Wednesday, December 17, 2014

Fentency कहीं ले चलो

Fentency



कहीं ले चलो

दोस्तो, मेरा नाम रंजन है पर प्यार से सभी मुझे राज कहते हैं, उम्र 30 साल, मैं इंजिनियर हूँ, दिल्ली से हूँ पर अभी उड़ीसा भुबनेश्वर

जब मैं दिल्ली में था तब की ये कहानी है -
मैं एक सेक्टर में किराये के मकान में रहता हूँ और मेरे सामने वाले घर में एक परिवार रहता था, उस परिवार में एक 22 साल की लड़की थी, उसका नाम नील था। वो एक स्कूल में अध्यापिका थी, जब वो घर से निकलकर जाती थी तो बहुत से लड़के उसे देख कर आहें भरते थे, उस पर मरते थे। जब मैंने उसको जब पहली बार देखा तो तो देखता ही रह गया था।

पड़ोसी होने के कारण धीरे धीरे उससे बात करनी शुरु कर दी। जब हम आमने सामने आते तो एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते थे।

तब मैंने उसकी तरफ़ दोस्ती के लिए अपना हाथ बढ़ा दिया और उसको फ़्रेन्डशिप के लिया राजी कर लिया !

जब वो स्कूल जाती तो मैं भी उसके साथ जाता था और हम खूब बात करते थे। बातों बातों में हमने कालिंदी कुञ्ज जाने का प्रोग्राम बना लिया और एक दिन उसने स्कूल से बंक मारा और में अपनी बाइक लेकर निकला, उसको रास्ते से अपने साथ बिठा लिया और हम कालिंदी कुञ्ज पहुँच गए और हमने वहाँ खुल कर हम गले मिले और हमने पार्क में एक कोना बैठने के लिए चुना और वहां मैंने उसके गालों को पकड़ कर उसके होंठों पर चूम लिया, गालों पर किस किया और किस करते करते हम बहुत आगे हाथ पैर मारने लगे, मैंने उसको अपनी गोदी में लिटा लिया, तो मैं उसके वक्ष पर हाथ फ़ेरने लगा।

वो मचल उठी। नील मुझे यह करने को मना कर रही थी।

तब मैंने उसको समझाया कि यहाँ पर कोई नहीं आएगा, इस पार्क में यही होता है।

उसने 1-2 और जोड़ों को देखा तो वो मान गई और उसने मुझको करने की इजाजत दे दी।

मैंने उसके टॉप को ऊपर करके उसके चूचों पर किस करना शुरु कर दिया। क्या दूधिया चूचे थे उसके !

मैंने उसकी दोनों चूचियों को खूब लाल कर दिया और बहुत से निशान बना दिए।

अब मुझको जोश आ रहा था तो मैंने उसकी पजामी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ डाला तो उसने हाथ पकड़ लिया और बोली- प्लीज़, मुझसे कण्ट्रोल नहीं होगा, यहाँ पर हाथ मत डालो !

मैं दुबारा उसकी चूची दबाने लगा। मैं मूड में था तो मैंने धीरे धीरे उसकी चूत पर हाथ रखा उसकी चूत बिल्कुल साफ, चिकनी बहुत गर्म लग रही थी उसकी चूत से गर्म पानी निकल रहा था जिससे उसकी पजामी गीली हो रही थी।

बस दिल कर रहा था कि चूत को अपने मुँह में लेकर ब्रेड की तरह खा लूँ। जब मैंने उसकी चूत के चने को पकड़ा, सहलाया तो वो एकदम उछली और हाथ पकड़ लिया, बोली- यह गलत है।

मैंने उसे सॉरी बोला और बात करने लगे, वो मेरी गोदी में सर रख कर लेटी हुई थी। मेरे लण्ड महाराज अपनी औकात दिखा रहे थे, बोल रहे थे कि मुझको आजाद कर दो !

धीरे-धीरे मैंने नील का हाथ अपने पैंट के उभर पर सरका दिया, उसको भी सेक्स की सुगंध आने लगी और वो भी उस पर अपना हाथ फिराने लगी। इतने में मैंने उसको दुपट्टा लेकर उसके ऊपर डाल दिया और उसको खुला निमंत्रण दे दिया कि वो खुल कर मेरे लण्ड से खेले।

तब उसने लंड को आजाद किया और उसको अपने हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी। कुछ देर बाद मैंने उसे लण्ड पर चूमने को कहा तो उसने अपने होंट मेरे लण्ड से छुआए और लण्ड के ऊपर किस करने लगी। धीरे धीरे उसने लण्ड पूरा अपने मुँह में उतार लिया।

मैं अपने एक हाथ से उसके गाल पर और दूसरे से उसके बूब्स को पकड़ कर दबा रहा था तो वो जोश में आ रही थी और वो लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मुझको भी मजा आ रहा था, बहुत मजा आ रहा था।

वहाँ पर इससे ज्यादा हम कुछ नहीं कर सकते थे !

मैं बोला- नील, पूरा अंदर-बाहर करती रहो !

नील की सांसें बहुत तेज चल रही थी और उसका चेहरा लाल हो गया, वो बड़बड़ाने लगी थी- प्लीज़ कुछ करो !

मैंने कहा- यहाँ पर और कुछ नहीं कर सकता !

