Fentency
हेल्लो दोस्तो... मेरा नाम रंजन है, मैं दिल्ली से हूँ, एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ। मैं यहाँ अपने चचरे भाई के साथ कालकाजी में रहता हूँ।
दोस्तो, मैं यहाँ कोई उत्तेजक कहानी या मनगढ़ंत कहानी नहीं लिख रहा हूँ। जो यकीन नहीं करना चाहे तो मुझे उससे कोई परेशानी नहीं।
मेरे भैया का नाम नीलेश है, भाभी का नाम मीनू है। हम तीनों यहाँ इकट्ठे बड़े आराम से रहते हैं। कालकाजी में हमने एक बड़ा तीन बेड रूम वाला फ्लैट ले रखा है। भैया का मार्केटिंग का जॉब था और उनका अक्सर बाहर आना-जाना लगा रहता था।
बात पिछले दिसम्बर की है, भैया कोलकाता गए थे। मैं और भाभी अकेले घर में थे। अब दिल्ली की ठंड के बारे में क्या बताऊँ। मैं घर पर ही टीवी देख रहा था। सुबह से भाभी की आवाज़ नहीं आ रही थी। तो मैं उनके बेडरूम में गया, देखा तो भाभी को बहुत तेज़ बुखार थी। मैं उन्हें हॉस्पिटल लेकर गया और दवाई लाया। शाम तक भाभी का बुखार उतर गया था।
रात को खाना खाने के बाद मैं भाभी के पास रुका और बोला- रात को फिर तबीयत खराब हो सकती है, आप बेड पर सो जाओ, मैं यहाँ सोफे पर लेटा हूँ। ज़रूरत पड़े तो आवाज़ लगाना।
भाभी ने हाँ कगा और सोने गई। तक़रीबन 11 बजे भाभी थोड़ी कांपने लगी। मैंने एक कम्बल लाकर दिया। फिर भी भाभी कांप रही थी। मुझसे सहा नहीं गया और मैंने भाभी को कम्बल के ऊपर से जोरो से पकड़ लिया। धीरे धीरे भाभी सो गई। सवेरे उठ कर देखा तो कब हम दोनों कम्बल के अन्दर एक दूसरे को पकड़ कर सोये हुए थे।
मैं उठा तो मेरे होश उड़ गए। मैं भाभी से सॉरी बोला और निकल गया। भाभी कुछ नहीं बोली।
सुबह भाभी ने नाश्ता बनाया और मैं खाकर ऑफिस चला गया। ऑफिस में मेरा काम में मन नहीं लगा, अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि यह कैसे हो गया। मुझे दो बजे के करीब भाभी का कॉल आया।
मैं डर गया और फ़ोन उठाया तो भाभी बोली- रंजन, रात को जो हुआ उसे भूल जाओ। गलती से हो गया और उसे जाने दो।
मैं कुछ बोला नहीं.. थोड़ी देर बाद भाभी का दुबारा फ़ोन आया और वो रोने लगी.. मैंने डर कर पूछा- क्या हुआ..?
तो वो बोली- कोई मुझे नहीं समझता है.. सब अपने काम में लगे हैं !
मैंने पूछा- आखिर क्या हुआ?
तो बोली- तुम्हारे भैया तो हमेशा बाहर रहते हैं... मेरे अरमानों को कौन समझेगा..
मैं कुछ नहीं बोला और कुछ देर बाद बोला- भाभी, आखिर क्या चाहिए?
तो वो बोली- रंजन, मुझे वो ख़ुशी चाहिए जो तुम्हारे भैया से बहुत कम मिलती है..
मैंने फ़ोन काट कर दिया.. थोड़ी देर बाद मेरे मन में भी हलचल होने लगी... दोस्तो, बता दूँ कि मेरे मीनू भाभी कमाल की दिखती हैं, रंग गोरा, शरीर भरा-भरा.. जो भी देखे, मुँह में पानी आ जाये... साड़ी पहनती हैं तो क़यामत ढाती हैं...
