंने खुद चूत को लंड पर दबाया... 
"कितना मोटा है..!" 
मैं अब क़मर हिला के आगे पीछे कर रहा था... 
भाभी की चूत ने इतना पानी छोड़ दिया कि अब लंड आराम से जा रहा था और मैंने भी अब सनसना कर धक्का मारा और पूरा लण्ड अंदर ! 
मर गई ईई... ! सच में मर्द हो... आज मुझे लगा कि असली मर्द क्या होता है... लव यू आदी... चोदो मुझे ज़ोर से चोदओ ! फाड़ दो मेरी ! 
मैं धक्के लगाते हुए और उनके निप्प्ल काटते हुये)- क्या फाड़ दूँ भाभी? 
भाभी- जो फोड़ रहे हो... 
मैं- उनका नाम बोलो.. 
भाभी- अपना काम करो ! 
मैं- अभी तो एक जगह और बची है उसे भी फाड़ना है... सबसे सेक्सी तो वो ही है तुम्हारे पास ! 
भाभी- क्या? 
मैंने भाभी के चूतड़ों पर हाथ लगाया और उनकी गांड के छेद में उंगली डाल कर बोला- ये वाली फाड़नी है। 
भाभी- आआह्ह हह नहीं वो नहीइ.. वो तो मैंने किसी को भी नहीं दी और मुझसे रश्मि ने साफ़ कहा है कि आदी को पिछवाड़ा मत देना... 
मैं- तो क्या हुआ.. मुझे बहुत पसंद है। 
भाभी- नहीं नहीं.. 
मेरे धक्के चालू थे.. मैंने देखा भाभी का बदन अकड़ने लगा है... पैर सिकोड़ कर लंड को कस रही थी और मेरे कंधे पर दांतों से काटने लगी... नाख़ून मेरे पीठ को नोच रहे है... 
"यह क्या किया.. आह्ह ! मैं गईई ईइ मेरा हो गया अऊओ ऊओह्ह्ह !" 
और भाभी की चूत का पानी निकल गया। मैं रूक गया.. मैंने अब उन्हें दीवार से हटाया और बाथटब के अंदर ले गया, उसमे पानी और साबुन भरने लगा.. 
मैंने चूत पर भी साबुन लगाया..और उसे साफ करने लगा.. 
जब चूत पूरी साफ हो गई मैंने गर्म पानी से धोया...मेरा हाथ बार बार उनके दाने से लग रहा था... इधर मेरा अभी तक छुटा नहीं था। 
भाभी मेरे लंड को सहला रही थी, कभी मुँह में लेकर काट रही थी तो कभी अपने कानों और बालों को मेरे लंड से सहला रही थी !!! 
मैं उनके मुँह के पास लंड को ले गया.. उन्होंने कुछ नहीं किया... मैंने उनकी चूत को देखा.. दोनों जांघों के बीच एक लकीर.. लग रहा था कि एक शर्माई हुई मुनिया.. मैंने हाथ फेरा... लकीर के बीच उंगली डाली.. फ़िर से गीली, लबालब पानी.. 
मुझसे अब रहा नहीं गया, मैंने भाभी के पेट को चूमना शुरू किया और दोनों पैर भाभी के दोनों तरफ डाले और उनकी चूत पर मुँह रख दिया.. 
मैंने जबरदस्ती पैरों को फैलाया और उनका रस चाटने लगा.. जीभ को दाने पर रगड़ा... मेरा लंड उनके मुँह के पास लटक रहा था, भाभी से रहा नहीं गया, उन्होंने उसे हाथ में पकड़ा, मैंने क़मर और नीचे की और उसे ठीक उनके होटों पर टिका दिया... थोड़ी देर तो उन्होने कुछ नहीं किया लेकीन फ़िर अचानक उसे जीभ से चाटा और होंट खोलकर अंदर लिया... 
मैंने सिहरन सी महसूस की- आअह भाभी चूसो मेरी जान... अआः मजा आ रहा है ! 
मैं तो उनके गरम होटों के स्पर्श से पागल हो रहा था... अब वो भी पूरी मस्ती में उसे मुँह में ले रही थी.. अचानक मैंने थोड़ा अंदर दबाया.. लंड एकदम उनके हलक तक पहुँच गया। उन्होने तड़प कर उसे बाहर निकाला और कहा- अब क्या मार डालोगे.. इतना लम्बा और मोटा गले के अंदर डाल रहे हो.. मेरी तो सांस रुक जाएगी... 
मैं- ओह ! आप इतना अच्छा चूस रही हो.. 
इधर भाभी की हालत फ़िर खराब होने लगी, मेरी जीभ उनकी चूत के अंदर पूरी सैर कर रही थी.. भाभी ने फ़िर से पानी छोड़ दिया.. उनकी गांड तक बह रहा था.. गांड के छेद तक ! मैंने पूरा चाट लिया, जीभ से पूरा चाटा.. इधर मुझे लग रहा था कि मेरा भी पानी भाभी के मुँह में निकल जाएगा... मैंने अपना लंड उनके मुँह से निकाल लिया, लण्ड उनके थूक से गीला हो कर चमक रहा था और भी मोटा हो गया था, मैं उठ कर कमोड पर बैठ गया और भाभी को अपने पास खींचा... 
भाभी- अब क्या कर रहे हो? 
मैं- आओ ना, दोनों पैर फ़ैला कर लण्ड पर बैठ जाओ और सवारी करो। 
भाभी- मुझसे नहीं होगा.. 
मैंने उन्हें पकड़ के पोजिशन में लिया, और लंड के ऊपर चूत को सेट किया और कहा- बैठो... 
उन्होंने कोशिश की- आआह ! नहीं होगा.. 
