Fentency
अपने को शीशे में देख के मैं अघाती नहीं थी। मौसा जी बैंक में मैनेजर थे और मौसी जी हाउस वाईफ थीं। मौसा पुराने स्पोर्ट्स मैने थे और उनकी बनावट देखते बनती थी। उनके छ:फुटा बदन में अब भी एक मस्त खिलाड़ी जैसी कसावट थी और उनका अंदाज एकदम यंग एंग्री मैन सा था जो देखते बनता था। संतान न होने से दोनों मौसा मौसी में पटती न थी। अक्सर मुझे मौसा के बारे में फंटासी करने में मजा आता, जब वो बाथरुम से बाहर निकलते और अपने लुंगी को कमर में लपेटे लण्ड को पोंछते हुए जब वो जरा सा खोलते तो कभी लापरवाही से उनका लटका हुआ आठ इंच का लंड दिख जाता। मैं हमेशा उस बेहतरीन लण्ड के साथ मस्ती करने के बारे में सोचती पर मेरी मौसी के आगे मेरी दाल न गलती। वो हमेशा मुझे घरेलू कामों में लगाए रखती थी। अब एक दिन मौसी मायके चली गयी और मौसा जी और हम अकेले रह गये थे घर में। अब आज शाम को जब मौसा जी आफिस से आये तो बड़े ड्गमगाते पैरों से घर आये। मैं समझ गयी कि आज लगता है कि वो पीकर आयें हैं। पीकर आने से मुझे याद आया कि आज काम बन सकता है। इस वजह से हमने उनको अपने चक्कर में फंसाने के लिए सोचा। मैने मौसा जी से कहा कि मौसा जी आज किचेन में आपको मेरी हेल्प करनी पड़ेगी। वो तो मानो इसके लिए तैयार बैठे थे। आ गये एक टावल लपेट कर, उपर कुछ ना पहना था, विस्तृत और चौड़ी छाती पर मानो सतपुडा के घने जंगल जैसे बाल, कसी कसी मांसपेशियां, जान अब्राहम के भी बाप लगते थे, अड़तालीस के उम्र में वो।
तभी मौसा जी ने कहा “ तुम बहुत शैतान हो गयी हो अभी तुम्हें मजा चखाता हूं” और उन्होंने मेरे चेहरे को दोनों हाथों से दबोच लिया।मैंने कोई प्रतिरोध न किया और अपनी आंखें बंद कर लीं। एक अनजानी उत्तेजना मेरे अंगवस्त्रों को टाईट कर रही थी। मेरी सांसे तेज थीं और चोली पर लगातार दबाव बढता जा रहा था। मुझे लगा मेरी ब्रा फटने वाली है। रिश्ते में अब तक चुदने की फंतासी की थी पर इतने बुजुर्ग पर दमदार लण्ड से चुदना, आह!! ये तो एक सपने के सच होने जैसा था। मौसा जी ने मेरे होटों पर अपने होटों को रगड़ना शुरु कर दिया था। मैने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया था। वो कह रहे थे “ आह, चांदनी तुम मेरे बेटी जैसी हो पर तुम्हारी जवानी देख कर मुझे तुम्हारी मौसी की जवानी याद आ जाती है।
मारे मजे के मेरी जान जा रही थी। दोनों हाथों से चूंचियां मसलते हुए वो अपनी जीभ और मुह से क्या क्या कर रहे थे मेरे अनछुए अंगों में जिसकी बयान मैं अभी नहीं कर सकती इस छोटी सी कहानी में। अब मैं अपने अंदर उनके बड़े लण्ड को लेने के लिए मरी जा रही थी। लड़कों के लण्ड तो खिलौने जैसे होते हैं पर ये असली शैतान जैसा लण्ड था जिसे लेना कोई खेल ना था। मौसा जी ने मेरे होटों को चबाते हुए, चूंचों को मसल्ते हुए और दूसरे हाथ से मेरी पीठ और गांड पर फिसलते हुए अचानक से अपना मोटा फूला सुपाड़ा मेरे चूत के छेद पर रख कर एक बे रहम धक्का दे दिया था। मैं अचकचाई थी, और एक जोरदार चीख मेरे हलक से निकलने वाली थी कि उनके होटों में फंसा मेरा होट असफल रहा। उन्होंने मेरी चीख जब्त कर ली थी। लंड किसी तलवार की तरह मेरी नन्हीं चूत में जाके फंस गया था। मोटा होने की वजह से वो लगभग दीवारों को चीर रहा था और चर्र चर्र करती हुई मेरी प्यारी नन्हीं फुद्दी की दीवारें हाथ खड़ा कर चुकी थीं।