मैंने दुबारा कॉल किया, बोला- मीनू भाभी, आज तुम्हें वो ख़ुशी दूँगा जो तुम ज़िन्दगी भर भूल नहीं पाओगी..
भाभी ने खुशी में फ़ोन पर ही मुझे चुम्बन दे दिया।
मैं ऑफिस से सात बजे निकला और साथ में आइसक्रीम और कुछ फूल लेकर गया।
मैं घर पहुंचा, मेरे पास घर की डुप्लीकेट चाबी थी तो मैंने धीरे से दरवाज़ा खोला... मेरे आने का भाभी को पता चल गया था, वो मुझे कातिल नज़र से देख रही थी और मुस्कान बिखेर रही थी...
वो मेरे पास आई...
मैंने कहा- भाभी क्या बात है.../
उन्होंने कहा- पहले तो रंजन, तुम मुझे भाभी कहना छोड़ दो और मुझे मीनू बुलाओ...
मैं हामी भरी... मीनू ने प्यारी सी मुस्कान दी और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे गले लगा लिया और मेरे होंठों को चूम लिया।
मैंने भी उसको बाहों में ले लिया, मेरा तो मन किया की मेज पर लेटा कर वहीं चोद डालूँ पर फिर सोचा कि इतनी जल्दी नहीं, आराम से सब करूँगा।
मैंने कुछ नहीं किया।
फिर हमने खाना खाया और साथ में बीयर भी पी.. वो थोड़ा बहकने लगी थी बीयर के नशे में। मैं भाभी को पकड़ कर बेडरूम में ले गया। जैसे ही कमरे में पहुँचे तो मैंने दरवाज़ा बन्द कर दिया और भाभी बेड पर लेटा दिया, अपना शर्ट निकाल कर उसकी ज़ांघों के पास बैठ गया और उसको चूमने लगा।
वो थोड़ी नशे में थी तो भाभी का पूरा बदन मचल रहा था, भाभी का मचलता बदन को देख मेरा लंड और तनने लगा था।
वो बोल रही थी- रंजन, आज मुझे पूरा मज़ा दे दो, जो आज तक तुम्हारे भैया ने मुझे कभी नहीं दिया।
फिर मैंने उसके पूरे बदन को चूमा और उसकी पोशाक बदन से अलग कर दी, उसने लाल रंग की ब्रा-पैंटी पहनी थी, उसके गोरे बदन और बड़ी बड़ी चूचियों की वजह से कमाल दिख रही थी।
मैंने ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूची को मसलना शुरू किया और एक तरफ उनके होंठों पर होंठ रख कर रसीला जाम पीने लगा।
वो मेरा पूरा साथ दे रही थी, वो मेरी पीठ सहला रही थी। मैंने उसकी पीठ के नीचे हाथ डाला और ब्रा का हुक खोल दिया तो उनकी चूचियाँ आजाद हो गई और उनकी चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा, एक हाथ से दूसरी चूची दबाने लगा।
वो बोल रही थी- और जोर से चूसो ! और जोर से ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
मुझे जोश आ रहा था, मैं जोर जोर से चूसने लगा, मीनू की चूची पूरी लाल हो गई, वो तब तक काफी गर्म हो चुकी थी, मीनू ने मुझे उसके ऊपर से हटाया और खुद मेरे ऊपर आ गई, मेरी पैंट निकाल दी और अंडरवीयर के ऊपर से मेरा लंड पकड़ कर मसलने लगी...