मैंने उनके चूतड़ों पर हाथ रखे और नीचे से धक्का किया.. आधा लंड गप्प से अंदर। 
अब मैंने उन्हें कहा- धीरे-धीरे इस पर बैठो... 
वो बैठने लगी.. चूत चिकनी तो थी.. अंदर घुसने लगा। फ़िर वो रूक गई.. अभी भी थोड़ा बाहर था.. 
मैंने उनकी चूची और निप्प्ल चूसना शुरू किया... और पीछे से उनकी गांड के सुराख में उंगली डाली। 
"उईईईई....!" 
और मैंने उन्हें जोर से अपने ऊपर बैठा लिया... पूरा लंड अंदर और भाभी की चीख निकल गई- आअह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह मर गई ऊओह...! 
अभी तक दो बार चुदने के बाद भी चूत इतनी कसी लग रही थी, मुझे मज़ा और जोश दोनों आ रहा था... भाभी मेरे सीने से चिपटी रही.. फ़िर थोड़ी देर बाद वो खुद ही मेरे लंड पर ऊपर नीचे होने लगी... मैं भी नीचे से धक्के मार रहा था। 
भाभी बड़बड़ाने लगी- आ आह तुमने मुझे जिन्दगी का मज़ा दे दिया अह्ह्ह्ह.. और उनके उछलने की स्पीड बढ़ गई। 
"अह आआह.. ... मेरे आदी इतने दिन क्यों नहीं किया.. आआअह्ह मेरा होने वाला है... !' 
और ऐसे ही उछलते हुये उनका पानी निकल गया.. वो मेरे सीने से लिपट गई, मैं उन्हें चूमने लगा.. 
अब मैंने भाभी को खड़ा किया.. 
मेरे दिमाग में एक नया आसन आया ! कमोद के ऊपर मैंने भाभी को झुकाया दोनों हाथ कमोड के ऊपर रखवाए... 
भाभी- यह क्या कर रहे हो? 
मैं- मैं तुम्हें और मजा दूंगा जानेमन.. 
मैं पीछे आ गया.. ऊओह क्या मस्त उभरे हुये चूतड़.. और ऐसे में उनकी चूत का छेद एकदम गीला... और गांड का गुलाबी छेद... मैंने पीछे से लंड को उनके चूतड़ों पर घुमाया... ...और गांड के छेद पर लगाया...वो एकदम उछल कर खड़ी हो गई.. नईई वहाँ नहीईईईइ... 
"नहीं डार्लिंग ! मैं सही जगह डालूँगा !" और फ़िर से उन्हें झुकाया... चूतड़ और ऊपर किये ताकि चूत ऊपर हो जाए... 
और फ़िर.. 
भाभी- अह्ह धीरे...आआ अह्ह ! 
मेरा लंड अंदर जा रहा था, लेकिन मैंने उसे बाहर खींचा और एक झटके में पूरा अंदर डाला.. 
वो तो चिल्ला पडी- अरे मार डालोगे क्या?? 
मैंने उनके चूतड़ सहलाये और आगे हाथ बढ़ा कर उनकी चूचियाँ दोनों बगलों से दबाने लगा... करीब 3-4 मिनट में भाभी फ़िर पानी छोड़ने लगी.. मैंने उनका एक पैर कमोड के ऊपर रखवाया... और फ़िर तो मैंने भी राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से चोदना शुरू किया। 
भाभी उफ़ उफ़ आह अह्ह्ह कर रही थी। 
मैंने उनके कानों के पास चूमा- जानू.. मजा आ रहा है ना? 
भाभी- बहुत.. और जोर से करो... 
अब मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है... एक घंटे से ऊपर हो गया था.. मेरे अंडों में प्रेशर आ रहा था.. मैंने भाभी को बाथ टब के अंदर लिया और लिटाया.. दोनों पैर फैलाये.. घुटनों से ऊपर मोड़ कर एक झटके में अंदर डाला... उनकी आंखें फ़िर बड़ी बड़ी हो गई लेकिन मैंने कुछ देखा नहीं और फ़िर उफ्फ ! वो धक्के लगाए कि भाभी की साँस फूलने लगी, वो सिर्फ अआः इश्ह इश्ह्ह्ह्ह आआः कर रही थी। 
मेरा पूर्वानुमान गलत था कि वो बहु चुदी हैं, वो तो सेक्स की बहुत भूखी हैं ! 
मैं- जानू ऊऊऊ मेरा निकलने वाला है.. अंदर डालूँन या बाहर...? 
भाभी- एक बार तो अंदर डाल दिया है, अब बाहर क्यूँ? डाल अंदर ! 
1-2-3-4-5-5-6-7 ! कितनी पिचकारी मारी, मैं भूल गया और उनके ऊपर लेट गया.. 
करीब दस मिनट हम ऐसे ही पड़े रहे.. मैंने फ़िर उठकर उन्हें चूमा तो उन्होंने आँखें खोली.. 
मैंने धीरे से पूछा- जानेमन, कैसा लगा? 
वो कुछ बोली नहीं.. सिर्फ मुस्कुरा दी.. 
फ़िर हम दोनों ने एक दूसरे को रगड़ रगड़ कर नहलाया। 
मेरा फ़िर खड़ा होने लगा था.. लेकिन भाभी जल्दी से तौलिया लपेट कर बाहर निकल गई.. 
मैंने कहा- बस हो गया...? 
"बस फ़िलहाल यहीं तक ! अगर जरुरत लगेगी तो मैं बुला लूँगी ! तुम रहते कितनी दूर हो...!" 
उन्होंने मुझे पैसे देने चाहे तो मैंने अपनी एक दिन की सेलेरी ली क्यूंकि उस दिन मैंने ऑफिस से छुट्टी ली थी। 
मैं वापिस अपने कमरे में आ गया।








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