मैने अपनी आंखें बंद कर लीं और बेहोश होकर उनके गले में हाथ डाल दिया। अब मैने उनके हवाले अपने आप को कर दिया था। मौसा जी ने बिना रुके चार धक्के लगाए और उनका आठ इंच का लण्ड मेरे छेद में दफन हो गया था। अब उन्होने मुझे गोद में उठा लिया और उपर नीचे झूलाते हुए चोदने लगे। जब मुझे होश आया तो मैने अपने आपको मदहोशी में चिल्लाते हुए पाया, आह्ह!! फाड़ दो मेरी चूत को मौसा जी, आह, कमान मार डालो मुझे आह बहुत मजा आ रहा है। और एक घंटे तक मेरी चूत का फालूदा बना कर मौसा जी ने उस रात कितने ही राउंड मारे। मौसी जी का अब घर में कोई भी जगह नहीं है और मैं खुलेआम उनकी सौत बन के रह रही हूं। शायद इस बार मैं गर्भवती भी हूं और कोई नहीं जानता कि क्या मैं अपने बाप सरीखे मौसा के बच्चे की मां बनने वाली हूं पर पता नहीं मौसा का लण्ड पाने के बाद मैं सबको भूल गयी हूं।
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लण्ड का पैसन भतीजी को
हाये दोस्तों मेरा नाम चांदनी है और लण्ड लेने की दीवानगी कब हुई मुझे ये मैं आपको नहीं बता सकती। ये कहानी मेरे मौसा जी के घर की है। मेरे घर वालों ने मुझे हमेशा से मौसा जी के पास ही रखा। मैं जब से होश संभाला है, वहीं रह रही हूं। सच तो ये है कि मेरे हुस्न के चढते ही, मुझे रिश्तेदार्रों ने अपने अपने घर बुलाना शुरु कर दिया था पर सबसे ज्यादा हक मेरे मौसा जी का बनता था क्योंकि उन्होंने मुझे पाला पोसा था। इसलिए मैं वहीं रही। जवानी के चढते ही मेरे गोरे दूधिया बदन में सेब के फल जैसी लालिमा आ गयी थी, ऐसा जैसे किसी ने गोरे गोरे सफेद मक्खन में हल्का सा सिंदूर मल दिया हो। काले काले नैन, और उभरे उभरे टमाटर से गाल। सुर्ख लाल होठ किसी शराब के बोतल से कम नशीले नहीं थे, ऐसा मुझे बाद में मेरे कितने ही प्रेमियों ने बताया। सुराहीदार गर्दन और गोल गोल उन्नत स्तन कतई हर हसीना की शान हुआ करते थे। मेरे चूंचे को देख कर सबसे ज्यादा आहें भरने वाले बड़े बूढे थे, लड़के तो सीधा बाथरुम गंदा कर देते थे, और लापरवाही से पहनी हुई मेरी चोली का एक डोर हमेशा मेरे कपड़े से बाहर झांकता रहता जो कि हर देखने वाले के मन में वासना की आग जला देता था।