मैंने नीचे लेटे लेटे अपने दोनों हाथ उसकी चूची पर रख दिए और दबाने लगा. वो मेरे होंठो और पूरे बदन को चूमने लगी, फिर मेरे अंडरवियर को धीरे से थोड़ा नीचे किया और मेरे लंड पर हाथ घुमाने लगी। मेरा लंड पूरा कड़क हो चुका था, वो अपना मुँह मेरे लंड के करीब लाई तो उसकी गर्म सांसें मुझे अपने लंड पर महसूस हो रही थी, फिर उसने लंड का सुपारा खोला और अपनी जुबान मेरे लंड पर फ़िराने लगी।
मैं तो जैसे किसी नशे में खोने लगा था, उसने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। 5-6 मिनट चूसा फिर बाहर निकाल कर मुझे देखा, मैंने सर हिला कर पूछा," क्या हुआ !"
उसने कहा- चूत में आग लग रही है, बहुत प्यासी है..
मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह रखा और चाटना शुरू किया तो उसने इशारा करके कहा कि 69 पोजीशन में करते हैं।
हमने ऐसा ही किया, फिर उसकी चूत के दाने को मैंने अपने मुँह में लिया और चूसने लगा, वो तो उछलने लगी थी, मैं अपने दोनों हाथ उसके कूल्हों पर घुमाने लगा। वो मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। ठण्ड होने की वजह से बहुत मज़ा आ रहा था...
वो अपने मुँह से थूक निकाल कर मेरे लंड पर गिराती और थोड़ा रगड़ती और फिर चूसने लगती...
तक़रीबन बीस मिनट ऐसा चलता रहा... फिर वो बेड पर सीधी लेट गई और मैं उसके ऊपर आ गया, उसके होंठों को चूमा, मेरे मुँह पर पर उसकी चूत से निकला हुआ बहुत सारा पानी था, वो चाटने लगी।
फिर मैंने अपना एक पैर उसके दोनों पैरो के बीच में डाला, उसके दोनों पैर फैला कर बीच में आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धीरे से रगड़ने लगा। उसकी चूत गीली हो गई थी तो मैंने धीरे से लंड अंदर डाल दिया।
जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में गया, थोड़ी आहें भरते हुए उसने अपनी चूचियाँ थोड़ी ऊपर की तो मैंने अपने हाथ उसकी पीठ के नीचे डाल दिए तो उसकी चूचियों में और उभार आ गया।
मैंने ऐसा देखते ही उसकी चूची चूसने लगा और दूसरी तरफ धीरे धीरे लंड को अंदर-बाहर करने लगा।
उसके मुँह से आवाज़ आने लगी- ...हम्मम्म अह्ह्ह्ह.... हम्म्म आआअ...
जो मुझ में और जोश जगाने लगी, मेरी स्पीड बढ़ने लगी और मैं जोर जोर से उसकी चूत में धक्के लगाने लगा।
फिर उसने मुझे थोड़ा धक्का दिया और मुझे बेड पर सीधा लेटा कर मेरे ऊपर बैठ गई...
तो मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ों पर रखे और नीचे से धक्के मारने लगा.. उसको इसमें ज्यादा मज़ा आ रहा था क्योकि लंड उसकी चूत में बहुत अंदर तक चला जाता था। दस मिनट ऐसे ही करता रहा तो वो झड़ गई और मेरे ऊपर ही लेट गई। मैं तो उसकी गाण्ड सहला रहा था क्योंकि उसकी गांड बहुत मस्त थी, बहुत बड़ी और चिकनी भी थी। मैं झड़ा नहीं था तो मैं धीरे धीरे हिल रहा था...
फिर मैंने धीरे से उसके कान में कहा- घोड़ी बन कर चुदोगी?
उसने हिला कर हाँ कहा और घोड़ी बन कर झुकी तो मैंने अपने हाथ का अंगूठा उसकी गांड के छेद पर घुमाया और अपना लंड उसकी चूत में डाला और हिलने लगा। धीरे धीरे मेरा अंगूठा भी उसकी गांड में घुस गया, जैसे जैसे मैं धक्के लगाता गया, वैसे वैसे अंगूठा भी अंदर-बाहर करता गया। वो बहुत सिसकारियाँ ले रही थी और बोल रही थी- और जोर से करो ! फाड़ दो इस चूत को अब !