तो बोली- तो यहाँ से चलो, मुझको कहीं एकांत में लेकर चलो !

और वो मेरा लण्ड पिए जा रही थी।

मैंने बोला- यार, मुँह से निकाल ! मैं छुटने वाला हूँ।

तो बोली- कोई बात नहीं ! निकाल दो ! अब मैं इसको नहीं निकाल सकती।

इसके साथ मैं भी जोश में आ गया, उसकी स्पीड के साथ में भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया, आखिर मैं भी तो इन्सान हूँ !

तभी वहाँ पर मीठी, प्यारी सी खुशबू फ़ैल गई, क्यूंकि मैंने भी अपना माल उसके मुँह में निकाल दिया था और उसने भी अपना माल निकाल दिया, उसके पूरी पेंटी गीली हो गई !

तब उसको होश आया तो बोली- यहाँ से चलो, कहीं और चलते हैं !

फिर मैंने अपना दिमाग घुमाया और मैं उसको लेकर लक्ष्मीनगर , दिल्ली अपने दोस्त के कमरे पर चला गया, वह वहाँ पर अकेला रहता था और उस समय वह अपने ऑफिस में था। जब मैंने उसको फ़ोन किया तो वो अपने कमरे पर आ गया और हम दोनों को अंदर ले गया और कुछ देर बाद हमको अंदर बंद करके बाहर से ताला लगा कर चला गया, कह गया कि अब वो दो घंटे में वापस आएगा।

दो घंटे हमारे लिए बहुत थे !

उसके जाते ही हम एक दूजे की बाँहों में आ गए और हमने चूमना शुरु कर दिया, नील को अब जोश आने लगा और उसने मेरा लण्ड बाहर निकाल कर अपने हाथ में ले लिया, फ़िर अपने मुँह में लिया और लोलीपॉप की तरह चूसने लगी।

मैं भी अपना कण्ट्रोल खोने लगा, मैंने भी फिर उसको पकड़ा, पजामी का नाड़ा खोल कर नीचे सरकाई और हमने 69 की अवस्था ले ली। मैंने उसकी चूत को खूब चूसा और उसने मेरा लंड पिया !

वो एक बार डिस्चार्ज हो चुकी थी और जब मेरी बारी आई तो मैंने बोला- मैं निकालने वाला हूँ !

तो वह बोली- निकाल दो, इसका मजा चखना है !

हम शांत होकर एक दूसरे से लिपट गए और थोड़ी देर के बाद फिर से मेरा लंड खड़ा हो गया, मैंने उसकी चूचियों से खेलना शुरु कर दिया जिससे वो भी दोबारा जोश में आने लगी, बोली- अब कोई दिक्कत नहीं है, अब बारी चूत की है, इसमें कोई कोम्प्रोमइज़ नहीं करना, चूत की प्यास बुझानी है।

दोस्तो, वो यह सब जोश में बोल रही थी, उसने बोला- देखते हैं कि तुम्हारा लण्ड मेरी चूत में जाएगा या नहीं !

तो मैंने कहा- हम गैर जगह पर हैं तो कोई शोर नहीं होना चाहिए।

मैंने इधर उधर देखा तो वहाँ कोकोनट आयल रखा था, मैंने तेल लिया और उसकी चूत पर लगा दिया और कुछ अपने लंड पर लगा लिया।

और जब उसकी चूत पर लंड रखा तो वो थोड़ी नर्वस सी हो गई पर बोली- आप करो ! आपकी नील को काफी तकलीफ़ से गुजरना पड़ेगा।

मैंने घुसाने की कोशिश की तो उसको थोड़ा दर्द महसूस हुआ पर आज उसने भी कसम ली थी कि चूत को चुदवा कर ही रहगी !

जब मैंने झटका मारा तो लंड चूत में घुस गया पर पूरा नहीं जा सका क्यूंकि उसकी चूत अभी कुंवारी थी।

उसकी तो आँखें फटने लगी।

मैंने अपने को वहीं रोक दिया और उसके बूब्स को मसलने लगा और लिप-किस करने लगा।

उसको थोड़ा अच्छा लगने लगा तो वो नीचे से अपने चूतड़ उठाने लगी।

फिर मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से पकड़ कर एक जोरदार झटका दिया तो सारा का सारा लंड चूत में समा गया और उसकी हालत खराब हो गई।

फिर कुछ देर बाद मैं रुका तो वो कहने लगी- चूत फट जाने दो, आप करते रहो, रुकना नहीं है बस !

मैंने उसको खूब लंड पर झुलाया, खूब आनन्द लिया, नील को भी मजा आने लगा था, वो बहुत खुश थी, अब वो आसमान में उड़ रही थी और कह रही थी- कितना अच्छा लग रहा है।

यह कहते ही वो अपने चरम पर पहुँच गई।

20-25 झटकों के बाद मैंने बोला- मैं निकालने वाला हूँ।

तो बोली- पहली बार है, डाल दो मेरे चूत में ! देखा जायगा।

मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में ही डाल दिया ! फिर हम दोनों को एक साथ हंसी आ गई कि इसके लिए हम क्या क्या कर रहे थे। इसके लिए हम कितने पागल हो रहे थे, देखो आज यह भी पूरा हो गया।

तब समय देखा तो बोली- अब बाकी बाद में, मुझको जाना भी है !











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