अपने को शीशे में देख के मैं अघाती नहीं थी। मौसा जी बैंक में मैनेजर थे और मौसी जी हाउस वाईफ थीं। मौसा पुराने स्पोर्ट्स मैने थे और उनकी बनावट देखते बनती थी। उनके छ:फुटा बदन में अब भी एक मस्त खिलाड़ी जैसी कसावट थी और उनका अंदाज एकदम यंग एंग्री मैन सा था जो देखते बनता था। संतान न होने से दोनों मौसा मौसी में पटती न थी। अक्सर मुझे मौसा के बारे में फंटासी करने में मजा आता, जब वो बाथरुम से बाहर निकलते और अपने लुंगी को कमर में लपेटे लण्ड को पोंछते हुए जब वो जरा सा खोलते तो कभी लापरवाही से उनका लटका हुआ आठ इंच का लंड दिख जाता। मैं हमेशा उस बेहतरीन लण्ड के साथ मस्ती करने के बारे में सोचती पर मेरी मौसी के आगे मेरी दाल न गलती। वो हमेशा मुझे घरेलू कामों में लगाए रखती थी। अब एक दिन मौसी मायके चली गयी और मौसा जी और हम अकेले रह गये थे घर में। अब आज शाम को जब मौसा जी आफिस से आये तो बड़े ड्गमगाते पैरों से घर आये। मैं समझ गयी कि आज लगता है कि वो पीकर आयें हैं। पीकर आने से मुझे याद आया कि आज काम बन सकता है। इस वजह से हमने उनको अपने चक्कर में फंसाने के लिए सोचा। मैने मौसा जी से कहा कि मौसा जी आज किचेन में आपको मेरी हेल्प करनी पड़ेगी। वो तो मानो इसके लिए तैयार बैठे थे। आ गये एक टावल लपेट कर, उपर कुछ ना पहना था, विस्तृत और चौड़ी छाती पर मानो सतपुडा के घने जंगल जैसे बाल, कसी कसी मांसपेशियां, जान अब्राहम के भी बाप लगते थे, अड़तालीस के उम्र में वो।
हम दोनों किचेन में सब्जी काटने लगे। मैं बैठकर काट रहे थे और वो आलू छील रहे थे। बैठे बैठे उनकी छोटी टावल जरा सी तंग थी और अपने जगह से हट गयी। छिले हुए लण्ड का आलू जैसा बड़ा और फूला हुआ सुपाड़ा दिखने लगा। मौसा जी लापरवाही से आलू छील रहे थे और शायद वो उनकी एक चाल भी थी। वो लगातार मेरे टाप में छुपे और कसे हुए मदमस्त चूंचे को देख देख कर आलू छील रहे थे। मैं देख रही थी कि उनके आंखों में वासना के लाल डोरे तैर रहे थे। मैने अचानक एक आलू उठाकर उनके लंड के उपर मार दिया। सुपाड़े से टकरा कर वह आलू छिटक गया। बड़ा ही सख्त सुपारा था।
तभी मौसा जी ने कहा “ तुम बहुत शैतान हो गयी हो अभी तुम्हें मजा चखाता हूं” और उन्होंने मेरे चेहरे को दोनों हाथों से दबोच लिया।मैंने कोई प्रतिरोध न किया और अपनी आंखें बंद कर लीं। एक अनजानी उत्तेजना मेरे अंगवस्त्रों को टाईट कर रही थी। मेरी सांसे तेज थीं और चोली पर लगातार दबाव बढता जा रहा था। मुझे लगा मेरी ब्रा फटने वाली है। रिश्ते में अब तक चुदने की फंतासी की थी पर इतने बुजुर्ग पर दमदार लण्ड से चुदना, आह!! ये तो एक सपने के सच होने जैसा था। मौसा जी ने मेरे होटों पर अपने होटों को रगड़ना शुरु कर दिया था। मैने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया था। वो कह रहे थे “ आह, चांदनी तुम मेरे बेटी जैसी हो पर तुम्हारी जवानी देख कर मुझे तुम्हारी मौसी की जवानी याद आ जाती है।