मैं जोर जोर से करने लगा, मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने उससे कहा- मेरा पानी निकलने वाला है, पीना चाहोगी या बाहर कहीं निकालूँ?
वो बोली- चूत के अंदर ही डाल दो कोई तकलीफ नहीं है, उसकी आग भी बुझ जाएगी।
तो मैंने अंदर ही जोर जोर से ज़टके मारे और पूरा लण्ड अंदर तक दबा कर अपना सारा पानी निकाला चूत में..
थोड़ी देर मैं वैसे ही रहा, उसने भी लम्बी साँस ली, फिर मैंने लंड चूत से निकाला तो उसने उसे चूसा थोड़ा..
मैं उसके पास ही लेट गया, उसने अपना सर मेरे कंधे पर रखा और मेरे सीने पर उंगली घुमाने लगी। मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर घूम रहा था। लंड से पानी निकल गया तो मुझे नींद आ रही थी तो मैं वैसे ही उसको बाहों में लेकर सो गया।
फिर रात को करीब 3 बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि वो मेरी तरफ अपनी गांड करके सोई है तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी गांड पर चूमना शुरू किया, उसकी नींद भी टूट गई। मैंने उसकी गांड के छेद पर जुबान घुमा कर गीला कर दिया। फिर अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी गांड में लंड घुसा दिया।
वो पहले थोड़ा चिल्लाई और फिर शांत होकर मज़े लेने लगी। मैंने उसको 20 मिनट तक चोदा और फिर मैं झड़ गया। फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक के सोने लगे तो उसने कहा- काश, तुम्हारे भैया भी इतना अच्छा मुझे चोदते ! तुमने आज मेरी महीनों की प्यास बुझा दी ! फिर वो पूरे 4 रोज़ मुझसे चुदती रही। भैया टूर से आने के बाद भी हमने बहुत बार चुदाई की।
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मेरी प्यारी भाभी
प्रेषक : रंजनहेल्लो दोस्तो... मेरा नाम रंजन है, मैं दिल्ली से हूँ, एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ। मैं यहाँ अपने चचरे भाई के साथ कालकाजी में रहता हूँ।
दोस्तो, मैं यहाँ कोई उत्तेजक कहानी या मनगढ़ंत कहानी नहीं लिख रहा हूँ। जो यकीन नहीं करना चाहे तो मुझे उससे कोई परेशानी नहीं।
मेरे भैया का नाम नीलेश है, भाभी का नाम मीनू है। हम तीनों यहाँ इकट्ठे बड़े आराम से रहते हैं। कालकाजी में हमने एक बड़ा तीन बेड रूम वाला फ्लैट ले रखा है। भैया का मार्केटिंग का जॉब था और उनका अक्सर बाहर आना-जाना लगा रहता था।
बात पिछले दिसम्बर की है, भैया कोलकाता गए थे। मैं और भाभी अकेले घर में थे। अब दिल्ली की ठंड के बारे में क्या बताऊँ। मैं घर पर ही टीवी देख रहा था। सुबह से भाभी की आवाज़ नहीं आ रही थी। तो मैं उनके बेडरूम में गया, देखा तो भाभी को बहुत तेज़ बुखार थी। मैं उन्हें हॉस्पिटल लेकर गया और दवाई लाया। शाम तक भाभी का बुखार उतर गया था।
रात को खाना खाने के बाद मैं भाभी के पास रुका और बोला- रात को फिर तबीयत खराब हो सकती है, आप बेड पर सो जाओ, मैं यहाँ सोफे पर लेटा हूँ। ज़रूरत पड़े तो आवाज़ लगाना।
भाभी ने हाँ कगा और सोने गई। तक़रीबन 11 बजे भाभी थोड़ी कांपने लगी। मैंने एक कम्बल लाकर दिया। फिर भी भाभी कांप रही थी। मुझसे सहा नहीं गया और मैंने भाभी को कम्बल के ऊपर से जोरो से पकड़ लिया। धीरे धीरे भाभी सो गई। सवेरे उठ कर देखा तो कब हम दोनों कम्बल के अन्दर एक दूसरे को पकड़ कर सोये हुए थे।
मैं उठा तो मेरे होश उड़ गए। मैं भाभी से सॉरी बोला और निकल गया। भाभी कुछ नहीं बोली।
सुबह भाभी ने नाश्ता बनाया और मैं खाकर ऑफिस चला गया। ऑफिस में मेरा काम में मन नहीं लगा, अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि यह कैसे हो गया। मुझे दो बजे के करीब भाभी का कॉल आया।
मैं डर गया और फ़ोन उठाया तो भाभी बोली- रंजन, रात को जो हुआ उसे भूल जाओ। गलती से हो गया और उसे जाने दो।
मैं कुछ बोला नहीं.. थोड़ी देर बाद भाभी का दुबारा फ़ोन आया और वो रोने लगी.. मैंने डर कर पूछा- क्या हुआ..?
तो वो बोली- कोई मुझे नहीं समझता है.. सब अपने काम में लगे हैं !
मैंने पूछा- आखिर क्या हुआ?
तो बोली- तुम्हारे भैया तो हमेशा बाहर रहते हैं... मेरे अरमानों को कौन समझेगा..
मैं कुछ नहीं बोला और कुछ देर बाद बोला- भाभी, आखिर क्या चाहिए?
तो वो बोली- रंजन, मुझे वो ख़ुशी चाहिए जो तुम्हारे भैया से बहुत कम मिलती है..
मैंने फ़ोन काट कर दिया.. थोड़ी देर बाद मेरे मन में भी हलचल होने लगी... दोस्तो, बता दूँ कि मेरे मीनू भाभी कमाल की दिखती हैं, रंग गोरा, शरीर भरा-भरा.. जो भी देखे, मुँह में पानी आ जाये... साड़ी पहनती हैं तो क़यामत ढाती हैं...
मैंने दुबारा कॉल किया, बोला- मीनू भाभी, आज तुम्हें वो ख़ुशी दूँगा जो तुम ज़िन्दगी भर भूल नहीं पाओगी..
भाभी ने खुशी में फ़ोन पर ही मुझे चुम्बन दे दिया।
मैं ऑफिस से सात बजे निकला और साथ में आइसक्रीम और कुछ फूल लेकर गया।
मैं घर पहुंचा, मेरे पास घर की डुप्लीकेट चाबी थी तो मैंने धीरे से दरवाज़ा खोला... मेरे आने का भाभी को पता चल गया था, वो मुझे कातिल नज़र से देख रही थी और मुस्कान बिखेर रही थी...
वो मेरे पास आई...
मैंने कहा- भाभी क्या बात है.../
उन्होंने कहा- पहले तो रंजन, तुम मुझे भाभी कहना छोड़ दो और मुझे मीनू बुलाओ...