आह्ह!! और उन्होंने मुझे अपनी गोद में खिलौने जैसा उठा लिया। मेरे चूंचे उनके छाती के बालों से टच हो रहे थे। और मैने उनके टावेल को फिसलकर नीचे गिरते देखा। नीचे चड्ढी तो पहनी न थी उन्होंने इसलिए अब मुझे उनका विकराल लण्ड दिख रहा था। काले नाग की तरह फुंफकारता हुआ, उपर नीचे होता हुआ वो प्यासा लण्ड मुझे अनाकोन्डाज पार्ट सेवन लगने लगा था। मेरे चूत के जंगल में घुस कर क्या कुछ धमाल मचाने वाला था वो अब ये बात मैं सिर्फ सोच सकती थी कि अचानक से मौसा जी ने मुझे किचेन के प्लेटफार्म पर बिठा दिया। उन्होंने मेरी स्कर्ट खींच के अलग की और टीशर्ट एक ही झटके में उतार दी। उपर मैने कुछ ना पहना था इसलिए मेरी गोल गोल सेब जैसी चूंचियां जो कि फूल के एकदम कड़ी कड़ी हो गयीं थीं, एक दम से नंगी हो गयीं। अपने एक हाथ से दोनों चूंचे को लपेटे में लेते हुए मौसा जी ने अपना मुहं मेरी पैंटी के पास किया और दांतों से उसके किनारे को पकड़ कर किसी कुत्ते की तरह उसको अलग करने लगे। उनके मुह और मूंछों के मेरे जांघों के बीच में होती छुअन मुझे गुदगुदा रही थी। मैने उनको उत्तेजित करने के लिए सिसकारियां मारनी शुरु कर दीं “ हिस्स!! आह्ह्ह!! उफ्फ!! मौसा जी ये क्या कर रहे हैं पर मौसा जी और भी जोश चढ रहा था, उन्होंने मेरी चढ्ढी खींच ली और मेरे कमल दल जैसे लाल लाल चूत के हिस्से को अपने जीभ से सहलाने लगे।
मारे मजे के मेरी जान जा रही थी। दोनों हाथों से चूंचियां मसलते हुए वो अपनी जीभ और मुह से क्या क्या कर रहे थे मेरे अनछुए अंगों में जिसकी बयान मैं अभी नहीं कर सकती इस छोटी सी कहानी में। अब मैं अपने अंदर उनके बड़े लण्ड को लेने के लिए मरी जा रही थी। लड़कों के लण्ड तो खिलौने जैसे होते हैं पर ये असली शैतान जैसा लण्ड था जिसे लेना कोई खेल ना था। मौसा जी ने मेरे होटों को चबाते हुए, चूंचों को मसल्ते हुए और दूसरे हाथ से मेरी पीठ और गांड पर फिसलते हुए अचानक से अपना मोटा फूला सुपाड़ा मेरे चूत के छेद पर रख कर एक बे रहम धक्का दे दिया था। मैं अचकचाई थी, और एक जोरदार चीख मेरे हलक से निकलने वाली थी कि उनके होटों में फंसा मेरा होट असफल रहा। उन्होंने मेरी चीख जब्त कर ली थी। लंड किसी तलवार की तरह मेरी नन्हीं चूत में जाके फंस गया था। मोटा होने की वजह से वो लगभग दीवारों को चीर रहा था और चर्र चर्र करती हुई मेरी प्यारी नन्हीं फुद्दी की दीवारें हाथ खड़ा कर चुकी थीं।
मैने अपनी आंखें बंद कर लीं और बेहोश होकर उनके गले में हाथ डाल दिया। अब मैने उनके हवाले अपने आप को कर दिया था। मौसा जी ने बिना रुके चार धक्के लगाए और उनका आठ इंच का लण्ड मेरे छेद में दफन हो गया था। अब उन्होने मुझे गोद में उठा लिया और उपर नीचे झूलाते हुए चोदने लगे। जब मुझे होश आया तो मैने अपने आपको मदहोशी में चिल्लाते हुए पाया, आह्ह!! फाड़ दो मेरी चूत को मौसा जी, आह, कमान मार डालो मुझे आह बहुत मजा आ रहा है। और एक घंटे तक मेरी चूत का फालूदा बना कर मौसा जी ने उस रात कितने ही राउंड मारे। मौसी जी का अब घर में कोई भी जगह नहीं है और मैं खुलेआम उनकी सौत बन के रह रही हूं। शायद इस बार मैं गर्भवती भी हूं और कोई नहीं जानता कि क्या मैं अपने बाप सरीखे मौसा के बच्चे की मां बनने वाली हूं पर पता नहीं मौसा का लण्ड पाने के बाद मैं सबको भूल गयी हूं।
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