मैं हामी भरी... मीनू ने प्यारी सी मुस्कान दी और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे गले लगा लिया और मेरे होंठों को चूम लिया।
मैंने भी उसको बाहों में ले लिया, मेरा तो मन किया की मेज पर लेटा कर वहीं चोद डालूँ पर फिर सोचा कि इतनी जल्दी नहीं, आराम से सब करूँगा।
मैंने कुछ नहीं किया।
फिर हमने खाना खाया और साथ में बीयर भी पी.. वो थोड़ा बहकने लगी थी बीयर के नशे में। मैं भाभी को पकड़ कर बेडरूम में ले गया। जैसे ही कमरे में पहुँचे तो मैंने दरवाज़ा बन्द कर दिया और भाभी बेड पर लेटा दिया, अपना शर्ट निकाल कर उसकी ज़ांघों के पास बैठ गया और उसको चूमने लगा।
वो थोड़ी नशे में थी तो भाभी का पूरा बदन मचल रहा था, भाभी का मचलता बदन को देख मेरा लंड और तनने लगा था।
वो बोल रही थी- रंजन, आज मुझे पूरा मज़ा दे दो, जो आज तक तुम्हारे भैया ने मुझे कभी नहीं दिया।
फिर मैंने उसके पूरे बदन को चूमा और उसकी पोशाक बदन से अलग कर दी, उसने लाल रंग की ब्रा-पैंटी पहनी थी, उसके गोरे बदन और बड़ी बड़ी चूचियों की वजह से कमाल दिख रही थी।
मैंने ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूची को मसलना शुरू किया और एक तरफ उनके होंठों पर होंठ रख कर रसीला जाम पीने लगा।
वो मेरा पूरा साथ दे रही थी, वो मेरी पीठ सहला रही थी। मैंने उसकी पीठ के नीचे हाथ डाला और ब्रा का हुक खोल दिया तो उनकी चूचियाँ आजाद हो गई और उनकी चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा, एक हाथ से दूसरी चूची दबाने लगा।
वो बोल रही थी- और जोर से चूसो ! और जोर से ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
मुझे जोश आ रहा था, मैं जोर जोर से चूसने लगा, मीनू की चूची पूरी लाल हो गई, वो तब तक काफी गर्म हो चुकी थी, मीनू ने मुझे उसके ऊपर से हटाया और खुद मेरे ऊपर आ गई, मेरी पैंट निकाल दी और अंडरवीयर के ऊपर से मेरा लंड पकड़ कर मसलने लगी...
मैंने नीचे लेटे लेटे अपने दोनों हाथ उसकी चूची पर रख दिए और दबाने लगा. वो मेरे होंठो और पूरे बदन को चूमने लगी, फिर मेरे अंडरवियर को धीरे से थोड़ा नीचे किया और मेरे लंड पर हाथ घुमाने लगी। मेरा लंड पूरा कड़क हो चुका था, वो अपना मुँह मेरे लंड के करीब लाई तो उसकी गर्म सांसें मुझे अपने लंड पर महसूस हो रही थी, फिर उसने लंड का सुपारा खोला और अपनी जुबान मेरे लंड पर फ़िराने लगी।
मैं तो जैसे किसी नशे में खोने लगा था, उसने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। 5-6 मिनट चूसा फिर बाहर निकाल कर मुझे देखा, मैंने सर हिला कर पूछा," क्या हुआ !"
उसने कहा- चूत में आग लग रही है, बहुत प्यासी है..
मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह रखा और चाटना शुरू किया तो उसने इशारा करके कहा कि 69 पोजीशन में करते हैं।
हमने ऐसा ही किया, फिर उसकी चूत के दाने को मैंने अपने मुँह में लिया और चूसने लगा, वो तो उछलने लगी थी, मैं अपने दोनों हाथ उसके कूल्हों पर घुमाने लगा। वो मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। ठण्ड होने की वजह से बहुत मज़ा आ रहा था...
वो अपने मुँह से थूक निकाल कर मेरे लंड पर गिराती और थोड़ा रगड़ती और फिर चूसने लगती...
तक़रीबन बीस मिनट ऐसा चलता रहा... फिर वो बेड पर सीधी लेट गई और मैं उसके ऊपर आ गया, उसके होंठों को चूमा, मेरे मुँह पर पर उसकी चूत से निकला हुआ बहुत सारा पानी था, वो चाटने लगी।
फिर मैंने अपना एक पैर उसके दोनों पैरो के बीच में डाला, उसके दोनों पैर फैला कर बीच में आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धीरे से रगड़ने लगा। उसकी चूत गीली हो गई थी तो मैंने धीरे से लंड अंदर डाल दिया।
जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में गया, थोड़ी आहें भरते हुए उसने अपनी चूचियाँ थोड़ी ऊपर की तो मैंने अपने हाथ उसकी पीठ के नीचे डाल दिए तो उसकी चूचियों में और उभार आ गया।
मैंने ऐसा देखते ही उसकी चूची चूसने लगा और दूसरी तरफ धीरे धीरे लंड को अंदर-बाहर करने लगा।
उसके मुँह से आवाज़ आने लगी- ...हम्मम्म अह्ह्ह्ह.... हम्म्म आआअ...
जो मुझ में और जोश जगाने लगी, मेरी स्पीड बढ़ने लगी और मैं जोर जोर से उसकी चूत में धक्के लगाने लगा।
फिर उसने मुझे थोड़ा धक्का दिया और मुझे बेड पर सीधा लेटा कर मेरे ऊपर बैठ गई...
तो मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ों पर रखे और नीचे से धक्के मारने लगा.. उसको इसमें ज्यादा मज़ा आ रहा था क्योकि लंड उसकी चूत में बहुत अंदर तक चला जाता था। दस मिनट ऐसे ही करता रहा तो वो झड़ गई और मेरे ऊपर ही लेट गई। मैं तो उसकी गाण्ड सहला रहा था क्योंकि उसकी गांड बहुत मस्त थी, बहुत बड़ी और चिकनी भी थी। मैं झड़ा नहीं था तो मैं धीरे धीरे हिल रहा था...
फिर मैंने धीरे से उसके कान में कहा- घोड़ी बन कर चुदोगी?
उसने हिला कर हाँ कहा और घोड़ी बन कर झुकी तो मैंने अपने हाथ का अंगूठा उसकी गांड के छेद पर घुमाया और अपना लंड उसकी चूत में डाला और हिलने लगा। धीरे धीरे मेरा अंगूठा भी उसकी गांड में घुस गया, जैसे जैसे मैं धक्के लगाता गया, वैसे वैसे अंगूठा भी अंदर-बाहर करता गया। वो बहुत सिसकारियाँ ले रही थी और बोल रही थी- और जोर से करो ! फाड़ दो इस चूत को अब !
मैं जोर जोर से करने लगा, मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने उससे कहा- मेरा पानी निकलने वाला है, पीना चाहोगी या बाहर कहीं निकालूँ?
वो बोली- चूत के अंदर ही डाल दो कोई तकलीफ नहीं है, उसकी आग भी बुझ जाएगी।
तो मैंने अंदर ही जोर जोर से ज़टके मारे और पूरा लण्ड अंदर तक दबा कर अपना सारा पानी निकाला चूत में..
थोड़ी देर मैं वैसे ही रहा, उसने भी लम्बी साँस ली, फिर मैंने लंड चूत से निकाला तो उसने उसे चूसा थोड़ा..
मैं उसके पास ही लेट गया, उसने अपना सर मेरे कंधे पर रखा और मेरे सीने पर उंगली घुमाने लगी। मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर घूम रहा था। लंड से पानी निकल गया तो मुझे नींद आ रही थी तो मैं वैसे ही उसको बाहों में लेकर सो गया।
फिर रात को करीब 3 बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि वो मेरी तरफ अपनी गांड करके सोई है तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी गांड पर चूमना शुरू किया, उसकी नींद भी टूट गई। मैंने उसकी गांड के छेद पर जुबान घुमा कर गीला कर दिया। फिर अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी गांड में लंड घुसा दिया।
वो पहले थोड़ा चिल्लाई और फिर शांत होकर मज़े लेने लगी। मैंने उसको 20 मिनट तक चोदा और फिर मैं झड़ गया। फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक के सोने लगे तो उसने कहा- काश, तुम्हारे भैया भी इतना अच्छा मुझे चोदते ! तुमने आज मेरी महीनों की प्यास बुझा दी ! फिर वो पूरे 4 रोज़ मुझसे चुदती रही। भैया टूर से आने के बाद भी हमने बहुत बार चुदाई की।
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